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शनि के प्राकृतिक उपग्रह

सूची शनि के प्राकृतिक उपग्रह

छल्ले और उसके कुछ मुख्य उपग्रह (चित्रकार द्वारा बनाया गया चित्र) शनि के कुछ मुख्य उपग्रह: टाइटन बीच का बड़ा नारंगी गोला है जिसके ऊपर बाक़ी चन्द्रमा दर्शाए गए हैं हमारे सौर मण्डल के छठे ग्रह शनि के बहुत से भिन्न-भिन्न प्रकार के उपग्रह हैं, जिनमें १ कि॰मी॰ से भी कम आकार के नन्हे चाँद और भयंकर आकार वाला टाइटन (जो बुध ग्रह से भी बड़ा है) शामिल हैं। शनि के छल्लों में लाखों वस्तुएँ शनि की परिक्रमा कर रहीं हैं - लेकिन इनमें से बहुत तो छोटे-छोटे पत्थर या धुल के कण ही हैं। कुल मिलकर, सन् २०१० तक, शनि के ६२ ज्ञात उपग्रह थे जिनकी परिक्रमा की कक्षाएँ परखी जा चुकी थीं। इनमें से केवल १३ का व्यास (डायामीटर) ५० किमी से अधिक था और इनमें से ५३ का नामकरण किया जा चुका था। शनि के सात चन्द्रमा इतने बड़े हैं के वे अपने गुरुत्वाकर्षण की खींच से स्वयं को पूरा गोल आकार का कर पाएँ हैं। इन सारे चंद्रमाओं में से दो वैज्ञानिकों की लिए विशेष दिलचस्पी रखते हैं: टाइटन, जो सौरमंडल का दूसरा सब से बड़ा उपग्रह है और जिसपर पृथ्वी की तरह नाइट्रोजन गैस से भरपूर पृथ्वी से भी घना वायुमंडल है और ऍनसॅलअडस, जिसपर गैस और धुल के फव्वारे हैं और जिसके दक्षिणी ध्रुव की सतह के नीचे पानी का बड़ा जलाशय होने की सम्भावना है। .

52 संबंधों: चन्द्रमा, टार्वोस (चंद्रमा), टाइटन (चंद्रमा), टेलेस्टो (चंद्रमा), टॅथिस (उपग्रह), ऍनसॅलअडस (उपग्रह), एटलस (चंद्रमा), एपिमेथियस (चंद्रमा), एरियपस (चंद्रमा), एंथे (चंद्रमा), ऐजराक (चंद्रमा), डाफनिस (चंद्रमा), डायोनी (उपग्रह), तार्केक (चंद्रमा), द्रव्यमान, नन्हा चाँद, नाइट्रोजन, पान (चंद्रमा), पालिन (चंद्रमा), पालियाक (चंद्रमा), प्राकृतिक उपग्रह, प्रोमेथियस (चंद्रमा), पैंडोरा (चंद्रमा), पॉलीड्युसस (चंद्रमा), फोबे (चंद्रमा), बुध (ग्रह), माइमस (उपग्रह), मिथोन (चंद्रमा), रिया (उपग्रह), शनि (ग्रह), शनि के छल्ले, स्कॉल (चंद्रमा), सौर मण्डल, हिपेरायन (चंद्रमा), हेलेन (चंद्रमा), हीरोकीन (चंद्रमा), जानूस (चंद्रमा), जार्नसेक्सा (चंद्रमा), गुरुत्वाकर्षण, ग्रह, ग्रेइप (चंद्रमा), आऐपिटस (उपग्रह), इगेओन (चंद्रमा), किलोग्राम, किवियक (चंद्रमा), कक्षा (भौतिकी), कक्षीय विकेन्द्रता, केलिप्सो (चंद्रमा), अर्ध दीर्घ अक्ष, अल्बियोरिक्स (चंद्रमा), ..., उपग्रह, उपग्रही छल्ला सूचकांक विस्तार (2 अधिक) »

चन्द्रमा

कोई विवरण नहीं।

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टार्वोस (चंद्रमा)

टार्वोस (Tarvos), या सेटर्न XXI, शनि का एक प्रतिगामी अनियमित उपग्रह है। इसकी खोज जॉन जे कावेलार्स द्वारा 23 सितंबर 2000 हुई और अस्थायी पदनाम S/2000 S 4 दिया गया था। इसे टार्वोस नाम अगस्त, 2003 में दिया गया था। टार्वोस 1.8 किमी की दूरी से शनि की परिक्रमा 926 दिवसो में करता है और व्यास में करीब 15 किमी है (0.04 माना हुआ एल्बीडो)। शनि के ईर्दगिर्द इसकी कक्षा सर्वाधिक विकेन्द्रित है। यह अनियमित उपग्रहों के गैलिक समूह का सदस्य है। .

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टाइटन (चंद्रमा)

टाइटन (या Τῑτάν), या शनि शष्टम, शनि ग्रह का सबसे बड़ा चंद्रमा है। यह वातावरण सहित एकमात्र ज्ञातचंद्रमा है, और पृथ्वी के अलावा एकमात्र ऐसा खगोलीय पिंड है जिसके सतही तरल स्थानों, जैसे नहरों, सागरों आदि के ठोस प्रमाण उपलब्ध हों। यूरोपीय-अमेरिकी के कासीनी अंतरिक्ष यान के साथ गया उसका अवतरण यान हायगन्स, १६ जनवरी २००४ को, टाइटन के धरातल पर उतरा जहां उसने भूरे-नारंगी रंग में रंगे टाईटन के नदियों-पहाडों और झीलों-तालाबों वाले जो चित्र भेजे। टाइटन के बहुत ही घने वायुमंडल के कारण इससे पहले उसकी ऊपरी सतह को देख या उसके चित्र ले पाना संभव ही नहीं था। २००८ अगस्त के मध्य में ब्राज़ील की राजधानी रियो दी जनेरो में अंतरराष्ट्रीय खगोल विज्ञान संघ के सम्मेलन में ऐसे चित्र दिखाये गये और दो ऐसे शोधपत्र प्रस्तुत किये गये, जिनसे पृथ्वी के साथ टाइटन की समानता स्पष्ट होती है। ये चित्र और अध्ययन भी मुख्यतः कासीनी और होयगन्स से मिले आंकड़ों पर ही आधारित थे। .

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टेलेस्टो (चंद्रमा)

टेलेस्टो (Telesto) (Τελεστώ), शनि का एक छोटा सा प्राकृतिक उपग्रह है। यह 1980 मे स्मिथ, रिएटसीमा, लार्सन और फाउंटेन द्वारा भूआधारित प्रेक्षणों से खोजा गया तथा पदनाम से नवाजा गया था। बाद के महीनों में, कई अन्य छद्मवेषी प्रेक्षित हुए यथा:,, और.

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टॅथिस (उपग्रह)

इथाका नाम की महान और लम्बी घाटी नज़र आ रही है कैसीनी यान द्वारा २४ दिसम्बर २००५ को ली गयी इस तस्वीर में ४५० किमी व्यास का ओडेसियस नामक प्रहार क्रेटर नज़र आ रहा है १९८१ में वॉयेजर द्वितीय यान द्वारा ली गयी टॅथिस की तस्वीर टॅथिस हमारे सौर मण्डल के छठे ग्रह शनि का पाँचवा सब से बड़ा उपग्रह है। पूरे सौर मण्डल में यह १६वा सब से बड़ा उपग्रह है और अपने से छोटे सारे उपग्रहों के मिले हुए द्रव्यमान से बड़ा है। यह लगभग सारा-का-सारा ही पानी की बर्फ़ का बना है और इसमें मुश्किल से ६% भाग पत्थरीला है। इसका पक्का अनुमान नहीं लगाया जा पाया है के टॅथिस में पत्थर और बर्फ़ की अलग तहें हैं या पत्थर बर्फ़ में ही मिला हुआ है, लेकिन वैज्ञानिकों को यह ज्ञात हो गया है के अगर इसके केंद्र में पत्थर का एक अलग गोला है तो उस गोले का व्यास २९० किमी या उसे से कम ही होगा। टॅथिस पर उल्कापिंडों के बनाए हुए कई सरे प्रहार क्रेटर हैं। इसकी सतह पर बर्फ़ की बनी हुई पहाड़ियाँ और घाटियाँ देखी जा सकती हैं। उपग्रह के एक भाग में एक समतल मैदान भी देखा गया है। जिस दिशा में टॅथिस शनि की परिक्रमा कर रहा है उस तरफ के रुख़ पर एक ओडेसियस नाम का बड़ा क्रेटर है जिसका व्यास लगभग ४५० किमी है। ओडेसियस के बीच में एक २-४ किमी गहरा गड्ढा है जिसके इर्द-गिर्द ६-९ किमी लम्बी दीवारें हैं। टॅथिस की ज़मीन पर एक और बड़ी आकृति इथाका घाटी की है जो १०० किमी चौड़ी और ३ किमी गहरी है और पूरे चाँद के तीन-चौथाई हिस्से में २,००० किमी तक चलती है। टॅथिस की सतह का तापमान -१८७ डिग्री सेंटीग्रेड है। टॅथिस का व्यास (डायामीटर) लगभग १,०६६ किमी है। तुलना के लिए पृथ्वी के चन्द्रमा का व्यास लगभग ३,४७० किमी है, यानि टॅथिस से क़रीब तिगुना। .

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ऍनसॅलअडस (उपग्रह)

२६ अगस्त १९८१ को वॉयेजर द्वितीय यान द्वारा ली गयी ऍनसॅलअडस की तस्वीर ऍनसॅलअडस के दक्षिणी ध्रुव के पास के "शेर धारियाँ" क्षेत्र में पानी और बर्फ़ उगलते हुए ऊंचे फुव्वारे ऍनसॅलअडस के दक्षिणी ध्रुव के पास की "शेर धारियाँ" इस तस्वीर में साफ़ नज़र आ रही हैं ऍनसॅलअडस हमारे सौर मण्डल के छठे ग्रह शनि का छठा सब से बड़ा उपग्रह है। ऍनसॅलअडस आकार में बहुत छोटा है - इसका व्यास (डायामीटर) केवल ४०० किमी है, जो शनि के सब से बड़े चद्रमा, टाइटन, का सिर्फ़ दसवाँ है। इस छोटे आकार के बावजूद इसकी सतह पर टीले-खाइयों से लेकर उल्कापिंडों के प्रहार से बने हुए गड्ढों तक तरह-तरह की चीजें देखी जाती हैं। ऍनसॅलअडस की सतह पर अधिकतर पानी की बर्फ़ की एक मोटी तह फैली हुई है। इस बर्फ़ीली सतह की वजह से ऍनसॅलअडस का ऐल्बीडो (सफ़ेदपन या चमकीलापन) १.३८ है, जो सौर मण्डल की किसी भी अन्य ज्ञात वस्तु से अधिक है। अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ ने इस उपग्रह की सतह पर मौजूद बहुत से आकारों के नाम आलिफ़ लैला की कहानियों के पात्रों पर रखे हैं, जैसे की समरक़न्द खाइयाँ, अलादीन गड्ढा, सरान्दीब मैदान, वग़ैराह। .

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एटलस (चंद्रमा)

एटलस (Atlas), शनि का एक आतंरिक उपग्रह है। यह 1980 (12 नवम्बर से पहले किसी समय) में वॉयेजर से मिली छवियों से रिचर्ड टेराइल द्वारा खोजा गया तथा से पदनामित हुआ। यह 1983 में अधिकारिक तौर पर ग्रीक पौराणिक पात्र एटलस पर नामित हुआ था क्योंकि यह छल्लों को अपने कंधो पर ठीक वैसे ही थाम कर रखता है जिस तरह एटलस पृथ्वी को आकाश में उठाकर रखता है। यह सेटर्न XV तौर पर भी नामित है। .

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एपिमेथियस (चंद्रमा)

एपिमेथियस (Epimetheus), शनि का एक आतंरिक उपग्रह है। यह सेटर्न XI तौर पर भी जाना जाता है। यह पौराणिक पात्र एपिमेथियस पर नामित हुआ है जो कि प्रोमेथियस का भाई है। .

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एरियपस (चंद्रमा)

एरियपस (Erriapus) (यूनानी: Erriapus, Erriappus), या सेटर्न;XXVIII, शनि का एक प्रतिगामी अनियमित उपग्रह है। It was discovered by Brett Gladman, John J. Kavelaars, et al.

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एंथे (चंद्रमा)

एंथे (Anthe) (यूनानी: Άνθη), शनि का एक प्राकृतिक उपग्रह है। यह माइमस और ऍनसॅलअडस की कक्षाओं के बीच स्थित है। यह सेटर्न XLIX तौर पर भी नामित है। इसका अस्थायी पदनाम S/2007 S 4 है। 30 मई 2007 को एंथे की ली गई तस्वीरों से इसे कैसिनी इमेजिंग टीम द्वारा खोजा गया। यह कभी जून 2004 से चले आ रहे विश्लेषण मे कैसिनी की तस्वीरों से उजागर हुआ था। इसकी घोषणा सर्वप्रथम 18 जुलाई 2007 को की गई थी। .

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ऐजराक (चंद्रमा)

ऐजराक (Ijiraq), या सेटर्न XXII (22), शनि का छोटा प्रतिगामी अनियमित उपग्रह है। इसकी खोज ब्रेट जे. ग्लैडमेन, जॉन जे. कावेलार्स के दल द्वारा 2000 में हुई थी और उसे अस्थायी पदनाम दिया था। यह 2003 में इनुइट पौराणिक कथाओं के एक जीव ऐजराक पर नामित हुआ था। August 8, 2003 (naming the moon) .

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डाफनिस (चंद्रमा)

डाफनिस (Daphnis) (Δάφνις), शनि का एक आतंरिक उपग्रह है। यह सेटर्न XXXV रूप में भी जाना जाता है। इसका अस्थायी पदनाम था। May 6, 2005 (discovery) डाफनिस व्यास में करीबन 8 किमी है और अपने ग्रह की परिक्रमा A रिंग में किलर अंतराल के भीतर रहकर करता है। .

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डायोनी (उपग्रह)

कैसिनी द्वारा ली गयी डायोनी की तस्वीर जिसमें गाढ़े रंग वाला क्षेत्र भी नज़र आ रहा है इस चित्र में डायोनी के एक रुख़ पर बर्फ़ की चट्टानों के महीन बिछे हुए जले नज़र आ रहे हैं शनि के छल्लों के आगे डायोनी का एक दृश्य डायोनी हमारे सौर मण्डल के छठे ग्रह शनि का चौथा सब से बड़ा उपग्रह है। पूरे सौर मण्डल में यह १५वा सब से बड़ा उपग्रह है और अपने से छोटे सारे उपग्रहों के मिले हुए द्रव्यमान से बड़ा है। वैसे तो यह अधिकतर पानी की बर्फ़ का बना है, लेकिन टाइटन और ऍनसॅलअडस के बाद शनि का तीसरा सब से घनत्व वाला उपग्रह है, जिस से यह अनुमान लगाया जाता है के इसकी बनवात में आधे से थोड़ा कम (४६%) हिस्सा पत्थरीला है। जिस दिशा में यह परिक्रमा करता है, उस तरफ के रुख़ पर उल्कापिंडों के टकराव से बाने गए काफ़ी प्रहार क्रेटर हैं, जबकि दूसरे रुख़ पर चमकती हुई बर्फ़ की चट्टानों के जले बिछे हुए हैं। डायोनी का व्यास (डायामीटर) लगभग १,१२२ किमी है। तुलना के लिए पृथ्वी के चन्द्रमा का व्यास लगभग ३,४७० किमी है, यानि क़रीब डायोनी से तिगुना। .

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तार्केक (चंद्रमा)

तार्केक (Tarqeq), जो सेटर्न LII (अस्थायी पदनाम S/2007 S 1) के रूप में भी जाना जाता है, शनि का एक प्राकृतिक उपग्रह है। इसकी खोज की घोषणा 5 जनवरी 2006 और 22 मार्च 2007 के मध्य लिए गए प्रेक्षणों के आधार पर, 13 अप्रैल 2007 को स्कॉट एस शेपर्ड, डेविड सी. जेविट, जान क्लेयना और ब्रायन जी मार्सडेन द्वारा हुई थी। April 13, 2007 (discovery, prediscovery and ephemeris) May 11, 2007 (discovery) यह इनुइट चंद्र देवता तार्केक पर नामित हुआ है, September 20, 2007 (naming) और अनियमित उपग्रहों के इनुइट समूह का एक सदस्य है। व्यास मे यह करीब सात किलोमीटर है। तार्केक की कक्षा 0.1081 की विकेन्द्रता के साथ 49.90° (क्रांतिवृत्त से; 49.77° शनि के विषुववृत्त से) के झुकाव पर स्थित है, और अर्ध्य-मुख्य अक्ष 17.9106 गीगामीटर है। इसकी कक्षीय अवधि 894.86 दिवसों की है। .

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द्रव्यमान

द्रव्यमान किसी पदार्थ का वह मूल गुण है, जो उस पदार्थ के त्वरण का विरोध करता है। सरल भाषा में द्रव्यमान से हमें किसी वस्तु का वज़न और गुरुत्वाकर्षण के प्रति उसके आकर्षण या शक्ति का पता चलता है। श्रेणी:भौतिकी श्रेणी:भौतिक शब्दावली *.

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नन्हा चाँद

शनि के एक उपग्रही छल्ले (उपग्रही छल्ला ए) में मौजूद एक ४०० मीटर का "एअरहार्ट" नाम का नन्हा चाँद खगोलशास्त्र में नन्हा चाँद (अंग्रेज़ी: moonlet, मूनलॅट) किसी बहुत ही छोटे प्राकृतिक उपग्रह को अनौपचारिक रूप से बुलाया जाता है। इस नाम का प्रयोग ख़ासकर दो जगहों पर अधिक होता है -.

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नाइट्रोजन

नाइट्रोजन (Nitrogen), भूयाति या नत्रजन एक रासायनिक तत्व है जिसका प्रतीक N है। इसका परमाणु क्रमांक 7 है। सामान्य ताप और दाब पर यह गैस है तथा पृथ्वी के वायुमण्डल का लगभग 78% नाइट्रोजन ही है। यह सर्वाधिक मात्रा में तत्व के रूप में उपलब्ब्ध पदार्थ भी है। यह एक रंगहीन, गंधहीन, स्वादहीन और प्रायः अक्रिय गैस है। इसकी खोज 1772 में स्कॉटलैण्ड के वैज्ञनिक डेनियल रदरफोर्ड ने की थी। आवर्त सारणी के १५ वें समूह का प्रथम तत्व है। नाइट्रोजन का रसायन अत्यंत मनोरंजक विषय है, क्योंकि समस्त जैव पदार्थों में इस तत्व का आवश्यक स्थान है। इसके दो स्थायी समस्थानिक, द्रव्यमान संख्या 14, 15 ज्ञात हैं तथा तीन अस्थायी समस्थानिक (द्रव्यमान संख्या 13, 16, 17) भी बनाए गए हैं। नाइट्रोजन तत्व की पहचान सर्वप्रथम 1772 ई. में रदरफोर्ड और शेले ने स्वतंत्र रूप से की। शेले ने उसी वर्ष यह स्थापित किया कि वायु में मुख्यत: दो गैसें उपस्थित हैं, जिसमें एक सक्रिय तथा दूसरी निष्क्रिय है। तभी प्रसिद्ध फ्रांसीसी वैज्ञानिक लाव्वाज़्ये ने नाइट्रोजन गैस को ऑक्सीजन (सक्रिय अंश) से अलग कर इसका नाम 'ऐजोट' रखा। 1790 में शाप्टाल (Chaptal) ने इसे नाइट्रोजन नाम दिया। .

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पान (चंद्रमा)

पान (Pan) (Πάν), शनि का एक अंतरतम चंद्रमा है। 35 किलोमीटर लम्बा और 23 किमी ऊँचाई वाला यह अखरोट के आकार का एक छोटा चंद्रमा है; जो कि शनि के A रिंग में एंके अंतराल के भीतर परिक्रमा करता है। पान एक चरवाहे के रूप में कार्य करता है और एंके अंतराल को कणों से मुक्त रखने के लिए उत्तरदायी है। इसकी खोज 1990 में मार्क आर. शोवाल्टर द्वारा वॉयेजर 2 यान की पुरानी तस्वीरों के विश्लेषण से हुई थी। तब इसे अपना अस्थाई पदनाम मिला था क्योंकि तस्वीरों से इसकी खोज 1981 से चली आ रही थी। July 16, 1990 (discovery) .

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पालिन (चंद्रमा)

पालिन (Pallene) (यूनानी: Παλλήνη),शनि का एक छोटा सा प्राकृतिक उपग्रह है। यह माइमस और ऍनसॅलअडस की कक्षाओं के बीच स्थित है। यह सेटर्न XXXIII तौर पर भी नामित है। .

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पालियाक (चंद्रमा)

पालियाक (Paaliaq), शनि का एक प्रतिगामी अनियमित उपग्रह है। इसकी खोज ब्रेट जे ग्लैडमेन, जॉन जे कावेलार्स, जीन मार्क पेटिट,हैंस स्कॉल, मैथ्यू जे होल्मन, ब्रायन जी मार्सडेन, फिलिप डी. निकोल्सन और जोसेफ ए बर्न्स द्वारा अक्टूबर 2000 के उत्तरार्ध में हुई थी। उन्होने इसे S/2000 S 2 अस्थायी पदनाम दिया था। .

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प्राकृतिक उपग्रह

टाइटन) इतना बड़ा है के उसका अपना वायु मण्डल है - आकारों की तुलना के लिए पृथ्वी भी दिखाई गई है प्राकृतिक उपग्रह या चन्द्रमा ऐसी खगोलीय वस्तु को कहा जाता है जो किसी ग्रह, क्षुद्रग्रह या अन्य वस्तु के इर्द-गिर्द परिक्रमा करता हो। जुलाई २००९ तक हमारे सौर मण्डल में ३३६ वस्तुओं को इस श्रेणी में पाया गया था, जिसमें से १६८ ग्रहों की, ६ बौने ग्रहों की, १०४ क्षुद्रग्रहों की और ५८ वरुण (नॅप्ट्यून) से आगे पाई जाने वाली बड़ी वस्तुओं की परिक्रमा कर रहे थे। क़रीब १५० अतिरिक्त वस्तुएँ शनि के उपग्रही छल्लों में भी देखी गई हैं लेकिन यह ठीक से अंदाज़ा नहीं लग पाया है के वे शनि की उपग्रहों की तरह परिक्रमा कर रही हैं या नहीं। हमारे सौर मण्डल से बाहर मिले ग्रहों के इर्द-गिर्द अभी कोई उपग्रह नहीं मिला है लेकिन वैज्ञानिकों का विशवास है के ऐसे उपग्रह भी बड़ी संख्या में ज़रूर मौजूद होंगे। जो उपग्रह बड़े होते हैं वे अपने अधिक गुरुत्वाकर्षण की वजह से अन्दर खिचकर गोल अकार के हो जाते हैं, जबकि छोटे चन्द्रमा टेढ़े-मेढ़े भी होते हैं (जैसे मंगल के उपग्रह - फ़ोबस और डाइमस)। .

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प्रोमेथियस (चंद्रमा)

प्रोमेथियस (Prometheus) (यूनानी: Προμηθεύς), शनि का एक आतंरिक उपग्रह है। इसकी खोज वॉयेजर 1 द्वारा ली गई तस्वीरों से 1980 में हुई थी, साथ ही तब अस्थायी तौर पर S/1980 S 27 से पदनामित हुआ था। 1985 के उत्तरार्ध में यह आधिकारिक तौर पर ग्रीक पौराणिक पात्र प्रोमेथियस पर नामित हुआ था। यह सेटर्न XVI तौर पर भी नामित है। यह छोटा चांद अत्यंत लम्बा है, इसकी माप 136 x 79 x 59 किमी है। इस पर अनेकों मेड़े और घाटियां तथा करीब 20 किमी व्यास वाले अनेकानेक प्रहार क्रेटर दृश्यमान है, पर यह समीपवर्ती पैंडोरा, एपिमेथियस और जानूस से कम क्रेटर युक्त है। इसके अति निम्न घनत्व और अपेक्षाकृत उच्च धबलता से लगता है कि प्रोमेथियस एक अति छिद्रित पिंड है। इन मायनों में अनिश्चितता बहुत ज्यादा है, तथापि, इनकी पुष्टि होना बाकी है। .

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पैंडोरा (चंद्रमा)

पैंडोरा (Pandora) (Πανδώρα), शनि का एक आतंरिक उपग्रह है। इसकी खोज वॉयेजर 1 द्वारा ली गई तस्वीरों से 1980 में हुई थी, साथ ही तब अस्थायी तौर पर S/1980 S 26 से पदनामित हुआ था। 1985 के उत्तरार्ध में यह आधिकारिक तौर पर ग्रीक पौराणिक पात्र पैंडोरा पर नामित हुआ था। यह सेटर्न XVII तौर पर भी नामित है। पैंडोरा एफ रिंगEn का एक बाह्य सेफर्ड उपग्रहEn है। यह निकटवर्ती प्रोमेथियस की तुलना में अधिक भारी निर्मित हुआ है, तथा इसके पास 30 किलोमीटर (19 मील) व्यास के कम से कम दो बड़े खड्ड है। मलबे से भरे होने के कारण पैंडोरा पर अधिकांश खड्ड उथले हैं। इस उपग्रह के भूपृष्ठ पर मेड़ व नालियां भी मौजूद है। प्रोमेथियस के साथ चार 118:121 के माध्य गति अनुनादों की एक श्रृंखला के परिणामस्वरूप पैंडोरा की कक्षा अस्तव्यस्त प्रतीत होती है। उनकी कक्षाओं में सबसे बड़ा परिवर्तन तकरीबन हर 6.2 वर्षों में पाया जाता है, जब पैंडोरा का उपशनिच्चर प्रोमेथियस के अपशनिच्चर के सीध में होता है और दोनों की आपसी पहुँच 1,400-किलोमीटर (870 मील) के भीतर होती है। पैंडोरा का माइमस के साथ भी एक 3:2 का माध्य गति अनुनाद है। इसके अति निम्न घनत्व और अपेक्षाकृत उच्च धबलता से लगता है कि पैंडोरा एक अति छिद्रित पिंड है। इन मायनों में अनिश्चितता बहुत ज्यादा है, तथापि, इनकी पुष्टि होना बाकी है। .

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पॉलीड्युसस (चंद्रमा)

पॉलीड्युसस (Polydeuces) (Πολυδεύκης) या सेटर्न XXXIV(34), शनि का एक छोटा प्राकृतिक उपग्रह है जिसका डायोनी चंद्रमा के साथ सह-कक्षीय है तथा लाग्रंगियन बिंदु L5 के आसपास से इसका अनुगमन करता है। इसका व्यास 2–3 किमी होना अनुमानित है। डायोनी का एक अन्य सह-कक्षीय हेलेन है जो कि बडा है और अग्रणी L4 बिंदु पर स्थित है। .

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फोबे (चंद्रमा)

फोबे (Phoebe) (यूनानी: Φοίβη), शनि का एक अनियमित उपग्रह है। इसे कुइपर बेल्ट से हथियाया हुआ एक ग्रहाणु माना गया है। इसकी खोज 17 मार्च 1899 को विलियम हेनरी पिकरिंग ने फोटोग्राफिक प्लेट से की, जिसके खींचने की शुरुआत 16 अगस्त 1898 को डीलाइसल स्टीवर्ट द्वारा आरक्विपा, पेरू के नजदीक की बोडेन वेधशाला से की गई थी। फ़ोटोग्राफ़ी के माध्यम से खोजा गया यह पहला उपग्रह था। .

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बुध (ग्रह)

बुध (Mercury), सौरमंडल के आठ ग्रहों में सबसे छोटा और सूर्य से निकटतम है। इसका परिक्रमण काल लगभग 88 दिन है। पृथ्वी से देखने पर, यह अपनी कक्षा के ईर्दगिर्द 116 दिवसो में घूमता नजर आता है जो कि ग्रहों में सबसे तेज है। गर्मी बनाए रखने के लिहाज से इसका वायुमंडल चुंकि करीब करीब नगण्य है, बुध का भूपटल सभी ग्रहों की तुलना में तापमान का सर्वाधिक उतार-चढाव महसूस करता है, जो कि 100 K (−173 °C; −280 °F) रात्रि से लेकर भूमध्य रेखीय क्षेत्रों में दिन के समय 700 K (427 °C; 800 °F) तक है। वहीं ध्रुवों के तापमान स्थायी रूप से 180 K (−93 °C; −136 °F) के नीचे है। बुध के अक्ष का झुकाव सौरमंडल के अन्य किसी भी ग्रह से सबसे कम है (एक डीग्री का करीब), परंतु कक्षीय विकेन्द्रता सर्वाधिक है। बुध ग्रह पर की तुलना में सूर्य से करीब 1.5 गुना ज्यादा दूर होता है। बुध की धरती क्रेटरों से अटी पडी है तथा बिलकुल हमारे चन्द्रमा जैसी नजर आती है, जो इंगित करता है कि यह भूवैज्ञानिक रूप से अरबो वर्षों तक मृतप्राय रहा है। बुध को पृथ्वी जैसे अन्य ग्रहों के समान मौसमों का कोई भी अनुभव नहीं है। यह जकडा हुआ है इसलिए इसके घूर्णन की राह सौरमंडल में अद्वितीय है। किसी स्थिर खडे सितारे के सापेक्ष देखने पर, यह हर दो कक्षीय प्रदक्षिणा के दरम्यान अपनी धूरी के ईर्दगिर्द ठीक तीन बार घूम लेता है। सूर्य की ओर से, किसी ऐसे फ्रेम ऑफ रिफरेंस में जो कक्षीय गति से घूमता है, देखने पर यह हरेक दो बुध वर्षों में मात्र एक बार घूमता नजर आता है। इस कारण बुध ग्रह पर कोई पर्यवेक्षक एक दिवस हरेक दो वर्षों का देखेगा। बुध की कक्षा चुंकि पृथ्वी की कक्षा (शुक्र के भी) के भीतर स्थित है, यह पृथ्वी के आसमान में सुबह में या शाम को दिखाई दे सकता है, परंतु अर्धरात्रि को नहीं। पृथ्वी के सापेक्ष अपनी कक्षा पर सफर करते हुए यह शुक्र और हमारे चन्द्रमा की तरह कलाओं के सभी रुपों का प्रदर्शन करता है। हालांकि बुध ग्रह बहुत उज्जवल वस्तु जैसा दिख सकता है जब इसे पृथ्वी से देख जाए, सूर्य से इसकी निकटता शुक्र की तुलना में इसे देखना और अधिक कठिन बनाता है। .

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माइमस (उपग्रह)

कैसिनी द्वारा फरवरी २०१० में ली गयी माइमस की तस्वीर जिसमें हरशॅल क्रेटर नज़र आ रहा है माइमस का नक़्शा छल्लों के ऍफ़ छल्ले के पीछे माइमस माइमस हमारे सौर मण्डल के छठे ग्रह शनि का सातवा सब से बड़ा उपग्रह है। पूरे सौर मण्डल में यह बीसवा सब से बड़ा उपग्रह है। माइमस सब से छोटी ज्ञात खगोलीय वस्तु है जो अपने गुरुत्वाकर्षण के खींचाव से स्वयं को गोल कर चुकी है। माइमस का व्यास (डायामीटर) ३९६ किमी है। .

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मिथोन (चंद्रमा)

मिथोन (Methone) (यूनानी: Μεθώνη), शनि का एक छोटा सा प्राकृतिक उपग्रह है। यह माइमस और ऍनसॅलअडस की कक्षाओं के बीच स्थित है। मिथोन को सर्वप्रथम कैसिनी इमेजिंग टीम द्वारा देखा गया तथा अस्थायी पदनाम दिया गया। यह सेटर्न XXXII तौर पर भी नामित है। कैसिनी अंतरिक्ष यान ने मिथोन की दो यात्राएँ की है और उसकी इससे निकटतम पहुँच 20 मई 2012 को 1900 किमी (1,181 मील) बनी थी। मिथोन नाम 21 जनवरी 2005 को आईएयू के ग्रहीय प्रणाली नामकरण पर कार्यकारी समूह द्वारा अनुमोदित हुआ था। इसकी 2006 में आईएयू महासभा में पुष्टि हुई थी। .

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रिया (उपग्रह)

कैसीनी अंतरिक्ष यान द्वारा ली गयी रिया की तस्वीर पृथ्वी (दाएँ), हमारे चन्द्रमा (ऊपर बाएँ) और रिया (नीचे बाएँ) के आकारों की तुलना रिया हमारे सौर मण्डल के छठे ग्रह शनि का दूसरा सब से बड़ा उपग्रह है। रिया सौर मण्डल के सारे उपग्रहों में से नौवा सब से बड़ा उपग्रह है। इसकी खोज १६७२ में इटली के खगोलशास्त्री जिओवान्नी कैसीनी ने की थी। रिया के घनत्व को देखते हुए वैज्ञानिकों का अनुमान है के यह २५% पत्थर और ७५% पानी की बर्फ़ का बना हुआ है। इस उपग्रह का तापमान धूप पर निर्भर करता है। जहाँ धूप पड़ रही हो वहाँ इसका तापमान -१७४ डिग्री सेंटीग्रेड (९९ कैल्विन) है और जहाँ अँधेरा हो वहाँ यह गिरकर -२२० डिग्री सेंटीग्रेड (५३ कैल्विन) चला जाता है। इसकी सतह पर अंतरिक्ष से गिरे हुए उल्कापिंडों की वजह से बहुत से गढ्ढे हैं, जिनमें से दो तो बहुत ही बड़े हैं और ४०० से ५०० किमी का व्यास (डायामीटर) रखते हैं। .

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शनि (ग्रह)

शनि (Saturn), सूर्य से छठां ग्रह है तथा बृहस्पति के बाद सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह हैं। औसत व्यास में पृथ्वी से नौ गुना बड़ा शनि एक गैस दानव है। जबकि इसका औसत घनत्व पृथ्वी का एक आठवां है, अपने बड़े आयतन के साथ यह पृथ्वी से 95 गुने से भी थोड़ा बड़ा है। इसका खगोलिय चिन्ह ħ है। शनि का आंतरिक ढांचा संभवतया, लोहा, निकल और चट्टानों (सिलिकॉन और ऑक्सीजन यौगिक) के एक कोर से बना है, जो धातु हाइड्रोजन की एक मोटी परत से घिरा है, तरल हाइड्रोजन और तरल हीलियम की एक मध्यवर्ती परत तथा एक बाह्य गैसीय परत है। ग्रह अपने ऊपरी वायुमंडल के अमोनिया क्रिस्टल के कारण एक हल्का पीला रंग दर्शाता है। माना गया है धातु हाइड्रोजन परत के भीतर की विद्युतीय धारा, शनि के ग्रहीय चुंबकीय क्षेत्र को उभार देती है, जो पृथ्वी की तुलना में कमजोर है और बृहस्पति की एक-बीसवीं शक्ति के करीब है। बाह्य वायुमंडल आम तौर पर नीरस और स्पष्टता में कमी है, हालांकि दिर्घायु आकृतियां दिखाई दे सकती है। शनि पर हवा की गति, 1800 किमी/घंटा (1100 मील) तक पहुंच सकती है, जो बृहस्पति पर की तुलना में तेज, पर उतनी तेज नहीं जितनी वह नेप्च्यून पर है। शनि की एक विशिष्ट वलय प्रणाली है जो नौ सतत मुख्य छल्लों और तीन असतत चाप से मिलकर बनी हैं, ज्यादातर चट्टानी मलबे व धूल की छोटी राशि के साथ बर्फ के कणों की बनी हुई है। बासठ चन्द्रमा ग्रह की परिक्रमा करते है; तिरेपन आधिकारिक तौर पर नामित हैं। इनमें छल्लों के भीतर के सैकड़ों " छोटे चंद्रमा" शामिल नहीं है। टाइटन, शनि का सबसे बड़ा और सौरमंडल का दूसरा सबसे बड़ा चंद्रमा है। यह बुध ग्रह से बड़ा है और एक बड़े वायुमंडल को संजोकर रखने वाला सौरमंडल का एकमात्र चंद्रमा है। .

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शनि के छल्ले

शनि के छल्लों की तस्वीर - बाहरी "ए" छल्ले और भीतरी "बी" छल्ले के बीच की कैसिनी दरार साफ़ नज़र आ रही है शनि के छल्ले हमारे सौर मण्डल के सबसे शानदार उपग्रही छल्लों का गुट हैं। यह छोटे-छोटे कणों से लेकर कई मीटर बड़े अनगिनत टुकड़ों से बने हुए हैं जो सारे इन छल्लों का हिस्सा बने शनि की परिक्रमा कर रहें हैं। यह सारे टुकड़े अधिकतर पानी की बर्फ़ के बने हुए हैं जिनमें कुछ-कुछ धुल भी मिश्रित है। यह सारे छल्ले एक चपटे चक्र में एक के अन्दर एक हैं। इस चक्र में छल्लों के बीच कुछ ख़ाली छल्ले-रुपी अंतराल या दरारे भी हैं। इन में से कुछ दरारे तो इस चक्र में परिक्रमा करते हुए उपग्रहों ने बना लीं हैं: जहाँ इनकी परिक्रमा की कक्षाएँ हैं वहाँ इन्होने छल्लों में से मलबा हटा दिया है। लेकिन कुछ दरारों के कारण अभी वैज्ञानिकों को ज्ञात नहीं हैं। .

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स्कॉल (चंद्रमा)

स्कॉल (Skoll) या सेटर्न XLVII (अस्थायी पदनाम S/2006 S 8), शनि का एक प्रतिगामी अनियमित चंद्रमा है। इसकी खोज की घोषणा 5 जनवरी और 30 अप्रैल 2006 के मध्य लिए गए अवलोकनों से, 26 जून 2006 को स्कॉट एस शेपर्ड, डेविड सी. जेविट और जान क्लेयना द्वारा हुई थी। स्कॉल व्यास में करीब 6 किलोमीटर है (0.04 का एक माना हुआ ऐल्बीडो) और शनि की परिक्रमा 17.6 गीगा मीटर (दस लाख किलोमीटर) की औसत दूरी से 869 दिवसों में करता है। इसकी कक्षा मामूली झुकी हुई और अत्यधिक चपटी है। यह अप्रेल 2007 में स्कॉल पर नामित हुआ जो कि नोर्स पौराणिक में एक भीमकाय भेडिया है, फर्नीसल्फ्र का पुत्र और हाती का जुडवा भाई है। .

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सौर मण्डल

सौर मंडल में सूर्य और वह खगोलीय पिंड सम्मलित हैं, जो इस मंडल में एक दूसरे से गुरुत्वाकर्षण बल द्वारा बंधे हैं। किसी तारे के इर्द गिर्द परिक्रमा करते हुई उन खगोलीय वस्तुओं के समूह को ग्रहीय मण्डल कहा जाता है जो अन्य तारे न हों, जैसे की ग्रह, बौने ग्रह, प्राकृतिक उपग्रह, क्षुद्रग्रह, उल्का, धूमकेतु और खगोलीय धूल। हमारे सूरज और उसके ग्रहीय मण्डल को मिलाकर हमारा सौर मण्डल बनता है। इन पिंडों में आठ ग्रह, उनके 166 ज्ञात उपग्रह, पाँच बौने ग्रह और अरबों छोटे पिंड शामिल हैं। इन छोटे पिंडों में क्षुद्रग्रह, बर्फ़ीला काइपर घेरा के पिंड, धूमकेतु, उल्कायें और ग्रहों के बीच की धूल शामिल हैं। सौर मंडल के चार छोटे आंतरिक ग्रह बुध, शुक्र, पृथ्वी और मंगल ग्रह जिन्हें स्थलीय ग्रह कहा जाता है, मुख्यतया पत्थर और धातु से बने हैं। और इसमें क्षुद्रग्रह घेरा, चार विशाल गैस से बने बाहरी गैस दानव ग्रह, काइपर घेरा और बिखरा चक्र शामिल हैं। काल्पनिक और्ट बादल भी सनदी क्षेत्रों से लगभग एक हजार गुना दूरी से परे मौजूद हो सकता है। सूर्य से होने वाला प्लाज़्मा का प्रवाह (सौर हवा) सौर मंडल को भेदता है। यह तारे के बीच के माध्यम में एक बुलबुला बनाता है जिसे हेलिओमंडल कहते हैं, जो इससे बाहर फैल कर बिखरी हुई तश्तरी के बीच तक जाता है। .

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हिपेरायन (चंद्रमा)

हिपेरायन (Hyperion) (यूनानी: Ὑπερίων), शनि का एक चंद्रमा है। यह सेटर्न VII रूप में भी जाना जाता है। इसकी खोज 1848 में विलियम क्रांच बॉण्ड, जॉर्ज फिलिप्स बॉण्ड और विलियम लासेल द्वारा हुई थी। यह अपने अनियमित आकार, अस्त-व्यस्त घूर्णन और अस्पष्टीकृत स्पंज जैसी दिखावट के कारण विलक्षण है। यह खोजा गया पहला अगोलीय चंद्रमा था। .

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हेलेन (चंद्रमा)

हेलेन (Helene) (Ἑλένη), शनि का एक प्राकृतिक उपग्रह है। यह 1980 में पियरे लैक्युस और जीन लेकाच्युक्स द्वारा पिक डू मिडी वेधशाला में भूआधारित प्रेक्षणों से खोजा गया तथा पदनाम से नवाजा गया था। 1988 में यह आधिकारिक तौर पर हेलेन पर नामित हुआ जो कि ग्रीक पौराणिक पात्र क्रोनस (सेटर्न) की नवासी थी। यह उपग्रह (12) तौर पर भी नामित है (यह संख्या 1982 में खोज से प्राप्त हुई है।), साथ ही यह डायोनी B से भी नामित है, क्योंकि यह डायोनी का सह-कक्षीय है तथा उसके अधीनस्थ लाग्रंगियन बिंदु L4 पर स्थित है। यह ज्ञात चार ट्रोजन उपग्रहो में से एक है। .

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हीरोकीन (चंद्रमा)

हीरोकीन (Hyrrokkin) या सेटर्न XLIV (अस्थायी पदनाम S/2004 S 19) शनि का एक प्राकृतिक उपग्रह है। 12 दिसम्बर 2004 से 30 अप्रैल 2006 के मध्य लिए गए प्रेक्षणों के आधार पर इसकी घोषणा स्कॉट एस शेपर्ड, डेविड सी. जेविट, जान क्लेयना और ब्रायन जी मार्सडेन द्वारा 26 जून 2006 को हुई थी। हीरोकीन का व्यास करीबन 8 किलोमीटर है और यह शनि की परिक्रमा 18,168.3 Mm की दूरी से प्रतिगामी दिशा में 914.292 दिवसों में करता है। क्रांतिवृत्त से इसकी कक्षा का झुकाव 153.3° (154.3° शनि के विषुववृत्त से) है और 0.3604 की विकेन्द्रता है। यह अप्रेल 2007 में नोर्स पौराणिक कथा के एक दानव हीरोकीन पर नामित हुआ था। .

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जानूस (चंद्रमा)

जानूस (Janus), शनि का एक आतंरिक उपग्रह है। यह सेटर्न X तौर पर भी जाना जाता है। यह पौराणिक पात्र जानूस पर नामित है। .

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जार्नसेक्सा (चंद्रमा)

जार्नसेक्सा (Jarnsaxa) (/jɑrnˈsæksə/ yarn-SAKS-ə) या सेटर्न L (अस्थायी पदनाम S/2006 S 6) शनि का एक प्राकृतिक उपग्रह है। 5 जनवरी से 29 अप्रैल 2006 के मध्य लिए गए प्रेक्षणों के आधार पर इसकी खोज की घोषणा स्कॉट एस शेपर्ड, डेविड सी. जेविट, जान क्लेयना और ब्रायन जी मार्सडेन द्वारा 26 जून 2006 को हुई थी। हीरोकीन का व्यास करीबन 6 किलोमीटर है और यह शनि की परिक्रमा 18,556.9 Mm की दूरी से प्रतिगामी दिशा में 943.784 दिवसों में करता है। क्रांतिवृत्त से इसकी कक्षा का झुकाव 162.9° (164.1° शनि के विषुववृत्त से) है और 0.1918 की विकेन्द्रता है। यह अनियमित उपग्रहों के नोर्स समूह का सदस्य है। यह नोर्स पौराणिक कथा के एक दानव जार्नसेक्सा पर नामित हुआ था। .

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गुरुत्वाकर्षण

गुरुत्वाकर्षण के कारण ही ग्रह, सूर्य के चारों ओर चक्कर लगा पाते हैं और यही उन्हें रोके रखती है। गुरुत्वाकर्षण (ग्रैविटेशन) एक पदार्थ द्वारा एक दूसरे की ओर आकृष्ट होने की प्रवृति है। गुरुत्वाकर्षण के बारे में पहली बार कोई गणितीय सूत्र देने की कोशिश आइजक न्यूटन द्वारा की गयी जो आश्चर्यजनक रूप से सही था। उन्होंने गुरुत्वाकर्षण सिद्धांत का प्रतिपादन किया। न्यूटन के सिद्धान्त को बाद में अलबर्ट आइंस्टाइन द्वारा सापेक्षता सिद्धांत से बदला गया। इससे पूर्व वराह मिहिर ने कहा था कि किसी प्रकार की शक्ति ही वस्तुओं को पृथिवी पर चिपकाए रखती है। .

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ग्रह

हमारे सौरमण्डल के ग्रह - दायें से बाएं - बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल, बृहस्पति, शनि, युरेनस और नेप्चून सौर मंडल के ग्रहों, सूर्य और अन्य पिंडों के तुलनात्मक चित्र सूर्य या किसी अन्य तारे के चारों ओर परिक्रमा करने वाले खगोल पिण्डों को ग्रह कहते हैं। अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ के अनुसार हमारे सौर मंडल में आठ ग्रह हैं - बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल, बृहस्पति, शनि, युरेनस और नेप्चून। इनके अतिरिक्त तीन बौने ग्रह और हैं - सीरीस, प्लूटो और एरीस। प्राचीन खगोलशास्त्रियों ने तारों और ग्रहों के बीच में अन्तर इस तरह किया- रात में आकाश में चमकने वाले अधिकतर पिण्ड हमेशा पूरब की दिशा से उठते हैं, एक निश्चित गति प्राप्त करते हैं और पश्चिम की दिशा में अस्त होते हैं। इन पिण्डों का आपस में एक दूसरे के सापेक्ष भी कोई परिवर्तन नहीं होता है। इन पिण्डों को तारा कहा गया। पर कुछ ऐसे भी पिण्ड हैं जो बाकी पिण्डों के सापेक्ष में कभी आगे जाते थे और कभी पीछे - यानी कि वे घुमक्कड़ थे। Planet एक लैटिन का शब्द है, जिसका अर्थ होता है इधर-उधर घूमने वाला। इसलिये इन पिण्डों का नाम Planet और हिन्दी में ग्रह रख दिया गया। शनि के परे के ग्रह दूरबीन के बिना नहीं दिखाई देते हैं, इसलिए प्राचीन वैज्ञानिकों को केवल पाँच ग्रहों का ज्ञान था, पृथ्वी को उस समय ग्रह नहीं माना जाता था। ज्योतिष के अनुसार ग्रह की परिभाषा अलग है। भारतीय ज्योतिष और पौराणिक कथाओं में नौ ग्रह गिने जाते हैं, सूर्य, चन्द्रमा, बुध, शुक्र, मंगल, गुरु, शनि, राहु और केतु। .

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ग्रेइप (चंद्रमा)

ग्रेइप (Greip), या सेटर्न LI (अस्थायी पदनाम S/2006 S 4), शनि का एक प्राकृतिक उपग्रह है। इसकी खोज की घोषणा 5 जनवरी और 1 मई 2006.

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आऐपिटस (उपग्रह)

कैसीनी यान से ली गयी आऐपिटस की तस्वीर जिसमें इसके दो अलग-अलग रंग वाले भाग साफ़ नज़र आ रहे हैं आऐपिटस की भूमध्य चट्टान का एक नज़दीकी चित्र आऐपिटस हमारे सौर मण्डल के छठे ग्रह शनि का तीसरा सब से बड़ा उपग्रह है। आऐपिटस सौर मण्डल के सारे उपग्रहों में से ग्यारहवाँ सब से बड़ा उपग्रह है। इसकी खोज १६७१ में इटली के खगोलशास्त्री जिओवान्नी कैसीनी ने की थी। आऐपिटस इस बात के लिए मशहूर है के उसके एक भाग का रंग काफ़ी हल्का है और दुसरे भाग का रंग बहुत ही गाढ़ा है। इस उपग्रह के ठीक मध्य रेखा में एक उठी हुई चट्टान देखी गयी है जो इस चाँद के आधे हिस्से तक चलती है। आऐपिटस का घनत्व काफ़ी कम है और वैज्ञानिक अनुमान लगते हैं के इसमें सिर्फ़ २०% पत्थर है और बाक़ी सब पानी की बर्फ़ है। .

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इगेओन (चंद्रमा)

इगेओन (Aegaeon) (या यूनानी Αιγαίων), सेटर्न LIII से भी नामित (अस्थायी पदनाम), शनि का एक प्राकृतिक उपग्रह है। इसकी खोज की घोषणा 15 अगस्त 2008 को लिए गए प्रेक्षणों के आधार पर कैरोलिन पोर्को और कैसिनी इमेजिंग साइंस टीम द्वारा 3 मार्च 2009 को हुई थी। इगेओन शनि के G रिंग के चमकदार खंड के भीतर रहकर परिक्रमा करता है और शायद छल्ले का एक प्रमुख स्रोत है। इगेओन का माइमस के साथ 7:6 का रेजोनेंस है। इसके धबलता को पालिन जितना ही मान लिया गया है। इसका व्यास आधा किलोमीटर होने का अनुमान है। यह शनि की परिक्रमा 1,67,500 किमी की औसत दूरी से 0.80812 दिवस में करता है। शनि के विषुव वृत्त से इसका झुकाव 0.001° तथा विकेन्द्रता 0.0002 है। .

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किलोग्राम

एक किलोग्राम (साथ में क्रेडित कार्ड) यह चित्र, अन्तराष्ट्रीय मूलरूप किलोग्राम का एक कम्प्यूटर निर्मित चित्र है। इसके समीप रखा एक इंच का पैमाना है। इस भार को IPK भी कहते हैं। यह प्लैटिनम-इर्रीडियम मिश्रण का बना है और BIPM, सेवर्स, फ़्रांस में रखा है। किलोग्राम (चिन्ह: kg) भार की SI इकाई है। एक किलोग्राम की परिभाषानुसार,.

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किवियक (चंद्रमा)

किवियक (Kiviuq), शनि का एक प्रतिगामी अनियमित उपग्रह है। इसे 2000 में ब्रेट जे ग्लैडमेन ने खोजा और अस्थायी पदनाम S/2000 S 5 दिया। यह पौराणिक इनुइट नायक किवियक पर नामित है। .

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कक्षा (भौतिकी)

दिक् में एक बिंदु के इर्द-गिर्द अपनी अलग-अलग कक्षाओं में परिक्रमा करती दो अलग आकारों की वस्तुएँ भौतिकी में कक्षा या ऑर्बिट दिक् (स्पेस) में स्थित एक बिंदु के इर्द-गिर्द एक मार्ग को कहते हैं जिसपर चलकर कोई वस्तु उस बिंदु की परिक्रमा करती है। खगोलशास्त्र में अक्सर उस बिंदु पर कोई बड़ा तारा या ग्रह स्थित होता है जिसके इर्द-गिर्द कोई छोटा ग्रह या उपग्रह अपनी कक्षा में उसकी परिक्रमा करता है। यदि खगोलीय वस्तुओं की कक्षाओं को देखा जाए तो कई भिन्न तरह की कक्षाएँ देखी जाती हैं - कुछ गोलाकार हैं, कुछ अण्डाकार हैं और कुछ इन से अधिक पेचीदा हैं। श्रेणी:भौतिकी श्रेणी:खगोलशास्त्र श्रेणी:हिन्दी विकि डीवीडी परियोजना * श्रेणी:ज्योतिष पक्ष.

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कक्षीय विकेन्द्रता

एक अण्डाकार केपलर कक्षा (लाल) एक ०.७ की विकेन्द्रता के साथ, एक परवलयिक केपलर कक्षा (हरा) और एक अतिपरवलयिक केपलर कक्षा (नीला) १.३ की विकेन्द्रता के साथ. किसी खगोलीय पिंड की कक्षीय विकेन्द्रता (Orbital eccentricity) वह राशि है जिसके द्वारा उसकी कक्षा एक पूर्ण वृत्त से विचलित हो जाती है। जहां शून्य एक पूर्ण वृत्त है और १.० एक परवलय है। इसे अंग्रेजी अक्षर e से प्रदर्शित किया जाता है। विकेन्द्रता निम्न मान ले सकती है.

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केलिप्सो (चंद्रमा)

केलिप्सो (Calypso) (Καλυψώ), शनि का प्राकृतिक उपग्रह है। यह 1980 मे डान पास्कु, पी कैनिथ सीडलमेन, विलियम ए बौम और डगलस जी क्युरी द्वारा भूआधारित प्रेक्षणों से खोजा गया तथा पदनाम से नवाजा गया (1980 में खोजा गया शनि का 25 वां उपग्रह)। बाद के महीनों में, कई अन्य छद्मवेषी प्रेक्षित हुए यथा:,,, और । 1983 में यह आधिकारिक तौर पर पौराणिक यूनानी पात्र केलिप्सो पर नामित हुआ था। यह सेटर्न XIV या टेथिस C तौर पर भी नामित है। केलिप्सो की कक्षा टेथिस की कक्षा के लगभग बराबर है और यह टेथिस के पीछे ६०० के अंश पर मौजूद रहते हुए शनि ग्रह की परिक्रमा करता रहता है। इस बात का पता सबसे पहले सीडेलमान ने १९८१ में लगाया। टैलेस्टो (चंद्रमा) इसकी विपरीत दिशा में टेथिस से आगे ६०० के अंश पर मौजूद रहता है और दोनो के आगे आगे चलता है। टैलेस्टो और केल्पिसो को टेथिस के ट्रोजन या ट्रोजन चंद्रमा भी कहते हैं। कुल ४ ज्ञात ट्रोजन श्रेणी के चंद्रमाओं में दो ये ही हैं। शनि के अन्य चंद्रमाओं की तरह ही केलिप्सो भी बेतरतीब आकार का है। यहाँ उंचे नीची खाईयाँ, सतह पर ढीली अव्यव्स्थित मिट्टी पाई जाती है जिसकी वजह से इसकी सतह को दूर से देखने पर यह चमकदार और मुलायम मालूम पडता है। .

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अर्ध दीर्घ अक्ष

एक दीर्घवृत्त का अर्द्ध-मुख्य अक्ष मुख्य अक्ष (major axis) एक दीर्घवृत्त का सबसे लंबा व्यास है, एक रेखा जो केंद्र और दोनों नाभियों से होकर गुजरती है, इसके छोर आकार के सर्वाधिक दूरी के बिंदु है। मुख्य अक्ष का आधा अर्द्ध-मुख्य अक्ष (semi-major axis) है और इस तरह नाभि से होकर केंद्र से दीर्घवृत्त के किनारे तक जाती है; अनिवार्य रूप से, यह कक्षा के सबसे दूरस्थ बिन्दुओं से ली गई, कक्षा की त्रिज्या की एक माप है। वृत्त के विशेष मामले में, अर्द्ध-मुख्य अक्ष एक त्रिज्या है। एक तरह से सोचे तो अर्द्ध-मुख्य अक्ष एक दीर्घवृत्त की सबसे लम्बी त्रिज्या है। .

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अल्बियोरिक्स (चंद्रमा)

अल्बियोरिक्स (Albiorix) शनि का एक प्रतिगामी अनियमित उपग्रह है। यह 2000 में होल्मेन द्वारा खोजा गया और अस्थायी पदनाम S/2000 S 11 दिया गया।Gladman, B. J.; Nicholson, P. D.; Burns, J. A.; Kavelaars, J. J.; Marsden, B. G.; Holman, M. J.; Grav, T.; Hergenrother, C. W.; Petit, J.-M.; Jacobson, R. A.; and Gray, W. J.;, Nature, 412 (July 12, 2001), pp.

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उपग्रह

ERS 2) अन्तरिक्ष उड़ान (spaceflight) के संदर्भ में, उपग्रह एक वस्तु है जिसे मानव (USA 193) .

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उपग्रही छल्ला

हमारे सौर मण्डल के शनि ग्रह के मशहूर उपग्रहीय छल्ले बर्फ़ और धूल के बने हैं खगोलशास्त्र में उपग्रही छल्ला किसी ग्रह के इर्द गिर्द घूमता हुआ पत्थरों, धुल, बर्फ़ और अन्य पदार्थों का बना हुआ छल्ला होता है। हमारे सौर मण्डल में इसकी सबसे बड़ी मिसाल शनि की परिक्रमा करते हुए उसके छल्ले हैं। हमारे सौर मण्डल के अन्य तीन गैस दानव ग्रहों - बृहस्पति, अरुण और वरुण - के इर्द-गिर्द भी उपग्रहीय छल्ले हैं लेकिन उनकी संख्या और चौड़ाई शनि के छल्लों से कई कम है। .

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