सामग्री की तालिका
देबल
देबल (अरबी:, अंग्रेज़ी: Debal) एक प्राचीन भारतीय बंदरगाह थी जो आधुनिक पाकिस्तान के सिंध प्रान्त की राजधानी कराची के पास स्थित थी। यह मनोड़ा प्रायद्वीप के पास थी। इसका नाम पास के एक महान मंदिर पर 'देवल' पड़ा था जो बिगड़कर 'देबल' बन गया। यह मकरान के तटवर्ती रेगिस्तान के पूर्वी छोर पर था।, Sir Henry Miers Elliot and John Dowson, pp.
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मकरान
अंतरिक्ष से लिए गए इस चित्र में मकरान अरब सागर से लगी ज़मीन की अर्ध-रेगिस्तानी पट्टी है - यह दक्षिणी पाकिस्तान और ईरान में पड़ती है ग्वादर में मकरान का तटीय क्षेत्र मकरान तटीय राजमार्ग पर चलता ट्रक मकरान (फ़ारसी:, अंग्रेज़ी: Makran) पाकिस्तान के सिंध और बलोचिस्तान प्रान्तों के दक्षिणतम भाग में और ईरान के सिस्तान व बलोचिस्तान प्रान्त के दक्षिणतम भाग में अरब सागर से लगा एक शुष्क, अर्ध-रेगिस्तानी क्षेत्र है। इस इलाक़े से भारतीय उपमहाद्वीप और ईरान के बीच का एक महत्वपूर्ण मार्ग गुज़रता है जिस से कई तीर्थयात्री, खोजयात्री, व्यापारी और आक्रामक इन दोनों भूभागों के बीच आते-जाते थे। Mecran region in the Map of Persia by Bowen 1747 .
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सिंध
सिंध सिंध पाकिस्तान के चार प्रान्तों में से एक है। यह देश के दक्षिण-पूर्व में बसा हुआ है जिसके दक्षिण में अरब की खाड़ी है। सिन्ध का सबसे बड़ा शहर कराँची है और यहाँ देश की 15 प्रतिशत जनता वास करती है। यह सिन्धियों का मूल स्थान है साथ ही यहाँ विभाजन के दौरान आकर बसे मोहाज़िरों की भी बहुतायात है। .
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सूरत
सूरत गुजरात प्रान्त का एक प्रमुख शहर है। यह शहर सूरत जिले का प्रशासनिक मुख्यालय भी है। तापी नदी सूरत शहर के मध्य से होकर गुजरती है। सूरत मुख्यत: कपड़ा उद्योग और डायमंड कटिंग और पोलिशिंग के लिए प्रसिद्ध है, इसलिए इस शहर को सिल्क सिटी और डायमंड सिटी के नाम से भी जाना जाता है। .
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कराची
कराची पाकिस्तान का सबसे बड़ा नगर है और सिन्ध प्रान्त की राजधानी है। यह अरब सागर के तट पर बसा है और पाकिस्तान का सबसे बड़ा बन्दरगाह भी है। इसके उपनगरों को मिलाकर यह विश्व का दूसरा सबसे बड़ा शहर है। यह 3527 वर्ग किलोमीटर में फैला है और करीब 1.45 करोड़ लोगों का घर है। यहाँ के निवासी इस शहर की ज़िन्दादिली की वजह से इसे रौशनियों का शहर और क़ैद-ए-आज़म जिन्ना का निवास स्थान होने की वजह से इसे शहर-ए-क़ैद कह कर बुलाते हैं। जिन्नाह की जन्मस्थली के लिए प्रसिद्ध कराची पाकिस्तान के सिंध प्रांत की राजधानी है। यह पाकिस्तान का सबसे बड़ा शहर है। अरब सागर के तट पर बसा कराची पाकिस्तान की सांस्कृतिक, आर्थिक और शैक्षणिक राजधानी मानी जाती है। यह पाकिस्तान का सबसे बड़ा बंदरगाह शहर भी है। यह शहर पाकिस्तान आने वाले पर्यटकों के बीच भी खासा लोकप्रिय है। पर्यटक यहां बीच, म्यूजियम और मस्जिद आदि देख सकते हैं। आज के पाकिस्तानी भूभाग का मानवीय इतिहास कम से कम 5000 साल पुराना है, यद्यपि इतिहास पाकिस्तान शब्द का जन्म सन् 1933 में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के छात्र चौधरी रहमत अली के द्वारा हुआ। आज का पाकिस्तानी भूभाग कई संस्कृतियों का गवाह रहा है। ईसापूर्व 3300-1800 के बीच यहाँ सिन्धुघाटी सभ्यता का विकास हुआ। यह विश्व की चार प्राचीन ताम्र-कांस्यकालीन सभ्यताओं में से एक थी। इसका क्षेत्र सिन्धु नदी के किनारे अवस्थित था पर गुजरात (भारत) और राजस्थान में भी इस सभ्यता के अवशेष पाए गए हैं। मोहेन्जो-दारो, हड़प्पा इत्यादि स्थल पाकिस्तान में इस सभ्यता के प्रमुख अवशेष-स्थल हैं। इस सभ्यता के लोग कौन थे इसके बारे में विद्वानों में मतैक्य नहीं है। कुछ इसे आर्यों की पूर्ववर्ती शाखा कहते हैं तो कुछ इसे द्रविड़। कुछ इसे बलोची भी ठहराते हैं। इस मतभेद का एक कारण सिन्धु-घाटी सभ्यता की लिपि का नहीं पढ़ा जाना भी है। ऐसा माना जाता है कि 1500 ईसापूर्व के आसपास आर्यों का आगमन पाकिस्तान के उत्तरी क्षेत्रों के मार्फ़त भारत में हुआ। आर्यों का निवास स्थान कैस्पियन सागर के पूर्वी तथा उत्तरी हिस्सों में माना जाता है जहाँ से वे इसी समय के करीब ईरान, यूरोप और भारत की ओर चले गए थे। सन् 543 ईसापूर्व में पाकिस्तान का अधिकांश इलाका ईरान (फारस) के हख़ामनी साम्राज्य के अधीन आ गया। लेकिन उस समय इस्लाम का उदय नहीं हुआ था; ईरान के लोग ज़रदोश्त के अनुयायी थे और देवताओं की पूजा करते थे। सन् 330 ईसापूर्व में मकदूनिया (यूनान) के विजेता सिकन्दर ने दारा तृतीय को तीन बार हराकर हखामनी वंश का अन्त कर दिया। इसके कारण मिस्र से पाकिस्तान तक फैले हखामनी साम्राज्य का पतन हो गया और सिकन्दर पंजाब तक आ गया। ग्रीक स्रोतों के मुताबिक उसने सिन्धु नदी के तट पर भारतीय राजा पुरु (ग्रीक - पोरस) को हरा दिया। पर उसकी सेना ने आगे बढ़ने से इनकार कर दिया और वह भारत में प्रवेश किये बिना वापस लौट गया। इसके बाद उत्तरी पाकिस्तान और अफगानिस्तान में यूनानी-बैक्ट्रियन सभ्यता का विकास हुआ। सिकन्दर के साम्राज्य को उसके सेनापतियों ने आपस में बाँट लिया। सेल्युकस नेक्टर सिकन्दर के सबसे शक्तिशाली उत्तराधिकारियों में से एक था। मौर्यों ने 300 ईसापूर्व के आसपास पाकिस्तान को अपने साम्राज्य के अधीन कर लिया। इसके बाद पुनः यह ग्रीको-बैक्ट्रियन शासन में चला गया। इन शासकों में सबसे प्रमुख मिनांदर ने बौद्ध धर्म को प्रोत्साहित किया। पार्थियनों के पतन के बाद यह फारसी प्रभाव से मुक्त हुआ। सिन्ध के राय राजवंश (सन् 489-632) ने इसपर शासन किया। इसके बाद यह उत्तर भारत के गुप्त और फारस के सासानी साम्राज्य के बीच बँटा रहा। सन् 712 में फारस के सेनापति मुहम्मद बिन क़ासिम ने सिन्ध के राजा को हरा दिया। यह फारसी विजय न होकर इस्लाम की विजय थी। बिन कासिम एक अरब था और पूर्वी ईरान में अरबों की आबादी और नियंत्रण बढ़ता जा रहा था। हालांकि इसी समय केन्द्रीय ईरान में अरबों के प्रति घृणा और द्वेष बढ़ता जा रहा था पर इस क्षेत्र में अरबों की प्रभुसत्ता स्थापित हो गई थी। इसके बाद पाकिस्तान का क्षेत्र इस्लाम से प्रभावित होता चला गया। पाकिस्तानी सरकार के अनुसार इसी समय 'पाकिस्तान की नींव' डाली गई थी। इसके 1192 में दिल्ली के सुल्तान पृथ्वीराज चौहान को हराने के बाद ही दिल्ली की सत्ता पर फारस से आए तुर्कों, अरबों और फारसियों का नियंत्रण हो गया। पाकिस्तान दिल्ली सल्तनत का अंग बन गया। सोलहवीं सदी में मध्य-एशिया से भाग कर आए हुए बाबर ने दिल्ली की सत्ता पर अधिकार किया और पाकिस्तान मुगल साम्राज्य का अंग बन गया। मुगलों ने काबुल तक के क्षेत्र को अपने साम्राज्य में मिला लिया था। अठारहवीं सदी के अन्त तक विदेशियों (खासकर अंग्रेजों) का प्रभुत्व भारतीय उपमहाद्वीप पर बढ़ता गया.
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कश्मीर
ये लेख कश्मीर की वादी के बारे में है। इस राज्य का लेख देखने के लिये यहाँ जायें: जम्मू और कश्मीर। एडवर्ड मॉलीनक्स द्वारा बनाया श्रीनगर का दृश्य कश्मीर (कश्मीरी: (नस्तालीक़), कॅशीर) भारतीय उपमहाद्वीप का सबसे उत्तरी भौगोलिक क्षेत्र है। कश्मीर एक मुस्लिमबहुल प्रदेश है। आज ये आतंकवाद से जूझ रहा है। इसकी मुख्य भाषा कश्मीरी है। जम्मू और कश्मीर के बाक़ी दो खण्ड हैं जम्मू और लद्दाख़। .
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यह भी देखें
गुजरात का इतिहास
- खम्भात की खाड़ी का समुद्री पुरातत्व
- गुजरात का इतिहास
- गुजरात में जैन धर्म
- गुर्जर-प्रतिहार राजवंश
- गुर्जरदेश
- चंपानेर-पावागढ़ पुरातत्व उद्यान
- जाडेजा
- द्वितीय आंग्ल-मराठा युद्ध
- पश्चिमी क्षत्रप
- बांटवा माणावदर
- मैत्रक राजवंश
- मोढेरा सूर्य मंदिर
- राजपुताना
- राय वंश
- लखपत
- लोथल
- सरखेज रोज़ा, सरखेज
- सोलंकी वंश
- हेमचन्द्राचार्य
बलोचिस्तान का इतिहास
- कुल्ली संस्कृति
- डूरण्ड रेखा
- बलूचिस्तान का इतिहास
- बलूचिस्तान संघर्ष
- बलोच राष्ट्रवाद
- मकरान
- मेहरगढ़
- राय वंश
- हिंगलाज
भारत के राजवंश
- अराविदु राजवंश
- आदिल शाह सूरी
- उत्पल वंश
- ओडेयर राजवंश
- कत्यूरी राजवंश
- कदंब राजवंश
- कर्नाट वंश
- कलचुरि राजवंश
- काकतीय वंश
- कुषाण राजवंश
- कोच राजवंश
- खस (प्राचीन जाति)
- गुप्त राजवंश
- गुप्तवंश (मागध अथवा मालव वंश)
- चन्द राजवंश
- चालुक्य राजवंश
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- चेर
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- नारायण राजवंश
- पटवर्धन
- पश्चिम गंग वंश
- पश्चिमी क्षत्रप
- पूर्वी गंगवंश
- पूर्वी चालुक्य
- प्रतीच्य चालुक्य
- प्रद्योत वंश
- मदुरै नायक राजवंश
- मराठा साम्राज्य
- मैत्रक राजवंश
- मौखरि वंश
- राय वंश
- राष्ट्रकूट राजवंश
- वाकाटक
- सम्माँ राजवंश
- सिंधिया
- सेन राजवंश
- होलकर