सामग्री की तालिका
10 संबंधों: फलन, बहुपद समीकरणों के सिद्धान्त, रासायनिक समीकरण, रेखीय समीकरण, समता चिन्ह, घन फलन, वर्ग समीकरण, आंशिक अवकल समीकरण, असमीकरण, अवकल समीकरण।
- प्राथमिक बीजगणित
फलन
''X'' के किसी सदस्य का ''Y'' के केवल एक सदस्य से सम्बन्ध हो तो वह फलन है अन्यथा नहीं। ''Y''' के कुछ सदस्यों का '''X''' के किसी भी सदस्य से सम्बन्ध '''न''' होने पर भी फलन परिभाषित है। गणित में जब कोई राशि का मान किसी एक या एकाधिक राशियों के मान पर निर्भर करता है तो इस संकल्पना को व्यक्त करने के लिये फलन (function) शब्द का प्रयोग किया जाता है। उदाहरण के लिये किसी ऋण पर चक्रवृद्धि ब्याज की राशि मूलधन, समय एवं ब्याज की दर पर निर्भर करती है; इसलिये गणित की भाषा में कह सकते हैं कि चक्रवृद्धि ब्याज, मूलधन, ब्याज की दर तथा समय का फलन है। स्पष्ट है कि किसी फलन के साथ दो प्रकार की राशियां सम्बन्धित होती हैं -.
देखें समीकरण और फलन
बहुपद समीकरणों के सिद्धान्त
x के किसी n घातीय व्यंजक (इक्सप्रेशन) को शून्य के बराबर रखने पर प्राप्त समीकरण को n घात का बहुपद समीकरण (polynomial equation) कहते हैं। एक से अधिक राशियों में भी बहुपद समीकरण हो सकते हैं। जैसे - गणित के परम्परागत बीजगणित का एक बड़ा भाग समीकरण सिद्धान्त (Theory of equations) के रूप में अध्ययन किया/कराया जाता है। इसके अन्तर्गत बहुपद समीकरण के मूलों की प्रकृति का अध्ययन किया जाता है एवं इन मूलों को प्राप्त करने की विधियों एवं उससे सम्बन्धित समस्याओं का विवेचन किया जाता है। दूसरे शब्दों में, बहुपद, बीजीय समीकरण, मूल निकालना एवं मैट्रिक्स एवं सारणिक का प्रयोग करके समीकरणों का हल निकालना शामिल हैं। विज्ञान एवं गणित की सभी शाखाओं में समीकरण सिद्धान्त का बहुत उपयोग होता है। .
देखें समीकरण और बहुपद समीकरणों के सिद्धान्त
रासायनिक समीकरण
मिथेन का दहन किसी रासायनिक अभिक्रिया के प्रतीकात्मक निरूपण को रासायनिक समीकरण कहते हैं। इसे समीकरण इसलिये कहा जाता है कि इसमें समता चिन्ह (.
देखें समीकरण और रासायनिक समीकरण
रेखीय समीकरण
रेखीय समीकरणों का ग्राफ् पर निरुपण गणित मै रेखीय समीकरण एक एसा समीकरण होता है जिसमे चर की अधिकतम् घात एक होती है, इन समीकरणों को रेखीय समीकरण कहते है क्योंकि ये कार्तीय निर्देशांक पद्ध्ती मै एकसरल रेखा को निरुपित करते हैं। दो चरों x व y वाला एक सामन्य रेखीय समीकरण होता है, इस सबसे साधारण रूप मै m, रेखा की प्रवणता एवं नियतांक c रेखा द्वारा Y-अक्ष पर काटे गए अंत: खन्ड के बराबर होते हैं .
देखें समीकरण और रेखीय समीकरण
समता चिन्ह
2 + 3 .
देखें समीकरण और समता चिन्ह
घन फलन
किसी घन फलन (जिसके तीनों मूल वास्तविक हैं) का आरेख गणित में निम्नलिखित स्वरूप वाले फलन को घन फलन (cubic function) या "त्रिघाती बहुपद" कहते हैं: यहाँ a अशून्य संख्या है। यह मानते हुए कि a ≠ 0 तथा ƒ(x) .
देखें समीकरण और घन फलन
वर्ग समीकरण
गणित में दो घात वाले समीकरण को वर्ग समीकरण (quadratic equation) या द्विघात समीकरण कहते हैं। विज्ञान, तकनीकी एवं अन्य अनेक स्थितियों में किसी समस्या के समाधान के समय वर्ग समीकरण से अक्सर सामना पडता रहता है। इसलिये वर्ग समीकरण का हल बहुत महत्व रखता है। वर्ग समीकरण का सामान्य समीकरण(General Equation) इस प्रकार का होता है: यहाँ a ≠ 0.
देखें समीकरण और वर्ग समीकरण
आंशिक अवकल समीकरण
गणित में आंशिक अवकल समीकरण वो अवकल समीकरणें होती हैं जिनमें बहुचर फलन और उनके आंशिक अवकल होते हैं। (यह साधारण अवकल समीकरणों से भिन्न है जिनमें एक ही चर और उसके अवकलों में बंटा हुआ होता है। आंशिक अवकल समीकरणों का उपयोग उन समस्याओं को हल करने में प्रयुक्त किया जाता है जो विभिन्न स्वतंत्र चरों की फलन होती हैं एवं जिन्हें साधारणतया हल कर सकते हैं अथवा हल करने के लिए अभिकलित्र प्रोग्राम बनाया जा सके। आंशिक अवकल समीकरणो का उपयोग विभिन्न दृष्टिगत घटनाओं यथा ध्वनि, ऊष्मा, स्थिरवैद्युतिकी, विद्युत-गतिकी, द्रव का प्रवाह, प्रत्यास्थता या प्रमात्रा यान्त्रिकी को समझने में किया जा सकता है। ये पृथक प्रतीत होने वाली प्रक्रियाओं को आंशिक अवकल समीकरणों के रूप में सूत्रित किया जा सकता है। .
देखें समीकरण और आंशिक अवकल समीकरण
असमीकरण
गणित मे असमीकरण दो वस्तुओं के सापेक्ष परिमाण अथवा आकार के बारे मे एक कथन होता है.
देखें समीकरण और असमीकरण
अवकल समीकरण
अवकल समीकरण (डिफरेंशियल ईक्वेशंस) उन संबंधों को कहते हैं जिनमें स्वतंत्र चर तथा अज्ञात परतंत्र चर के साथ-साथ उस परतंत्र चर के एक या अधिक अवकल गुणांक (डिफ़रेंशियल कोइफ़िशेंट्स) हों। यदि इसमें एक परतंत्र चर तथा एक ही स्वतंत्र चर भी हो तो संबंध को साधारण (ऑर्डिनरी) अवकल समीकरण कहते हैं। जब परतंत्र चल तो एक परंतु स्वतंत्र चर अनेक हों तो परतंत्र चर के खंडावकल गुणक (partial differentials) होते हैं। जब ये उपस्थित रहते हैं तब संबंध को आंशिक (पार्शियल) अवकल समीकरण कहते हैं। परतंत्र चर को स्वतंत्र चर के पर्दो में व्यंजित करने को अवकल समीकरण का हल करना कहा जाता है। यदि अवकल समीकरण में nवीं कक्षा (ऑर्डर) का अवकल गुणक हो और अधिक का नहीं, तो अवकल समीकरण nवीं कक्षा का कहलाता है। उच्चतम कक्षा के अवकल गुणक का घात (पॉवर) ही अवकल समीकरण का घात कहलाता है। घात ज्ञात करने के पहले समीकरण को भिन्न तथा करणी चिंहों से इस प्रकार मुक्त कर लेना चाहिए कि उसमें अवकल गुणकों पर कोई भिन्नात्मक घात न हो। अवकल समीकरण का अनुकलन सरल नहीं है। अभी तक प्रथम कक्षा के वे अवकल समीकरण भी पूर्ण रूप से हल नहीं हो पाए हैं। कुछ अवस्थाओं में अनुकलन संभव हैं, जिनका ज्ञान इस विषय की भिन्न-भिन्न पुस्तकों से प्राप्त हो सकता है। अनुकलन करने की विधियाँ सांकेतिक रूप में यहाँ दी जाती हैं। प्रयुक्त गणित, भौतिक विज्ञान तथा विज्ञान की अन्य शाखाओं में भौतिक राशियों को समय, स्थान, ताप इत्यादि स्वतंत्र चलों के फलनों में तुरंत प्रकट करना प्राय: कठिन हो जाता है। परंतु हम उनकी वृद्धि की दर तथा उसके अवकल गुणकों में कोई संबंध बहुधा बड़ी सुगमता से पा सकते हैं। इस प्रकार ऐसे अवकल समीकरण प्राप्त होते हैं जिन्हें पूर्वोक्त राशियाँ संतुष्ट करती हैं। इन्हें हल करना उन राशियों का ज्ञान प्राप्त करने के लिए आवश्यक होता है। इसलिए विज्ञान की उन्नति बहुत अंश तक अवकल समीकरण की प्रगति पर निर्भर है। .
देखें समीकरण और अवकल समीकरण
यह भी देखें
प्राथमिक बीजगणित
- असमिका
- आंशिक भिन्न
- क्रमविनिमेयता
- गणितीय सर्वसमिका
- गुणनखण्ड
- घनमूल
- चर परिवर्तन
- त्रिपदी
- द्विघात समीकरण
- पूर्ण वर्ग बनाना
- प्रारम्भिक बीजगणित
- मूल (संख्या का)
- योग का तत्समक अवयव
- रेखीय समीकरण
- समीकरण
- सूत्र (फॉर्मूला)
समीकरणों, गणितीय समीकरण के रूप में भी जाना जाता है।