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समुच्चय (गणित)
समुच्चय या कुलक (set) सुपरिभाषित समूह अथवा संग्रह को कहते हैं। परिभाषा के रूप में वस्तुओं के उस समूह अथवा समाहार को समुच्चय कहते हैं जिसमें सम्मिलित प्रत्येक वस्तु किसी गुण विशेष को संतुष्ट करती हो जिसके आधार पर स्पष्ट रूप से यह बताया जा सके कि अमुक वस्तु उस संग्रह में सम्मिलित है अथवा नहीं है। .
देखें योग का तत्समक अवयव और समुच्चय (गणित)
गणित
पुणे में आर्यभट की मूर्ति ४७६-५५० गणित ऐसी विद्याओं का समूह है जो संख्याओं, मात्राओं, परिमाणों, रूपों और उनके आपसी रिश्तों, गुण, स्वभाव इत्यादि का अध्ययन करती हैं। गणित एक अमूर्त या निराकार (abstract) और निगमनात्मक प्रणाली है। गणित की कई शाखाएँ हैं: अंकगणित, रेखागणित, त्रिकोणमिति, सांख्यिकी, बीजगणित, कलन, इत्यादि। गणित में अभ्यस्त व्यक्ति या खोज करने वाले वैज्ञानिक को गणितज्ञ कहते हैं। बीसवीं शताब्दी के प्रख्यात ब्रिटिश गणितज्ञ और दार्शनिक बर्टेंड रसेल के अनुसार ‘‘गणित को एक ऐसे विषय के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जिसमें हम जानते ही नहीं कि हम क्या कह रहे हैं, न ही हमें यह पता होता है कि जो हम कह रहे हैं वह सत्य भी है या नहीं।’’ गणित कुछ अमूर्त धारणाओं एवं नियमों का संकलन मात्र ही नहीं है, बल्कि दैनंदिन जीवन का मूलाधार है। .
देखें योग का तत्समक अवयव और गणित
यह भी देखें
अमूर्त बीजगणित
- अभिलक्षणिक मान तथा अभिलक्षणिक सदिश
- कौशी अनुक्रम
- क्षेत्र (गणित)
- योग का तत्समक अवयव
- विमा (गणित)
- सदिश राशि
प्राथमिक बीजगणित
- असमिका
- आंशिक भिन्न
- क्रमविनिमेयता
- गणितीय सर्वसमिका
- गुणनखण्ड
- घनमूल
- चर परिवर्तन
- त्रिपदी
- द्विघात समीकरण
- पूर्ण वर्ग बनाना
- प्रारम्भिक बीजगणित
- मूल (संख्या का)
- योग का तत्समक अवयव
- रेखीय समीकरण
- समीकरण
- सूत्र (फॉर्मूला)
समूह सिद्धान्त
- मॉड्युलर गणित
- योग का तत्समक अवयव
- संख्या
- सदिश बीजगणित
- समूह (गणितशास्त्र)
- समूह सिद्धांत