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तल मार्जन

सूची तल मार्जन

ताँबे का विद्युतलेपन तल मार्जन (Surface finishing) उन अनेकों प्रकार की औद्योगिक प्रक्रियाओं को कहते हैं जो किसी उत्पाद के सतह को इस प्रकार से बदल देता है जिससे कोई वांछित गुण प्राप्त हो जाय। मार्जन की क्रिया निम्नलिखित गुणों की प्राप्ति के लिये की जा सकती है-.

9 संबंधों: एनोडीकरण, बर, यशदीकरण, संक्षारण, घर्षण, विद्युत चालकता, विद्युत्-लेपन, आसंजन, कठोरता

एनोडीकरण

एनोडीकरण (Anodizing या anodising) एक प्रक्रिया है जिसमें विद्युत-धारा का उपयोग करके किसी धातु के सतह पर स्थित प्राकृतिक आक्साइड के स्तर को और अधिक मोटा किया जाता है। श्रेणी:धातुकर्म.

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बर

धातु के बर किसी पदार्थ पर कोई यांत्रिक प्रक्रिया करने के बाद उस पदार्थ में कुछ उभरी हुई सतहें हों या पदार्थ के छोटे टुकड़े उस पर लगे हुए रह जाँय तो उन सबको बर (burr) कहते हैं। श्रेणी:धातुकर्मण.

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यशदीकरण

thumb यशदीकरण (अंग्रेजी:Galvanization) या गैल्वानीकरण या यशदलेपन एक धातुकार्मिक प्रक्रम है जिसमें इस्पात या लोहे के उपर जस्ते की परत चढ़ा दी जाती है। इससे इन धातुओं का क्षरण (विशेषत: जंग लगना) रूक जाता है। यद्यपि यशदीकरण की प्रक्रिया स्वयं एक गैर-विद्युतरासायनिक प्रक्रिया है किन्तु फिर भी यह प्रक्रिया एक विद्युतरासायनिक उद्देश्य की पूर्ति करती है। यह प्रकिया अधिकांश यूरोपीय भाषाओं मे गैल्वेनाइजेशन कहलाती है और इसका यह नाम इतालवी वैज्ञानिक लुईगी गैल्वानी के नाम पर पड़ा है। इस्पात को पिघले हुए जस्ते में डुबाकर संरक्षित करने की प्रक्रिया १५० वर्ष से भी अधिक पुरानी है। इस प्रक्रिया का आविष्कार सन १८३७ में पेरिस के मोसियर स्तैनिस्लास सोरेल (Monsieur Stanislas Sorel) ने किया था। .

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संक्षारण

मास्को के सुखोव टॉवर में दृष्टिगत संक्षारण रेल कीपटरी का संक्षारण (मोरचा लग गया है।) मोरचा लगा नट और बोल्ट धातुओं का संक्षारण (Corrosion of metals) रासायनिक क्रिया है, जिसके फलस्वरूप धातुओं का क्षय एवं ह्रास होता है। धातुओं की क्षरणक्रिया, (Erosion) जिनमें यांत्रिक कारकों के फलस्वरूप धातुओं का ह्रास होता है, इस क्रिया से भिन्न होती है। धातुओं में संक्षारण वस्तुत: रासायनिक क्रिया, अथवा वैद्युत्रासायनिक क्रिया, के रूप में होता है। मूल आधार के अनुसार उपर्युक्त दोनों प्रकार की संक्षारण क्रियाएँ मूल क्रिया की विभिन्न अवस्थाएँ हैं। धातुओं की संक्षारण क्रियाप्रणाली की मुक्त ऊर्जा में विशिष्ट एवं आवश्यक रूप में न्यूनता उत्पन्न होती है। प्रत्यक्ष रासायनिक क्रिया द्वारा धातुओं के संक्षारण में गैस, अथवा आर्द्रतायुक्त वातावरण, का संसर्ग संक्षारण के लिए उपयुक्त परिस्थितयाँ उत्पन्न करता है। संक्षारण की विद्युत्रासायनिक क्रिया में, धातुओं के द्रव में निमज्जित होने से, विद्युत्धारा उत्पन्न होने की उपयुक्त परिस्थितियाँ उत्पन्न हो जाती हैं। इस प्रकार संक्षारण क्रिया में धातुओं का विद्युत्रासायनिक ह्रास होता है। उनमें तथा द्रवों में निमज्जित होने से धातुओं की संक्षारण केवल उपर्युक्त परिस्थितियों पर निर्भर नहीं करती, अन्य कारकों का भी विशेष एवं महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। सामान्यत: धातुओं की संक्षारण क्रिया में निर्मित होनेवाला अंतिम उत्पाद ऐसा यौगिक होता है जो प्रकृति में खनिज पदार्थ के रूप में पाया जाता है। उदाहरणार्थ, ताँबे के पट्ट को बहुत वर्षों तक आंतरस्थलीय वातावरण में, खुली अवस्था में रखने से पट्ट के ऊपरी तल पर क्षारक सल्फेट की एक परत जर्म जाती है। ताँबे का यह क्षारक सल्फेट प्रकृति में पाए जानेवाले खनिज ब्रोकैटाइट जैसा होता है। इसी प्रकार लोहे अथवा इस्पात के पट्ट को लवणीय जल में पूर्णत: निमज्जित रखने पर वर्षा में उसके तल पर जलयोजित लोह (फेरिक) ऑक्साइड की कठोर परत जम जाती है। जलयोजित फेरिक ऑक्साइड प्रकृति में पाए जानेवाले खनिज गोथइट जैसा होता है। इस प्रकार धातुओं की संक्षारण क्रिया धातुओं के मध्यस्थायी धात्विक अवस्था में स्थायी ऑक्सीकृत अवस्था में प्रत्यावर्तन की क्रिया है। जो धातुएँ प्रकृति में अपने शुद्ध रूप में पाई जाती हैं, जैसे स्वर्ण, उनमें सामान्यत: प्रकृति में उपस्थित कारकों द्वारा संक्षारण क्रिया नहीं होती और इसके फलस्वरूप ही ऐसी धातुएँ असंयुक्त अवस्था में पाई जाती हैं। .

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घर्षण

धरती पर रखे एक ब्लाक के लिये फ्री-बॉडी आरेख घर्षण (Friction) एक बल है जो दो तलों के बीच सापेक्षिक स्पर्शी गति का विरोध करता है। घर्षण बल का मान दोनों तलों के बीच अभिलंब बल पर निर्भर करता है। घर्षण के दो प्रकार हैं: स्थैतिक और गतिज। स्थैतिक घर्षण दो पिण्डों के संपर्क-पृष्ठ की समान्तर दिशा में लगता है, लेकिन गतिज घर्षण गति की दिशा पर निर्भर नही करता। .

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विद्युत चालकता

पदार्थों द्वारा विद्युत धारा संचालित करने की क्षमता के माप को विद्युत चालकता (Electrical conductivity) या विशिष्ट चालकता (specific conductance) कहते हैं। जब किसी पदार्थ से बने किसी 'चालक' के दो सिरों के बीच विभवान्तर आरोपित किया जाता है तो इसमें विद्यमान घूम सकने योग्य आवेश प्रवाहित होने लगते हैं जिसे विद्युत धारा कहते हैं। आंकिक रूप से धारा घनत्व \mathbf तथा विद्युत क्षेत्र की तीव्रता \mathbf के अनुपात को चालकता (σ) कहते हैं। अर्थात - विद्युत चालकता के व्युत्क्रम (reciprocal) राशि को विद्युत प्रतिरोधकता (ρ) कहते हैं जिसकी SI इकाई सिमेन्स प्रति मीटर (S·m-1) होती है। विद्युत चालकता के आधार पर पदार्थों को कुचालक, अर्धचालक, सुचालक तथा अतिचालक आदि कई वर्गों में बांटा जाता है जिनका अपना-अपना महत्व एवं उपयोग होता है चालकता ___(Conductance) जिस प्रकार प्रतिरोध, विधुत धारा प्रवाह का विरोध करता है उसी प्रकार चालकता प्रतिरोध के प्रभाव के विपरीत है, परंतु चालकता विधुत धारा प्रवाह को सुगमता प्रदान करती है। .

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विद्युत्-लेपन

विद्युत धारा द्वारा, धातुओं पर लेपन करने की विधि को विद्युतलेपन (Electroplating) कहते हैं। बहुधा लोहे की वस्तुओं को संक्षरण से बचाने तथा चमक के लिए, उन पर ताँबे, निकल अथवा क्रोमियम का लेपन किया जाता है। आधार धातु पर लेपन करने के बाद, लेपन की जानेवाली धातु के बाहरी गुण दिखाई देते हैं। इससे वस्तु का बाहरी रूप रंग निखर जाता है तथा साथ ही वस्तु संक्षारण से भी बचती है। विद्युत्लेपन द्वारा लेपित की जानेवाली धातु, आधार धातु से अच्छी प्रकार संबद्ध हो जाती है और लेपन प्राय: स्थायी रूप में किया जा सकता है। .

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आसंजन

फूल पर जल की बूँदें दो भिन्न प्रकार के कणों या सतहों के एक दूसरे से चिपकने की प्रवृत्ति को आसंजन (Adhesion) कहते हैं। (दो समान कणों या सतहों का आपस में चिपकने की प्रवृत्ति संसंजन (cohesion) कहलाती है।) आसंजन तथा संसंजन बल भी कई प्रकार के होते हैं। विभिन्न प्रकार के चिपकाने वाले टेप आदि रासायनिक आसंजन (chemical adhesion), डिस्पर्सिव अधेशन या डिफ्युसिव अधेशन की श्रेणी में आते हैं। .

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कठोरता

विकर्स का कठोरतामापी एलास्टोमर पदार्थों के बल-विकृति ग्राफ में हिस्टेरिसिस पायी जाती है (प्रतिबल बढ़ाने पर और घटाने पर ग्राफ अलग-अलग मार्ग से जाता है)। इसे एलास्टिक हिस्टेरिस कहते हैं। प्रतिक्षेप कठोरता (रिबाउण्ड हार्डनेस) का मापन इसी सिद्धान्त पर आधारित है। प्रत्यास्थ पदार्थों में यह हिस्टेरिसिस् नहीं पायी जाती। कठोरता (Hardness) किसी ठोस का वह गुण है जिससे पता चलता है कि उस पर बल लगाने पर उसे स्थायी रूप से विकृत करने की कितनी सम्भावना है। सामान्यतः अधिक कठोर ठोस वह होता है जिसमें अन्तराणविक बल अधिक मजबूत होगा। कठोर पदार्थों के कुछ उदाहरण: सिरामिक (ceramics), कंक्रीट (concrete), कुछ धातुएँ तथा अतिकठोर पदार्थ। 'कठोरता' को मापने के अलग-अलग तरीके हैं.

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

धातु परिष्करण

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