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चन्द राजवंश

सूची चन्द राजवंश

कलि कुमाऊँ का किला और और राजधानी, चम्पावत, १८१५ चन्द राजवंश भारत के उत्तराखण्ड राज्य के कुमाऊँ मण्डल का एक मध्यकालीन रघुवंशी राजपूत राजवंश था, जिन्होंने इस क्षेत्र पर ११वीं शताब्दी में कत्यूरी राजवंश के ह्रास के बाद से और १८वीं शताब्दी में अंगेज़ो के आगमन तक शासन किया। .

29 संबंधों: चम्पावत, डोटीगढ़, डीडीहाट तहसील, नैनीताल जिला, पाली पछांऊॅं, पिथौरागढ़ तहसील, पौराणिक बृद्धकेदार, बाजपुर, बागनाथ मंदिर, बागेश्वर, बागेश्वर जिला, भाभर, भारत, भीमताल (बहुविकल्पी), लक्ष्मेश्वर, सल्ट तहसील, संभल (तहसील), मुरादाबाद, सोमनाथेश्वर महादेव, गढ़वाल रियासत, गंगोली राज्य, कत्यूरी राजवंश, कुमाऊँ मण्डल, कुमाऊँनी लोग, कुमांऊँ की लोककला, कुमांऊॅं, अल्मोड़ा, अल्मोड़ा तहसील, अस्कोट राज्य, उत्तराखण्ड

चम्पावत

चम्पावत भारत के उत्तराखण्ड राज्य के चम्पावत जिले का मुख्यालय है। पहाड़ों और मैदानों के बीच से होकर बहती नदियाँ अद्भुत छटा बिखेरती हैं। चंपावत में पर्यटकों को वह सब कुछ मिलता है जो वह एक पर्वतीय स्थान से चाहते हैं। वन्यजीवों से लेकर हरे-भरे मैदानों तक और ट्रैकिंग की सुविधा, सभी कुछ यहाँ पर है। यह कस्बा समुद्र तल से १६१५ मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। चम्पावत कई वर्षों तक कुमाऊँ के शासकों की राजधानी रहा है। चन्द शासकों के किले के अवशेष आज भी चम्पावत में देखे जा सकते हैं। .

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डोटीगढ़

नेपाल के विकास-क्षेत्र नेपाल के सुदूर पश्चिमी क्षेत्र को 'जागर' लोककथाओं में टोडीगढ़ कहा गया है। यह क्षेत्र काली नदी और करनाली नदी के बीच पड़ता है। .

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डीडीहाट तहसील

डीडीहाट तहसील भारत के उत्तराखंड राज्य में पिथौरागढ़ जनपद में एक तहसील है। पिथौरागढ़ जनपद के पश्चिमी भाग में स्थित इस तहसील के मुख्यालय डीडीहाट नगर में स्थित हैं। इसके पूर्व में धारचूला तहसील, पश्चिम में बेरीनाग तहसील, उत्तर में मुनस्यारी तहसील तथा दक्षिण में पिथौरागढ़ तहसील है। तहसील के अधिकार क्षेत्र में कुल 363 गाँव आते हैं, और 2011 की जनगणना के अनुसार इसकी जनसंख्या 80411 है। .

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नैनीताल जिला

नैनीताल जिला भारतीय राज्य उत्तराखण्ड का एक जिला है। जिले का मूख्यालय नैनीताल है। नैनीताल जिला, कुमाऊँ मण्डल में स्थित है और इसके उत्तर में अल्मोड़ा जिला और दक्षिण में उधमसिंहनगर जिला है। हल्द्वानी इस जिले में सबसे बड़ा नगर है। .

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पाली पछांऊॅं

पाली पछांऊॅं एक क्षेत्र का नाम है जो भारतवर्ष के उत्तराखण्ड राज्य में कुमाऊँ मण्डल के अन्तर्गत अल्मोड़ा जिले में है। कत्यूरी राजवंश से लेकर 14 अगस्त, 1947 तक पाली पछांऊॅं कुमांऊँ क्षेत्र का एक परगना अर्थात् तत्कालीन तहसील रूपी केन्द्र था। .

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पिथौरागढ़ तहसील

पिथौरागढ़ तहसील भारत के उत्तराखंड राज्य में पिथौरागढ़ जनपद में एक तहसील है। पिथौरागढ़ जनपद के दक्षिण-पूर्वी भाग में स्थित इस तहसील के मुख्यालय पिथौरागढ़ नगर में स्थित हैं। इसके पूर्व में नेपाल, पश्चिम में गंगोलीहाट तहसील, उत्तर में डीडीहाट तहसील तथा दक्षिण में चम्पावत जनपद की लोहाघाट तहसील है। तहसील के अधिकार क्षेत्र में कुल ३२४ गाँव आते हैं, और २०११ की जनगणना के अनुसार इसकी जनसंख्या १,६६,८०१ है। .

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पौराणिक बृद्धकेदार

पौराणिक बृद्धकेदार भारतवर्ष के उत्तराखण्ड राज्य के अल्मोड़ा जिले के अन्तर्गत पाली पछांऊॅं इलाके में रामगंगा नदी के पश्चिमी तट पर स्थित है। इसे बृद्धकेदार अथवा बूढ़ाकेदार भी कहा जाता है। स्थानीय अनुभववेत्ताओं के मतानुसार इस वैदिक काल के शिवालय को पहला नेपाल स्थित पशुपतिनाथ मन्दिर का अंश समझा जाता है तो दूसरी ओर केदारनाथ मन्दिर की शाखा। परन्तु यह सत्य है, विनोद नदी व रामगंगा नदी के संगम से शुरू हुई पर्वत माला के ऊत्तरी छोर पर केदारनाथ मन्दिर विराजमान है। भारतवर्ष में शायद यही एक शिवालय है जहॉं पर महाशिव का धड़ स्थापित है। इसकी स्थापना का अनुमान पन्द्रहवीं व सोलहवीं शताब्दी के मध्य का माना जाता रहा है। .

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बाजपुर

बाजपुर, उधम सिंह नगर जिला, उत्तराखंड में स्थित एक क्षेत्र है। यह कुमाऊँ मण्डल में आता है। .

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बागनाथ मंदिर

बागनाथ मंदिर; (Bagnath Temple) एक प्राचीन मंदिर शिव जी को समर्पित है। यह सरयू तथा गोमती नदियों के संगम पर बागेश्वर नगर में स्थित है.

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बागेश्वर

बागेश्वर उत्तराखण्ड राज्य में सरयू और गोमती नदियों के संगम पर स्थित एक तीर्थ है। यह बागेश्वर जनपद का प्रशासनिक मुख्यालय भी है। यहाँ बागेश्वर नाथ का प्राचीन मंदिर है, जिसे स्थानीय जनता "बागनाथ" या "बाघनाथ" के नाम से जानती है। मकर संक्रांति के दिन यहाँ उत्तराखण्ड का सबसे बड़ा मेला लगता है। स्वतंत्रता संग्राम में भी बागेश्वर का बड़ा योगदान है। कुली-बेगार प्रथा के रजिस्टरों को सरयू की धारा में बहाकर यहाँ के लोगों ने अपने अंचल में गाँधी जी के असहयोग आन्दोलन शुरवात सन १९२० ई. में की। सरयू एवं गोमती नदी के संगम पर स्थित बागेश्वर मूलतः एक ठेठ पहाड़ी कस्बा है। परगना दानपुर के 473, खरही के 66, कमस्यार के 166, पुँगराऊ के 87 गाँवों का समेकन केन्द्र होने के कारण यह प्रशासनिक केन्द्र बन गया। मकर संक्रान्ति के दौरान लगभग महीने भर चलने वाले उत्तरायणी मेले की व्यापारिक गतिविधियों, स्थानीय लकड़ी के उत्पाद, चटाइयाँ एवं शौका तथा भोटिया व्यापारियों द्वारा तिब्बती ऊन, सुहागा, खाल तथा अन्यान्य उत्पादों के विनिमय ने इसको एक बड़ी मण्डी के रूप में प्रतिष्ठापित किया। 1950-60 के दशक तक लाल इमली तथा धारीवाल जैसी प्रतिष्ठित वस्त्र कम्पनियों द्वारा बागेश्वर मण्डी से कच्चा ऊन क्रय किया जाता था। .

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बागेश्वर जिला

बागेश्वर भारत के उत्तराखण्ड राज्य का एक जिला है, जिसके मुख्यालय बागेश्वर नगर में स्थित हैं। इस जिले के उत्तर तथा पूर्व में पिथौरागढ़ जिला, पश्चिम में चमोली जिला, तथा दक्षिण में अल्मोड़ा जिला है। बागेश्वर जिले की स्थापना १५ सितंबर १९९७ को अल्मोड़ा के उत्तरी क्षेत्रों से की गयी थी। २०११ की जनगणना के अनुसार रुद्रप्रयाग तथा चम्पावत के बाद यह उत्तराखण्ड का तीसरा सबसे कम जनसंख्या वाला जिला है। यह जिला धार्मिक गाथाओं, पर्व आयोजनों और अत्याकर्षक प्राकृतिक दृश्यों के कारण प्रसिद्ध है। प्राचीन प्रमाणों के आधार पर बागेश्वर शब्द को ब्याघ्रेश्वर से विकसित माना गया है। यह शब्द प्राचीन भारतीय साहित्य में अधिक प्रसिद्ध है। बागनाथ मंदिर, कौसानी, बैजनाथ, विजयपुर आदि जिले के प्रमुख पर्यटन स्थल हैं। जिले में ही स्थित पिण्डारी, काफनी, सुन्दरढूंगा इत्यादि हिमनदों से पिण्डर तथा सरयू नदियों का उद्गम होता है। .

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भाभर

भाभर निम्न हिमालय और शिवालिक की पहाड़ियों के दक्षिणी ओर बसा एक क्षेत्र है जहाँ पर जलोढ़ ग्रेड हिन्द-गंगा क्षेत्र के मैदानों में विलीन हो जाती है। .

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भारत

भारत (आधिकारिक नाम: भारत गणराज्य, Republic of India) दक्षिण एशिया में स्थित भारतीय उपमहाद्वीप का सबसे बड़ा देश है। पूर्ण रूप से उत्तरी गोलार्ध में स्थित भारत, भौगोलिक दृष्टि से विश्व में सातवाँ सबसे बड़ा और जनसंख्या के दृष्टिकोण से दूसरा सबसे बड़ा देश है। भारत के पश्चिम में पाकिस्तान, उत्तर-पूर्व में चीन, नेपाल और भूटान, पूर्व में बांग्लादेश और म्यान्मार स्थित हैं। हिन्द महासागर में इसके दक्षिण पश्चिम में मालदीव, दक्षिण में श्रीलंका और दक्षिण-पूर्व में इंडोनेशिया से भारत की सामुद्रिक सीमा लगती है। इसके उत्तर की भौतिक सीमा हिमालय पर्वत से और दक्षिण में हिन्द महासागर से लगी हुई है। पूर्व में बंगाल की खाड़ी है तथा पश्चिम में अरब सागर हैं। प्राचीन सिन्धु घाटी सभ्यता, व्यापार मार्गों और बड़े-बड़े साम्राज्यों का विकास-स्थान रहे भारतीय उपमहाद्वीप को इसके सांस्कृतिक और आर्थिक सफलता के लंबे इतिहास के लिये जाना जाता रहा है। चार प्रमुख संप्रदायों: हिंदू, बौद्ध, जैन और सिख धर्मों का यहां उदय हुआ, पारसी, यहूदी, ईसाई, और मुस्लिम धर्म प्रथम सहस्राब्दी में यहां पहुचे और यहां की विविध संस्कृति को नया रूप दिया। क्रमिक विजयों के परिणामस्वरूप ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कंपनी ने १८वीं और १९वीं सदी में भारत के ज़्यादतर हिस्सों को अपने राज्य में मिला लिया। १८५७ के विफल विद्रोह के बाद भारत के प्रशासन का भार ब्रिटिश सरकार ने अपने ऊपर ले लिया। ब्रिटिश भारत के रूप में ब्रिटिश साम्राज्य के प्रमुख अंग भारत ने महात्मा गांधी के नेतृत्व में एक लम्बे और मुख्य रूप से अहिंसक स्वतन्त्रता संग्राम के बाद १५ अगस्त १९४७ को आज़ादी पाई। १९५० में लागू हुए नये संविधान में इसे सार्वजनिक वयस्क मताधिकार के आधार पर स्थापित संवैधानिक लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित कर दिया गया और युनाईटेड किंगडम की तर्ज़ पर वेस्टमिंस्टर शैली की संसदीय सरकार स्थापित की गयी। एक संघीय राष्ट्र, भारत को २९ राज्यों और ७ संघ शासित प्रदेशों में गठित किया गया है। लम्बे समय तक समाजवादी आर्थिक नीतियों का पालन करने के बाद 1991 के पश्चात् भारत ने उदारीकरण और वैश्वीकरण की नयी नीतियों के आधार पर सार्थक आर्थिक और सामाजिक प्रगति की है। ३३ लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल के साथ भारत भौगोलिक क्षेत्रफल के आधार पर विश्व का सातवाँ सबसे बड़ा राष्ट्र है। वर्तमान में भारतीय अर्थव्यवस्था क्रय शक्ति समता के आधार पर विश्व की तीसरी और मानक मूल्यों के आधार पर विश्व की दसवीं सबसे बडी अर्थव्यवस्था है। १९९१ के बाज़ार-आधारित सुधारों के बाद भारत विश्व की सबसे तेज़ विकसित होती बड़ी अर्थ-व्यवस्थाओं में से एक हो गया है और इसे एक नव-औद्योगिकृत राष्ट्र माना जाता है। परंतु भारत के सामने अभी भी गरीबी, भ्रष्टाचार, कुपोषण, अपर्याप्त सार्वजनिक स्वास्थ्य-सेवा और आतंकवाद की चुनौतियां हैं। आज भारत एक विविध, बहुभाषी, और बहु-जातीय समाज है और भारतीय सेना एक क्षेत्रीय शक्ति है। .

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भीमताल (बहुविकल्पी)

भीमताल उत्तराखण्ड राज्य के नैनीताल जनपद में स्थित एक प्रसिद्ध झील है, जिसके इर्द-गिर्द बसे नगर को भी इसी नाम से जाना जाता है। इससे संबंधित पृष्ठ निम्न हैं.

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लक्ष्मेश्वर

लक्ष्मेश्वर कर्नाटक के गडग जिले के शिराहट्टी तालुक का एक नगर है। यह हुबली से ५५ किमी की दूरी पर स्थित है। यहाँ पर कृषि उत्पादों का व्यापार होता है। श्रेणी:कर्नाटक का भूगोल.

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सल्ट तहसील

सल्ट, अल्मोड़ा जिले का एक तहसील है, जो कि भारत के उत्तराखंड राज्य मैं स्थित है। यह एक खुबसूरत पहाड़ी स्थान है जो चारों और से पहाड़ों की वादिओं से घिरा है। यहाँ का मौसम लगभग ठंडा व अनुकूल रहता है। यह उत्तराखंड राज्य के कुमाऊ मंडल में पड़ता है। इसकी तलहटी पर खुबसूरत रामगंगा नदी बहती है। यह एक पहाड़ी एरिया है जिसको रामगंगा नदी दो भागों में विभाजित करती है जो की वल सल्ट व पल सल्ट के नाम से जाने जाते हैं।.

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संभल (तहसील), मुरादाबाद

यह तहसील मुरादाबाद जिला, उत्तर प्रदेश में स्थित है। 2011 में हुई भारत की जनगणना के अनुसार इस तहसील में 393 गांव हैं। .

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सोमनाथेश्वर महादेव

सोमनाथेश्वर महादेव एक प्राचीनतम शिवालय है, जो रामगंगा नदी के पश्चिमी तट पर चौखुटिया तहसील के तल्ला गेवाड़ नामक पट्टी में भारतवर्ष के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत कुमांऊॅं क्षेत्र के अल्मोड़ा जनपद में प्राण-प्रतीष्ठित है। सोमनाथेश्वर शब्द श्रीनाथेश्वर शब्द का ही रूपांतरण है, जिसका मानसखण्ड में समुचित उल्लेख पाया जाता है। .

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गढ़वाल रियासत

गढ़वाल राज्य(Garhwal Kingdom) वर्तमान उत्तराखंड, भारत के विस्तार-क्षेत्र के पश्चिमी हिस्से वाले इलाके में पुराने समय में एक राज्य था यह 1358 ई. में स्थापित एक राजसी राज्य था जिस पर गोरखाओं द्वारा 1803 में कब्जा कर लिया गया था। एंग्लो नेपाली युद्ध और 1815 की सुगौली की संधि के बाद एक छोटे टिहरी गढ़वाल राज्य के गठन के साथ गढ़वाल राज्य को बहाल कर दिया गया, जोकि 1949 में भारत में सम्मिलित कर लिया गया। .

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गंगोली राज्य

गंगोली राज्य तेरहवीं से सोलहवीं शताब्दी तक वर्तमान उत्तराखण्ड राज्य में एक ऐतिहासिक राज्य था। राज्य की राजधानी मनकोट में थी, और इस कारण यहाँ के राजाओं को मनकोटी राजा कहा जाता था। सरयू गंगा तथा राम गंगा नदियों के मध्य स्थित होने के कारण इस क्षेत्र को पूर्वकाल में गंगावली कहा जाता था, जो धीरे धीरे बदलकर गंगोली हो गया। तेरहवीं शताब्दी में मनकोटी राज शुरू होने से पहले इस क्षेत्र पर कत्यूरी राजवंश का शासन था। गंगोलीहाट इस क्षेत्र का प्रमुख व्यापारिक केंद्र था। सोलहवीं शताब्दी में कुमाऊँ के राजा बालो कल्याण चन्द ने मनकोट पर आक्रमण कर गंगोली क्षेत्र पर अधिकार कर लिया। .

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कत्यूरी राजवंश

कत्यूरी राजवंश भारत के उत्तराखण्ड राज्य का एक मध्ययुगीन राजवंश था जिनके बारे में में माना जाता है कि वे अयोध्या के शालिवाहन शासक के वंशज हैं और इसलिए वे सूर्यवंशी हैं। तथापि, बहुत से इतिहासकार उन्हें कुनिन्दा शासकों से जोड़ते हैं और खस मूल से भी, जिनका कुमाऊँ क्षेत्र पर ६ठीं से ११वीं सदी तक शासन था। कत्यूरी राजाओं को गिरीराज चक्रचूड़ामणि की उपाधी प्राप्त थी। उनकी पहली राजधानी जोशीमठ में थी, जो जल्द ही कार्तिकेयपुर में स्थानांतरित कर दी गई थी। कत्यूरी राजवंश भी शक वंशावली के माने जाते हैं, जैसे राजा शालिवाहन, को भी शक वंश से माना जाता है। तथापि, बद्री दत्त पाण्डेय जैसे इतिहासकारों का मानना है कि कत्यूरी, अयोध्या से आए थे। उन्होंने अपने राज्य को 'कूर्मांचल' कहा, अर्थात 'कूर्म की भूमि', कूर्म भगवान विष्णु का दूसरा अवतार था, जिससे इस स्थान को इसका वर्तमान नाम, कुमाऊँ मिला। कत्युरी राजा का कुलदेवता स्वामी कार्तिकेय (मोहन्याल) नेपाल के बोगटान राज्य मे विराजमान है। .

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कुमाऊँ मण्डल

यह लेख कुमाऊँ मण्डल पर है। अन्य कुमाऊँ लेखों के लिए देखें कुमांऊॅं उत्तराखण्ड के मण्डल कुमाऊँ मण्डल भारत के उत्तराखण्ड राज्य के दो प्रमुख मण्डलों में से एक हैं। अन्य मण्डल है गढ़वाल। कुमाऊँ मण्डल में निम्न जिले आते हैं:-.

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कुमाऊँनी लोग

कुमाऊँनी लोग, भारतवर्ष के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत कुमांऊॅं क्षेत्र के लोगों को कहते हैं। इनमें वे सभी लोग सम्मिलित हैं जो कुमाऊँनी भाषा या इससे सम्बन्धित उपभाषाएें बोलते हैं। कुमांऊँनी लोग उत्तराखण्ड प्रदेश के अल्मोड़ा, उधमसिंहनगर, चम्पावत, नैनीताल, पिथौरागढ़ और बागेश्वर जिलों के निवासी हैं। भारत की सशस्त्र सेनाएँ और केन्द्रीय पुलिस संगठन, कुमाऊँ के लोगों के लिए रोजगार का प्रमुख स्रोत रहे हैं। भारत की सीमाओं की रक्षा करने में कुमाऊँ रेजीमेंट की उन्नीस वाहिनियाँ कुमाऊँ के लोगों का स्पष्ट प्रतिनिधित्व करतीं हैं। .

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कुमांऊँ की लोककला

300px कुमांऊँ के इतिहास के प्रारंभ से ही कला विद्यमान थी। जिस कला से यहॉं के जनमानस की अभिव्यक्ति व परम्परागत गूढ़ रहस्यों की गहराइयों की जानकारी प्राप्त होती है, वही कुमांऊँ की लोककला है। कुमांऊँ की लोककला का स्वरूप भारत की अन्य कलाओं व लोककलाओं के समरूप ही पाया जाता है।हिमालय की वक्षस्थली में फैला लगभग 1500 वर्ग किलोमीटर अल्मोड़ा, बागेश्वर, चम्पावत, पिथौरागढ़, नैनीताल, व उधमसिंह नगर नामक जिलों को कुमांऊँ क्षेत्र कहा जाता है, जो भारतवर्ष के उत्तराखण्ड नामक राज्य में हैं, इन जिलों की पारम्परिक कलाओं को कुमांऊँनी लोककला अर्थात् कुमांऊँ की लोककला कहते हैं। .

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कुमांऊॅं

कुमांऊँ नामक शब्द एक बहुविकल्पी शब्द हैै। यह पूर्व में नेपाल, पश्चिम में गढ़वाल, उत्तर में तिब्बत व चीन तथा दक्षिण में उत्तर भारत के मैदानी भूभाग के मध्य क्षेत्र के लिये व क्षेत्र से सम्बन्धित प्रयुक्त होने वाला शब्द है। प्रस्तुत शब्द के कई भेद व प्रकार हैं। जिसका कुमांऊँ, कुमाऊँ, कुमायूँ, कुमांयूँ, कुमांऊँनी, कुमाऊँनी, कुमूं, कुमूँ, कुमइयॉं, कुमय्यॉं, इत्यादि शब्दों व उच्चारणों के अनुसार उपयोग किया जाता रहा है और होता है।.

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अल्मोड़ा

अल्मोड़ा भारतीय राज्य उत्तराखण्ड का एक महत्वपूर्ण नगर है। यह अल्मोड़ा जिले का मुख्यालय भी है। अल्मोड़ा दिल्ली से ३६५ किलोमीटर और देहरादून से ४१५ किलोमीटर की दूरी पर, कुमाऊँ हिमालय श्रंखला की एक पहाड़ी के दक्षिणी किनारे पर स्थित है। भारत की २०११ की जनगणना के अनुसार अल्मोड़ा की कुल जनसंख्या ३५,५१३ है। अल्मोड़ा की स्थापना राजा बालो कल्याण चंद ने १५६८ में की थी। महाभारत (८ वीं और ९वीं शताब्दी ईसा पूर्व) के समय से ही यहां की पहाड़ियों और आसपास के क्षेत्रों में मानव बस्तियों के विवरण मिलते हैं। अल्मोड़ा, कुमाऊं राज्य पर शासन करने वाले चंदवंशीय राजाओं की राजधानी थी। स्वतंत्रता की लड़ाई में तथा शिक्षा, कला एवं संस्कृति के उत्थान में अल्मोड़ा का विशेष हाथ रहा है। .

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अल्मोड़ा तहसील

अल्मोड़ा तहसील भारत के उत्तराखण्ड राज्य में अल्मोड़ा जनपद की एक तहसील है। अल्मोड़ा जनपद के मध्य भाग में स्थित इस तहसील के मुख्यालय अल्मोड़ा नगर में स्थित हैं। इसके पूर्व में भनोली, जैंती तथा पिथौरागढ़ जनपद की गंगोलीहाट तहसील, पश्चिम में सोमेश्वर, द्वाराहाट तथा रानीखेत तहसील, उत्तर में बागेश्वर जनपद की बागेश्वर तहसील, तथा दक्षिण में नैनीताल जनपद की नैनीताल तहसील है। .

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अस्कोट राज्य

अस्कोट राज्य (1279-1967) उत्तर भारत में स्थित एक राज्य था। इसकी स्थापना 1279 में कत्यूरी राजवंश के वंशज, अभयपाल ने की थी। करीब 900 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैले अस्कोट के शासकों को राजवार कहा जाता था और इसकी राजधानी वर्तमान अस्कोट शहर से ढाई किमी दूर लखनपुर में थी। राज्य के कुल देवता नारिंग देवल थे। कहा जाता था कि पूर्वकाल में खस राजाओं के 80 कोट (किले) होने की वजह से इस स्थान को अस्कोट कहा जाने लगा। वर्ष 1279 में इन खस राजाओं को पराजित कर अभयपाल ने लखनपुर कोट में अपनी राजधानी स्थापित की। 16 शताब्दी के मध्य तक अभयपाल के वंशजों ने निर्विघ्न अस्कोट पर राज किया। 1588 में राजवार रायपाल की मृत्यु के बाद अस्कोट पर अल्मोड़ा के राजा रुद्र चंद ने कब्जा कर लिया। उन्होंने 300 रुपये का वार्षिक कर लगाकर अस्कोट को अपना सामंती राज्य बना दिया। वर्ष 1615 में तत्कालीन राजा महेंद्र पाल प्रथम ने अस्कोट में राजमहल का निर्माण कराया। 1742 में गोरखाओं ने आक्रमण करके राज्य को अपने अधीन कर लिया। उन्होंने वार्षिक कर को बढ़ाकर 2000 रुपये कर दिया था। ब्रिटिश काल में अस्कोट को रियासत का दर्जा दिया गया। करीब 400 वर्ग किलोमीटर तक फैली इसकी सीमाओं के तहत 142 गांव थे। आजादी के 20 साल बाद, 11 नवंबर 1967 को भारत सरकार ने इस रियासत को अपने अधीन ले लिया। रियासत के अंतिम राजा टिकेंद्र पाल थे। .

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उत्तराखण्ड

उत्तराखण्ड (पूर्व नाम उत्तरांचल), उत्तर भारत में स्थित एक राज्य है जिसका निर्माण ९ नवम्बर २००० को कई वर्षों के आन्दोलन के पश्चात भारत गणराज्य के सत्ताइसवें राज्य के रूप में किया गया था। सन २००० से २००६ तक यह उत्तरांचल के नाम से जाना जाता था। जनवरी २००७ में स्थानीय लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए राज्य का आधिकारिक नाम बदलकर उत्तराखण्ड कर दिया गया। राज्य की सीमाएँ उत्तर में तिब्बत और पूर्व में नेपाल से लगी हैं। पश्चिम में हिमाचल प्रदेश और दक्षिण में उत्तर प्रदेश इसकी सीमा से लगे राज्य हैं। सन २००० में अपने गठन से पूर्व यह उत्तर प्रदेश का एक भाग था। पारम्परिक हिन्दू ग्रन्थों और प्राचीन साहित्य में इस क्षेत्र का उल्लेख उत्तराखण्ड के रूप में किया गया है। हिन्दी और संस्कृत में उत्तराखण्ड का अर्थ उत्तरी क्षेत्र या भाग होता है। राज्य में हिन्दू धर्म की पवित्रतम और भारत की सबसे बड़ी नदियों गंगा और यमुना के उद्गम स्थल क्रमशः गंगोत्री और यमुनोत्री तथा इनके तटों पर बसे वैदिक संस्कृति के कई महत्त्वपूर्ण तीर्थस्थान हैं। देहरादून, उत्तराखण्ड की अन्तरिम राजधानी होने के साथ इस राज्य का सबसे बड़ा नगर है। गैरसैण नामक एक छोटे से कस्बे को इसकी भौगोलिक स्थिति को देखते हुए भविष्य की राजधानी के रूप में प्रस्तावित किया गया है किन्तु विवादों और संसाधनों के अभाव के चलते अभी भी देहरादून अस्थाई राजधानी बना हुआ है। राज्य का उच्च न्यायालय नैनीताल में है। राज्य सरकार ने हाल ही में हस्तशिल्प और हथकरघा उद्योगों को बढ़ावा देने के लिये कुछ पहल की हैं। साथ ही बढ़ते पर्यटन व्यापार तथा उच्च तकनीकी वाले उद्योगों को प्रोत्साहन देने के लिए आकर्षक कर योजनायें प्रस्तुत की हैं। राज्य में कुछ विवादास्पद किन्तु वृहत बाँध परियोजनाएँ भी हैं जिनकी पूरे देश में कई बार आलोचनाएँ भी की जाती रही हैं, जिनमें विशेष है भागीरथी-भीलांगना नदियों पर बनने वाली टिहरी बाँध परियोजना। इस परियोजना की कल्पना १९५३ मे की गई थी और यह अन्ततः २००७ में बनकर तैयार हुआ। उत्तराखण्ड, चिपको आन्दोलन के जन्मस्थान के नाम से भी जाना जाता है। .

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