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फलन

सूची फलन

''X'' के किसी सदस्य का ''Y'' के केवल एक सदस्य से सम्बन्ध हो तो वह फलन है अन्यथा नहीं। ''Y''' के कुछ सदस्यों का '''X''' के किसी भी सदस्य से सम्बन्ध '''न''' होने पर भी फलन परिभाषित है। गणित में जब कोई राशि का मान किसी एक या एकाधिक राशियों के मान पर निर्भर करता है तो इस संकल्पना को व्यक्त करने के लिये फलन (function) शब्द का प्रयोग किया जाता है। उदाहरण के लिये किसी ऋण पर चक्रवृद्धि ब्याज की राशि मूलधन, समय एवं ब्याज की दर पर निर्भर करती है; इसलिये गणित की भाषा में कह सकते हैं कि चक्रवृद्धि ब्याज, मूलधन, ब्याज की दर तथा समय का फलन है। स्पष्ट है कि किसी फलन के साथ दो प्रकार की राशियां सम्बन्धित होती हैं -.

8 संबंधों: चक्रवृद्धि ब्याज, परतंत्र और स्वतंत्र चर, प्रतिचित्रण, समय, गणित, कार्तीय गुणन, क्रमित युग्म, उपसमुच्चय

चक्रवृद्धि ब्याज

जब समय-समय पर अभी तक संचित हुए ब्याज को मूलधन में मिलाकर इस मिश्रधन पर ब्याज की गणना की जाती है तो इसे चक्रवृद्धि ब्याज कहते हैं। जिस अवधि के बाद ब्याज की गणना करके उसे मूलधन में जोड़ा जाता है, उसे चक्रवृद्धि अवधि (compounding period) कहते हैं। इसके विपरीत साधारण ब्याज उस प्रकार की ब्याज गणना का नाम है जिसमें मूलधन (जिस राशि पर ब्याज की गणना की जाती है) अपरिवर्तित रहता है। कुछ छोटे-मोटे मामलों को छोड़कर व्यावहारिक जीवन के प्रायः सभी क्षेत्रों में चक्रवृद्धि ब्याज ही लिया/दिया जाता है। .

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परतंत्र और स्वतंत्र चर

गणित में स्वतंत्र चर (independent variable) ऐसी राशि होती है जिसका मान (value) किसी अन्य राशि पर निर्भर न हो। इसके विपरीत परतंत्र चर (dependent variable) ऐसी राशि होती है जिसका मान एक या एक से अधिक स्वतंत्र चरों पर निर्भर हो। उदाहरण के लिए यदि किसी खेत में डाली गई खाद की मात्रा को x के चिन्ह द्वारा प्रकट करा जाए और उस खेत में पैदा होने वाले गेंहू को y द्वारा, तो फ़सल की मात्रा खेत में डाली गई खाद की मात्रा का एक फलन (फ़न्क्शन) होगी, जिसे गणितीय रूप से y .

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प्रतिचित्रण

गणित एवं इससे संबंधित क्षेत्रों में प्रतिचित्रण (मैपिंग) शब्द का प्रयोग फलन के समानार्थी शब्द जैसा होता है। .

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समय

समय मापने की प्राचीन (किन्तु मेधापूर्ण) तरीका: '''रेतघड़ी''' समय (time) एक भौतिक राशि है। जब समय बीतता है, तब घटनाएँ घटित होती हैं तथा चलबिंदु स्थानांतरित होते हैं। इसलिए दो लगातार घटनाओं के होने अथवा किसी गतिशील बिंदु के एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक जाने के अंतराल (प्रतीक्षानुभूति) को समय कहते हैं। समय नापने के यंत्र को घड़ी अथवा घटीयंत्र कहते हैं। इस प्रकार हम यह भी कह सकते हैं कि समय वह भौतिक तत्व है जिसे घटीयंत्र से नापा जाता है। सापेक्षवाद के अनुसार समय दिग्देश (स्पेस) के सापेक्ष है। अत: इस लेख में समयमापन पृथ्वी की सूर्य के सापेक्ष गति से उत्पन्न दिग्देश के सापेक्ष समय से लिया जाएगा। समय को नापने के लिए सुलभ घटीयंत्र पृथ्वी ही है, जो अपने अक्ष तथा कक्ष में घूमकर हमें समय का बोध कराती है; किंतु पृथ्वी की गति हमें दृश्य नहीं है। पृथ्वी की गति के सापेक्ष हमें सूर्य की दो प्रकार की गतियाँ दृश्य होती हैं, एक तो पूर्व से पश्चिम की तरफ पृथ्वी की परिक्रमा तथा दूसरी पूर्व बिंदु से उत्तर की ओर और उत्तर से दक्षिण की ओर जाकर, कक्षा का भ्रमण। अतएव व्यावहारिक दृष्टि से हम सूर्य से ही काल का ज्ञान प्राप्त करते हैं। .

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गणित

पुणे में आर्यभट की मूर्ति ४७६-५५० गणित ऐसी विद्याओं का समूह है जो संख्याओं, मात्राओं, परिमाणों, रूपों और उनके आपसी रिश्तों, गुण, स्वभाव इत्यादि का अध्ययन करती हैं। गणित एक अमूर्त या निराकार (abstract) और निगमनात्मक प्रणाली है। गणित की कई शाखाएँ हैं: अंकगणित, रेखागणित, त्रिकोणमिति, सांख्यिकी, बीजगणित, कलन, इत्यादि। गणित में अभ्यस्त व्यक्ति या खोज करने वाले वैज्ञानिक को गणितज्ञ कहते हैं। बीसवीं शताब्दी के प्रख्यात ब्रिटिश गणितज्ञ और दार्शनिक बर्टेंड रसेल के अनुसार ‘‘गणित को एक ऐसे विषय के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जिसमें हम जानते ही नहीं कि हम क्या कह रहे हैं, न ही हमें यह पता होता है कि जो हम कह रहे हैं वह सत्य भी है या नहीं।’’ गणित कुछ अमूर्त धारणाओं एवं नियमों का संकलन मात्र ही नहीं है, बल्कि दैनंदिन जीवन का मूलाधार है। .

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कार्तीय गुणन

दो समुच्चयों \scriptstyle A.

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क्रमित युग्म

इस समतल के आठ बिन्दुओं की स्थिति को आठ '''क्रमित युग्मों''' के द्वारा निरुपित किया गया है। गणित में किन्ही दो गणितीय वस्तुओं के जोड़े को क्रमित युग्म या क्रमित युगल (ordered pair) कहते हैं यदि इस युग्म में क्रम का भी महत्व हो (अर्थात पहला कौन है और दूसरा कौन?)। यदि किसी क्रमित युग्म का पहला अवयव a तथा दूसरा अवयव b हो तो इस क्रमित युग्म को (a, b) के रूप में दर्शाते हैं। समुच्चय तथा क्रमित युग्म में अन्तर है। समुच्चय केवल अपने अवयवों द्वारा पारिभाषित होता है (उनके क्रम का महत्व नहीं है) जबकि क्रमित युग्म में अवयवों के अलावा क्रम का भी महत्व है। उदाहरण के लिये समुच्चय तथा समान हैं लेकिन क्रमित युग्म (0, 1) एवं (1, 0) अलग-अलग हैं। क्रमित युग्म का सामान्यीकरण किया जा सकता है और वस्तुओं के 'परिमित क्रमित समूह' की बात की जा सकती है। समुच्चयों का कार्तीय गुणन, द्विचर संबंध (binary relations, कार्तीय निर्देशांक (Cartesian coordinates), भिन्न (fractions) तथा फलन आदि की परिभाषा क्रमित युग्म की सहायता से ही की जाती है। श्रेणी:सम्बन्ध.

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उपसमुच्चय

यदि कोई दो समुच्चय ऐसे हों कि एक का प्रत्येक अवयव दूसरे का भी अवयव हो तो प्रथम समुच्चय को द्वितीय का उपसमुच्चय (subset) कहते हैं। इसे ⊂ और ⊃ से निरुपित किया जाता है। उदाहरण के लिए यदि समुच्चय A का प्रत्येक अवयव B का भी अवयव है तो इसे A ⊂ B से निरुपित करते हैं और 'A उपसमुच्चय है B का' पढ़ते हैं एवं B को A का अधिसमुच्चय कहते हैं। .

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