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यक्ष्मा

सूची यक्ष्मा

यक्ष्मा, तपेदिक, क्षयरोग, एमटीबी या टीबी (tubercle bacillus का लघु रूप) एक आम और कई मामलों में घातक संक्रामक बीमारी है जो माइक्रोबैक्टीरिया, आमतौर पर माइकोबैक्टीरियम तपेदिक के विभिन्न प्रकारों की वजह से होती है। क्षय रोग आम तौर पर फेफड़ों पर हमला करता है, लेकिन यह शरीर के अन्य भागों को भी प्रभावित कर सकता हैं। यह हवा के माध्यम से तब फैलता है, जब वे लोग जो सक्रिय टीबी संक्रमण से ग्रसित हैं, खांसी, छींक, या किसी अन्य प्रकार से हवा के माध्यम से अपना लार संचारित कर देते हैं। ज्यादातर संक्रमण स्पर्शोन्मुख और भीतरी होते हैं, लेकिन दस में से एक भीतरी संक्रमण, अंततः सक्रिय रोग में बदल जाते हैं, जिनको अगर बिना उपचार किये छोड़ दिया जाये तो ऐसे संक्रमित लोगों में से 50% से अधिक की मृत्यु हो जाती है। सक्रिय टीबी संक्रमण के आदर्श लक्षण खून-वाली थूक के साथ पुरानी खांसी, बुखार, रात को पसीना आना और वजन घटना हैं (बाद का यह शब्द ही पहले इसे "खा जाने वाला/यक्ष्मा" कहा जाने के लिये जिम्मेदार है)। अन्य अंगों का संक्रमण, लक्षणों की एक विस्तृत श्रृंखला प्रस्तुत करता है। सक्रिय टीबी का निदान रेडियोलोजी, (आम तौर पर छाती का एक्स-रे) के साथ-साथ माइक्रोस्कोपिक जांच तथा शरीर के तरलों की माइक्रोबायोलॉजिकल कल्चर पर निर्भर करता है। भीतरी या छिपी टीबी का निदान ट्यूबरक्यूलाइन त्वचा परीक्षण (TST) और/या रक्त परीक्षणों पर निर्भर करता है। उपचार मुश्किल है और इसके लिये, समय की एक लंबी अवधि में कई एंटीबायोटिक दवाओं के माध्यम से उपचार की आवश्यकता पड़ती है। यदि आवश्यक हो तो सामाजिक संपर्कों की भी जांच और उपचार किया जाता है। दवाओं के प्रतिरोधी तपेदिक (MDR-TB) संक्रमणों में एंटीबायोटिक प्रतिरोध एक बढ़ती हुई समस्या है। रोकथाम जांच कार्यक्रमों और बेसिलस काल्मेट-गुएरिन बैक्सीन द्वारा टीकाकरण पर निर्भर करती है। ऐसा माना जाता है कि दुनिया की आबादी का एक तिहाई एम.तपेदिक, से संक्रमित है, नये संक्रमण प्रति सेकंड एक व्यक्ति की दर से बढ़ रहे हैं। एक अनुमान के अनुसार, 2007 में विश्व में, 13.7 मिलियन जटिल सक्रिय मामले थे, जबकि 2010 में लगभग 8.8 मिलियन नये मामले और 1.5 मिलियन संबंधित मौतें हुई जो कि अधिकतर विकासशील देशों में हुई थीं। 2006 के बाद से तपेदिक मामलों की कुल संख्या कम हुई है और 2002 के बाद से नये मामलों में कमी आई है। तपेदिक का वितरण दुनिया भर में एक समान नहीं है; कई एशियाई और अफ्रीकी देशों में जनसंख्या का 80% ट्यूबरक्यूलाइन परीक्षणों में सकारात्मक पायी गयी, जबकि संयुक्त राज्य अमेरिका की आबादी का 5-10% परीक्षणों के प्रति सकारात्मक रहा है। प्रतिरक्षा में समझौते के कारण, विकासशील दुनिया के अधिक लोग तपेदिक से पीड़ित होते हैं, जो कि मुख्य रूप से HIV संक्रमण की उच्च दर और उसके एड्स में विकास के कारण होता है। .

सामग्री की तालिका

  1. 39 संबंधों: ऊतक परीक्षा, चेचक, टीका (वैक्सीन), टीकाकरण, एचआइवी, एड्स, निदान, न्यूज़ीलैण्ड, प्रतिजैविक, पूय, फ़्रान्स, फेफड़ा, मधुमेह, मम्मी, माइकोबैक्टीरियम ट्यूबर्क्युलोसिस, मिस्र, रॉबर्ट कोच, लसीका, लसीका तंत्र, लिपिड, सिगरेट, संयुक्त राज्य, संक्रामक रोग, स्वाज़ीलैण्ड, हिपोक्रेटिस, हृदय, ज्वर, जीन, वातिलवक्ष, विश्व स्वास्थ्य संगठन, औद्योगिक क्रांति, कुपोषण, कुष्ठरोग, केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र, कोशिका विभाजन, अफ्रीका का सींग, अवटु ग्रंथि, अग्न्याशय, उप-सहारा अफ़्रीका

  2. अफ़्रीका में स्वास्थ्य
  3. कैंसर के संक्रामक कारण
  4. तपेदिक

ऊतक परीक्षा

मस्तिष्क की बायॉप्सी ऊतक परीक्षा (अंग्रेज़ी: बाइऑप्सी) निदान के लिए जीवित प्राणियों के शरीर से ऊतक (टिशू) को अलग कर जो परीक्षण किया जाता है उसे कहते हैं। अर्बुद (ट्यूमर) के निदान की अन्य विधियाँ उपलब्ध न होने पर, संभावित ऊतक के अपेक्षाकृत एक बड़े टुकड़े का सूक्ष्म अध्ययन ही निदान की सर्वोत्तम रीति है। शल्य चिकित्सा में इसकी महत्ता अधिक है, क्योंकि इसके द्वारा ही निदान निश्चित होता है तथा शल्य चिकित्सक को आँख बंदकर करने के बदले उचित उपचार करने का मार्ग मिल जाता है। .

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चेचक

यह मनुष्य तीव्र रक्तश्राव वाली चेचक से पीडित है। चेचक (शीतला, बड़ी माता, small pox) यह रोग अत्यंत प्राचीन है। आयुर्वेद के ग्रंथों में इसका वर्णन मिलता है। मिस्र में १,२०० वर्ष ईसा पूर्व की एक ममी (mummy) पाई गई थी, जिसकी त्वचा पर चेचक के समान विस्फोट उपस्थित थे। विद्वानों ने उसका चेचेक माना। चीन में भी ईसा के कई शताब्दी पूर्व इस रोग का वर्णन पाया जाता है। छठी शताब्दी में यह रोग यूरोप में पहुँचा और १६वीं शताब्दी में स्पेन निवासियों द्वारा अमरीका में पहुँचाया गया। सन्‌ १७१८ में यूरोप में लेडी मेरी वोर्टले मौंटाग्यू ने पहली बार इसकी सुई (inoculation) प्रचलित की और सन्‌ १७९६ में जेनर ने इसके टीके का आविष्कार किया। चेचक विषाणु जनित रोग है, इसका प्रसार केवल मनुष्यों में होता है, इसके लिए दो विषाणु उत्तरदायी माने जाते है वायरोला मेजर और वायरोला माइनर.

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टीका (वैक्सीन)

Edward Jenner was the person who developed first vaccine टीका (vaccine) एक जीवों के शरीर का उपयोग करके बनाया गया द्रब्य है जिसके प्रयोग से शरीर की किसी रोग विशेष से लड़ने की क्षमता बढ़ जाती है। .

देखें यक्ष्मा और टीका (वैक्सीन)

टीकाकरण

मुँह से पोलियो का टीका ग्रहण करता हुआ एक बच्चा किसी बीमारी के विरुद्ध प्रतिरोधात्मक क्षमता (immunity) विकसित करने के लिये जो दवा खिलायी/पिलायी या किसी अन्य रूप में दी जाती है उसे टीका (vaccine) कहते हैं तथा यह क्रिया टीकाकरण (Vaccination) कहलाती है। संक्रामक रोगों की रोकथाम के लिये टीकाकरण सर्वाधिक प्रभावी एवं सबसे सस्ती विधि माना जाता है। टीके, एन्टिजनी (antigenic) पदार्थ होते हैं। टीके के रूप में दी जाने वाली दवा या तो रोगकारक जीवाणु या विषाणु की जीवित किन्तु क्षीण मात्रा होती है या फिर इनको मारकर या अप्रभावी करके या फिर कोई शुद्ध किया गया पदार्थ, जैसे - प्रोटीन आदि हो सकता है। सनसे पहले चेचक का टीका आजमाया गया जो कि भारत या चीन २०० इसा पूर्व हुआ। .

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एचआइवी

एचआइवी अथवा कपोसी सार्कोमा प्रभावित महिला की नाक का चित्र एचआईवी (ह्युमन इम्युनडिफिशिएंशी वायरस) या मानवीय प्रतिरक्षी अपूर्णता विषाणु एक विषाणु है जो शरीर की रोग-प्रतिरक्षा प्रणाली पर प्रहार करता है और संक्रमणों के प्रति उसकी प्रतिरोध क्षमता को धीरे-धीरे कम करता जाता है। यह लाइलाज बीमारी एड्स का कारण है। मुख्यतः यौण संबंध तथा रक्त के जरिए फैलने वाला यह विषाणु शरीर की श्वेत रक्त कणिकाओं का भक्षण कर लेता है। इसमें उच्च आनुवंशिक परिवर्तनशीलता का गुण है। यह विशेषता इसके उपचार में बहुत बड़ी बाधा उत्पन्न करता है। .

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एड्स

उपार्जित प्रतिरक्षी अपूर्णता सहलक्षण या एड्स (अंग्रेज़ी:एड्स) मानवीय प्रतिरक्षी अपूर्णता विषाणु (एच.आई.वी) संक्रमण के बाद की स्थिति है, जिसमें मानव अपने प्राकृतिक प्रतिरक्षण क्षमता खो देता है। एड्स स्वयं कोई बीमारी नही है पर एड्स से पीड़ित मानव शरीर संक्रामक बीमारियों, जो कि जीवाणु और विषाणु आदि से होती हैं, के प्रति अपनी प्राकृतिक प्रतिरोधी शक्ति खो बैठता है क्योंकि एच.आई.वी (वह वायरस जिससे कि एड्स होता है) रक्त में उपस्थित प्रतिरोधी पदार्थ लसीका-कोशो पर आक्रमण करता है। एड्स पीड़ित के शरीर में प्रतिरोधक क्षमता के क्रमशः क्षय होने से कोई भी अवसरवादी संक्रमण, यानि आम सर्दी जुकाम से ले कर क्षय रोग जैसे रोग तक सहजता से हो जाते हैं और उनका इलाज करना कठिन हो जाता हैं। एच.आई.वी.

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निदान

निदान की एक महत्वपूर्ण पद्धति: रेडियोग्राफी किसी भी समस्या के बाहरी लक्षणों से आरम्भ करके उसके (उत्पत्ति के) मूल कारण का ज्ञान करना निदान (Diagnosis / डायग्नोसिस्) कहलाता है। निदान की विधि 'विलोपन' (एलिमिनेशन) पर आधारित है। निदान शब्द का प्रयोग सभी क्षेत्रों में होता है: रोगोपचार (मेडिसिन), विज्ञान, प्रौद्योगिकी, न्याय, व्यापार, एवं प्रबन्धन आदि में। निदान का बहुत महत्व है। जब तक रोग की सटीक पहचान न हो जाए, तब तक सही दिशा में उपचार असंभव है। इसलिए पुराने आयुर्वेद ग्रंथों में निदान अध्याय बहुत वृहद होता था और उपचार अध्याय सीमित। कारण यह है कि यदि निदान सटीक हो गया तो उपचार भी सटीक होगा। यह सही है कि अनेक रोग स्वयमेव अच्छे हो जाते हैं और प्रकृति की निवारक शक्ति को किसी की सहायता की अपेक्षा नहीं होती, परंतु अनेक रोग ऐसे भी होते हैं जिनमें प्रकृति असमर्थ हो जाती है और तब चिकित्सा द्वारा सहायता की आवश्यकता होती है। सही और सटीक चिकित्सा के लिए आवश्यक है कि निदान सही हो। सही निदान का अर्थ यह है कि कष्टदायक लक्षणों का आधारभूत कारण और उसके द्वारा उत्पन्न विकृति का सही रूप समझा जाए। .

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न्यूज़ीलैण्ड

न्यूज़ीलैंड प्रशान्त महासागर में ऑस्ट्रेलिया के पास स्थित देश है। ये दो बड़े द्वीपों से बना है। न्यूजीलैंड (माओरी भाषा में: Aotearoa आओटेआरोआ) दक्षिण पश्चिमि पेसिफ़िक ओशन में दो बड़े द्वीप और अन्य कई छोटे द्वीपों से बना एक देश है। न्यूजीलैंड के ४० लाख लोगों में से लगभग तीस लाख लोग उत्तरी द्वीप में रहते हैं और दस लाख लोग दक्षिणि द्वीप में। यह द्वीप दुनिया के सबसे बडे द्वीपों में गिने जाते हैं। अन्य द्वीपों में बहुत कम लोग रहतें हैं और वे बहुत छोटे हैं। इनमें मुख्य है.

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प्रतिजैविक

किरबी-ब्यूअर डिस्क प्रसार विधि द्वारा स्टेफिलोकुकस एयूरेस एंटीबायोटिक दवाओं की संवेदनशीलता का परीक्षण.एंटीबायोटिक एंटीबायोटिक से बाहर फैलाना-डिस्क युक्त और एस अवरोध के क्षेत्र में जिसके परिणामस्वरूप aureus का विकास बाधित किया जाता है। आम उपयोग में, प्रतिजैविक या एंटीबायोटिक एक पदार्थ या यौगिक है, जो जीवाणु को मार डालता है या उसके विकास को रोकता है। एंटीबायोटिक रोगाणुरोधी यौगिकों का व्यापक समूह होता है, जिसका उपयोग कवक और प्रोटोजोआ सहित सूक्ष्मदर्शी द्वारा देखे जाने वाले जीवाणुओं के कारण हुए संक्रमण के इलाज के लिए होता है। "एंटीबायोटिक" शब्द का प्रयोग 1942 में सेलमैन वाक्समैन द्वारा किसी एक सूक्ष्म जीव द्वारा उत्पन्न किये गये ठोस या तरल पदार्थ के लिए किया गया, जो उच्च तनुकरण में अन्य सूक्ष्मजीवों के विकास के विरोधी होते हैं। इस मूल परिभाषा में प्राकृतिक रूप से प्राप्त होने वाले ठोस या तरल पदार्थ नहीं हैं, जो जीवाणुओं को मारने में सक्षम होते हैं, पर सूक्ष्मजीवों (जैसे गैस्ट्रिक रसऔर हाइड्रोजन पैराक्साइड) द्वारा उत्पन्न नहीं किये जाते और इनमें सल्फोनामाइड जैसे सिंथेटिक जीवाणुरोधी यौगिक भी नहीं होते हैं। कई एंटीबायोटिक्स अपेक्षाकृत छोटे अणु होते हैं, जिनका भार 2000 Da से भी कम होता हैं। औषधीय रसायन विज्ञान की प्रगति के साथ-साथ अब अधिकतर एंटीबायोटिक्ससेमी सिंथेटिकही हैं, जिन्हें प्रकृति में पाये जाने वाले मूल यौगिकों से रासायनिक रूप से संशोधित किया जाता है, जैसा कि बीटालैक्टम (जिसमें पेनसिलियम, सीफालॉसपोरिन औरकारबॉपेनम्स के कवक द्वारा उत्पादितपेनसिलिंस भी शामिल हैं) के मामले में होता है। कुछ एंटीबायोटिक दवाओं का उत्पादन अभी भी अमीनोग्लाइकोसाइडजैसे जीवित जीवों के जरिये होता है और उन्हें अलग-थलग रख्ना जाता है और अन्य पूरी तरह कृत्रिम तरीकों- जैसे सल्फोनामाइड्स,क्वीनोलोंसऔरऑक्साजोलाइडिनोंससे बनाये जाते हैं। उत्पत्ति पर आधारित इस वर्गीकरण- प्राकृतिक, सेमीसिंथेटिक और सिंथेटिक के अतिरिक्त सूक्ष्मजीवों पर उनके प्रभाव के अनुसार एंटीबायोटिक्स को मोटे तौर पर दो समूहों में विभाजित किया जा सकता हैं: एक तो वे, जो जीवाणुओं को मारते हैं, उन्हें जीवाणुनाशक एजेंट कहा जाता है और जो बैक्टीरिया के विकास को दुर्बल करते हैं, उन्हें बैक्टीरियोस्टेटिक एजेंट कहा जाता है। .

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पूय

पूय, पीब, पीप या मवाद (pus) सफेद-पीला, पीला या पीला-भूरा द्रव है जो कशेरुक प्राणियों के शरीर के किसी घाव से निकलता है। श्रेणी:शरीर के द्रव.

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फ़्रान्स

फ़्रान्स,या फ्रांस (आधिकारिक तौर पर फ़्रान्स गणराज्य; फ़्रान्सीसी: République française) पश्चिम यूरोप में स्थित एक देश है किन्तु इसका कुछ भूभाग संसार के अन्य भागों में भी हैं। पेरिस इसकी राजधानी है। यह यूरोपीय संघ का सदस्य है। क्षेत्रफल की दृष्टि से यह यूरोप महाद्वीप का सबसे बड़ा देश है, जो उत्तर में बेल्जियम, लक्ज़मबर्ग, पूर्व में जर्मनी, स्विट्ज़रलैण्ड, इटली, दक्षिण-पश्चिम में स्पेन, पश्चिम में अटलांटिक महासागर, दक्षिण में भूमध्यसागर तथा उत्तर पश्चिम में इंग्लिश चैनल द्वारा घिरा है। इस प्रकार यह तीन ओर सागरों से घिरा है। सुरक्षा की दृष्टि से इसकी स्थिति उत्तम नहीं है। लौह युग के दौरान, अभी के महानगरीय फ्रांस को कैटलिक से आये गॉल्स ने अपना निवास स्थान बनाया। रोम ने 51 ईसा पूर्व में इस क्षेत्र पर कब्जा कर लिया गया। फ्रांस, गत मध्य युग में सौ वर्ष के युद्ध (1337 से 1453) में अपनी जीत के साथ राज्य निर्माण और राजनीतिक केंद्रीकरण को मजबूत करने के बाद एक प्रमुख यूरोपीय शक्ति के रूप में उभरा। पुनर्जागरण के दौरान, फ्रांसीसी संस्कृति विकसित हुई और एक वैश्विक औपनिवेशिक साम्राज्य स्थापित हुआ, जो 20 वीं सदी तक दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी थी। 16 वीं शताब्दी में यहाँ कैथोलिक और प्रोटेस्टैंट (ह्यूजेनॉट्स) के बीच धार्मिक नागरिक युद्धों का वर्चस्व रहा। फ्रांस, लुई चौदहवें के शासन में यूरोप की प्रमुख सांस्कृतिक, राजनीतिक और सैन्य शक्ति बन कर उभरा। 18 वीं शताब्दी के अंत में, फ्रेंच क्रांति ने पूर्ण राजशाही को उखाड़ दिया, और आधुनिक इतिहास के सबसे पुराने गणराज्यों में से एक को स्थापित किया, साथ ही मानव और नागरिकों के अधिकारों की घोषणा के प्रारूप का मसौदा तैयार किया, जोकि आज तक राष्ट्र के आदर्शों को व्यक्त करता है। 19वीं शताब्दी में नेपोलियन ने वहाँ की सत्ता हथियाँ कर पहले फ्रांसीसी साम्राज्य की स्थापना की, इसके बाद के नेपोलियन युद्धों ने ही वर्तमान यूरोप महाद्वीपीय के स्वरुप को आकार दिया। साम्राज्य के पतन के बाद, फ्रांस में 1870 में तृतीय फ्रांसीसी गणतंत्र की स्थापना हुई, हलाकि आने वाली सभी सरकार लचर अवस्था में ही रही। फ्रांस प्रथम विश्व युद्ध में एक प्रमुख भागीदार था, जहां वह विजयी हुआ, और द्वितीय विश्व युद्ध में मित्र राष्ट्र में से एक था, लेकिन 1940 में धुरी शक्तियों के कब्जे में आ गया। 1944 में अपनी मुक्ति के बाद, चौथे फ्रांसीसी गणतंत्र की स्थापना हुई जिसे बाद में अल्जीरिया युद्ध के दौरान पुनः भंग कर दिया गया। पांचवां फ्रांसीसी गणतंत्र, चार्ल्स डी गॉल के नेतृत्व में, 1958 में बनाई गई और आज भी यह कार्यरत है। अल्जीरिया और लगभग सभी अन्य उपनिवेश 1960 के दशक में स्वतंत्र हो गए पर फ्रांस के साथ इसके घनिष्ठ आर्थिक और सैन्य संबंध आज भी कायम हैं। फ्रांस लंबे समय से कला, विज्ञान और दर्शन का एक वैश्विक केंद्र रहा है। यहाँ पर यूरोप की चौथी सबसे ज्यादा सांस्कृतिक यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल मौजूद है, और दुनिया में सबसे अधिक, सालाना लगभग 83 मिलियन विदेशी पर्यटकों की मेजबानी करता है। फ्रांस एक विकसित देश है जोकि जीडीपी में दुनिया की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था तथा क्रय शक्ति समता में नौवीं सबसे बड़ा है। कुल घरेलू संपदा के संदर्भ में, यह दुनिया में चौथे स्थान पर है। फ्रांस का शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, जीवन प्रत्याशा और मानव विकास की अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग में अच्छा प्रदर्शन है। फ्रांस, विश्व की महाशक्तियों में से एक है, वीटो का अधिकार और एक आधिकारिक परमाणु हथियार संपन्न देश के साथ ही यह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों में से एक है। यह यूरोपीय संघ और यूरोजोन का एक प्रमुख सदस्यीय राज्य है। यह समूह-8, उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो), आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (ओईसीडी), विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) और ला फ्रैंकोफ़ोनी का भी सदस्य है। .

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फेफड़ा

ग्रे की मानव शारीरिकी'', 20th ed. 1918. हवा या वायु में सांस लेने वाले प्राणियों का मुख्य सांस लेने के अंग फेफड़ा या फुप्फुस (जैसा कि इसे वैज्ञानिक या चिकित्सीय भाषा मे कहा जाता है) होता है। यह प्राणियों में एक जोडे़ के रूप मे उपस्थित होता है। फेफड़े की दीवार असंख्य गुहिकाओं की उपस्थिति के कारण स्पंजी होती है। यह वक्ष-गुहा में स्थित होता है। इसमें लहू का शुद्धीकरण होता है। प्रत्येक फेफड़ा में एक फुफ्फुसीय शिरा हिया से अशुद्ध लहू लाती है। फेफड़े में लहू का शुद्धीकरण होता है। लहू में ऑक्सीजन का मिश्रण होता है। फेफडो़ का मुख्य काम वातावरण से प्राणवायु लेकर उसे लहू परिसंचरण मे प्रवाहित (मिलाना) करना और लहू से कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित कर उसे वातावरण में छोड़ना है। गैसों का यह विनिमय असंख्य छोटे छोटे पतली-दीवारों वाली वायु पुटिकाओं जिन्हें अल्वियोली कहा जाता है मे होता है। यह शुद्ध लहू फुफ्फुसीय धमनी द्वारा हिया में पहुँचता है, जहां से यह फिर से शरीर के विभिन्न अवयवों मे पम्प किया जाता है। .

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मधुमेह

डायबिटीज मेलेटस (डीएम), जिसे सामान्यतः मधुमेह कहा जाता है, चयापचय संबंधी बीमारियों का एक समूह है जिसमें लंबे समय तक उच्च रक्त शर्करा का स्तर होता है। उच्च रक्त शर्करा के लक्षणों में अक्सर पेशाब आना होता है, प्यास की बढ़ोतरी होती है, और भूख में वृद्धि होती है।  यदि अनुपचारित छोड़ दिया जाता है, मधुमेह कई जटिलताओं का कारण बन सकता है।  तीव्र जटिलताओं में मधुमेह केटोएसिडोसिस, नॉनकेटोटिक हाइपरोस्मोलर कोमा, या मौत शामिल हो सकती है। गंभीर दीर्घकालिक जटिलताओं में हृदय रोग, स्ट्रोक, क्रोनिक किडनी की विफलता, पैर अल्सर और आंखों को नुकसान शामिल है। मधुमेह के कारण है या तो अग्न्याशय  पर्याप्त इंसुलिन का उत्पादन नहीं करता या शरीर की कोशिकायें इंसुलिन को ठीक से जवाब नहीं करती। मधुमेह के तीन मुख्य प्रकार हैं.

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मम्मी

मम्मी (Mummy) एक संरक्षित शव को कहते हैं जिसके अंग एवं त्वचा को जानबूझकर या बिना बूझे-समझे ही किसी विधि से संरक्षित कर दिया जाता है। संरक्षित करने के लिये उचित रसायनों का प्रयोग, अत्यन्त शीतल वातावरण, बहुत कम आर्द्रता, बहुत कम हवा आदि की तकनीकें अपनायीं जाती हैं। वर्तमान में जो सबसे पुरानी मम्मी ज्ञात है वह ६००० वर्ष पुरानी मम्मी है जो सन् १९३६ में मिली थी। मानव एवं अन्य जानवरों की मम्मी पूरे संसार यत्र-तत्र में मिलती रहीं है| मम्मी एक ऐसा मृत शरीर होता है जिसे प्राचीन काल मे लोग संरक्षितरखते थेे|उनका यह मानना था कि मम्मी(जो मृत शरीर है)रात के समय उठकर अपना कार्य(खाना- पीना,नहाना आदि)करती है|इसलिए वे मम्मी के लिए सभी उसका ऊपयोगी समान पिरामिड़ मे पहुँचा देते थे| मम्मी को जिस स्थान पर रखा जाता था उसे पिरामिड़ कहते है| .

देखें यक्ष्मा और मम्मी

माइकोबैक्टीरियम ट्यूबर्क्युलोसिस

माइकोबैक्टीरियम ट्यूबर्क्युलोसिस माइकोबैक्टीरियम ट्यूबर्क्युलोसिस रोग पैदा करने वाला एक जीवाणु है, इससे तपेदिक या क्षय रोग होता है। इसकी खोज सर्वप्रथम रॉबर्ट कोच ने 1882 में किया था। यह एक खतरनाक जीवाणु है जो स्तनधारी जीवों के फेफड़ों के प्रभावित करता है। जीनोम परियोजना के अन्तर्गत इसके जीनोम अनुक्रम का पता 1998 में लगा लिया गया है। .

देखें यक्ष्मा और माइकोबैक्टीरियम ट्यूबर्क्युलोसिस

मिस्र

मिस्र (अरबी; مصر, अंग्रेजी:Egypt), आधिकारिक तौर पर मिस्र अरब गणराज्य, एक देश है जिसका अधिकांश हालांकि उत्तरी अफ्रीका में स्थित है जबकि इसका सिनाई प्रायद्वीप, दक्षिणपश्चिम एशिया में एक स्थल पुल बनाता है। इस प्रकार मिस्र एक अंतरमहाद्वीपीय देश है, तथा अफ्रीका, भूमध्य क्षेत्र, मध्य पूर्व और इस्लामी दुनिया की यह एक प्रमुख शक्ति है। इसका क्षेत्रफल 1010000 वर्ग किलोमीटर है और इसके उत्तर में भूमध्य सागर, पूर्वोत्तर में गाजा पट्टी और इस्राइल, पूर्व में लाल सागर, दक्षिण में सूडान और पश्चिम में लीबिया स्थित है। मिस्र, अफ्रीका और मध्य पूर्व के सबसे अधिक जनसंख्या वाले देशों में से एक है। इसकी अनुमानित 7.90 करोड़ जनसंख्या का अधिकतर हिस्सा नील नदी के किनारे वाले हिस्से में रहता है। नील नदी का यह क्षेत्र लगभग 40000 वर्ग किलोमीटर (15000 वर्ग मील) का है और पूरे देश का सिर्फ इसी क्षेत्र में कृषि योग्य भूमि पायी जाती है। सहारा मरुस्थल के एक बड़े हिस्से में विरल जनसंख्या निवास करती है। मिस्र के लगभग आधे निवासी शहरों में वास करते हैं जिनमें नील नदी के मुहाने के क्षेत्र में बसे सघन जनसंख्या वाले शहर जैसे कि काहिरा, सिकन्दरिया आदि प्रमुख हैं। मिस्र की मान्यता उसकी प्राचीन सभ्यता के लिए है। गीज़ा पिरामिड परिसर और महान स्फिंक्स जैसे प्रसिद्ध स्मारक यहीं स्थित है। मिस्र के प्राचीन खंडहर जैसे कि मेम्फिस, थेबिस, करनाक और राजाओं की घाटी जो लक्सर के बाहर स्थित हैं, पुरातात्विक अध्ययन का एक महत्वपूर्ण केंद्र हैं। यहां के शासक को फारो नाम से जाना जाता था। इस पदवी का प्रयोग ईसाई और इस्लाम काल के पूर्व काल में होता था। इसे फारोह भी लिखते हैं। फारो को मिस्र के देवता होरसका पुनर्जन्म माना जाता था। होरस द्यौ (आकाश) का देवता था और इसे सूर्य भी माना जाता था। मिस्र की कार्यशक्ति का लगभग 12% हिस्सा पर्यटन और लाल सागर रिवेरा में कार्यरत है। मध्य पूर्व में, मिस्र की अर्थव्यवस्था सबसे अधिक विकसित और विविध अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। पर्यटन, कृषि, उद्योग और सेवा जैसे क्षेत्रों का उत्पादन स्तर लगभग एक समान है। 2011 के शुरूआत में मिस्र उस क्रांति का गवाह बना, जिसके द्वारा मिस्र से होस्नी मुबारक नाम के तानाशाह के 30 साल के शासन का खात्मा हुआ। .

देखें यक्ष्मा और मिस्र

रॉबर्ट कोच

रॉबर्ट कोच सूक्ष्मजैविकी के क्षेत्र में युगपुरूष माने जाते हैं। इन्होंने कॉलेरा, ऐन्थ्रेक्स तथा क्षय रोगों पर गहन अध्ययन किया। अंततः कोच ने यह सिद्ध कर दीया कि कई रोग सूक्ष्मजीवों के कारण होते हैं। इसके लिए सन 1905 में उन्हें नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। कोच ने रोगों एवं उनके कारक जीवों का पता लगाने के लिए कुछ परिकल्पनाएं की थी जो आज भी इस्तेमाल होती हैं। दसवी दिसम्बर, २०१७ के दिन गूगल के डूडल पर जर्मन वैज्ञानिक डॉ.

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लसीका

इस चित्र में लसिका का निर्माण उत्तक द्रव से होते दर्शाया गया है। लसिका (Lymph) एक अन्त:स्रवित द्रव है जो मानव की कोशिकाओं के बीच में पाया जाता है। यह लसिका पात्रों में कैपिलरी छिद्रों से होकर छनता हुआ प्रवेश करता है। .

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लसीका तंत्र

मानव (स्त्री) का लसीका तंत्र जब रुधिर केशिकाओं से होकर बहता है तब उसका द्रव भाग (रुधिर रस) कुछ भौतिक, रासायनिक या शारीरिक प्रतिक्रियाओं के कारण केशिकाओं की पतली दीवारों से छनकर बाहर जाता है। बाहर निकला हुआ यही रुधिर रस लसीका (Lymph) कहलाता है। यह वस्तुत: रुधिर ही है, जिसमें केवल रुधिरकणों का अभाव रहता है। लसीका का शरीरस्थ अधिष्ठान लसीकातंत्र (Lymphatic System) कहलाता है। इस तंत्र में लसीका अंतराल (space), लसीकावाहिनियों और वाहिनियों के बीच बीच में लसीकाग्रंथियाँ रहती हैं। लसीका तंतुओं के असंख्य सूक्ष्म तथा अनियमित लसीका-अंतरालों में प्रकट होती हैं। वे अंतराल परस्पर अनेक ऐसी सूक्ष्म लसीकावाहिनियों द्वारा संबद्ध होते हैं, जो पतली शिराओं के समान अत्यंत कोमल दीवार तथा अत्यधिक कपाटों से युक्त होती हैं। ये केशिकाओं (capilaries) के सदृश कोषाणुओं के केवल एक स्तर से ही बनी होती हैं और उन्हीं के सदृश इनमें मायलिन पिघान रहित तंत्रिकातंतुओं (non-medullated nerve fibres) का वितरण होता है। छोटी-छोटी ये लसीकावाहिनियाँ परस्पर मिलकर बड़ी बड़ी लसीकावाहिनियों का रूप धारण कर लेती हैं, जिनमें आगे चलकर दो शाखाएँ निकलती हैं: (1) दक्षिण तथा (2) वाम। दक्षिण शाखा में शरीर के थोड़े भाग से लसीकावाहिनियाँ मिलती हैं, यथा सिर और ग्रीवा का दक्षिण भाग, दक्षिण शाखा (हाथ, पैर) एवं वक्ष का दक्षिण पार्श्व। वाम शाखा में शरीर के शेष भाग से, जिनमें पाचननलिका भी सम्मिलित है, लसीकावाहिनियाँ आकर मिलती हैं। इन दोनों शाखाओं में कपाटों का बाहुल्य होता है। लसीका पीछे की ओर नहीं लौट सकती। प्रत्येक शाखा के खुलने के स्थान पर भी एक कपाट होता है, जो लसीका के शिराओं में ही प्रविष्ट होने में सहायक होता है, शिरारक्त को विपरीत दिशा में नहीं जाने देता। .

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लिपिड

शरीर में लिपिड लिपिड एक अघुलनशील पदार्थ हैं, जो कार्बोहाइड्रेट एवं प्रोटीन के साथ मिलकर प्राणियों एवं वनस्पति के ऊतक का निर्माण करते है। लिपिड को सामान्य भाषा मे कई बार वसा भी कहा जाता है परंतु दोनो मे कुछ अंतर होता है। लिपिड प्राकृतिक रूप से बने अणु होते हैं, जिनमें वसा, मोम, स्टेरॉल, वसा-घुलनशील विटामिन (जैसे विटामिन ए, डी, ई एवं के) मोनोग्लीसराइड, डाईग्लीसराइड, फॉस्फोलिपिड एवं अन्य आते हैं। इनका प्रमुख कार्य शरीर में उर्जा संरक्षण करना, ऊतकों की कोशिका झिल्ली बनाना और हार्मोन और विटामिन के अभिन्न अवयव निर्माण करना होता है। शरीर में कोलेस्ट्रोल तथा ट्राईग्लीसराईड की मात्रा ज्ञात करने हेतु लिपिड प्रोफाईल नामक परीक्षण करवाया जाता है। इसकी जांच से यह अनुमान लगाया जा सकता है कि रोगी की धमनियों मे कोलेस्ट्राल जमा होने और रक्त प्रवाह अवरुद्ध होने की कितनी सम्भावना है? लिपिड अनेक प्रकार के होते हैं, जैसे कि कोलेसटेरोल, काईलोमाईक्रोन इत्यादि। इनका भिन्न प्रकार से उपयोग होता है। कुछ लिपिड आहार के द्वारा प्राप्त होते हैं, तो कुछ लिपिड शरीर में निर्मित होते हैं। फोस्फैटीडाईकोलाइन हैं।स्ट्रायर ''et al.'', पृ.

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सिगरेट

फिल्तरयुक्त सिगरेट सिगरेट बनाने की मशीन का विकास 1750 से 1800 ईस्वी के बीच हुआ। सिगरेट बनाने की पहली मशीन एक मिनट में लगभग 200 सिगरेट बनाती थी, जब कि आज की एक मशीन एक मिनट में 9000 सिगरेट बना देती है। कम उत्पादन लागत और सिगरेट के उपयोग के विज्ञापनों ने तंबाकू कंपनियों के लिए इस दौरान सिगरेट के बाज़ार और इसकी बिक्री को मजबूत किया। धूमपान से होने वाली बीमारियों को देखते हुए किसी भी तंबाकू कंपनी के खिलाफ पहला मुकद्दमा बीसवीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में दायर किया गया था। .

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संयुक्त राज्य

संयुक्त राज्य अमेरिका (United States of America) (यू एस ए), जिसे सामान्यतः संयुक्त राज्य (United States) (यू एस) या अमेरिका कहा जाता हैं, एक देश हैं, जिसमें राज्य, एक फ़ेडरल डिस्ट्रिक्ट, पाँच प्रमुख स्व-शासनीय क्षेत्र, और विभिन्न अधिनस्थ क्षेत्र सम्मिलित हैं। 48 संस्पर्शी राज्य और फ़ेडरल डिस्ट्रिक्ट, कनाडा और मेक्सिको के मध्य, केन्द्रीय उत्तर अमेरिका में हैं। अलास्का राज्य, उत्तर अमेरिका के उत्तर-पश्चिमी भाग में स्थित है, जिसके पूर्व में कनाडा की सीमा एवं पश्चिम मे बेरिंग जलसन्धि रूस से घिरा हुआ है। वहीं हवाई राज्य, मध्य-प्रशान्त में स्थित हैं। अमेरिकी स्व-शासित क्षेत्र प्रशान्त महासागर और कॅरीबीयन सागर में बिखरें हुएँ हैं। 38 लाख वर्ग मील (98 लाख किमी2)"", U.S.

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संक्रामक रोग

संक्रामक रोग, रोग जो किसी ना किसी रोगजनित कारको (रोगाणुओं) जैसे प्रोटोज़ोआ, कवक, जीवाणु, वाइरस इत्यादि के कारण होते है। संक्रामक रोगों में एक शरीर से अन्य शरीर में फैलने की क्षमता होती है। मलेरिया, टायफायड, चेचक, इन्फ्लुएन्जा इत्यादि संक्रामक रोगों के उदाहरण हैं। .

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स्वाज़ीलैण्ड

स्वाज़ीलैण्ड, आधिकारिक नाम किंगडम ऑफ़ स्वाज़ीलैण्ड (अंग्रेज़ी: Kingdom of Swaziland), दक्षिणी अफ्रीका में स्थित एक सम्प्रभु देश है। पूर्व की ओर मोजाम्बिक, व उत्तर, पश्चिम तथा दक्षिण की ओर दक्षिण अफ्रीका इस स्थल-रुद्ध देश के पड़ोसी हैं। स्वाज़ीलैण्ड अफ्रीका के सबसे छोटे देशों में से एक है — इसकी अधिकतम लम्बाई (उत्तर से दक्षिण) 200 कि.

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हिपोक्रेटिस

हिपोक्रेटिस, या बुकरात, प्राचीन यूनान के एक प्रमुख विद्वान थे। ये यूनान के पाश्चात्य चिकित्सा शास्त्र के जन्म दाता थे। इन का जन्म ४६० - ३७० ई पूर्व माना जाता है। इन का जन्म प्राचीन यूनान के शहर कोस में हुवा। और मृत्यु शहर लारिस्सा में हुई। .

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हृदय

कोरोनरी धमनियों के साथ मानव हृदय. हृदय या हिया या दिल एक पेशीय (muscular) अंग है, जो सभी कशेरुकी (vertebrate) जीवों में आवृत ताल बद्ध संकुचन के द्वारा रक्त का प्रवाह शरीर के सभी भागो तक पहुचाता है। कशेरुकियों का ह्रदय हृद पेशी (cardiac muscle) से बना होता है, जो एक अनैच्छिक पेशी (involuntary muscle) ऊतक है, जो केवल ह्रदय अंग में ही पाया जाता है। औसतन मानव ह्रदय एक मिनट में ७२ बार धड़कता है, जो (लगभग ६६वर्ष) एक जीवन काल में २.५ बिलियन बार धड़कता है। इसका भार औसतन महिलाओं में २५० से ३०० ग्राम और पुरुषों में ३०० से ३५० ग्राम होता है। .

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ज्वर

जब शरीर का ताप सामान्य से अधिक हो जाये तो उस दशा को ज्वर या बुख़ार (फीवर) कहते है। यह रोग नहीं बल्कि एक लक्षण (सिम्टम्) है जो बताता है कि शरीर का ताप नियंत्रित करने वाली प्रणाली ने शरीर का वांछित ताप (सेट-प्वाइंट) १-२ डिग्री सल्सियस बढा दिया है। मनुष्य के शरीर का सामान्‍य तापमान ३७°सेल्सियस या ९८.६° फैरेनहाइट होता है। जब शरीर का तापमान इस सामान्‍य स्‍तर से ऊपर हो जाता है तो यह स्थिति ज्‍वर या बुखार कहलाती है। ज्‍वर कोई रोग नहीं है। यह केवल रोग का एक लक्षण है। किसी भी प्रकार के संक्रमण की यह शरीर द्वारा दी गई प्रतिक्रिया है। बढ़ता हुआ ज्‍वर रोग की गंभीरता के स्‍तर की ओर संकेत करता है। .

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जीन

गुणसूत्रों पर स्थित डी.एन.ए. (D.N.A.) की बनी वो अति सूक्ष्म रचनाएं जो अनुवांशिक लक्षणों का धारण एवं उनका एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में स्थानान्तरण करती हैं, जीन (gene) वंशाणु या पित्रैक कहलाती हैं। जीन, डी एन ए के न्यूक्लियोटाइडओं का ऐसा अनुक्रम है, जिसमें सन्निहित कूटबद्ध सूचनाओं से अंततः प्रोटीन के संश्लेषण का कार्य संपन्न होता है। यह अनुवांशिकता के बुनियादी और कार्यक्षम घटक होते हैं। यह यूनानी भाषा के शब्द जीनस से बना है। जीन आनुवांशिकता की मूलभूत शारीरिक इकाई है। यानि इसी में हमारी आनुवांशिक विशेषताओं की जानकारी होती है जैसे हमारे बालों का रंग कैसा होगा, आंखों का रंग क्या होगा या हमें कौन सी बीमारियां हो सकती हैं। और यह जानकारी, कोशिकाओं के केन्द्र में मौजूद जिस तत्व में रहती है उसे डी एन ए कहते हैं। जब किसी जीन के डीएनए में कोई स्थाई परिवर्तन होता है तो उसे म्यूटेशन याउत्परिवर्तन कहा जाता है। यह कोशिकाओं के विभाजन के समय किसी दोष के कारण पैदा हो सकता है या फिर पराबैंगनी विकिरण की वजह से या रासायनिक तत्व या वायरस से भी हो सकता है। .

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वातिलवक्ष

जब किसी कारण से फुप्फुसावरण गुहा (pleural cavity) में वायु या गैस प्रविष्ट हो जाती है, अथवा की जाती है, तो उस अवस्था को वातिलवक्ष (Pneumothorax) कहते हैं। .

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विश्व स्वास्थ्य संगठन

विश्व स्वास्थ्य संगठन का ध्वज विश्व स्वास्थ्य संगठन (वि॰ स्वा॰ सं॰) (WHO) विश्व के देशों के स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं पर आपसी सहयोग एवं मानक विकसित करने की संस्था है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के १९३ सदस्य देश तथा दो संबद्ध सदस्य हैं। यह संयुक्त राष्ट्र संघ की एक अनुषांगिक इकाई है। इस संस्था की स्थापना ७ अप्रैल १९४८ को की गयी थी। इसका उद्देश्य संसार के लोगो के स्वास्थ्य का स्तर ऊँचा करना है। डब्‍ल्‍यूएचओ का मुख्यालय स्विटजरलैंड के जेनेवा शहर में स्थित है। इथियोपिया के डॉक्टर टैड्रोस ऐडरेनॉम ग़ैबरेयेसस विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के नए महानिदेशक निर्वाचित हुए हैं। वो डॉक्टर मार्गरेट चैन का स्थान लेंगे जो पाँच-पाँच साल के दो कार्यकाल यानी दस वर्षों तक काम करने के बाद इस पद से रिटायर हो रही हैं।। भारत भी विश्व स्वास्थ्‍य संगठन का एक सदस्य देश है और इसका भारतीय मुख्यालय भारत की राजधानी दिल्ली में स्थित है। .

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औद्योगिक क्रांति

'''वाष्प इंजन''' औद्योगिक क्रांति का प्रतीक था। अट्ठारहवीं शताब्दी के उत्तरार्ध तथा उन्नीसवीं शताब्दी के पूर्वार्ध में कुछ पश्चिमी देशों के तकनीकी, सामाजिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक स्थिति में काफी बड़ा बदलाव आया। इसे ही औद्योगिक क्रान्ति (Industrial Revolution) के नाम से जाना जाता है। यह सिलसिला ब्रिटेन से आरम्भ होकर पूरे विश्व में फैल गया। "औद्योगिक क्रांति" शब्द का इस संदर्भ में उपयोग सबसे पहले आरनोल्ड टायनबी ने अपनी पुस्तक "लेक्चर्स ऑन दि इंड्स्ट्रियल रिवोल्यूशन इन इंग्लैंड" में सन् 1844 में किया। औद्योगिक क्रान्ति का सूत्रपात वस्त्र उद्योग के मशीनीकरण के साथ आरम्भ हुआ। इसके साथ ही लोहा बनाने की तकनीकें आयीं और शोधित कोयले का अधिकाधिक उपयोग होने लगा। कोयले को जलाकर बने वाष्प की शक्ति का उपयोग होने लगा। शक्ति-चालित मशीनों (विशेषकर वस्त्र उद्योग में) के आने से उत्पादन में जबरदस्त वृद्धि हुई। उन्नीसवी सदी के प्रथम् दो दशकों में पूरी तरह से धातु से बने औजारों का विकास हुआ। इसके परिणामस्वरूप दूसरे उद्योगों में काम आने वाली मशीनों के निर्माण को गति मिली। उन्नीसवी शताब्दी में यह पूरे पश्चिमी यूरोप तथा उत्तरी अमेरिका में फैल गयी। अलग-अलग इतिहासकार औद्योगिक क्रान्ति की समयावधि अलग-अलग मानते नजर आते हैं जबकि कुछ इतिहासकार इसे क्रान्ति मानने को ही तैयार नहीं हैं। अनेक विचारकों का मत है कि गुलाम देशों के स्रोतों के शोषण और लूट के बिना औद्योगिक क्रान्ति सम्भव नही हुई होती, क्योंकि औद्योगिक विकास के लिये पूंजी अति आवश्यक चीज है और वह उस समय भारत आदि गुलाम देशों के संसाधनों के शोषण से प्राप्त की गयी थी। .

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कुपोषण

अतिशय कुपोषण से ग्रसित एक बालक शरीर के लिए आवश्यक सन्तुलित आहार लम्बे समय तक नहीं मिलना ही कुपोषण है। कुपोषण के कारण बच्चों और महिलाओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है, जिससे वे आसानी से कई तरह की बीमारियों के शिकार बन जाते हैं। अत: कुपोषण की जानकारियाँ होना अत्यन्त जरूरी है। कुपोषण प्राय: पर्याप्त सन्तुलित अहार के आभाव में होता है। बच्चों और स्त्रियों के अधिकांश रोगों की जड़ में कुपोषण ही होता है। स्त्रियों में रक्ताल्पता या घेंघा रोग अथवा बच्चों में सूखा रोग या रतौंधी और यहाँ तक कि अंधत्व भी कुपोषण के ही दुष्परिणाम हैं। इसके अलावा ऐसे पचासों रोग हैं जिनका कारण अपर्याप्त या असन्तुलित भोजन होता है। .

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कुष्ठरोग

कुष्ठरोग (Leprosy) या हैन्सेन का रोग (Hansen’s Disease) (एचडी) (HD), चिकित्सक गेरहार्ड आर्मोर हैन्सेन (Gerhard Armauer Hansen) के नाम पर, माइकोबैक्टेरियम लेप्री (Mycobacterium leprae) और माइकोबैक्टेरियम लेप्रोमेटॉसिस (Mycobacterium lepromatosis) जीवाणुओं के कारण होने वाली एक दीर्घकालिक बीमारी है। कुष्ठरोग मुख्यतः ऊपरी श्वसन तंत्र के श्लेष्म और बाह्य नसों की एक ग्रैन्युलोमा-संबंधी (granulomatous) बीमारी है; त्वचा पर घाव इसके प्राथमिक बाह्य संकेत हैं। यदि इसे अनुपचारित छोड़ दिया जाए, तो कुष्ठरोग बढ़ सकता है, जिससे त्वचा, नसों, हाथ-पैरों और आंखों में स्थायी क्षति हो सकती है। लोककथाओं के विपरीत, कुष्ठरोग के कारण शरीर के अंग अलग होकर गिरते नहीं, हालांकि इस बीमारी के कारण वे सुन्न तथा/या रोगी बन सकते हैं। कुष्ठरोग ने 4,000 से भी अधिक वर्षों से मानवता को प्रभावित किया है, और प्राचीन चीन, मिस्र और भारत की सभ्यताओं में इसे बहुत अच्छी तरह पहचाना गया है। पुराने येरुशलम शहर के बाहर स्थित एक मकबरे में खोजे गये एक पुरुष के कफन में लिपटे शव के अवशेषों से लिया गया डीएनए (DNA) दर्शाता है कि वह पहला मनुष्य है, जिसमें कुष्ठरोग की पुष्टि हुई है। 1995 में, विश्व स्वास्थ्य संगठन (वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइज़ेशन) (डब्ल्यूएचओ) (WHO) के अनुमान के अनुसार कुष्ठरोग के कारण स्थायी रूप से विकलांग हो चुके व्यक्तियों की संख्या 2 से 3 मिलियन के बीच थी। पिछले 20 वर्षों में, पूरे विश्व में 15 मिलियन लोगों को कुष्ठरोग से मुक्त किया जा चुका है। हालांकि, जहां पर्याप्त उपचार उपलब्ध हैं, उन स्थानों में मरीजों का बलपूर्वक संगरोध या पृथक्करण करना अनावश्यक है, लेकिन इसके बावजूद अभी भी पूरे विश्व में भारत (जहां आज भी 1,000 से अधिक कुष्ठ-बस्तियां हैं), चीन, रोमानिया, मिस्र, नेपाल, सोमालिया, लाइबेरिया, वियतनाम और जापान जैसे देशों में कुष्ठ-बस्तियां मौजूद हैं। एक समय था, जब कुष्ठरोग को अत्यधिक संक्रामक और यौन-संबंधों के द्वारा संचरित होने वाला माना जाता था और इसका उपचार पारे के द्वारा किया जाता था- जिनमें से सभी धारणाएं सिफिलिस (syphilis) पर लागू हुईं, जिसका पहली बार वर्णन 1530 में किया गया था। अब ऐसा माना जाता है कि कुष्ठरोग के शुरुआती मामलों से अनेक संभवतः सिफिलिस (syphilis) के मामले रहे होंगे.

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केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र

केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र, तंत्रिका तंत्र का भाग है, जो बहुकोशिकीय जन्तुओं की सभी क्रियायों पर नियंत्रण और नियमन करता है। हड्डीवाले जीवों में तंत्रिका तंत्र मिनिन्जीज़ में संलग्न होता है। इसमें तंत्रिका तंत्र का अधिकांश भाग और मस्तिष्क और सुषुम्ना या मेरूरज्जु आते हैं। तंत्रिका तंत्र पृष्ठीय गुहा में स्थित होता है, जिसमे मस्तिष्क कपालीय गुहा में और मेरुरज्जु, मेरुरज्जु गुहा में होता है। मस्तिष्क खोपड़ी द्वारा सुरक्षित रहता है और मेरुरज्जु हड्डियों द्वारा। .

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कोशिका विभाजन

तीन तरह के कोशिका विभाजन: द्वि-खंडन (binary fission), समसूत्रण (mitosis) तथा अर्धसूत्रण (meiosis) समसूत्री कोशिका विभाजन का योजनात्मक चित्रण जिस जैविक प्रकिया (Biological Process) द्वारा एक कोशिका विभाजित होकर दो या दो से अधिक कोशिकाएँ उत्पन्न करती हैं उसे कोशिका विभाजन (Cell division) कहते हैं। कोशिका-विभाजन वस्तुतः कोशिका चक्र (cell cycle) का एक चरण है। विभाजित होने वाली कोशिका मातृकोशिका एवं विभाजन के फलस्वरूप बनने वाली कोशिकाएँ पुत्री कोशिका कहलाती हैं। कोशिका विभाजन द्वारा ही जीवों के शरीर की वृद्धि और विकास होता है। इस क्रिया के फलस्वरूप ही घाव भरते हैं। प्रजनन एवं क्रम विकास के लिए भी कोशिका-विभाजन की क्रिया आवश्यक है। लैंगिक प्रजनन करनेवाला प्रत्येक प्राणी अपना जीवन कोशिका अवस्था से ही आरंभ करता है। कोशिका अंडा होती है और इसके निरंतर विभाजन से बहुत सी कोशिकाएँ उत्पन्न हो जाती हैं। कोशिका विभाजन की क्रिया उस समय तक होती रहती है जब तक प्राणी भली भाँति विकसित नहीं हो जाता। कोशिका विभाजन की प्रक्रिया में कोशिका का जिनोम (genome) अपरिवर्तित रहता है। इसलिये विभाजन होने के पूर्व गुणसूत्रों (chromosomes) पर स्थित 'सूचना' प्रतिकृत (replicate) हो जानी चाहिये और तत्पश्चात इन जीनोमों को कोशिकाओं के बीच 'सफाई से' बांटना चाहिये। कोशिका विभाजन की प्रक्रिया कई प्रकार की होती है। प्रोकैरिओटिक कोशिकाओं का विभाजन यूकैरिओटिक कोशिकाओं से भिन्न होता है। .

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अफ्रीका का सींग

अफ्रीका का सींग मे आने वाले अफ़्रीकी देश अफ्रीका का सींग, (सोमाली: Geeska Afrika, अंग्रेजी: Horn of Africa, गीज़: የአፍሪካ ቀንድ, अरबी: القرن الأفريقي) (वैकल्पिक रूप से पूर्वोत्तर अफ्रीका और कभी कभी सोमाली प्रायद्वीप) पूर्वी अफ्रीका का एक प्रायद्वीप है जो अरब सागर में सैकड़ों किलोमीटर तक फैला है और अदन की खाड़ी के दक्षिणी किनारे पर स्थित है। मानचित्र पर इसका स्वरूप एक सींग के समान लगता है इसी लिए इसे यह नाम दिया गया है। यह अफ्रीकी महाद्वीप का सबसे पूर्वी विस्तार है। इसको मध्ययुगीन काल में बिलाद अल बरबर ("बरबरों की भूमि") कहा जाता था। अफ्रीका का सींग के क्षेत्र में इरिट्रिया, जिबूती, इथियोपिया और सोमालिया जैसे देश स्थित हैं।Robert Stock, Africa South of the Sahara, Second Edition: A Geographical Interpretation, (The Guilford Press: 2004), p.

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अवटु ग्रंथि

अवटु (थाइरॉयड) मानव शरीर में पायी जाने वाली सबसे बड़ी अंत:स्रावी ग्रंथियों में से एक है। यह द्विपिंडक रचना निम्न ग्रीवा में अवटु उपास्थि (थाइरॉयड कार्टिलेज़) स्वरयंत्र के नीचे वलयाकार उपास्थि (क्राइकॉइड कार्टिलेज़) के लगभग समान स्तर पर स्थित होती है। यह थायरॉकि्सन (T4), ट्राइ-आयडोथाइरोनीन (T3) और थाइरोकैल्सिटोनीन नामक हार्मोन स्रावित करती है जिससे शरीर के ऊर्जा क्षय, प्रोटीन उत्पादन एवं अन्य हार्मोन के प्रति होने वाली संवेदनशीलता नियंत्रित होती है। ये हार्मोन चयापचय की दर और कई अन्य शारीरिक तंत्रों के विकास और उनके कार्यों की दर को भी प्रभावित करते हैं। हार्मोन कैल्सीटोनिन कैल्शियम साम्यावस्था (कैल्शियम होमियोस्टैसिस) में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। आयोडीन T3 और T4 दोनों का एक आवश्यक घटक है। .

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अग्न्याशय

अग्न्याशय कशेरुकी जीवों की पाचन व अंतःस्रावी प्रणाली का एक ग्रंथि अंग है। ये इंसुलिन, ग्लुकागोन, व सोमाटोस्टाटिन जैसे कई ज़रूरी हार्मोन बनाने वाली अंतःस्रावी ग्रंथि है और साथ ही यह अग्न्याशयी रस निकालने वाली एक बहिःस्रावी ग्रंथि भी है, इस रस में पाचक किण्वक होते हैं जो लघ्वांत्र में जाते हैं। ये किण्वक अम्लान्न में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, व वसा का और भंजन करते हैं। .

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उप-सहारा अफ़्रीका

उप-सहारा अफ़्रीका उप-सहारा अफ़्रीका एक भौगोलिक शब्द है जिसका आशय अफ़्रीका के उस भू भाग से है जो सहारा रेगिस्तान के दक्षिण में स्थित है। उप-सहारा अफ़्रीका को अश्वेत अफ़्रीका भी कहॉ जाता है क्योंकि इस क्षेत्र में मुख्यतः अश्वेत आबादी है। श्रेणी:अफ़्रीका श्रेणी:अफ़्रीका के क्षेत्र *.

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यह भी देखें

अफ़्रीका में स्वास्थ्य

कैंसर के संक्रामक कारण

तपेदिक

तपेदिक, फुफ्फुस यक्ष्मा, राजयक्ष्मा, टी बी, टी. बी., टीबी, क्षय रोग के रूप में भी जाना जाता है।