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अरित्र

सूची अरित्र

वायुयान का '''अरित्र''' तथा '''दिशा-परिवर्तन''' में उसकी भूमिका अरित्र या रडर एक सरल युक्ति है जो जलयान, नौका, पनडुब्बी, होवरक्राफ्ट, वायुयान आदि को वांछित दिशा में मोड़ने के काम आता है। स्टीरिंग घुमाकर अरित्र के घूमाने की मेकेनिज्म श्रेणी:वायुयान नियंत्रण श्रेणी:जलयान अंश श्रेणी:चित्र जोड़ें.

5 संबंधों: नाव, पनडुब्बी, हावरक्राफ्ट, जलयान, वायुयान

नाव

बिना ईन्जन की एक नाव। गंगा नदी में लोगों से भरी एक नौका मालदीव में एक नाव नाव या नौका (boat) डाँड़, क्षेपणी, चप्पू, पतवार या पाल से चलने वाली एक प्रकार की छोटी जलयान है। आजकल नावें इंजन से भी चलने लगी हैं और इतनी बड़ी भी बनने लगी हैं कि पोत (जहाज) और नौका (नाव) के बीच भेद करना कठिन हो जाता है। वास्तव में पोत और नौका दोनों समानार्थक शब्द हैं, किंतु प्राय: नौका शब्द छोटे के और पोत बड़े के अर्थ में प्रयुक्त होता है। .

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पनडुब्बी

सन् १९७८ में ''एल्विन'' प्रथम विश्व युद्ध में प्रयुक्त जर्मनी की यूसी-१ श्रेणी की पनडुब्बी पनडुब्बी(अंग्रेज़ी:सबमैरीन) एक प्रकार का जलयान (वॉटरक्राफ़्ट) है जो पानी के अन्दर रहकर काम कर सकता है। यह एक बहुत बड़ा, मानव-सहित, आत्मनिर्भर डिब्बा होता है। पनडुब्बियों के उपयोग ने विश्व का राजनैतिक मानचित्र बदलने में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। पनडुब्बियों का सर्वाधिक उपयोग सेना में किया जाता रहा है और ये किसी भी देश की नौसेना का विशिष्ट हथियार बन गई हैं। यद्यपि पनडुब्बियाँ पहले भी बनायी गयीं थीं, किन्तु ये उन्नीसवीं शताब्दी में लोकप्रिय हुईं तथा सबसे पहले प्रथम विश्व युद्ध में इनका जमकर प्रयोग हुआ। विश्व की पहली पनडुब्बी एक डच वैज्ञानिक द्वारा सन १६०२ में और पहली सैनिक पनडुब्बी टर्टल १७७५ में बनाई गई। यह पानी के भीतर रहते हुए समस्त सैनिक कार्य करने में सक्षम थी और इसलिए इसके बनने के १ वर्ष बाद ही इसे अमेरिकी क्रान्ति में प्रयोग में लाया गया था। सन १६२० से लेकर अब तक पनडुब्बियों की तकनीक और निर्माण में आमूलचूल बदलाव आया। १९५० में परमाणु शक्ति से चलने वाली पनडुब्बियों ने डीज़ल चलित पनडुब्बियों का स्थान ले लिया। इसके बाद समुद्री जल से आक्सीजन ग्रहण करने वाली पनडुब्बियों का भी निर्माण कर लिया गया। इन दो महत्वपूर्ण आविष्कारों से पनडुब्बी निर्माण क्षेत्र में क्रांति सी आ गई। आधुनिक पनडुब्बियाँ कई सप्ताह या महिनों तक पानी के भीतर रहने में सक्षम हो गई है। द्वितीय विश्व युद्ध के समय भी पनडुब्बियों का उपयोग परिवहन के लिये सामान को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने के लिए किया जाता था। आजकल इनका प्रयोग पर्यटन के लिये भी किया जाने लगा है। कालपनिक साहित्य संसार और फंतासी चलचित्रों के लिये पनडुब्बियों का कच्चे माल के रूप मे प्रयोग किया गया है। पनडुब्बियों पर कई लेखकों ने पुस्तकें भी लिखी हैं। इन पर कई उपन्यास भी लिखे जा चुके हैं। पनडुब्बियों की दुनिया को छोटे परदे पर कई धारावाहिको में दिखाया गया है। हॉलीवुड के कुछ चलचित्रों जैसे आक्टोपस १, आक्टोपस २, द कोर में समुद्री दुनिया के मिथकों को दिखाने के लिये भी पनडुब्बियो को दिखाया गया है। .

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हावरक्राफ्ट

लिथुआनिया का तटरक्षक हॉवरक्राफ्ट; इसका इंजन चालू है तथा 'स्कर्ट' फुलाया हुआ है। हॉवरक्राफ्ट का योजना-चित्र 1. प्रोपेलर 2. वायु 3. पंखे 4. नम्य 'स्कर्ट' होवरक्राफ्ट (Hovercraft) हवाई गद्दों वाला एक ऐसा वाहन है, जो जल और जमीन के साथ-साथ बर्फीली सतह तथा कीचड़ पर भी आसानी से दौड़ सकता है। इस में एक बड़े पंखे से हवा की एक गद्दी तैयार की जाती है जिस पर यह हावरक्राफ्ट तैरता है। इस गद्दी के कारण क्राफ्ट की गति की विपरीत दिशा में लगने वाला श्यान-घर्षण बल बहुत कम हो जाता है। क्राफ्ट के हल्ल (hull) तथा उसके नीचे के तल (पानी, मिट्टी, कीचड़, बर्फ आदि) के बीच हवा को कम दाब तथा उच्च आयतन पर बनाए रखा जाता है। ये वाहन प्रायः नीचे के तल से २०० मिमी से लेकर ६०० मिमी की ऊँचाई पर 'तैरते' हुए आगे बढ़ते हैं। इनकी गति २० किमी/घण्टा से अधिक होती है। वर्ष १९५२ में ब्रिटिश इंजिनियर सर क्रिस्टोफर कोकरेल ने एक वैक्युम क्लीनर की मोटर व दो छोटे-छोटे बेलनाकार डिब्बों के साथ एक प्रयोग करते हुए पहली बार यह साबित किया कि हवाई कुशन से युक्त किसी वाहन से किसी इंजिन के जरिए हवा को तेजी से पीछें फेंका जाए तो इससे उपजा दबाव वाहन कों जल या थल में भी आगे दौड़ा सकता है। इसी सिद्धांत पर आगे चलकर ब्रिटिश विमान निर्माता सॉन्डर्स रोए ने पहला व्यवहारिक होवरक्राफ्ट बनाया जो इंसान कों ले जाने में सक्षम था। इसे एसआर-एन वन नाम दिया गया। पहले इसे सैन्य इस्तेमाल के लिहाज से ही बनाया गया था, लेकिन बाद में इसका आम नागरिकों के लिए भी इस्तेमाल किया जाने लगा। वर्ष १९५९ से १९६१ तक इस होवरक्राफ्टको इंग्लिश चैनल पार करने समेत कई तरह के परीक्षणों से गुजारा गया। इसमें एक इंजिन लगा था और यह दो आदमियों कों ले जाने में सक्षम था। हालांकि पहला विशुद्ध पैसेंजर होवरक्राफ्ट विकर्स विए - ३ था, जिसमें दो टर्बोप्रोप इंजन लगे थे और प्रोपेलर्स के सहारे चलता था। श्रेणी:वाहन *.

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जलयान

न्यूयॉर्क पत्तन पर इटली का जलयान ''' अमेरिगो वेस्पुक्की''' (१९७६) जलयान या पानी का जहाज (ship), पानी पर तैरते हुए गति करने में सक्षम एक बहुत बडा डिब्बा होता है। जलयान, नाव (बोट) से इस मामले में भिन्न भिन्न है कि जलयान, नाव की तुलना में बहुत बडे होते हैं। जलयान झीलों, समुद्रों एवं नदियों में चलते हैं। इन्हें अनेक प्रकार से उपयोग में लाया जाता है; जैसे - लोगों को लाने-लेजाने के लिये, सामान ढोने के लिये, मछली पकडने के लिये, मनोरंजन के लिये, तटों की देखरेख एवं सुरक्षा के लिये तथा युद्ध के लिये। जहाज समुद्र के आवागमन तथा दूर देशों की यात्रा के लिये जिन बृहद् नौकाओं का उपयोग प्राचीनकाल से होता आया है उन्हें जहाज कहते है। पहले जहाज अपेक्षाकृत छोटे होते थे तथा लकड़ी के बनते थे। प्राविधिक तथा वैज्ञानिक उन्नति के आधुनिक काल में बहुत बड़े, मुख्यत: लोहे से बने तथा इंजनों से चलनेवाले जहाज बनते हैं। .

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वायुयान

एक बोईंग ७८७ ड्रीमलाइनर विमान हवा में उड़ान भरता हुआ वायुयान ऐसे यान को कहते है जो धरती के वातावरण या किसी अन्य वातावरण में उड सकता है। किन्तु राकेट, वायुयान नहीं है क्योंकि उडने के लिये इसके चारो तरफ हवा का होना आवश्यक नहीं है। .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

रडर

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