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सैद्धान्तिक रसायन

सूची सैद्धान्तिक रसायन

सैद्धान्तिक रसायन (Theoretical chemistry) अणुओं से सम्बन्धित रासायनिक एवं भौतिक प्रेक्षणों की व्याख्या करता है। सैद्धान्तिक रसायन के अन्तर्गत, भौतिकी के मूलभूत नियम, कूलॉम-नियम, गतिज ऊर्जा, स्थितिज ऊर्जा, प्लांक का नियम, पाउली अपवर्जन नियम आदि आते हैं। .

7 संबंधों: पाउली अपवर्जन नियम, प्लांक-नियम, स्थितिज ऊर्जा, गतिज ऊर्जा, कूलॉम-नियम, अणु, अभिकलनात्मक रसायन

पाउली अपवर्जन नियम

पाउली का अपवर्जन का नियम (Pauli exclusion principle) क्वाण्टम यांत्रिकी का एक सिद्धान्त है जिसे सन् १९२५ में वुल्फगांग पाउली ने प्रतिपादित किया था। (अपवर्जन का अर्थ होता है - छोड़ना, अलग नियम लागू होना, आदि।) इस सिद्धान्त के अनुसार- किसी एक ही परमाणु में स्थित इलेक्ट्रॉनों के लिये यह नियम कहता है कि "किन्ही भी दो इलेक्ट्रॉनों की चारों (यानी सभी) प्रमात्रा संख्याएं एक समान नहीं हो सकतीं। इस सिद्धान्त के अनुसार समान अवस्था वाले अथवा समान गुणधर्म वाले दो कण (जिनके प्रचक्रण, कलर चार्ज, कोणीय संवेग इत्यदि समान हो) किसी एक समय मे किसी एक स्थान पर नहीं रह सकते है। जो कण इस सिध्दांत का पालन करते है, फर्मिऑन कहलाते है, जैसे: इलेक्ट्रॉन, प्राणु, न्यूट्रॉन इत्यादि; एवं जो कण इस सिध्दांत का पालन नहीं करते है, बोसॉन कहलाते है, जैसे: फोटॉन, ग्लुऑन, गेज बोसान। .

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प्लांक-नियम

प्लांक नियम (रंगीन वक्र) कृष्णिका विकिरण को विद्युतचुंबकीय विकिरण का क्वांटम मानते हुए शुद्धता से वर्णित करता है। इसकी सहायता से पराबैंगनी महाविपत्‍ति (काला वक्र) को सफलतापूर्वक हल कर लिया गया, जो चिरसम्मत भौतिकी की वृहत् समस्या और यह एक अग्रणी परिणाम है जिसने क्वांटम यांत्रिकी को जन्म दिया। प्लांक नियम निश्चित ताप पर तापीय साम्य में कृष्णिका द्वारा उत्सर्जित विद्युतचुंबकीय विकिरण को वर्णित करता है। इसका नामकरण मैक्स प्लांक के समान में किया गया, जिन्होनें यह सन् १९०० में प्रस्तावित किया था। यह आधुनिक भौतिकी और क्वांटम सिद्धांत के सम्बन्द्ध अग्रणी परिणाम है। प्लांक नियम निम्न प्रकार लिखा जा सकता है: श्रेणी:मूलभूत भौतिकी.

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स्थितिज ऊर्जा

रोलर कोस्टर में जब गाड़ी सबसे ऊँचाई पर रहती है तो उसकी स्थितिज ऊर्जा भी सर्वाधिक होती है तथा जब वो सबसे नीचे आती है तो उसमें गतिज ऊर्जा सर्वाधिक होती है। अर्थात स्थितिज ऊर्जा .

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गतिज ऊर्जा

गतिज ऊर्जा (Kinetic Energy) किसी पिण्ड की वह अतिरिक्त ऊर्जा है जो उसके रेखीय वेग अथवा कोणीय वेग अथवा दोनो के कारण होती है। इसका मान उस पिण्ड को विरामावस्था से उस वेग तक त्वरित करने में किये गये कार्य के बराबर होती है। यदि किसी पिण्ड की गतिज ऊर्जा E हो तो उसे विरामावस्था में लाने के लिये E के बराबर ऋणात्मक कार्य करना पड़ेगा। गतिज ऊर्जा (रेखीय गति) .

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कूलॉम-नियम

कूलॉम्ब के नियम की मूल संकल्पना को समझाने वाला चित्र कूलॉम-नियम (Coulomb's law) विद्युत आवेशों के बीच लगने वाले स्थिरविद्युत बल के बारे में एक नियम है जिसे कूलम्ब नामक फ्रांसीसी वैज्ञानिक ने १७८० के दशक में प्रतिपादित किया था। यह नियम विद्युतचुम्बकत्व के सिद्धान्त के विकास के लिये आधार का काम किया। यह नियम अदिश रूप में या सदिश रूप में व्यक्त किया जा सकता है। अदिश रूप में यह नियम निम्नलिखित रूप में है- .

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अणु

साधारण चीनी का अणु - इसमें १२ कार्बन (काला रंग), २२ हाइड्रोजन (सफ़ेद रंग) और ११ आक्सीजन (लाल रंग) के परमाणु एक दुसरे से जुड़े हुए होते हैं अणु पदार्थ का वह छोटा कण है जो प्रकृति के स्वतंत्र अवस्था में पाया जाता है लेकिन रासायनिक प्रतिक्रिया में भाग नहीं ले सकता है। रसायन विज्ञान में अणु दो या दो से अधिक, एक ही प्रकार या अलग अलग प्रकार के परमाणुओं से मिलकर बना होता है। परमाणु मजबूत रसायनिक बंधन के कारण आपस में जुड़े रहते हैं और अणु का निर्माण करते हैं। अणु की संकल्पना ठोस, द्रव और गैस के लिये अलग अलग हो सकती है। अणु पदार्थ के सबसे छोटे भाग को कहते हैं। यह कथन गैसो के लिये ज्यादा उपयुक्त है। उदाहरण के लिये, ओक्सीजन गैस उसके स्वतन्त्र अणुओ का एक समूह है। द्रव और ठोस में अणु एक दूसरे से किसी ना किसी बन्धन में रह्ते है, इनका स्वतन्त्र अस्तित्व नहीं होता है। कई अणु एक दूसरे से जुडे होते है और एक अणु को अलग नहीं किया जा सकता है। अणु में कोई विद्युत आवेश नहीं होता है। अणु एक ही तत्व के परमाणु से मिलकर बने हो सकते हैं या अलग अलग तत्वों के परमाणु से मिलकर। .

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अभिकलनात्मक रसायन

अभिकलनात्मक रसायन (Computational chemistry), रसायन विज्ञान की एक शाखा है जिसमें रासायनिक गणनाओं के हल के लिये संगणक के सिद्धांतों का उपयोग किया जाता है। इसमें अणुओं और ठोसों की संरचना और गुणधर्मों की गणना करने के लिए एक दक्ष कम्प्यूटर प्रोग्राम में सैद्धान्तिक रसायन के परिणामों को डाला जाता है। .

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