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लीमर

सूची लीमर

लीमर मैडागास्कर में पाये जाने वाले छोटे वानर कुल के प्राणी हैं। यह स्ट्रॅपसराइनी उपकुल के वानर हैं जो मैडागास्कर के मूल निवासी हैं। काले और सफेद रंग के इस जंतु की पूंछ काफी लंबी व धारीदार होती है, जबकि आंखें बड़ी होती हैं। बंदरों से मिलता-जुलता लीमर अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहा है। लीमर की 101 प्रजातियों में से 90 प्रतिशत विलुप्ति के कगार पर हैं। सबसे अधिक संकट ग्रेटर बैंबू लीमर प्रजाति पर है। पूरे विश्व में केवल 500 ग्रेटर बैंबू लीमर बचे हैं। अमेरिका के उत्तरी कैरोलिना में काफी संख्या में लीमर हैं, जबकि मेडागास्कर में इनकी संख्या गिनतियों में बची है। .

9 संबंधों: प्राणी, बंदर, मेडागास्कर, रज्जुकी, लोरिस, लीमरिफ़ोर्मीस, स्ट्रेपसिराइनी, स्तनधारी, वानर

प्राणी

प्राणी या जंतु या जानवर 'ऐनिमेलिया' (Animalia) या मेटाज़ोआ (Metazoa) जगत के बहुकोशिकीय और सुकेंद्रिक जीवों का एक मुख्य समूह है। पैदा होने के बाद जैसे-जैसे कोई प्राणी बड़ा होता है उसकी शारीरिक योजना निर्धारित रूप से विकसित होती जाती है, हालांकि कुछ प्राणी जीवन में आगे जाकर कायान्तरण (metamorphosis) की प्रकिया से गुज़रते हैं। अधिकांश जंतु गतिशील होते हैं, अर्थात अपने आप और स्वतंत्र रूप से गति कर सकते हैं। ज्यादातर जंतु परपोषी भी होते हैं, अर्थात वे जीने के लिए दूसरे जंतु पर निर्भर रहते हैं। अधिकतम ज्ञात जंतु संघ 542 करोड़ साल पहले कैम्ब्रियन विस्फोट के दौरान जीवाश्म रिकॉर्ड में समुद्री प्रजातियों के रूप में प्रकट हुए। .

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बंदर

बंदर एक मेरूदण्डी, स्तनधारी प्राणी है। इसके हाथ की हथेली एवं पैर के तलुए छोड़कर सम्पूर्ण शरीर घने रोमों से ढकी है। कर्ण पल्लव, स्तनग्रन्थी उपस्थित होते हैं। मेरूदण्ड का अगला भाग पूँछ के रूप में विकसित होता है। हाथ, पैर की अँगुलियाँ लम्बी नितम्ब पर मांसलगदी है। .

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मेडागास्कर

मेडागास्कर, या 'मेडागास्कर गणराज्य' (पुराना नाम: मालागासी गणराज्य, फ्रांसीसी: République malgache) हिन्द महासागर में अफ्रीका के पूर्वी तट पर स्थित एक द्वीपीय देश है। मुख्य द्वीप, जिसे मेडागास्कर कहा जाता है विश्व का चौथा सबसे बड़ा द्वीप है। यहाँ विश्व की पाँच प्रतिशत पादप और जीव प्रजातियाँ मौजूद हैं। इनमें से ८० प्रतिशत केवल मेडागास्कर में ही पाई जाती हैं। इस देश की दो तिहाई जनसंख्या अंतरराष्ट्रीय गरीबी रेखा (१.२५ अमेरिकी डॉलर प्रतिदिन) से नीचे निवास करती है। .

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रज्जुकी

रज्जुकी (संघ कॉर्डेटा) जीवों का एक समूह है जिसमें कशेरुकी (वर्टिब्रेट) और कई निकट रूप से संबंधित अकशेरुकी (इनवर्टिब्रेट) शामिल हैं। इनका इस संघ मे शामित होना इस आधार पर सिद्ध होता है कि यह जीवन चक्र मे कभी न कभी निम्न संरचनाओं को धारण करते हैं जो हैं, एक पृष्ठ‍रज्जु (नोटोकॉर्ड), एक खोखला पृष्ठीय तंत्रिका कॉर्ड, फैरेंजियल स्लिट एक एंडोस्टाइल और एक पोस्ट-एनल पूंछ। संघ कॉर्डेटा तीन उपसंघों मे विभाजित है: यूरोकॉर्डेटा, जिसका प्रतिनिधित्व ट्युनिकेट्स द्वारा किया जाता है; सेफालोकॉर्डेटा, जिसका प्रतिनिधित्व लैंसलेट्स द्वारा किया जाता है और क्रेनिएटा, जिसमे वर्टिब्रेटा शामिल हैं। हेमीकॉर्डेटा को चौथे उपसंघ के रूप मे प्रस्तुत किया जाता है पर अब इसे आम तौर पर एक अलग संघ के रूप में जाना जाता है। यूरोकॉर्डेट के लार्वा में एक नोटॉकॉर्ड और एक तंत्रिका कॉर्ड पायी जाती है पर वयस्क होने पर यह लुप्त हो जातीं हैं। सेफालोकॉर्डेट एक नोटॉकॉर्ड और एक तंत्रिका कॉर्ड पायी जाती है लेकिन कोई मस्तिष्क या विशेष संवेदना अंग नहीं होता और इनका एक बहुत ही सरल परिसंचरण तंत्र होता है। क्रेनिएट ही वह उपसंघ है जिसके सदस्यों में खोपड़ी मिलती है। इनमे वास्तविक देहगुहा पाई जाती है। इनमे जनन स्तर सदैव त्री स्तरीय पाया जाता है। सामान्यत लैंगिक जनन पाया जाता है। सामान्यत प्रत्यक्ष विकास होता है। इनमे RBC उपस्थित होती है। इनमे द्वीपार्शविय सममिती पाई जाती है। इसके जंतु अधिक विकसित होते है। श्रेणी:जीव विज्ञान *.

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लोरिस

लोरिस (Loris) भारत, श्रीलंका और दक्षिणपूर्वी एशिया में मिलने वाले लोरिनाए (Lorinae) कुल के निशाचरी (रात्रि में सक्रीय) नरवानर प्राणी होते हैं। लोरिस वनों में रहते हैं और धीमी गति से पेड़ों पर चलते हैं। कुछ लोरिस जातियाँ केवल कीट खाती हैं जबकि अन्य फल, वृक्षों के छाल से निकलने वाला गोंद, पत्ते और घोंघे खाती हैं। मादा लोरिस पेड़ों पर घर बनाकर उनमें अपने शिशु छोड़कर खाने के लिये निकलतीं हैं। इसके लिये वे अपने बच्चों को अपनी कोहनियों के भीतरी भाग चाटने के बाद चाटती हैं। उनकी कोहनियों के पीछे के क्षेत्र में एक हल्का विष बनता है जो शिशुओं के बालों में फैल जाता है और परभक्षियों को उन्हें खाने से रोकता है। कुछ क्षेत्रों में इसके बावजूद भी ओरंग उतान इनके शिशुओं को खा लेते हैं। .

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लीमरिफ़ोर्मीस

लीमरिफ़ोर्मीस (Lemuriformes) नरवानर गण के स्ट्रेपसिराइनी उपगण के अंतर्गत एक अधोगण (इन्फ़ाऑर्डर) है। इसमें माडागास्कर के लीमर, अफ़्रीका के गलेगो और पोटो, और भारत व दक्षिणपूर्वी एशिया के लोरिस शामिल हैं। कुछ जीववैज्ञानिकों के अनुसार लोरिसों का अलग "लोरिसिफ़ोर्मीस" (Lorisiformes) नामक अधोगण होना चाहिये। लीमरिफ़ोर्मीस प्राणियों के जबड़ों के सामने के निचले दांत कंघी जैसी व्यवस्था में होते हैं जिनसे वे अपने बाल सँवार सकते हैं। .

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स्ट्रेपसिराइनी

स्ट्रेपसिराइनी (Strepsirrhini) या गिली-नाक नरवानर (dry-nosed primates) नरवानर गण (प्राइमेट) का एक क्लेड है जिसमें सभी लीमररूपी नरवानर शामिल हैं, जैसे कि माडागास्कर के लीमर, अफ़्रीका के गलेगो और पोटो, और भारत व दक्षिणपूर्वी एशिया के लोरिस। स्ट्रेपसिराइनी नरवानर गण के दूसरे प्रमुख क्लेड, हैप्लोराइनी (Haplorhini) से काफ़ी भिन्न होते हैं। इनका मस्तिष्क छोटा होता है। इनकी नाकें गीली रहती हैं, जब की हैप्लोराइनी नाकें बाहर से अधिकतर शुष्क होती हैं। इनकी सूंघने की शक्ति बहुत प्रखर होती है और आँखों में एक प्रतिबिम्बी व्यवस्था के कारण यह रात में देख पाने में अधिक सक्षम होते हैं (यही कारण भी है कि इनकी आँखे रात में चमकती हुई नज़र आती हैं)। इनमें विटामिन सी बना सकने वाला प्रकिण्व (एन्ज़ाइम) होता है और वे यह आवश्यक रसायन स्वयं बना लेते हैं, जबकि हैप्लोराइनी क्लेड के प्राणियों में यह नहीं रहा जिस कारणवश उन्हें विटामिन-सी युक्त भोजन खाने की आवश्यकता होती है। कई स्ट्रेपसिराइनी प्राणियों के जबड़ों के सामने के निचले दांत कंघी जैसी व्यवस्था में होते हैं जिनसे वे अपने बाल सँवार सकते हैं। वर्तमान में अस्तित्व रखने वाली अधिकतर जातियाँ निशाचरी (रात्रि को सक्रीय) हैं। .

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स्तनधारी

यह प्राणी जगत का एक समूह है, जो अपने नवजात को दूध पिलाते हैं जो इनकी (मादाओं के) स्तन ग्रंथियों से निकलता है। यह कशेरुकी होते हैं और इनकी विशेषताओं में इनके शरीर में बाल, कान के मध्य भाग में तीन हड्डियाँ तथा यह नियततापी प्राणी हैं। स्तनधारियों का आकार २९-३३ से.मी.

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वानर

हनुमान, द्रोणगिरि पर्वत उठाते हुए वानर हिन्दू गाथा रामायण में वर्णित मानवनुमा कपियों की एक जाति थी जिसके सदस्य साहस, शक्ति, बुद्धि और जिज्ञासा के गुण रखते थे। .

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लीमरोइडेआ

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