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राइबोसोम

सूची राइबोसोम

लयनकाय (13) तारककाय थेर्मस थर्मोफाइलस की एक ३०एस उपैकाई का परमाणु ढांचा। प्रोटीन-नीले में एवं एकल सूत्र आर.एन.ए नारंगी रंग में दिखाए गये हैं राइबोसोम सजीव कोशिका के कोशिका द्रव में स्थित बहुत ही सूक्ष्म कण हैं, जिनकी प्रोटीनों के संश्लेषण में महत्त्वपूर्ण भूमिका है। ये आनुवांशिक पदार्थों (डीएनए या आरएनए) के संकेतों को प्रोटीन शृंखला में परिवर्तित करते हैं। ये एण्डोप्लाज्मिक रेटिकुलम के ऊपरी सतह पर पाये जाते हैं, इसके अलावा ये माइटोकाण्ड्रिया तथा क्लोरोप्लास्ट में भी पाये जाते हैं। राइबोसोम एक संदेशधारक राईबोस न्यूक्लिक अम्ल (एमआरएनए) के साथ जुड़े रहता है जिसमें किसी विशेष प्रोटीन के निर्माण के लिए आवश्यक अमीनो अम्ल को सही क्रमानुसार लगाने का संदेश रहता है। अमीनो अम्ल संदेशवाहक आरएनए अणुओं के साथ संलग्न रहते हैं। इस प्रकार राइबोसोम प्रोटीन के संश्लेषण में तो सहायता करता ही है लिपिड के उपापचयी क्रियाओं में भी सहायता करता है। राइबोसोम की खोज १९५० के दशक में रोमानिया के जीववैज्ञानिक जॉर्ज पेलेड ने की थी। उन्होंने इस खोज के लिए इलैक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी का प्रयोग किया था जिसके लिए उन्हें नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। राइबोसोम नाम १९५८ में वैज्ञानिक रिचर्ड बी.

28 संबंधों: डीऑक्सीराइबो न्यूक्लिक अम्ल, नोबेल पुरस्कार, प्रोटीन, प्रोकैरियोटिक कोशिका, रसधानी, रसायन विज्ञान, राइबोज़ न्यूक्लिक अम्ल, रोमानिया, लाइसोसोम, सुकेन्द्रिक, सूत्रकणिका, सेन्ट्रोसोम, वेंकटरामन रामकृष्णन, गॉल्जीकाय, आशय, आंतरद्रव्यजालिका, इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी, केन्द्रिका, कोशिका, कोशिका कंकाल, कोशिका केन्द्रक, कोशिकाद्रव्य, अमीनो अम्ल, १० अक्टूबर, १९५०, १९५८, २००९, ७ अक्तूबर

डीऑक्सीराइबो न्यूक्लिक अम्ल

डीएनए के घुमावदार सीढ़ीनुमा संरचना के एक भाग की त्रिविम (3-D) रूप डी एन ए जीवित कोशिकाओं के गुणसूत्रों में पाए जाने वाले तंतुनुमा अणु को डी-ऑक्सीराइबोन्यूक्लिक अम्ल या डी एन ए कहते हैं। इसमें अनुवांशिक कूट निबद्ध रहता है। डी एन ए अणु की संरचना घुमावदार सीढ़ी की तरह होती है। डीएनए की एक अणु चार अलग-अलग रास वस्तुओं से बना है जिन्हें न्यूक्लियोटाइड कहते है। हर न्यूक्लियोटाइड एक नाइट्रोजन युक्त वस्तु है। इन चार न्यूक्लियोटाइडोन को एडेनिन, ग्वानिन, थाइमिन और साइटोसिन कहा जाता है। इन न्यूक्लियोटाइडोन से युक्त डिऑक्सीराइबोस नाम का एक शक्कर भी पाया जाता है। इन न्यूक्लियोटाइडोन को एक फॉस्फेट की अणु जोड़ती है। न्यूक्लियोटाइडोन के सम्बन्ध के अनुसार एक कोशिका के लिए अवश्य प्रोटीनों की निर्माण होता है। अतः डी इन ए हर एक जीवित कोशिका के लिए अनिवार्य है। डीएनए आमतौर पर क्रोमोसोम के रूप में होता है। एक कोशिका में गुणसूत्रों के सेट अपने जीनोम का निर्माण करता है; मानव जीनोम 46 गुणसूत्रों की व्यवस्था में डीएनए के लगभग 3 अरब आधार जोड़े है। जीन में आनुवंशिक जानकारी के प्रसारण की पूरक आधार बाँधना के माध्यम से हासिल की है। उदाहरण के लिए, एक कोशिका एक जीन में जानकारी का उपयोग करता है जब प्रतिलेखन में, डीएनए अनुक्रम डीएनए और सही आरएनए न्यूक्लियोटाइडों के बीच आकर्षण के माध्यम से एक पूरक शाही सेना अनुक्रम में नकल है। आमतौर पर, यह आरएनए की नकल तो शाही सेना न्यूक्लियोटाइडों के बीच एक ही बातचीत पर निर्भर करता है जो अनुवाद नामक प्रक्रिया में एक मिलान प्रोटीन अनुक्रम बनाने के लिए प्रयोग किया जाता है। वैकल्पिक भानुमति में एक कोशिका बस एक प्रक्रिया बुलाया डीएनए प्रतिकृति में अपने आनुवंशिक जानकारी कॉपी कर सकते हैं। डी एन ए की रूपचित्र की खोज अंग्रेजी वैज्ञानिक जेम्स वॉटसन और के द्वारा सन १९५३ में किया गया था। इस खोज के लिए उन्हें सन १९६२ में नोबेल पुरस्कार सम्मानित किया गया। .

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नोबेल पुरस्कार

नोबेल फाउंडेशन द्वारा स्वीडन के वैज्ञानिक अल्फ्रेड नोबेल की याद में वर्ष १९०१ में शुरू किया गया यह शांति, साहित्य, भौतिकी, रसायन, चिकित्सा विज्ञान और अर्थशास्त्र के क्षेत्र में विश्व का सर्वोच्च पुरस्कार है। इस पुरस्कार के रूप में प्रशस्ति-पत्र के साथ 14 लाख डालर की राशि प्रदान की जाती है। अल्फ्रेड नोबेल ने कुल ३५५ आविष्कार किए जिनमें १८६७ में किया गया डायनामाइट का आविष्कार भी था। नोबेल को डायनामाइट तथा इस तरह के विज्ञान के अनेक आविष्कारों की विध्वंसक शक्ति की बखूबी समझ थी। साथ ही विकास के लिए निरंतर नए अनुसंधान की जरूरत का भी भरपूर अहसास था। दिसंबर १८९६ में मृत्यु के पूर्व अपनी विपुल संपत्ति का एक बड़ा हिस्सा उन्होंने एक ट्रस्ट के लिए सुरक्षित रख दिया। उनकी इच्छा थी कि इस पैसे के ब्याज से हर साल उन लोगों को सम्मानित किया जाए जिनका काम मानव जाति के लिए सबसे कल्याणकारी पाया जाए। स्वीडिश बैंक में जमा इसी राशि के ब्याज से नोबेल फाउँडेशन द्वारा हर वर्ष शांति, साहित्य, भौतिकी, रसायन, चिकित्सा विज्ञान और अर्थशास्त्र में सर्वोत्कृष्ट योगदान के लिए दिया जाता है। नोबेल फ़ाउंडेशन की स्थापना २९ जून १९०० को हुई तथा 1901 से नोबेल पुरस्कार दिया जाने लगा। अर्थशास्त्र के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार की शुरुआत 1968 से की गई। पहला नोबेल शांति पुरस्कार १९०१ में रेड क्रॉस के संस्थापक ज्यां हैरी दुनांत और फ़्रेंच पीस सोसाइटी के संस्थापक अध्यक्ष फ्रेडरिक पैसी को संयुक्त रूप से दिया गया। अल्फ्रेड नोबेल .

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प्रोटीन

रुधिरवर्णिका(हीमोग्लोबिन) की संरचना- प्रोटीन की दोनो उपइकाईयों को लाल एंव नीले रंग से तथा लौह भाग को हरे रंग से दिखाया गया है। प्रोटीन या प्रोभूजिन एक जटिल भूयाति युक्त कार्बनिक पदार्थ है जिसका गठन कार्बन, हाइड्रोजन, आक्सीजन एवं नाइट्रोजन तत्वों के अणुओं से मिलकर होता है। कुछ प्रोटीन में इन तत्वों के अतिरिक्त आंशिक रूप से गंधक, जस्ता, ताँबा तथा फास्फोरस भी उपस्थित होता है। ये जीवद्रव्य (प्रोटोप्लाज्म) के मुख्य अवयव हैं एवं शारीरिक वृद्धि तथा विभिन्न जैविक क्रियाओं के लिए आवश्यक हैं। रासायनिक गठन के अनुसार प्रोटीन को सरल प्रोटीन, संयुक्त प्रोटीन तथा व्युत्पन्न प्रोटीन नामक तीन श्रेणियों में बांटा गया है। सरल प्रोटीन का गठन केवल अमीनो अम्ल द्वारा होता है एवं संयुक्त प्रोटीन के गठन में अमीनो अम्ल के साथ कुछ अन्य पदार्थों के अणु भी संयुक्त रहते हैं। व्युत्पन्न प्रोटीन वे प्रोटीन हैं जो सरल या संयुक्त प्रोटीन के विघटन से प्राप्त होते हैं। अमीनो अम्ल के पॉलीमराईजेशन से बनने वाले इस पदार्थ की अणु मात्रा १०,००० से अधिक होती है। प्राथमिक स्वरूप, द्वितीयक स्वरूप, तृतीयक स्वरूप और चतुष्क स्वरूप प्रोटीन के चार प्रमुख स्वरुप है। प्रोटीन त्वचा, रक्त, मांसपेशियों तथा हड्डियों की कोशिकाओं के विकास के लिए आवश्यक होते हैं। जन्तुओं के शरीर के लिए कुछ आवश्यक प्रोटीन एन्जाइम, हार्मोन, ढोने वाला प्रोटीन, सिकुड़ने वाला प्रोटीन, संरचनात्मक प्रोटीन एवं सुरक्षात्मक प्रोटीन हैं। प्रोटीन का मुख्य कार्य शरीर की आधारभूत संरचना की स्थापना एवं इन्जाइम के रूप में शरीर की जैवरसायनिक क्रियाओं का संचालन करना है। आवश्यकतानुसार इससे ऊर्जा भी मिलती है। एक ग्राम प्रोटीन के प्रजारण से शरीर को ४.१ कैलीरी ऊष्मा प्राप्त होती है। प्रोटीन द्वारा ही प्रतिजैविक (एन्टीबॉडीज़) का निर्माण होता है जिससे शरीर प्रतिरक्षा होती है। जे.

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प्रोकैरियोटिक कोशिका

एक आदर्श प्रॊकैरियोटीक कोशिका ये प्रारंभिक कोशिकाएं हैं। इनमे केन्द्रक कला नहीं पायी जाती है। प्रोकैरियोटिक कोशिका में कोई स्पष्ट केन्द्रक नहीं होता है। केन्द्रकीय पदार्थ कोशिका द्रव में बिखरे होते हैं। इन कोशिकओं के कलाविहीन केन्द्रक को आरंभी केन्द्रक कहते हैं। इन कोशिकओं में क्लोरोप्लास्ट, गॉल्जीबाड़ी, तारककाय, माइक्रोकान्ड्रिया तथा अन्तः द्रव्यीजालिका (E.R.) नहीं पायी जाती है। फिर भी 70S प्रकार के राइबोसोम्स पाये जाते हैं तथा इनमें डीएनए हिस्टोन प्रोटीन से सम्बद्ध नहीं होता है। नीले- हरे शैवालों तथा जीवाणुओं में ये कोशिकाएं पायी जाती हैं। श्रेणी:कोशिका.

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रसधानी

रसधानी जन्तु और पादप कोशिकाओं के कोशिका द्रव में पायी जाने वाली रचना है। कोशिका द्रव्य रहित वे निर्जीव कोशिकीय रचनाएँ जो जलनुमा तरल पदार्थों से भरी होती हैं तथा टोनोप्लास्ट नामक आवरण से घिरी होती है, रसधानी कहलाती हैं। इनमें भोज्य पदार्थ संचित रहते हैं। जलीय पौधों की रसधानियाँ गैसयुक्त होकर पौधों को तैरने में मदद करती हैं। श्रेणी:कोशिका श्रेणी:कोशिका शारीरिकी.

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रसायन विज्ञान

300pxरसायनशास्त्र विज्ञान की वह शाखा है जिसमें पदार्थों के संघटन, संरचना, गुणों और रासायनिक प्रतिक्रिया के दौरान इनमें हुए परिवर्तनों का अध्ययन किया जाता है। इसका शाब्दिक विन्यास रस+अयन है जिसका शाब्दिक अर्थ रसों (द्रवों) का अध्ययन है। यह एक भौतिक विज्ञान है जिसमें पदार्थों के परमाणुओं, अणुओं, क्रिस्टलों (रवों) और रासायनिक प्रक्रिया के दौरान मुक्त हुए या प्रयुक्त हुए ऊर्जा का अध्ययन किया जाता है। संक्षेप में रसायन विज्ञान रासायनिक पदार्थों का वैज्ञानिक अध्ययन है। पदार्थों का संघटन परमाणु या उप-परमाण्विक कणों जैसे इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन और न्यूट्रॉन से हुआ है। रसायन विज्ञान को केंद्रीय विज्ञान या आधारभूत विज्ञान भी कहा जाता है क्योंकि यह दूसरे विज्ञानों जैसे, खगोलविज्ञान, भौतिकी, पदार्थ विज्ञान, जीवविज्ञान और भूविज्ञान को जोड़ता है। .

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राइबोज़ न्यूक्लिक अम्ल

आर एन ए एक अकेली बहु न्यूक्लियोटाइड शृंखला वाला लम्बा तंतुनुमा अणु, जिसमें फॉस्फेट और राइबोज़ शर्करा की इकाइयां एकांतर में स्थापित होतीं हैं। इसका पूर्ण नाम है राइबोज़ न्यूक्लिक अम्ल। डी एन ए की तरह आर एन ए में भी राइबोज़ से जुड़े चार क्षारक होते हैं। अंतर केवल इतना है, कि इसमें थाइमीन के स्थान पर यूरासिल होता है। किसी भी जीवित प्राणी के शरीर में राइबोन्यूलिक अम्ल भी उतनी ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है जितनी डी एन ए। आरएनए शरीर में डीएनए के जीन्स को नकल कर के व्यापक तौर पर प्रवाहित करने का काम करता है। इसके साथ ही यह कोशिकाओं में अन्य आनुवांशिक सामग्री पहुंचाने में भी सहायक होता है। आरएनए की खोज सेवेरो ओकोआ, रॉबर्ट हॉली और कार्ल वोसे ने की थी। आरएनए के महत्त्वपूर्ण कार्यो में जीन को सुचारू बनाना और उनकी प्रतियां तैयार करना होता है। यह विभिन्न प्रकार के प्रोटीनों को जोड़ने का भी कार्य करता है। इसकी कई किस्में होती हैं जिनमें रिबोसोमल आरएनए, ट्रांसफर आरएनए और मैसेंजर आरएनए प्रमुख हैं। आरएनए की श्रृंखला फॉस्फेट्स और राइबोस के समूहों से मिलकर बनती है, जिससे इसके चार मूल तत्व, एडेनाइन, साइटोसाइन, गुआनाइन और यूरासिल जुड़े होते हैं। डीएनए से विपरीत, आरएनए एकल श्रृंखला होती है जिसकी मदद से यह खुद को कोशिका के संकरे आकार में समाहित कर लेता है। आरएनए का स्वरूप एक सहस्राब्दी यानी एक हजार वर्षो में बहुत कम बदलता है। अतएव इसका प्रयोग विभिन्न प्राणियों के संयुक्त पूर्वजों की खोज करने में किया जाता है। डीएनए ही आरएनए के संधिपात्र की भूमिका अदा करता है। मूलत: डीएनए में ही आरएनए का रूप निहित होता है। इसलिए आवश्यकतानुसार डीएनए, जिसके पास आरएनए बनाने का अधिकार होता है, आवश्यक सूचना लेकर काम में लग जाता है। .

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रोमानिया

रोमानिया (प्राचीन: Rumania (रूमानिया), Roumania (रौमानिया);România) काले सागर की सीमा पर, कर्पेथियन चाप के बाहर और इसके भीतर, निचले डेन्यूब पर, बाल्कन प्रायद्वीप के उत्तर में, दक्षिणपूर्वी और मध्य यूरोप में स्थित एक देश है.

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लाइसोसोम

लयनकाय (13) तारक केन्द्र (centriole) जन्तु कोशिका के कोशिका द्रव में पाए जाने वाले आवरणयुक्त गोल-गोल थैलीनुमा अंगाणुओं को लयनकाय (लाइसोसोम) कहते हैं। यह अन्तः कोशिकाय पाचन में मदद करता है। लाइसोसोम.

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सुकेन्द्रिक

कुछ युकेरियोटी जीव सुकेंद्रिक या युकेरियोट (eukaryote) एक जीव को कहा जाता है जिसकी कोशिकाओं (सेल) में झिल्लियों में बंद असरल ढाँचे हों। सुकेंद्रिक और अकेंद्रिक (प्रोकेरियोट) कोशिकाओं में सबसे बड़ा अंतर यह होता है कि सुकेंद्रिक कोशिकाओं में एक झिल्ली से घिरा हुआ केन्द्रक (न्यूक्लियस) होता है जिसके अन्दर आनुवंशिक (जेनेटिक) सामान होता है। जीवविज्ञान में सुकेंद्रिक कोशिकाओं वाले जीवों के टैक्सोन को 'सुकेंद्रिक' या 'युकेरियोटी' (eukaryota) कहते हैं।, Mary K. Campbell, Shawn O. Farrell, pp.

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सूत्रकणिका

ई.आर (9) '''माइटोकांड्रिया''' (10) रसधानी (11) कोशिका द्रव (12) लाइसोसोम (13) तारककाय आक्सी श्वसन का क्रिया स्थल, माइटोकान्ड्रिया जीवाणु एवं नील हरित शैवाल को छोड़कर शेष सभी सजीव पादप एवं जंतु कोशिकाओं के कोशिकाद्रव्य में अनियमित रूप से बिखरे हुए द्वीप-एकक पर्दायुक्त कोशिकांगों (organelle) को सूत्रकणिका या माइटोकॉण्ड्रिया (Mitochondria) कहते हैं। कोशिका के अंदर सूक्ष्मदर्शी की सहायता से देखने में ये गोल, लम्बे या अण्डाकार दिखते हैं।। हिन्दुस्तान लाइव।२४अक्तूबर,२००९ माइटोकॉण्ड्रिया सभी प्राणियों में और उनकी हर प्रकार की कोशिकाओं में पाई जाती हैं। माइटोकाण्ड्रिआन या सूत्रकणिका कोशिका के कोशिकाद्रव्य में उपस्थित दोहरी झिल्ली से घिरा रहता है। माइटोकाण्ड्रिया के भीतर आनुवांशिक पदार्थ के रूप में डीएनए होता है जो वैज्ञानिकों के लिए आश्चर्य एवं खोज़ का विषय हैं। माइटोकाण्ड्रिया में उपस्थित डीएनए की रचना एवं आकार जीवाणुओं के डीएनए के समान है। इससे अनुमान लगाया जाता है कि लाखों वर्ष पहले शायद कोई जीवाणु मानव की किसी कोशिका में प्रवेश कर गया होगा एवं कालांतर में उसने कोशिका को ही स्थायी निवास बना लिया। माइटोकाण्ड्रिया के डीएनए एवं कोशिकाओं के केन्द्रक में विद्यमान डीएनए में ३५-३८ जीन एक समान हैं। अपने डीएनए की वज़ह से माइकोण्ड्रिया कोशिका के भीतर आवश्यकता पड़ने पर अपनी संख्या स्वयं बढ़ा सकते हैं। संतानो की कोशिकाओं में पाया जाने वाला माइटोकांड्रिया उन्हें उनकी माता से प्राप्त होता है। निषेचित अंडों के माइटोकाण्ड्रिया में पाया जाने वाले डीएनए में शुक्राणुओं की भूमिका नहीं होती। है।। चाणक्य।३१ अगस्त, २००९। भगवती लाल माली श्वसन की क्रिया प्रत्येक जीवित कोशिका के कोशिका द्रव्य (साइटोप्लाज्म) एवं माइटोकाण्ड्रिया में सम्पन्न होती है। श्वसन सम्बन्धित प्रारम्भिक क्रियाएँ साइटोप्लाज्म में होती है तथा शेष क्रियाएँ माइटोकाण्ड्रियाओं में होती हैं। चूँकि क्रिया के अंतिम चरण में ही अधिकांश ऊर्जा उत्पन्न होती हैं। इसलिए माइटोकाण्ड्रिया को कोशिका का श्वसनांग या 'शक्ति गृह' (पावर हाउस) कहा जाता है। जीव विज्ञान की प्रशाखा कोशिका विज्ञान या कोशिका जैविकी (साइटोलॉजी) इस विषय में विस्तार से वर्णन उपलब्ध कराती है। अमेरिका के शिकागो विश्वविद्यालय के डॉ॰ सिविया यच.

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सेन्ट्रोसोम

तंत्रिका कोशिका को छोड़कर प्रायः सभी प्रकार के प्राणिकोशिका में केन्द्रक के समीप साइटोप्लाज्म में एक तारानुमा रचना दिखाई देती है जिसे तारककाय कहते हैं। तारककाय के दो प्रमुख भाग होते हैं, एक को सेन्ट्रिओल और दूसरे को सेन्ट्रोस्फीयर कहते हैं। तारककाय के मध्य में सेन्ट्रिओल दो स्वच्छ, घनीभूत कणिकाओं के रूप में दिखाई देते हैं। सेन्ट्रिओल को घेरकर जो गाढ़ा कोशिकाद्रव्य रहता है, उसे सेन्ट्रोस्फीयर कहा जाता है। यह कोशिका विभाजन में मदद करता है, सीलिया तथा कशाभिका का निर्माण कराता है तथा शुक्राणुओं की पूँछ का निर्माण कराता है। .

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वेंकटरामन रामकृष्णन

वेंकटरामन "वेंकी" रामकृष्णन (வெங்கட்ராமன் ராமகிருஷ்ணன்) (जन्म: १९५२, तमिलनाडु) एक जीव वैज्ञानिक हैं। इनको २००९ के रसायन विज्ञान के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। इन्हें यह पुरस्कार कोशिका के अंदर प्रोटीन का निर्माण करने वाले राइबोसोम की कार्यप्रणाली व संरचना के उत्कृष्ट अध्ययन के लिए दिया गया है। इनकी इस उपलब्धि से कारगर प्रतिजैविकों को विकसित करने में मदद मिलेगी। इसराइली महिला वैज्ञानिक अदा योनोथ और अमरीका के थॉमस स्टीज़ को भी संयुक्त रूप से इस सम्मान के लिए चुना गया। तीनों वैज्ञानिकों ने त्रि-आयामी चित्रों के ज़रिए दुनिया को समझाया कि किस तरह राइबोसोम अलग-अलग रसायनों के साथ प्रतिक्रिया करते हैं, इसके लिए उन्होंने एक्स-रे क्रिस्टलोग्राफ़ी का सहारा लिया जो राइबोसोम्ज़ की हज़ारों गुना बड़ी छवि सामने लाता है। वर्तमान में श्री वेंकटरामन् रामकृष्णन् ब्रिटेन के प्रतिष्ठित कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से जुड़े हैं एवं विश्वविद्यालय की एमआरसी लेबोरेट्रीज़ ऑफ़ म्यलूकुलर बायोलोजी (पेशीय जीवविज्ञान की एमआरसी प्रयोगशाला) के स्ट्रकचरल स्टडीज़ (संरचनात्मक अध्ययन) विभाग के प्रमुख वैज्ञानिक हैं। वेंकी के नाम से मशहूर वेंकटरामन सातवें भारतीय एवं तीसरे तमिल मूल के व्यक्ति हैं जिनको नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। इनकी प्रारंभिक शिक्षा तमिलनाडु के चिदंबरम में हुई .

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गॉल्जीकाय

मानव ल्यूकोसाइट माइक्रोग्राफ में गॉल्जी उपकरण: चित्र के निचले हिस्से में अर्धवृत्ताकार छल्लों के ढेर (stack) जैसी संरचना ही गॉल्जी उपकरण है। कोशिका के कोशिकाद्रव्य में केन्द्रक के समीप कुछ थैलीनुमा कोशिकांग (organelle) पाए जाते हैं, इन्हें गॉल्जी काय या गॉल्जी बॉडी (Golgi bodies) या गॉल्जी उपकरण (Golgi apparatus) कहते हैं। कामिल्लो गॉल्जी इटली का एक तंत्रिकावैज्ञानिक था, जिसने श्वेत उलूक (Barn Owl) की तंत्रकोशिकाओं में इसका पता लगाया, जो उसके नाम से ही विख्यात है। इसकी आकृति चपटी होती है तथा ये एक के बाद एक समानान्तर रूप में स्थिर रहे हैं। गॉल्जीबाडी का निर्माण कुछ थैलीनुमा सिस्टर्नी, कुछ छोटे-छोटे वेसिकल एवं कुछ बड़े-बड़े वैकुओल से मिलकर होता है। यह कोशिका के अन्दर स्रावित पदार्थ के संग्रह एवं परिवहन में सहायता करता है। .

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आशय

आशय मन की वह इच्छा है जो व्यक्ति को कोई कार्य करने को प्रेरित करती है। आशय का आपराधिक विधि में बहुत महत्त्व है बिना आशय के कोई बात अपराध नहीं हो सकती है। .

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आंतरद्रव्यजालिका

अन्तर्द्रविक जालिका सुकेन्द्रिक कोशिकाओं में एक झिल्लीदार कोशिकांग है। इस की झिल्ली केन्द्रक की झिल्ली से निकलती है। अंग्रेज़ी में अन्तर्दविक जालिका को एॆन्डोप्लाज़मिक रॆटिकुलम कहा जाता है। कोशिका में इस के दो प्रकार होतें हैं। एक प्रकार (रफ़) पर राइबोसोम जुड़े होतें हैं जहां प्रोटीन संश्लेषण होता है और दूसरा प्रकार (स्मूद) राइबोसोम रहित होता है। अन्तर्द्रविक जालिका पर संश्लेषित किए प्रोटीन कोशिका के बाहर भेजने के लिए होते हैं। .

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इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी

'''ट्रान्समिशन एलेक्ट्रान सूक्ष्मदर्शी''' का आरेख इलेक्ट्रान सूक्ष्मदर्शी एक विशेष प्रकार का सूक्ष्मदर्शी है जो नमूने (specimen) को देखने के लिये एलेक्ट्रॉन किरण पुंज का उपयोग करता है और उच्च प्रवर्धिक छबि प्राप्त कराता है। इसकी विभेदन क्षमता (resolving power) प्रकाशीय सूक्ष्मदर्शी से बहुत अच्छी होती है। .

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केन्द्रिका

जीवविज्ञान और कोशिका विज्ञान में केन्द्रिका (nucleolus, न्यूक्लिओलस) वनस्पतियों, प्राणियों और सुकेन्द्रिक जीवों की कोशिकाओं के कोशिका केन्द्रकों (cell nucleus) के भीतर केन्द्रकद्रव्य में स्थित सबसे बड़ी सघन संरचना होती है। यह प्रोटीन, डी ऍन ए और आर ऍन ए के साथ बनी होती है। .

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कोशिका

कोशिका कोशिका (Cell) सजीवों के शरीर की रचनात्मक और क्रियात्मक इकाई है और प्राय: स्वत: जनन की सामर्थ्य रखती है। यह विभिन्न पदार्थों का वह छोटे-से-छोटा संगठित रूप है जिसमें वे सभी क्रियाएँ होती हैं जिन्हें सामूहिक रूप से हम जीवन कहतें हैं। 'कोशिका' का अंग्रेजी शब्द सेल (Cell) लैटिन भाषा के 'शेलुला' शब्द से लिया गया है जिसका अर्थ 'एक छोटा कमरा' है। कुछ सजीव जैसे जीवाणुओं के शरीर एक ही कोशिका से बने होते हैं, उन्हें एककोशकीय जीव कहते हैं जबकि कुछ सजीव जैसे मनुष्य का शरीर अनेक कोशिकाओं से मिलकर बना होता है उन्हें बहुकोशकीय सजीव कहते हैं। कोशिका की खोज रॉबर्ट हूक ने १६६५ ई० में किया।"...

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कोशिका कंकाल

'''यूकेरायोटिक कोशिकापंजर''' - ऐक्टिन तंतु (लाल), सूक्ष्म-नालिका या माइक्रोट्यूबूल्स (हरा), नाभिक (नीला) प्रोटीनयुक्त जालिकावत तन्तु जो कोशिकाद्रव्य में मिलता है कोशिका कंकाल (Cytoskeleton / कोशिकापंजर) कहते हैं! इसका कार्य कोशिका को यांत्रिक सहायता, गति, आकार को बनाए रखना है! .

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कोशिका केन्द्रक

केन्द्रक का चित्र कोशिका विज्ञान में केन्द्रक (लातीनी व अंग्रेज़ी: nucleus, न्यूक्लियस) वनस्पतियों, प्राणियों और सुकेन्द्रिक जीवों की अधिकांश कोशिकाओं में एक झिल्ली द्वारा बंद एक भाग (या कोशिकांग) होता है। सुकेन्द्रिक जीवों की हर कोशिका में अधिकतर एक केन्द्रक होता है, लेकिन स्तनधारियों की लाल रक्त कोशिकाओं में कोई केन्द्रक नहीं होता और ओस्टियोक्लास्ट कोशिकाओं में कई केन्द्रक होते हैं। प्राणियों के केन्द्रकों का व्यास लगभग ६ माइक्रोमीटर होता है और यह उनकी कोशिकाओं का सबसे बड़ा कोशिकांग होता है। कोशिका केन्द्रकों में कोशिकाओं की अधिकांश आनुवंशिक सामग्री होती है, जो कई लम्बे डी॰ ऍन॰ ए॰ अणुओं में सम्मिलित होती है, जिनके रेशों कई प्रोटीनों के प्रयोग से गुण सूत्रों (क्रोमोज़ोमों) में संगठित होते हैं। इन गुण सूत्रों में उपस्थित जीन कोशिका का जीनोम होते हैं और कोशिका की प्रक्रियाओं को संचालित करते हैं। केन्द्रक इन जीनों को सुरक्षित रखता है और जीन व्यवहार संचालित करता है, यानि केन्द्रक कोशिका का नियंत्रणकक्ष होता है। पूरा केन्द्रक एक लिपिड द्विपरत की बनी झिल्ली द्वारा घिरा होता है जो केन्द्रक झिल्ली (nuclear membrane) कहलाती है और जो केन्द्रक के अन्दर की सामग्री को कोशिकाद्रव्य से पृथक रखता है। केन्द्रक के भीतर केन्द्रक आव्यूह (nuclear matrix) कहलाने वाला रेशों का ढांचा होता है जो केन्द्रक को आकार बनाए रखने के लिए यांत्रिक सहारा देता है, ठीक उसी तरह जैसे कोशिका कंकाल पूरी कोशिका को यांत्रिक सहारा देता है। .

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कोशिकाद्रव्य

कोशिका के कोशिका झिल्ली के अंदर केन्द्रक को छोड़कर सम्पूर्ण पदार्थों को कोशिकाद्रव्य (Cytoplasm) कहते हैं। यह सभी कोशिकाओं में पाया जाता है तथा कोशिका झिल्ली के अंदर तथा केन्द्रक झिल्ली के बाहर रहता है। यह रवेदार, जेलीनुमा, अर्धतरल पदार्थ है। यह पारदर्शी एवं चिपचिपा होता है। यह कोशिका के 70% भाग की रचना करता है। इसकी रचना जल एवं कार्बनिक तथा अकार्बनिक ठोस पदार्थों से हुई है। इसमें अनेक रचनाएँ होती हैं। प्रकाश सूक्ष्मदर्शी में सभी कोशिकांगों को स्पष्ट नहीं देखा जा सकता है। इन रचनाओं को स्पष्ट देखने के लिए इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी या किसी अन्य अधिक विभेदन क्षमता वाले सूक्ष्मदर्शी की आवश्यकता पड़ती है। .

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अमीनो अम्ल

फिनाइल एलानिन, एक सामान्य अमीनो अम्ल अमीनो अम्ल, वे अणु हैं जिनमें अमाइन तथा कार्बोक्सिल दोनों ही ग्रुप पाएं जाते हैं। इनका साधारण सुत्र H2NCHROOH है। इसमें R एक पार्श्व कड़ी है। जो परिवर्तनशील विभिन्न अणुओं का ग्रूप होता है। कार्बोक्सिल (-COOH) तथा अमाइन (-NH2) ग्रूप कार्बन परमाणु से लगा रहता है। अमीनो अम्ल प्रोभूजिन के गठनकर्ता अणु हैं। बहुत सारे अमीनो अम्ल पेप्टाइड बंधन द्वारा युक्त होकर प्रोभूजिन बनाते हैं। प्रोभूजिन बनाने में 20 अमीनो अम्ल भाग लेते हैं। यह प्रोभूजिन निर्माण के कर्णधार होते हैं। प्रकृति में लगभग बीस अमीनों अम्लों का अस्तित्व है। प्रोभूजिन अणुओं में सैंकड़ों या हजारों अमीनो अम्ल एक दूसरे से जुड़े रहते हैं। प्रत्येक प्रोभूजिन में प्रायः सभी अमीनो अम्ल एक विशेष अनुक्रम से जुड़े रहते हैं। विभिन्न अमीनो अम्लों का यही अनुक्रम प्रत्येक प्रोभूजिन को उसकी विशेषताएं प्रदान करता है। अमीनो अम्लों का यही विशिष्ट अनुक्रम डी एन ए के न्यूक्लोटाइडस के क्रम से निर्धारित होता है। श्रेणी:जैवरसायनिकी श्रेणी:शब्दावली श्रेणी:सूक्ष्मजैविकी श्रेणी:जैव प्रौद्योगिकी श्रेणी:आण्विक जैविकी श्रेणी:अनुवांशिकी *.

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१० अक्टूबर

10 अक्टूबर ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 283वॉ (लीप वर्ष मे 284 वॉ) दिन है। साल मे अभी और 82 दिन बाकी है। .

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१९५०

1950 ग्रेगोरी कैलंडर का एक साधारण वर्ष है। .

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१९५८

1958 ग्रेगोरी कैलंडर का एक साधारण वर्ष है। .

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२००९

२००९ ग्रेगोरी कैलंडर का एक साधारण वर्ष है। वर्ष २००९ बृहस्पतिवार से प्रारम्भ होने वाला वर्ष है। संयुक्त राष्ट्र संघ, यूनेस्को एवं आइएयू ने १६०९ में गैलीलियो गैलिली द्वारा खगोलीय प्रेक्षण आरंभ करने की घटना की ४००वीं जयंती के उपलक्ष्य में इसे अंतर्राष्ट्रीय खगोलिकी वर्ष घोषित किया है। .

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७ अक्तूबर

7 अक्टूबर ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 280वॉ (लीप वर्ष में 281 वॉ) दिन है। साल में अभी और 85 दिन बाकी है। .

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