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5 संबंधों: पुनरावृत्तिमूलक विधि, रैखिक बीजगणित, रैखिक समीकरण निकाय, गाउस-साइडल विधि, कार्ल फ्रेडरिक गाउस।
पुनरावृत्तिमूलक विधि
पुनरावृत्तिमूलक विधि की व्याख्या ज्यामितीय। संख्यात्मक गणित में पुनरावृत्तिमूलक विधि (iterative method) गणना की वह विधि है जिसमें किसी अनुमानित हल से शुरू करते हैं और एक ही सूत्र या कलनविधि का बारबार प्रयोग करते हुए अधिक शुद्ध हल प्राप्त करते हैं। यह हल पुनः उस सूत्र में प्रयुक्त होकर और भी अधिक शुद्ध हल देता है। उदाहरण के लिए किसी समीकरण का मूल निकालने के लिए या इष्टतमकरण के लिए इसका प्रयोग किया जाता है। पुनरावृत्तिमूलक विधियों के विपरीत एक ही चरण में हल प्रदान करने वाली विधियों को प्रत्यक्ष विधि (डाइरेक्ट मेथड) कहते हैं। उदाहरण के लिए, रैखिक समीकरणों के निकाय Ax .
देखें गाउस विलोपन और पुनरावृत्तिमूलक विधि
रैखिक बीजगणित
रैखिक बीजगणित (Linear algebra) गणित की एक शाखा है जो सदिश आकाश (वेक्टर स्पेस) तथा उन आकाशों के बीच रैखिक प्रतिचित्रण से सम्बन्धित है। रैखिक बीजगणित का आरम्भ अनेकों अज्ञात राशियों वाले युगपत समीकरणों के हल से हुआ। ऐसे समीकरण प्रायः मैट्रिक्स और सदिशों का उपयोग करके निरूपित किए जाते हैं। शुद्ध गणित और अनुप्रयुक्त गणित- दोनों में ही रैखिक बीजगणित की केन्द्रीय भूमिका है। कैलकुलस और रैखिक गणित के सम्मिलित प्रयोग से रैखिक अवकल समीकरण हल किए जाते हैं। रैखिक बीजगणित की तकनीकें (विधियाँ) वैश्लेषिक ज्यामिति, इंजीनियरी, भौतिकी, प्राकृतिक विज्ञान, संगणक विज्ञान, कम्प्यूतर एनिमेशन और सामाजिक विज्ञान (मुखयतः अर्थशास्त्र) में प्रयुक्त होती हैं। रैखिक बीजगणित के सिद्धान्त और विधियाँ अत्यन्त विकसित हैं। इसी लिए अरैखिक गणितीय मॉडलों को भी कभी-कभी सन्निकट रैखिक मॉडलों से निरूपित कर दिया जाता है जिससे उन्हें हल करने में सुविधा हो जाती है। श्रेणी:रैखिक बीजगणित.
देखें गाउस विलोपन और रैखिक बीजगणित
रैखिक समीकरण निकाय
तीन चरों वाला कोई रैखिक समीकरण निकाय वस्तुतः तीन समतलों (plane) का समुच्चय है। इन समतलों का कटान बिन्दु ही इस रैखिक निकाय का 'हल' कहलाता है। गणित में (और विशेषतः रैखिक बीजगणित में) समान अज्ञात राशि वाले रैखिक समीकरणों के समुच्चय को रैखिक समीकरणों का निकाय (systems of linear equations) कहा जाता है। उदाहरण के लिए, 3x &&\; + \;&& 2y &&\; - \;&& z &&\; .
देखें गाउस विलोपन और रैखिक समीकरण निकाय
गाउस-साइडल विधि
संख्यात्मक रैखिक बीजगणित में गाउस-साइडल विधि (Gauss–Seidel method) रैखिक समीकरण निकाय को हल करने की एक पुनरावृत्तिमूलक विधि है। इसे लिबमान विधि (Liebmann method) भी कहते हैं। इसका नाम जर्मनी के गणितज्ञ कार्ल फ्रेडरिक गाउस तथा फिलिप लुडविग फॉन साइडल के नाम पर पड़ा है। यह विधि जकोबी की विधी के जैसी ही है। यह विधि किसी भी ऐसी मैट्रिक्स के साथ लागू की जा सकती है जिसके विकर्ण के सभी अवयव अशून्य हों। किन्तु अभिसरण केवल तभी सुनिश्चित होगा यदि.
देखें गाउस विलोपन और गाउस-साइडल विधि
कार्ल फ्रेडरिक गाउस
कार्ल फ्रेडरिक गॉस अथवा कार्ल फ्रेडरिक गाउस (Gauß,; Carolus Fridericus Gauss) (30 अप्रैल 177723 फ़रवरी 1855) एक जर्मन गणितज्ञ और भौतिक विज्ञानी थे जिन्होंने संख्या सिद्धान्त, बीजगणित, सांख्यिकी, गणितीय विश्लेषण, अवकल ज्यामिति, भूगणित, भूभौतिकी, वैद्युत स्थैतिकी, खगोल शास्त्र और प्रकाशिकी सहित कई क्षेत्रों में सार्थक रूप से योगदान दिया। गाउस को विद्युत के गणितीय सिद्धांत का संस्थापक कहा जाता है। विद्युत की चुंबकीय इकाई का 'गाउस' नाम उसी के नाम पर रखा गया है। कभी-कभी गाउस को गणित का राजकुमार भी कहा जाता है। गॉस का गणित और विज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न क्षेत्रों में योगदान है और उनका योगदान इतिहास का सबसे प्रभावशाली योगदान रहा है। उन्होंने गणित को "विज्ञान की रानी" कहा है। जर्मनी के ब्रुंसविक नाम स्थान में एक ईंट चुननेवाले मेमार के घर उसका जन्म हुआ था। जन्म से ही उसमें गणति के प्रश्नों को तत्काल हल कर देने की क्षमता थी। उसकी इस प्रतिभा का पता जब ब्रुंसविक के ड्यूक को लगा तो उन्होंने उसे गटिंगन विश्वविद्यालय में अध्ययन करने की व्यवस्था कर दी। वहाँ विद्यार्थी जीवन में ही उसने अनेक गणितीय आविष्कार किए। जयामिति के माध्यम से उसने सिद्ध किया कि एक वृत्त सत्तरह समान आर्क में विभाजित हो सकता है। सिरेस नामक ग्रह के संबंध में उसने जो गणना की उसके कारण उसकी गणना खगोलशास्त्रियों में की जाती है। १८०७ ई० से मृत्यु पर्यंत वह गर्टिगन वेधशाला का निदेशक रहा। .