लोगो
यूनियनपीडिया
संचार
Google Play पर पाएं
नई! अपने एंड्रॉयड डिवाइस पर डाउनलोड यूनियनपीडिया!
मुक्त
ब्राउज़र की तुलना में तेजी से पहुँच!
 

विलोपन सिद्धान्त

सूची विलोपन सिद्धान्त

बीजगणित तथा बीजीय ज्यामिति में उन कलनविधियों को विलोपन सिद्धान्त (elimination theory) या केवल 'विलोपन' कहते हैं जो अनेकों चरों से युक्त समीकरणों में से एक या अधिक चरों को हटाने (विलुप्त करने) के लिए प्रयुक्त होती हैं। आजकल रैखिक युगपत समीकरणों से चरों के विलोपन के लिए प्रायः गाउस का विलोपन प्रयुक्त होता है। इसी के उपयोग से इन समीकरणों का हल निकाला जाता है न कि क्रैमर के नियम द्वारा। .

5 संबंधों: बीजगणित, समीकरण, गाउस विलोपन, क्रैमर-नियम, अल्गोरिद्म

बीजगणित

बीजगणित (संस्कृत ग्रन्थ) भी देखें। ---- आर्यभट बीजगणित (algebra) गणित की वह शाखा जिसमें संख्याओं के स्थान पर चिन्हों का प्रयोग किया जाता है। बीजगणित चर तथा अचर राशियों के समीकरण को हल करने तथा चर राशियों के मान निकालने पर आधारित है। बीजगणित के विकास के फलस्वरूप निर्देशांक ज्यामिति व कैलकुलस का विकास हुआ जिससे गणित की उपयोगिता बहुत बढ़ गयी। इससे विज्ञान और तकनीकी के विकास को गति मिली। महान गणितज्ञ भास्कराचार्य द्वितीय ने कहा है - अर्थात् मंदबुद्धि के लोग व्यक्ति गणित (अंकगणित) की सहायता से जो प्रश्न हल नहीं कर पाते हैं, वे प्रश्न अव्यक्त गणित (बीजगणित) की सहायता से हल कर सकते हैं। दूसरे शब्दों में, बीजगणित से अंकगणित की कठिन समस्याओं का हल सरल हो जाता है। बीजगणित से साधारणतः तात्पर्य उस विज्ञान से होता है, जिसमें संख्याओं को अक्षरों द्वारा निरूपित किया जाता है। परंतु संक्रिया चिह्न वही रहते हैं, जिनका प्रयोग अंकगणित में होता है। मान लें कि हमें लिखना है कि किसी आयत का क्षेत्रफल उसकी लंबाई तथा चौड़ाई के गुणनफल के समान होता है तो हम इस तथ्य को निमन प्रकार निरूपित करेंगे— बीजगणिति के आधुनिक संकेतवाद का विकास कुछ शताब्दी पूर्व ही प्रारंभ हुआ है; परंतु समीकरणों के साधन की समस्या बहुत पुरानी है। ईसा से 2000 वर्ष पूर्व लोग अटकल लगाकर समीकरणों को हल करते थे। ईसा से 300 वर्ष पूर्व तक हमारे पूर्वज समीकरणों को शब्दों में लिखने लगे थे और ज्यामिति विधि द्वारा उनके हल ज्ञात कर लेते थे। .

नई!!: विलोपन सिद्धान्त और बीजगणित · और देखें »

समीकरण

---- समीकरण (equation) प्रतीकों की सहायता से व्यक्त किया गया एक गणितीय कथन है जो दो वस्तुओं को समान अथवा तुल्य बताता है। यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि आधुनिक गणित में समीकरण सर्वाधिक महत्वपूर्ण विषय है। आधुनिक विज्ञान एवं तकनीकी में विभिन्न घटनाओं (फेनामेना) एवं प्रक्रियाओं का गणितीय मॉडल बनाने में समीकरण ही आधारका काम करने हैं। समीकरण लिखने में समता चिन्ह का प्रयोग किया जाता है। यथा- समीकरण प्राय: दो या दो से अधिक व्यंजकों (expressions) की समानता को दर्शाने के लिये प्रयुक्त होते हैं। किसी समीकरण में एक या एक से अधिक चर राशि (यां) (variables) होती हैं। चर राशि के जिस मान के लिये समीकरण के दोनो पक्ष बराबर हो जाते हैं, वह/वे मान समीकरण का हल या समीकरण का मूल (roots of the equation) कहलाता/कहलाते है। ऐसा समीकरण जो चर राशि के सभी मानों के लिये संतुष्ट होता है, उसे सर्वसमिका (identity) कहते हैं। जैसे - एक सर्वसमिका है। जबकि एक समीकरण है जिसका मूल हैं x.

नई!!: विलोपन सिद्धान्त और समीकरण · और देखें »

गाउस विलोपन

रैखिक बीजगणित में गाउस की विलोपन विधि रैखिक समीकरणों के निकाय को हल करने की एक विधि है जिसके अन्तर्गत क्रम से कुछ संक्रियाएँ करने पर अन्ततः एक को छोड़कर बाकी सभी चर विलुप्त हो जाते हैं। रैखिक समीकरणों के निकाय को हल करने के अलावा गाउस की विलोपन विधि का उपयोग किसी मैट्रिक्स की रैंक प्राप्त करने के लिए, किसी मैट्रिक्स के डिटरमिनैण्ट का मान निकालने के लिए, तथा किसी वर्ग मैट्रिक्स का व्युत्क्रम (इन्वर्स) निकालने के लिए किया जाता है। इस विधि का नाम जर्मनी के गणितज्ञ कार्ल फ्रेडरिक गाउस के नाम पर पड़ा है, यद्यपि यह विधि उनसे पहले भी ज्ञात थी। गाउस की विलोपन विधि को सम्बन्धित समीकरणों की मैट्रिक्स पर क्रम से की जाने वाली संक्रियाओं के रूप में समझा जा सकता है। अर्थात् समीकरणों को उनके चरों सहित लेकर चलने की आवश्यकता नहीं रहती बल्कि चरों को छोड़ने के बाद जो मैट्रिक्स बचती है, उसी पर सारी संक्रियाएँ एक क्रम से करनी होती हैं। इस विलोपन विधि में केवल पंक्तियों की सरल संक्रियाएँ की जाती हैं ताकि मूल मैट्रिक्स ऐसी मैट्रिक्स में परिवर्तित हो जाय जिसके बाएँ निचले कोने के अधिक से अधिक अवयव शून्य हों। इसके लिए तीन प्रकार की पंक्ति-संक्रियाएँ की जातीं हैं-.

नई!!: विलोपन सिद्धान्त और गाउस विलोपन · और देखें »

क्रैमर-नियम

रैखिक बीजगणित में क्रैमर-नियम (Cramer's rule) रैखिक समीकरण निकाय का हल निकालने की एक प्रत्यक्ष विधि (direct method) है। यह विधि गुणांक मैट्रिक्स के डिटरमिनैण्ट तथा गुणांक मैट्रिक्स के एक परिवर्तित रूप के सारणिक के रूप में व्यक्त करती है। यह विधि तभी वैध है जब निकाय का अनन्य (यूनिक) हल सम्भव हो। इस नियम का नाम गैब्रिएल क्रैमर (Gabriel Cramer (1704–1752)) के नाम पर पड़ा है जिसने 1750 में इसे प्रतिपादित किया था। .

नई!!: विलोपन सिद्धान्त और क्रैमर-नियम · और देखें »

अल्गोरिद्म

महत्तम समापवर्तक (HCF) निकालने के लिए यूक्लिड के अल्गोरिद्म का फ्लोचार्ट गणित, संगणन तथा अन्य विधाओं में किसी कार्य को करने के लिये आवश्यक चरणों के समूह को कलन विधि (अल्गोरिद्म) कहते है। कलन विधि को किसी स्पष्ट रूप से पारिभाषित गणनात्मक समस्या का समाधान करने के औजार (tool) के रूप में भी समझा जा सकता है। उस समस्या का इनपुट और आउटपुट सामान्य भाषा में वर्णित किये गये रहते हैं; इसके समाधान के रूप में कलन विधि, क्रमवार ढंग से बताता है कि यह इन्पुट/आउटपुट सम्बन्ध किस प्रकार से प्राप्त किया जा सकता है। कुछ उदाहरण: १) कुछ संख्यायें बिना किसी क्रम के दी हुई हैं; इन्हें आरोही क्रम (ascending order) में कैसे सजायेंगे? २) दो पूर्णांक संख्याएं दी हुई हैं; उनका महत्तम समापवर्तक (Highest Common Factor) कैसे निकालेंगे ? .

नई!!: विलोपन सिद्धान्त और अल्गोरिद्म · और देखें »

यहां पुनर्निर्देश करता है:

विलोपन

निवर्तमानआने वाली
अरे! अब हम फेसबुक पर हैं! »