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आयन रोपण

सूची आयन रोपण

आयन रोपण का योजनामूलक चित्र आयन रोपण (Ion implantation), पदार्थ इंजीनियरी का एक प्रक्रम है जिसमें किसी पदार्थ के आयनों को विद्युत क्षेत्र की सहायता से त्वरित करते हुए किसी दूसरे ठोस पदार्थ पर टकराया जाता है। इस प्रकार के टक्कर के कारण उस पदार्थ के भौतिक, रासायनिक एवं वैद्युत गुण बदल जाते हैं। आयन रोपण का उपयोग अर्धचालक युक्तियों के निर्माण (जैसे आईसी निर्माण) में किया जाता है। इसके अलावा इसका उपयोग धातु परिष्करण (मेटल फिनिशिंग) एवं पदार्थ विज्ञान के क्षेत्र में अनुसंधान में किया जाता है। श्रेणी:पदार्थ विज्ञान श्रेणी:अर्धचालक युक्ति निर्माण.

6 संबंधों: एकीकृत परिपथ, तल मार्जन, त्वरण, पदार्थ विज्ञान, अनुसंधान, अर्धचालक युक्ति

एकीकृत परिपथ

माइक्रोचिप कम्पनी की इप्रोम (EPROM) स्मृति के एकीकृत परिपथ आधुनिक सरफेस माउण्ट आईसी ऐटमेल (Atmel) की एक आईसी, जिसके अन्दर स्मृति ब्लॉक, निवेश निर्गम (इन्पुट-ऑउटपुट) एवं तर्क के ब्लॉक देखे जा सकते हैं। यह एक ही चिप में पूरा तन्त्र (System on Chip) है। एलेक्ट्रॉनिकी में एकीकृत परिपथ या एकीपरि (इन्टीग्रेटेड सर्किट (IC)) को सूक्ष्मपरिपथ (माइक्रोसर्किट), सूक्ष्मचिप, सिलिकॉन चिप, या केवल चिप के नाम से भी जाना जाता है। यह एक अर्धचालक पदार्थ के अन्दर बना हुआ एलेक्ट्रॉनिक परिपथ ही होता है जिसमें प्रतिरोध, संधारित्र आदि पैसिव कम्पोनेन्ट (निष्क्रिय घटक) के अलावा डायोड, ट्रान्जिस्टर आदि अर्धचालक अवयव निर्मित किये जाते हैं। जिस प्रकार सामान्य परिपथ का निर्माण अलग-अलग (डिस्क्रीट) अवयव जोड़कर किया जाता है, आईसी का निर्माण वैसे न करके एक अर्धचालक के भीतर सभी अवयव एक साथ ही एक विशिष्ट प्रक्रिया का पालन करते हुए निर्मित कर दिये जाते हैं। एकीकृत परिपथ आजकल जीवन के हर क्षेत्र में उपयोग में लाये जा रहे हैं। इनके कारण एलेक्ट्रानिक उपकरणों का आकार अत्यन्त छोटा हो गया है, उनकी कार्य क्षमता बहुत अधिक हो गयी है एवं उनकी शक्ति की जरूरत बहुत कम हो गयी है। संकर एकीकृत परिपथ भी लघु आकार के एकीपरि (एकीकृत परिपथ) होते हैं किन्तु वे अलग-अलग अवयवों को एक छोटे बोर्ड पर जोड़कर एवं एपॉक्सी आदि में जड़कर (इम्बेड करके) बनाये जाते हैं। अतः ये मोनोलिथिक आई सी से भिन्न हैं। .

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तल मार्जन

ताँबे का विद्युतलेपन तल मार्जन (Surface finishing) उन अनेकों प्रकार की औद्योगिक प्रक्रियाओं को कहते हैं जो किसी उत्पाद के सतह को इस प्रकार से बदल देता है जिससे कोई वांछित गुण प्राप्त हो जाय। मार्जन की क्रिया निम्नलिखित गुणों की प्राप्ति के लिये की जा सकती है-.

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त्वरण

विभिन्न प्रकार के त्वरण के अन्तर्गत गति में वस्तु की समान समयान्तराल बाद स्थितियाँ दोलन करता हुआ लोलक: इसका वेग एवं त्वरण तीर द्वारा दर्शाया गया है। वेग एवं त्वरण दोनों का परिमाण एवं दिशा हर क्षण बदल रही है। किसी वस्तु के वेग परिवर्तन की दर को त्वरण (Acceleration) कहते हैं। इसका मात्रक मीटर प्रति सेकेण्ड2 होता है तथा यह एक सदिश राशि हैं। या, उदाहरण: माना समय t.

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पदार्थ विज्ञान

पदार्थ विज्ञान एक बहुविषयक क्षेत्र है जिसमें पदार्थ के विभिन्न गुणों का अध्ययन, विज्ञान एवं तकनीकी के विभिन्न क्षेत्रों में इसके प्रयोग का अध्ययन किया जाता है। इसमें प्रायोगिक भौतिक विज्ञान और रसायनशास्त्र के साथ-साथ रासायनिक, वैद्युत, यांत्रिक और धातुकर्म अभियांत्रिकी जैसे विषयों का समावेश होता है। नैनोतकनीकी और नैनोसाइंस में उपयोजता के कारण, वर्तमान समय में विभिन्न विश्वविद्यालयों, प्रयोगशालाओं और संस्थानों में इसे काफी महत्व मिला है। .

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अनुसंधान

जर्मनी का 'सोन' (Sonne) नामक अनुसन्धान-जलयान व्यापक अर्थ में अनुसंधान (Research) किसी भी क्षेत्र में 'ज्ञान की खोज करना' या 'विधिवत गवेषणा' करना होता है। वैज्ञानिक अनुसंधान में वैज्ञानिक विधि का सहारा लेते हुए जिज्ञासा का समाधान करने की कोशिश की जाती है। नवीन वस्तुओं कि खोज और पुराने वस्तुओं एवं सिद्धान्तों का पुन: परीक्षण करना, जिससे की नए तथ्य प्राप्त हो सके, उसे शोध कहते हैं। गुणात्मक तथा मात्रात्मक शोध इसके प्रमुख प्रकारों में से एक है। वैश्वीकरण के वर्तमान दौर में उच्च शिक्षा की सहज उपलब्धता और उच्च शिक्षा संस्थानों को शोध से अनिवार्य रूप से जोड़ने की नीति ने शोध की महत्ता को बढ़ा दिया है। आज शैक्षिक शोध का क्षेत्र विस्तृत और सघन हुआ है। .

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अर्धचालक युक्ति

अर्धचालक युक्तियाँ (Semiconductor devices) उन एलेक्ट्रानिक अवयवों को कहते हैं जो अर्धचालक पदार्थों के गुण-धर्मों का उपयोग करके बनाये जाते हैं। सिलिकॉन, जर्मेनियम और गैलिअम आर्सेनाइड मुख्य अर्धचालक पदार्थ हैं। अधिकांश अनुप्रयोगों में अब उन सभी स्थानों पर अर्धचालक युक्तियाँ प्रयोग की जाने लगी हैं जहाँ पहले उष्मायनिक युक्तियाँ (निर्वात ट्यूब) प्रयोग की जाती थीं। अर्धचालक युक्तियाँ, ठोस अवस्था में एलेक्ट्रानिक संचलन पर आधारित हैं जबकि ट्यूब युक्तियाँ उच्चा निर्वात या गैसीय अवस्था में उष्मायनों के चालन पर आधारित थीं। निर्माण के आधार पर अर्धचालक युक्तियाँ मुख्यतः दो प्रकार की होती हैं - अकेली युक्तियाँ और एकीकृत परिपथ (IC) .

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