सामग्री की तालिका
मुठभेड़
मुठभेड़ का सामान्य अर्थ एक प्रकार का हिंसात्मक संघर्ष है। यह कभी-कभी दो गैर-क़ानूनी गुटों में, सेनाओं के बीच और साधारण रूप से पुलिस और अपराधियों के बीच होता है। किन्तु 'मुठभेड़' का कानूनी अर्थ है, 'पुलिस या किसी अन्य सशस्त्र बल द्वारा, अपनी रक्षा करने के लिए, किसी गिरोहबाज अपराधी या आतंकवादी को मार गिराना'। 'मुठभेड़' या 'इन्काउण्टर' शब्दों का उपयोग भारत और पाकिस्तान में २०वीं शताब्दी से (विशेष अर्थ में) हो रहा है। १९९० तथा मध्य २००० के दशक में मुम्बई पुलिस ने नगर के कई भूमिगत अपराधियों को मार गिराया था। उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार बनने के बाद १० माह में ११४२ मुठभेड़ें हुईं। 'मुठभेड़' को लेकर कई बार विवाद भी होता है। कुछ मानवाधिकार संगठन और कुछ अन्य लोग इस प्रकार के मुठभेड़ की घटनाओं को "फ़र्ज़ी मुठभेड़" कहते हैं जबकि पुलिस के अधिकारी घटना-स्थल से प्राप्त वस्तुओं के आधार पर उन्हें सही ठहराते हैं। .
देखें स्टार्टअप कंपनी और मुठभेड़
संस्कृति
संस्कृति किसी समाज में गहराई तक व्याप्त गुणों के समग्र रूप का नाम है, जो उस समाज के सोचने, विचारने, कार्य करने, खाने-पीने, बोलने, नृत्य, गायन, साहित्य, कला, वास्तु आदि में परिलक्षित होती है। संस्कृति का वर्तमान रूप किसी समाज के दीर्घ काल तक अपनायी गयी पद्धतियों का परिणाम होता है। ‘संस्कृति’ शब्द संस्कृत भाषा की धातु ‘कृ’ (करना) से बना है। इस धातु से तीन शब्द बनते हैं ‘प्रकृति’ (मूल स्थिति), ‘संस्कृति’ (परिष्कृत स्थिति) और ‘विकृति’ (अवनति स्थिति)। जब ‘प्रकृत’ या कच्चा माल परिष्कृत किया जाता है तो यह संस्कृत हो जाता है और जब यह बिगड़ जाता है तो ‘विकृत’ हो जाता है। अंग्रेजी में संस्कृति के लिये 'कल्चर' शब्द प्रयोग किया जाता है जो लैटिन भाषा के ‘कल्ट या कल्टस’ से लिया गया है, जिसका अर्थ है जोतना, विकसित करना या परिष्कृत करना और पूजा करना। संक्षेप में, किसी वस्तु को यहाँ तक संस्कारित और परिष्कृत करना कि इसका अंतिम उत्पाद हमारी प्रशंसा और सम्मान प्राप्त कर सके। यह ठीक उसी तरह है जैसे संस्कृत भाषा का शब्द ‘संस्कृति’। संस्कृति का शब्दार्थ है - उत्तम या सुधरी हुई स्थिति। मनुष्य स्वभावतः प्रगतिशील प्राणी है। यह बुद्धि के प्रयोग से अपने चारों ओर की प्राकृतिक परिस्थिति को निरन्तर सुधारता और उन्नत करता रहता है। ऐसी प्रत्येक जीवन-पद्धति, रीति-रिवाज रहन-सहन आचार-विचार नवीन अनुसन्धान और आविष्कार, जिससे मनुष्य पशुओं और जंगलियों के दर्जे से ऊँचा उठता है तथा सभ्य बनता है, सभ्यता और संस्कृति का अंग है। सभ्यता (Civilization) से मनुष्य के भौतिक क्षेत्र की प्रगति सूचित होती है जबकि संस्कृति (Culture) से मानसिक क्षेत्र की प्रगति सूचित होती है। मनुष्य केवल भौतिक परिस्थितियों में सुधार करके ही सन्तुष्ट नहीं हो जाता। वह भोजन से ही नहीं जीता, शरीर के साथ मन और आत्मा भी है। भौतिक उन्नति से शरीर की भूख मिट सकती है, किन्तु इसके बावजूद मन और आत्मा तो अतृप्त ही बने रहते हैं। इन्हें सन्तुष्ट करने के लिए मनुष्य अपना जो विकास और उन्नति करता है, उसे संस्कृति कहते हैं। मनुष्य की जिज्ञासा का परिणाम धर्म और दर्शन होते हैं। सौन्दर्य की खोज करते हुए वह संगीत, साहित्य, मूर्ति, चित्र और वास्तु आदि अनेक कलाओं को उन्नत करता है। सुखपूर्वक निवास के लिए सामाजिक और राजनीतिक संघटनों का निर्माण करता है। इस प्रकार मानसिक क्षेत्र में उन्नति की सूचक उसकी प्रत्येक सम्यक् कृति संस्कृति का अंग बनती है। इनमें प्रधान रूप से धर्म, दर्शन, सभी ज्ञान-विज्ञानों और कलाओं, सामाजिक तथा राजनीतिक संस्थाओं और प्रथाओं का समावेश होता है। .
देखें स्टार्टअप कंपनी और संस्कृति
यह भी देखें
प्रकारानुसार व्यापारिक संस्थाएँ
- ईएसओपी
- एकल स्वामित्व
- दोहरी सूचिगत कंपनी
- नगर निगम
- निजी कंपनी
- नियंत्रक कंपनी
- पब्लिक लिमिटेड कंपनी
- भागीदारी
- मिडिया संगुटिका
- संगुटिका (कंपनी)
- संयुक्त पूँजी कम्पनी
- सहकारी समिति
- सहायक कंपनी
- सार्वजनिक कंपनी
- सार्वजनिक संस्थान
- सीमित देयता कंपनी
- सीमित देयता भागीदारी
- स्टार्टअप कंपनी
एक स्टार्टअप कंपनी या स्टार्टअप या स्टार्ट के रूप में भी जाना जाता है।