लोगो
यूनियनपीडिया
संचार
Google Play पर पाएं
नई! अपने एंड्रॉयड डिवाइस पर डाउनलोड यूनियनपीडिया!
डाउनलोड
ब्राउज़र की तुलना में तेजी से पहुँच!
 

शुंग राजवंश

सूची शुंग राजवंश

शुंग साम्राज्य का विस्तार शुंग वंश प्राचीन भारत का एक शासकीय वंश था जिसने मौर्य राजवंश के बाद शासन किया। इसका शासन उत्तर भारत में १८७ ई.पू.

14 संबंधों: देवभूति, पतञ्जलि, पुलिन्दक, पुष्यमित्र शुंग, प्राचीन भारत, बृहद्रथ मौर्य, भगभद्र, मौर्य राजवंश, वसुमित्र, वसुज्येष्ठ, वज्रमित्र, कालिदास, अन्ध्रक, अग्निमित्र

देवभूति

यह प्राचीन भारत के शुंग राजवंश का राजा था। श्रेणी:शुंग राजवंश.

नई!!: शुंग राजवंश और देवभूति · और देखें »

पतञ्जलि

पतंजलि योगसूत्र के रचनाकार है जो हिन्दुओं के छः दर्शनों (न्याय, वैशेषिक, सांख्य, योग, मीमांसा, वेदान्त) में से एक है। भारतीय साहित्य में पतंजलि के लिखे हुए ३ मुख्य ग्रन्थ मिलते हैः योगसूत्र, अष्टाध्यायी पर भाष्य और आयुर्वेद पर ग्रन्थ। कुछ विद्वानों का मत है कि ये तीनों ग्रन्थ एक ही व्यक्ति ने लिखे; अन्य की धारणा है कि ये विभिन्न व्यक्तियों की कृतियाँ हैं। पतंजलि ने पाणिनि के अष्टाध्यायी पर अपनी टीका लिखी जिसे महाभाष्य का नाम दिया (महा+भाष्य (समीक्षा, टिप्पणी, विवेचना, आलोचना))। इनका काल कोई २०० ई पू माना जाता है। .

नई!!: शुंग राजवंश और पतञ्जलि · और देखें »

पुलिन्दक

पुलिन्दक शुंग राजवंश के राजा थे और उण्डक के पुत्र थे। वो शुंग राजवंश के १० राजाओं में से एक थे। श्रेणी:भारतीय सम्राट.

नई!!: शुंग राजवंश और पुलिन्दक · और देखें »

पुष्यमित्र शुंग

पुष्यमित्र शुंग की मूर्ति पुष्यमित्र शुंग (१८५ – १४९ ई॰पू॰) यह एक ब्राम्हण था । उत्तर भारत के शुंग साम्राज्य के संस्थापक और प्रथम राजा था । इससे पहले वो मौर्य साम्राज्य में सेनापति था। १८५ ई॰पूर्व में इसने अन्तिम मौर्य सम्राट (बृहद्रथ) की रात में दरवार में अकेला बुलाया और उनकी पीठ पर छुरा घोपकर सम्राट बृहद्रथ की हत्या कर दी और अपने आपको राजा उद्घोषित किया। उसके बाद उन्होंने अश्वमेध यज्ञ किया और उत्तर भारत का अधिकतर हिस्सा अपने अधिकार क्षेत्र में ले लिया। शुंग राज्य के शिलालेख पंजाब के जालन्धर में पुष्यमित्र का एक शिलालेख मिले हैं और दिव्यावदान के अनुसार यह राज्य सांग्ला (वर्तमान सियालकोट) तक विस्तृत था। .

नई!!: शुंग राजवंश और पुष्यमित्र शुंग · और देखें »

प्राचीन भारत

मानव के उदय से लेकर दसवीं सदी तक के भारत का इतिहास प्राचीन भारत का इतिहास कहलाता है। .

नई!!: शुंग राजवंश और प्राचीन भारत · और देखें »

बृहद्रथ मौर्य

बृहद्रथ मौर्य राजवंश के अंतिम राजा थे। उन्होंने १९१ से १८४ ई॰पू॰ तक शासन किया। यह सम्राट अशोक के वंशज थे।इसकी हत्या इसके ही सेनापति पुष्यमित्र शुंग के द्वारा 185 ई0पू0 को कर दी गई थी।यहां हम आपको बताते चलें कि मगध के सबसे प्राचीन वंश के संस्थापक का नाम भी बृहद्रथ था जिसकी राजधानी गिरिबृज या राजगृह थी।दोनों बृहद्रथ अलग अलग हैं। .

नई!!: शुंग राजवंश और बृहद्रथ मौर्य · और देखें »

भगभद्र

भगभद्र शुंग राजवंश के एक राजा थे। उन्होंने ११० ईसा पूर्व के लगभग उत्तर केन्द्रीय और पूर्वी भारत में शासन किया। यद्यपि शुंग की राजधानी पाटलीपुत्र थी, उन्हें विदिशा में अदालत निर्माण के लिए भी जाना जाता है। शुंग राजवंश ने ११२ वर्षों तक शासन किया और उनमें से ९वें राजा भग को विदिशा के भद्र के रूप में जाना जाता है। .

नई!!: शुंग राजवंश और भगभद्र · और देखें »

मौर्य राजवंश

मौर्य राजवंश (३२२-१८५ ईसापूर्व) प्राचीन भारत का एक शक्तिशाली एवं महान राजवंश था। इसने १३७ वर्ष भारत में राज्य किया। इसकी स्थापना का श्रेय चन्द्रगुप्त मौर्य और उसके मन्त्री कौटिल्य को दिया जाता है, जिन्होंने नन्द वंश के सम्राट घनानन्द को पराजित किया। मौर्य साम्राज्य के विस्तार एवं उसे शक्तिशाली बनाने का श्रेय सम्राट अशोक को जाता है। यह साम्राज्य पूर्व में मगध राज्य में गंगा नदी के मैदानों (आज का बिहार एवं बंगाल) से शुरु हुआ। इसकी राजधानी पाटलिपुत्र (आज के पटना शहर के पास) थी। चन्द्रगुप्त मौर्य ने ३२२ ईसा पूर्व में इस साम्राज्य की स्थापना की और तेजी से पश्चिम की तरफ़ अपना साम्राज्य का विकास किया। उसने कई छोटे छोटे क्षेत्रीय राज्यों के आपसी मतभेदों का फायदा उठाया जो सिकन्दर के आक्रमण के बाद पैदा हो गये थे। ३१६ ईसा पूर्व तक मौर्य वंश ने पूरे उत्तरी पश्चिमी भारत पर अधिकार कर लिया था। चक्रवर्ती सम्राट अशोक के राज्य में मौर्य वंश का बेहद विस्तार हुआ। सम्राट अशोक के कारण ही मौर्य साम्राज्य सबसे महान एवं शक्तिशाली बनकर विश्वभर में प्रसिद्ध हुआ। .

नई!!: शुंग राजवंश और मौर्य राजवंश · और देखें »

वसुमित्र

यह प्राचीन भारत में शासन करने वाले शुंग राजवंश का शाशक था। श्रेणी:शुंग राजवंश.

नई!!: शुंग राजवंश और वसुमित्र · और देखें »

वसुज्येष्ठ

यह प्राचीन भारत में शासन करने वाले शुंग राजवंश का प्रसिद्ध शासक था। श्रेणी:शुंग राजवंश श्रेणी:प्राचीन भारतीय शासक.

नई!!: शुंग राजवंश और वसुज्येष्ठ · और देखें »

वज्रमित्र

यह प्राचीन भारत में शासन करने वाले शुंग राजवंश का राजा था। श्रेणी:शुंग राजवंश.

नई!!: शुंग राजवंश और वज्रमित्र · और देखें »

कालिदास

कालिदास संस्कृत भाषा के महान कवि और नाटककार थे। उन्होंने भारत की पौराणिक कथाओं और दर्शन को आधार बनाकर रचनाएं की और उनकी रचनाओं में भारतीय जीवन और दर्शन के विविध रूप और मूल तत्व निरूपित हैं। कालिदास अपनी इन्हीं विशेषताओं के कारण राष्ट्र की समग्र राष्ट्रीय चेतना को स्वर देने वाले कवि माने जाते हैं और कुछ विद्वान उन्हें राष्ट्रीय कवि का स्थान तक देते हैं। अभिज्ञानशाकुंतलम् कालिदास की सबसे प्रसिद्ध रचना है। यह नाटक कुछ उन भारतीय साहित्यिक कृतियों में से है जिनका सबसे पहले यूरोपीय भाषाओं में अनुवाद हुआ था। यह पूरे विश्व साहित्य में अग्रगण्य रचना मानी जाती है। मेघदूतम् कालिदास की सर्वश्रेष्ठ रचना है जिसमें कवि की कल्पनाशक्ति और अभिव्यंजनावादभावाभिव्यन्जना शक्ति अपने सर्वोत्कृष्ट स्तर पर है और प्रकृति के मानवीकरण का अद्भुत रखंडकाव्ये से खंडकाव्य में दिखता है। कालिदास वैदर्भी रीति के कवि हैं और तदनुरूप वे अपनी अलंकार युक्त किन्तु सरल और मधुर भाषा के लिये विशेष रूप से जाने जाते हैं। उनके प्रकृति वर्णन अद्वितीय हैं और विशेष रूप से अपनी उपमाओं के लिये जाने जाते हैं। साहित्य में औदार्य गुण के प्रति कालिदास का विशेष प्रेम है और उन्होंने अपने शृंगार रस प्रधान साहित्य में भी आदर्शवादी परंपरा और नैतिक मूल्यों का समुचित ध्यान रखा है। कालिदास के परवर्ती कवि बाणभट्ट ने उनकी सूक्तियों की विशेष रूप से प्रशंसा की है। thumb .

नई!!: शुंग राजवंश और कालिदास · और देखें »

अन्ध्रक

यह प्राचीन भारत में शासन करने वाले शुंग राजवंश का राजा था। अन्ध्रक श्रेणी:चित्र जोड़ें.

नई!!: शुंग राजवंश और अन्ध्रक · और देखें »

अग्निमित्र

अग्निमित्र (149-141 ईपू) शुंग वंश के राजा थे। कालिदास ने इसको अपने नाटक का पात्र बनाया है, जिससे प्रतीत होता है कि कालिदास का काल इसके ही काल के समीप रहा होगा। .

नई!!: शुंग राजवंश और अग्निमित्र · और देखें »

यहां पुनर्निर्देश करता है:

शुंग वंश, शुङ्ग राजवंश, शुङ्ग वंश

निवर्तमानआने वाली
अरे! अब हम फेसबुक पर हैं! »