सामग्री की तालिका
4 संबंधों: राजनीति विज्ञान, राज्य, आर्थिक नीति, अराजकता।
- आर्थिक प्रणालियाँ
- राजनीति विज्ञान शब्दावली
- राजनीतिक सिद्धान्त
- राजनैतिक यथार्थवाद
- सम्प्रभुता
राजनीति विज्ञान
राजनीति विज्ञान एक सामाजिक विज्ञान है जो सरकार और राजनीति के अध्ययन से सम्बन्धित है। राजनीति विज्ञान अध्ययन का एक विस्तृत विषय या क्षेत्र है। राजनीति विज्ञान में ये तमाम बातें शामिल हैं: राजनीतिक चिंतन, राजनीतिक सिद्धान्त, राजनीतिक दर्शन, राजनीतिक विचारधारा, संस्थागत या संरचनागत ढांचा, तुलनात्मक राजनीति, लोक प्रशासन, अंतर्राष्ट्रीय कानून और संगठन आदि। .
देखें राज्यवाद और राजनीति विज्ञान
राज्य
विश्व के वर्तमान राज्य (विश्व राजनीतिक) पूँजीवादी राज्य व्यवस्था का पिरामिड राज्य उस संगठित इकाई को कहते हैं जो एक शासन (सरकार) के अधीन हो। राज्य संप्रभुतासम्पन्न हो सकते हैं। इसके अलावा किसी शासकीय इकाई या उसके किसी प्रभाग को भी 'राज्य' कहते हैं, जैसे भारत के प्रदेशों को भी 'राज्य' कहते हैं। राज्य आधुनिक विश्व की अनिवार्य सच्चाई है। दुनिया के अधिकांश लोग किसी-न-किसी राज्य के नागरिक हैं। जो लोग किसी राज्य के नागरिक नहीं हैं, उनके लिए वर्तमान विश्व व्यवस्था में अपना अस्तित्व बचाये रखना काफ़ी कठिन है। वास्तव में, 'राज्य' शब्द का उपयोग तीन अलग-अलग तरीके से किया जा सकता है। पहला, इसे एक ऐतिहासिक सत्ता माना जा सकता है; दूसरा इसे एक दार्शनिक विचार अर्थात् मानवीय समाज के स्थाई रूप के तौर पर देखा जा सकता है; और तीसरा, इसे एक आधुनिक परिघटना के रूप में देखा जा सकता है। यह आवश्यक नहीं है कि इन सभी अर्थों का एक-दूसरे से टकराव ही हो। असल में, इनके बीच का अंतर सावधानी से समझने की आवश्यकता है। वैचारिक स्तर पर राज्य को मार्क्सवाद, नारीवाद और अराजकतावाद आदि से चुनौती मिली है। लेकिन अभी राज्य से परे किसी अन्य मज़बूत इकाई की खोज नहीं हो पायी है। राज्य अभी भी प्रासंगिक है और दिनों-दिन मज़बूत होता जा रहा है। यूरोपीय चिंतन में राज्य के चार अंग बताये जाते हैं - निश्चित भूभाग, जनसँख्या, सरकार और संप्रभुता। भारतीय राजनीतिक चिन्तन में 'राज्य' के सात अंग गिनाये जाते हैं- राजा या स्वामी, मंत्री या अमात्य, सुहृद, देश, कोष, दुर्ग और सेना। (राज्य की भारतीय अवधारण देखें।) कौटिल्य ने राज्य के सात अंग बताये हैं और ये उनका "सप्तांग सिद्धांत " कहलाता है - राजा, आमात्य या मंत्री, पुर या दुर्ग, कोष, दण्ड, मित्र । .
देखें राज्यवाद और राज्य
आर्थिक नीति
आर्थिक नीति (Economic policy) से आशय उन सरकारी नीतियों से होता है जिनके द्वारा किसी देश के आर्थिक क्रियाकलापों का नियमन होता है। आर्थिक नीति के अन्तर्गत करों के स्तर निर्धारित करना, सरकार का बजट, मुद्रा की आपूर्ति, ब्याज दर के साथ-साथ श्रम-बाजार, राष्ट्रीय स्वामित्व, तथा अर्थव्यवस्था में सरकार के हस्तक्षेप के अनेकानेक क्षेत्र आते हैं। आर्थिक नीति का सम्बन्ध आर्थिक मामलों से सम्बन्धित कुछ निर्धारित परिणामों की प्राप्ति हेतु अपनाई गई कार्यविधि से होता है। आर्थिक नीति एक व्यापक नीति है और इसमें अनेक नीतियों का समावेश किया जाता है। सामाजिक विज्ञान के विश्वकोष के अनुसार, ‘‘आर्थिक नीति शब्द का प्रयोग आर्थिक क्षेत्र में सरकार की उन सभी क्रियाओं में सम्मिलित किया जा सकता है, जिनका सम्बन्ध उत्पादन, वितरण एवं उपयोग में जानबूझकर अथवा अधिक सरकारी हस्तक्षेप से होता है।’’ इस प्रकार आर्थिक नीति किसी सरकार का वह आर्थिक दर्शन और व्यापक शब्द है जिसके अन्तर्गत विभिन्न नीतियाँ, जैसे - कृषि नीति, औद्योगिक नीति, वाणिज्य नीति, राजकोषीय नीति, मौद्रिक नीति, नियोजन नीति, आय नीति, रोजगार नीति, परिवहन नीति एवं जनसंख्या नीति आदि सम्मिलित हैं, में समन्वय कर निर्धारित लक्ष्यों एवं उद्देश्यों को पूरा करने के लिए वह कदम उठाती है। .
देखें राज्यवाद और आर्थिक नीति
अराजकता
अराजकता (anarchy) एक आदर्श है जिसका सिद्धांत अराजकतावाद (Anarchism) है। अराजकतावाद राज्य को समाप्त कर व्यक्तियों, समूहों और राष्ट्रों के बीच स्वतंत्र और सहज सहयोग द्वारा समस्त मानवीय संबंधों में न्याय स्थापित करने के प्रयत्नों का सिद्धांत है। अराजकतावाद के अनुसार कार्यस्वातंत्र्य जीवन का गत्यात्मक नियम है और इसीलिए उसका मंतव्य है कि सामाजिक संगठन व्यक्तियों के कार्य स्वातंत्र्य के लिए अधिकतम अवसर प्रदान करे। मानवीय प्रकृति में आत्मनियमन की ऐसी शक्ति है जो बाह्य नियंत्रण से मुक्त रहने पर सहज ही सुव्यवस्था स्थापित कर सकती है। मनुष्य पर अनुशासन का आरोपण ही सामाजिक और नैतिक बुराइयों का जनक है। इसलिए हिंसा पर आश्रित राज्य तथा उसकी अन्य संस्थाएँ इन बुराइयों को दूर नहीं कर सकतीं। मनुष्य स्वभावत: अच्छा है, किंतु ये संस्थाएँ मनुष्य को भ्रष्ट कर देती हैं। बाह्य नियंत्रण से मुक्त, वास्तविक स्वतंत्रता का सहयोगी सामूहिक जीवन प्रमुख रीति से छोटे समूहों से संभव है; इसलिए सामाजिक संगठन का आदर्श संघवादी है। .
देखें राज्यवाद और अराजकता
यह भी देखें
आर्थिक प्रणालियाँ
- अंकीय अर्थव्यवस्था
- अराजकता
- आम स्वामित्व
- आर्थिक व्यवस्था
- मिश्रित अर्थव्यवस्था
- राजनीतिक अर्थशास्त्र
- राज्यवाद
- वस्तु विनिमय
- वैश्विक प्रणाली
- व्यवस्थात्मक जोखिम (वित्त)
- शिकारी-फ़रमर
- समाजवाद
- सामंतवाद
- सामाजिक स्वामित्व
राजनीति विज्ञान शब्दावली
- अधिराज्य
- अभिशासन
- अशासकीय संस्था
- उच्च राजनीति
- उदारतावाद
- एकात्म मानववाद (भारत)
- क्षेत्रीय शक्ति
- खाकी चुनाव
- त्याग की समानता
- नागरिक राष्ट्रवाद
- नेतृत्व
- परमशक्ति
- फ़ासीवाद
- महागठबन्धन
- महाशक्ति
- राजनीतिक वर्णक्रम
- राज्य
- राज्यवाद
- राष्ट्र
- राष्ट्र-राज्य
- राष्ट्रनिर्माण
- राष्ट्रीय रूढ़िवाद
- विधिक समता
- शक्तियों का पृथक्करण
- संसदीय सम्प्रभुता
- सर्वसत्तावाद
- सामाजिक इंजीनियरी
- सामाजिक नियंत्रण
- सुशासन
- स्वतंत्रतावाद
राजनीतिक सिद्धान्त
- अ थिअरी ऑफ जस्टिस
- अतिवाद
- अबन्धता
- अहस्तक्षेपवाद
- आत्मनिर्णय
- आमूल केन्द्रवाद
- केन्द्रवाद
- ग्रेटर मध्य पूर्व
- न्यायवाद (चीनी दर्शनशास्त्र)
- मण्डल (राजनैतिक मॉडल)
- राजनीतिक दर्शन
- राजमण्डल
- राज्यवाद
- रूढ़िवाद
- लोकलुभावनवाद
- वितरणवाद
- विधिक समता
- वैज्ञानिक समाजवाद
- व्यवहारवाद (राजनीति विज्ञान)
- शान्तिवाद
- श्वेत प्रभुत्व
- संघवाद
- संस्थापकवाद
- सत्तावाद
- सभ्यताओं का संघर्ष
- सर्वसत्तावाद
- सामाजिक डार्विनवाद
- साम्राज्यवाद
- सैन्यवाद
- स्वतन्त्रता
- हरित अराजकतावाद
राजनैतिक यथार्थवाद
- अंतरराष्ट्रीय संबंध सिद्धांत
- यथार्थवाद (अंतरराष्ट्रीय संबंध)
- यूरोप में शक्ति संतुलन
- राज्यवाद
- राष्ट्रीय हित
- शक्ति-संतुलन