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कोशिकाद्रव्य

सूची कोशिकाद्रव्य

कोशिका के कोशिका झिल्ली के अंदर केन्द्रक को छोड़कर सम्पूर्ण पदार्थों को कोशिकाद्रव्य (Cytoplasm) कहते हैं। यह सभी कोशिकाओं में पाया जाता है तथा कोशिका झिल्ली के अंदर तथा केन्द्रक झिल्ली के बाहर रहता है। यह रवेदार, जेलीनुमा, अर्धतरल पदार्थ है। यह पारदर्शी एवं चिपचिपा होता है। यह कोशिका के 70% भाग की रचना करता है। इसकी रचना जल एवं कार्बनिक तथा अकार्बनिक ठोस पदार्थों से हुई है। इसमें अनेक रचनाएँ होती हैं। प्रकाश सूक्ष्मदर्शी में सभी कोशिकांगों को स्पष्ट नहीं देखा जा सकता है। इन रचनाओं को स्पष्ट देखने के लिए इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी या किसी अन्य अधिक विभेदन क्षमता वाले सूक्ष्मदर्शी की आवश्यकता पड़ती है। .

19 संबंधों: ठोस, पारदर्शिता और पारभासकता, प्रकाशीय सूक्ष्मदर्शी, रसधानी, राइबोसोम, लाइसोसोम, सूत्रकणिका, सेन्ट्रोसोम, जल, गॉल्जीकाय, आंतरद्रव्यजालिका, इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी, कार्बनिक यौगिक, केन्द्रक झिल्ली, कोशिका, कोशिका झिल्ली, कोशिका केन्द्रक, कोशिकाद्रव्य, अकार्बनिक रसायन

ठोस

ठोस (solid) पदार्थ की एक अवस्था है, जिसकी पहचान पदार्थ की संरचनात्मक दृढ़ता और विकृति (आकार, आयतन और स्वरूप में परिवर्तन) के प्रति प्रत्यक्ष अवरोध के गुण के आधार पर की जाती है। ठोस पदार्थों में उच्च यंग मापांक और अपरूपता मापांक होते है। इसके विपरीत, ज्यादातर तरल पदार्थ निम्न अपरूपता मापांक वाले होते हैं और श्यानता का प्रदर्शन करते हैं। भौतिक विज्ञान की जिस शाखा में ठोस का अध्ययन करते हैं, उसे ठोस-अवस्था भौतिकी कहते हैं। पदार्थ विज्ञान में ठोस पदार्थों के भौतिक और रासायनिक गुणों और उनके अनुप्रयोग का अध्ययन करते हैं। ठोस-अवस्था रसायन में पदार्थों के संश्लेषण, उनकी पहचान और रासायनिक संघटन का अध्ययन किया जाता है। .

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पारदर्शिता और पारभासकता

प्रकाशिकी (ओप्टिकस) के क्षेत्र में, पारदर्शिता (transparency) किसी पदार्थ का वह गुण होता है जिसमें वह प्रकाश की किरणों को अपने भीतर से बिना बिखेरे आने-जाने दे। पारभासकता (translucency) किसी चीज़ का वह गुण होता है जो प्रकाश को अपने से आर-पार गुज़रने तो दे लेकिन संभवतः उसमें ज़रा-बहुत रुकावट या बिखराव डालनें से क्षीण कर दे। .

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प्रकाशीय सूक्ष्मदर्शी

प्रकाशीय सूक्ष्मदर्शी प्रकाशीय सूक्ष्मदर्शी (optical microscope) वे सूक्ष्मदर्शी हैं जो दृष्य प्रकाश तथा लेंसों का उपयोग करके छोटी वस्तुओं का की बड़ी छबि बनाते हैं। सबसे पहले ये ही सूक्ष्मदर्शी विकसित किए गये। वर्तमान समय में प्रयुक्त संयुक्त सूक्ष्मदर्शी (कम्पाउण्ड माइक्रोस्कोप) का आविष्कार १७वीं शताब्दी में हुआ था। मूलभूत प्रकाशीय सूक्ष्मदर्शी बहुत ही सरल युक्ति है किन्तु बहुत सी जटिल डिजाइनों वाले प्रकाश-सूक्ष्मदर्शी भी हैं जो रिजोल्युशन या कांट्रास्ट बढ़ाने के उद्देश्य से बनाये गये हैं। प्रकाशीय सूक्ष्मदर्शी द्वारा निर्मित छबि को प्रकाश-संवेदी कैमरों द्वारा जतन किया जा सकता है। प्रकाशीय सूक्ष्मदर्शी से भिन्न सूक्ष्मदर्शी भी हैं जो दृष्य प्रकाश नहीं प्रयोग करते, जैसे स्कैनिंग इलेक्ट्रान सूक्ष्मदर्शी, ट्रांसमिशन इलेक्ट्रान सूक्ष्मदर्शी आदि। .

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रसधानी

रसधानी जन्तु और पादप कोशिकाओं के कोशिका द्रव में पायी जाने वाली रचना है। कोशिका द्रव्य रहित वे निर्जीव कोशिकीय रचनाएँ जो जलनुमा तरल पदार्थों से भरी होती हैं तथा टोनोप्लास्ट नामक आवरण से घिरी होती है, रसधानी कहलाती हैं। इनमें भोज्य पदार्थ संचित रहते हैं। जलीय पौधों की रसधानियाँ गैसयुक्त होकर पौधों को तैरने में मदद करती हैं। श्रेणी:कोशिका श्रेणी:कोशिका शारीरिकी.

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राइबोसोम

लयनकाय (13) तारककाय थेर्मस थर्मोफाइलस की एक ३०एस उपैकाई का परमाणु ढांचा। प्रोटीन-नीले में एवं एकल सूत्र आर.एन.ए नारंगी रंग में दिखाए गये हैं राइबोसोम सजीव कोशिका के कोशिका द्रव में स्थित बहुत ही सूक्ष्म कण हैं, जिनकी प्रोटीनों के संश्लेषण में महत्त्वपूर्ण भूमिका है। ये आनुवांशिक पदार्थों (डीएनए या आरएनए) के संकेतों को प्रोटीन शृंखला में परिवर्तित करते हैं। ये एण्डोप्लाज्मिक रेटिकुलम के ऊपरी सतह पर पाये जाते हैं, इसके अलावा ये माइटोकाण्ड्रिया तथा क्लोरोप्लास्ट में भी पाये जाते हैं। राइबोसोम एक संदेशधारक राईबोस न्यूक्लिक अम्ल (एमआरएनए) के साथ जुड़े रहता है जिसमें किसी विशेष प्रोटीन के निर्माण के लिए आवश्यक अमीनो अम्ल को सही क्रमानुसार लगाने का संदेश रहता है। अमीनो अम्ल संदेशवाहक आरएनए अणुओं के साथ संलग्न रहते हैं। इस प्रकार राइबोसोम प्रोटीन के संश्लेषण में तो सहायता करता ही है लिपिड के उपापचयी क्रियाओं में भी सहायता करता है। राइबोसोम की खोज १९५० के दशक में रोमानिया के जीववैज्ञानिक जॉर्ज पेलेड ने की थी। उन्होंने इस खोज के लिए इलैक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी का प्रयोग किया था जिसके लिए उन्हें नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। राइबोसोम नाम १९५८ में वैज्ञानिक रिचर्ड बी.

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लाइसोसोम

लयनकाय (13) तारक केन्द्र (centriole) जन्तु कोशिका के कोशिका द्रव में पाए जाने वाले आवरणयुक्त गोल-गोल थैलीनुमा अंगाणुओं को लयनकाय (लाइसोसोम) कहते हैं। यह अन्तः कोशिकाय पाचन में मदद करता है। लाइसोसोम.

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सूत्रकणिका

ई.आर (9) '''माइटोकांड्रिया''' (10) रसधानी (11) कोशिका द्रव (12) लाइसोसोम (13) तारककाय आक्सी श्वसन का क्रिया स्थल, माइटोकान्ड्रिया जीवाणु एवं नील हरित शैवाल को छोड़कर शेष सभी सजीव पादप एवं जंतु कोशिकाओं के कोशिकाद्रव्य में अनियमित रूप से बिखरे हुए द्वीप-एकक पर्दायुक्त कोशिकांगों (organelle) को सूत्रकणिका या माइटोकॉण्ड्रिया (Mitochondria) कहते हैं। कोशिका के अंदर सूक्ष्मदर्शी की सहायता से देखने में ये गोल, लम्बे या अण्डाकार दिखते हैं।। हिन्दुस्तान लाइव।२४अक्तूबर,२००९ माइटोकॉण्ड्रिया सभी प्राणियों में और उनकी हर प्रकार की कोशिकाओं में पाई जाती हैं। माइटोकाण्ड्रिआन या सूत्रकणिका कोशिका के कोशिकाद्रव्य में उपस्थित दोहरी झिल्ली से घिरा रहता है। माइटोकाण्ड्रिया के भीतर आनुवांशिक पदार्थ के रूप में डीएनए होता है जो वैज्ञानिकों के लिए आश्चर्य एवं खोज़ का विषय हैं। माइटोकाण्ड्रिया में उपस्थित डीएनए की रचना एवं आकार जीवाणुओं के डीएनए के समान है। इससे अनुमान लगाया जाता है कि लाखों वर्ष पहले शायद कोई जीवाणु मानव की किसी कोशिका में प्रवेश कर गया होगा एवं कालांतर में उसने कोशिका को ही स्थायी निवास बना लिया। माइटोकाण्ड्रिया के डीएनए एवं कोशिकाओं के केन्द्रक में विद्यमान डीएनए में ३५-३८ जीन एक समान हैं। अपने डीएनए की वज़ह से माइकोण्ड्रिया कोशिका के भीतर आवश्यकता पड़ने पर अपनी संख्या स्वयं बढ़ा सकते हैं। संतानो की कोशिकाओं में पाया जाने वाला माइटोकांड्रिया उन्हें उनकी माता से प्राप्त होता है। निषेचित अंडों के माइटोकाण्ड्रिया में पाया जाने वाले डीएनए में शुक्राणुओं की भूमिका नहीं होती। है।। चाणक्य।३१ अगस्त, २००९। भगवती लाल माली श्वसन की क्रिया प्रत्येक जीवित कोशिका के कोशिका द्रव्य (साइटोप्लाज्म) एवं माइटोकाण्ड्रिया में सम्पन्न होती है। श्वसन सम्बन्धित प्रारम्भिक क्रियाएँ साइटोप्लाज्म में होती है तथा शेष क्रियाएँ माइटोकाण्ड्रियाओं में होती हैं। चूँकि क्रिया के अंतिम चरण में ही अधिकांश ऊर्जा उत्पन्न होती हैं। इसलिए माइटोकाण्ड्रिया को कोशिका का श्वसनांग या 'शक्ति गृह' (पावर हाउस) कहा जाता है। जीव विज्ञान की प्रशाखा कोशिका विज्ञान या कोशिका जैविकी (साइटोलॉजी) इस विषय में विस्तार से वर्णन उपलब्ध कराती है। अमेरिका के शिकागो विश्वविद्यालय के डॉ॰ सिविया यच.

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सेन्ट्रोसोम

तंत्रिका कोशिका को छोड़कर प्रायः सभी प्रकार के प्राणिकोशिका में केन्द्रक के समीप साइटोप्लाज्म में एक तारानुमा रचना दिखाई देती है जिसे तारककाय कहते हैं। तारककाय के दो प्रमुख भाग होते हैं, एक को सेन्ट्रिओल और दूसरे को सेन्ट्रोस्फीयर कहते हैं। तारककाय के मध्य में सेन्ट्रिओल दो स्वच्छ, घनीभूत कणिकाओं के रूप में दिखाई देते हैं। सेन्ट्रिओल को घेरकर जो गाढ़ा कोशिकाद्रव्य रहता है, उसे सेन्ट्रोस्फीयर कहा जाता है। यह कोशिका विभाजन में मदद करता है, सीलिया तथा कशाभिका का निर्माण कराता है तथा शुक्राणुओं की पूँछ का निर्माण कराता है। .

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जल

जल या पानी एक आम रासायनिक पदार्थ है जिसका अणु दो हाइड्रोजन परमाणु और एक ऑक्सीजन परमाणु से बना है - H2O। यह सारे प्राणियों के जीवन का आधार है। आमतौर पर जल शब्द का प्प्रयोग द्रव अवस्था के लिए उपयोग में लाया जाता है पर यह ठोस अवस्था (बर्फ) और गैसीय अवस्था (भाप या जल वाष्प) में भी पाया जाता है। पानी जल-आत्मीय सतहों पर तरल-क्रिस्टल के रूप में भी पाया जाता है। पृथ्वी का लगभग 71% सतह को 1.460 पीटा टन (पीटी) (1021 किलोग्राम) जल से आच्छदित है जो अधिकतर महासागरों और अन्य बड़े जल निकायों का हिस्सा होता है इसके अतिरिक्त, 1.6% भूमिगत जल एक्वीफर और 0.001% जल वाष्प और बादल (इनका गठन हवा में जल के निलंबित ठोस और द्रव कणों से होता है) के रूप में पाया जाता है। खारे जल के महासागरों में पृथ्वी का कुल 97%, हिमनदों और ध्रुवीय बर्फ चोटिओं में 2.4% और अन्य स्रोतों जैसे नदियों, झीलों और तालाबों में 0.6% जल पाया जाता है। पृथ्वी पर जल की एक बहुत छोटी मात्रा, पानी की टंकिओं, जैविक निकायों, विनिर्मित उत्पादों के भीतर और खाद्य भंडार में निहित है। बर्फीली चोटिओं, हिमनद, एक्वीफर या झीलों का जल कई बार धरती पर जीवन के लिए साफ जल उपलब्ध कराता है। जल लगातार एक चक्र में घूमता रहता है जिसे जलचक्र कहते है, इसमे वाष्पीकरण या ट्रांस्पिरेशन, वर्षा और बह कर सागर में पहुॅचना शामिल है। हवा जल वाष्प को स्थल के ऊपर उसी दर से उड़ा ले जाती है जिस गति से यह बहकर सागर में पहँचता है लगभग 36 Tt (1012किलोग्राम) प्रति वर्ष। भूमि पर 107 Tt वर्षा के अलावा, वाष्पीकरण 71 Tt प्रति वर्ष का अतिरिक्त योगदान देता है। साफ और ताजा पेयजल मानवीय और अन्य जीवन के लिए आवश्यक है, लेकिन दुनिया के कई भागों में खासकर विकासशील देशों में भयंकर जलसंकट है और अनुमान है कि 2025 तक विश्व की आधी जनसंख्या इस जलसंकट से दो-चार होगी।.

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गॉल्जीकाय

मानव ल्यूकोसाइट माइक्रोग्राफ में गॉल्जी उपकरण: चित्र के निचले हिस्से में अर्धवृत्ताकार छल्लों के ढेर (stack) जैसी संरचना ही गॉल्जी उपकरण है। कोशिका के कोशिकाद्रव्य में केन्द्रक के समीप कुछ थैलीनुमा कोशिकांग (organelle) पाए जाते हैं, इन्हें गॉल्जी काय या गॉल्जी बॉडी (Golgi bodies) या गॉल्जी उपकरण (Golgi apparatus) कहते हैं। कामिल्लो गॉल्जी इटली का एक तंत्रिकावैज्ञानिक था, जिसने श्वेत उलूक (Barn Owl) की तंत्रकोशिकाओं में इसका पता लगाया, जो उसके नाम से ही विख्यात है। इसकी आकृति चपटी होती है तथा ये एक के बाद एक समानान्तर रूप में स्थिर रहे हैं। गॉल्जीबाडी का निर्माण कुछ थैलीनुमा सिस्टर्नी, कुछ छोटे-छोटे वेसिकल एवं कुछ बड़े-बड़े वैकुओल से मिलकर होता है। यह कोशिका के अन्दर स्रावित पदार्थ के संग्रह एवं परिवहन में सहायता करता है। .

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आंतरद्रव्यजालिका

अन्तर्द्रविक जालिका सुकेन्द्रिक कोशिकाओं में एक झिल्लीदार कोशिकांग है। इस की झिल्ली केन्द्रक की झिल्ली से निकलती है। अंग्रेज़ी में अन्तर्दविक जालिका को एॆन्डोप्लाज़मिक रॆटिकुलम कहा जाता है। कोशिका में इस के दो प्रकार होतें हैं। एक प्रकार (रफ़) पर राइबोसोम जुड़े होतें हैं जहां प्रोटीन संश्लेषण होता है और दूसरा प्रकार (स्मूद) राइबोसोम रहित होता है। अन्तर्द्रविक जालिका पर संश्लेषित किए प्रोटीन कोशिका के बाहर भेजने के लिए होते हैं। .

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इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी

'''ट्रान्समिशन एलेक्ट्रान सूक्ष्मदर्शी''' का आरेख इलेक्ट्रान सूक्ष्मदर्शी एक विशेष प्रकार का सूक्ष्मदर्शी है जो नमूने (specimen) को देखने के लिये एलेक्ट्रॉन किरण पुंज का उपयोग करता है और उच्च प्रवर्धिक छबि प्राप्त कराता है। इसकी विभेदन क्षमता (resolving power) प्रकाशीय सूक्ष्मदर्शी से बहुत अच्छी होती है। .

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कार्बनिक यौगिक

मिथेन सबसे सरल कार्बनिक यौगिक कार्बन के रासायनिक यौगिकों को कार्बनिक यौगिक कहते हैं। प्रकृति में इनकी संख्या 10 लाख से भी अधिक है। जीवन पद्धति में कार्बनिक यौगिकों की बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका है। इनमें कार्बन के साथ-साथ हाइड्रोजन भी रहता है। ऐतिहासिक तथा परंपरा गत कारणों से कुछ कार्बन के यौगकों को कार्बनिक यौगिकों की श्रेणी में नहीं रखा जाता है। इनमें कार्बनडाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड प्रमुख हैं। सभी जैव अणु जैसे कार्बोहाइड्रेट, अमीनो अम्ल, प्रोटीन, आरएनए तथा डीएनए कार्बनिक यौगिक ही हैं। .

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केन्द्रक झिल्ली

केन्द्रक झिल्ली (nuclear membrane) या केन्द्रक आवरक (nuclear envelope) वनस्पतियों, प्राणियों और सुकेन्द्रिक जीवों की कोशिकाओं के कोशिका केन्द्रक (cell nucleus) को घेरने वाली झिल्ली होती है। यह दो लिपिड द्विपरतों से बनी हुई होती है (एक बाहरी और एक भीतरी)। कोशिका की अधिकांश अनुवांशिक (जेनेटिक) सामग्री केन्द्रक झिल्ली के भीतर सुरक्षित रहती है। इस झिल्ली में कई केन्द्रक छिद्र (nuclear pores) होते हैं जिनके द्वारा केन्द्रक से कोशिका के अन्य भागों के बीच कुछ सामग्री आ-जा सकती है। बाहरी केन्द्रक झिल्ली आंतरद्रव्यजालिका (endoplasmic reticulum) की बाहरी झिल्ली के साथ जुड़ी हुई होती है। भीतरी केन्द्रक झिल्ली केन्द्रक के अन्दर केन्द्रक आव्यूह (nuclear matrix) से जुड़ी होती है जिस से केन्द्रक के आकार को ढांचीय सहारा मिलता है। केन्द्रक झिल्ली औसतन २०-४० नैनोमीटर चौड़ी होती है। .

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कोशिका

कोशिका कोशिका (Cell) सजीवों के शरीर की रचनात्मक और क्रियात्मक इकाई है और प्राय: स्वत: जनन की सामर्थ्य रखती है। यह विभिन्न पदार्थों का वह छोटे-से-छोटा संगठित रूप है जिसमें वे सभी क्रियाएँ होती हैं जिन्हें सामूहिक रूप से हम जीवन कहतें हैं। 'कोशिका' का अंग्रेजी शब्द सेल (Cell) लैटिन भाषा के 'शेलुला' शब्द से लिया गया है जिसका अर्थ 'एक छोटा कमरा' है। कुछ सजीव जैसे जीवाणुओं के शरीर एक ही कोशिका से बने होते हैं, उन्हें एककोशकीय जीव कहते हैं जबकि कुछ सजीव जैसे मनुष्य का शरीर अनेक कोशिकाओं से मिलकर बना होता है उन्हें बहुकोशकीय सजीव कहते हैं। कोशिका की खोज रॉबर्ट हूक ने १६६५ ई० में किया।"...

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कोशिका झिल्ली

एक यूकैरियोटिक कोशिका की कोशिका झिल्ली का चित्रण कोशिका झिल्ली एक अर्ध पारगम्य सजीव झिल्ली है जो प्रत्येक सजीव कोशिका के जीव द्रव्य को घेर कर रखती है। कोशिका झिल्ली का निर्माण तीन परतों से मिलकर होता है, इसमें से बाहरी एवं भीतरी परतें प्रोटीन द्वारा तथा मध्य वाली परत का निर्माण लिपिड या वसा द्वारा होता है। यह कोशिका की आकृति का निर्माण करती है एवं जीव द्रव्य की रक्षा करती है। अन्तर कोशिकीय विसरण एवं परासरण की क्रिया को नियंत्रित करने के साथ-साथ यह विभिन्न रचनाओं के निर्माण में भी सहायता करती है। .

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कोशिका केन्द्रक

केन्द्रक का चित्र कोशिका विज्ञान में केन्द्रक (लातीनी व अंग्रेज़ी: nucleus, न्यूक्लियस) वनस्पतियों, प्राणियों और सुकेन्द्रिक जीवों की अधिकांश कोशिकाओं में एक झिल्ली द्वारा बंद एक भाग (या कोशिकांग) होता है। सुकेन्द्रिक जीवों की हर कोशिका में अधिकतर एक केन्द्रक होता है, लेकिन स्तनधारियों की लाल रक्त कोशिकाओं में कोई केन्द्रक नहीं होता और ओस्टियोक्लास्ट कोशिकाओं में कई केन्द्रक होते हैं। प्राणियों के केन्द्रकों का व्यास लगभग ६ माइक्रोमीटर होता है और यह उनकी कोशिकाओं का सबसे बड़ा कोशिकांग होता है। कोशिका केन्द्रकों में कोशिकाओं की अधिकांश आनुवंशिक सामग्री होती है, जो कई लम्बे डी॰ ऍन॰ ए॰ अणुओं में सम्मिलित होती है, जिनके रेशों कई प्रोटीनों के प्रयोग से गुण सूत्रों (क्रोमोज़ोमों) में संगठित होते हैं। इन गुण सूत्रों में उपस्थित जीन कोशिका का जीनोम होते हैं और कोशिका की प्रक्रियाओं को संचालित करते हैं। केन्द्रक इन जीनों को सुरक्षित रखता है और जीन व्यवहार संचालित करता है, यानि केन्द्रक कोशिका का नियंत्रणकक्ष होता है। पूरा केन्द्रक एक लिपिड द्विपरत की बनी झिल्ली द्वारा घिरा होता है जो केन्द्रक झिल्ली (nuclear membrane) कहलाती है और जो केन्द्रक के अन्दर की सामग्री को कोशिकाद्रव्य से पृथक रखता है। केन्द्रक के भीतर केन्द्रक आव्यूह (nuclear matrix) कहलाने वाला रेशों का ढांचा होता है जो केन्द्रक को आकार बनाए रखने के लिए यांत्रिक सहारा देता है, ठीक उसी तरह जैसे कोशिका कंकाल पूरी कोशिका को यांत्रिक सहारा देता है। .

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कोशिकाद्रव्य

कोशिका के कोशिका झिल्ली के अंदर केन्द्रक को छोड़कर सम्पूर्ण पदार्थों को कोशिकाद्रव्य (Cytoplasm) कहते हैं। यह सभी कोशिकाओं में पाया जाता है तथा कोशिका झिल्ली के अंदर तथा केन्द्रक झिल्ली के बाहर रहता है। यह रवेदार, जेलीनुमा, अर्धतरल पदार्थ है। यह पारदर्शी एवं चिपचिपा होता है। यह कोशिका के 70% भाग की रचना करता है। इसकी रचना जल एवं कार्बनिक तथा अकार्बनिक ठोस पदार्थों से हुई है। इसमें अनेक रचनाएँ होती हैं। प्रकाश सूक्ष्मदर्शी में सभी कोशिकांगों को स्पष्ट नहीं देखा जा सकता है। इन रचनाओं को स्पष्ट देखने के लिए इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी या किसी अन्य अधिक विभेदन क्षमता वाले सूक्ष्मदर्शी की आवश्यकता पड़ती है। .

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अकार्बनिक रसायन

प्रांगार को छोड़कर शेष सभी तत्वों और उनके योगिकों की मीमांसा करना अकार्बनिक रसायन (Inorganic chemistry) का क्षेत्र है। बोरॉन, सिलिकन, जर्मेनियम आदि तत्व भी लगभग उसी प्रकार के विविध यौगिक बनाते हैं, जैसे कार्बन। पर इस पार्थिव सृष्टि में उनका उतना महत्व नहीं है जितना कार्बन यौगिकों का, इसलिए कार्बनिक रसायन का अन्य तत्वों से पृथक्‌ रासायनिक क्षेत्र मान लिया गया है। मनुष्य एवं वनस्पतियों का जीवन कार्बन यौगिकों के चक्र पर निर्भर है, अत: कार्बनिक यौगिकों को एक अलग उपांग में रखना कुछ अनुचित नहीं है। यह कार्बन ही है जो पृथ्वी पर पाए जानेवाले सामान्य ताप (०° से ४०°) पर अनेक स्थायी समावयवी यौगिक दे सकता है। .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

साइटोप्लाज्म, कोशिका द्रव, कोशिका द्रव्य

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