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काकतीय वंश

सूची काकतीय वंश

वारंगल का रामप्पा मन्दिर ११९० ई. के बाद जब कल्याण के चालुक्यों का साम्राज्य टूटकर बिखर गया तब उसके एक भाग के स्वामी वारंगल के काकतीय हुए; दूसरे के द्वारसमुद्र के होएसल और तीसरे के देवगिरि के यादव। स्वाभाविक ही यह भूमि काकतीयों के अन्य शक्तियों से संघर्ष का कारण बन गई। काकतीयों की शक्ति प्रोलराज द्वितीय के समय विशेष बढ़ी। उसके पौत्र गणपति ने दक्षिण में कांची तक अपने साम्राज्य का विस्तार किया। गणपति की कन्या रुद्रंमा इतिहास में प्रसिद्ध हो गई है। उसकी शासननीति के प्रभाव से काकतीय साम्राज्य की समुन्नति हुई। वेनिस के यात्री मार्को पोलो ने रुद्रंमा की बड़ी सराहना की है। .

7 संबंधों: चालुक्य राजवंश, देवगिरि के यादव, मार्को पोलो, रुद्रम देवी, वरंगल, वरंगल दुर्ग, कांचीपुरम

चालुक्य राजवंश

चालुक्य प्राचीन भारत का एक प्रसिद्ध क्षत्रिय राजवंश है। इनकी राजधानी बादामी (वातापि) थी। अपने महत्तम विस्तार के समय (सातवीं सदी) यह वर्तमान समय के संपूर्ण कर्नाटक, पश्चिमी महाराष्ट्र, दक्षिणी मध्य प्रदेश, तटीय दक्षिणी गुजरात तथा पश्चिमी आंध्र प्रदेश में फैला हुआ था। .

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देवगिरि के यादव

1200 ई में एशिया का राजनैतिक मानचित्र; इसमें यादव राजवंश और उसके पड़ोसी देखे जा सकते हैं। देवगिरि के यादव (कन्नड: ಸೇವುಣರು (सेवुणरु), मराठा: देवगिरीचे यादव) 850–1334) भारत का एक राजवंश था जिसने अपने चरमोत्कर्ष काल में तुंगभद्रा से लेकर नर्मदा तक के भूभाग पर शासन किया जिसमें वर्तमान महाराष्ट्र, उत्तरी कर्नाटक, मध्य प्रदेश के कुछ भाग शामिल थे। उनकी राजधानी देवगिरि थी जो वर्तमान में दौलताबाद के नाम से जानी जाती है। यादव वंश भारतीय इतिहास में बहुत प्राचीन है और वह अपना सम्बन्ध प्राचीन यदुवंशी क्षत्रियों से मानता था। राष्टकूटों और चालुक्यों के उत्कर्ष काल में यादव वंश के राजा अधीनस्थ सामन्त राजाओं की स्थिति रखते थे। पर जब चालुक्यों की शक्ति क्षीण हुई तो वे स्वतंत्र हो गए और वर्त्तमान अाैरंगाबाद (महाराष्ट्) के क्षेत्र में स्थित देवगिरि (दौलताबाद) को केन्द्र बनाकर उन्होंने अपने उत्कर्ष का प्रारम्भ किया। .

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मार्को पोलो

मार्को पोलो (वेनिस १५ सितंबर, १२५४ - वेनिस, २९ जनवरी, १३२४) एक इतालवी व्यापारी, खोजकर्ता और राजदूत था। उसका जन्म वेनिस गणराज्य में मध्य युग के अंत में हुआ था। अपने पिता, निकोलस पोलो (Niccolò) और अपने चाचा, मातेयो (Matteo), के साथ वह रेशम मार्ग की यात्रा करने वाले सर्वप्रथम यूरोपियनों में से एक था। उसने अपनी यात्रा १२७२ में लाइआसुस बंदरगाह (आर्मेनिया) से प्रारंभ की थी। उनकी चीन समेत, पूर्व की यात्रा का विस्तृत प्रतिवेदन ही लंबे समय तक पश्चिम में एशिया के बारे में जानकारी देने वाला स्रोत रहा है।मार्कोपोलो (1292-93ईं) वेनिस निवासी इतालवी यात्री था जिस ’ मध्यकालीन यात्रियों का राजकुमार' की उपाधि दी गई । इसका वृतांत ’द बुक ऑफ सर-मार्कोपोलो’ के नाम से हैं, जो तत्कालीन भारत के अर्थिक इतिहास की द्ष्टि से महत्वपूर्ण हैं। उनका यात्रा मार्ग इस प्रकार था: आर्मेनिया से होते हुए वे तुर्की के उत्तर में गए। .

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रुद्रम देवी

रानी रुद्रमा देवी (1259–1289) काकतीय वंश की महिला शासक थीं। यह भारत के इतिहास के कुछ महिला शासकों में से एक थीं। रानी रूद्रमा देवी या रुद्रदेव महाराजा, 1263 से उनकी मृत्यु तक दक्कन पठार में काकातिया वंश की एक राजकुमारी थी। वह भारत में सम्राटों के रूप में शासन करने वाली बहुत कम स्त्रियों में से एक थी..

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वरंगल

वरंगल, उत्तरी तेलंगाना का प्रमुख नगर है। यह चेन्नई–काज़िपेट्ट–दिल्ली राजमार्ग पर स्थित है। वरंगल 12वीं सदी में उत्कर्ष पर रहे आन्ध्र प्रदेश के काकतीयों की प्राचीन राजधानी था। वर्तमान शहर के दक्षिण–पूर्व में स्थित वरंगल दुर्ग कभी दो दीवारों से घिरा हुआ था जिनमें भीतरी दीवार के पत्थर के द्वार (संचार) और बाहरी दीवार के अवशेष मौजूद हैं। 1162 में निर्मित 1000 स्तम्भों वाला मन्दिर शहर के भीतर ही स्थित है। .

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वरंगल दुर्ग

वारंगल् दुर्ग तेलंगण के वरंगल में स्थित एक दुर्ग है। इसका निर्माण १३९९ ई में हुआ था। काकतीय वंश के गजपति देव तथा उनकी पुत्री रुद्रम्मा ने इस विशाल दुर्ग का निर्माण कराया था। श्रेणी:भारतीय दुर्ग.

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कांचीपुरम

कांचीपुरम, कांची, भारत के तमिल नाडु राज्य का एक नगरमहापालिका क्षेत्र है। यह मन्दिरों का शहर है। यह कांचीपुरम् जिला का मुख्यालय भी है। इसे पूर्व में कांची या काचीअम्पाठी भी कहते थे। यह पलार नदी के किनारे स्थित है, एवं अपनी रेशमी साडि़यों एवं मन्दिरों के लिये प्रसिद्ध है। यहां कई बडे़ मन्दिर हैं, जैसे वरदराज पेरुमल मन्दिर भगवान विष्णु के लिये, भगवान शिव के पांच रूपों में से एक को समर्पित एकाम्बरनाथ मन्दिर, कामाक्षी अम्मा मन्दिर, कुमारकोट्टम, कच्छपेश्वर मन्दिर, कैलाशनाथ मन्दिर, इत्यादि। यह नगर अपनी रेशमी साडि़यों के लिये भी प्रसिद्ध है। ये साडि़याँ हाथोम से बुनी होती हैं, एवं उच्च कोटि की गुणवत्त होती है। इसीलिये, प्रायः सभी तमिल संभ्रांत परिवार की महिलाओं की साडि़यों केएक ना एक तो कांजीवरम होती ही है। इनकी उत्तर भारत में भी खूब मूल्य होता है। उत्तरी तमिलनाडु में स्थित कांचीपुरम भारत के सात सबसे पवित्र शहरों में एक माना जाता है। हिन्दुओं का यह पवित्र तीर्थस्थल हजार मंदिरों के शहर के रूप में चर्चित है। आज भी कांचीपुरम और उसके आसपास 126 शानदार मंदिर देखे जा सकते हैं। यह शहर चैन्नई से 45 मील दक्षिण पश्चिम में वेगवती नदी के किनार बसा है। कांचीपुरम प्राचीन चोल और पल्लव राजाओं की राजधानी थी। मंदिरों के अतिरिक्त यह शहर हैंडलूम इंडस्ट्री और खूबसूरत रेशमी साड़ियों के लिए सर्वविख्यात है। .

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