12 संबंधों: ट्रांजिस्टर, एकीकृत परिपथ, त्रिकोणमिति, परिकलक, लघुगणक, हैवलेट-पैकर्ड, घातांक, विसर्पी गणक, विज्ञान, गणित, अभियान्त्रिकी, उच्च शिक्षा।
ट्रांजिस्टर
अलग-अलग रेटिंग के कुछ प्रथनक ट्रान्जिस्टर (प्रथनक) एक अर्धचालक युक्ति है जिसे मुख्यतः प्रवर्धक (Amplifier) के रूप में प्रयोग किया जाता है। कुछ लोग इसे बीसवीं शताब्दी की सबसे महत्वपूर्ण खोज मानते हैं। ट्रान्जिस्टर का उपयोग अनेक प्रकार से होता है। इसे प्रवर्धक, स्विच, वोल्टेज नियामक (रेगुलेटर), संकेत न्यूनाधिक (सिग्नल माडुलेटर), थरथरानवाला (आसिलेटर) आदि के रूप में काम में लाया जाता है। पहले जो कार्य ट्रायोड या त्रयाग्र से किये जाते थे वे अधिकांशत: अब ट्रान्जिस्टर के द्वारा किये जाते हैं। .
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एकीकृत परिपथ
माइक्रोचिप कम्पनी की इप्रोम (EPROM) स्मृति के एकीकृत परिपथ आधुनिक सरफेस माउण्ट आईसी ऐटमेल (Atmel) की एक आईसी, जिसके अन्दर स्मृति ब्लॉक, निवेश निर्गम (इन्पुट-ऑउटपुट) एवं तर्क के ब्लॉक देखे जा सकते हैं। यह एक ही चिप में पूरा तन्त्र (System on Chip) है। एलेक्ट्रॉनिकी में एकीकृत परिपथ या एकीपरि (इन्टीग्रेटेड सर्किट (IC)) को सूक्ष्मपरिपथ (माइक्रोसर्किट), सूक्ष्मचिप, सिलिकॉन चिप, या केवल चिप के नाम से भी जाना जाता है। यह एक अर्धचालक पदार्थ के अन्दर बना हुआ एलेक्ट्रॉनिक परिपथ ही होता है जिसमें प्रतिरोध, संधारित्र आदि पैसिव कम्पोनेन्ट (निष्क्रिय घटक) के अलावा डायोड, ट्रान्जिस्टर आदि अर्धचालक अवयव निर्मित किये जाते हैं। जिस प्रकार सामान्य परिपथ का निर्माण अलग-अलग (डिस्क्रीट) अवयव जोड़कर किया जाता है, आईसी का निर्माण वैसे न करके एक अर्धचालक के भीतर सभी अवयव एक साथ ही एक विशिष्ट प्रक्रिया का पालन करते हुए निर्मित कर दिये जाते हैं। एकीकृत परिपथ आजकल जीवन के हर क्षेत्र में उपयोग में लाये जा रहे हैं। इनके कारण एलेक्ट्रानिक उपकरणों का आकार अत्यन्त छोटा हो गया है, उनकी कार्य क्षमता बहुत अधिक हो गयी है एवं उनकी शक्ति की जरूरत बहुत कम हो गयी है। संकर एकीकृत परिपथ भी लघु आकार के एकीपरि (एकीकृत परिपथ) होते हैं किन्तु वे अलग-अलग अवयवों को एक छोटे बोर्ड पर जोड़कर एवं एपॉक्सी आदि में जड़कर (इम्बेड करके) बनाये जाते हैं। अतः ये मोनोलिथिक आई सी से भिन्न हैं। .
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त्रिकोणमिति
किसी दूरस्थ और सीधे मापन में कठिनाई वाले सर्वेक्षण के लिए समरूप त्रिभुज के उपयोग का उदाहरण (1667) त्रिकोणमिति गणित की वह शाखा है जिसमें त्रिभुज और त्रिभुजों से बनने वाले बहुभुजों का अध्ययन होता है। त्रिकोणमिति का शब्दिक अर्थ है 'त्रिभुज का मापन'। त्रिकोणमिति में सबसे अधिक महत्वपूर्ण है समकोण त्रिभुज का अध्ययन। त्रिभुजों और बहुभुजों की भुजाओं की लम्बाई और दो भुजाओं के बीच के कोणों का अध्ययन करने का मुख्य आधार यह है कि समकोण त्रिभुज की किन्ही दो भुजाओं (आधार, लम्ब व कर्ण) का अनुपात उस त्रिभुज के कोणों के मान पर निर्भर करता है। त्रिकोणमिति का ज्यामिति की प्रसिद्ध बौधायन प्रमेय (पाइथागोरस प्रमेय) से गहरा सम्बन्ध है। .
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परिकलक
कैसियो कम्पनी का '''वैज्ञानिक परिकलक''' परिकलक (अंग्रेजी: कैलकुलेटर), अन्य हिन्दी पर्याय, गणक या गणित्र), गणितीय गणनाएं (परिकलन) करने का एक उपकरण होता है। यद्यपि आधुनिक परिकलकों में प्रायः सामान्य उपयोग का एक संगणक (कंप्यूटर) होता है, फिर भी परिकलक, कंप्यूटर से इस मामले में भिन्न है कि परिकलक की अभिकल्पना अपेक्षाकृत छोटी गणनाएं करने के लिये होता है। इसके उपयोग के लिये प्रोग्रामिंग की आवश्यकता नही होती और यह बहुत सस्ता और आकार में छोटा होता है। इसके पहले गणनाएं करने के लिये स्लाइड रूल, गणितीय सारणियाँ, अबाकस आदि प्रयोग में लाये जाते थे। इन सबका प्रयोग परिकलक की तुलना में अपेक्षाकृत बहुत असुविधाजनक होता था। आधुनिक परिकलक विद्युत शक्ति (छोटे शुष्क सेल आदि) से चलते हैं; सस्ते, छोटे, अनेक जटिल गणनाओं की क्षमता वाले, सरलता से काम करने वाले तथा तेज गणना में दक्ष होते हैं। .
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लघुगणक
अलग-अलग आधार के लिये लघुगणकीय फलन का आरेखण: लाल रंग वाला ''e'', हरा रंग वाला 10, तथाबैगनी वाला 1.7. सभी आधारों के लघुगणक बिन्दु (1, 0) से होकर गुजरते हैं क्योंकि किसी भी संख्या पर शून्य घातांक का मान 1 होता है। स्कॉटलैंड निवासी जाॅन नेपियर द्वारा प्रतिपादित लघुगणक (Logarithm / लॉगेरिद्म) एक ऐसी गणितीय युक्ति है जिसके प्रयोग से गणनाओं को छोटा किया जा सकता है। इसके प्रयोग से गुणा और भाग जैसी जटिल प्रक्रियाओं को जोड़ और घटाने जैसी अपेक्षाकृत सरल क्रियाओं में बदल दिया जाता है। कम्प्यूटर और कैलकुलेटर के आने के पहले जटिल गणितीय गननाएँ लघुगणक के सहारे ही की जातीं थीं। .
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हैवलेट-पैकर्ड
हैवलेट-पैकार्ड निगमित कंपनी (HP Inc.) जो कि मुख्त्य: एच-पी (HP) के नाम से जानी जाती है, सूचना तकनीकी की एक अमेरिकी कंपनी है। यह कंपनी व्यक्तिगत कंप्यूटर (PC), प्रिंटर और संबंधित आपूर्ति, और तीन आयामी मुद्रण (3D प्रिंटिंग) समाधान विकसित करती है। .
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घातांक
किसी संख्या पर घात लगाना या घातांकन (Exponentiation या Involution, इनवॉल्यूशन) एक गणितीय संक्रिया है जिसमें किसी संख्या को लगातार अपने से दो या अधिक बार गुणा किया जाता है। जितने बार गुणा किया जाता है, वह उस संख्या का 'घात' कहलाता है। घात को संख्या के ऊपर दाहिनी ओर थोड़ा हटाकर लिखा जाता है; इस प्रकर ३४ .
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विसर्पी गणक
एक छात्रोपयोगी दस-इंची स्लाइड रूल विसर्पी गणक या स्लाइड रूल (slide rule) एक यांत्रिक एनालॉग कम्प्यूटर है। यह एक यांत्रिक युक्ति है जिसका उपयोग मुख्य रूप से गुणा और भाग करने के लिये किया जाता था/है। इसके अधिक विकसित रूपों में अनेक "वैज्ञानिक फलनों" जैसे वर्गमूल, लघुगणक एवं त्रिकोणमित्तीय फलनों की गणना करने की सुविधा भी प्रदत्त होती थी, किन्तु इसका उपयोग प्राय: जोड़ने और घटाने के लिये नहीं किया जाता था/है क्योंकि ये बहुत आसान क्रियाएँ समझी जातीं हैं। जेब-गणकों (पॉकेट कैलकुलेटरों) के आने के पहले स्लाइड रूल विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सर्वाधिक उपयोग में आने वाला उपकरण था। इसका उपयोग १९५० और १९६० के दशक तक वृद्धि पर था। किन्तु सन् १९७४ के आसपास इलेक्ट्रानिक "वैज्ञानिक परिकलकों" के आने से स्लाइड रूल का उपयोग एकाएक बन्द हो गया। स्लाइड रूल विविध प्रकार के आकार-प्रकार और रंग रूप के बनाये जाते हैं और इनमें एक-दो या बहुत प्रकार की गणना करने की सुविधा दी होती है। किन्तु मोटे तौर पर ये रेखीय या वृत्तीय आकार के होते हैं जिस पर गणना करने में सहायक मानक चिह्न बने होते हैं। .
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विज्ञान
संक्षेप में, प्रकृति के क्रमबद्ध ज्ञान को विज्ञान (Science) कहते हैं। विज्ञान वह व्यवस्थित ज्ञान या विद्या है जो विचार, अवलोकन, अध्ययन और प्रयोग से मिलती है, जो किसी अध्ययन के विषय की प्रकृति या सिद्धान्तों को जानने के लिये किये जाते हैं। विज्ञान शब्द का प्रयोग ज्ञान की ऐसी शाखा के लिये भी करते हैं, जो तथ्य, सिद्धान्त और तरीकों को प्रयोग और परिकल्पना से स्थापित और व्यवस्थित करती है। इस प्रकार कह सकते हैं कि किसी भी विषय के क्रमबद्ध ज्ञान को विज्ञान कह सकते है। ऐसा कहा जाता है कि विज्ञान के 'ज्ञान-भण्डार' के बजाय वैज्ञानिक विधि विज्ञान की असली कसौटी है। .
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गणित
पुणे में आर्यभट की मूर्ति ४७६-५५० गणित ऐसी विद्याओं का समूह है जो संख्याओं, मात्राओं, परिमाणों, रूपों और उनके आपसी रिश्तों, गुण, स्वभाव इत्यादि का अध्ययन करती हैं। गणित एक अमूर्त या निराकार (abstract) और निगमनात्मक प्रणाली है। गणित की कई शाखाएँ हैं: अंकगणित, रेखागणित, त्रिकोणमिति, सांख्यिकी, बीजगणित, कलन, इत्यादि। गणित में अभ्यस्त व्यक्ति या खोज करने वाले वैज्ञानिक को गणितज्ञ कहते हैं। बीसवीं शताब्दी के प्रख्यात ब्रिटिश गणितज्ञ और दार्शनिक बर्टेंड रसेल के अनुसार ‘‘गणित को एक ऐसे विषय के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जिसमें हम जानते ही नहीं कि हम क्या कह रहे हैं, न ही हमें यह पता होता है कि जो हम कह रहे हैं वह सत्य भी है या नहीं।’’ गणित कुछ अमूर्त धारणाओं एवं नियमों का संकलन मात्र ही नहीं है, बल्कि दैनंदिन जीवन का मूलाधार है। .
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अभियान्त्रिकी
लोहे का 'कड़ा' (O-ring): कनाडा के इंजिनियरों का परिचय व गौरव-चिह्न सन् 1904 में निर्मित एक इंजन की डिजाइन १२ जून १९९८ को अंतरिक्ष स्टेशन '''मीर''' अभियान्त्रिकी (Engineering) वह विज्ञान तथा व्यवसाय है जो मानव की विविध जरूरतों की पूर्ति करने में आने वाली समस्याओं का व्यावहारिक समाधान प्रस्तुत करता है। इसके लिये वह गणितीय, भौतिक व प्राकृतिक विज्ञानों के ज्ञानराशि का उपयोग करती है। इंजीनियरी भौतिक वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन करती है; औद्योगिक प्रक्रमों का विकास एवं नियंत्रण करती है। इसके लिये वह तकनीकी मानकों का प्रयोग करते हुए विधियाँ, डिजाइन और विनिर्देश (specifications) प्रदान करती है। .
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उच्च शिक्षा
एक उच्चतर शिक्षा संस्थान में गणित का शिक्षण उच्च शिक्षा (higher education) उच्च शिक्षा का अर्थ है सामान्य रूप से सबको दी जानेवाली शिक्षा से ऊपर किसी विशेष विषय या विषयों में विशेष, विशद तथा शूक्ष्म शिक्षा। यह शिक्षा के उस स्तर का नाम है जो विश्वविद्यालयों, व्यावसायिक विश्वविद्यालयों, कम्युनिटी महाविद्यालयों, लिबरल आर्ट कालेजों एवं प्रौद्योगिकी संस्थानों आदि के द्वारा दी जाती है। प्राथमिक एवं माध्यमिक के बाद यह शिक्षा का तृतीय स्तर है जो प्राय: ऐच्छिक (non-compulsory) होता है। इसके अन्तर्गत स्नातक, परास्नातक (postgraduate education) एवं व्यावसायिक शिक्षा एवं प्रशिक्षण आदि आते हैं। .
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