लोगो
यूनियनपीडिया
संचार
Google Play पर पाएं
नई! अपने एंड्रॉयड डिवाइस पर डाउनलोड यूनियनपीडिया!
मुक्त
ब्राउज़र की तुलना में तेजी से पहुँच!
 

पोटो

सूची पोटो

पोटो (Potto) अफ़्रीका के मुख्य महाद्वीप में मिलने वाला निशाचरी (रात्रि में सक्रीय) नरवानर प्राणी होते हैं। यह नरवानर गण के स्ट्रेपसिराइनी उपगण के लीमरिफ़ोर्मीस अधोगण (इन्फ़ाऑर्डर) के लोरिसिडाए कुल में पेरोडिकटिकस (Perodicticus) नामक वंश की इकलौती सदस्य जाति हैं। .

18 संबंधों: तर्जनी, नरवानर गण, निशाचरता, प्राणी, पूँछ, महाद्वीप, रज्जुकी, लोरिसिडाए, लीमरिफ़ोर्मीस, स्ट्रेपसिराइनी, स्तनधारी, जाति (जीवविज्ञान), वंश (जीवविज्ञान), गण (जीवविज्ञान), गर्दन, कुल (जीवविज्ञान), अफ़्रीका, उंगली

तर्जनी

अँगूठे के बाद वाली अंगुली का नाम तर्जनी है। .

नई!!: पोटो और तर्जनी · और देखें »

नरवानर गण

नरवानर गण (Primate) नरवानर स्तनी वर्ग का एक गण है, जिसके अंतर्गत मानव, वानर, कपि, कूर्चमर्कट (tarsier) तथा निशाकपि या लीमर (lemur) आते हैं। .

नई!!: पोटो और नरवानर गण · और देखें »

निशाचरता

उल्लू एक निशाचरी प्राणी है निशाचरता कुछ जानवरों की रात को सक्रीय रहने की प्रवृति को कहते हैं। निशाचरी जीवों में उल्लू, चमगादड़ और रैकून जैसे प्राणी शामिल हैं। कुछ निशाचरी जानवरों में दिन और रात दोनों में साफ़ देखने की क्षमता होती है लेकिन कुछ की आँखें अँधेरे में ही ठीक से काम करती हैं और दिन के वक़्त चौंधिया जाती हैं। .

नई!!: पोटो और निशाचरता · और देखें »

प्राणी

प्राणी या जंतु या जानवर 'ऐनिमेलिया' (Animalia) या मेटाज़ोआ (Metazoa) जगत के बहुकोशिकीय और सुकेंद्रिक जीवों का एक मुख्य समूह है। पैदा होने के बाद जैसे-जैसे कोई प्राणी बड़ा होता है उसकी शारीरिक योजना निर्धारित रूप से विकसित होती जाती है, हालांकि कुछ प्राणी जीवन में आगे जाकर कायान्तरण (metamorphosis) की प्रकिया से गुज़रते हैं। अधिकांश जंतु गतिशील होते हैं, अर्थात अपने आप और स्वतंत्र रूप से गति कर सकते हैं। ज्यादातर जंतु परपोषी भी होते हैं, अर्थात वे जीने के लिए दूसरे जंतु पर निर्भर रहते हैं। अधिकतम ज्ञात जंतु संघ 542 करोड़ साल पहले कैम्ब्रियन विस्फोट के दौरान जीवाश्म रिकॉर्ड में समुद्री प्रजातियों के रूप में प्रकट हुए। .

नई!!: पोटो और प्राणी · और देखें »

पूँछ

पूँछ एक जानवर के शरीर के पृष्ठ भाग का उप-भाग होती है। साधारणत: इसका अर्थ होता है धड़ के पीछे एक लचीला उपांग। यह शरीर का वह अंग होता है जो कि स्तनपायी, सरीसृप तथा पक्षियों में लगभग कूल्हे से निकलता है। हालाँकि पूँछ रज्जुकी में पायी जाती है, लेकिन कुछ अरज्जुकी प्राणी जैसे कि बिच्छू, घोंघा इत्यादि की भी पूँछ-समान उपांग होते हैं जिनको पूँछ कहा जाता है। श्रेणी:प्राणी विज्ञान.

नई!!: पोटो और पूँछ · और देखें »

महाद्वीप

महाद्वीपों को समाहित या विभाजित किया जा सकता है, उदाहरणतः यूरेशिया को प्रायः यूरोप तथा एशिया में विभाजित किया जाता है लाल रंग में। बक्मिन्स्टर फुलर द्वारा डायमैक्सियम नक्शा जो दर्शित करता है भूमिखण्ड कम से कम विरूपण समेत, एक एक लगातार महाद्वीप में बंटे हुए विश्व के महाद्वीप महाद्वीप (en:Continent) एक विस्तृत ज़मीन का फैलाव है जो पृथ्वी पर समुद्र से अलग दिखाई देतै हैं। महाद्वीप को व्यक्त करने के कोई स्पष्ट मापदण्ड नहीं है। अलग-अलग सभ्यताओं और वैज्ञानिकों नें महाद्वीप की अलग परिभाषा दी है। पर आम राय ये है कि एक महाद्वीप धरती बहुत बड़ा का विस्तृत क्षेत्र होता है जिसकी सीमाएं स्पष्ट पहचानी जा सके.

नई!!: पोटो और महाद्वीप · और देखें »

रज्जुकी

रज्जुकी (संघ कॉर्डेटा) जीवों का एक समूह है जिसमें कशेरुकी (वर्टिब्रेट) और कई निकट रूप से संबंधित अकशेरुकी (इनवर्टिब्रेट) शामिल हैं। इनका इस संघ मे शामित होना इस आधार पर सिद्ध होता है कि यह जीवन चक्र मे कभी न कभी निम्न संरचनाओं को धारण करते हैं जो हैं, एक पृष्ठ‍रज्जु (नोटोकॉर्ड), एक खोखला पृष्ठीय तंत्रिका कॉर्ड, फैरेंजियल स्लिट एक एंडोस्टाइल और एक पोस्ट-एनल पूंछ। संघ कॉर्डेटा तीन उपसंघों मे विभाजित है: यूरोकॉर्डेटा, जिसका प्रतिनिधित्व ट्युनिकेट्स द्वारा किया जाता है; सेफालोकॉर्डेटा, जिसका प्रतिनिधित्व लैंसलेट्स द्वारा किया जाता है और क्रेनिएटा, जिसमे वर्टिब्रेटा शामिल हैं। हेमीकॉर्डेटा को चौथे उपसंघ के रूप मे प्रस्तुत किया जाता है पर अब इसे आम तौर पर एक अलग संघ के रूप में जाना जाता है। यूरोकॉर्डेट के लार्वा में एक नोटॉकॉर्ड और एक तंत्रिका कॉर्ड पायी जाती है पर वयस्क होने पर यह लुप्त हो जातीं हैं। सेफालोकॉर्डेट एक नोटॉकॉर्ड और एक तंत्रिका कॉर्ड पायी जाती है लेकिन कोई मस्तिष्क या विशेष संवेदना अंग नहीं होता और इनका एक बहुत ही सरल परिसंचरण तंत्र होता है। क्रेनिएट ही वह उपसंघ है जिसके सदस्यों में खोपड़ी मिलती है। इनमे वास्तविक देहगुहा पाई जाती है। इनमे जनन स्तर सदैव त्री स्तरीय पाया जाता है। सामान्यत लैंगिक जनन पाया जाता है। सामान्यत प्रत्यक्ष विकास होता है। इनमे RBC उपस्थित होती है। इनमे द्वीपार्शविय सममिती पाई जाती है। इसके जंतु अधिक विकसित होते है। श्रेणी:जीव विज्ञान *.

नई!!: पोटो और रज्जुकी · और देखें »

लोरिसिडाए

लोरिसिडाए (Lorisidae) मध्य अफ़्रीका, भारत और दक्षिणपूर्वी एशिया में मिलने वाले निशाचरी (रात्रि में सक्रीय) नरवानर प्राणी होते हैं। लोरिस, पोटो और आंगवांतीबो इस श्रेणी में आते हैं। यह नरवानर गण के स्ट्रेपसिराइनी उपगण के लीमरिफ़ोर्मीस अधोगण (इन्फ़ाऑर्डर) के लोरिसोइडेआ अधिकुल में एक कुल हैं। .

नई!!: पोटो और लोरिसिडाए · और देखें »

लीमरिफ़ोर्मीस

लीमरिफ़ोर्मीस (Lemuriformes) नरवानर गण के स्ट्रेपसिराइनी उपगण के अंतर्गत एक अधोगण (इन्फ़ाऑर्डर) है। इसमें माडागास्कर के लीमर, अफ़्रीका के गलेगो और पोटो, और भारत व दक्षिणपूर्वी एशिया के लोरिस शामिल हैं। कुछ जीववैज्ञानिकों के अनुसार लोरिसों का अलग "लोरिसिफ़ोर्मीस" (Lorisiformes) नामक अधोगण होना चाहिये। लीमरिफ़ोर्मीस प्राणियों के जबड़ों के सामने के निचले दांत कंघी जैसी व्यवस्था में होते हैं जिनसे वे अपने बाल सँवार सकते हैं। .

नई!!: पोटो और लीमरिफ़ोर्मीस · और देखें »

स्ट्रेपसिराइनी

स्ट्रेपसिराइनी (Strepsirrhini) या गिली-नाक नरवानर (dry-nosed primates) नरवानर गण (प्राइमेट) का एक क्लेड है जिसमें सभी लीमररूपी नरवानर शामिल हैं, जैसे कि माडागास्कर के लीमर, अफ़्रीका के गलेगो और पोटो, और भारत व दक्षिणपूर्वी एशिया के लोरिस। स्ट्रेपसिराइनी नरवानर गण के दूसरे प्रमुख क्लेड, हैप्लोराइनी (Haplorhini) से काफ़ी भिन्न होते हैं। इनका मस्तिष्क छोटा होता है। इनकी नाकें गीली रहती हैं, जब की हैप्लोराइनी नाकें बाहर से अधिकतर शुष्क होती हैं। इनकी सूंघने की शक्ति बहुत प्रखर होती है और आँखों में एक प्रतिबिम्बी व्यवस्था के कारण यह रात में देख पाने में अधिक सक्षम होते हैं (यही कारण भी है कि इनकी आँखे रात में चमकती हुई नज़र आती हैं)। इनमें विटामिन सी बना सकने वाला प्रकिण्व (एन्ज़ाइम) होता है और वे यह आवश्यक रसायन स्वयं बना लेते हैं, जबकि हैप्लोराइनी क्लेड के प्राणियों में यह नहीं रहा जिस कारणवश उन्हें विटामिन-सी युक्त भोजन खाने की आवश्यकता होती है। कई स्ट्रेपसिराइनी प्राणियों के जबड़ों के सामने के निचले दांत कंघी जैसी व्यवस्था में होते हैं जिनसे वे अपने बाल सँवार सकते हैं। वर्तमान में अस्तित्व रखने वाली अधिकतर जातियाँ निशाचरी (रात्रि को सक्रीय) हैं। .

नई!!: पोटो और स्ट्रेपसिराइनी · और देखें »

स्तनधारी

यह प्राणी जगत का एक समूह है, जो अपने नवजात को दूध पिलाते हैं जो इनकी (मादाओं के) स्तन ग्रंथियों से निकलता है। यह कशेरुकी होते हैं और इनकी विशेषताओं में इनके शरीर में बाल, कान के मध्य भाग में तीन हड्डियाँ तथा यह नियततापी प्राणी हैं। स्तनधारियों का आकार २९-३३ से.मी.

नई!!: पोटो और स्तनधारी · और देखें »

जाति (जीवविज्ञान)

जाति (स्पीशीज़) जीववैज्ञानिक वर्गीकरण की सबसे बुनियादी और निचली श्रेणी है जाति (अंग्रेज़ी: species, स्पीशीज़) जीवों के जीववैज्ञानिक वर्गीकरण में सबसे बुनियादी और निचली श्रेणी होती है। जीववैज्ञानिक नज़रिए से ऐसे जीवों के समूह को एक जाति बुलाया जाता है जो एक दुसरे के साथ संतान उत्पन्न करने की क्षमता रखते हो और जिनकी संतान स्वयं आगे संतान जनने की क्षमता रखती हो। उदाहरण के लिए एक भेड़िया और शेर आपस में बच्चा पैदा नहीं कर सकते इसलिए वे अलग जातियों के माने जाते हैं। एक घोड़ा और गधा आपस में बच्चा पैदा कर सकते हैं (जिसे खच्चर बुलाया जाता है), लेकिन क्योंकि खच्चर आगे बच्चा जनने में असमर्थ होते हैं, इसलिए घोड़े और गधे भी अलग जातियों के माने जाते हैं। इसके विपरीत कुत्ते बहुत अलग आकारों में मिलते हैं लेकिन किसी भी नर कुत्ते और मादा कुत्ते के आपस में बच्चे हो सकते हैं जो स्वयं आगे संतान पैदा करने में सक्षम हैं। इसलिए सभी कुत्ते, चाहे वे किसी नसल के ही क्यों न हों, जीववैज्ञानिक दृष्टि से एक ही जाति के सदस्य समझे जाते हैं।, Sahotra Sarkar, Anya Plutynski, John Wiley & Sons, 2010, ISBN 978-1-4443-3785-3,...

नई!!: पोटो और जाति (जीवविज्ञान) · और देखें »

वंश (जीवविज्ञान)

एक कूबड़ वाला ड्रोमेडरी ऊँट और दो कूबड़ो वाला बैक्ट्रियाई ऊँट दो बिलकुल अलग जातियाँ (स्पीशीज़) हैं लेकिन दोनों कैमेलस​ (Camelus) वंश में आती हैं जातियाँ आती हैं वंश (लैटिन: genus, जीनस; बहुवाची: genera, जेनेरा) जीववैज्ञानिक वर्गीकरण में जीवों के वर्गीकरण की एक श्रेणी होती है। एक वंश में एक-दूसरे से समानताएँ रखने वाले कई सारे जीवों की जातियाँ आती हैं। ध्यान दें कि वंश वर्गीकरण के लिए मानकों को सख्ती से संहिताबद्ध नहीं किया गया है और इसलिए अलग अलग वर्गीकरण कर्ता वंशानुसार विभिन्न वर्गीकरण प्रस्तुत करते हैं।, David E. Fastovsky, David B. Weishampel, pp.

नई!!: पोटो और वंश (जीवविज्ञान) · और देखें »

गण (जीवविज्ञान)

कुल आते हैं गण (अंग्रेज़ी: order, ऑर्डर; लातिनी: ordo, ओर्दो) जीववैज्ञानिक वर्गीकरण में जीवों के वर्गीकरण की एक श्रेणी होती है। एक गण में एक-दुसरे से समानताएँ रखने वाले कई सारे जीवों के कुल आते हैं। ध्यान दें कि हर जीववैज्ञानिक कुल में बहुत सी भिन्न जीवों की जातियाँ-प्रजातियाँ सम्मिलित होती हैं।, David E. Fastovsky, David B. Weishampel, pp.

नई!!: पोटो और गण (जीवविज्ञान) · और देखें »

गर्दन

गर्दन सिर को धड़ से जोड़ती है गर्दन शरीर का वह हिस्सा होती है जो मानव और अन्य रीढ़-वाले जीवों में सिर को धड़ से जोड़ती है। लातिन भाषा में गर्दन से सम्बंधित चीज़ों के लिए "सर्विकल" शब्द इस्तेमाल किया जाता है। .

नई!!: पोटो और गर्दन · और देखें »

कुल (जीवविज्ञान)

वंश आते हैं कुल (अंग्रेज़ी: family, फ़ैमिली; लातिनी: familia, फ़ामिलिया) जीववैज्ञानिक वर्गीकरण में प्राणियों के वर्गीकरण की एक श्रेणी होती है। एक कुल में एक-दुसरे से समानताएँ रखने वाले कई सारे जीवों के वंश आते हैं। ध्यान दें कि हर प्राणी वंश में बहुत-सी भिन्न प्राणियों की जातियाँ सम्मिलित होती हैं।, David E. Fastovsky, David B. Weishampel, pp.

नई!!: पोटो और कुल (जीवविज्ञान) · और देखें »

अफ़्रीका

अफ़्रीका वा कालद्वीप, एशिया के बाद विश्व का सबसे बड़ा महाद्वीप है। यह 37°14' उत्तरी अक्षांश से 34°50' दक्षिणी अक्षांश एवं 17°33' पश्चिमी देशान्तर से 51°23' पूर्वी देशान्तर के मध्य स्थित है। अफ्रीका के उत्तर में भूमध्यसागर एवं यूरोप महाद्वीप, पश्चिम में अंध महासागर, दक्षिण में दक्षिण महासागर तथा पूर्व में अरब सागर एवं हिन्द महासागर हैं। पूर्व में स्वेज भूडमरूमध्य इसे एशिया से जोड़ता है तथा स्वेज नहर इसे एशिया से अलग करती है। जिब्राल्टर जलडमरूमध्य इसे उत्तर में यूरोप महाद्वीप से अलग करता है। इस महाद्वीप में विशाल मरुस्थल, अत्यन्त घने वन, विस्तृत घास के मैदान, बड़ी-बड़ी नदियाँ व झीलें तथा विचित्र जंगली जानवर हैं। मुख्य मध्याह्न रेखा (0°) अफ्रीका महाद्वीप के घाना देश की राजधानी अक्रा शहर से होकर गुजरती है। यहाँ सेरेनगेती और क्रुजर राष्‍ट्रीय उद्यान है तो जलप्रपात और वर्षावन भी हैं। एक ओर सहारा मरुस्‍थल है तो दूसरी ओर किलिमंजारो पर्वत भी है और सुषुप्‍त ज्वालामुखी भी है। युगांडा, तंजानिया और केन्या की सीमा पर स्थित विक्टोरिया झील अफ्रीका की सबसे बड़ी तथा सम्पूर्ण पृथ्वी पर मीठे पानी की दूसरी सबसे बड़ी झीलहै। यह झील दुनिया की सबसे लम्बी नदी नील के पानी का स्रोत भी है। कुछ इतिहासकारों का मानना है कि इसी महाद्वीप में सबसे पहले मानव का जन्म व विकास हुआ और यहीं से जाकर वे दूसरे महाद्वीपों में बसे, इसलिए इसे मानव सभ्‍यता की जन्‍मभूमि माना जाता है। यहाँ विश्व की दो प्राचीन सभ्यताओं (मिस्र एवं कार्थेज) का भी विकास हुआ था। अफ्रीका के बहुत से देश द्वितीय विश्व युद्ध के बाद स्वतंत्र हुए हैं एवं सभी अपने आर्थिक विकास में लगे हुए हैं। अफ़्रीका अपनी बहुरंगी संस्कृति और जमीन से जुड़े साहित्य के कारण भी विश्व में जाना जाता है। .

नई!!: पोटो और अफ़्रीका · और देखें »

उंगली

हाथों तथा पैरों के अग्रभागों को अंगुलियाँ कहा जाता है। मनुष्य के प्रत्येक हाथ तथा पैर में पाँच-पाँच अंगुलियाँ होती हैं। इस प्रकार से मनुष्य की कुल बीस अंगुलियाँ होती हैं। .

नई!!: पोटो और उंगली · और देखें »

निवर्तमानआने वाली
अरे! अब हम फेसबुक पर हैं! »