7 संबंधों: त्रिकोणमिति, त्रिकोणमिति के उपयोग, पाइथागोरस प्रमेय, फलन, समाकलन, कलन, कोज्या नियम।
त्रिकोणमिति
किसी दूरस्थ और सीधे मापन में कठिनाई वाले सर्वेक्षण के लिए समरूप त्रिभुज के उपयोग का उदाहरण (1667) त्रिकोणमिति गणित की वह शाखा है जिसमें त्रिभुज और त्रिभुजों से बनने वाले बहुभुजों का अध्ययन होता है। त्रिकोणमिति का शब्दिक अर्थ है 'त्रिभुज का मापन'। त्रिकोणमिति में सबसे अधिक महत्वपूर्ण है समकोण त्रिभुज का अध्ययन। त्रिभुजों और बहुभुजों की भुजाओं की लम्बाई और दो भुजाओं के बीच के कोणों का अध्ययन करने का मुख्य आधार यह है कि समकोण त्रिभुज की किन्ही दो भुजाओं (आधार, लम्ब व कर्ण) का अनुपात उस त्रिभुज के कोणों के मान पर निर्भर करता है। त्रिकोणमिति का ज्यामिति की प्रसिद्ध बौधायन प्रमेय (पाइथागोरस प्रमेय) से गहरा सम्बन्ध है। .
नई!!: त्रिकोणमितीय सर्वसमिकाओं की सूची और त्रिकोणमिति · और देखें »
त्रिकोणमिति के उपयोग
त्रिकोणमिति के हजारों उपयोग होते हैं। पाठ्यपुस्तकों में भूमि सर्वेक्षण, जहाजरानी, भवन आदि का ही प्राय: उल्लेख किया गया होता है। इसके अलावा यह गणित, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी आदि शैक्षिक क्षेत्रों में भी प्रयुक्त होता है। .
नई!!: त्रिकोणमितीय सर्वसमिकाओं की सूची और त्रिकोणमिति के उपयोग · और देखें »
पाइथागोरस प्रमेय
'''बौधायन का प्रमेय''': समकोण त्रिभुज की दो भुजाओं की लम्बाइयों के वर्गों का योग कर्ण की लम्बाई के वर्ग के बराबर होता है। पाइथागोरस प्रमेय (या, बौधायन प्रमेय) यूक्लिडीय ज्यामिति में किसी समकोण त्रिभुज के तीनों भुजाओं के बीच एक सम्बन्ध बताने वाला प्रमेय है। इस प्रमेय को आमतौर पर एक समीकरण के रूप में निम्नलिखित तरीके से अभिव्यक्त किया जाता है- जहाँ c समकोण त्रिभुज के कर्ण की लंबाई है तथा a और b अन्य दो भुजाओं की लम्बाई है। पाइथागोरस यूनान के गणितज्ञ थे। परम्परानुसार उन्हें ही इस प्रमेय की खोज का श्रेय दिया जाता है,हेथ, ग्रंथ I,p.
नई!!: त्रिकोणमितीय सर्वसमिकाओं की सूची और पाइथागोरस प्रमेय · और देखें »
फलन
''X'' के किसी सदस्य का ''Y'' के केवल एक सदस्य से सम्बन्ध हो तो वह फलन है अन्यथा नहीं। ''Y''' के कुछ सदस्यों का '''X''' के किसी भी सदस्य से सम्बन्ध '''न''' होने पर भी फलन परिभाषित है। गणित में जब कोई राशि का मान किसी एक या एकाधिक राशियों के मान पर निर्भर करता है तो इस संकल्पना को व्यक्त करने के लिये फलन (function) शब्द का प्रयोग किया जाता है। उदाहरण के लिये किसी ऋण पर चक्रवृद्धि ब्याज की राशि मूलधन, समय एवं ब्याज की दर पर निर्भर करती है; इसलिये गणित की भाषा में कह सकते हैं कि चक्रवृद्धि ब्याज, मूलधन, ब्याज की दर तथा समय का फलन है। स्पष्ट है कि किसी फलन के साथ दो प्रकार की राशियां सम्बन्धित होती हैं -.
नई!!: त्रिकोणमितीय सर्वसमिकाओं की सूची और फलन · और देखें »
समाकलन
किसी फलन का निश्चित समाकल (definite integral) उस फलन के ग्राफ से घिरे क्षेत्र का चिह्नसहित क्षेत्रफल द्वारा निरूपित किया जा सकता है। समाकलन (जर्मन; अंग्रेज़ी; स्पेनिश; पुर्तगाली: Integral) यह एक विशेष प्रकार की योग क्रिया है जिसमें अत्यणु (infinitesimal) मान वाली किन्तु गिनती में अत्यधिक चर राशियों को जोड़ा जाता है। इसका एक प्रमुख उपयोग वक्राकार क्षेत्रों का क्षेत्रफल निकालने में होता है। समाकलन को अवकलन की व्युत्क्रम संक्रिया की तरह भी समझा जा सकता है। .
नई!!: त्रिकोणमितीय सर्वसमिकाओं की सूची और समाकलन · और देखें »
कलन
कलन (Calculus) गणित का प्रमुख क्षेत्र है जिसमें राशियों के परिवर्तन का गणितीय अध्ययन किया जाता है। इसकी दो मुख्य शाखाएँ हैं- अवकल गणित (डिफरेंशियल कैल्कुलस) तथा समाकलन गणित (इटीग्रल कैलकुलस)। कैलकुलस के ये दोनों शाखाएँ कलन के मूलभूत प्रमेय द्वारा परस्पर सम्बन्धित हैं। वर्तमान समय में विज्ञान, इंजीनियरी, अर्थशास्त्र आदि के क्षेत्र में कैल्कुलस का उपयोग किया जाता है। भारत में कैल्कुलस से सम्बन्धित कई कॉन्सेप्ट १४वीं शताब्दी में ही विकसित हो गये थे। किन्तु परम्परागत रूप से यही मान्यता है कि कैलकुलस का प्रयोग 17वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में आरंभ हुआ तथा आइजक न्यूटन तथा लैब्नीज इसके जनक थे। .
नई!!: त्रिकोणमितीय सर्वसमिकाओं की सूची और कलन · और देखें »
कोज्या नियम
चित्र 1 – त्रिभुज, जिसमें कोण ''α'', ''β'', तथा ''γ'' क्रमशः भुजाओं ''a'', ''b'', and ''c'' के सामने के कोण हैं। त्रिकोणमिति में एक सामान्य त्रिभुज के लिये निम्नलिखित संबन्ध को कोज्या नियम (law of cosines) या कोज्या सूत्र कहते हैं (सन्दर्भ चित्र १) - कोज्या नियम पाइथागोरस के प्रमेय का सामान्यीकृत स्थिति (केस) है, अर्थात \gamma\ .
नई!!: त्रिकोणमितीय सर्वसमिकाओं की सूची और कोज्या नियम · और देखें »