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प्रारम्भिक बीजगणित

सूची प्रारम्भिक बीजगणित

प्रारम्भिक बीजगणित (Elementary algebra) से आशय उस बीजगणित से है जो उन विद्यार्थियों को सिखाया जाता है जिनको गणित में केवल अंकगणित की कुछ जानकारी हो। बीजगणित एवं अंकगणित में सबसे बड़ा अन्तर यह है कि बीजगणित में अंकों के साथ-साथ चरों (variables) का भी प्रयोग किया जाता है (जैसे क, ख, ग, य, र, ल, a, b, x, y आदि)6 .

9 संबंधों: चर, बीजगणित, समीकरण, सामान्यीकरण, वास्तविक संख्या, गणित, गुणनखण्ड, अंक, अंकगणित

चर

बीजगणित की विशेषता के अनुसार बीजगणित में राशियों की जगह चिह्नों अथवा अक्षरों का प्रयोग किया जाता है जिन का मूल्य पृथक स्थानों पर पृथक होता है, उन्हें 'चर' कहते हैं। उदाहरण: जैसे: * श्रेणी:बीजगणित श्रेणी:कलन श्रेणी:प्राथमिक गणित श्रेणी:वाक्यविन्यास (तर्क).

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बीजगणित

बीजगणित (संस्कृत ग्रन्थ) भी देखें। ---- आर्यभट बीजगणित (algebra) गणित की वह शाखा जिसमें संख्याओं के स्थान पर चिन्हों का प्रयोग किया जाता है। बीजगणित चर तथा अचर राशियों के समीकरण को हल करने तथा चर राशियों के मान निकालने पर आधारित है। बीजगणित के विकास के फलस्वरूप निर्देशांक ज्यामिति व कैलकुलस का विकास हुआ जिससे गणित की उपयोगिता बहुत बढ़ गयी। इससे विज्ञान और तकनीकी के विकास को गति मिली। महान गणितज्ञ भास्कराचार्य द्वितीय ने कहा है - अर्थात् मंदबुद्धि के लोग व्यक्ति गणित (अंकगणित) की सहायता से जो प्रश्न हल नहीं कर पाते हैं, वे प्रश्न अव्यक्त गणित (बीजगणित) की सहायता से हल कर सकते हैं। दूसरे शब्दों में, बीजगणित से अंकगणित की कठिन समस्याओं का हल सरल हो जाता है। बीजगणित से साधारणतः तात्पर्य उस विज्ञान से होता है, जिसमें संख्याओं को अक्षरों द्वारा निरूपित किया जाता है। परंतु संक्रिया चिह्न वही रहते हैं, जिनका प्रयोग अंकगणित में होता है। मान लें कि हमें लिखना है कि किसी आयत का क्षेत्रफल उसकी लंबाई तथा चौड़ाई के गुणनफल के समान होता है तो हम इस तथ्य को निमन प्रकार निरूपित करेंगे— बीजगणिति के आधुनिक संकेतवाद का विकास कुछ शताब्दी पूर्व ही प्रारंभ हुआ है; परंतु समीकरणों के साधन की समस्या बहुत पुरानी है। ईसा से 2000 वर्ष पूर्व लोग अटकल लगाकर समीकरणों को हल करते थे। ईसा से 300 वर्ष पूर्व तक हमारे पूर्वज समीकरणों को शब्दों में लिखने लगे थे और ज्यामिति विधि द्वारा उनके हल ज्ञात कर लेते थे। .

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समीकरण

---- समीकरण (equation) प्रतीकों की सहायता से व्यक्त किया गया एक गणितीय कथन है जो दो वस्तुओं को समान अथवा तुल्य बताता है। यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि आधुनिक गणित में समीकरण सर्वाधिक महत्वपूर्ण विषय है। आधुनिक विज्ञान एवं तकनीकी में विभिन्न घटनाओं (फेनामेना) एवं प्रक्रियाओं का गणितीय मॉडल बनाने में समीकरण ही आधारका काम करने हैं। समीकरण लिखने में समता चिन्ह का प्रयोग किया जाता है। यथा- समीकरण प्राय: दो या दो से अधिक व्यंजकों (expressions) की समानता को दर्शाने के लिये प्रयुक्त होते हैं। किसी समीकरण में एक या एक से अधिक चर राशि (यां) (variables) होती हैं। चर राशि के जिस मान के लिये समीकरण के दोनो पक्ष बराबर हो जाते हैं, वह/वे मान समीकरण का हल या समीकरण का मूल (roots of the equation) कहलाता/कहलाते है। ऐसा समीकरण जो चर राशि के सभी मानों के लिये संतुष्ट होता है, उसे सर्वसमिका (identity) कहते हैं। जैसे - एक सर्वसमिका है। जबकि एक समीकरण है जिसका मूल हैं x.

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सामान्यीकरण

सामान्यीकरण अथवा व्यापकीकरण शब्द के आगमनात्मक संवेद में अवधारणा अथवा कम-विशिष्टता वाली कसौटी की अवधारणा का विस्तार है। .

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वास्तविक संख्या

गणित में, वास्तविक संख्या सरल रेखा के अनुदिश किसी राशी को प्रस्तुत करने वाला मान है। वास्तविक संख्याओं में सभी परिमेय संख्यायें जैसे -5 एवं भिन्नात्मक संख्यायें जैसे 4/3 और सभी अपरिमेय संख्यायें जैसे √2 (1.41421356…, 2 का वर्गमूल, एक अप्रिमेय बीजीय संख्या) शामिल हैं। वास्तविक संख्याओं में अप्रिमेय संख्याओं को शामिल करने से इन्हें वास्तविक संख्या रेखा के रूप में एक रेखा पर निरुपित किये जा सकने वाले अनन्त बिन्दुओं से प्रस्तुत किया जा सकता है। श्रेणी:गणित *.

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गणित

पुणे में आर्यभट की मूर्ति ४७६-५५० गणित ऐसी विद्याओं का समूह है जो संख्याओं, मात्राओं, परिमाणों, रूपों और उनके आपसी रिश्तों, गुण, स्वभाव इत्यादि का अध्ययन करती हैं। गणित एक अमूर्त या निराकार (abstract) और निगमनात्मक प्रणाली है। गणित की कई शाखाएँ हैं: अंकगणित, रेखागणित, त्रिकोणमिति, सांख्यिकी, बीजगणित, कलन, इत्यादि। गणित में अभ्यस्त व्यक्ति या खोज करने वाले वैज्ञानिक को गणितज्ञ कहते हैं। बीसवीं शताब्दी के प्रख्यात ब्रिटिश गणितज्ञ और दार्शनिक बर्टेंड रसेल के अनुसार ‘‘गणित को एक ऐसे विषय के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जिसमें हम जानते ही नहीं कि हम क्या कह रहे हैं, न ही हमें यह पता होता है कि जो हम कह रहे हैं वह सत्य भी है या नहीं।’’ गणित कुछ अमूर्त धारणाओं एवं नियमों का संकलन मात्र ही नहीं है, बल्कि दैनंदिन जीवन का मूलाधार है। .

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गुणनखण्ड

किसी वस्तु (जैसे - संख्या, बहुपद या मैट्रिक्स) को अन्य वस्तुओं के गुणनफल (product) के रूप में तोडने की क्रिया को गणित में गुणनखण्ड (factorization या factorisation) कहते हैं। किसी वस्तु के गुणनखण्डों को परस्पर गुणा करने पर वह मूल वस्तु पुनः प्राप्त हो जाती है। उदाहरण के लिये: १५ .

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अंक

हिन्दू-अरबी अंक पद्धति; प्रथम सहस्राब्दी ईसापूर्व के अशोक के शिलालेखों पर इन अंकों का प्रयोग देखने को मिलता है। अंक ऐसे चिह्न हैं जो संख्याओं लिखने के काम आते हैं। दासमिक पद्धति में शून्य से लेकर नौ तक (० से ९ तक) कुल दस अंक प्रयोग किये जाते हैं। इसी प्रकार षोडसी पद्धति (hexadecimal system) में शून्य से लेकर ९ तक एवं A से लेकर F कुल १६ अंक प्रयुक्त होते हैं। द्विक पद्धति में केवल ० और् १ से ही सारी संख्याएं अभिव्यक्त की जातीं हैं। हिन्दी भाषा में अंकों एवं बड़ी संख्याओं का उच्चारण नीचे दिया गया है।.

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अंकगणित

पुणे में आर्यभट की मूर्ति ४७६-५५० अंकगणित (ग्रीक मेंΑριθμητική, जर्मन मेंArithmetik, अंग्रेजी मेंArithmetic) गणित की तीन बड़ी शाखाओं में से एक है। अंकों तथा संख्याओं की गणनाओं से सम्बंधित गणित की शाखा को अंकगणित कहा जाता हैं। यह गणित की मौलिक शाखा है तथा इसी से गणित की प्रारम्भिक शिक्षा का आरम्भ होता है। प्रत्येक मनुष्य अपने दैनिक जीवन में प्रायः अंकगणित का उपयोग करता है। अंकगणित के अन्तर्गत जोड़, घटाना, गुणा, भाग, भिन्न, दशमलव आदि प्रक्रियाएँ आती हैं। .

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