हम Google Play स्टोर पर Unionpedia ऐप को पुनर्स्थापित करने के लिए काम कर रहे हैं
निवर्तमानआने वाली
🌟हमने बेहतर नेविगेशन के लिए अपने डिज़ाइन को सरल बनाया!
Instagram Facebook X LinkedIn

तापानुशीतन

सूची तापानुशीतन

तापानुशीतन या 'अनीलन' या एनिंलिंग (Annealing) धातुकर्म और पदार्थ विज्ञान में एक प्रकार का ऊष्मा उपचार है। इसका उपयोग किसी वस्तु या पदार्थ में आवश्यक गुण (जैसे कठोरता, नम्रता आदि) लाने के लिए किया जाता है। इस प्रक्रिया में एक क्रान्तिक ताप से अधिक ताप तक वस्तु को गरम किया जाता है तत्पश्चात कुछ समय तक एक नियत ताप पर बनाए रखते हैं और अन्ततः नियंत्रित रूप में उसे ठण्डा कर दिया जाता है। तापानुशीतन का उपयोग तन्यता बढ़ाने, पदार्थ को मुलायम बनाने, पदार्थ में किसी कारण उत्पन्न प्रतिबलों को समाप्त करने, पदार्थ की संरचना को बदलने आदि के लिए किया जाता है। तापानुशीतन का उपयोग निम्नलिखित में से किसी एक या अधिक लक्ष्यों की पूर्ति के लिए किया जाता है-.

सामग्री की तालिका

  1. 5 संबंधों: तापोपचार, ताम्र, धातुकर्म, पदार्थ विज्ञान, इस्पात

तापोपचार

तापोपचार (Heat treatment) उन प्रक्रमों या विधियों को कहते हैं जो उष्मा के आदान-प्रदान के द्वारा पदार्थों के भौतिक गुणों को बदलने के लिये उपयोग किये जाते हैं। कभी-कभी इनकी सहायता से पदार्थ के रासायनिक गुण भी बदले जाते हैं। इनका धातुकर्म में बहुत उपयोग है। कांच आदि कुछ अन्य पदार्थों के उत्पादन में भी तापोपचार का प्रयोग होता है। तापोपचार द्वारा वांछित परिणाम पाने के लिये पदार्थ को प्राय: बहुत अधिक गरम करना या बहुत अधिक ठण्डा करना पड़ता है। एनिलिंग (annealing), केस कठोरीकरण (case hardening), प्रेसिपिटेशन सशक्तीकरण (precipitation strengthening), टेम्परिंग (tempering) तथा क्वेंचिंग (quenching) प्रमुख तापोपचार हैं। .

देखें तापानुशीतन और तापोपचार

ताम्र

तांबा (ताम्र) एक भौतिक तत्त्व है। इसका संकेत Cu (अंग्रेज़ी - Copper) है। इसकी परमाणु संख्या 29 और परमाणु भार 63.5 है। यह एक तन्य धातु है जिसका प्रयोग विद्युत के चालक के रूप में प्रधानता से किया जाता है। मानव सभ्यता के इतिहास में तांबे का एक प्रमुख स्थान है क्योंकि प्राचीन काल में मानव द्वारा सबसे पहले प्रयुक्त धातुओं और मिश्रधातुओं में तांबा और कांसे (जो कि तांबे और टिन से मिलकर बनता है) का नाम आता है। .

देखें तापानुशीतन और ताम्र

धातुकर्म

धातुनिर्माता कारखाने में इस्पात का निर्माण दिल्ली का लौह-स्तम्भ भारतीय धातुकर्म के गौरव का साक्षी है। धातुकर्म पदार्थ विज्ञान और पदार्थ अभियांत्रिकी का एक क्षेत्र है, जिसके अंतर्गत धातुओं, उनसे बनी मिश्रधातुओं और अंतर्धात्विक यौगिकों के भौतिक और रासायनिक गुणों का अध्ययन किया जाता है। .

देखें तापानुशीतन और धातुकर्म

पदार्थ विज्ञान

पदार्थ विज्ञान एक बहुविषयक क्षेत्र है जिसमें पदार्थ के विभिन्न गुणों का अध्ययन, विज्ञान एवं तकनीकी के विभिन्न क्षेत्रों में इसके प्रयोग का अध्ययन किया जाता है। इसमें प्रायोगिक भौतिक विज्ञान और रसायनशास्त्र के साथ-साथ रासायनिक, वैद्युत, यांत्रिक और धातुकर्म अभियांत्रिकी जैसे विषयों का समावेश होता है। नैनोतकनीकी और नैनोसाइंस में उपयोजता के कारण, वर्तमान समय में विभिन्न विश्वविद्यालयों, प्रयोगशालाओं और संस्थानों में इसे काफी महत्व मिला है। .

देखें तापानुशीतन और पदार्थ विज्ञान

इस्पात

इस्पात (Steel), लोहा, कार्बन तथा कुछ अन्य तत्वों का मिश्रातु है। इसकी तन्य शक्ति (tensile strength) अधिक होती है जबकि प्रति टन मूल्य कम होने के कारण यह भवनों, अधोसंरचना, औजार, जलयान, वाहन, और मशीनों के निर्माण में प्रयुक्त होता है। 'इस्पात' शब्द इतने विविध प्रकार के परस्पर अत्यधिक भिन्न गुणोंवाले पदार्थो के लिए प्रयुक्त होता है कि इस शब्द की ठीक-ठीक परिभाषा करना वस्तुत: असंभव है। परंतु व्यवहारत: इस्पात से लोहे तथा कार्बन (कार्बन) की मिश्र धातु ही समझी जाती है (दूसरे तत्व भी साथ में चाहे हों अथवा न हों)। इसमें कार्बन की मात्रा साधारणतया 0.002% से 2.14% तक होती है। किसी अन्य तत्व की अपेक्षा कार्बन, लोहे के गुणों को अधिक प्रभावित करता है; इससे अद्वितीय विस्तार में विभिन्न गुण प्राप्त होते हैं। वेसे तो कई अन्य साधारण तत्व भी मिलाए जाने पर लोहे तथा इस्पात के गुणों को बहुत बदल देते हैं, परंतु इनमें कार्बन ही प्रधान मिश्रधातुकारी तत्व है। यह लोहे की कठोरता तथा पुष्टता समानुपातिक मात्रा में बढ़ाता है, विशेषकर उचित उष्मा उपचार के उपरांत। इस्पात एक मिश्रण है जिसमें अधिकांश हिस्सा लोहा का होता है। इस्पात में 0.2 प्रतिशत से 2.14 प्रतिशत के बीच कार्बन होता है। लोहा के साथ कार्बन सबसे किफायत मिश्रक होता है, लेकिन जरूरत के अनुसार, इसमें मैंगनीज, क्रोमियम, वैंनेडियम और टंग्सटन भी मिलाए जाते हैं। कार्बन और दूसरे पदार्थ मिश्र-धातु को कठोरता प्रदान करते हैं। लौहे के साथ, उचित मात्रा में मिश्रक मिलाकर लोहे को आवश्यक कठोरता, तन्यता और सुघट्यता प्रदान किया जाता है। लौहे में जितना ज्यादा कार्बन मिलाते हैं इस्पात उतना ही कठोर बनता जाता है, कठोरता बढ़ने के साथ ही उसकी भंगुरता भी बढ़ती जाती है। 1149 डिग्री सेल्सियस पर लौहे में कार्बन की अधिकतम घुल्यता 2.14 प्रतिशत है। कम तापमान पर अगर लौहे में ज्यादा मात्रा में कार्बन हो तो इससे सिमेंटाइट का निर्माण होगा। लौहे में अगर इससे ज्यादा कार्बन हो तो यह कास्ट आयरन कहलाता है, क्योंकि इसका गलनाक कम हो जाता है। इस्पात, कास्ट आयरन से इसलिए भी अलग होता है क्योंकि इसमें दूसरे तत्वों की मात्रा अत्यंत कम होती है यानी 1 से तीन प्रतिशत के करीब.

देखें तापानुशीतन और इस्पात

एनिलिंग के रूप में भी जाना जाता है।