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नर

सूची नर

मानव के नरों को पुरुष (♂) कहा जाता है। एक जीव का लिंग है जो की छोटे मोबाइल गमेट्स पैदा करता हैं जिसे की स्पर्म या शुक्राणु भी कहते हैं। हर एक शुक्राणु एक मादा अंडे के साथ क्रिया कर एक गर्भ के रूप में विकास कर सकता हैं। हर कोई प्रजाति इस पुरुष और स्त्री के पहचान से नहीं जानी जा सकती है। इंसानों और जानवरों में लिंग जहाँ लिंग (अंग) से बताया जा सकता हैं वही अन्य जीवो में यह कई अन्य बातों पर निर्भर करता हैं। .

56 संबंधों: ऊदबिलाव, चानक, चौसिंगा, चीतल, चीर, टिटहरी, टॅमिन्क ट्रॅगोपॅन, एशियाई हाथी, धारीदार पूँछ वाला तीतर, नारोमुरार, नारी, नीला विल्डबीस्ट, नीलगिरि तहर, पपीहा, पियोरा, पुरुष, फ़िन की बया, बया, बारहसिंगा, बंगाल का गिद्ध, भारतीय सेही, भूरी छाती वाला तीतर, मैथुन, यौन परिपक्वता, यौन अंग, राना टिग्रिना, लाल सिर वाला गिद्ध, लाल जंगली मुर्गा, लिंग, लौवा, लौआ, लैंगिक प्रौढ़ता, शिश्न, शिकरा, शुतुरमुर्ग, सफ़ेद तीतर, सफ़ेद गाल वाला तीतर, सलेटी जंगली मुर्गा, साम्भर (हिरण), सी-सी तीतर, हाथी, हिम तीतर, हिमालयी तहर, हिमालयी मोनाल, हुत्काह, जिन्को बाइलोबा, जंगली तीतर, जेवर (पक्षी), विल्डबीस्ट, काला तीतर, ..., काला हिरन, काला विल्डबीस्ट, कालिज, काकड़, कोकलास, छोटी जंगली मुर्गी सूचकांक विस्तार (6 अधिक) »

ऊदबिलाव

ऊदबिलाव (अंग्रेज़ी: Otter) एक अर्धजलीय (जल और स्थल में समय बांटने वाला) स्तनधारी जानवर है। यह एक मांसाहारी प्राणी है। इसकी 13 ज्ञात जातियाँ हैं। ऑस्ट्रेलिया और अन्टार्कटिका को छोड़कर ऊदबिलाव बाक़ी सभी महाद्वीपों पर मिलते हैं।, Michael Leach, pp.

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चानक

चानक या चीनी बटेर (Rain Quail या Black-breasted Quail) (Coturnix coromandelica) बटेर की एक जाति है जो भारतीय उपमहाद्वीप में पाई जाती है। यह जाति कंबोडिया, थाइलैंड, नेपाल, पाकिस्तान, बांग्लादेश, भारत, म्यानमार, वियतनाम और श्रीलंका की मूल निवासी है। .

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चौसिंगा

चौसिंगा, जिसे अंग्रेज़ी में Four-horned Antelope कहते हैं, एक छोटा बहुसिंगा है। यह टॅट्रासॅरस प्रजाति में एकमात्र जीवित जाति है और भारत तथा नेपाल के खुले जंगलों में पाया जाता है। चौसिंगा एशिया के सबसे छोटे गोकुलीय प्राणियों में से हैं। .

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चीतल

चीतल, या चीतल मृग, या चित्तिदार हिरन हिरन के कुल का एक प्राणी है, जो कि श्री लंका, नेपाल, भूटान, बांग्लादेश, भारत में पाया जाता है। पाकिस्तान के भी कुछ इलाकों में भी बहुत कम पाया जाता है। अपनी प्रजाति का यह एकमात्र जीवित प्राणी है। .

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चीर

चीर (Cheer pheasant) (Catreus wallichii) एक मयूरवंशी पक्षी है जो कि पाक अधिकृत कश्मीर, भारत तथा नेपाल में पाया जाता है। .

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टिटहरी

टिटहरी (अंग्रेज़ी:Sandpiper, संस्कृत: टिट्टिभ) मध्यम आकार के जलचर पक्षी होते हैं, जिनका सिर गोल, गर्दन व चोंच छोटी और पैर लंबे होते हैं। यह प्राय: जलाशयों के समीप रहती है। इसे कुररी भी कहते हैं। नर अपनी मादा को हवाई करतबों से रिझाता है, जिनमें उड़ान के बीच में द्रुत चढ़ाव, पलटे और चक्कर होते है। यह तेज़ चक्करों, हिचकोलों और लुढ़कन भरी उड़ान है, जिसमें कुछ अंतराल पर पंख फड़फड़ाने की ऊंची ध्वनि दूर तक सुनाई देती है। ये धरती पर मामूली सा खोदकर अथवा थोड़े से कंकरों और बालू से घिरे गढ्डे में घोंसला बनाते हैं। इनका प्रजनन बरसात के समय मार्च से अगस्त के दौरान होता है। ये सामान्यत: दो से पांच नाशपाती के आकार के (पृष्ठभूमि से बिल्कुल मिलते-जुलते, पत्थर के रंग के हल्के पीले पर स्लेटी-भूरे, गहरे भूरे या बैंगनी धब्बों वाले) अंडे देती हैं। .

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टॅमिन्क ट्रॅगोपॅन

टॅमिन्क ट्रॅगोपॅन (Temminck's tragopan) (Tragopan temminckii) फ़ीज़ॅन्ट कुल के ट्रॅगोपॅन प्रजाति का पक्षी है। .

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एशियाई हाथी

एशियाई हाथी ऍलिफ़स प्रजाति की एकमात्र जीवित जाति है जो पश्चिम में भारत से लेकर पूर्व में बोर्नियो द्वीप तक पाया जाता है। इसकी तीन उपजातियाँ पहचानी जाती हैं —ऍलिफ़स मॅक्सिमस मॅक्सिमस श्रीलंका में, भारतीय हाथी (ऍलिफ़स मॅक्सिमस इन्डिकस) एशियाई मुख्यभूमि में, तथा ऍलिफ़स मॅक्सिमस सुमात्रेनस इंडोनीशिया के सुमात्रा द्वीप में। एशिया में यह ज़मीन का सबसे बड़ा जीवित प्राणी है। सन् १९८६ ई. से आइ.यू.सी.ऍन. ने इसे विलुप्तप्राय जाति की सूचि में डाला है क्योंकि पिछली तीन पीढ़ियों (क़रीब ६० से ७५ वर्ष) से इसकी आबादी में ५० प्रतिशत की गिरावट पायी गई है। यह जाति वस्तुतः आवासीय क्षेत्र की कमी, अधःपतन तथा विखण्डन का शिकार हुई है।सन् २००३ ई. में इसकी जंगली आबादी ४१,४१० तथा ५२,३४५ के बीच आंकी गई थी। एशियाई हाथी दीर्घायु होते हैं; सबसे लम्बी आयु ८६ वर्ष की दर्ज की गई है। सदियों से इस जानवर को दक्षिणी तथा दक्षिण पूर्वी एशिया में पालतू बनाया गया है तथा इसका विभिन्न प्रकार से उपयोग किया गया है। प्राचीन भारत में इसको घोड़ों की तरह सेना में प्रयोग किया जाता था। इसको धार्मिक जुलूसों में भी इसतेमाल किया जाता है। आधुनिक काल में इसे जंगल से पेड़ों के लट्ठे ढोने के काम में लाया जाता है। इसको पर्यटकों को, तथा राष्ट्रीय उद्यानों में सवारी कराने में भी इस्तेमाल किया जाता है।जंगली हाथियों को देखने के लिए विदेशी पर्यटक उन जगहों में आते हैं जहाँ उनके दिखने की सबसे ज़्यादा संभावना होती है;इससे राज्य को आमदनी भी होती है, लेकिन ऐसी जगहें ख़तरनाक होती हैं क्योंकि जंगली हाथी क़ाफ़ी आक्रामक होते हैं और मनुष्य की उपस्थिति में भगदड़ मचाते हैं जिससे खेती को क़ाफ़ी नुकसान होता है और ऐसी अवस्था में हाथी गाँवों में घुसकर जान-माल को नुकसान पहुँचाते हैं। .

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धारीदार पूँछ वाला तीतर

धारीदार पूँछ वाला तीतर (Mrs. Hume's pheasant) या (Hume's pheasant) या (bar-tailed pheasant) (Syrmaticus humiae) भारत के पूर्वोत्तर हिमालय तथा चीन, म्यानमार तथा थाइलैंड में पाया जाता है। .

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नारोमुरार

नारोमुरार वारिसलीगंज प्रखण्ड के प्रशाशानिक क्षेत्र के अंतर्गत राष्ट्रीय राजमार्ग 31 से 10 KM और बिहार राजमार्ग 59 से 8 KM दूर बसा एकमात्र गाँव है जो बिहार के नवादा और नालंदा दोनों जिलों से सुगमता से अभिगम्य है। वस्तुतः नार का शाब्दिक अर्थ पानी और मुरार का शाब्दिक अर्थ कृष्ण, जिनका जन्म गरुड़ पुराण के अनुसार विष्णु के 8वें अवतार के रूप में द्वापर युग में हुआ, अर्थात नारोमुरार का शाब्दिक अर्थ विष्णुगृह - क्षीरसागर है। प्रकृति की गोद में बसा नारोमुरार गाँव, अपने अंदर असीम संस्कृति और परंपरा को समेटे हुए है। यह भारत के उन प्राचीनतम गांवो में से एक है जहाँ 400 वर्ष पूर्व निर्मित मर्यादा पुरुषोत्तम राम व् परमेश्वर शिव को समर्पित एक ठाकुर वाड़ी के साथ 1920 इसवी, भारत की स्वतंत्रता से 27 वर्ष पूर्व निर्मित राजकीयकृत मध्य विद्यालय और सन 1956 में निर्मित एक जनता पुस्तकालय भी है। पुस्तकालय का उद्घाटन श्रीकृष्ण सिंह के समय बिहार के शिक्षा मंत्री द्वारा की गयी थी। .

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नारी

नारी मानव की स्त्री को कहते हैं, जो नर का स्त्रीलिंग है। नारी शब्द मुख्यत: वयस्क स्त्रियों के लिए इस्तेमाल किया जाता है। कई संदर्भो में मगर यह शब्द संपूर्ण स्त्री वर्ग को दर्शाने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है, जैसे: नारी-अधिकार। .

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नीला विल्डबीस्ट

नीला विल्डबीस्ट, सामान्य विल्डबीस्ट या सफ़ेद दाढ़ी वाला विल्डबीस्ट विल्डबीस्ट की दो जातियों में से एक है। इसका सबसे करीबी रिश्तेदार काला विल्डबीस्ट है। यह जाति अफ़्रीका महाद्वीप में पाई जाती है। यह खुले मैदानों में, दक्षिण अफ़्रीका और पूर्वी अफ़्रीका के खुले जंगलों में पाये जाते हैं और २० वर्ष से अधिक उम्र तक जीवित रहते हैं। नर अपने क्षेत्र की रक्षा के मामले में बहुत उग्र होता है और अपने क्षेत्र को जताने के लिए गंध और अन्य तरीकों का इस्तेमाल करता है। इनकी सबसे बड़ी संख्या सेरेंगेटी, तंज़ानिया में है जहाँ यह १० लाख से भी ज़्यादा हैं। इनके प्रमुख शिकारी सिंह, लकड़बग्घे और नील नदी के मगरमच्छ होते हैं। कभी-कभी २ से ३ चीतों को भी इनका शिकार करते देखा गया है। इनका शिकार झुण्ड में अफ़्रीका के जंगली कुत्ते भी करते हैं। नर की कंधे तक औसतन ऊँचाई १४५ से.मी.

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नीलगिरि तहर

नीलगिरि तहर Nilgiri tahr (Nilgiritragus hylocrius) भारत के तमिल नाडु और केरल राज्यों में नीलगिरि पर्वत और पश्चिमी घाट के दक्षिणी भाग में रहने वाला जंगली प्राणी है जिसके निकट सम्बन्धी जंगली बकरी और भेड़ हैं। इसे स्थानीय बोल-चाल में नीलगिरि साकिन (ibex) या केवल साकिन के नाम से भी जाना जाता है। यह एक संकटग्रस्त जाति है। .

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पपीहा

पपीहा एक पक्षी है जो दक्षिण एशिया में बहुतायत में पाया जाता है। यह दिखने में शिकरा की तरह होता है। इसके उड़ने और बैठने का तरीका भी बिल्कुल शिकरा जैसा होता है। इसीलिए अंग्रेज़ी में इसको Common Hawk-Cuckoo कहते हैं। यह अपना घोंसला नहीं बनाता है और दूसरे चिड़ियों के घोंसलों में अपने अण्डे देता है। प्रजनन काल में नर तीन स्वर की आवाज़ दोहराता रहता है जिसमें दूसरा स्वर सबसे लंबा और ज़्यादा तीव्र होता है। यह स्वर धीरे-धीरे तेज होते जाते हैं और एकदम बन्द हो जाते हैं और काफ़ी देर तक चलता रहता है; पूरे दिन, शाम को देर तक और सवेरे पौं फटने तक। .

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पियोरा

पियोरा (Hill Partridge) (Arborophila torqueola) तीतर कुल का एक पक्षी है जो पूर्वोत्तर भारत से लेकर लगभग समूचे दक्षिण पूर्व एशिया में काफ़ी संख्या में पाया जाता है। .

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पुरुष

पुरुष शब्द का प्रयोग वैदिक साहित्य में कई जगह मिलता है। जीवात्मा (आत्मा) को कपिल मुनि कृत सांख्य शास्त्र में पुरुष कहा गया है - ध्यान दीजिये इसमें यह लिंग द्योतक न होकर आत्मा द्योतक है। वेदों में नर के लिए पुम् (पुंस, और पुमान) मूलों का इस्तेमाल मिलता है। इसके अलावे बृहदारण्यक उपनिषत में ईश्वर के लिए पुरुष शब्द का इस्तेमाल मिलता है। .

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फ़िन की बया

फ़िन की बया एक छोटी बुनकर चिड़िया की जाति है जो भारत और नेपाल में गंगा तथा ब्रह्मपुत्र की घाटियों में पाई जाती है। इसकी दो उपजातियाँ पहचानी जाती हैं—प्लोसिअस मॅगरहिन्चस, जो कि कुमाऊँ में और प्लोसिअस सलीमअली जो कि पूर्वी तराई में पाई जाती हैं। जब ह्यूम को नैनीताल के पास कालाढूंगी से इस जाति का नमूना मिला तो उन्होंने इसका नामकरण किया। यह जाति फ़्रॅन्क फ़िन द्वारा कोलकाता के पास के तराई इलाके में दुबारा खोजी गई और इसे उनका नाम मिला। ओट्स ने सन् १८८९ में इसे पूर्वी बया नाम दिया जबकि स्टुअर्ट बेकर ने सन् १९२५ में इसे फ़िन की बया नाम दिया। .

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बया

पसन्द करती है क्योंकि इसकी वजह से इसके बच्चों को परभक्षियों से सुरक्षा प्रदान होती है। यह अपने घोंसले बस्ती के रूप में बनाती हैं और प्रजनन काल में एक ही वृक्ष में या आस-पास के वृक्षों में कई घोंसले एक साथ देखने को मिलते हैं। इस व्यवहार का संबन्ध संख इस व्यवहार का संबन्ध संख है। .

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बारहसिंगा

बारहसिंगा या दलदल का मृग (Rucervus duvaucelii) हिरन, या हरिण, या हिरण की एक जाति है जो कि उत्तरी और मध्य भारत में, दक्षिणी-पश्चिम नेपाल में पाया जाता है। यह पाकिस्तान तथा बांग्लादेश में विलुप्त हो गया है। बारहसिंगा का सबसे विलक्षण अंग है उसके सींग। वयस्क नर में इसकी सींग की १०-१४ शाखाएँ होती हैं, हालांकि कुछ की तो २० तक की शाखाएँ पायी गई हैं। इसका नाम इन्ही शाखाओं की वजह से पड़ा है जिसका अर्थ होता है बारह सींग वाला।Prater, S. H. (1948) The book of Indian animals.

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बंगाल का गिद्ध

बंगाल का गिद्ध एक पुरानी दुनिया का गिद्ध है, जो कि यूरोपीय ग्रिफ़न गिद्ध का संबन्धी है। एक समय यह अफ़्रीका के सफ़ेद पीठ वाले गिद्ध का ज़्यादा करीबी समझा जाता था और इसे पूर्वी सफ़ेद पीठ वाला गिद्ध भी कहा जाता है। १९९० के दशक तक यह पूरे दक्षिणी तथा दक्षिण पूर्वी एशिया में व्यापक रूप से पाया जाता था और इसको विश्व का सबसे ज़्यादा आबादी वाला बड़ा परभक्षी पक्षी माना जाता था लेकिन १९९२ से २००७ तक इनकी संख्या ९९.९% तक घट गई और अब यह घोर संकटग्रस्त जाति की श्रेणी में पहुँच गया है और अब बहुत कम नज़र आता है। .

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भारतीय सेही

भारतीय सेही एक कृंतक जानवर है। इसका फैलाव तुर्की, भूमध्य सागर से लेकर दक्षिण-पश्चिम तथा मध्य एशिया (अफ़गानिस्तान और तुर्कमेनिस्तान सहित) एवं दक्षिण एशिया (पाकिस्तान, भारत, नेपाल तथा श्रीलंका) और चीन तक में है। हिमालय में यह २,४०० मी.

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भूरी छाती वाला तीतर

भूरी छाती वाला तीतर (Chestnut-breasted Partridge) (Arborophila mandellii) तीतर परिवार का एक पक्षी है जो ब्रह्मपुत्र के उत्तर में स्थित पूर्वी हिमालय का मूल निवासी है और भारत के अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम तथा पश्चिम बंगाल (केवल दार्जीलिंग के क्षेत्र में) में, भूटान में, तथा दक्षिण-पूर्वी तिब्बत में जाना जाता है। .

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मैथुन

मैथुन जीव विज्ञान में आनुवांशिक लक्षणों के संयोजन और मिश्रण की एक प्रक्रिया है जो किसी जीव के नर या मादा (जीव का लिंग) होना निर्धारित करती है। मैथुन में विशेष कोशिकाओं (गैमीट) के मिलने से जिस नये जीव का निर्माण होता है, उसमें माता-पिता दोनों के लक्षण होते हैं। गैमीट रूप व आकार में बराबर हो सकते हैं परन्तु मनुष्यों में नर गैमीट (शुक्राणु) छोटा होता है जबकि मादा गैमीट (अण्डाणु) बड़ा होता है। जीव का लिंग इस पर निर्भर करता है कि वह कौन सा गैमीट उत्पन्न करता है। नर गैमीट पैदा करने वाला नर तथा मादा गैमीट पैदा करने वाला मादा कहलाता है। कई जीव एक साथ दोनों पैदा करते हैं जैसे कुछ मछलियाँ। .

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यौन परिपक्वता

यौन परिपक्वता उस अवस्था को कहते हैं जब नर और मादा प्रजनन लायक उम्र में प्रवेश करते हैं। नर में शुक्राणुओं का निर्माण तथा मादा में अण्डों का निर्माण शुरु हो जाता है।.

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यौन अंग

यौन अंग, शरीर के वह अंग होते हैं, जो किसी जीव की प्रजनन प्रकिया में सम्मिलित होने के साथ साथ उसके प्रजनन तंत्र का रचना भी करते हैं। स्तनधारियों के प्रमुख यौन अंग हैं: -.

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राना टिग्रिना

भारतीय मेढ़क '''राना टिग्रिना''' राना टिग्रिना नामक मेढ़क भारतीय उपमहाद्वीप में पाया जाने वाला बड़े आकार का मेढ़क है। .

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लाल सिर वाला गिद्ध

लाल सिर वाला गिद्ध (Sarcogyps calvus) जिसे एशियाई राजा गिद्ध, भारतीय काला गिद्ध और पौण्डिचैरी गिद्ध भी कहते हैं, भारतीय उपमहाद्वीप में पाया जाने वाला गिद्ध है। .

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लाल जंगली मुर्गा

लाल जंगली मुर्गा (Red junglefowl) (Gallus gallus) फ़ीज़ेन्ट कुल का पक्षी है जो उष्णकटिबंध के इलाकों में पाया जाता है। .

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लिंग

व्याकरण से सम्बन्धित 'लिंग' के लिये लिंग (व्याकरण) देखें। ---- मानव पुरुष और स्त्री का वाह्य दृष्य जीवविज्ञान में लिंग (Sex, Gender) से तात्पर्य उन पहचानों या लक्षणों से जिनके द्वारा जीवजगत् में नर को मादा से पृथक् पहचाना जाता है। जंतुओं में असंख्य जंतु ऐसे होते हैं जिन्हें केवल बाह्य चिह्नों से ही नर, या मादा नहीं कहा जा सकता। नर तथा मादा का निर्णय दो प्रकार के चिह्नों, प्राथमिक (primary) और गौण (secondary) लैंगिक लक्षणों (sexual characters), द्वारा किया जाता है। वानस्पतिक जगत् में नर तथा मादा का भेद, विकसित प्राणियों की भाँति, पृथक्-पृथक् नहीं पाया जाता। जो की सत्य है। .

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लौवा

लौवा (Rock Bush Quail) (Perdicula argoondah) बटेर के कुल का एक पक्षी है जो पश्चिमी और दक्षिणी भारत में व्यापक रूप से पाया जाता है। यह विशुद्ध भारतीय जाति है जो और कहीं भी नहीं पाई जाती है। जैसा कि इसका अंग्रेज़ी नाम प्रदर्शित करता है, यह पक्षी पथरीले इलाकों में अधिक पाया जाता है और यह इलाका मध्य भारत के विशाल क्षेत्र में है। मादा अगस्त या सितम्बर के महीने में ६ से ८ अण्डे देती है। यह अण्डे झाड़ियों के जड़ में खोदे गये ५-६ इन्च के कोटर में दिये जाते हैं। इसकी लंबाई लगभग १७ से १८.५ से.मी.

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लौआ

लौआ (Jungle Bush Quail) (Perdicula asiatica) बटेर परिवार का एक पक्षी है जो भारत और श्रीलंका में पाया जाता है और अब नेपाल से विलुप्त हो गया है। इसके आहार में अधिकतर घास के बीज होते हैं लेकिन इसे कीड़े-मकोड़ों से भी कोई परहेज़ नहीं है। नर और मादा में फ़र्क यह है कि जहाँ नर का अगला भाग सफ़ेद और काली धारियों से भरा होता है वहीं मादा का अग्र भाग लाली लिए हुए होता है। यह समुद्र सतह से चार से पाँच हज़ार फ़ुट की ऊँचाई तक घने जंगलों में, पर्वतीय इलाकों में, ऊबड़-खाबड़ मैदानों में, ऊसर ज़मीन में और ऐसे खेतों में जहाँ ज़्यादा पानी न हो, में पाया जाता है। इसकी लंबाई लगभग १६ से १८ से.मी.

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लैंगिक प्रौढ़ता

किसी जीवधारी की लैगिक प्रौढ़ता (sexual maturity) का अर्थ उस अवस्था से है जब वह प्रजनन करने के योग्य हो गया हो। मानवों में लैंगिक रूप से प्रौढ़ होने की प्रक्रिया को यौवनारंभ (puberty) कहते हैं। जब अधिकांश प्राणी लैगिक प्रौढ़ता की अवस्था में पहुँचते हैं, तब उनमें जनन क्रियाशीलता का नियतकालिक प्रादुर्भाव होता है, जिसे 'प्रजनन ऋतु', या 'काम ऋतु' कहते हैं। यह प्रादुर्भाव नर में कम और मादा में अधिक स्पष्ट होता है। प्रजनन ऋतु में प्रत्येक प्राणी पर, किसी में एक बार और किसी में अनेक बार, कामक्रियाशीलता की लयात्मक तरंगों का प्रभाव पड़ता है। प्रजनन ऋतुओं के मध्यांतर में कामप्रवृत्ति स्थगित रहती है। विभिन्न वर्ग के प्राणियों में विभिन्न आंतर तथा बाह्य कारणों से प्रजनन ऋतु का तीव्र आक्रमण होता है। इसके मूल में यह सिद्धांत निहित है कि अधिकांश प्राणियों का जननचक्र बदलती ऋतुओं के अनुरूप घटित होता है तथा भावी शिशु के विकास के अनुकूल काल में होता है। प्रजननचक्र के आविर्भाव में, बाह्य, या आंतर कारणों से पोषणाहार की प्राप्ति का भी महत्वपूर्ण हाथ है। स्तनधारी प्राणियों में प्रजननचक्र की आवृत्ति ऋतु, व्यक्तिगत और मातृक प्रभावों (दूध देने तथा गर्भ की अवधियों), भ्रूणविकास की दर में विभिन्नता तथा उपचर्या की शक्तियों पर निर्भर करती है। वर्ष के किसी अनुकूल समय में शिशु के आगमन के लिए ये कारक यथेष्ट हैं। एक ही प्रजननकाल की अवधि में "ऊष्माकाल" (heat period) का सिलसिला सफल मैथुन के अवसरों को वृद्धि करता है। "ऊष्मा" की संख्या और आवृत्ति, पर्यावरण और मौसम से प्रभावित होती है। "ऊष्मा" के कारण स्तनधारियों में मदचक्र (oestrus cycle) उत्पन्न होता है। .

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शिश्न

शिश्न की संरचना: 1 — मूत्राशय, 2 — जघन संधान, 3 — पुरस्थ ग्रन्थि, 4 — कोर्पस कैवर्नोसा, 5 — शिश्नमुंड, 6 — अग्रत्वचा, 7 — कुहर (मूत्रमार्ग), 8 — वृषणकोष, 9 — वृषण, 10 — अधिवृषण, 11— शुक्रवाहिनी शिश्न (Penis) कशेरुकी और अकशेरुकी दोनो प्रकार के कुछ नर जीवों का एक बाह्य यौन अंग है। तकनीकी रूप से शिश्न मुख्यत: स्तनधारी जीवों में प्रजनन हेतु एक प्रवेशी अंग है, साथ ही यह मूत्र निष्कासन हेतु एक बाहरी अंग के रूप में भी कार्य करता है। शिश्न आमतौर स्तनधारी जीवों और सरीसृपों में पाया जाता है। हिन्दी में शिश्न को लिंग भी कहते हैं पर, इन दोनो शब्दों के प्रयोग में अंतर होता है, जहाँ शिश्न का प्रयोग वैज्ञानिक और चिकित्सीय संदर्भों में होता है वहीं लिंग का प्रयोग आध्यात्म और धार्मिक प्रयोगों से संबंद्ध है। दूसरे अर्थो में लिंग शब्द, किसी व्यक्ति के पुरुष (नर) या स्त्री (मादा) होने का बोध भी कराता है। हिन्दी में सभी संज्ञायें या तो पुल्लिंग या फिर स्त्रीलंग होती हैं। .

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शिकरा

शिकरा एक छोटा शिकारी पक्षी है जो बाज़ की एक प्रजाति है। यह एशिया तथा अफ़्रीका में काफ़ी संख्या में पाया जाता है। क्रमिक विकास के दौरान, शिकारियों से बचने के लिए इसके रूप की नक़्ल पपीहे ने की है। .

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शुतुरमुर्ग

शुतुरमुर्ग (Struthio camelus) पहले मध्य पूर्व और अब अफ्रीका का निवासी एक बड़ा उड़ान रहित पक्षी है। यह स्ट्रुथिओनिडि (en:Struthionidae) कुल की एकमात्र जीवित प्रजाति है, इसका वंश स्ट्रुथिओ (en:Struthio) है। शुतुरमुर्ग के गण, स्ट्रुथिओफॉर्म के अन्य सदस्य एमु, कीवी आदि हैं। इसकी गर्दन और पैर लंबे होते हैं और आवश्यकता पड़ने पर यह ७० किमी/घंटा की अधिकतम गति से भाग सकता है जो इस पृथ्वी पर पाये जाने वाले किसी भी अन्य पक्षी से अधिक है।शुतुरमुर्ग पक्षिओं की सबसे बड़ी जीवित प्रजातियों मे से है और यह किसी भी अन्य जीवित पक्षी प्रजाति की तुलना में सबसे बड़े अंडे देता है। प्रायः शुतुरमुर्ग शाकाहारी होता है लेकिन उसके आहार में अकशेरुकी भी शामिल होते हैं। यह खानाबदोश गुटों में रहता है जिसकी संख्या पाँच से पचास तक हो सकती है। संकट की अवस्था में या तो यह ज़मीन से सट कर अपने को छुपाने की कोशिश करता है या फिर भाग खड़ा होता है। फँस जाने पर यह अपने पैरों से घातक लात मार सकता है। संसर्ग के तरीक़े भौगोलिक इलाकों के मुताबिक भिन्न होते हैं, लेकिन क्षेत्रीय नर के हरम में दो से सात मादाएँ होती हैं जिनके लिए वह झगड़ा भी करते हैं। आमतौर पर यह लड़ाइयाँ कुछ मिनट की ही होती हैं लेकिन सर की मार की वजह से इनमें विपक्षी की मौत भी हो सकती है।आज दुनिया भर में शुतुरमुर्ग व्यावसायिक रूप से पाले जा रहे हैं मुख्यतः उनके पंखों के लिए, जिनका इस्तेमाल सजावट तथा झाड़ू बनाने के लिए किया जाता है। इसकी चमड़ी चर्म उत्पाद तथा इसका मांस व्यावसायिक तौर से इस्तेमाल में लाया जाता है। .

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सफ़ेद तीतर

सफ़ेद तीतर, गोरा तीतर या राम तीतर (Grey Francolin) (Francolinus pondicerianus) फ़्रैंकोलिन जाति का एक सदस्य है जो कि दक्षिण एशिया के मैदानों और सूखे इलाकों में पाया जाता है। जिन देशों का यह मूल निवासी है और जहाँ इसको प्रचलित किया गया है वह इस प्रकार हैं:-.

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सफ़ेद गाल वाला तीतर

सफ़ेद गाल वाला तीतर (White-cheeked Partridge) (Arborophila atrogularis) तीतर कुल का एक पक्षी है जो पूर्वोत्तर भारत, चीन, म्यानमार तथा बांग्लादेश में पाया जाता है। .

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सलेटी जंगली मुर्गा

सलेटी जंगली मुर्गा (Grey junglefowl) (Gallus sonneratii) फ़ीज़ेन्ट कुल का पक्षी है जिसका मूल आवास भारत में ही है। .

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साम्भर (हिरण)

साम्भर (Rusa unicolor) दक्षिण तथा दक्षिण पूर्वी एशिया में पाया जाने वाला एक बड़ा हिरन है। .

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सी-सी तीतर

सी-सी तीतर (See-see Partridge) (Ammoperdix griseogularis) फ़ीज़ैन्ट कुल का एक पक्षी है जो कि सीरिया, अज़रबैजान, अफ़्गानिस्तान, ईरान, ईराक़, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, कज़ाख़िस्तान, उज़बेकिस्तान, पाकिस्तान तथा भारत में पाया जाता है। .

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हाथी

अफ़्रीकी हाथी का कंकाल हाथी जमीन पर रहने वाला एक विशाल आकार का प्राणी है। यह जमीन पर रहने वाला सबसे विशाल स्तनपायी है। यह एलिफैन्टिडी कुल और प्रोबोसीडिया गण का प्राणी है। आज एलिफैन्टिडी कुल में केवल दो प्रजातियाँ जीवित हैं: ऍलिफ़स तथा लॉक्सोडॉण्टा। तीसरी प्रजाति मैमथ विलुप्त हो चुकी है।जीवित दो प्रजातियों की तीन जातियाँ पहचानी जाती हैं:- ''लॉक्सोडॉण्टा'' प्रजाति की दो जातियाँ - अफ़्रीकी खुले मैदानों का हाथी (अन्य नाम: बुश या सवाना हाथी) तथा (अफ़्रीकी जंगलों का हाथी) - और ऍलिफ़स जाति का भारतीय या एशियाई हाथी।हालाँकि कुछ शोधकर्ता दोनों अफ़्रीकी जातियों को एक ही मानते हैं,अन्य मानते हैं कि पश्चिमी अफ़्रीका का हाथी चौथी जाति है।ऍलिफ़ॅन्टिडी की बाकी सारी जातियाँ और प्रजातियाँ विलुप्त हो गई हैं। अधिकतम तो पिछले हिमयुग में ही विलुप्त हो गई थीं, हालाँकि मैमथ का बौना स्वरूप सन् २००० ई.पू.

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हिम तीतर

हिम तीतर (Snow Partridge) (lerwa lerwa) फ़ीज़ैन्ट कुल का प्राणी है जो हिमालय के ऊँचे इलाकों में भरपूर पाया जाता है। यह पाकिस्तान, भारत, नेपाल और चीन में पाया जाता। अपनी प्रजाति का यह इकलौता पक्षी जीवित है। यह वृक्ष रेखा से ऊपर अल्पाइन चारागाह और खुले पहाड़ों की ढलानों में पाये जाते हैं लेकिन हिमालय के बर्फ़मुर्ग के विपरीत यह पथरीले इलाकों में नहीं पाये जाते हैं और उसकी भांति इतने सावधान भी नहीं होते हैं। .

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हिमालयी तहर

हिमालयी तहर Himalayan tahr (Hemitragus jemlahicus) जंगली बकरी से संबन्धित एक एशियाई समखुरीयगण प्राणी है। तहर प्रजाति के तीन बची हुई जातियाँ हैं और तीनों एशिया में ही पाई जाती हैं। यह हिमालय में दक्षिणी तिब्बत, उत्तरी भारत और नेपाल का मूल निवासी है। इसे न्यूजीलैंड, दक्षिण अमेरिका के कुछ हिस्सों और दक्षिण अफ्रीका में एक विदेशी प्रजाति के रूप में रोपित किया गया है। इन क्षेत्रों में इसकी आबादी को नियंत्रित करने और इन इलाकों के पारिस्थितिकी तंत्र पर इसके आने से पड़े प्रभाव को कम करने के प्रयास किए जा रहे हैं। .

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हिमालयी मोनाल

हिमालयी मोनाल (Himalayan monal) (Lophophorus impejanus) जिसे नेपाल और उत्तराखंड में डाँफे के नाम से जानते हैं। यह पक्षी हिमालय पर पाये जाते हैं। यह नेपाल का राष्ट्रीय पक्षी और उत्तराखण्ड का "राज्य पक्षी" है। .

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हुत्काह

हुत्काह (Painted spurfowl) (Galloperdix lunulata) तीतर कुल का एक पक्षी है जो कि मध्य भारत से लेकर दक्षिण भारत के झाड़ियों या पथरीले इलाकों में आवास करता है। .

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जिन्को बाइलोबा

जिन्को (जिन्को बाइलोबा; चीनी और जापानी में 银杏, पिनयिन रोमनकृत: यिन जिंग हेपबर्न रोमनकृत ichō या जिन्नान), जिसकी अंग्रेज़ी वर्तनी gingko भी है, इसे एडिअंटम के आधार पर मेडेनहेयर ट्री के रूप में भी जाना जाता है, पेड़ की एक अनोखी प्रजाति है जिसका कोई नज़दीकी जीवित सम्बन्धी नहीं है। जिन्को को अपने स्वयं के ही वर्ग में वर्गीकृत किया गया है, जिसमें एकल वर्ग जिन्कोप्सिडा, जिन्कोएल्स, जिन्कोएशिया, जीनस जिन्को शामिल हैं और यह इस समूह के अन्दर एकमात्र विद्यमान प्रजाति है। यह जीवित जीवाश्म का एक सबसे अच्छा ज्ञात उदाहरण है, क्योंकि जी.

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जंगली तीतर

जंगली तीतर या बन तीतर (वन, बन यानि जंगल) (Swamp Francolin) (Francolinus gularis) फ़ीज़ैन्ट कुल का एक पक्षी है। इसका मूल निवास गंगा और ब्रह्मपुत्र नदियों की घाटियों में है– पश्चिमी नेपाल की तराई से लेकर उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, असम और अरुणाचल प्रदेश तक। पहले यह बांग्लादेश के चटगाँव इलाके तथा सुन्दरबन में प्रचुर मात्रा में पाया जाता था, लेकिन हाल में यह नहीं देखा गया है और अब यह अनुमान लगाया गया है कि इन इलाकों से इनका उन्मूलन हो गया है। भारत में यह सभी तराई के सुरक्षित क्षेत्रों में पाया गया है जो यह बतलाता है कि यह पूर्व अनुमानित आंकड़ों से अधिक संख्या में विद्यमान है। नेपाल में, जहाँ इसका आवास क्षेत्र २,४०० वर्ग कि॰मी॰ का है और निवास ३३० वर्ग कि.

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जेवर (पक्षी)

जेवर (western tragopan) या (western horned tragopan) (Tragopan melanocephalus) एक मध्य आकार का फ़ीज़ॅन्ट कुल का पक्षी है जो हिमालय में पश्चिम में उत्तरीय पाकिस्तान के हज़ारा से पूर्व में भारत के उत्तराखण्ड तक पाया जाता है। .

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विल्डबीस्ट

विल्डबीस्ट जिसे ग्नू भी कहते हैं अफ़्रीका में पाया जाने वाला द्विखुरीयगण प्राणी है जो कि सींग वाले हिरनों की बिरादरी का है। इसके नाम का डच (हॉलैंड) भाषा में मतलब होता है जंगली जानवर या जंगली मवेशी क्योंकि अफ़्रीकान्स भाषा में beest का मतलब मवेशी होता है जबकि इसका वैज्ञानिक नाम कॉनोकाइटिस यूनानी भाषा के दो शब्दों से बना है — konnos जिसका मतलब दाढ़ी होता है और khaite जिसका मतलब लहराते बाल होता है। ग्नू नाम खोइखोइ भाषा से उद्घृत है। यह बोविडी कुल का प्राणी है, जिसमें बारहसिंगा, मवेशी, बकरी और कुछ अन्य सम-अंगुली सींगवाले खुरदार प्राणी होते हैं। कॉनोकाइटिस प्रजाति में दो जातियाँ समाविष्ट हैं और यह दोनों ही अफ़्रीका के मूल निवासी हैं: काला विल्डबीस्ट (कॉनोकाइटिस नू) और नीला विल्डबीस्ट या सामान्य विल्डबीस्ट (कॉनोकाइटिस टॉरिनस)। जीवाश्म सबूत बताते हैं कि उपरोक्त दोनों जातियाँ लगभग १० लाख साल पहले विभाजित हो गई थीं, जिसके कारण उत्तरी (नीला विल्डबीस्ट) तथा दक्षिणी (काला विल्डबीस्ट) जातियाँ अलग-अलग हो गईं। नीली जाति में अपने पूर्वजों से शायद ही कोई बदलाव आया, जबकि काली जाति को ख़ुद को खुले मैदानों के अनुरूप ढालना पड़ा। .

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काला तीतर

काला तीतर या काला फ़्रैंकोलिन (Black Francolin) (Francolinus francolinus) फ़ीज़ैन्ट कुल का एक पक्षी है। यह अफ़्गानिस्तान, आर्मीनिया, अज़रबैजान, भूटान, साइप्रस, जॉर्जिया, भारत, ईरान, ईराक, इज़्रायल, जॉर्डन, नेपाल, पाकिस्तान, फ़िलिस्तीनी राज्यक्षेत्र, सीरिया, तुर्की और तुर्कमेनिस्तान में पाया जाता है। .

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काला हिरन

काला हिरन यह कृष्णमृग बहुसिंगा की प्रजाति है जो भारतीय उपमहाद्वीप में पायी जाती है। काला हिरन बहुसिंगा प्रजाति की इकलौती जीवित जाति है। काला हिरन जिसे भारतीय मृग के रूप में भी जाना जाता है, यह भारत, नेपाल और पाकिस्तान में पाए जाने वाली एक हिरण की प्रजाति है। कला हिरन जीनस एनिलिओप का एकमात्र मौजूदा सदस्य है प्रजातियों को 1758 में स्वीडिश जूलोस्टिस्ट कार्ल लिनियस द्वारा वर्णित किया गया और इसके द्विपद नाम दिया गया। इसकी दो उपप्रजातियां मान्यता प्राप्त हैं। काला हिरन एक दैनंदिनी एनलॉप है (मुख्य रूप से दिन के दौरान सक्रिय)। तीन प्रकार के समूह, आम तौर पर छोटी, मादाएं, पुरुष और स्नातक झुंड होते हैं। नर अक्सर संभोग के लिए महिलाओं को जुटाने के लिए एक रणनीति के रूप में लेकिंग नामक तरिके को अपनाते हैं। इनके इलाकें में अन्य नरों को अनुमति नहीं होती है, मादाएं अक्सर इन स्थानों पर भोजन के लिये घूमने आती हैं। पुरुष इस प्रकार उनके साथ संभोग का प्रयास कर सकते हैं। मादाएं आठ महीनों में यौन के लिए परिपक्व हो जाती हैं, लेकिन संभोग दो साल से पहले नहीं करती हैं। नर करीब 1-2 वर्ष मे परिपक्व होते है। संभोग पूरे वर्ष के दौरान होता है। गर्भावस्था आम तौर पर छह महीने लंबी होती है, जिसके बाद एक बछड़ा पैदा होता है। जीवन काल आमतौर पर 10 से 15 साल होती है। काला हिरन घास के मैदानों और थोड़ा जंगलों के क्षेत्रों में पाएँ जाते हैं। पानी की अपनी नियमित आवश्यकता के कारण, वे उन जगहों को पसंद करते हैं जहां पानी पर्याप्त मात्रा मे उपलब्ध हो। यह मृग मूलतः भारत में पाया जाता है, जबकि बांग्लादेश में यह विलुप्त हो गया है। इनके केवल छोटे, बिखरे हुए झुंड आज ही देखे जाते हैं, तथा बड़े झुंड बड़े पैमाने पर संरक्षित क्षेत्रों तक ही सीमित होते हैं। 20 वीं शताब्दी के दौरान, अत्यधिक शिकार, वनों की कटाई और निवास स्थान में गिरावट के चलते काले हिरन की संख्या में तेजी से गिरावट आई है। ब्लैकबक अर्जेंटीना और संयुक्त राज्य अमेरिका में पाये जाते हैं। भारत में, 1972 के वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के अनुसूची I के तहत काला हिरन का शिकार निषिद्ध है। हिंदू धर्म में काला हिरन का बहुत महत्व है; भारतीय और नेपाली ग्रामीणों ने मृग को नुकसान नहीं पहुंचाया। .

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काला विल्डबीस्ट

काला विल्डबीस्ट या सफ़ेद पूँछ वाला नू विल्डबीस्ट की दो जातियों में से एक है। यह जाति अफ़्रीका महाद्वीप के दक्षिणी इलाके में पाई जाती है। इसका सबसे करीबी रिशतेदार नीला विल्डबीस्ट है। यह दक्षिण अफ़्रीका, स्वाज़ीलैण्ड और लेसोथो में पाया जाता है। १९वीं शताब्दी के अंत तक अत्यधिक शिकार के कारण इनकी संख्या कुछ ही जानवर केवल दो फ़ार्मों तक सीमित रह गयी थी। तब से इसके संरक्षण का भर्सक प्रयत्न किया गया है और अब इनकी संख्या में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। इनको इनके प्राकृतिक क्षेत्र के बाहर (नामीबिया) में भी प्रचलित किया गया है। एक अनुमान के मुताबिक इनकी संख्या १८००० के लगभग हो गई है जिसमें ८०% फ़ार्मों में और बचे २०% प्राकृतिक आवासों में रह रहे हैं। .

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कालिज

कालिज (Kalij pheasant) (वैज्ञानिक नाम: Lophura leucomelanos) फ़ीज़ॅन्ट कुल का एक पक्षी है जो हिमालय के निचले स्थानों में पाया जाता है। .

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काकड़

काकड़ या कांकड़ (Barking Deer) एक छोटा हिरन होता है। यह हिरनों में शायद सबसे पुराना है, जो इस धरती में १५०-३५० लाख वर्ष पूर्व देखा गया और जिसके जीवाश्म फ्रा़ंस, जर्मनी और पोलैंड में पाये गये हैं। आज की जीवित प्रजाति दक्षिणी एशिया की मूल निवासी है और भारत से लेकर श्रीलंका, चीन, दक्षिण पूर्वी एशिया (इंडोचाइना और मलय प्रायद्वीप के उत्तरी इलाके)। यह कम आबादी में पूर्वी हिमालय और म्यानमार में भी पाया जाता है। ऊष्णकटिबंधीय इलाकों में रहने के कारण इसका कोई समागम मौसम नहीं होता है और वर्ष के किसी भी समय में यह समागम कर लेते हैं; यही बात उस आबादी पर भी लागू होती है जिसे शीतोष्णकटिबन्धीय इलाकों में दाख़िल किया गया है। नर के दोबारा उग सकने वाले सींग होते हैं, हालांकि इलाके की लड़ाई में वह अपने लंबे श्वानदंतों (Canine teeth) का इस्तेमाल करते हैं। काकड़ क्रम विकास के अध्ययन में बहुत अहम भूमिका निभाते हैं क्योंकि इनकी विभिन्न प्रजातियों के गुणसूत्र में काफ़ी घटबढ़ देखी गयी है। जहाँ भारतीय काकड़ में सबसे कम गुणसूत्र पाये जाते हैं: नर में ७ तथा मादा में सिर्फ़ ६, वहीं चीनी कांकड़ में ४६ गुणसूत्र होते हैं। .

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कोकलास

कोकलास (Koklass pheasant) (Pucrasia macrolopha) फ़ीज़ॅंट कुल का पक्षी है जो अफ़गानिस्तान, पाकिस्तान, भारत, नेपाल तथा चीन में पाया जाता है। .

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छोटी जंगली मुर्गी

छोटी जंगली मुर्गी (Red Spurfowl) (Galloperdix spadicea) फ़ीज़ेन्ट कुल का पक्षी है जो भारत का ही मूल निवासी है। इसकी पूँछ तीतर (जो स्वयं फ़िज़ेन्ट कुल का पक्षी है) की तुलना में लंबी होती है और जब यह ज़मीन पर बैठा होता है, तो इसकी पूँछ साफ़ दिखाई देती है। हालांकि इसका मुर्गी से दूर का भी संबन्ध नहीं है, लेकिन भारत में इसे जंगली मुर्गा ही माना जाता है। .

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