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असमिका

सूची असमिका

रैखिक प्रोग्रामन (linear programming) में सम्भावित क्षेत्र (feasible region) असमिकाओं के एक समूह द्वारा व्यक्त किया जाता है। गणित में असमिका या असमता (Inequality) ऐसे कथन को कहते हैं जो दो वस्तुओं का आपेक्षिक आकार व्यक्त करता है। जैसे ७ > ५.

13 संबंधों: त्रिभुज असमिका, बर्नूली असमिका, रैखिक क्रमादेशन, समान्तर माध्य, समान्तर माध्य और गुणोत्तर माध्य सम्बन्धी असमिका, समीकरण, हरात्मक माध्य, वर्ग माध्य मूल, गणित, गणितीय सर्वसमिका, गुणोत्तर माध्य, असमताओं की सूची, असमीकरण

त्रिभुज असमिका

त्रिभुज असमिका के तीन उदाहरण गणित में त्रिभुज असमिका (triangle inequality) यह है- यदि x, y और z किसी त्रिभुज की भुजाओं की लम्बाई हैं, तो त्रिभुज असमिका के अनुसार, दूसरे शब्दों में, किसी त्रिभुज ABC में, इन असमिकाओं से निम्नलिखित असमिका निकाली जा सकती है- इसका ज्यामितीय अर्थ यह है- त्रिभुज की किन्हीं दो भुजाओं की लम्बाई का अन्तर तीसरी भुजा के बराबर या उससे छोटा होता है। .

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बर्नूली असमिका

बर्नूली असमिका का चित्रण: y.

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रैखिक क्रमादेशन

लिओनिद कान्तोरोविच गणित में रैखिक प्रोग्रामन (linear programming) इष्टतमीकरण (ऑप्टिमाइजेशन) की एक तकनीक है जिसमें लक्ष्य-फलन भी रैखीय होता है तथा शर्तें (समिकाएं/असमिकाएँ) भी रैखिक होतीं हैं। किन्तु इसका कम्प्यूटर प्रोग्रामन से कोई सम्बन्ध नहीं है। .

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समान्तर माध्य

गणित एवं सांख्यिकी में समान्तर माध्य (arithmetic mean) नमूने के आंकड़ों की केन्द्रीय प्रवृत्ति (central tendency) की एक गणितीय माप है। इसे प्रायः 'औसत' (average) या 'माध्य' (mean) ही कहते हैं। किन्तु जब इसे दूसरे प्रकार के माध्यों (जैसे ज्यामितीय माध्य या हरात्मक माध्य) से अलग करते हुए देखना हो तो इसे 'समान्तर माध्य' कहते हैं। गणित एवं सांख्यिकी के अलावा समान्तर माध्य का अर्थनीति, समाजशास्त्र, इतिहास आदि में प्रायः देखने को मिलता है। उदाहरण- .

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समान्तर माध्य और गुणोत्तर माध्य सम्बन्धी असमिका

किन्हीं दो या अधिक धनात्मक संख्याओं का समान्तर माध्य उनके गुणोत्तर माध्य के बराबर या उससे बड़ा होता है। ये दोनों माध्य केवल तभी बराबर होते हैं जब दी गयीं सभी संख्याएं समान हों। अर्थात x_1, x_2, \ldots, x_n आदि धनात्मक संख्याएं हों तो,; उदाहरण .

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समीकरण

---- समीकरण (equation) प्रतीकों की सहायता से व्यक्त किया गया एक गणितीय कथन है जो दो वस्तुओं को समान अथवा तुल्य बताता है। यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि आधुनिक गणित में समीकरण सर्वाधिक महत्वपूर्ण विषय है। आधुनिक विज्ञान एवं तकनीकी में विभिन्न घटनाओं (फेनामेना) एवं प्रक्रियाओं का गणितीय मॉडल बनाने में समीकरण ही आधारका काम करने हैं। समीकरण लिखने में समता चिन्ह का प्रयोग किया जाता है। यथा- समीकरण प्राय: दो या दो से अधिक व्यंजकों (expressions) की समानता को दर्शाने के लिये प्रयुक्त होते हैं। किसी समीकरण में एक या एक से अधिक चर राशि (यां) (variables) होती हैं। चर राशि के जिस मान के लिये समीकरण के दोनो पक्ष बराबर हो जाते हैं, वह/वे मान समीकरण का हल या समीकरण का मूल (roots of the equation) कहलाता/कहलाते है। ऐसा समीकरण जो चर राशि के सभी मानों के लिये संतुष्ट होता है, उसे सर्वसमिका (identity) कहते हैं। जैसे - एक सर्वसमिका है। जबकि एक समीकरण है जिसका मूल हैं x.

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हरात्मक माध्य

हरात्मक माध्य (harmonic mean) गणित में प्रयुक्त अनेकों माध्यों में से एक है। जब दरों का माध्य निकालना हो तो हरात्मक माध्य उपयुक्त होता हैं। धनात्मक वास्तविक संख्याओं x1, x2,..., xn > 0 का हरात्मक माध्य H निम्नाकित प्रकार से परिभाषित किया जाता है- अर्थात, दी हुई संख्याओं का हरात्मक माध्य उन संख्याओं के व्युत्क्रम संख्याओं (रेसिप्रोकल्स) के समान्तर माध्य के व्युत्क्रम के बराबर होता है। .

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वर्ग माध्य मूल

गणित में वर्ग माध्य मूल (root mean square / RMS or rms), किसी चर राशि के परिमाण (magnitude) को व्यक्त करने का एक प्रकार का सांख्यिकीय तरीका है। इसे द्विघाती माध्य (quadratic mean) भी कहते हैं। यह उस स्थिति में विशेष रूप से उपयोगी है जब चर राशि धनात्मक एवं ऋणात्मक दोनों मान ग्रहण कर रही हो। जैसे ज्यावक्रीय (sinusoids) का आरएमएस एक उपयोगी राशि है। 'वर्ग माध्य मूल' का शाब्दिक अर्थ है - दिये हुए आंकड़ों के "वर्गों के माध्य का वर्गमूल (root)".

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गणित

पुणे में आर्यभट की मूर्ति ४७६-५५० गणित ऐसी विद्याओं का समूह है जो संख्याओं, मात्राओं, परिमाणों, रूपों और उनके आपसी रिश्तों, गुण, स्वभाव इत्यादि का अध्ययन करती हैं। गणित एक अमूर्त या निराकार (abstract) और निगमनात्मक प्रणाली है। गणित की कई शाखाएँ हैं: अंकगणित, रेखागणित, त्रिकोणमिति, सांख्यिकी, बीजगणित, कलन, इत्यादि। गणित में अभ्यस्त व्यक्ति या खोज करने वाले वैज्ञानिक को गणितज्ञ कहते हैं। बीसवीं शताब्दी के प्रख्यात ब्रिटिश गणितज्ञ और दार्शनिक बर्टेंड रसेल के अनुसार ‘‘गणित को एक ऐसे विषय के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जिसमें हम जानते ही नहीं कि हम क्या कह रहे हैं, न ही हमें यह पता होता है कि जो हम कह रहे हैं वह सत्य भी है या नहीं।’’ गणित कुछ अमूर्त धारणाओं एवं नियमों का संकलन मात्र ही नहीं है, बल्कि दैनंदिन जीवन का मूलाधार है। .

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गणितीय सर्वसमिका

सर्वसमिका ऐसी समता (equality) को कहते हैं जो उसमें निहित (आये हुए) सभी चरों के सभी मानों के लिये सत्य हो। (जबकि, किसी समीकरण के दोनो पक्षों का मान चर राशि के केवल कुछ विशेष मानों के लिये ही समान होता है।) .

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गुणोत्तर माध्य

गणित में गुणोत्तर माध्य (Geometric mean) जो आंकड़ो के किसी समुच्चय की केंद्रीय प्रवृत्ति की ओर इशारा करता है। n संख्याओं का गुणोत्तर माध्य उनके गुणनफल के nवें मूल के बराबर होता है। उदाहरण के लिये १, २, ४ का गुणोत्तर माध्य .

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असमताओं की सूची

इस पृष्ठ पर ऐसी गणितीय असमिकाओं की सूची दी गयी है जिन पर विकिपीडिया पर लेख हैं। .

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असमीकरण

गणित मे असमीकरण दो वस्तुओं के सापेक्ष परिमाण अथवा आकार के बारे मे एक कथन होता है.

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