सामग्री की तालिका
7 संबंधों: तन्यता, प्रतिबल, पॉलीमर, मृत्तिकाशिल्प, विकृति, आघातवर्धनीयता, कांच।
- पदार्थ विज्ञान
- भौतिक गुण
- सातत्यक यान्त्रिकी
तन्यता
ताम्बा अपनी तन्यता के कारण, बिना टूटे, तारों में खींचा जा सकता है बेलनाकार छड़ के सिरों को विपरीत दिशा में खींचकर तानने पर:(क) भंगुर पदार्थ का भंजन (टूटना)(ख) तन्य पदार्थ का भंजन (ग) पूर्णतः तन्य पदार्थ का भंजन पदार्थ विज्ञान में तन्यता (ductility) किसी ठोस पदार्थ की तनाव डालने पर खिचकर आकार बदल लेने की क्षमता को बोलते हैं। तन्य पदार्थ (ductile materials) आसानी से खींचकर तार के रूप में बनाए जा सकते हैं, जबकि अतन्य (non-ductile) पदार्थ तनाव डालने पर असानी से नहीं खिंचते और अक्सर टूट जाते हैं। सोना और ताम्बा दोनों तन्य पदार्थों के उदाहरण हैं। इसी तरह आघातवर्धनीयता (Malleability) किसी पदार्थ की दबाव या आघात पड़ने पर बिना टूटे आकार बदल लेने की क्षमता को कहते हैं। मसलन चाँदी को पीटकर उसका मिठाई व पान पर चढ़ाने वाला वर्क इसलिए बनाया जा सकता है क्योंकि वह तत्व आघातवर्धनीय (malleable) है। .
देखें भंगुरता और तन्यता
प्रतिबल
विभिन्न प्रकार के प्रतिबल सतत यांत्रिकी में प्रतिबल (stress) से आशय ईकाई क्षेत्रफल पर आरोपित उस आन्तरिक बल से है जो दूसरे कणों द्वारा अपने पड़ोसी कणों पर लगाया जाता है। इसकी इकाई न्यूटन/वर्ग मीटर या पासकल या किलोग्राम/मीटर/वर्ग सेकेण्ड होता है। किसी बिन्दु के आसपास एक अत्यन्त छोटे से क्षेत्र \Delta A पर \Delta\vec F बल लगा हो तो कुल प्रतिबल \vec s निम्नलिखित प्रकार से परिभाषित किया जाता है- कुल प्रतिबल को निम्नलिखित दो प्रतिबलों के सदिश योग के रूप में भी लिखा जा सकता है: जहाँ: तीन विमाओं में प्रतिबल के घटक .
देखें भंगुरता और प्रतिबल
पॉलीमर
रिअल लीनिअर पॉलीमर कड़ियां, जो परमाणिव्क बल सूक्ष्मदर्शी द्वारा तरल माध्यम के अधीन देखी गयी हैं। इस बहुलक की चेन लंबाई ~२०४ नैनो.मीटर; मोटाई is ~०.४ नै.मी.वाई.रोइटर एवं एस.मिंको, http://dx.doi.org/10.1021/ja0558239 ईफ़एम सिंगल मॉलिक्यूल एक्स्पेरिमेंट्स ऐट सॉलिड-लिक्विड इंटरफ़ेस, अमरीकन कैमिकल सोसायटी का जर्नल, खण्ड १२७, ss.
देखें भंगुरता और पॉलीमर
मृत्तिकाशिल्प
चीनी पोर्सलीन का पात्र (किंग वंश, १८वीं शती) खपरैल मेक्सिको से प्राप्त योद्धा की मृतिकाशिल्प (तीसरी शती ईसापूर्व से चौथी शती ई के बीच) मृत्तिकाशिल्प 'सिरैमिक्स' (ceramics) का हिन्दी पर्याय है। ग्रीक भाषा के 'कैरेमिक' का अर्थ है - 'कुंभकार का शिल्प'। अमरीका में मृद भांड, दुर्गलनीय पदार्थ, कांच, सीमेंट, एनैमल तथा चूना उद्योग मृत्तिकाशिल्प के अंतर्गत हैं। गढ़ने तथा सुखाने के बाद अग्नि द्वारा प्रबलित मिट्टी या अन्य सुधट्य पदार्थ की निर्मिति को यूरोप में 'मृत्तिका शिल्प उत्पादन' कहते हैं। मृत्पदार्थो के निर्माण, उनके तकनीकी लक्षण तथा निर्माण में प्रयुक्त कच्चे माल से संबंधित उद्योग को हम मृत्तिकाशिल्प या सिरैमिक्स कहते हैं। मिट्टी के उत्पाद अनेक क्षेत्रों में, जैसे भवन निर्माण तथा सजावट, प्रयोगशाला, अस्पताल, विद्युत उत्पादन और वितरण, जलनिकास मलनिर्यास, पाकशाला, ऑटोमोबाइल तथा वायुयान आदि में काम आते हैं। .
देखें भंगुरता और मृत्तिकाशिल्प
विकृति
विकृति ' यह वस्तु या पदार्थ मे होने वाले विरूपण (deformation) को प्रदर्शित करती हैं| बाह्य बल(external force) के कारण वस्तु की लंबाई मे होने वाली परिवर्तन एवं उसकी प्रारंभिक लंबाई के अनुपात को विकृति (strain) कहते हैं | अतः नोट:- यह दो लंबाई का अनुपात हैं अर्थात इसकी कोई इकाई नहीं होती हैं | ' .
देखें भंगुरता और विकृति
आघातवर्धनीयता
सोने की पन्नी, उसके आघातवर्धनीयता के गुण के कारण ही सम्भव हो पाती है। किसी पदार्थ को दबाने पर (या संपीडक प्रतिबल की स्थिति में) विकृत होकर दाब के लम्बवत दिशा में फैलने का गुण आघातवर्धनीयता (Malleability) कहलाता है। आघातवर्धनीय पदार्थों को हथौड़े से पीटकर या बेलकर (रोलिंग करके) आसानी से चपटा किया जा सकता है। धातुएँ प्रायः आघातवर्धनीय हैं। सोना, लोहा, अलुमिनियम, ताँबा, पीतल, चाँदी, सीसा आदि आघातवर्धनीय हैं। आधुनिक आवर्त सारणी के १ से १२ तक के समूहों के तत्त्व आघातवर्ध्य हैं। .
देखें भंगुरता और आघातवर्धनीयता
कांच
स्वच्छ पारदर्शी कांच का बना प्रकाश बल्ब काच, काँच या कांच (glass) एक अक्रिस्टलीय ठोस पदार्थ है। कांच आमतौर भंगुर और अक्सर प्रकाशीय रूप से पारदर्शी होते हैं। काच अथव शीशा अकार्बनिक पदार्थों से बना हुआ वह पारदर्शक अथवा अपारदर्शक पदार्थ है जिससे शीशी बोतल आदि बनती हैं। काच का आविष्कार संसार के लिए बहुत बड़ी घटना थी और आज की वैज्ञानिक उन्नति में काच का बहुत अधिक महत्व है। किन्तु विज्ञान की दृष्टि से 'कांच' की परिभाषा बहुत व्यापक है। इस दृष्टि से उन सभी ठोसों को कांच कहते हैं जो द्रव अवस्था से ठण्डा होकर ठोस अवस्था में आने पर क्रिस्टलीय संरचना नहीं प्राप्त करते। सबसे आम काच सोडा-लाइम काच है जो शताब्दियों से खिड़कियाँ और गिलास आदि बनाने के काम में आ रहा है। सोडा-लाइम कांच में लगभग 75% सिलिका (SiO2), सोडियम आक्साइड (Na2O) और चूना (CaO) और अनेकों अन्य चीजें कम मात्रा में मिली होती हैं। काँच यानी SiO2 जो कि रेत का अभिन्न अंग है। रेत और कुछ अन्य सामग्री को एक भट्टी में लगभग 1500 डिग्री सैल्सियस पर पिघलाया जाता है और फिर इस पिघले काँच को उन खाँचों में बूंद-बूंद करके उंडेला जाता है जिससे मनचाही चीज़ बनाई जा सके। मान लीजिए, बोतल बनाई जा रही है तो खाँचे में पिघला काँच डालने के बाद बोतल की सतह पर और काम किया जाता है और उसे फिर एक भट्टी से गुज़ारा जाता है। .
देखें भंगुरता और कांच
यह भी देखें
पदार्थ विज्ञान
- अधिशोषण
- अपरूपण गुणांक
- आयन रोपण
- आसंजन
- इलेक्ट्रान विवर्तन
- एक्स-किरण क्रिस्टलिकी
- एक्स-किरण प्रकीर्णन तकनीकें
- एन्ट्रोपिक बल
- कठोरता
- कण क्षेपण
- कसौटी
- किरणपुंज रेखा
- क्रिस्टलकी
- गलन
- गलनक्रांतिक प्रणाली
- गोरिल्ला काँच
- तनाव पुष्टि
- तनुफिल्म
- तापानुशीतन
- धातु
- पदार्थ प्रबलता
- पदार्थ प्रौद्योगिकी की समय रेखा
- पदार्थ विज्ञान
- पदार्थों के गुणों की सूची
- पदार्थों के सुदृढ़ीकरण के साधन
- पॉलीमर
- प्रत्यास्थलक
- प्रबलित कंक्रीट
- प्वासों अनुपात
- भंगुरता
- वाष्पन
- विश्लेषी रसायन
- विश्वसनीयता इंजीनियरी
- व्याकुंचन
- शैथिल्य
- संघनित द्रव्य भौतिकी
- संपीडन पुष्टि
- सिरैमिक इंजीनियरी
भौतिक गुण
- कठोरता
- तन्यता
- तापीय प्रसार
- भंगुरता
- भौतिक गुण
- विलेयता