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फिक के विसरण के नियम

सूची फिक के विसरण के नियम

विसरण का प्रदर्शन फिक के विसरण के नियम (Fick's laws of diffusion) एडॉल्फ फिक द्वारा सन् १८५५ में प्रतिपादित हुए थे। फिक के विसरण से संबंधित दो नियम हैं जिनकी सहायता से विसरण गुणांक, D की गणना की जा सकती है। .

सामग्री की तालिका

  1. 6 संबंधों: श्यानता, समीकरण, विद्युत अपघट्य, विसरण, ग्राहम का विसरण का नियम, कलिल

  2. भौतिक रसायन
  3. विसरण
  4. सांख्यिकीय यांत्रिकी

श्यानता

उपर के द्रव की श्यानता नीचे के द्रव की श्यानता से बहुत कम है। श्यानता (Viscosity) किसी तरल का वह गुण है जिसके कारण वह किसी बाहरी प्रतिबल (स्ट्रेस) या अपरूपक प्रतिबल (शीयर स्ट्रेस) के कारण अपने को विकृत (deform) करने का विरोध करता है। सामान्य शब्दों में, यह उस तरल के गाढे़पन या उसके बहने का प्रतिरोध करने की क्षमता का परिचायक है। उदाहरण के लिये, पानी पतला होता है एवं उसकी श्यानता वनस्पति तेल की अपेक्षा कम होती है जो कि गाढा़ होता है। .

देखें फिक के विसरण के नियम और श्यानता

समीकरण

---- समीकरण (equation) प्रतीकों की सहायता से व्यक्त किया गया एक गणितीय कथन है जो दो वस्तुओं को समान अथवा तुल्य बताता है। यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि आधुनिक गणित में समीकरण सर्वाधिक महत्वपूर्ण विषय है। आधुनिक विज्ञान एवं तकनीकी में विभिन्न घटनाओं (फेनामेना) एवं प्रक्रियाओं का गणितीय मॉडल बनाने में समीकरण ही आधारका काम करने हैं। समीकरण लिखने में समता चिन्ह का प्रयोग किया जाता है। यथा- समीकरण प्राय: दो या दो से अधिक व्यंजकों (expressions) की समानता को दर्शाने के लिये प्रयुक्त होते हैं। किसी समीकरण में एक या एक से अधिक चर राशि (यां) (variables) होती हैं। चर राशि के जिस मान के लिये समीकरण के दोनो पक्ष बराबर हो जाते हैं, वह/वे मान समीकरण का हल या समीकरण का मूल (roots of the equation) कहलाता/कहलाते है। ऐसा समीकरण जो चर राशि के सभी मानों के लिये संतुष्ट होता है, उसे सर्वसमिका (identity) कहते हैं। जैसे - एक सर्वसमिका है। जबकि एक समीकरण है जिसका मूल हैं x.

देखें फिक के विसरण के नियम और समीकरण

विद्युत अपघट्य

एल्युमिनियम के एलेक्ट्रोरोलाइटिक कैपेसिटर रसायन विज्ञान में उन पदार्थों को विद्युत अपघट्य (electrolyte) कहते हैं जिनमें मुक्त एलेक्ट्रॉन होते हैं जो उस पदार्थ को विद्युत चालक बनाते हैं। किसी आयनिक यौगिक का जल में विलयन सबसे साधारण (आम) विद्युत अपघट्य है। इसके अलावा पिघले हुए आयनिक यौगिक तथा ठोस विद्युत अपघट्य भी होते हैं। सामान्यत: विद्युत अपघट्य अम्लों, क्षारों एवं लवणों के विलयन के रूप में पाये जाते हैं। इसके अतिरिक्त उच्च ताप एवं कम दाब पर कुछ गैसें भी विद्युत अपघट्य जैसा गुण प्रदर्शित करतीं हैं। कुछ जैविक (जैसे डीएनए, पॉलीपेप्टाइड्स आदि) एवं संश्लेषित बहुलकों (जैसे पॉलीस्टरीन सल्फोनेट) के विलयन भी विद्युत अपघटनीय होते हैं। श्रेणी:भौतिक रसायन श्रेणी:विद्युत चालक.

देखें फिक के विसरण के नियम और विद्युत अपघट्य

विसरण

तीन अलग-अलग समयों पर किसी गैस का विसरण: (१) विसरण के ठीक पहले (२) विसरण के थोडी देर बाद (३) विसरण आरम्भ होने के बहुत देर बाद विसरण के पहले और बाद में दो या दो से अधिक पादार्थों का स्वतः एक दूसरे से मिलकर समांग मिश्रण बनाने की क्रिया को विसरण (डिफ्यूजन) कहते हैं। सजीव कोशिकाओं में अमीनो अम्ल के संवहन में विसरण की मुख्य भूमिका है। .

देखें फिक के विसरण के नियम और विसरण

ग्राहम का विसरण का नियम

ग्राहम का विसरण का नियम गैस की विसरण की दर से सम्बन्धित एक नियम है जिसे स्कॉटलैण्ड के रसायन शास्त्री थॉमस ग्राहम ने प्रतिपादित किया था। थॉमस ने प्रयोगों के आधार पर पाया कि किसी गैस के विसरण (effusion) की की दर उसके कणों के द्रव्यमान के वर्गमूल के व्युत्क्रामुपाती होती है। इसे सूत्र रूप में इस प्रकार लिखा जा सकता है- जहाँ: ग्राहम के इस नियम की पूर्ण सैद्धान्तिक व्याख्या वर्षों बाद गैसों के गत्यात्मक सिद्धान्त के द्वारा हुई। यह नियम तभी शुद्धता पूर्वक लागू होता है जब केवल एक गैस के अणु ही एक समय में विसरण कर रहे हों। जब कोई गैसोंका मिश्रण का किसी छेद से होकर विसरण हो रहा हो, या एक गैस दूसरी गैस मेंविसरित हो रही हो तब यह नियम पूर्णत: सत्य न होकर लगभग सत्य होता है। .

देखें फिक के विसरण के नियम और ग्राहम का विसरण का नियम

कलिल

पायसीकृत द्रव कलिल है जिसमे मक्खन की गोलिकायें एक जल-आधारित तरल मे परिक्षेपित रहती हैं। कलिल या कोलाइड एक रसायनिक मिश्रण होता है जिसमे एक वस्तु दूसरी वस्तु मे समान रूप से परिक्षेपित (dispersed) होती है। परिक्षेपित वस्तु के कण मिश्रण मे केवल निलम्बित रहते है ना कि एक विलयन की तरह (जिसमे यह पूरी तरह घुल जाते हैं)। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि कलिल मे कणों का आकार विलयन मे उपस्थित कणों के आकार से बड़ा होता है - यह कण इतने छोटे होते हैं कि मिश्रण मे पूरी तरह परिक्षेपित हो कर एक समरूप मिश्रण तैयार करें, लेकिन इतने बडे़ भी नहीं होते हैं कि प्रकाश को प्रकीर्णित करें और ना घुलें। इस परिक्षेपण के चलते कुछ कलिल विलयन जैसे दिखते हैं। किसी कलिल प्रणाली की दो पृथक प्रावस्थायें होती हैं: पहली परिक्षेपण प्रावस्था (या आंतरिक प्रावस्था) और दूसरी सतत प्रावस्था (या परिक्षेपण माध्यम)। एक कलिल प्रणाली ठोस, द्रव या गैसीय हो सकती है। नीचे की तालिका मे एक समरूप और असमरूप मिश्रण मे कलिल के कणों का व्यास का तुलनात्मक विश्लेषण है।: इसलिए, कलिलीय निलम्बन, समरूप और असमरूप मिश्रणों के मध्यवर्ती होते हैं। .

देखें फिक के विसरण के नियम और कलिल

यह भी देखें

भौतिक रसायन

विसरण

सांख्यिकीय यांत्रिकी