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अलोर का चच

सूची अलोर का चच

चच (लगभग 610-671 ईसवी) सातवीं शताब्दी के मध्य में सिंध पर राज करने वाला एक ब्राम्हण वंश का शाशक था। वह एक भूतपूर्व मंत्री और राजा राय साहसी (दूसरे) का प्रमुख सलाहकारा था। राजा के मरने के बाद उनकी विधवा रानी से शादी कर के वह सत्तासीन हो गया। उसने अपने साम्राज्य को सिंध तक फैलाया। उसके आसपास के छोटे-२ राज्यों, कबीलों और सिंधु घाटी के अन्य स्वतन्त्र गुटों को अपने साम्राज्य में मिलाने के साहसिक व सफल प्रयासों की दास्तान चचनामा में लिखी हुई है। .

15 संबंधों: चचनामा, चित्तौड़गढ़, चिनाब, ठाकुर देशराज, दाहिर (राजा), बलूचिस्तान (पाकिस्तान), ब्राह्मण, मकरान, मुल्तान, रेशम, लोहाना, सिंध, हिन्दू धर्म, करूर, कांधार

चचनामा

७०० ई में सिन्ध चचनामा (सिन्धी: चचनामो چچ نامو), सिन्ध के इतिहास से सम्बन्धित एक पुस्तक है। इसका लेखक 'अली अहमद' है। इसमें चच राजवंश के इतिहास तथा अरबों द्वारा सिंध विजय का वर्णन किया गया है। इस पुस्तक को 'फतहनामा सिन्ध' (सिन्धी: فتح نامه سنڌ), तथा 'तारीख़ अल-हिन्द वस-सिन्द' (अरबी: تاريخ الهند والسند), भी कहते हैं। चच राजवंश ने राय राजवंश की समाप्ति पर सिन्ध पर शासन किया। 8 वीं शताब्दी के शुरुआती 8 वीं शताब्दी के मुहम्मद बिन कसीम की विजय की कहानियों के साथ, 13 वीं शताब्दी के अनुवाद फारसी द्वारा लंबे समय तक माना जाता है, क्योंकि वह एक निश्चित, मूल लेकिन अनुपलब्ध अरबी पाठ का 'अली कुफी' है। मनन अहमद आसिफ के अनुसार, पाठ महत्वपूर्ण है क्योंकि यह सिंध क्षेत्र के माध्यम से भारतीय उपमहाद्वीप में इस्लाम के उद्गम के औपनिवेशिक समझ का एक स्रोत था और ब्रिटिश भारत के विभाजन पर बहस को प्रभावित किया था। इसकी कहानी पाकिस्तान की राज्य द्वारा स्वीकृत इतिहास पाठ्य पुस्तकों का एक हिस्सा रही है, लेकिन वास्तविकता में पाठ मूल और "अनुवाद का काम नहीं" है। यह अरबों द्वारा अपनी जीत से पहले सिंध के इतिहास के बारे में एक प्रारंभिक अध्याय है काम का शरीर 7 वीं -8 वीं शताब्दी ईस्वी के सिंध में अरब सहारे का वर्णन करता है।इस प्रकार, 8 वीं शताब्दी की शुरुआत में मोहम्मद बिन कसीम द्वारा अरब विजय के लिए, राजवंश के राई की मृत्यु के बाद और सिंहासन के लिए चोर के अलंकार के बाद चाचा राजवंश की अवधि का संकेत मिलता है।इस पाठ के साथ समाप्त होता है 'अरब कमांडर मुहम्मद बी के दुखद अंत का वर्णन करने वाला एक उपसंहार। अल-आसिदम और सिंध के पराजय राजा, डाहिर की दो बेटियों की। सिंध के अरब विजय के बारे में केवल लिखित स्रोतों में से एक है, और इसलिए भारत में इस्लाम की उत्पत्ति, चच नामा एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक पाठ है जिसे विभिन्न शताब्दियों के लिए विभिन्न हित समूहों द्वारा सह-चुना गया है, और इसका महत्वपूर्ण अर्थ है दक्षिण एशिया में इस्लाम के स्थान के बारे में आधुनिक कल्पनाओं के लिए। तदनुसार, इसके प्रभाव बहुत विवादित हैं। मनन अहमद आसिफ के अनुसार, चच नामा ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण हैं। यह सिंध क्षेत्र के माध्यम से भारतीय उपमहाद्वीप में इस्लाम के उद्गम के औपनिवेशिक समझ का एक स्रोत था।औपनिवेशिक ब्रिटिश साम्राज्य से स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए दक्षिण एशियाई लोगों के संघर्षों के दौरान यह लेख ऐतिहासिक इतिहास और धार्मिक विरोध के स्रोत में से एक रहा है। पाठ, आसिफ का कहना है, हिंदुओं और मुसलमानों के बीच धार्मिक विरोध के लंबे इतिहास के औपनिवेशिक निर्माण का स्रोत और 20 वीं सदी के इतिहासकारों और लेखकों द्वारा दक्षिण एशिया में मुस्लिम मूल के एक कथा है। यह पाकिस्तान के राज्य द्वारा स्वीकृत इतिहास पाठ्यपुस्तकों का एक हिस्सा रहा है। पाकिस्तानी पेशेवर फैसल शहजाद ने अपने 2010 टाइम्स स्क्वायर कार बम विस्फोट के प्रयास से पहले "पाक-ओ-हिंद" पर 17 साल के मुहम्मद बिन कसीम हमले की कहानी का उल्लेख किया था। .

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चित्तौड़गढ़

पद्मिनी महल का तैलचित्र चित्तौड़गढ़ राजस्थान का एक शहर है। यह शूरवीरों का शहर है जो पहाड़ी पर बने दुर्ग के लिए प्रसिद्ध है। चित्तौड़गढ़ की प्राचीनता का पता लगाना कठिन कार्य है, किन्तु माना जाता है कि महाभारत काल में महाबली भीम ने अमरत्व के रहस्यों को समझने के लिए इस स्थान का दौरा किया और एक पंडित को अपना गुरु बनाया, किन्तु समस्त प्रक्रिया को पूरी करने से पहले अधीर होकर वे अपना लक्ष्य नहीं पा सके और प्रचण्ड गुस्से में आकर उसने अपना पाँव जोर से जमीन पर मारा, जिससे वहाँ पानी का स्रोत फूट पड़ा, पानी के इस कुण्ड को भीम-ताल कहा जाता है; बाद में यह स्थान मौर्य अथवा मूरी राजपूतों के अधीन आ गया, इसमें भिन्न-भिन्न राय हैं कि यह मेवाड़ शासकों के अधीन कब आया, किन्तु राजधानी को उदयपुर ले जाने से पहले 1568 तक चित्तौड़गढ़ मेवाड़ की राजधानी रहा। यहाँ पर रोड वंशी राजपूतों ने बहुत समय राज किया। यह माना जाता है गुलिया वंशी बप्पा रावल ने 8वीं शताब्दी के मध्य में अंतिम सोलंकी राजकुमारी से विवाह करने पर चित्तौढ़ को दहेज के एक भाग के रूप में प्राप्त किया था, बाद में उसके वंशजों ने मेवाड़ पर शासन किया जो 16वीं शताब्दी तक गुजरात से अजमेर तक फैल चुका था। अजमेर से खण्डवा जाने वाली ट्रेन के द्वारा रास्ते के बीच स्थित चित्तौरगढ़ जंक्शन से करीब २ मील उत्तर-पूर्व की ओर एक अलग पहाड़ी पर भारत का गौरव राजपूताने का सुप्रसिद्ध चित्तौड़गढ़ का किला बना हुआ है। समुद्र तल से १३३८ फीट ऊँची भूमि पर स्थित ५०० फीट ऊँची एक विशाल (ह्वेल मछ्ली) आकार में, पहाड़ी पर निर्मित्त यह दुर्ग लगभग ३ मील लम्बा और आधे मील तक चौड़ा है। पहाड़ी का घेरा करीब ८ मील का है तथा यह कुल ६०९ एकड़ भूमि पर बसा है। चित्तौड़गढ़, वह वीरभूमि है जिसने समूचे भारत के सम्मुख शौर्य, देशभक्ति एवम् बलिदान का अनूठा उदाहरण प्रस्तुत किया। यहाँ के असंख्य राजपूत वीरों ने अपने देश तथा धर्म की रक्षा के लिए असिधारारुपी तीर्थ में स्नान किया। वहीं राजपूत वीरांगनाओं ने कई अवसर पर अपने सतीत्व की रक्षा के लिए अपने बाल-बच्चों सहित जौहर की अग्नि में प्रवेश कर आदर्श उपस्थित किये। इन स्वाभिमानी देशप्रेमी योद्धाओं से भरी पड़ी यह भूमि पूरे भारत वर्ष के लिए प्रेरणा स्रोत बनकर रह गयी है। यहाँ का कण-कण हममें देशप्रेम की लहर पैदा करता है। यहाँ की हर एक इमारतें हमें एकता का संकेत देती हैं। .

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चिनाब

यह भारत के पंजाब राज्य में बहने वाली प्रमुख नदी है। श्रेणी:भारतीय नदी.

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ठाकुर देशराज

ठाकुर देशराज (1903-1970) भारत में भरतपुर में जघीना गाँव मे पैदा हुए। आपने किसानों में जागृति लाने के लिये संघर्ष किया। आपने 1934 में जाट-इतिहास पुस्तक लिखी। .

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दाहिर (राजा)

राजा दाहिर सिंध के राजा थे। उनके समय में ही अरबों ने सर्वप्रथम सन ७१२ में भारत (सिंध) पर आक्रमण किया था। .

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बलूचिस्तान (पाकिस्तान)

बलूचिस्तान (उर्दू: بلوچستان) पाकिस्तान का पश्चिमी प्रांत है। बलूचिस्तान नाम का क्षेत्र बड़ा है और यह ईरान (सिस्तान व बलूचिस्तान प्रांत) तथा अफ़ग़ानिस्तान के सटे हुए क्षेत्रों में बँटा हुआ है। यहां की राजधानी क्वेटा है। यहाँ के लोगों की प्रमुख भाषा बलूच या बलूची के नाम से जानी जाती है। १९४४ में बलूचिस्तान के स्वतंत्रता का विचार जनरल मनी के विचार में आया था पर १९४७ में ब्रिटिश इशारे पर इसे पाकिस्तान में शामिल कर लिया गया। १९७० के दशक में एक बलूच राष्ट्रवाद का उदय हुआ जिसमें बलूचिस्तान को पाकिस्तान से स्वतंत्र करने की मांग उठी। यह प्रदेश पाकिस्तान के सबसे कम आबाद इलाकों में से एक है। .

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ब्राह्मण

ब्राह्मण का शब्द दो शब्दों से बना है। ब्रह्म+रमण। इसके दो अर्थ होते हैं, ब्रह्मा देश अर्थात वर्तमान वर्मा देशवासी,द्वितीय ब्रह्म में रमण करने वाला।यदि ऋग्वेद के अनुसार ब्रह्म अर्थात ईश्वर को रमण करने वाला ब्राहमण होता है। । स्कन्दपुराण में षोडशोपचार पूजन के अंतर्गत अष्टम उपचार में ब्रह्मा द्वारा नारद को द्विज की उत्त्पत्ति बताई गई है जन्मना जायते शूद्रः संस्कारात् द्विज उच्यते। शापानुग्रहसामर्थ्यं तथा क्रोधः प्रसन्नता। ब्राह्मण (आचार्य, विप्र, द्विज, द्विजोत्तम) यह वर्ण व्‍यवस्‍था का वर्ण है। एेतिहासिक रूप हिन्दु वर्ण व्‍यवस्‍था में चार वर्ण होते हैं। ब्राह्मण (ज्ञानी ओर आध्यात्मिकता के लिए उत्तरदायी), क्षत्रिय (धर्म रक्षक), वैश्य (व्यापारी) तथा शूद्र (सेवक, श्रमिक समाज)। यस्क मुनि की निरुक्त के अनुसार - ब्रह्म जानाति ब्राह्मण: -- ब्राह्मण वह है जो ब्रह्म (अंतिम सत्य, ईश्वर या परम ज्ञान) को जानता है। अतः ब्राह्मण का अर्थ है - "ईश्वर का ज्ञाता"। सन:' शब्द के भी तप, वेद विद्या अदि अर्थ है | निरंतारार्थक अनन्य में भी 'सना' शब्द का पाठ है | 'आढ्य' का अर्थ होता है धनी | फलतः जो तप, वेद, और विद्या के द्वारा निरंतर पूर्ण है, उसे ही "सनाढ्य" कहते है - 'सनेन तपसा वेदेन च सना निरंतरमाढ्य: पूर्ण सनाढ्य:' उपर्युक्त रीति से 'सनाढ्य' शब्द में ब्राह्मणत्व के सभी प्रकार अनुगत होने पर जो सनाढ्य है वे ब्राह्मण है और जो ब्राह्मण है वे सनाढ्य है | यह निर्विवाद सिद्ध है | अर्थात ऐसा कौन ब्राह्मण होगा, जो 'सनाढ्य' नहीं होना चाहेगा | भारतीय संस्कृति की महान धाराओं के निर्माण में सनाढ्यो का अप्रतिभ योगदान रहा है | वे अपने सुखो की उपेक्षा कर दीपबत्ती की तरह तिलतिल कर जल कर समाज के लिए मिटते रहे है | .

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मकरान

अंतरिक्ष से लिए गए इस चित्र में मकरान अरब सागर से लगी ज़मीन की अर्ध-रेगिस्तानी पट्टी है - यह दक्षिणी पाकिस्तान और ईरान में पड़ती है ग्वादर में मकरान का तटीय क्षेत्र मकरान तटीय राजमार्ग पर चलता ट्रक मकरान (फ़ारसी:, अंग्रेज़ी: Makran) पाकिस्तान के सिंध और बलोचिस्तान प्रान्तों के दक्षिणतम भाग में और ईरान के सिस्तान व बलोचिस्तान प्रान्त के दक्षिणतम भाग में अरब सागर से लगा एक शुष्क, अर्ध-रेगिस्तानी क्षेत्र है। इस इलाक़े से भारतीय उपमहाद्वीप और ईरान के बीच का एक महत्वपूर्ण मार्ग गुज़रता है जिस से कई तीर्थयात्री, खोजयात्री, व्यापारी और आक्रामक इन दोनों भूभागों के बीच आते-जाते थे। Mecran region in the Map of Persia by Bowen 1747 .

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मुल्तान

मुल्तान में एक मक़बरा मुल्तान पाकिस्तान के पंजाब सूबे में एक शहर है। यह पाकिस्तान का छठा सबसे बड़ा शहर है। इसकी जनसंख्या 38 लाख है। यहाँ बहुत से बाज़ार, मस्जिदें और मक़बरे हैं। .

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रेशम

रेशम की बनी परम्परागत बनारसी साड़ी रेशम (Silk) प्राकृतिक प्रोटीन से बना रेशा है। रेशम के कुछ प्रकार के रेशों से वस्त्र बनाए जा सकते हैं। ये प्रोटीन रेशों में मुख्यतः फिब्रोइन (fibroin) होता है। ये रेशे कुछ कीड़ों के लार्वा द्वारा बनाया जाता है। सबसे उत्तम रेशम शहतूत के पत्तों पर पलने वाले कीड़ों के लार्वा द्वारा बनाया जाता है। .

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लोहाना

लोहाना है आर्यन भारत और जातीय समूह है और यह एक हिंदू भारत का व्यापारिक समुदाय के हैं.

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सिंध

सिंध सिंध पाकिस्तान के चार प्रान्तों में से एक है। यह देश के दक्षिण-पूर्व में बसा हुआ है जिसके दक्षिण में अरब की खाड़ी है। सिन्ध का सबसे बड़ा शहर कराँची है और यहाँ देश की 15 प्रतिशत जनता वास करती है। यह सिन्धियों का मूल स्थान है साथ ही यहाँ विभाजन के दौरान आकर बसे मोहाज़िरों की भी बहुतायात है। .

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हिन्दू धर्म

हिन्दू धर्म (संस्कृत: सनातन धर्म) एक धर्म (या, जीवन पद्धति) है जिसके अनुयायी अधिकांशतः भारत,नेपाल और मॉरिशस में बहुमत में हैं। इसे विश्व का प्राचीनतम धर्म कहा जाता है। इसे 'वैदिक सनातन वर्णाश्रम धर्म' भी कहते हैं जिसका अर्थ है कि इसकी उत्पत्ति मानव की उत्पत्ति से भी पहले से है। विद्वान लोग हिन्दू धर्म को भारत की विभिन्न संस्कृतियों एवं परम्पराओं का सम्मिश्रण मानते हैं जिसका कोई संस्थापक नहीं है। यह धर्म अपने अन्दर कई अलग-अलग उपासना पद्धतियाँ, मत, सम्प्रदाय और दर्शन समेटे हुए हैं। अनुयायियों की संख्या के आधार पर ये विश्व का तीसरा सबसे बड़ा धर्म है। संख्या के आधार पर इसके अधिकतर उपासक भारत में हैं और प्रतिशत के आधार पर नेपाल में हैं। हालाँकि इसमें कई देवी-देवताओं की पूजा की जाती है, लेकिन वास्तव में यह एकेश्वरवादी धर्म है। इसे सनातन धर्म अथवा वैदिक धर्म भी कहते हैं। इण्डोनेशिया में इस धर्म का औपचारिक नाम "हिन्दु आगम" है। हिन्दू केवल एक धर्म या सम्प्रदाय ही नहीं है अपितु जीवन जीने की एक पद्धति है। .

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करूर

करूर भारत के तमिलनाडु राज्य का एक शहर है। यह करूर जिले का मुख्यालय है। करूर अमरावती नदी के तट पर बसा हुआ है। संगम काल के दौरान इस जगह को आनपोरूमई के नाम से जाना जाता था। इस जगह पर चोल राजाओं, मदुरै के नायक और अंग्रेजों ने सफलतापूर्वक यहां शासन किया। पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान ब्रह्मा ने इस स्थान की सृष्टि की थी। करूर नमक्कल के उत्तर, दिन्दीगुल जिले के दक्षिण, तिरूचिरपल्ली जिले के पूर्व और इरोड जिले की दक्षिण सीमा से लगा हुआ है। यह शहर कुटीर उद्योग के लिए भी विशेष रूप से प्रसिद्ध है। .

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कांधार

The final phase of the battle of Kandahar on the side of the Murghan mountain कांधार या कंदहार अफ़ग़ानिस्तान का एक शहर है। यह अफगानिस्तान का तीसरा प्रमुख ऐतिहासिक नगर एवं कंदहार प्रान्त की राजधानी भी है। इसकी स्थिति 31 डिग्री 27मि उ.अ. से 64 डिग्री 43मि पू.दे.

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