लोगो
यूनियनपीडिया
संचार
Google Play पर पाएं
नई! अपने एंड्रॉयड डिवाइस पर डाउनलोड यूनियनपीडिया!
मुक्त
ब्राउज़र की तुलना में तेजी से पहुँच!
 

खुर

सूची खुर

एक हिरन के खुर ऊँट के खुर खुर (hoof) कुछ स्तनधारी जानवरों के पाऊँ की उँगलियों के उस अंतिम भाग को कहा जाता है जो उनका भार उठाए और केराटिन नामक नाखून-जैसी सख़्त​ चीज़ से ढका हो।खुर को सूम भी कहते है। खुर वाले पशुओं को खुरदार या अंग्युलेट (ungulate) कहा जाता है और इनमें बहुत से जाने-पहचाने जानवर शामिल हैं जैसे कि घोड़ा, गधा, ज़ेब्रा, गाय, गेंडा, ऊँट, दरियाई घोड़ा, सूअर, बकरी, तापीर, हिरन, जिराफ़, ओकापी, साइगा और रेनडियर। खुर का किनारा और अंदरूनी भाग दोनों पशु का भार उठाते हैं।, Colin Tudge, Simon and Schuster, 1997, ISBN 978-0-684-83052-0,...

13 संबंधों: ढोर, पुँछकटवा रोग, प्रोसियोनिडी, मुंहपका-खुरपका रोग, शुतुरमुर्ग, सम-ऊँगली खुरदार, सूअर, विषम-ऊँगली खुरदार, खुरदार, कठमूली, अश्वनाल, अश्ववंश, उष्ट्रगण

ढोर

ढोर (cattle) उस पशुवर्ग में आते हैं जिनके खुर होते हैं और प्रत्येक खुर आगे से मध्य भाग में फटा होता है। यह द्विखुरीयगण के अंतर्गत एक कुल है। अधिकांश ढोरों के सींग होते हैं, जो खोपड़ी के किनारों के ही बढ़े हुए हिस्से होते हैं। इनके ऊपरी जबड़े के अंत में दाँत नहीं होते। इस जाति के पालतु पशु जैसे गाय, बैल, भैंस तथा जंगली पशु जैसे बहुसिंगे आदि जुगाली करते हैं। .

नई!!: खुर और ढोर · और देखें »

पुँछकटवा रोग

पशुओं में पुँछकटवा रोग या डेगनाला रोग (Degnala disease) मुख्यतः भैंस जाति के पशुओं में होता है। वैसे गो-वंश के पशु भी इस संक्रमण के शिकार होते हैं। इस बीमारी का निश्चित कारण अभी तक ज्ञात नहीं है परन्तु डेगनाला एक फफुंद (फंगस) से पैदा होने वाला रोग है। इस बीमारी में पशुओं के कान, पूँछ एवं खुर सूखने लगते है और अंततः सड़ कर गिर जाते है। पशु भोजन करना बंद कर देता है एवं दिनों दिन कमजोर होते जाता है। कुछ वैज्ञानिकों का यह मत है कि यह बीमारी सूक्ष्म पोषक तत्वों (Mineral Deficiency) की कमी के वजह से हाेता है। अधिक नमी युक्त पुआल या भूसा खिलाने से यह रोग आमतौर पर जानवरों में होता है। .

नई!!: खुर और पुँछकटवा रोग · और देखें »

प्रोसियोनिडी

प्रोसियोनिडी (Procyonidae) मांसाहारी गण के जानवरों का एक कुल जो उत्तर अमेरिका और दक्षिण अमेरिका में पाए जाते हैं। इनमें रैकून, कोआटी, किंकाजू, ओलिंगो, छल्ला-दुम और काकोमिसल शामिल हैं। .

नई!!: खुर और प्रोसियोनिडी · और देखें »

मुंहपका-खुरपका रोग

गाय के मुँह में मुँहपका मुंहपका-खुरपका रोग (Foot-and-mouth disease, FMD या hoof-and-mouth disease) विभक्त-खुर वाले पशुओं का अत्यन्त संक्रामक एवं घातक विषाणुजनित रोग है। यह गाय, भैंस, भेंड़, बकरी, सूअर आदि पालतू पशुओं एवं हिरन आदि जंगली पशुओं को को होती है। .

नई!!: खुर और मुंहपका-खुरपका रोग · और देखें »

शुतुरमुर्ग

शुतुरमुर्ग (Struthio camelus) पहले मध्य पूर्व और अब अफ्रीका का निवासी एक बड़ा उड़ान रहित पक्षी है। यह स्ट्रुथिओनिडि (en:Struthionidae) कुल की एकमात्र जीवित प्रजाति है, इसका वंश स्ट्रुथिओ (en:Struthio) है। शुतुरमुर्ग के गण, स्ट्रुथिओफॉर्म के अन्य सदस्य एमु, कीवी आदि हैं। इसकी गर्दन और पैर लंबे होते हैं और आवश्यकता पड़ने पर यह ७० किमी/घंटा की अधिकतम गति से भाग सकता है जो इस पृथ्वी पर पाये जाने वाले किसी भी अन्य पक्षी से अधिक है।शुतुरमुर्ग पक्षिओं की सबसे बड़ी जीवित प्रजातियों मे से है और यह किसी भी अन्य जीवित पक्षी प्रजाति की तुलना में सबसे बड़े अंडे देता है। प्रायः शुतुरमुर्ग शाकाहारी होता है लेकिन उसके आहार में अकशेरुकी भी शामिल होते हैं। यह खानाबदोश गुटों में रहता है जिसकी संख्या पाँच से पचास तक हो सकती है। संकट की अवस्था में या तो यह ज़मीन से सट कर अपने को छुपाने की कोशिश करता है या फिर भाग खड़ा होता है। फँस जाने पर यह अपने पैरों से घातक लात मार सकता है। संसर्ग के तरीक़े भौगोलिक इलाकों के मुताबिक भिन्न होते हैं, लेकिन क्षेत्रीय नर के हरम में दो से सात मादाएँ होती हैं जिनके लिए वह झगड़ा भी करते हैं। आमतौर पर यह लड़ाइयाँ कुछ मिनट की ही होती हैं लेकिन सर की मार की वजह से इनमें विपक्षी की मौत भी हो सकती है।आज दुनिया भर में शुतुरमुर्ग व्यावसायिक रूप से पाले जा रहे हैं मुख्यतः उनके पंखों के लिए, जिनका इस्तेमाल सजावट तथा झाड़ू बनाने के लिए किया जाता है। इसकी चमड़ी चर्म उत्पाद तथा इसका मांस व्यावसायिक तौर से इस्तेमाल में लाया जाता है। .

नई!!: खुर और शुतुरमुर्ग · और देखें »

सम-ऊँगली खुरदार

द्विखुरीयगणों के खुर द्विखुरीयगण या सम-ऊँगली खुरदार (आर्टियोडैक्टाइला, Artiodactyla) गाय, भैंस, सूअर, बकरी, ऊँट, हरिण आदि स्तनियों (mammals) का गण है, जिनमें गर्भनाल (placents), पैर पर सम संख्या की अँगुलियाँ तथा खुर होते हैं। इस गण में खरगोश से लेकर भैंस और दरियाई घोड़े जैसे भिन्न-भिन्न आकार-प्रकार के प्राणी सम्मिलित हैं। .

नई!!: खुर और सम-ऊँगली खुरदार · और देखें »

सूअर

सूकरी और उसका एक बच्चा सूअर (Pig) आर्टियोडेक्टिला गण (Order Artiodactyla) के सुइडी कुल (family Suidae) के जीव, जिनमें संसार के सभी जंगली और पालतू सूअर सम्मिलित हैं, इसके अंतर्गत आते हैं। इन खुर वाले प्राणियों की खाल बहुत मोटी होती है और इनके शरीर जो थोड़े बहुत बाल रहते हैं वे बहुत कड़े होते हैं। इनका थूथन आगे की ओऱ चपटा रहता है जिसके भीतर मुलायम हड्डी का एक चक्र सा रहता है जो थूथन को कड़ा बनाए रखता है। इसी थूथन के सहारे ये जमीन खोद डालते हैं और भारी-भारी पत्थरों को आसानी से उलट देते हैं। .

नई!!: खुर और सूअर · और देखें »

विषम-ऊँगली खुरदार

घोड़े कि खुर विषम-ऊँगली खुरदार या विषमांगुल (odd-toed ungulate) वे खुरदार स्तनधारी (mammal) जीव हैं जिनके पैरों में एक या तीन (अर्थात् विषम संख्या वाले) खुर होते हैं। .

नई!!: खुर और विषम-ऊँगली खुरदार · और देखें »

खुरदार

लामा एक खुरदार जानवर है, जो आर्टियोडैकटिला (सम-ऊँगली खुरदार) श्रेणी में आता है - लामाओं के खुरों में दो उंगलियाँ होती हैं खुरदार या अंग्युलेट (ungulate) ऐसे स्तनधारी जानवरों को कहा जाता है जो चलते समय अपना भार अपने पाऊँ की उँगलियों के अंतिम भागों पर उठाते हैं। यह भार सहन करने के लिए ऐसे पशुओं के पाऊँ अक्सर खुरों के रूप में होते हैं।, Colin Tudge, Simon and Schuster, 1997, ISBN 978-0-684-83052-0,...

नई!!: खुर और खुरदार · और देखें »

कठमूली

कठमूली कठमूली या झिंझोरी (वानस्पतिक नाम:Bauhinia racemosa) एक वृक्ष है। यह अल्प प्राप्य औषधीय पादप है। इसका धार्मिक महत्व भी है। हिन्दू लोग विजया दशमी के अगले दिन अपने मित्रों से मिलते हैं और इसकी पत्तियों का आदान-प्रदान करते हैं। इसकी पत्तियों को 'सोना पत्ती' कहते हैं। यह दक्षिणी-पूर्वी एशिया का देशज वृक्ष है। इसका पेड़ ३ से ५ मीटर ऊँचा होता है। इसमें फरवरी से मार्च के बीच फूल लगते हैं। इसकी पत्तियों का आकार गाय के खुर के समान होता है।; अन्य भाषाओं में नाम.

नई!!: खुर और कठमूली · और देखें »

अश्वनाल

अश्वनाल (horseshoe) धातु या सख़्त प्लास्टिक का बना एक चपटा आकार होता है जिसे घोड़ों के खुरों को पत्थरों, सड़कों व अन्य कठोर स्थानों पर चलते हुए या भार ढोते हुए सुरक्षित रखने के लिए उनके खुरों के नीचे कीलों से लगाया जाता है। खुर केराटिन के बने होते हैं और उनमें कोई स्पर्शबोध नहीं होता इसलिए प्राणी को इस से कोई चोट या पीढ़ा नहीं होती बल्कि उसका खुर घिसने या टूटने से बचा रहता है। कभी-कभी इसे कील से जोड़ने की बजाए एक मज़बूत गोंद से भी चिपकाया जाता है। इसे कभी-कभी घुड़नाल भी कहते हैं हालांकि ध्यान दें कि पारम्परिक रूप से "घुड़नाल" वास्तव में घोड़े की पीठ पर रख के चलाई जाने वाली एक प्रकार की तोप हुआ करती थी (इसी प्रकार ऊँट की पीठ पर "शतुरनाल" और हाथी की पीठ पर "गजनाल" हुआ करती थीं)। .

नई!!: खुर और अश्वनाल · और देखें »

अश्ववंश

जंगली घोड़े अश्ववंश खुरवाले चौपायों का एक वंश है जिसे लैटिन में इक्विडी (Equidae) कहते हैं। इस वंश के सब सदस्यों में खुरों की संख्या विषम - एक अथवा तीन - रहने से इनको विषमांगुल (पेरिसोडैक्टिल) कहते हैं। अश्ववंश में केवल एक प्रजाति (जीनस) है, जिसमें घोड़े, गदहे और ज़ेबरा हैं। इनके अतिरिक्त इस प्रजाति में वे सब लुप्त जंतु भी हैं जो घोड़े के पूर्वज माने जाते हैं। अन्य विषमांगुल जीवों - गैंडों और टेपिरों - की अपेक्षा अश्ववंश के जंतु अधिक छरहरे और फुर्तीले शरीर के होते हैं। .

नई!!: खुर और अश्ववंश · और देखें »

उष्ट्रगण

एक कूबड़ वाला ऊँट उष्ट्रगण (Tylopoda/टाइलोपोडा) पागुर करनेवाले खुरवाले पशु हैं। इनके पैरों में उँगलियाँ केवल दो होती हैं और पैर के नीचे गद्दी होती है। इनके सींग नहीं होते, गर्दन लबी और पूँछ छोटी होती है। .

नई!!: खुर और उष्ट्रगण · और देखें »

यहां पुनर्निर्देश करता है:

खुरों

निवर्तमानआने वाली
अरे! अब हम फेसबुक पर हैं! »