सामग्री की तालिका
4 संबंधों: प्रसारण, बर्कशायर हाथवे, लाभांश, कर।
- प्रकारानुसार व्यापारिक संस्थाएँ
- विधित संस्थाएँ
- व्यापार प्रणालियाँ
- व्यापारिक शब्द
प्रसारण
श्रब्य और/अथवा विडियो संकेतों को एक स्थान से सभी दिशाओं में, या किसी एक दिशा में फैलाना प्रसारण (Broadcasting) कहलाता है। दूरस्थ स्थानों पर इन संकेतों को उपयुक्त विधि से ग्रहण किया जाता है एवं आवश्यक परिवर्तनों (प्रवर्धन, डीमोडुलेशन आदि) के बाद कोई श्रब्य या विडियो आदि प्राप्त होता है। .
देखें नियंत्रक कंपनी और प्रसारण
बर्कशायर हाथवे
बर्कशायर हाथवे (और) संगुटिका धारित कंपनी है जिसका मुख्यालय ओमाहा, नेब्रास्का, अमेरिका में है। यह कई सहायक कंपनियों का प्रबंधन और देखरेख करती है। कंपनी ने पिछले 44 वर्षों में अपने शेयरधारकों को 20.3% के बही मूल्य से वार्षिक विकास का औसत दिया है, जबकि कम से कम ऋण के साथ पूंजी की बड़ी मात्रा का उपयोग किया है। बर्कशायर हाथवे ने 2000-2010 में कुल 76% स्टॉक उत्पादन किया जबकि S$P के लिए 11.3% का नकारात्मक रिटर्न प्रदर्शित किया। वॉरेन बफेट कंपनी के अध्यक्ष और CEO हैं। बफेट ने बर्कशायर हाथवे के बीमा व्यापार द्वारा प्रदान "फ्लोट" (एक पॉलिसीधारक का पैसा जिसे यह अस्थायी रूप से तब तक रखती है जब तक कि दावों का भुगतान नहीं कर दिया जाता) का प्रयोग अपने निवेशों में पूंजी लगाने के लिए किया। बर्कशायर में अपने कैरियर के प्रारंभिक काल में, उन्होंने सार्वजनिक रूप से उद्धृत शेयरों में लंबी अवधि के निवेश करने पर ध्यान केंद्रित किया, लेकिन हाल के वर्षों में उन्होंने पूरी कंपनियों को खरीदने कि ओर रुख किया। बर्कशायर अब, व्यवसायों की एक विविध श्रृंखला का मालिक है, जिसमें शामिल है रेलरोड, कैंडी उत्पादन, खुदरा, गृह-सज्जा, विश्वकोश, वैक्यूम क्लीनर, आभूषण विक्रय, समाचार पत्र प्रकाशन, युनिफोर्म का निर्माण और वितरण, जूतों का निर्माण, आयात और वितरण, साथ ही साथ कई क्षेत्रीय बिजली और गैस उपयोगिता की वस्तुएं.
देखें नियंत्रक कंपनी और बर्कशायर हाथवे
लाभांश
लाभांश (अंग्रेज़ी:Dividend / डिविडेंड) किसी कंपनी के लाभ में भागीदारों का अंश होता है जो वह कंपनी लाभ कमाने पर अपने शेयरधारकों को देती है। किसी ज्वाइंट स्टॉक कंपनी में लाभांश, शेयरों के निश्चित मूल्य के आधार पर मिलता है। इस मामले में शेयरधारक उसके शेयर के अनुपात में डिविडेंड ग्रहण करता है। डिविडेंड पैसे, शेयर या अन्य कई रूपों में दिया जा सकता है। किसी व्यापारिक कंपनी के अंशधारियों में लाभ के जिस भाग का विभाजन किया जाता है उसे लाभांश कहते है। प्रत्येक व्यापारिक कंपनी को लाभांश वितरण करने का समवायी अधिकार होता है। संचालक इस बात की सिफारिश करते हैं कि कितनी राशि लाभांश के रूप में घोषित की जाए। उसके पश्चात् कंपनी अपनी सामान्य बैठक में लाभांश की घोषणा करती है, किंतु यह राशि संचालकों द्वारा सिफारिश की गई राशि से अधिक नहीं होनी चाहिए। इसके अतिरिक्त अंतर्नियमों द्वारा अधिकृत होने पर संचालक दो सामान्य बैठकों के बीच में ही अंतरिम लाभांश की घोषणा भी कर सकते है। यत: लाभांश कंपनी के लाभ का ही भाग होता है, अत: इसे केवल लाभ से ही दिया जा सकता है, न कि पूँजी से। लाभांश के विषय में अंशधारियों के सामान्य अधिकारों, जैसे लाभांश की दर तथा पूर्वाधिकार आदि का प्रकथन कभी कभी सीमानियम में ही कर दिया जाता है जिससे यथासंभव, उन अधिकारों में परिवर्तन न हो सके। कई बार इनका प्रकथन अंतर्नियमों में किया जात है और कभी कभी दोनों प्रलेखों में भी इनका प्रकथन होता है। किस ढंग से लाभांश की घोषणा तथा अदायगी की जाएगी, इसका प्रकथन साधारणतया अंतर्नियमों में ही होता है। जब तक कंपनी चालू रहती है, वह पूरा लाभ अंशधारियों में वितरण करने के लिए बाध्य नहीं होती। लाभांश वितरण करने के स्थान पर, अंतर्नियमों में इसकी व्यवस्था होने पर यह अपने लाभ को पूँजी में परिवर्तित (Capitalise) कर सकती है। लाभांश को इसकी घोषणा के दिन से ऋण माना जाता है तथा यह देय हो जाता है। कभी कभी अंतर्नियमों में यह भी प्रावधान होता है कि घोषणा के बाद निश्चित समय तक लाभांश के अयाचित रहने पर इसे जब्त किया जा सकता है। कंपनी से सदस्य अंतर्नियमों के नियमानुसार लाभांश की अधियाचना कर सकते हैं किंतु यह आवश्यक है कि ऐसे सदस्यों का नाम लाभांश घोषणा के दिन कंपनी के रजिस्टर में दर्ज हो। जब अंशों का हस्तांतरण लाभांश घोषित करने पर उसके बहुत निकट किस तिथि को हो, तो हस्तांतरक तथा हस्तांतरी यह भी संविदा कर सकते हैं कि लाभांश किसको मिले। .
देखें नियंत्रक कंपनी और लाभांश
कर
किसी राज्य द्वारा व्यक्तियों या विविध संस्था से जो अधिभार या धन लिया जाता है उसे कर या टैक्स कहते हैं। राष्ट्र के अधीन आने वाली विविध संस्थाएँ भी तरह-तरह के कर लगातीं हैं। कर प्राय: धन (मनी) के रूप में लगाया जाता है किन्तु यह धन के तुल्य श्रम के रूप में भी लगाया जा सकता है। कर दो तरह के हो सकते हैं - प्रत्यक्ष कर (direct tax) या अप्रत्यक्ष कर (indirect tax)। एक तरफ इसे जनता पर बोझ के रूप में देखा जा सकता है वहीं इसे सरकार को चलाने के लिये आधारभूत आवश्यकता के रूप में भी समझा जा सकता है। भारत के प्राचीन ऋषि (समाजशास्त्री) कर के बारे में यह मानते थे कि वही कर-संग्रहण-प्रणाली आदर्श कही जाती है, जिससे करदाता व कर संग्रहणकर्ता दोनों को कठिनाई न हो। उन्होंने कहा कि कर-संग्रहण इस प्रकार से होना चाहिये जिस प्रकार मधुमक्खी द्वारा पराग संग्रहण किया जाता है। इस पराग संग्रहण में पुष्प भी पल्लवित रहते हैं और मधुमक्खी अपने लिये शहद भी जुटा लेती है। .
देखें नियंत्रक कंपनी और कर
यह भी देखें
प्रकारानुसार व्यापारिक संस्थाएँ
- ईएसओपी
- एकल स्वामित्व
- दोहरी सूचिगत कंपनी
- नगर निगम
- निजी कंपनी
- नियंत्रक कंपनी
- पब्लिक लिमिटेड कंपनी
- भागीदारी
- मिडिया संगुटिका
- संगुटिका (कंपनी)
- संयुक्त पूँजी कम्पनी
- सहकारी समिति
- सहायक कंपनी
- सार्वजनिक कंपनी
- सार्वजनिक संस्थान
- सीमित देयता कंपनी
- सीमित देयता भागीदारी
- स्टार्टअप कंपनी
विधित संस्थाएँ
- कंपनी
- कॉरपोरेट कानून
- निगम
- नियंत्रक कंपनी
- बैंक
- विधिक व्यक्तित्व
- संयुक्त पूँजी कम्पनी
- सहायक कंपनी
- सीमित देयता कंपनी
- सीमित देयता भागीदारी
व्यापार प्रणालियाँ
- उद्यम संसाधन आयोजना
- उद्यमिता
- नियंत्रक कंपनी
- नेटवर्क प्रभाव
- फ़्रेंचाइज़िंग
- फ्रीमियम
- बहु-स्तरीय विपणन
- मुक्त नवाचार
- मुक्त स्रोत
- लघु उद्योग
- विज्ञापन
- व्यवसाय मॉडल
- संबद्ध विपणन
- सहकारी समिति
- सहायक कंपनी
व्यापारिक शब्द
- अंशधारी
- आपूर्ति शृंखला प्रबंधन
- आभासी व्यापार
- उत्पाद
- उद्यम संसाधन आयोजना
- उद्यमिता
- एकल स्वामित्व
- ऑफ़शोरिंग
- क्रेडिट कार्ड
- ग्रहणाधिकार (लियन)
- ग्राहक संतुष्टि
- ज्ञान प्रबन्धन
- निदेशकमंडल
- नियंत्रक कंपनी
- निर्णायक प्रबन्धन
- पूर्णकालिक समतुल्य
- प्रापण
- बी पी ओ
- लघु उद्योग
- वस्तु विनिमय
- विक्रय
- विधिक व्यक्तित्व
- विविधीकरण (विपणन कार्यनीति)
- संभार-तंत्र
- सम्पूर्ण गुणवत्ता प्रबन्धन
- सम्यक् तत्परता
- सहायक कंपनी
- सामग्री प्रबंधन
- सिक्स सिग्मा
- स्थानीकरण (सॉफ्टवेयर)