3 संबंधों: एचएएल तेजस, नौइंजीनियरी, जलयान।
एचएएल तेजस
तेजस भारत द्वारा विकसित किया जा रहा एक हल्का व कई तरह की भूमिकाओं वाला जेट लड़ाकू विमान है। यह हिन्दुस्तान एरोनाटिक्स लिमिटेड (एचएएल) द्वारा विकसित एक सीट और एक जेट इंजन वाला, अनेक भूमिकाओं को निभाने में सक्षम एक हल्का युद्धक विमान है। यह बिना पूँछ का, कम्पाउण्ड-डेल्टा पंख वाला विमान है। इसका विकास 'हल्का युद्धक विमान' या (एलसीए) नामक कार्यक्रम के अन्तर्गत हुआ है जो 1980 के दशक में शुरू हुआ था। विमान का आधिकारिक नाम तेजस 4 मई 2003 को तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने रखा था। यह विमान पुराने पड़ रहे मिग-21 का स्थान लेगा। तेजस की सीमित श्रृंखला का उत्पादन 2007 में शुरू हुआ। दो सीटों वाला एक ट्रेनर संस्करण विकसित किया जा रहा है (नवम्बर 2008 तक उत्पादन के क्रम में था।), क्योंकि इसका नौसेना संस्करण भारतीय नौसेना के विमान वाहक पोतों से उड़ान भरने में सक्षम है। बताया जाता है कि भारतीय वायु सेना को एकल सीट वाले 200 और दो सीटों वाले 20 रूपांतरण प्रशिक्षक विमानों की जरूरत है, जबकि भारतीय नौसेना अपने सी हैरियर की जगह एकल सीटों वाले 40 विमानों का आदेश दे सकती है।जैक्सन, पॉल, मूनसौन, केनेथ; & पीकॉक, लिंडसे (एड्स.) (2005).
नई!!: अरित्र और एचएएल तेजस · और देखें »
नौइंजीनियरी
'अर्गोनॉट' नामक फ्रांसीसी जहाज का नियंत्रण कक्ष (कन्ट्रोल रूम) प्राकृतिक गैस के उत्पादन के लिये '''P-51''' नामक मंच: ऐसे मंचों का निर्मान भी नौइंजीनियरी के अन्तर्गत आता है। नौइंजीनियरी (Naval engineering) प्रौद्योगिकी की वह शाखा है जिसमें समुद्री जहाजों एवं अन्य मशीनों के डिजाइन एवं निर्माण में विशिष्टि (स्पेसलाइजेशन) प्रदान की जाती है। इसके अलावा किसी जलयान पर नियुक्त उन व्यक्तियों (क्रिउ मेम्बर्स) को भी नौइंजीनियर (नेवल इंजीनियर) कहा जाता है जो उस जहाज को चलाने एवं रखरखाव के लिये जिम्मेदार होते हैं। इसके अलावा नौइंजीनियरों को जहाज का सीवेज, प्रकाश व्यवस्था, वातानुकूलन एवं जलप्रदाय व्यवस्था भी देखनी पड़ती है। .
नई!!: अरित्र और नौइंजीनियरी · और देखें »
जलयान
न्यूयॉर्क पत्तन पर इटली का जलयान ''' अमेरिगो वेस्पुक्की''' (१९७६) जलयान या पानी का जहाज (ship), पानी पर तैरते हुए गति करने में सक्षम एक बहुत बडा डिब्बा होता है। जलयान, नाव (बोट) से इस मामले में भिन्न भिन्न है कि जलयान, नाव की तुलना में बहुत बडे होते हैं। जलयान झीलों, समुद्रों एवं नदियों में चलते हैं। इन्हें अनेक प्रकार से उपयोग में लाया जाता है; जैसे - लोगों को लाने-लेजाने के लिये, सामान ढोने के लिये, मछली पकडने के लिये, मनोरंजन के लिये, तटों की देखरेख एवं सुरक्षा के लिये तथा युद्ध के लिये। जहाज समुद्र के आवागमन तथा दूर देशों की यात्रा के लिये जिन बृहद् नौकाओं का उपयोग प्राचीनकाल से होता आया है उन्हें जहाज कहते है। पहले जहाज अपेक्षाकृत छोटे होते थे तथा लकड़ी के बनते थे। प्राविधिक तथा वैज्ञानिक उन्नति के आधुनिक काल में बहुत बड़े, मुख्यत: लोहे से बने तथा इंजनों से चलनेवाले जहाज बनते हैं। .
नई!!: अरित्र और जलयान · और देखें »
यहां पुनर्निर्देश करता है:
रडर।