सामग्री की तालिका
9 संबंधों: चोल राजवंश, तेलुगू भाषा, बौद्ध धर्म, भारवि, संस्कृत भाषा, जैन धर्म, आन्ध्र प्रदेश, कन्नड़ भाषा, किरातार्जुनीयम्।
- आंध्र प्रदेश का इतिहास
- आंध्र प्रदेश की संस्कृति
- कोरोमंडल तट
- भारत के ऐतिहासिक राज्य और साम्राज्य
- भारत के राजवंश
- हिन्दू राजवंश
चोल राजवंश
चोल (तमिल - சோழர்) प्राचीन भारत का एक राजवंश था। दक्षिण भारत में और पास के अन्य देशों में तमिल चोल शासकों ने 9 वीं शताब्दी से 13 वीं शताब्दी के बीच एक अत्यंत शक्तिशाली हिन्दू साम्राज्य का निर्माण किया। 'चोल' शब्द की व्युत्पत्ति विभिन्न प्रकार से की जाती रही है। कर्नल जेरिनो ने चोल शब्द को संस्कृत "काल" एवं "कोल" से संबद्ध करते हुए इसे दक्षिण भारत के कृष्णवर्ण आर्य समुदाय का सूचक माना है। चोल शब्द को संस्कृत "चोर" तथा तमिल "चोलम्" से भी संबद्ध किया गया है किंतु इनमें से कोई मत ठीक नहीं है। आरंभिक काल से ही चोल शब्द का प्रयोग इसी नाम के राजवंश द्वारा शासित प्रजा और भूभाग के लिए व्यवहृत होता रहा है। संगमयुगीन मणिमेक्लै में चोलों को सूर्यवंशी कहा है। चोलों के अनेक प्रचलित नामों में शेंबियन् भी है। शेंबियन् के आधार पर उन्हें शिबि से उद्भूत सिद्ध करते हैं। 12वीं सदी के अनेक स्थानीय राजवंश अपने को करिकाल से उद्भत कश्यप गोत्रीय बताते हैं। चोलों के उल्लेख अत्यंत प्राचीन काल से ही प्राप्त होने लगते हैं। कात्यायन ने चोडों का उल्लेख किया है। अशोक के अभिलेखों में भी इसका उल्लेख उपलब्ध है। किंतु इन्होंने संगमयुग में ही दक्षिण भारतीय इतिहास को संभवत: प्रथम बार प्रभावित किया। संगमकाल के अनेक महत्वपूर्ण चोल सम्राटों में करिकाल अत्यधिक प्रसिद्ध हुए संगमयुग के पश्चात् का चोल इतिहास अज्ञात है। फिर भी चोल-वंश-परंपरा एकदम समाप्त नहीं हुई थी क्योंकि रेनंडु (जिला कुडाया) प्रदेश में चोल पल्लवों, चालुक्यों तथा राष्ट्रकूटों के अधीन शासन करते रहे। .
देखें पूर्वी चालुक्य और चोल राजवंश
तेलुगू भाषा
तेलुगु भाषा (तेलुगू:తెలుగు భాష) भारत के आंध्र प्रदेश और तेलंगाना राज्यों की मुख्यभाषा और राजभाषा है। ये द्रविड़ भाषा-परिवार के अन्तर्गत आती है। यह भाषा आंध्र प्रदेश तथा तेलंगाना के अलावा तमिलनाडु, कर्णाटक, ओडिशा और छत्तीसगढ़ राज्यों में भी बोली जाती है। तेलुगु के तीन नाम प्रचलित हैं -- "तेलुगु", "तेनुगु" और "आंध्र"। .
देखें पूर्वी चालुक्य और तेलुगू भाषा
बौद्ध धर्म
बौद्ध धर्म भारत की श्रमण परम्परा से निकला धर्म और महान दर्शन है। इसा पूर्व 6 वी शताब्धी में बौद्ध धर्म की स्थापना हुई है। बौद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बुद्ध है। भगवान बुद्ध का जन्म 563 ईसा पूर्व में लुंबिनी, नेपाल और महापरिनिर्वाण 483 ईसा पूर्व कुशीनगर, भारत में हुआ था। उनके महापरिनिर्वाण के अगले पाँच शताब्दियों में, बौद्ध धर्म पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में फैला और अगले दो हजार वर्षों में मध्य, पूर्वी और दक्षिण-पूर्वी जम्बू महाद्वीप में भी फैल गया। आज, हालाँकि बौद्ध धर्म में चार प्रमुख सम्प्रदाय हैं: हीनयान/ थेरवाद, महायान, वज्रयान और नवयान, परन्तु बौद्ध धर्म एक ही है किन्तु सभी बौद्ध सम्प्रदाय बुद्ध के सिद्धान्त ही मानते है। बौद्ध धर्म दुनिया का चौथा सबसे बड़ा धर्म है।आज पूरे विश्व में लगभग ५४ करोड़ लोग बौद्ध धर्म के अनुयायी है, जो दुनिया की आबादी का ७वाँ हिस्सा है। आज चीन, जापान, वियतनाम, थाईलैण्ड, म्यान्मार, भूटान, श्रीलंका, कम्बोडिया, मंगोलिया, तिब्बत, लाओस, हांगकांग, ताइवान, मकाउ, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया एवं उत्तर कोरिया समेत कुल 18 देशों में बौद्ध धर्म 'प्रमुख धर्म' धर्म है। भारत, नेपाल, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया, रूस, ब्रुनेई, मलेशिया आदि देशों में भी लाखों और करोडों बौद्ध हैं। .
देखें पूर्वी चालुक्य और बौद्ध धर्म
भारवि
भारवि (छठी शताब्दी) संस्कृत के महान कवि हैं। वे अर्थ की गौरवता के लिये प्रसिद्ध हैं ("भारवेरर्थगौरवं")। किरातार्जुनीयम् महाकाव्य उनकी महान रचना है। इसे एक उत्कृष्ट श्रेणी की काव्यरचना माना जाता है। इनका काल छठी-सातवीं शताब्दि बताया जाता है। यह काव्य किरातरूपधारी शिव एवं पांडुपुत्र अर्जुन के बीच के धनुर्युद्ध तथा वाद-वार्तालाप पर केंद्रित है। महाभारत के एक पर्व पर आधारित इस महाकाव्य में अट्ठारह सर्ग हैं। भारवि सम्भवतः दक्षिण भारत के कहीं जन्मे थे। उनका रचनाकाल पश्चिमी गंग राजवंश के राजा दुर्विनीत तथा पल्लव राजवंश के राजा सिंहविष्णु के शासनकाल के समय का है। कवि ने बड़े से बड़े अर्थ को थोड़े से शब्दों में प्रकट कर अपनी काव्य-कुशलता का परिचय दिया है। कोमल भावों का प्रदर्शन भी कुशलतापूर्वक किया गया है। इसकी भाषा उदात्त एवं हृदय भावों को प्रकट करने वाली है। प्रकृति के दृश्यों का वर्णन भी अत्यन्त मनोहारी है। भारवि ने केवल एक अक्षर ‘न’ वाला श्लोक लिखकर अपनी काव्य चातुरी का परिचय दिया है। .
देखें पूर्वी चालुक्य और भारवि
संस्कृत भाषा
संस्कृत (संस्कृतम्) भारतीय उपमहाद्वीप की एक शास्त्रीय भाषा है। इसे देववाणी अथवा सुरभारती भी कहा जाता है। यह विश्व की सबसे प्राचीन भाषा है। संस्कृत एक हिंद-आर्य भाषा हैं जो हिंद-यूरोपीय भाषा परिवार का एक शाखा हैं। आधुनिक भारतीय भाषाएँ जैसे, हिंदी, मराठी, सिन्धी, पंजाबी, नेपाली, आदि इसी से उत्पन्न हुई हैं। इन सभी भाषाओं में यूरोपीय बंजारों की रोमानी भाषा भी शामिल है। संस्कृत में वैदिक धर्म से संबंधित लगभग सभी धर्मग्रंथ लिखे गये हैं। बौद्ध धर्म (विशेषकर महायान) तथा जैन मत के भी कई महत्त्वपूर्ण ग्रंथ संस्कृत में लिखे गये हैं। आज भी हिंदू धर्म के अधिकतर यज्ञ और पूजा संस्कृत में ही होती हैं। .
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जैन धर्म
जैन ध्वज जैन धर्म भारत के सबसे प्राचीन धर्मों में से एक है। 'जैन धर्म' का अर्थ है - 'जिन द्वारा प्रवर्तित धर्म'। जो 'जिन' के अनुयायी हों उन्हें 'जैन' कहते हैं। 'जिन' शब्द बना है 'जि' धातु से। 'जि' माने - जीतना। 'जिन' माने जीतने वाला। जिन्होंने अपने मन को जीत लिया, अपनी वाणी को जीत लिया और अपनी काया को जीत लिया और विशिष्ट ज्ञान को पाकर सर्वज्ञ या पूर्णज्ञान प्राप्त किया उन आप्त पुरुष को जिनेश्वर या 'जिन' कहा जाता है'। जैन धर्म अर्थात 'जिन' भगवान् का धर्म। अहिंसा जैन धर्म का मूल सिद्धान्त है। जैन दर्शन में सृष्टिकर्ता कण कण स्वतंत्र है इस सॄष्टि का या किसी जीव का कोई कर्ता धर्ता नही है।सभी जीव अपने अपने कर्मों का फल भोगते है।जैन धर्म के ईश्वर कर्ता नही भोगता नही वो तो जो है सो है।जैन धर्म मे ईश्वरसृष्टिकर्ता इश्वर को स्थान नहीं दिया गया है। जैन ग्रंथों के अनुसार इस काल के प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव आदिनाथ द्वारा जैन धर्म का प्रादुर्भाव हुआ था। जैन धर्म की अत्यंत प्राचीनता करने वाले अनेक उल्लेख अ-जैन साहित्य और विशेषकर वैदिक साहित्य में प्रचुर मात्रा में हैं। .
देखें पूर्वी चालुक्य और जैन धर्म
आन्ध्र प्रदेश
आन्ध्र प्रदेश ఆంధ్ర ప్రదేశ్(अनुवाद: आन्ध्र का प्रांत), संक्षिप्त आं.प्र., भारत के दक्षिण-पूर्वी तट पर स्थित राज्य है। क्षेत्र के अनुसार यह भारत का चौथा सबसे बड़ा और जनसंख्या की दृष्टि से आठवां सबसे बड़ा राज्य है। इसकी राजधानी और सबसे बड़ा शहर हैदराबाद है। भारत के सभी राज्यों में सबसे लंबा समुद्र तट गुजरात में (1600 कि॰मी॰) होते हुए, दूसरे स्थान पर इस राज्य का समुद्र तट (972 कि॰मी॰) है। हैदराबाद केवल दस साल के लिये राजधानी रहेगी, तब तक अमरावती शहर को राजधानी का रूप दे दिया जायेगा। आन्ध्र प्रदेश 12°41' तथा 22°उ॰ अक्षांश और 77° तथा 84°40'पू॰ देशांतर रेखांश के बीच है और उत्तर में महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और उड़ीसा, पूर्व में बंगाल की खाड़ी, दक्षिण में तमिल नाडु और पश्चिम में कर्नाटक से घिरा हुआ है। ऐतिहासिक रूप से आन्ध्र प्रदेश को "भारत का धान का कटोरा" कहा जाता है। यहाँ की फसल का 77% से ज़्यादा हिस्सा चावल है। इस राज्य में दो प्रमुख नदियाँ, गोदावरी और कृष्णा बहती हैं। पुदु्चेरी (पांडीचेरी) राज्य के यानम जिले का छोटा अंतःक्षेत्र (12 वर्ग मील (30 वर्ग कि॰मी॰)) इस राज्य के उत्तरी-पूर्व में स्थित गोदावरी डेल्टा में है। ऐतिहासिक दृष्टि से राज्य में शामिल क्षेत्र आन्ध्रपथ, आन्ध्रदेस, आन्ध्रवाणी और आन्ध्र विषय के रूप में जाना जाता था। आन्ध्र राज्य से आन्ध्र प्रदेश का गठन 1 नवम्बर 1956 को किया गया। फरवरी 2014 को भारतीय संसद ने अलग तेलंगाना राज्य को मंजूरी दे दी। तेलंगाना राज्य में दस जिले तथा शेष आन्ध्र प्रदेश (सीमांन्ध्र) में 13 जिले होंगे। दस साल तक हैदराबाद दोनों राज्यों की संयुक्त राजधानी होगी। नया राज्य सीमांन्ध्र दो-तीन महीने में अस्तित्व में आजाएगा अब लोकसभा/राज्यसभा का 25/12सिट आन्ध्र में और लोकसभा/राज्यसभा17/8 सिट तेलंगाना में होगा। इसी माह आन्ध्र प्रदेश में राष्ट्रपति शासन भी लागू हो गया जो कि राज्य के बटवारे तक लागू रहेगा। .
देखें पूर्वी चालुक्य और आन्ध्र प्रदेश
कन्नड़ भाषा
कन्नड़ (ಕನ್ನಡ) भारत के कर्नाटक राज्य में बोली जानेवाली भाषा तथा कर्नाटक की राजभाषा है। यह भारत की उन २२ भाषाओं में से एक है जो भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में साम्मिलित हैं। name.
देखें पूर्वी चालुक्य और कन्नड़ भाषा
किरातार्जुनीयम्
अर्जुन शिव को पहचान जाते हैं और नतमस्तक हो जाते हैं। (राजा रवि वर्मा द्वारा१९वीं शती में चित्रित) किरातार्जुनीयम् महाकवि भारवि द्वारा सातवीं शती ई.
देखें पूर्वी चालुक्य और किरातार्जुनीयम्
यह भी देखें
आंध्र प्रदेश का इतिहास
- अन्नामाचार्य
- अमरावती की कला
- कलिंग
- कोहिनूर हीरा
- खारवेल
- चोड
- तालिकोट का युद्ध
- दक्खिन के सल्तनत
- पल्लव राजवंश
- पूर्वी गंगवंश
- पूर्वी चालुक्य
- मद्रास प्रैज़िडन्सी
- सातवाहन
आंध्र प्रदेश की संस्कृति
- उगादि
- कलमकारी
- कृष्णदेवराय
- कोलम
- गुड़ी पड़वा
- तेलुगू सिनेमा
- पूर्वी चालुक्य
- मंगलसूत्र
- मा तेलुगू तल्लिकि
कोरोमंडल तट
- कन्याकुमारी
- कावेरी नदी
- कृष्णा नदी
- कोरोमंडल तट
- चेन्नई
- चोल राजवंश
- तटीय आंध्र
- पूर्वी चालुक्य
- मन्नार की खाड़ी
- रामसेतु
- समुद्री राष्ट्रीय उद्यान, मन्नार की खाड़ी
भारत के ऐतिहासिक राज्य और साम्राज्य
- उत्पल वंश
- कत्यूरी राजवंश
- काकतीय वंश
- कुमाऊँ राज्य
- कुषाण राजवंश
- ख़िलजी वंश
- ग़ज़नवी साम्राज्य
- चालुक्य राजवंश
- चुटु राजवंश
- चेर राजवंश
- चोड
- चोल राजवंश
- दिल्ली सल्तनत
- पाण्ड्य राजवंश
- पूर्वी चालुक्य
- ब्रिटिश राज
- मराठा साम्राज्य
- महाजनपद
- महाराणा
- मुग़ल साम्राज्य
- मैसूर का साम्राज्य
- मौखरि वंश
- राष्ट्रकूट राजवंश
- शाक्य
- शुंग राजवंश
- सम्माँ राजवंश
- सातवाहन
- सिक्किम अधिराज्य
- सिख साम्राज्य
- हलसी
- हैदराबाद प्रांत
भारत के राजवंश
- अराविदु राजवंश
- आदिल शाह सूरी
- उत्पल वंश
- ओडेयर राजवंश
- कत्यूरी राजवंश
- कदंब राजवंश
- कर्नाट वंश
- कलचुरि राजवंश
- काकतीय वंश
- कुषाण राजवंश
- कोच राजवंश
- खस (प्राचीन जाति)
- गुप्त राजवंश
- गुप्तवंश (मागध अथवा मालव वंश)
- चन्द राजवंश
- चालुक्य राजवंश
- चुटु राजवंश
- चेर
- चेर राजवंश
- चोड
- चोल राजवंश
- चौहान वंश
- तोमर वंश
- देवगिरि के यादव
- नद्दुल चाहमान राजवंश
- नारायण राजवंश
- पटवर्धन
- पश्चिम गंग वंश
- पश्चिमी क्षत्रप
- पूर्वी गंगवंश
- पूर्वी चालुक्य
- प्रतीच्य चालुक्य
- प्रद्योत वंश
- मदुरै नायक राजवंश
- मराठा साम्राज्य
- मैत्रक राजवंश
- मौखरि वंश
- राय वंश
- राष्ट्रकूट राजवंश
- वाकाटक
- सम्माँ राजवंश
- सिंधिया
- सेन राजवंश
- होलकर
हिन्दू राजवंश
- अराविदु राजवंश
- इक्ष्वाकु वंश
- उत्पल वंश
- ओडेयर राजवंश
- कत्यूरी राजवंश
- कदंब राजवंश
- कलचुरि राजवंश
- गुर्जर
- चन्द राजवंश
- चालुक्य राजवंश
- चुटु राजवंश
- चेर
- चेर राजवंश
- चोल राजवंश
- छत्रपति
- जयसिंह प्रथम (पूर्वी चालुक्य)
- जाडेजा
- डोगरा राजवंश
- तुलुव राजवंश
- देवगिरि के यादव
- नारायण राजवंश
- पटवर्धन
- पूर्वी गंगवंश
- पूर्वी चालुक्य
- पेशवा
- ब्रिटिश भारत में रियासतें
- राष्ट्रकूट राजवंश
- सिंधिया
- सेन राजवंश
- होलकर