20 संबंधों: तंज़ानिया, नर, नाखून, परभक्षी, पित्ताशय, पक्षी, प्राणी, रज्जुकी, लिंग, सिंह, हरम, हिरण, ज़ीब्रा, वंश (जीवविज्ञान), खुर, गण (जीवविज्ञान), आयु, कशेरुकी प्राणी, कुल (जीवविज्ञान), उड़ान रहित पक्षी।
तंज़ानिया
तंजानिया का संयुक्त गणराज्य (स्वाहिली: Jamhuri ya Muungano wa Tanzania), अफ्रीका महाद्वीप के पूर्वी भाग में स्थित एक देश है, जिसकी सीमायें, उत्तर में कीनिया और युगांडा, पश्चिम में रवांडा, बुरुंडी और कांगो, दक्षिण में ज़ाम्बिया, मलावी और मोजाम्बिक से मिलती हैं, तथा देश की पूर्वी सीमा हिंद महासागर द्वारा निर्धारित होती है। तंजानिया का संयुक्त गणराज्य, 26 प्रदेशों जिन्हें मिकाओ कहते हैं से मिलकर बना है, जिनमें ज़ांज़ीबार का स्वायत्त क्षेत्र भी शामिल है। 2005 में निर्वाचित राष्ट्रपति जकाया किकवेते म्रिशो देश के वर्तमान राष्ट्रप्रमुख हैं। 1996 से, तंजानिया की सरकारी राजधानी दोदोमा है, जहां संसद और कुछ सरकारी कार्यालय स्थित हैं। स्वतंत्रता प्राप्ति से लेकर 1996 के बीच, तटीय शहर दार अस सलाम ने देश की राजनीतिक राजधानी बना रहा। आज, दार-एस-सलाम तंजानिया का सबसे प्रमुख वाणिज्यिक शहर है और ज्यादातर सरकारी कार्यालय यहीं पर स्थित हैं। यह देश का और उसके स्थलरुद्ध पड़ोसी देशों के लिए सबसे प्रमुख बंदरगाह है। तंजानिया नाम दो राष्ट्रों तंगानयिका और ज़ांज़ीबार से मिलकर से मिलकर बना है, जिनके विलय स्वरूप 1964 में तंगानयिका और ज़ांज़ीबार का संयुक्त गणराज्य अस्तित्व में आया था जिसका नाम उसी वर्ष बाद में बदल कर तंजानिया का संयुक्त गणराज्य कर दिया गया। .
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नर
मानव के नरों को पुरुष (♂) कहा जाता है। एक जीव का लिंग है जो की छोटे मोबाइल गमेट्स पैदा करता हैं जिसे की स्पर्म या शुक्राणु भी कहते हैं। हर एक शुक्राणु एक मादा अंडे के साथ क्रिया कर एक गर्भ के रूप में विकास कर सकता हैं। हर कोई प्रजाति इस पुरुष और स्त्री के पहचान से नहीं जानी जा सकती है। इंसानों और जानवरों में लिंग जहाँ लिंग (अंग) से बताया जा सकता हैं वही अन्य जीवो में यह कई अन्य बातों पर निर्भर करता हैं। .
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नाखून
नाखून मनुष्यों के हाथ तथा पांव की अंगुलियों के आख़िरी हिस्से के ऊपरी भाग में एक ठोस कवचनुमा आवरण होता है। यह वानरों और कुछ अन्य स्तनपाइयों में भी विद्यमान होता है। अनेक जीवों में नाखून पंजों के समान होता है। यह एक कठोर प्रोटीन कॅराटिन से बना होता है पशुओं के सींग भी इसी पदार्थ के होते हैं। .
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परभक्षी
भारतीय अजगर एक चीतल को मुदुमलाई वन्यजीव अभयारण्य, केरल में निगलता हुआ परभक्षी (predator) वह वन्य जीव होता है जो अन्य प्राणियों का शिकार करके उन्हें खाकर अपना तथा अपने परिवार का पेट भरता है।Begon, M., Townsend, C., Harper, J. (1996).
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पित्ताशय
पित्ताशय एक लघु ग़ैर-महत्वपूर्ण अंग है जो पाचन क्रिया में सहायता करता है और यकृत में उत्पन्न पित्त का भंडारण करता है। .
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पक्षी
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प्राणी
प्राणी या जंतु या जानवर 'ऐनिमेलिया' (Animalia) या मेटाज़ोआ (Metazoa) जगत के बहुकोशिकीय और सुकेंद्रिक जीवों का एक मुख्य समूह है। पैदा होने के बाद जैसे-जैसे कोई प्राणी बड़ा होता है उसकी शारीरिक योजना निर्धारित रूप से विकसित होती जाती है, हालांकि कुछ प्राणी जीवन में आगे जाकर कायान्तरण (metamorphosis) की प्रकिया से गुज़रते हैं। अधिकांश जंतु गतिशील होते हैं, अर्थात अपने आप और स्वतंत्र रूप से गति कर सकते हैं। ज्यादातर जंतु परपोषी भी होते हैं, अर्थात वे जीने के लिए दूसरे जंतु पर निर्भर रहते हैं। अधिकतम ज्ञात जंतु संघ 542 करोड़ साल पहले कैम्ब्रियन विस्फोट के दौरान जीवाश्म रिकॉर्ड में समुद्री प्रजातियों के रूप में प्रकट हुए। .
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रज्जुकी
रज्जुकी (संघ कॉर्डेटा) जीवों का एक समूह है जिसमें कशेरुकी (वर्टिब्रेट) और कई निकट रूप से संबंधित अकशेरुकी (इनवर्टिब्रेट) शामिल हैं। इनका इस संघ मे शामित होना इस आधार पर सिद्ध होता है कि यह जीवन चक्र मे कभी न कभी निम्न संरचनाओं को धारण करते हैं जो हैं, एक पृष्ठरज्जु (नोटोकॉर्ड), एक खोखला पृष्ठीय तंत्रिका कॉर्ड, फैरेंजियल स्लिट एक एंडोस्टाइल और एक पोस्ट-एनल पूंछ। संघ कॉर्डेटा तीन उपसंघों मे विभाजित है: यूरोकॉर्डेटा, जिसका प्रतिनिधित्व ट्युनिकेट्स द्वारा किया जाता है; सेफालोकॉर्डेटा, जिसका प्रतिनिधित्व लैंसलेट्स द्वारा किया जाता है और क्रेनिएटा, जिसमे वर्टिब्रेटा शामिल हैं। हेमीकॉर्डेटा को चौथे उपसंघ के रूप मे प्रस्तुत किया जाता है पर अब इसे आम तौर पर एक अलग संघ के रूप में जाना जाता है। यूरोकॉर्डेट के लार्वा में एक नोटॉकॉर्ड और एक तंत्रिका कॉर्ड पायी जाती है पर वयस्क होने पर यह लुप्त हो जातीं हैं। सेफालोकॉर्डेट एक नोटॉकॉर्ड और एक तंत्रिका कॉर्ड पायी जाती है लेकिन कोई मस्तिष्क या विशेष संवेदना अंग नहीं होता और इनका एक बहुत ही सरल परिसंचरण तंत्र होता है। क्रेनिएट ही वह उपसंघ है जिसके सदस्यों में खोपड़ी मिलती है। इनमे वास्तविक देहगुहा पाई जाती है। इनमे जनन स्तर सदैव त्री स्तरीय पाया जाता है। सामान्यत लैंगिक जनन पाया जाता है। सामान्यत प्रत्यक्ष विकास होता है। इनमे RBC उपस्थित होती है। इनमे द्वीपार्शविय सममिती पाई जाती है। इसके जंतु अधिक विकसित होते है। श्रेणी:जीव विज्ञान *.
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लिंग
व्याकरण से सम्बन्धित 'लिंग' के लिये लिंग (व्याकरण) देखें। ---- मानव पुरुष और स्त्री का वाह्य दृष्य जीवविज्ञान में लिंग (Sex, Gender) से तात्पर्य उन पहचानों या लक्षणों से जिनके द्वारा जीवजगत् में नर को मादा से पृथक् पहचाना जाता है। जंतुओं में असंख्य जंतु ऐसे होते हैं जिन्हें केवल बाह्य चिह्नों से ही नर, या मादा नहीं कहा जा सकता। नर तथा मादा का निर्णय दो प्रकार के चिह्नों, प्राथमिक (primary) और गौण (secondary) लैंगिक लक्षणों (sexual characters), द्वारा किया जाता है। वानस्पतिक जगत् में नर तथा मादा का भेद, विकसित प्राणियों की भाँति, पृथक्-पृथक् नहीं पाया जाता। जो की सत्य है। .
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सिंह
सिंह के कई अर्थ हो सकते हैं:-.
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हरम
हरम का एक दृश्य हरम किसी एक पुरुष की अनेक स्त्रियों के रहने के उस स्थान को कहते हैं जहाँ अन्य मर्दों का जाना वर्जित होता है। यह प्रथा मध्य पूर्व से शुरु हुई और अब पाश्चात्य सभ्यता में इसे उसमानी साम्राज्य से जोड़कर देखा जाता है। दक्षिणी एशिया में इसको पर्दा प्रथा कहते हैं। .
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हिरण
right एक हिरण एक सर्विडे परिवार का रूमिनंट स्तनपायी जन्तु है। हिरण Cervidae परिवार के सदस्य हैं। एक मादा हिरण एक हरिणी कहा जाता है। एक पुरुष एक हिरन कहा जाता है। हिरण की प्रजातियों में से कई किस्में हैं। हिरण दुनिया भर के कई महाद्वीपों पर पाए जाते हैं। यह स्तनधारी प्रजातियों आमतौर पर वन निवास में रह पाया है। बक्स करने के लिए सींग है करते हैं। डो सींग का अधिकारी नहीं करते हैं। हिरण भी खुरों के अधिकारी। Animals of Hindustan small deer and cows called gīnī, from Illuminated manuscript Baburnama (Memoirs of Babur) श्रेणी:हिरण श्रेणी:स्तनधारी.
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ज़ीब्रा
ज़ीब्रा या ज़ेब्रा अफ़्रीका में घोड़े के कुल की कई जातियाँ हैं जो अपने शरीर में सफ़ेद और काली धारियों से पहचाने जाते हैं। इसकी धारियाँ अलग-अलग प्रकार की होती हैं और मनुष्य के अंगुलियों के निशान की तरह दो जानवरों की धारियाँ एक जैसी नहीं होती हैं। यह सामाजिक प्राणी होते हैं जो छोटे से लेकर बड़े झुण्डों में रहते हैं। अपने करीबी रिश्तेदारों घोड़े और गधे के विपरीत ज़ीब्रा को कभी पालतू नहीं बनाया जा सका। ज़ीब्रा की तीन जातियाँ जीवित हैं — मैदानी ज़ीब्रा, ग्रॅवी का ज़ीब्रा और पहाड़ी ज़ीब्रा। मैदानी और पहाड़ी ज़ीब्रा हिप्पोटिग्रिस उपवंश के हैं लेकिन ग्रॅवी का ज़ीब्रा डॉलिकोहिप्पस उपवंश का है। ग्रॅवी का ज़ीब्रा गधे की तरह ज़्यादा दीखता है और उससे करीबी रूप से सम्बन्धित भी है, जबकि पहले दो घोड़े रूपी अधिक होते हैं। तीनों ऍक्वस प्रजाति के अंतर्गत आते हैं। .
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वंश (जीवविज्ञान)
एक कूबड़ वाला ड्रोमेडरी ऊँट और दो कूबड़ो वाला बैक्ट्रियाई ऊँट दो बिलकुल अलग जातियाँ (स्पीशीज़) हैं लेकिन दोनों कैमेलस (Camelus) वंश में आती हैं जातियाँ आती हैं वंश (लैटिन: genus, जीनस; बहुवाची: genera, जेनेरा) जीववैज्ञानिक वर्गीकरण में जीवों के वर्गीकरण की एक श्रेणी होती है। एक वंश में एक-दूसरे से समानताएँ रखने वाले कई सारे जीवों की जातियाँ आती हैं। ध्यान दें कि वंश वर्गीकरण के लिए मानकों को सख्ती से संहिताबद्ध नहीं किया गया है और इसलिए अलग अलग वर्गीकरण कर्ता वंशानुसार विभिन्न वर्गीकरण प्रस्तुत करते हैं।, David E. Fastovsky, David B. Weishampel, pp.
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खुर
एक हिरन के खुर ऊँट के खुर खुर (hoof) कुछ स्तनधारी जानवरों के पाऊँ की उँगलियों के उस अंतिम भाग को कहा जाता है जो उनका भार उठाए और केराटिन नामक नाखून-जैसी सख़्त चीज़ से ढका हो।खुर को सूम भी कहते है। खुर वाले पशुओं को खुरदार या अंग्युलेट (ungulate) कहा जाता है और इनमें बहुत से जाने-पहचाने जानवर शामिल हैं जैसे कि घोड़ा, गधा, ज़ेब्रा, गाय, गेंडा, ऊँट, दरियाई घोड़ा, सूअर, बकरी, तापीर, हिरन, जिराफ़, ओकापी, साइगा और रेनडियर। खुर का किनारा और अंदरूनी भाग दोनों पशु का भार उठाते हैं।, Colin Tudge, Simon and Schuster, 1997, ISBN 978-0-684-83052-0,...
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गण (जीवविज्ञान)
कुल आते हैं गण (अंग्रेज़ी: order, ऑर्डर; लातिनी: ordo, ओर्दो) जीववैज्ञानिक वर्गीकरण में जीवों के वर्गीकरण की एक श्रेणी होती है। एक गण में एक-दुसरे से समानताएँ रखने वाले कई सारे जीवों के कुल आते हैं। ध्यान दें कि हर जीववैज्ञानिक कुल में बहुत सी भिन्न जीवों की जातियाँ-प्रजातियाँ सम्मिलित होती हैं।, David E. Fastovsky, David B. Weishampel, pp.
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आयु
जीवनकाल को आयु कहते हैं, यद्यपि वय, अवस्था या उम्र को भी बहुधा आयु ही कह दिया जाता है। जीवित मानव, पशु, पक्षियों, कीट, पतन्गों, सूच्छम जीवियों, वनस्पतियों और र्निजीव पदार्थों के जन्म अथवा पैदा होंनें के समय से लेकर उस पदार्थ की मृत्यु अथवा समाप्त होंनें तक के समय को आयु से सम्बोधित करते हैं। विभिन्न प्राणियों की आयुओं में बड़ी भिन्नता है। एक प्रकार की मक्खी की आयु कुछ घंटों की ही होती है। उधर कछुए की आयु दो सौ वर्षों तक की होती है। आयु की सीमा मोटे हिसाब से शरीर की तौल के अनुपात में होती है, यद्यपि कई अपवाद भी हैं। कुछ पक्षी कई स्तनधारियों से अधिक जीवित रहते हैं। कुछ मछलियाँ १५० से २०० वर्षों तक जीवित रहती हैं, किंतु घोड़ा ३० वर्ष में मर जाता है। वृक्षों की रचना भिन्न होने से उनकी आयु की कोई मर्यादा नहीं है। अमरीका में कुछ वृक्षों को गिराने के बाद उनके वार्षिक वलयों से पता लगा कि वे २००० वर्षों से भी कुछ अधिक वय के थे। मृत्यु पर, अर्थात् जीवन के अंत पर, अमीबा तथा अन्य प्रोटोज़ोआ ने विजय प्राप्त कर ली। एक से दो में विभक्त होकर प्रजनित होने से इन्होंने आयु की सीमा को लाँघ लिया है। इनकी अबाध जीवनधारा के कारण इन्हें अमर भी कहा जाता है। परंतु उन्नत वर्ग के प्राणियों में जीवन का अंत टालना असंभव है; इसलिए उन सभी की आयु सीमाबद्ध है। यह देखकर कि किसी प्राणी को प्रौढ़ होने में कितने वर्ष लगते हैं, उसकी पूरी आयु का अनुमान लगाया जा सकता है। मनुष्य का जीवनकाल १०० वर्ष आँका गया है। पिछले कई वर्षों में कई कारणों से मनुष्य का महत्तम काल तो अधिक नहीं बढ़ पाया है, किंतु औसत आयु बढ़ गई है। यह वृद्धि इसलिए हुई कि बच्चों को मृत्यु से बचाने में आयुर्विज्ञान (मेडिकल सायंस) ने बड़ी उन्नति की है। बुढ़ापे के रोगों में, विशेषकर धमनियों के कड़ी हो जाने की चिकित्सा में, विशेष सफलता नहीं मिली है। आनुवंशिकता और पर्यावरण का आयु पर बहुत प्रभाव पड़ता है। खोजों से पता चला है कि यदि प्रसव के समय की मृत्युओं की गणना न की जाय तो पुरुषों की अपेक्षा स्त्रियाँ अधिक समय तक जीवित रहती हैं। यह भी निर्ववाद है कि दीर्घजीवी माता पिता की संतान साधारणत: दीर्घजीवी होती हैं। स्वस्थ वातावरण में प्राणी दीर्घजीवी होता है। जीव की जन्मजात बलशाली जीवनशक्ति बाहर के दूषित वातावरण के प्रभाव से प्राणी की बहुत कुछ रक्षा करती है, परंतु अधिक दूषित वातावरण रोगों के माध्यम से आयु पर प्रभाव डालता है। इसके अतिरिक्त देखा गया है कि चिंता, अनुचित आहार तथा अस्वास्थ्यकारी पर्यावरण आयु घटाते हैं। दूसरी ओर, प्रतिदिन की मानसिक या शारीरिक कार्यशीलता बुढ़ापे के विकृत रूप को दूर रखती है। अंगों के जीर्ण शीर्ण हो जाने की आशंका की अपेक्षा अकार्यता से बेकार होने की संभावना अधिक रहती है। विश्व के अनेक लेखक और चित्रकार दीर्घजीवी हुए हैं और अंत तक वे नए ग्रंथ और नए चित्र की रचना करते रहे हैं। अनियमित आहार, अति सुरापान और अति भोजन आयु को घटाते हैं। सौ वर्ष से अधिक काल तक जीनेवाले व्यक्तियों में से अधिकांश लघु आहार करनेवाले रहे हैं। अधिक भोजन करने से बहुधा मधुमेह (डायबिटीज़) या धमनी, हृदय या वृक्क (गुरदे) का रोग हो जाता है। बुढ़ापा स्वस्थ और सुखद हो सकता है अथवा रोगग्रस्त, पीड़ामय और दु:खद। स्वस्थ बुढ़ापे में क्रियाशीलता कम हो जाती है और कुछ दुर्बलता आ जाती है, परंतु मन शांत रहता है। मानसिक दृष्टिकोण साधारणत: व्यक्ति के पूर्वगामी दृष्टिकोण पर निर्भर रहता है, जिससे कुछ व्यक्ति सुखी और दयालु रहते हैं, कुछ निराशावादी और छिद्रान्वेषी। श्टाइनाख और वोरोनॉफ़ ने बंदर की ग्रंथियों को मनुष्य में आरोपित करके अल्पकालीन युवावस्था कुछ लोगों में ला दी थी, परंतु उनकी रीतियों को अब कोई पूछता भी नहीं। उनकी शल्यक्रिया में मनुष्य का जीवन बढ़ नहीं सका। कुछ रोगों से मनुष्य समय के बहुत पहले बुड्ढा लगने लगता है। प्रोजीरिया नामक रोग में तो बच्चे भी बुड्ढों की आकृति के हो जाते हैं, परंतु सौभाग्यवश यह रोग बहुत कम होता है। कुछ रोग विशेषकर बुड्ढों में होते हैं। इनमें से प्रधान रोग हैं मधुमेह (डायबिटीज़), कर्कट (कैंसर) और हृदय, धमनी तथा वृक्क के रोग। बचपन और युवावस्था के रोगों में से न्यूमोनिया बहुधा बूढ़ों को भी हो जाता है और साधारणत: उनका प्राण ही ले लेता है। भेषज वैधिक (मेडिका-लीगल) कार्यों में यथार्थ वयhttp://www.achhikhabar.com/2011/12/16/age-quotes-in-hindi/ और https://www.lovetipsinhindi.com/ का आगणन बड़े महत्व की बात है। वयनिर्धारण में दाँत, बाल, मस्तिष्क तथा अस्थि की परीक्षा की जाती है और एक्स-किरणों आदि की सहायता भी ली जाती है। परंतु २५ वर्ष के ऊपर वय की निश्चित गणना ठीक से नहीं हो सकती। .
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कशेरुकी प्राणी
कशेरुकी जन्तु कशेरुकी या कशेरुकदंडी (वर्टेब्रेट, Vertebrate) प्राणिसाम्राज्य के कॉरडेटा (Chordata) समुदाय का सबसे बड़ा उपसमुदाय है। जिसके सदस्यों में रीढ़ की हड्डियाँ (backbones) या पृष्ठवंश (spinal comumns) विद्यमान रहते हैं। इस समुदाय में इस समय लगभग 58,000 प्रजातियाँ वर्णित हैं। इसमें बिना जबड़े वाली मछलियां, शार्क, रे, उभयचर, सरीसृप, स्तनपोषी तथा चिड़ियाँ शामिल हैं। ज्ञात जन्तुओं में लगभग 5% कशेरूकी हैं और शेष अकेशेरूकी। .
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कुल (जीवविज्ञान)
वंश आते हैं कुल (अंग्रेज़ी: family, फ़ैमिली; लातिनी: familia, फ़ामिलिया) जीववैज्ञानिक वर्गीकरण में प्राणियों के वर्गीकरण की एक श्रेणी होती है। एक कुल में एक-दुसरे से समानताएँ रखने वाले कई सारे जीवों के वंश आते हैं। ध्यान दें कि हर प्राणी वंश में बहुत-सी भिन्न प्राणियों की जातियाँ सम्मिलित होती हैं।, David E. Fastovsky, David B. Weishampel, pp.
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उड़ान रहित पक्षी
पेंगुइन एक उडा़न रहित पक्षी है उडा़न रहित पक्षी वह पक्षी होते हैं जिनमे उड़ने की क्षमता का अभाव होता है और यह पक्षी बजाय उड़ने के अपनी चलने या तैरने की योग्यता पर निर्भर होते हैं और माना जाता है कि इनका विकास इनके उड़ान में सक्षम पूर्वजों से हुआ है। वर्तमान में उडा़न रहित पक्षियों की लगभग चालीस प्रजातियों अस्तित्व में हैं और इनका सबसे अच्छे ज्ञात उदाहरण है, शतुरमुर्ग, कैसोवरी, एमु, रिया, कीवी और पेंगुइन। कुछ लोग यह मानते हैं कि उडा़न रहित पक्षियों का विकास शिकारियों के अभाव में द्वीपों पर हुआ है। श्रेणी:पक्षी.
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