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पैंडोरा (चंद्रमा)

सूची पैंडोरा (चंद्रमा)

पैंडोरा (Pandora) (Πανδώρα), शनि का एक आतंरिक उपग्रह है। इसकी खोज वॉयेजर 1 द्वारा ली गई तस्वीरों से 1980 में हुई थी, साथ ही तब अस्थायी तौर पर S/1980 S 26 से पदनामित हुआ था। 1985 के उत्तरार्ध में यह आधिकारिक तौर पर ग्रीक पौराणिक पात्र पैंडोरा पर नामित हुआ था। यह सेटर्न XVII तौर पर भी नामित है। पैंडोरा एफ रिंगEn का एक बाह्य सेफर्ड उपग्रहEn है। यह निकटवर्ती प्रोमेथियस की तुलना में अधिक भारी निर्मित हुआ है, तथा इसके पास 30 किलोमीटर (19 मील) व्यास के कम से कम दो बड़े खड्ड है। मलबे से भरे होने के कारण पैंडोरा पर अधिकांश खड्ड उथले हैं। इस उपग्रह के भूपृष्ठ पर मेड़ व नालियां भी मौजूद है। प्रोमेथियस के साथ चार 118:121 के माध्य गति अनुनादों की एक श्रृंखला के परिणामस्वरूप पैंडोरा की कक्षा अस्तव्यस्त प्रतीत होती है। उनकी कक्षाओं में सबसे बड़ा परिवर्तन तकरीबन हर 6.2 वर्षों में पाया जाता है, जब पैंडोरा का उपशनिच्चर प्रोमेथियस के अपशनिच्चर के सीध में होता है और दोनों की आपसी पहुँच 1,400-किलोमीटर (870 मील) के भीतर होती है। पैंडोरा का माइमस के साथ भी एक 3:2 का माध्य गति अनुनाद है। इसके अति निम्न घनत्व और अपेक्षाकृत उच्च धबलता से लगता है कि पैंडोरा एक अति छिद्रित पिंड है। इन मायनों में अनिश्चितता बहुत ज्यादा है, तथापि, इनकी पुष्टि होना बाकी है। .

13 संबंधों: त्वरण, प्रकाशानुपात, प्रोमेथियस (चंद्रमा), फ्लाईबाई, माइमस (उपग्रह), यूनानी धर्म, शनि, शनि के छल्ले, जूलियन दिन, वॉयेजर द्वितीय, वॉयेजर प्रथम, कक्षीय अनुनाद, कैसिनी-होयगेन्स

त्वरण

विभिन्न प्रकार के त्वरण के अन्तर्गत गति में वस्तु की समान समयान्तराल बाद स्थितियाँ दोलन करता हुआ लोलक: इसका वेग एवं त्वरण तीर द्वारा दर्शाया गया है। वेग एवं त्वरण दोनों का परिमाण एवं दिशा हर क्षण बदल रही है। किसी वस्तु के वेग परिवर्तन की दर को त्वरण (Acceleration) कहते हैं। इसका मात्रक मीटर प्रति सेकेण्ड2 होता है तथा यह एक सदिश राशि हैं। या, उदाहरण: माना समय t.

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प्रकाशानुपात

२००३-२००४ में पृथ्वी के भिन्न क्षेत्रों का औसत ऐल्बीडो - ऊपरी चित्र बिना बादलों के ऐल्बीडो दर्शाता है और निचला चित्र बादलों के साथ अपने ऊपर पड़ने वाले किसी सतह के प्रकाश या अन्य विद्युतचुंबकीय विकिरण (इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन) को प्रतिबिंबित करने की शक्ति की माप को प्रकाशानुपात (Albedo / ऐल्बीडो) या धवलता कहते हैं। अगर कोई वस्तु अपने ऊपर पड़ने वाले प्रकाश को पूरी तरह वापस चमका देती है तो उसका ऐल्बीडो १.० या प्रतिशत में १००% कहा जाता है। खगोलशास्त्र में अक्सर खगोलीय वस्तुओं का एल्बीडो जाँचा जाता है। पृथ्वी का ऐल्बीडो ३० से ३५% के बीच में है। पृथ्वी के वायुमंडल के बादल बहुत रोशनी वापस चमका देते हैं। अगर बादल न होते तो पृथ्वी का ऐल्बीडो कम होता। .

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प्रोमेथियस (चंद्रमा)

प्रोमेथियस (Prometheus) (यूनानी: Προμηθεύς), शनि का एक आतंरिक उपग्रह है। इसकी खोज वॉयेजर 1 द्वारा ली गई तस्वीरों से 1980 में हुई थी, साथ ही तब अस्थायी तौर पर S/1980 S 27 से पदनामित हुआ था। 1985 के उत्तरार्ध में यह आधिकारिक तौर पर ग्रीक पौराणिक पात्र प्रोमेथियस पर नामित हुआ था। यह सेटर्न XVI तौर पर भी नामित है। यह छोटा चांद अत्यंत लम्बा है, इसकी माप 136 x 79 x 59 किमी है। इस पर अनेकों मेड़े और घाटियां तथा करीब 20 किमी व्यास वाले अनेकानेक प्रहार क्रेटर दृश्यमान है, पर यह समीपवर्ती पैंडोरा, एपिमेथियस और जानूस से कम क्रेटर युक्त है। इसके अति निम्न घनत्व और अपेक्षाकृत उच्च धबलता से लगता है कि प्रोमेथियस एक अति छिद्रित पिंड है। इन मायनों में अनिश्चितता बहुत ज्यादा है, तथापि, इनकी पुष्टि होना बाकी है। .

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फ्लाईबाई

फ्लाईबाई (Flyby), किसी यान द्वारा एक निर्दिष्ट लक्ष्य या स्थिति के नजदीक से गुजरना है। इस शब्द का इस्तेमाल विशेष रूप से उन अंतरिक्ष यान मिशनों के लिए किया जाता है, जिसमें कोई यान किसी ग्रह या उपग्रह आदि के विस्तृत अध्ययन के लिए, बगैर उसकी परिक्रमा किये या बगैर उस पर उतरे, उसके पर्याप्त नजदीक से गुजर जाता है। खगोलीय पिंडो के प्रेक्षण के लिए अनेकों फ्लाईबाई मिशनों को अंजाम दिया गया है। ऐसा ही एक फ्लाईबाई न्यू होराइजोंस है जो फिलहाल प्लूटो की ओर अग्रसर है | .

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माइमस (उपग्रह)

कैसिनी द्वारा फरवरी २०१० में ली गयी माइमस की तस्वीर जिसमें हरशॅल क्रेटर नज़र आ रहा है माइमस का नक़्शा छल्लों के ऍफ़ छल्ले के पीछे माइमस माइमस हमारे सौर मण्डल के छठे ग्रह शनि का सातवा सब से बड़ा उपग्रह है। पूरे सौर मण्डल में यह बीसवा सब से बड़ा उपग्रह है। माइमस सब से छोटी ज्ञात खगोलीय वस्तु है जो अपने गुरुत्वाकर्षण के खींचाव से स्वयं को गोल कर चुकी है। माइमस का व्यास (डायामीटर) ३९६ किमी है। .

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यूनानी धर्म

प्राचीन यूनानी धर्म (अथवा प्राचीन ग्रीक धर्म) प्राचीन यूनान (ग्रीस) देश का सबसे मुख्य- और राजधर्म था। ये एक मूर्तिपूजक और बहुदेवतावादी धर्म था। इसमें एक अदृश्य ईश्वर की अवधारणा नहीं थी। ईसाई धर्म के राजधर्म बनने के बाद ईसाइयों ने इसपर प्रतिबंध लगा दिया और इसके देवी-देवताओं को शैतान करार दिया। इसके बाद ये लुप्त हो गया। ग्रीक पौराणिक कथाएं, उन प्राचीन यूनानियों, उनके देवताओं, नायकों, दुनिया की प्रकृति, अनुष्ठान प्रथाओं के महत्व के विषय में संबंधित मिथकों और किंवदंतियों का आधार हैं। वे प्राचीन ग्रीस में धर्म का एक हिस्सा थीं आधुनिक विद्वानों ने इन मिथकों का अध्ययन कर प्राचीन ग्रीस, इसकी सभ्यता की धार्मिक और राजनीतिक संस्थाओं पर प्रकाश डाला है और लाभ मिथक बनाने की प्रकृति को समझने का प्रयास किया है। ग्रीक पौराणिक कथाएं कथा रूप मे भारी मात्रा में संग्रहीत हैं। इनका बड़ा संग्रह परोक्ष रूप मे फूलदानओं पर उकेरी कला कृतियों के रूप में, भित्तिचित्रों कि द्वारा दुनिया कि उत्पत्ति के विवरणओं, जीवन और देवताओं, देवी, नायकों, नायिकाओं और पौराणिक प्राणियों की एक विस्तृत विविधता के रोमांच की व्याख्या करने का प्रयास करतए है। इन कथनकों को शुरू में एक मौखिक काव्य परंपरा में फैलाया गया, आज ग्रीक मिथकों को ग्रीक साहित्य से मुख्य रूप से जाना जाता है। Iliad और ओडिसी दो महाकाव्य, प्राचीनतम ज्ञात यूनानी साहित्यिक स्रोत, ट्रोजन युद्ध के आसपास की घटनाओं पर ध्यान केंद्रित हैं। होमर के समकालीन हेसियड, Theogony के आक्ख्यान दुनिया की उत्पत्ति, दिव्य शासकों व उनके उत्तराधिका्रियों के, मानव युगों के बारे में मानवीय संकट के भययोग्य उद्गम और बलि प्रथाओं केविषय मे जानकारी देते हैं। मिथक होमेर के भजनों में भी संरक्षित हैं, इस काल के काव्य खण्डों में, गेय कविताओं में, पांचवीं शताब्दी ई.पू.

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शनि

कोई विवरण नहीं।

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शनि के छल्ले

शनि के छल्लों की तस्वीर - बाहरी "ए" छल्ले और भीतरी "बी" छल्ले के बीच की कैसिनी दरार साफ़ नज़र आ रही है शनि के छल्ले हमारे सौर मण्डल के सबसे शानदार उपग्रही छल्लों का गुट हैं। यह छोटे-छोटे कणों से लेकर कई मीटर बड़े अनगिनत टुकड़ों से बने हुए हैं जो सारे इन छल्लों का हिस्सा बने शनि की परिक्रमा कर रहें हैं। यह सारे टुकड़े अधिकतर पानी की बर्फ़ के बने हुए हैं जिनमें कुछ-कुछ धुल भी मिश्रित है। यह सारे छल्ले एक चपटे चक्र में एक के अन्दर एक हैं। इस चक्र में छल्लों के बीच कुछ ख़ाली छल्ले-रुपी अंतराल या दरारे भी हैं। इन में से कुछ दरारे तो इस चक्र में परिक्रमा करते हुए उपग्रहों ने बना लीं हैं: जहाँ इनकी परिक्रमा की कक्षाएँ हैं वहाँ इन्होने छल्लों में से मलबा हटा दिया है। लेकिन कुछ दरारों के कारण अभी वैज्ञानिकों को ज्ञात नहीं हैं। .

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जूलियन दिन

जूलियन दिन (Julian day) जूलियन काल के आरम्भ से गुज़रे हुए कुल दिवसों की गिनती है। जूलियन काल का आरम्भ दोपहर के १२ बजे जनवरी १, ४७१३ ईसापूर्व को माना जाता है। इसका प्रयोग मुख्य रूप से खगोलशास्त्री करते हैं। मसलन जनवरी १, २००० के १२ बजे की जूलियन दिन संख्या (Julian day number) २४,५१,५४५ है। जूलियन दिवस (Julian date) उस आरम्भिक क्षण से व्यतीत हुए दिवसों की गिनती है, जिसमें वर्तमान क्षण तक को गिना जाता है (यानि इस गिनती में अन्त का अधूरा दिन भी शामिल है)। उदाहरण के लिए जनवरी १, २०१३ के ००:३०:००.० बजे समन्वित सार्वत्रिक समय का जूलियन दिवस २४,५६,२९३.५२०८३३ था। .

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वॉयेजर द्वितीय

वायेजर द्वितीय एक अमरीकी मानव रहित अंतरग्रहीय शोध यान था जिसे वायेजर १ से पहले २० अगस्त १९७७ को अमरीकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा द्वारा प्रक्षेपित किया गया था। यह काफी कुछ अपने पूर्व संस्करण यान वायेजर १ के समान ही था, किन्तु उससे अलग इसका यात्रा पथ कुछ धीमा है। इसे धीमा रखने का कारण था इसका पथ युरेनस और नेपचून तक पहुंचने के लिये अनुकूल बनाना। इसके पथ में जब शनि ग्रह आया, तब उसके गुरुत्वाकर्षण के कारण यह युरेनस की ओर अग्रसर हुआ था और इस कारण यह भी वायेजर १ के समान ही बृहस्पति के चन्द्रमा टाईटन का अवलोकन नहीं कर पाया था। किन्तु फिर भी यह युरेनस और नेपच्युन तक पहुंचने वाला प्रथम यान था। इसकी यात्रा में एक विशेष ग्रहीय परिस्थिति का लाभ उठाया गया था जिसमे सभी ग्रह एक सरल रेखा मे आ जाते है। यह विशेष स्थिति प्रत्येक १७६ वर्ष पश्चात ही आती है। इस कारण इसकी ऊर्जा में बड़ी बचत हुई और इसने ग्रहों के गुरुत्व का प्रयोग किया था। .

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वॉयेजर प्रथम

वोयेजर प्रथम अंतरिक्ष यान एक ७२२ कि.ग्रा का रोबोटिक अंतरिक्ष प्रोब था। इसे ५ सितंबर, १९७७ को लॉन्च किया गया था। वायेजर १ अंतरिक्ष शोध यान एक ८१५ कि.ग्रा वजन का मानव रहित यान है जिसे हमारे सौर मंडल और उसके बाहर की खोज के लिये प्रक्षेपित किया गया था। यह अभी भी (मार्च २००७) कार्य कर रहा है। यह नासा का सबसे लम्बा अभियान है। इस यान ने गुरू और शनि ग्रहों की यात्रा की है और यह यान इन महाकाय ग्रहों के चन्द्रमा की तस्वीरें भेजने वाला पहला शोध यान है। वायेजर १ मानव निर्मित सबसे दूरी पर स्थित वस्तु है और यह पृथ्वी और सूर्य दोनों से दूर अनंत अंतरिक्ष में अभी भी गतिशील है। न्यू हॉराइज़ंस शोध यान जो इसके बाद छोड़ा गया था, वायेजर १ की तुलना में कम गति से चल रहा है इसलिये वह कभी भी वायेजर १ को पीछे नहीं छोड़ पायेगा। .

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कक्षीय अनुनाद

कक्षीय अनुनाद (Orbital resonance) पाया जाता है जब दो या दो से अधिक पिंड किसी एक ही बड़े पिंड की परिक्रमा समान अवधि में पूरी करते है। उदाहरण के लिए बृहस्पति के उपग्रहों गेनिमेड, युरोपा और आयो का 1: 2: 4 का अनुनाद, तथा प्लुटो और नेप्च्यून के बीच 2: 3 का अनुनाद। आयो, युरोपा और गेनिमेड बृहस्पति के ठीक क्रमशः चार, दो व एक चक्कर लगाने में समान समय लेते है। इसी तरह प्लूटो सूर्य के दो चक्कर (246 x 2 .

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कैसिनी-होयगेन्स

छल्लों के आगे कैसिनी शोध यान का काल्पनिक चित्रण कैसिनी-होयगेन्स (Cassini-Huygens) एक अंतरिक्ष यान मिशन है जो सन् २००४ से हमारे सौर मंडल के दूसरे सबसे बड़े ग्रह शनि और उसके प्राकृतिक उपग्रहों का अध्ययन कर रहा है। यह १९९७ में पृथ्वी से रोकेट के ज़रिये छोड़ा गया और इस मिशन में शनि के इर्द-गर्द कक्षा (ऑरबिट) में घूमने वाला एक कृत्रिम उपग्रह और शनि के सबसे बड़े चन्द्रमा टाइटन पर उतरना वाला एक यान शामिल थे। टाइटन पर उतरने वाले यान का नाम 'होयगेन्स' था और २००५ में वह मुख्य कैसिनी यान से अलग होकर उस उपग्रह पर उतरा। कैसिनी सन् २०१५ तक शनि की परिक्रमा करके उसकी तस्वीरें लेता रहेगा और उसपर जानकारी एकत्रिक कर के पृथ्वी की ओर प्रसारित करता रहेगा। २०१५ में उसे शनि के भयंकर वायुमंडल में गिराकर ध्वस्त का दिया जाएगा।, Michele Dougherty, Larry Esposito, Springer, 2009, ISBN 978-1-4020-9216-9, David Michael Harland, Springer, 2007, ISBN 978-0-387-26129-4 .

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