सामग्री की तालिका
206 संबंधों: चट्टग्राम विभाग, चण्डीगढ़, चम्बल नदी, चित्तरंजन दास, चौरी चौरा कांड, एके47, झाँसी, तेलुगू भाषा, तीन मूर्ति भवन, थाना, द इंडियन एक्सप्रेस, दयानंद एंग्लो वैदिक कॉलेज, दावानल, दिल्ली, दिल्ली विश्वविद्यालय, द्वितीय विश्वयुद्ध, दैनिक जागरण, देवरिया, धोबी, निर्जला एकादशी, नई दिल्ली, नेपाल, पटना, पारा, पाकिस्तान, पंजाब क्षेत्र, पंजाबी, पुणे, पुलिस, पुस्तक, प्रतिभा प्रतिष्ठान, प्रतिमा, प्रभात प्रकाशन, प्रवीण प्रकाशन, प्रकाशक, प्रेमकृष्ण खन्ना, पूर्ण स्वराज, फाँसी, बटुकेश्वर दत्त, बबूल, बरबाई, बाल गंगाधर तिलक, बाह, बाङ्ला भाषा, बिचपुरी, बिस्मिल, बंगाल, बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय, ब्रह्मचर्य, ब्रिटिश राज, ... सूचकांक विस्तार (156 अधिक) »
- गोरखपुर के लोग
- ब्रिटिश भारत द्वारा फाँसी पर लटकाए गए लोग
चट्टग्राम विभाग
चटगाँव या चट्टग्राम विभाग, (बांग्ला: में চট্টগ্রাম, चॉट्टोग्राम) बांग्लादेश का एक उपक्षेत्र है। इसका मुख्यालय चटगाँव है। इस उप विभाग में ११ जिले हैं। बंदरबन, ब्राह्मनबरिआ, चाँदपुर, चटगाँव, कोमिला, कौक्सबाजार, फेनी, खग्रचारी, लक्ष्मीपुर, नोकाहाली, रंगमती श्रेणी:बांग्लादेश के विभाग श्रेणी:चट्टग्राम विभाग.
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और चट्टग्राम विभाग
चण्डीगढ़
चण्डीगढ़, (पंजाबी: ਚੰਡੀਗੜ੍ਹ), भारत का एक केन्द्र शासित प्रदेश है, जो दो भारतीय राज्यों, पंजाब और हरियाणा की राजधानी भी है। इसके नाम का अर्थ है चण्डी का किला। यह हिन्दू देवी दुर्गा के एक रूप चण्डिका या चण्डी के एक मंदिर के कारण पड़ा है। यह मंदिर आज भी शहर में स्थित है। इसे सिटी ब्यूटीफुल भी कहा जाता है। चंडीगढ़ राजधानी क्षेत्र में मोहाली, पंचकुला और ज़ीरकपुर आते हैं, जिनकी २००१ की जनगणना के अनुसार जनसंख्या ११६५१११ (१ करोड़ १६ लाख) है। भारत की लोकसभा में प्रतिनिधित्व हेतु चण्डीगढ़ के लिए एक सीट आवण्टित है। वर्तमान सोलहवीं लोकसभा में भारतीय जनता पार्टी की श्रीमति किरण खेर यहाँ से साँसद हैं। इस शहर का नामकरण दुर्गा के एक रूप ‘चंडिका’ के कारण हुआ है और चंडी का मंदिर आज भी इस शहर की धार्मिक पहचान है। नवोदय टाइम्स इस शहर के निर्माण में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की भी निजी रुचि रही है, जिन्होंने नए राष्ट्र के आधुनिक प्रगतिशील दृष्टिकोण के रूप में चंडीगढ़ को देखते हुए इसे राष्ट्र के भविष्य में विश्वास का प्रतीक बताया था। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर शहरी योजनाबद्धता और वास्तु-स्थापत्य के लिए प्रसिद्ध यह शहर आधुनिक भारत का प्रथम योजनाबद्ध शहर है।, चंडीगढ़ के मुख्य वास्तुकार फ्रांसीसी वास्तुकार ली कार्बूजियर हैं, लेकिन शहर में पियरे जिएन्नरेट, मैथ्यु नोविकी एवं अल्बर्ट मेयर के बहुत से अद्भुत वास्तु नमूने देखे जा सकते हैं। शहर का भारत के समृद्ध राज्यों और संघ शसित प्रदेशों की सूची में अग्रणी नाम आता है, जिसकी प्रति व्यक्ति आय ९९,२६२ रु (वर्तमान मूल्य अनुसार) एवं स्थिर मूल्य अनुसार ७०,३६१ (२००६-०७) रु है। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और चण्डीगढ़
चम्बल नदी
चंबल नदी मध्य भारत में यमुना नदी की सहायक नदी है। यह नदी "जानापाव पर्वत " महू से निकलती है। इसका प्राचीन नाम "चरमवाती " है। इसकी सहायक नदिया शिप्रा, सिंध, कलिसिन्ध, ओर कुननों नदी है। यह नदी भारत में उत्तर तथा उत्तर-मध्य भाग में राजस्थान तथा मध्य प्रदेश के धार,उज्जैन,रतलाम, मन्दसौर भीँड मुरैनाआदि जिलो से होकर बहती है। यह नदी दक्षिण मोड़ को उत्तर प्रदेश राज्य में यमुना में शामिल होने के पहले राजस्थान और मध्य प्रदेश के बीच सीमा बनाती है। इस नदी पर चार जल विधुत परियोजना चल रही है। 01 गांधी सागर 02 राणा सागर 03 जवाहर सागर 04 कोटा वेराज (कोटा)। प्रसिद्ध चूलीय जल प्रपातचंबल नदी (कोटा) मे है। यह एक बारहमासी नदी है। इसका उद्गम स्थल जानापाव की पहाडी(मध्य प्रदेश) है। यह दक्षिण में महू शहर के, इंदौर के पास, विंध्य रेंज में मध्य प्रदेश में दक्षिण ढलान से होकर गुजरती है। चंबल और उसकी सहायक नदियां उत्तर पश्चिमी मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र के नाले, जबकि इसकी सहायक नदी, बनास, जो अरावली पर्वतों से शुरू होती है इसमें मिल जाती है। चंबल, कावेरी, यमुना, सिन्धु, पहुज भरेह के पास पचनदा में, उत्तर प्रदेश राज्य में भिंड और इटावा जिले की सीमा पर शामिल पांच नदियों के संगम समाप्त होता है। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और चम्बल नदी
चित्तरंजन दास
देशबंधु चित्तरंजन दास देशबंधु चित्तरंजनदास (1870-1925 ई.) सुप्रसिद्ध भारतीय नेता, राजनीतिज्ञ, वकील, कवि तथा पत्रकार थे। उनके पिता का नाम श्री भुवनमोहन दास था, जो सॉलीसिटर थे और बँगला में कविता भी करते थे। सन् 1890 ई.
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और चित्तरंजन दास
चौरी चौरा कांड
चौरी-चौरा का शहीद स्मारक चौरी चौरा, उत्तर प्रदेश में गोरखपुर के पास का एक कस्बा है जहाँ 5 फ़रवरी 1922 को भारतीयों ने ब्रिटिश सरकार की एक पुलिस चौकी को आग लगा दी थी जिससे उसमें छुपे हुए 22 पुलिस कर्मचारी जिन्दा जल के मर गए थे। इस घटना को चौरीचौरा काण्ड के नाम से जाना जाता है। इसके परिणामस्वरूप गांधीजी ने कहा था कि हिंसा होने के कारण असहयोग आन्दोलन उपयुक्त नहीं रह गया है और उसे वापस ले लिया था। चौरी-चौरा कांड के अभियुक्तों का मुक़दमा पंडित मदन मोहन मालवीय ने लड़ा और उन्हें बचा ले जाना उनकी एक बड़ी सफलता थी। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और चौरी चौरा कांड
एके47
एके ४७ दुनिया की सबसे पहली और शायद सबसे अच्छी अस्सौल्ट राइफल मानी जाती है। इसका विकास सोवियत संघ के मिखाइल कलाशनिकोव ने किया था, इसी कारण इसे कभी कभी कलाशनिकोव राइफल भी कहा जाता है। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और एके47
झाँसी
झाँसी भारत के उत्तर प्रदेश प्रान्त में स्थित एक प्रमुख शहर है। यह शहर उत्तर प्रदेश एवं मध्य प्रदेश की सीमा पर स्थित है और बुंदेलखंड क्षेत्र के अन्तर्गत आता है। झाँसी एक प्रमुख रेल एवं सड़क केन्द्र है और झाँसी जिले का प्रशासनिक केन्द्र भी है। झाँसी शहर पत्थर निर्मित किले के चारों तरफ़ फ़ैला हुआ है, यह किला शहर के मध्य स्थित बँगरा नामक पहाड़ी पर निर्मित है। उत्तर प्रदेश में 20.7 वर्ग कि मी.
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और झाँसी
तेलुगू भाषा
तेलुगु भाषा (तेलुगू:తెలుగు భాష) भारत के आंध्र प्रदेश और तेलंगाना राज्यों की मुख्यभाषा और राजभाषा है। ये द्रविड़ भाषा-परिवार के अन्तर्गत आती है। यह भाषा आंध्र प्रदेश तथा तेलंगाना के अलावा तमिलनाडु, कर्णाटक, ओडिशा और छत्तीसगढ़ राज्यों में भी बोली जाती है। तेलुगु के तीन नाम प्रचलित हैं -- "तेलुगु", "तेनुगु" और "आंध्र"। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और तेलुगू भाषा
तीन मूर्ति भवन
तीन मूर्ति भवन में भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पं.
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और तीन मूर्ति भवन
थाना
थाना (अंग्रेजी:Prison) एक ऐसी जगह होती है जहाँ पर चोर, डकैत, आतंक करने वालों को रखा जाता है। समाज में शांति स्थापित रहे इसके लिए हर देश का एक कानून होता है। कानून का उलंघन करने वालो को कानून का रखवाला यानि प्रहरी अथवा पुलिस पकड़ती है और जब तक उस पर न्यायालय से कोई सुनवाई नही हो जाता तब तक पुलिस उस आतंकी या दोषी को अपने गिरफ्त में रखती है। जेल, कारागार, कारावास आदी सभी एक ही शब्द थाना के पर्यायवाची हैं। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और थाना
द इंडियन एक्सप्रेस
द इंडियन एक्सप्रेस की एक प्रति दि इंडियन एक्सप्रेस (The Indian Express) भारत में प्रकाशित होने वाला एक अंग्रेजी भाषा का समाचार पत्र है। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और द इंडियन एक्सप्रेस
दयानंद एंग्लो वैदिक कॉलेज
डीएवी, "दयानंद एंग्लो वैदिक" का संक्षिप्त रूप है। डीएवी निजी क्षेत्र में भारत का सबसे बड़ी शिक्षण संस्थान है। डीएवी हिंदू आध्यात्मिक नेता स्वामी दयानंद सरस्वती के विचारों पर आधारित है। डीएवी स्कूली शिक्षा से लेकर विश्वविद्यालय स्तर तक की शिक्षा देता है। शायद यह संसार में कुछ ही शिक्षण संस्थानों में है जहां संचालकों में किसी तरह के अहं का टकराव नहीं है। पिछले अक्टूबर मं उन्होंने जालंधर में डीएवी विश्वविद्यालय की स्थापना की। अपने 125 वर्ष के इतिहास में इसके 715 संस्थान हैं जो कि प्रबंध समिति के अध्यक्ष जीपी चोपड़ा के नेतृत्व में कार्य कर रहे हैं। निःसंदेह ईसाइयों ने किसी भी दूसरे समुदाय से ज्यादा स्कूल और कालेज स्थपित किए हैं लेकिन उनमें से ज्यादा विदेशी मिशनरियों की कोशिशों के कारण है। भारतीय ईसाइयों ने इस दिशा में बहुत कम काम किया हैं। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और दयानंद एंग्लो वैदिक कॉलेज
दावानल
कैलीफोर्निया में ५ सितम्बर २००८ का दावानल। दावानल या वन की आग उस दुर्घटना को कहते हैं जब किसी वन के एक भाग में या पूरे वन में ही आग लग जाती है और उस वन के सभी पेड़-पौधे, जीव-जन्तु इत्यादि जलने लगते हैं। दावानल के लिए स्थिति तब उत्पन्न होती है जब वनस्पतियां और मिट्टी सूख जाते हैं और आद्रता भी बहुत कम होती है। आग प्राकृतिक कारणों जैसे आकाशीय बिजली गिरने से या प्राकृतिक रूप से वन में उत्पन्न घर्षण से लग सकती है या यह मानव निर्मित भी हो सकती जैसे कोई लापरवाही से सूखे वन में सुलगती हुई सिगरेट या माचिस की तीली फैंक दे। एक बार चिंगारी भड़कने के बाद आग हवा के प्रभाव में तेज़ी से फैलती है, विशेषकर तब जबकी आग सूखे झाडफूस को पकड़ लेती है। दावानल अन्य अग्नियों से भिन्न होता है, जिसके कारण हैं इसका विशाल आकार, इसके उद्गम स्थान से आगे फैलने की गति एवं इसकी दिशा बदलने व रिक्त स्थानों जैसे सड़कों, नदियों आदि से आगे बढ़ जाने की क्षमता। दावानल से निबटने हेतु अग्निशमन में एक विशेष पाठ्यक्रम होता है और जो अग्निशमन कर्मी इसमें दक्ष होतें है उन्हें वाहनों, वायुयानों, हेलीकॉप्टरों इत्यादि में अग्निशमन के लिए रखा जाता है। दावानल की समस्या मुख्यतः ग्रीष्म ऋतु में होती है और विश्व के बहुत से भागों में यह समस्या बहुत आम है जैसे यूरोप में २००७ का यूनानी दावानल, ऑस्ट्रेलिया का २००९ का दावानल, अमेरिका के कैलीफोर्निया का दावानल और भारत में भी उत्तरी राज्यों में यह समस्या हैं। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और दावानल
दिल्ली
दिल्ली (IPA), आधिकारिक तौर पर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली (अंग्रेज़ी: National Capital Territory of Delhi) भारत का एक केंद्र-शासित प्रदेश और महानगर है। इसमें नई दिल्ली सम्मिलित है जो भारत की राजधानी है। दिल्ली राजधानी होने के नाते केंद्र सरकार की तीनों इकाइयों - कार्यपालिका, संसद और न्यायपालिका के मुख्यालय नई दिल्ली और दिल्ली में स्थापित हैं १४८३ वर्ग किलोमीटर में फैला दिल्ली जनसंख्या के तौर पर भारत का दूसरा सबसे बड़ा महानगर है। यहाँ की जनसंख्या लगभग १ करोड़ ७० लाख है। यहाँ बोली जाने वाली मुख्य भाषाएँ हैं: हिन्दी, पंजाबी, उर्दू और अंग्रेज़ी। भारत में दिल्ली का ऐतिहासिक महत्त्व है। इसके दक्षिण पश्चिम में अरावली पहाड़ियां और पूर्व में यमुना नदी है, जिसके किनारे यह बसा है। यह प्राचीन समय में गंगा के मैदान से होकर जाने वाले वाणिज्य पथों के रास्ते में पड़ने वाला मुख्य पड़ाव था। यमुना नदी के किनारे स्थित इस नगर का गौरवशाली पौराणिक इतिहास है। यह भारत का अति प्राचीन नगर है। इसके इतिहास का प्रारम्भ सिन्धु घाटी सभ्यता से जुड़ा हुआ है। हरियाणा के आसपास के क्षेत्रों में हुई खुदाई से इस बात के प्रमाण मिले हैं। महाभारत काल में इसका नाम इन्द्रप्रस्थ था। दिल्ली सल्तनत के उत्थान के साथ ही दिल्ली एक प्रमुख राजनैतिक, सांस्कृतिक एवं वाणिज्यिक शहर के रूप में उभरी। यहाँ कई प्राचीन एवं मध्यकालीन इमारतों तथा उनके अवशेषों को देखा जा सकता हैं। १६३९ में मुगल बादशाह शाहजहाँ ने दिल्ली में ही एक चारदीवारी से घिरे शहर का निर्माण करवाया जो १६७९ से १८५७ तक मुगल साम्राज्य की राजधानी रही। १८वीं एवं १९वीं शताब्दी में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने लगभग पूरे भारत को अपने कब्जे में ले लिया। इन लोगों ने कोलकाता को अपनी राजधानी बनाया। १९११ में अंग्रेजी सरकार ने फैसला किया कि राजधानी को वापस दिल्ली लाया जाए। इसके लिए पुरानी दिल्ली के दक्षिण में एक नए नगर नई दिल्ली का निर्माण प्रारम्भ हुआ। अंग्रेजों से १९४७ में स्वतंत्रता प्राप्त कर नई दिल्ली को भारत की राजधानी घोषित किया गया। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् दिल्ली में विभिन्न क्षेत्रों से लोगों का प्रवासन हुआ, इससे दिल्ली के स्वरूप में आमूल परिवर्तन हुआ। विभिन्न प्रान्तो, धर्मों एवं जातियों के लोगों के दिल्ली में बसने के कारण दिल्ली का शहरीकरण तो हुआ ही साथ ही यहाँ एक मिश्रित संस्कृति ने भी जन्म लिया। आज दिल्ली भारत का एक प्रमुख राजनैतिक, सांस्कृतिक एवं वाणिज्यिक केन्द्र है। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और दिल्ली
दिल्ली विश्वविद्यालय
दिल्ली विश्वविद्यालय (अंग्रेजी:University of Delhi), भारत सरकार द्वारा वित्तपोषित एक केन्द्रीय विश्वविद्यालय है। भारत की राजधानी दिल्ली स्थित यह विश्वविद्यालय 1922 में स्थापित हुआ था। यह स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर पर पाठ्यक्रम उपलब्ध कराता है। भारत के उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू विश्वविद्यालय के वर्तमान कुलाधिपति हैं। THES-QS की विश्व के विश्वविद्यालयों की रैंकिंग के अनुसार यह भारत का शीर्ष गैर-आईआईटी विश्वविद्यालय है। दिल्ली विश्वविद्यालय के दो परिसर हैं जो दिल्ली के उत्तरी और दक्षिणी भाग में स्थित हैं। इन्हें क्रमश: उत्तरी परिसर और दक्षिणी परिसर कहा जाता है। दिल्ली विश्वविद्यालय का उत्तरी परिसर में दिल्ली मेट्रो की पीली लाइन के साथ सुनियोजित ढंग से जुड़ा हुआ है और मेट्रो स्टेशन का नाम 'विश्वविद्यालय' है। उत्तरी परिसर दिल्ली विधान सभा से 2.5 किमी और अंतरराज्यीय बस अड्डे से 7.0 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।तो वहीं इसका दक्षिणी परिसर गुलाबी (पिंक)लाइन से जुड़ा है और मेट्रो स्टेशन का नाम 'दुर्गाबाई देशमुख साउथ केम्पस 'है| .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और दिल्ली विश्वविद्यालय
द्वितीय विश्वयुद्ध
द्वितीय विश्वयुद्ध १९३९ से १९४५ तक चलने वाला विश्व-स्तरीय युद्ध था। लगभग ७० देशों की थल-जल-वायु सेनाएँ इस युद्ध में सम्मलित थीं। इस युद्ध में विश्व दो भागों मे बँटा हुआ था - मित्र राष्ट्र और धुरी राष्ट्र। इस युद्ध के दौरान पूर्ण युद्ध का मनोभाव प्रचलन में आया क्योंकि इस युद्ध में लिप्त सारी महाशक्तियों ने अपनी आर्थिक, औद्योगिक तथा वैज्ञानिक क्षमता इस युद्ध में झोंक दी थी। इस युद्ध में विभिन्न राष्ट्रों के लगभग १० करोड़ सैनिकों ने हिस्सा लिया, तथा यह मानव इतिहास का सबसे ज़्यादा घातक युद्ध साबित हुआ। इस महायुद्ध में ५ से ७ करोड़ व्यक्तियों की जानें गईं क्योंकि इसके महत्वपूर्ण घटनाक्रम में असैनिक नागरिकों का नरसंहार- जिसमें होलोकॉस्ट भी शामिल है- तथा परमाणु हथियारों का एकमात्र इस्तेमाल शामिल है (जिसकी वजह से युद्ध के अंत मे मित्र राष्ट्रों की जीत हुई)। इसी कारण यह मानव इतिहास का सबसे भयंकर युद्ध था। हालांकि जापान चीन से सन् १९३७ ई.
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और द्वितीय विश्वयुद्ध
दैनिक जागरण
दैनिक जागरण उत्तर भारत का सर्वाधिक लोकप्रिय समाचारपत्र है। पिछले कई वर्षोँ से यह भारत में सर्वाधिक प्रसार संख्या वाला समाचार-पत्र बन गया है। यह समाचारपत्र विश्व का सर्वाधिक पढ़ा जाने वाला दैनिक है। इस बात की पुष्टि विश्व समाचारपत्र संघ (वैन) द्वारा की गई है। वर्ष 2008 में बीबीसी और रॉयटर्स की नामावली के अनुसार यह प्रतिवेदित किया गया कि यह भारत में समाचारों का सबसे विश्वसनीय स्रोत दैनिक जागरण है। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और दैनिक जागरण
देवरिया
देवरिया (Deoria) भारत के उत्तर प्रदेश प्रान्त का एक शहर और इसी नाम के जिले का मुख्यालय है। देवरिया गोरखपुर से क़रीब 50 किमी दक्षिण-पूर्व में स्थित है। देवरिया के पास ही कुशीनगर स्थित है जो महात्मा बुद्ध के निर्वाणस्थल के रूप में एक प्रसिद्ध बौद्ध तीर्थस्थल है। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और देवरिया
धोबी
कपड़े इस्त्री करते हुये धोबी व्यक्ति धोबी भारत में पाये जाने वाले जाति समूह हैं जिनका मुख्य कार्य कपड़े धोने, रंगने, इस्त्री करने से संबंधित माना जाता है। इन्हें भारत के अलग-अलग राज्यों में नाम से जाने जाते हैं - मादीवाला, अगसार, पारित, राजका, चकली, राजाकुला, वेलुत्दार, एकली, सेठी, कनौजिया, पणिक्कर आदि अन्य कई नामों से जाना जाता है। मुसलमान हो गए धोबी को बरेठा नाम से जाना जाता है। हालाँकि इनका मुख्य व्यवसाय कपड़े धोना है लेकिन कई धोबी खेती किया करते हैं। धोबी की व्युत्पत्ति धावन या धोने से मानी जाती है। हिन्दू धोबी अछूत माने जाते थे और अनुसूचित जाति में उन्हें सम्मिलित किया गया है। जबकि मुस्लिम धोबी भंगी से ऊँचे के स्तर के स्तर के और नाई के बराबर स्वच्छ जाति माने जाते थे। २०११ की भारतीय जनगणना आँकड़ों के अनुसार धोबी जाति की कुल जनसंख्या ८,२२,००,००० होने का अनुमान है। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और धोबी
निर्जला एकादशी
हिंदू धर्म में एकादशी का व्रत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। प्रत्येक वर्ष चौबीस एकादशियाँ होती हैं। जब अधिकमास या मलमास आता है तब इनकी संख्या बढ़कर २६ हो जाती है। ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी कहते है इस व्रत मे पानी का पीना वर्जित है इसिलिये इस निर्जला एकादशी कहते है।। दिनमान.कॉम .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और निर्जला एकादशी
नई दिल्ली
नई दिल्ली भारत की राजधानी है। यह भारत सरकार और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार के केंद्र के रूप में कार्य करता है। नई दिल्ली दिल्ली महानगर के भीतर स्थित है, और यह दिल्ली संघ राज्य क्षेत्र के ग्यारह ज़िलों में से एक है। भारत पर अंग्रेज शासनकाल के दौरान सन् 1911 तक भारत की राजधानी कलकत्ता (अब कोलकाता) था। अंग्रेज शासकों ने यह महसूस किया कि देश का शासन बेहतर तरीके से चलाने के लिए कलकत्ता की जगह यदि दिल्ली को राजधानी बनाया जाए तो बेहतर होगा क्योंकि यह देश के उत्तर में है और यहां से शासन का संचालन अधिक प्रभावी होगा। इस पर विचार करने के बाद अंग्रेज महाराजा जॉर्ज पंचम ने देश की राजधानी को दिल्ली ले जाने के आदेश दे दिए। वर्ष 2011 में दिल्ली महानगर की जनसंख्या 22 लाख थी। दिल्ली की जनसंख्या उसे दुनिया में पाँचवीं सबसे अधिक आबादी वाला, और भारत का सबसे बड़ा महानगर बनाती है। क्षेत्रफल के अनुसार भी, दिल्ली दुनिया के बड़े महानगरों में से एक है। मुम्बई के बाद, वह देश का दूसरा सबसे अमीर शहर है, और दिल्ली का सकल घरेलू उत्पाद दक्षिण, पश्चिम और मध्य एशिया के शहरों में दूसरे नम्बर पर आता है। नई दिल्ली अपनी चौड़ी सड़कों, वृक्ष-अच्छादित मार्गों और देश के कई शीर्ष संस्थानो और स्थलचिह्नों के लिए जानी जाती है। 1911 के दिल्ली दरबार के दौरान, 15 दिसम्बर को शहर की नींव भारत के सम्राट, जॉर्ज पंचम ने रखी, और प्रमुख ब्रिटिश वास्तुकार सर एड्विन लुट्यन्स और सर हर्बर्ट बेकर ने इसकी रूपरेखा तैयार की। ब्रिटिश भारत के गवर्नर जनरल लॉर्ड इर्विन द्वारा 13 फ़रवरी 1931 को नई दिल्ली का उद्घाटन हुआ। बोलचाल की भाषा में हालाँकि दिल्ली और नयी दिल्ली यह दोनों नाम राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के अधिकार क्षेत्र को संदर्भित करने के लिए के प्रयोग किये जाते हैं, मगर यह दो अलग-अलग संस्था हैं और नयी दिल्ली, दिल्ली महानगर का छोटा सा हिस्सा है। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और नई दिल्ली
नेपाल
नेपाल, (आधिकारिक रूप में, संघीय लोकतान्त्रिक गणराज्य नेपाल) भारतीय उपमहाद्वीप में स्थित एक दक्षिण एशियाई स्थलरुद्ध हिमालयी राष्ट्र है। नेपाल के उत्तर मे चीन का स्वायत्तशासी प्रदेश तिब्बत है और दक्षिण, पूर्व व पश्चिम में भारत अवस्थित है। नेपाल के ८१ प्रतिशत नागरिक हिन्दू धर्मावलम्बी हैं। नेपाल विश्व का प्रतिशत आधार पर सबसे बड़ा हिन्दू धर्मावलम्बी राष्ट्र है। नेपाल की राजभाषा नेपाली है और नेपाल के लोगों को भी नेपाली कहा जाता है। एक छोटे से क्षेत्र के लिए नेपाल की भौगोलिक विविधता बहुत उल्लेखनीय है। यहाँ तराई के उष्ण फाँट से लेकर ठण्डे हिमालय की श्रृंखलाएं अवस्थित हैं। संसार का सबसे ऊँची १४ हिम श्रृंखलाओं में से आठ नेपाल में हैं जिसमें संसार का सर्वोच्च शिखर सागरमाथा एवरेस्ट (नेपाल और चीन की सीमा पर) भी एक है। नेपाल की राजधानी और सबसे बड़ा नगर काठमांडू है। काठमांडू उपत्यका के अन्दर ललीतपुर (पाटन), भक्तपुर, मध्यपुर और किर्तीपुर नाम के नगर भी हैं अन्य प्रमुख नगरों में पोखरा, विराटनगर, धरान, भरतपुर, वीरगंज, महेन्द्रनगर, बुटवल, हेटौडा, भैरहवा, जनकपुर, नेपालगंज, वीरेन्द्रनगर, त्रिभुवननगर आदि है। वर्तमान नेपाली भूभाग अठारहवीं सदी में गोरखा के शाह वंशीय राजा पृथ्वी नारायण शाह द्वारा संगठित नेपाल राज्य का एक अंश है। अंग्रेज़ों के साथ हुई संधियों में नेपाल को उस समय (१८१४ में) एक तिहाई नेपाली क्षेत्र ब्रिटिश इंडिया को देने पड़े, जो आज भारतीय राज्य हिमाचल प्रदेश, उत्तराखण्ड तथा पश्चिम बंगाल में विलय हो गये हैं। बींसवीं सदी में प्रारंभ हुए जनतांत्रिक आन्दोलनों में कई बार विराम आया जब राजशाही ने जनता और उनके प्रतिनिधियों को अधिकाधिक अधिकार दिए। अंततः २००८ में जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधि माओवादी नेता प्रचण्ड के प्रधानमंत्री बनने से यह आन्दोलन समाप्त हुआ। लेकिन सेना अध्यक्ष के निष्कासन को लेकर राष्ट्रपति से हुए मतभेद और टीवी पर सेना में माओवादियों की नियुक्ति को लेकर वीडियो फुटेज के प्रसारण के बाद सरकार से सहयोगी दलों द्वारा समर्थन वापस लेने के बाद प्रचण्ड को इस्तीफा देना पड़ा। गौरतलब है कि माओवादियों के सत्ता में आने से पहले सन् २००६ में राजा के अधिकारों को अत्यंत सीमित कर दिया गया था। दक्षिण एशिया में नेपाल की सेना पांचवीं सबसे बड़ी सेना है और विशेषकर विश्व युद्धों के दौरान, अपने गोरखा इतिहास के लिए उल्लेखनीय रहे हैं और संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों के लिए महत्वपूर्ण योगदानकर्ता रही है। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और नेपाल
पटना
पटना (पटनम्) या पाटलिपुत्र भारत के बिहार राज्य की राजधानी एवं सबसे बड़ा नगर है। पटना का प्राचीन नाम पाटलिपुत्र था। आधुनिक पटना दुनिया के गिने-चुने उन विशेष प्राचीन नगरों में से एक है जो अति प्राचीन काल से आज तक आबाद है। अपने आप में इस शहर का ऐतिहासिक महत्व है। ईसा पूर्व मेगास्थनीज(350 ईपू-290 ईपू) ने अपने भारत भ्रमण के पश्चात लिखी अपनी पुस्तक इंडिका में इस नगर का उल्लेख किया है। पलिबोथ्रा (पाटलिपुत्र) जो गंगा और अरेन्नोवास (सोनभद्र-हिरण्यवाह) के संगम पर बसा था। उस पुस्तक के आकलनों के हिसाब से प्राचीन पटना (पलिबोथा) 9 मील (14.5 कि॰मी॰) लम्बा तथा 1.75 मील (2.8 कि॰मी॰) चौड़ा था। पटना बिहार राज्य की राजधानी है और गंगा नदी के दक्षिणी किनारे पर अवस्थित है। जहां पर गंगा घाघरा, सोन और गंडक जैसी सहायक नदियों से मिलती है। सोलह लाख (2011 की जनगणना के अनुसार 1,683,200) से भी अधिक आबादी वाला यह शहर, लगभग 15 कि॰मी॰ लम्बा और 7 कि॰मी॰ चौड़ा है। प्राचीन बौद्ध और जैन तीर्थस्थल वैशाली, राजगीर या राजगृह, नालन्दा, बोधगया और पावापुरी पटना शहर के आस पास ही अवस्थित हैं। पटना सिक्खों के लिये एक अत्यंत ही पवित्र स्थल है। सिक्खों के १०वें तथा अंतिम गुरु गुरू गोबिंद सिंह का जन्म पटना में हीं हुआ था। प्रति वर्ष देश-विदेश से लाखों सिक्ख श्रद्धालु पटना में हरमंदिर साहब के दर्शन करने आते हैं तथा मत्था टेकते हैं। पटना एवं इसके आसपास के प्राचीन भग्नावशेष/खंडहर नगर के ऐतिहासिक गौरव के मौन गवाह हैं तथा नगर की प्राचीन गरिमा को आज भी प्रदर्शित करते हैं। एतिहासिक और प्रशासनिक महत्व के अतिरिक्त, पटना शिक्षा और चिकित्सा का भी एक प्रमुख केंद्र है। दीवालों से घिरा नगर का पुराना क्षेत्र, जिसे पटना सिटी के नाम से जाना जाता है, एक प्रमुख वाणिज्यिक केन्द्र है। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और पटना
पारा
साधारण ताप पर पारा द्रव रूप में होता है। पारे का अयस्क पारा या पारद (संकेत: Hg) आवर्त सारिणी के डी-ब्लॉक का अंतिम तत्व है। इसका परमाणु क्रमांक ८० है। इसके सात स्थिर समस्थानिक ज्ञात हैं, जिनकी द्रव्यमान संख्याएँ १९६, १९८, १९९, २००, २०१, २०२ और २०४ हैं। इनके अतिरिक्त तीन अस्थिर समस्थानिक, जिनकी द्रव्यमान संख्याएँ १९५, १९७ तथा २०५ हैं, कृत्रिम साधनों से निर्मित किए गए हैं। रासायनिक जगत् में केवल यही धातु साधारण ताप और दाब पर द्रव रूप होती है। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और पारा
पाकिस्तान
इस्लामी जम्हूरिया पाकिस्तान या पाकिस्तान इस्लामी गणतंत्र या सिर्फ़ पाकिस्तान भारत के पश्चिम में स्थित एक इस्लामी गणराज्य है। 20 करोड़ की आबादी के साथ ये दुनिया का छठा बड़ी आबादी वाला देश है। यहाँ की प्रमुख भाषाएँ उर्दू, पंजाबी, सिंधी, बलूची और पश्तो हैं। पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद और अन्य महत्वपूर्ण नगर कराची व लाहौर रावलपिंडी हैं। पाकिस्तान के चार सूबे हैं: पंजाब, सिंध, बलोचिस्तान और ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा। क़बाइली इलाक़े और इस्लामाबाद भी पाकिस्तान में शामिल हैं। इन के अलावा पाक अधिकृत कश्मीर (तथाकथित आज़ाद कश्मीर) और गिलगित-बल्तिस्तान भी पाकिस्तान द्वारा नियंत्रित हैं हालाँकि भारत इन्हें अपना भाग मानता है। पाकिस्तान का जन्म सन् 1947 में भारत के विभाजन के फलस्वरूप हुआ था। सर्वप्रथम सन् 1930 में कवि (शायर) मुहम्मद इक़बाल ने द्विराष्ट्र सिद्धान्त का ज़िक्र किया था। उन्होंने भारत के उत्तर-पश्चिम में सिंध, बलूचिस्तान, पंजाब तथा अफ़गान (सूबा-ए-सरहद) को मिलाकर एक नया राष्ट्र बनाने की बात की थी। सन् 1933 में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के छात्र चौधरी रहमत अली ने पंजाब, सिन्ध, कश्मीर तथा बलोचिस्तान के लोगों के लिए पाक्स्तान (जो बाद में पाकिस्तान बना) शब्द का सृजन किया। सन् 1947 से 1970 तक पाकिस्तान दो भागों में बंटा रहा - पूर्वी पाकिस्तान और पश्चिमी पाकिस्तान। दिसम्बर, सन् 1971 में भारत के साथ हुई लड़ाई के फलस्वरूप पूर्वी पाकिस्तान बांग्लादेश बना और पश्चिमी पाकिस्तान पाकिस्तान रह गया। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और पाकिस्तान
पंजाब क्षेत्र
पंजाब दक्षिण एशिया का क्षेत्र है जिसका फ़ारसी में मतलब पांच नदियों का क्षेत्र है। पंजाब ने भारतीय इतिहास को कई मोड़ दिये हैं। अतीत में शकों, हूणों, पठानों व मुगलों ने इसी पंजाब के रास्ते भारत में प्रवेश किया था। आर्यो का आगमन भी हिन्दुकुश पार कर इसी पंजाब के रास्ते ही हुआ था। पंजाब की सिन्धु नदी की घाटी में आर्यो की सभ्यता का विकास हुआ। उस समय इस भूख़ड का नाम सप्त सिन्धु अर्थात सात सागरों का देश था। समय के साथ सरस्वती जलस्रोत सूख् गया। अब रह गयीं पाँच नदियाँ-झेलम, चेनाब, राबी, व्यास और सतलज इन्हीं पाँच नदियों का प्रांत पंजाब हुआ। पंजाब का नामाकरण फारसी के दो शब्दों से हुआ है। पंज का अर्थ है पाँच और आब का अर्थ होता है जल। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और पंजाब क्षेत्र
पंजाबी
पंजाबी का इनमें से मतलब हो सकता: संस्कृति में.
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और पंजाबी
पुणे
पुणे भारत के महाराष्ट्र राज्य का एक महत्त्वपूर्ण शहर है। यह शहर महाराष्ट्र के पश्चिम भाग, मुला व मूठा इन दो नदियों के किनारे बसा है और पुणे जिला का प्रशासकीय मुख्यालय है। पुणे भारत का छठवां सबसे बड़ा शहर व महाराष्ट्र का दूसरा सबसे बड़ा शहर है। सार्वजनिक सुखसुविधा व विकास के हिसाब से पुणे महाराष्ट्र मे मुंबई के बाद अग्रसर है। अनेक नामांकित शिक्षणसंस्थायें होने के कारण इस शहर को 'पूरब का ऑक्सफोर्ड' भी कहा जाता है। पुणे में अनेक प्रौद्योगिकी और ऑटोमोबाईल उपक्रम हैं, इसलिए पुणे भारत का ”डेट्राइट” जैसा लगता है। काफी प्राचीन ज्ञात इतिहास से पुणे शहर महाराष्ट्र की 'सांस्कृतिक राजधानी' माना जाता है। मराठी भाषा इस शहर की मुख्य भाषा है। पुणे शहर मे लगभग सभी विषयों के उच्च शिक्षण की सुविधा उपलब्ध है। पुणे विद्यापीठ, राष्ट्रीय रासायनिक प्रयोगशाला, आयुका, आगरकर संशोधन संस्था, सी-डैक जैसी आंतरराष्ट्रीय स्तर के शिक्षण संस्थान यहाँ है। पुणे फिल्म इन्स्टिट्युट भी काफी प्रसिद्ध है। पुणे महाराष्ट्र व भारत का एक महत्त्वपूर्ण औद्योगिक केंद्र है। टाटा मोटर्स, बजाज ऑटो, भारत फोर्ज जैसे उत्पादनक्षेत्र के अनेक बड़े उद्योग यहाँ है। 1990 के दशक मे इन्फोसिस, टाटा कंसल्टंसी सर्विसे, विप्रो, सिमैंटेक, आइ.बी.एम जैसे प्रसिद्ध सॉफ्टवेअर कंपनियों ने पुणे मे अपने केंन्द्र खोले और यह शहर भारत का एक प्रमुख सूचना प्रौद्योगिकी उद्योगकेंद्र के रूप मे विकसित हुआ। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और पुणे
पुलिस
अमेरिकी खुफिया पुलिस सेवा के अधिकारी पुलिस (अंग्रेजी: Police, शुद्ध हिन्दी: आरक्षी या आरक्षक) एक सुरक्षा बल होता है जिसका उपयोग किसी भी देश की अन्दरूनी नागरिक सुरक्षा के लिये ठीक उसी तरह से किया जाता है जिस प्रकार किसी देश की बाहरी अनैतिक गतिविधियों से रक्षा के लिये सेना का उपयोग किया जाता है। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और पुलिस
पुस्तक
तमिल बाल विश्वकोश पुस्तक या किताब लिखित या मुद्रित पन्नो के संग्रह को कहते हैं। डिजिटल पुस्तकों को ई-पुस्तक (ई-बुक) कहते हैं। पुस्तकों की लिस्ट के लिए:श्रेणी:पुस्तक देखें हस्तलिखित पुस्तकोँ को पांडुलिपियां कहते हैँ। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और पुस्तक
प्रतिभा प्रतिष्ठान
यह हिन्दी पुस्तकों के एक प्रमुख प्रकाशक हैं। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और प्रतिभा प्रतिष्ठान
प्रतिमा
'प्रतिमा' शब्द देवविशेष, व्यक्तिविशेष अथवा पदार्थविशेष की प्रतिकृति, बिंब, मूर्ति अथवा आकृति सभी का बोधक है; परंतु यहाँ पर प्रतिमा से तात्पर्य भक्तिभावना से भावित देवविशेष की मूर्ति अथवा देवभावना से अनुप्राणित पदार्थविशेष की प्रतिकृति से है। किसी ऐतिहासिक व्यक्ति या वस्तु की तथैव अथवा काल्पनिक प्रतिकृति जो मिट्टी या पत्थर में बनाई जाए प्रतिमा कहलाती है। प्रतिमा बनाने वाले को मूर्ति शिल्पी कहते हैं और प्रतिमा बनाने के काम को मूर्ति शिल्प कहा जाता है। मंदिरों में पूजा के लिए इनकी स्थापना होती है तथा घर नगर और संस्थानों में सुंदरता के लिए इन्हें स्थापित किया जाता है। देवी देवताओं और प्रसिद्ध व्यक्तियों की प्रतिमाएँ बनाई जाती हैं। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और प्रतिमा
प्रभात प्रकाशन
प्रभात प्रकाशन भारत में हिन्दी पुस्तकों के एक प्रमुख प्रकाशक हैं। इसकी स्थापना १९५८ में हुई थी। यह विगत पचास वर्षों से साहित्य की प्रायः सभी विधाओं में एक विस्तृत पाठक वर्ग को श्रेष्ठतम पाठ्य सामग्री उपलब्ध कराते हुए वर्तमान में देश में हिंदी पुस्तकों के प्रमुख और सर्वश्रेष्ठ प्रकाशन-गृह के रूप में 5,000 पुस्तकों का प्रकाशन कर अपनी पहचान बना चुका है। इस संस्थान से सावरकर, गुरुदत्त, तेजपाल सिंह धामा, नरेंद्र कोहली समेत अनेक राष्ट्रवादी लेखकों एवं अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी समेत अनेक राजनेताओं की पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं। अंतरराष्ट्रीय मानक संस्थान ‘मूडी’ द्वारा इसे ISO 9001:2008 प्रदान दिया गया था जो विश्व में पहली बार किसी हिंदी प्रकाशन संस्थान को दिया गया है। उत्तम गुणवत्ता के लिए पिछले बीस वर्षों से भारतीय प्रकाशन उद्योग के मुख्य संघ ‘फेडरेशन ऑफ इंडियन पब्लिशर्स’ द्वारा लगातार ‘प्रकाशन में श्रेष्ठता’ के लिए प्रथम पुरस्कार से सम्मानित। भारत के 60 शहरों में सर्वे कराने के बाद प्रतिष्ठित मार्केट सर्वे संस्था इंडियन काउंसिल ऑफ मार्केट रिसर्च (ICMR) ने पुस्तक प्रकाशन के क्षेत्र में ब्रांड प्रसिद्धि हेतु प्रभात प्रकाशन को 'स्टार ब्राण्ड' के लिए चयनित किया था। पाठकों को कम मूल्य पर पुस्तकें उपलब्ध कराकर उनकी साहित्यिक अभिरुचि में श्रीवृद्धि करने की दृष्टि से प्रभात पेपरबैक्स के बैनर तले लोकप्रिय एवं जनोपयोगी पुस्तकों का अल्पमोली संस्करण प्रकाशित। ओशियन बुक्स प्राइवेट लिमिटेड के माध्यम से अंग्रेजी भाषा में श्रेष्ठ पुस्तकें प्रकाशित। हिंदी पाठकों को सुरुचिपूर्ण पाठ्य सामग्री उपलब्ध कराने के लिए अगस्त 1995 में लब्धप्रतिष्ठ साहित्यकार पं.
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और प्रभात प्रकाशन
प्रवीण प्रकाशन
प्रवीण प्रकाशन हिन्दी पुस्तकों के एक प्रमुख प्रकाशक हैं। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और प्रवीण प्रकाशन
प्रकाशक
प्रकाशक प्रकाशन प्रक्रिया का वह सशक्त अंग है जिसके द्वारा साहित्य या सूचना को जनता के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है। कुछ समर्थ लेखक स्वयं ही अपनी पुस्तकों के प्रकाशक भी होते हैं। श्रेणी:प्रकाशन.
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और प्रकाशक
प्रेमकृष्ण खन्ना
प्रेमकृष्ण खन्ना (अंग्रेजी: Prem Krishna Khanna, जन्म: २ फ़रवरी १८९४ मृत्यु:३ अगस्त १९९३) हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन के एक प्रमुख सदस्य थे। शाहजहाँपुर के रेल विभाग में ठेकेदार (काण्ट्रेक्टर) थे। इन्हें ब्रिटिश सरकार ने माउजर पिस्तौल का लाइसेन्स दे रखा था। सुप्रसिद्ध क्रान्तिकारी राम प्रसाद 'बिस्मिल' से इनकी घनिष्ठ मित्रता थी। क्रान्तिकारी कार्यों के लिये वे इनका माउजर प्राय: माँग कर ले जाया करते थे। यही नहीं, आवश्यकता पडने पर कभी कभी इनके लाइसेन्स पर कारतूस भी खरीद लिया करते थे। काकोरी काण्ड में प्रयुक्त माउजर पिस्तौल के कारतूस इन्हीं के शस्त्र-लाइसेन्स पर खरीदे गये थे जिसके पर्याप्त साक्ष्य मिल जाने के कारण इन्हें ५ वर्ष की कठोर कैद की सजाभुगतनी पडी थी। २ वर्ष तक काकोरी-काण्ड का मुकदमा चला अत: कुल मिलाकर सन १९२५ से १९३२ तक ७ वर्ष कारागार में बिताये। छूटकर आये तो आजीवन अविवाहित रहकर देश-सेवा का व्रत ले लिया। ४० वर्षाँ तक कांग्रेस की कार्यकारिणी के सदस्य रहे। कांग्रेस के टिकट पर कई वर्ष (१९६२ से १९७१ तक) लोकसभा के सांसद भी रहे। ३ अगस्त १९९३ को शाहजहाँपुर के जिला अस्पताल में उस समय प्राणान्त हुआ जब जीवन का शतक पूर्ण करने में मात्र ६ महीने शेष रह गये थे। बडे ही जीवट के व्यक्ति थे। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और प्रेमकृष्ण खन्ना
पूर्ण स्वराज
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने भारत की स्वतंत्रता की घोषणा 26 जनवरी 1930 को की.
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और पूर्ण स्वराज
फाँसी
The hanging of two participants in the Indian Rebellion of 1857. गले में रस्सी के कसने के कारण हुई मौत को फांसी कहा जाता है। प्राचीन काल में अपराधियोँ को दण्ड देने के लिये फांसी की सजा दी जाती थी और वर्तमान में भी जघन्य अपराधोँ के दण्ड हेतु यह प्रथा प्रचलन में है। अरब देशोँ में फांसी बहुत सामान्य सजा है। भारत में भी फांसी की सजा प्रचलन में है और देश की प्रमुख जेलोँ में इसके लिये फांसीघर बने हुये हैं। इन जेलोँ में फांसी देने वाले कर्मचारियोँ की नियुक्ति होती है जिन्हे जल्लाद कहा जाता है। आत्महत्या के लिये भी फांसी एक सर्वाधिक प्रयुक्त होने वाला तरीका है। फांसी में व्यक्ति के गले में रस्सी का फन्दा कस जाता है और उसका साँस मार्ग अवरुद्ध हो जाने से उसका दम घुट जाता है और इस प्रकार उस व्यक्ति की दर्दनाक मौत हो जाती है। श्रेणी:मृत्यु के कारण.
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और फाँसी
बटुकेश्वर दत्त
महान क्रान्तिकारी बटुकेश्वर दत्त बटुकेश्वर दत्त (नवंबर १९०८ - १९ जुलाई १९६५) भारत के स्वतंत्रता संग्राम के महान क्रान्तिकारी थे। बटुकेश्वर दत्त को देश ने सबसे पहले 8 अप्रैल 1929 को जाना, जब वे भगत सिंह के साथ केंद्रीय विधान सभा में बम विस्फोट के बाद गिरफ्तार किए गए। उन्होनें आगरा में स्वतंत्रता आंदोलन को संगठित करने में उल्लेखनीय कार्य किया था। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और बटुकेश्वर दत्त
बबूल
बबूल या कीकर (वानस्पतिक नाम: आकास्या नीलोतिका) अकैसिया प्रजाति का एक वृक्ष है। यह अफ्रीका महाद्वीप एवं भारतीय उपमहाद्वीप का मूल वृक्ष है। उत्तरी भारत में बबूल की हरी पतली टहनियां दातून के काम आती हैं। बबूल की दातुन दांतों को स्वच्छ और स्वस्थ रखती है। बबूल की लकड़ी का कोयला भी अच्छा होता है। हमारे यहां दो तरह के बबूल अधिकतर पाए और उगाये जाते हैं। एक देशी बबूल जो देर से होता है और दूसरा मासकीट नामक बबूल.
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और बबूल
बरबाई
बरबाई गाँव मध्य प्रदेश के मुरैना ज़िले का एक गाँव है। यहाँ पर भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के क्राँतिकारी नेता राम प्रसाद बिस्मिल का जन्म हुआ था। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और बरबाई
बाल गंगाधर तिलक
बाल गंगाधर तिलक (अथवा लोकमान्य तिलक,; २३ जुलाई १८५६ - १ अगस्त १९२०), जन्म से केशव गंगाधर तिलक, एक भारतीय राष्ट्रवादी, शिक्षक, समाज सुधारक, वकील और एक स्वतन्त्रता सेनानी थे। ये भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के पहले लोकप्रिय नेता हुएँ; ब्रिटिश औपनिवेशिक प्राधिकारी उन्हें "भारतीय अशान्ति के पिता" कहते थे। उन्हें, "लोकमान्य" का आदरणीय शीर्षक भी प्राप्त हुआ, जिसका अर्थ हैं लोगों द्वारा स्वीकृत (उनके नायक के रूप में)। इन्हें हिन्दू राष्ट्रवाद का पिता भी कहा जाता है। तिलक ब्रिटिश राज के दौरान स्वराज के सबसे पहले और मजबूत अधिवक्ताओं में से एक थे, तथा भारतीय अन्तःकरण में एक प्रबल आमूल परिवर्तनवादी थे। उनका मराठी भाषा में दिया गया नारा "स्वराज्य हा माझा जन्मसिद्ध हक्क आहे आणि तो मी मिळवणारच" (स्वराज यह मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर ही रहूँगा) बहुत प्रसिद्ध हुआ। उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कई नेताओं से एक क़रीबी सन्धि बनाई, जिनमें बिपिन चन्द्र पाल, लाला लाजपत राय, अरविन्द घोष, वी० ओ० चिदम्बरम पिल्लै और मुहम्मद अली जिन्नाह शामिल थे। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और बाल गंगाधर तिलक
बाह
बाह आगला जिले के पूर्व में अंतिम तहसील है, इस तहसील के किनारे से चम्बल नदी गुजरती है। चम्बल और यमुना का दोआबा होने के कारण इस भू-भाग मे खेती की जमीन कम से कम है, पानी का जमीनी लेबल पचास मीटर नीचे होने के कारण यहाँ पीने के पानी की भी किल्लत होती है। भदौरिया राजपूत समुदाय अधिक होने के कारण इस दोआबे में अधिकतर बेरोजगारी की मार युवाओं को झेलनी पडती है और खून गर्म होने के कारण युवा वर्ग जरा सी बात पर मरने मारने के लिये उतारू हो जाता है। अधिकतर युवा अपने प्रयासों के कारण सेना में भर्ती हो जाते हैं और उनके परिवार के व्यक्तियों का जीवन आसानी से चल उठता है। एक तरफ़ चम्बल और दूसरी तरफ़ यमुना नदी होने के कारण बीहड जिन्हें निर्जन जंगल के रूप मे जाना जाता है, बहुत लम्बे भू-भाग में फ़ैले हैं। शिक्षा की कमी के चलते ७० प्रतिशत लोग बीहड के अन्दर अपना जीवन बिताना जानते है, सूखा इलाका होने के कारण यहाँ पर बाजरा और सरसों के अलावा चना अलसी आदि क फ़सलें भ पैदा हो जाती हैं, राज्य सरकार ने चम्बल को अभारण्य घोषित करने के बाद, इस भू-भाग के निवासियों ने बाहर के राज्यों रा्जस्थान दिल्ली बंगाल पंजाब आदि में पलायन शुरु कर दिया है, जो लोग रह गये है, उनमे दस प्रतिशत लोग अपने को जंगलो मे वनवासी रूप मे वासित कर रहे हैं। पूर्व प्रधान मंत्री श्री अटल बिहारी बाजपेयी इसी भू-भाग में बटेश्वर नामक स्थान के है। यह कानपुर जिले का एक प्रखंड भी है। इस प्रखंड में २०५ गाँव हैं। श्रेणी:आगरा श्रेणी:भदावर.
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और बाह
बाङ्ला भाषा
बाङ्ला भाषा अथवा बंगाली भाषा (बाङ्ला लिपि में: বাংলা ভাষা / बाङ्ला), बांग्लादेश और भारत के पश्चिम बंगाल और उत्तर-पूर्वी भारत के त्रिपुरा तथा असम राज्यों के कुछ प्रान्तों में बोली जानेवाली एक प्रमुख भाषा है। भाषाई परिवार की दृष्टि से यह हिन्द यूरोपीय भाषा परिवार का सदस्य है। इस परिवार की अन्य प्रमुख भाषाओं में हिन्दी, नेपाली, पंजाबी, गुजराती, असमिया, ओड़िया, मैथिली इत्यादी भाषाएँ हैं। बंगाली बोलने वालों की सँख्या लगभग २३ करोड़ है और यह विश्व की छठी सबसे बड़ी भाषा है। इसके बोलने वाले बांग्लादेश और भारत के अलावा विश्व के बहुत से अन्य देशों में भी फ़ैले हैं। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और बाङ्ला भाषा
बिचपुरी
बिचपुरी आगरा जिले का एक गाँव है। श्रेणी:आगरा जिले के गाँव.
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और बिचपुरी
बिस्मिल
भारतीय क्रान्तिकारी बिस्मिल के बारे में जानने के लिये कृपया रामप्रसाद 'बिस्मिल' देखें। बिस्मिल (तुर्क: Bismil) तुर्की के दियारबाकिर राज्य का एक जिला है। 2012 की जनगणना के मुताबिक इसकी कुल जनसंख्या (ग्रामीण व शहरी क्षेत्र को मिलाकर)1,11,746 है। यहाँ के अधिकांश निवासी कुर्द लोग हैं। इस जिले के मुख्यालय का नाम भी बिस्मिल के ही नाम पर रखा गया है। ठीक उसी तरह जैसे भारत में शाहजहाँपुर जिला व उसके मुख्यालय दोनों का ही नाम शाहजहाँपुर है। बिस्मिल शहर की जनसंख्या 60,150 है। इस शहर के मेयर केमिले एमिनोग्लू हैं जो पीस एण्ड डिमोक्रेसी पार्टी से ताल्लुक रखते हैं। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और बिस्मिल
बंगाल
बंगाल (बांग्ला: বঙ্গ बॉंगो, বাংলা बांला, বঙ্গদেশ बॉंगोदेश या বাংলাদেশ बांलादेश, संस्कृत: अंग, वंग) उत्तरपूर्वी दक्षिण एशिया में एक क्षेत्र है। आज बंगाल एक स्वाधीन राष्ट्र, बांग्लादेश (पूर्वी बंगाल) और भारतीय संघीय प्रजातन्त्र का अंगभूत राज्य पश्चिम बंगाल के बीच में सहभाजी है, यद्यपि पहले बंगाली राज्य (स्थानीय राज्य का ढंग और ब्रिटिश के समय में) के कुछ क्षेत्र अब पड़ोसी भारतीय राज्य बिहार, त्रिपुरा और उड़ीसा में है। बंगाल में बहुमत में बंगाली लोग रहते हैं। इनकी मातृभाषा बांग्ला है। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और बंगाल
बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय
'''वन्दे मातरम्''' के रचयिता बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय (बंगाली: বঙ্কিমচন্দ্র চট্টোপাধ্যায়) (२७ जून १८३८ - ८ अप्रैल १८९४) बंगाली के प्रख्यात उपन्यासकार, कवि, गद्यकार और पत्रकार थे। भारत के राष्ट्रीय गीत 'वन्दे मातरम्' उनकी ही रचना है जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के काल में क्रान्तिकारियों का प्रेरणास्रोत बन गया था। रवीन्द्रनाथ ठाकुर के पूर्ववर्ती बांग्ला साहित्यकारों में उनका अन्यतम स्थान है। आधुनिक युग में बंगला साहित्य का उत्थान उन्नीसवीं सदी के मध्य से शुरु हुआ। इसमें राजा राममोहन राय, ईश्वर चन्द्र विद्यासागर, प्यारीचाँद मित्र, माइकल मधुसुदन दत्त, बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय, रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने अग्रणी भूमिका निभायी। इसके पहले बंगाल के साहित्यकार बंगला की जगह संस्कृत या अंग्रेजी में लिखना पसन्द करते थे। बंगला साहित्य में जनमानस तक पैठ बनाने वालों मे शायद बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय पहले साहित्यकार थे। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय
ब्रह्मचर्य
ब्रह्मचर्य योग के आधारभूत स्तंभों में से एक है। ये वैदिक वर्णाश्रम का पहला आश्रम भी है, जिसके अनुसार ये ०-२५ वर्ष तक की आयु का होता है और जिस आश्रम का पालन करते हुए विद्यार्थियों को भावी जीवन के लिये शिक्षा ग्रहण करनी होती है। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और ब्रह्मचर्य
ब्रिटिश राज
ब्रिटिश राज 1858 और 1947 के बीच भारतीय उपमहाद्वीप पर ब्रिटिश द्वारा शासन था। क्षेत्र जो सीधे ब्रिटेन के नियंत्रण में था जिसे आम तौर पर समकालीन उपयोग में "इंडिया" कहा जाता था- उसमें वो क्षेत्र शामिल थे जिन पर ब्रिटेन का सीधा प्रशासन था (समकालीन, "ब्रिटिश इंडिया") और वो रियासतें जिन पर व्यक्तिगत शासक राज करते थे पर उन पर ब्रिटिश क्राउन की सर्वोपरिता थी। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और ब्रिटिश राज
ब्रिटिश साम्राज्य
ब्रिटिश साम्राज्य एक वैश्विक शक्ति था, जिसके अंतर्गत वे क्षेत्र थे जिनपर ग्रेट ब्रिटेन का अधिकार था। यह एक बहुत बड़ा साम्राज्य था और अपने चरम पर तो विश्व के कुल भूभाग और जनसंख्या का एक चौथाई भाग इसके अधीन था। उस समय लगभग ५० करोड़ लोग ब्रिटिश ताज़ के नियंत्रण में थे। आज इसके अधिकांश सदस्य राष्ट्रमण्डल के सदस्य हैं और इस प्रकार आज भी ब्रिटिश साम्राज्य का ही एक अंग है। ब्रिटिश साम्राज्य का सबसे महत्वपूर्ण भाग था ईस्ट इंडिया ट्रेडिंग कंपनी जो एक छोटे व्यापार के साथ आरंभ की गई थी और बाद में एक बहुत बड़ी कंपनी बन गई जिसपर बहुत से लोग निर्भर थे। यह विदेशी कालोनियों और व्यापार पदों के द्वरा 16 वीं और 17 वीं सदी में इंग्लैंड द्वारा स्थापित किया गया| १९२१ में ब्रिटिश साम्राज्य सर्वाधिक क्षेत्र में फैला हुआ था। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और ब्रिटिश साम्राज्य
बेतिया
बेतिया बिहार के पश्चिमी चंपारण जिले का एक शहर है। यह पश्चिमी चंपारण जिला का मुख्यालय भी है। भारत-नेपाल सीमा पर स्थित है। इसके पश्चिम में उत्तर प्रदेश का कुशीनगर जिला पड़ता है। 'बेतिया' शब्द 'बेंत' (cane) से व्युत्पन्न है जो कभी यहाँ बड़े पैमाने पर उत्पन्न होता था (अब नहीं)। अंग्रेजी काल में बेतिया राज दूसरी सबसे बड़ी जमींदारी थी जिसका क्षेत्रफल १८०० वर्ग मील थी। इससे उस समय २० लाख रूपये लगान मिलता था। इसका उत्तरी भाग ऊबड़-खाबड़ तथा दक्षिणी भाग समतल तथा उर्वर है। यह हरहा नदी की प्राचीन तलहटी में स्थित प्रमुख नगर है। यह मुजफ्फरपुर से १२४ किमी दूर है तथा पहले बेतिया जमींदारी की राजधानी था। यहाँ के महाराजा का महल दर्शनीय है। महात्मा गांधी ने बेतिया के हजारी मल धर्मशाला में रहकर सत्याग्रह आंदोलन की शुरुआत की थी। १९७४ के संपूर्ण क्रांति में भी बेतिया की अहम भुमिका थी। यहां के अमवा मझार गांव के रहने वाले श्यामाकांत तिवारी ने जयप्रकाश नारायण के कहने पर पूरे जिले में आंदोलन को फैलाया। यह एक कृषि प्रधान क्षेत्र है जहाँ गन्ना, धान और गेहूँ सभी उगते हैं। यह गाँधी की कर्मभूमि और ध्रुपद गायिकी के लिए प्रसिध है। बेतिया से मुंबई फ़िल्म उद्योग का सफ़र तय कर चुके मशहूर फ़िल्म निर्देशक प्रकाश झा ने इस क्षेत्र के लोगों की सरकारी नौकरी की तलाश पर 'कथा माधोपुर' की रचना की। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और बेतिया
भारत
भारत (आधिकारिक नाम: भारत गणराज्य, Republic of India) दक्षिण एशिया में स्थित भारतीय उपमहाद्वीप का सबसे बड़ा देश है। पूर्ण रूप से उत्तरी गोलार्ध में स्थित भारत, भौगोलिक दृष्टि से विश्व में सातवाँ सबसे बड़ा और जनसंख्या के दृष्टिकोण से दूसरा सबसे बड़ा देश है। भारत के पश्चिम में पाकिस्तान, उत्तर-पूर्व में चीन, नेपाल और भूटान, पूर्व में बांग्लादेश और म्यान्मार स्थित हैं। हिन्द महासागर में इसके दक्षिण पश्चिम में मालदीव, दक्षिण में श्रीलंका और दक्षिण-पूर्व में इंडोनेशिया से भारत की सामुद्रिक सीमा लगती है। इसके उत्तर की भौतिक सीमा हिमालय पर्वत से और दक्षिण में हिन्द महासागर से लगी हुई है। पूर्व में बंगाल की खाड़ी है तथा पश्चिम में अरब सागर हैं। प्राचीन सिन्धु घाटी सभ्यता, व्यापार मार्गों और बड़े-बड़े साम्राज्यों का विकास-स्थान रहे भारतीय उपमहाद्वीप को इसके सांस्कृतिक और आर्थिक सफलता के लंबे इतिहास के लिये जाना जाता रहा है। चार प्रमुख संप्रदायों: हिंदू, बौद्ध, जैन और सिख धर्मों का यहां उदय हुआ, पारसी, यहूदी, ईसाई, और मुस्लिम धर्म प्रथम सहस्राब्दी में यहां पहुचे और यहां की विविध संस्कृति को नया रूप दिया। क्रमिक विजयों के परिणामस्वरूप ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कंपनी ने १८वीं और १९वीं सदी में भारत के ज़्यादतर हिस्सों को अपने राज्य में मिला लिया। १८५७ के विफल विद्रोह के बाद भारत के प्रशासन का भार ब्रिटिश सरकार ने अपने ऊपर ले लिया। ब्रिटिश भारत के रूप में ब्रिटिश साम्राज्य के प्रमुख अंग भारत ने महात्मा गांधी के नेतृत्व में एक लम्बे और मुख्य रूप से अहिंसक स्वतन्त्रता संग्राम के बाद १५ अगस्त १९४७ को आज़ादी पाई। १९५० में लागू हुए नये संविधान में इसे सार्वजनिक वयस्क मताधिकार के आधार पर स्थापित संवैधानिक लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित कर दिया गया और युनाईटेड किंगडम की तर्ज़ पर वेस्टमिंस्टर शैली की संसदीय सरकार स्थापित की गयी। एक संघीय राष्ट्र, भारत को २९ राज्यों और ७ संघ शासित प्रदेशों में गठित किया गया है। लम्बे समय तक समाजवादी आर्थिक नीतियों का पालन करने के बाद 1991 के पश्चात् भारत ने उदारीकरण और वैश्वीकरण की नयी नीतियों के आधार पर सार्थक आर्थिक और सामाजिक प्रगति की है। ३३ लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल के साथ भारत भौगोलिक क्षेत्रफल के आधार पर विश्व का सातवाँ सबसे बड़ा राष्ट्र है। वर्तमान में भारतीय अर्थव्यवस्था क्रय शक्ति समता के आधार पर विश्व की तीसरी और मानक मूल्यों के आधार पर विश्व की दसवीं सबसे बडी अर्थव्यवस्था है। १९९१ के बाज़ार-आधारित सुधारों के बाद भारत विश्व की सबसे तेज़ विकसित होती बड़ी अर्थ-व्यवस्थाओं में से एक हो गया है और इसे एक नव-औद्योगिकृत राष्ट्र माना जाता है। परंतु भारत के सामने अभी भी गरीबी, भ्रष्टाचार, कुपोषण, अपर्याप्त सार्वजनिक स्वास्थ्य-सेवा और आतंकवाद की चुनौतियां हैं। आज भारत एक विविध, बहुभाषी, और बहु-जातीय समाज है और भारतीय सेना एक क्षेत्रीय शक्ति है। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और भारत
भारतीय
भारत देश के निवासियों को भारतीय कहा जाता है। भारत को हिन्दुस्तान नाम से भी पुकारा जाता है और इसीलिये भारतीयों को हिन्दुस्तानी भी कहतें है।.
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और भारतीय
भारतीय साहित्य अकादमी
भारत की साहित्य अकादमी भारतीय साहित्य के विकास के लिये सक्रिय कार्य करने वाली राष्ट्रीय संस्था है। इसका गठन १२ मार्च १९५४ को भारत सरकार द्वारा किया गया था। इसका उद्देश्य उच्च साहित्यिक मानदंड स्थापित करना, भारतीय भाषाओं और भारत में होनेवाली साहित्यिक गतिविधियों का पोषण और समन्वय करना है। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और भारतीय साहित्य अकादमी
भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन
* भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय आह्वानों, उत्तेजनाओं एवं प्रयत्नों से प्रेरित, भारतीय राजनैतिक संगठनों द्वारा संचालित अहिंसावादी और सैन्यवादी आन्दोलन था, जिनका एक समान उद्देश्य, अंग्रेजी शासन को भारतीय उपमहाद्वीप से जड़ से उखाड़ फेंकना था। इस आन्दोलन की शुरुआत १८५७ में हुए सिपाही विद्रोह को माना जाता है। स्वाधीनता के लिए हजारों लोगों ने अपने प्राणों की बलि दी। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने १९३० कांग्रेस अधिवेशन में अंग्रेजो से पूर्ण स्वराज की मांग की थी। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन
भाई परमानन्द
भाई परमानन्द का एक दुर्लभ चित्र भाई परमानन्द (जन्म: ४ नवम्बर १८७६ - मृत्यु: ८ दिसम्बर १९४७) भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान क्रान्तिकारी थे। भाई जी बहुआयामी व्यक्तित्व के स्वामी थे। वे जहाँ आर्यसमाज और वैदिक धर्म के अनन्य प्रचारक थे, वहीं इतिहासकार, साहित्यमनीषी और शिक्षाविद् के रूप में भी उन्होंने ख्याति अर्जित की थी। सरदार भगत सिंह, सुखदेव, पं॰ राम प्रसाद 'बिस्मिल', करतार सिंह सराबा जैसे असंख्य राष्ट्रभक्त युवक उनसे प्रेरणा प्राप्त कर बलि-पथ के राही बने थे। देशभक्ति, राजनीतिक दृढ़ता तथा स्वतन्त्र विचारक के रूप में भाई जी का नाम सदैव स्मरणीय रहेगा। आपने कठिन तथा संकटपूर्ण स्थितियों का डटकर सामना किया और कभी विचलित नहीं हुए। आपने हिंदी में भारत का इतिहास लिखा है। इतिहास-लेखन में आप राजाओं, युद्धों तथा महापुरुषों के जीवनवृत्तों को ही प्रधानता देने के पक्ष में न थे। आपका स्पष्ट मत था कि इतिहास में जाति की भावनाओं, इच्छाओं, आकांक्षाओं, संस्कृति एवं सभ्यता को भी महत्व दिया जाना चाहिए। आपने अपने जीवन के संस्मरण भी लिखे हैं जो युवकों के लिये आज भी प्रेरणा देने में सक्षम हैं। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और भाई परमानन्द
भगत सिंह
भगत सिंह (जन्म: २८ सितम्बर या १९ अक्टूबर, १९०७, मृत्यु: २३ मार्च १९३१) भारत के एक प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी थे। चन्द्रशेखर आजाद व पार्टी के अन्य सदस्यों के साथ मिलकर इन्होंने देश की आज़ादी के लिए अभूतपूर्व साहस के साथ शक्तिशाली ब्रिटिश सरकार का मुक़ाबला किया। पहले लाहौर में साण्डर्स की हत्या और उसके बाद दिल्ली की केन्द्रीय संसद (सेण्ट्रल असेम्बली) में बम-विस्फोट करके ब्रिटिश साम्राज्य के विरुद्ध खुले विद्रोह को बुलन्दी प्रदान की। इन्होंने असेम्बली में बम फेंककर भी भागने से मना कर दिया। जिसके फलस्वरूप इन्हें २३ मार्च १९३१ को इनके दो अन्य साथियों, राजगुरु तथा सुखदेव के साथ फाँसी पर लटका दिया गया। सारे देश ने उनके बलिदान को बड़ी गम्भीरता से याद किया। भगत सिंह को समाजवादी,वामपंथी और मार्क्सवादी विचारधारा में रुचि थी। सुखदेव, राजगुरु तथा भगत सिंह के लटकाये जाने की ख़बर - लाहौर से प्रकाशित ''द ट्रिब्युन'' के मुख्य पृष्ठ --> .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और भगत सिंह
भैंस
भैंस विश्व में भैंस का वितरण की स्थिति भैंस एक दुधारू पशु है। कुछ लोगों द्वारा भैंस का दूध गाय के दूध से अधिक पसंद किया जाता है। यह ग्रामीण भारत में बहुत उपयोगी पशु है। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और भैंस
भूख हड़ताल
भूख हड़ताल एक अहिंसक प्रतिरोध या दबाव की एक विधि है जिसमें प्रतिभागियों उपवास कर विरोध करते हैं। मूलतः यह विरोध राजनीतिक होते हैं या दूसरों में अपराध की भावना को भड़काने के लिए किये जाते हैं। आमतौर पर नीति परिवर्तन के रूप में एक विशेष लक्ष्य को प्राप्त करने के उद्देश्य के साथ किये जाते हैं। अधिकांश भूख हड़ताली तरल पदार्थ ग्रहण करते हैं लेकिन ठोस पदार्थों का सेवन नहीं किया जाता। आमतौर पर राज्य या वह इकाई जिसके खिलाफ यह भूख हड़ताल की जाती है भूख हड़ताली की हिरासत प्राप्त करने में सक्षम रहते हैं और अक्सर भूख हड़ताल बल के प्रयोग के माध्यम से संस्था द्वारा इच्छा के विरुद्ध खाना खिला कर ख़तम होती है। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और भूख हड़ताल
मदनमोहन मालवीय
महामना मदन मोहन मालवीय (25 दिसम्बर 1861 - 1946) काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के प्रणेता तो थे ही इस युग के आदर्श पुरुष भी थे। वे भारत के पहले और अन्तिम व्यक्ति थे जिन्हें महामना की सम्मानजनक उपाधि से विभूषित किया गया। पत्रकारिता, वकालत, समाज सुधार, मातृ भाषा तथा भारतमाता की सेवा में अपना जीवन अर्पण करने वाले इस महामानव ने जिस विश्वविद्यालय की स्थापना की उसमें उनकी परिकल्पना ऐसे विद्यार्थियों को शिक्षित करके देश सेवा के लिये तैयार करने की थी जो देश का मस्तक गौरव से ऊँचा कर सकें। मालवीयजी सत्य, ब्रह्मचर्य, व्यायाम, देशभक्ति तथा आत्मत्याग में अद्वितीय थे। इन समस्त आचरणों पर वे केवल उपदेश ही नहीं दिया करते थे अपितु स्वयं उनका पालन भी किया करते थे। वे अपने व्यवहार में सदैव मृदुभाषी रहे। कर्म ही उनका जीवन था। अनेक संस्थाओं के जनक एवं सफल संचालक के रूप में उनकी अपनी विधि व्यवस्था का सुचारु सम्पादन करते हुए उन्होंने कभी भी रोष अथवा कड़ी भाषा का प्रयोग नहीं किया। भारत सरकार ने २४ दिसम्बर २०१४ को उन्हें भारत रत्न से अलंकृत किया। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और मदनमोहन मालवीय
मदनलाल वर्मा 'क्रान्त'
मदनलाल वर्मा 'क्रान्त' (जन्म: २० दिसम्बर १९४७, शाहजहाँपुर) मूलत: हिन्दी के कवि तथा लेखक हैं। इसके अतिरिक्त उन्होंने उर्दू, संस्कृत तथा अंग्रेजी में भी कविताएँ लिखी हैं। क्रान्तिकारी राम प्रसाद 'बिस्मिल' के व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाशित "सरफरोशी की तमन्ना" उनकी उल्लेखनीय पुस्तक है। "क्रान्तिकारी हिन्दी साहित्य में राष्ट्रीय चेतना" विषय पर अतिविशिष्ट अनुसन्धान के लिये उन्हें भारत सरकार ने वर्ष २००४ में हिन्दी साहित्य की "सीनियर फैलोशिप" प्रदान की। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और मदनलाल वर्मा 'क्रान्त'
मध्य प्रदेश
मध्य प्रदेश भारत का एक राज्य है, इसकी राजधानी भोपाल है। मध्य प्रदेश १ नवंबर, २००० तक क्षेत्रफल के आधार पर भारत का सबसे बड़ा राज्य था। इस दिन एवं मध्यप्रदेश के कई नगर उस से हटा कर छत्तीसगढ़ की स्थापना हुई थी। मध्य प्रदेश की सीमाऐं पांच राज्यों की सीमाओं से मिलती है। इसके उत्तर में उत्तर प्रदेश, पूर्व में छत्तीसगढ़, दक्षिण में महाराष्ट्र, पश्चिम में गुजरात, तथा उत्तर-पश्चिम में राजस्थान है। हाल के वर्षों में राज्य के सकल घरेलू उत्पाद की विकास दर राष्ट्रीय औसत से ऊपर हो गया है। खनिज संसाधनों से समृद्ध, मध्य प्रदेश हीरे और तांबे का सबसे बड़ा भंडार है। अपने क्षेत्र की 30% से अधिक वन क्षेत्र के अधीन है। इसके पर्यटन उद्योग में काफी वृद्धि हुई है। राज्य में वर्ष 2010-11 राष्ट्रीय पर्यटन पुरस्कार जीत लिया। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और मध्य प्रदेश
मन्दिर
मन्दिर भारतीय धर्मों (सनातन धर्म, जैन धर्म, बौद्ध धर्म, सिख धर्म आदि) हिन्दुओं के उपासनास्थल को मन्दिर कहते हैं। यह अराधना और पूजा-अर्चना के लिए निश्चित की हुई जगह या देवस्थान है। यानी जिस जगह किसी आराध्य देव के प्रति ध्यान या चिंतन किया जाए या वहां मूर्ति इत्यादि रखकर पूजा-अर्चना की जाए उसे मन्दिर कहते हैं। मन्दिर का शाब्दिक अर्थ 'घर' है। वस्तुतः सही शब्द 'देवमन्दिर', 'शिवमन्दिर', 'कालीमन्दिर' आदि हैं। और मठ वह स्थान है जहां किसी सम्प्रदाय, धर्म या परंपरा विशेष में आस्था रखने वाले शिष्य आचार्य या धर्मगुरु अपने सम्प्रदाय के संरक्षण और संवर्द्धन के उद्देश्य से धर्म ग्रन्थों पर विचार विमर्श करते हैं या उनकी व्याख्या करते हैं जिससे उस सम्प्रदाय के मानने वालों का हित हो और उन्हें पता चल सके कि उनके धर्म में क्या है। उदाहरण के लिए बौद्ध विहारों की तुलना हिन्दू मठों या ईसाई मोनेस्ट्रीज़ से की जा सकती है। लेकिन 'मठ' शब्द का प्रयोग शंकराचार्य के काल यानी सातवीं या आठवीं शताब्दी से शुरु हुआ माना जाता है। तमिल भाषा में मन्दिर को कोईल या कोविल (கோவில்) कहते हैं। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और मन्दिर
मन्मथनाथ गुप्त
मन्मथनाथ गुप्त (जन्म: ७ फ़रवरी १९०८ - मृत्यु: २६ अक्टूबर २०००) भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के एक प्रमुख क्रान्तिकारी तथा सिद्धहस्त लेखक थे। उन्होंने हिन्दी, अंग्रेजी तथा बांग्ला में आत्मकथात्मक, ऐतिहासिक एवं गल्प साहित्य की रचना की है। वे मात्र १३ वर्ष की आयु में ही स्वतन्त्रता संग्राम में कूद गये और जेल गये। बाद में वे हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन के सक्रिय सदस्य भी बने और १७ वर्ष की आयु में उन्होंने सन् १९२५ में हुए काकोरी काण्ड में सक्रिय रूप से भाग लिया। उनकी असावधानी से ही इस काण्ड में अहमद अली नाम का एक रेल-यात्री मारा गया जिसके कारण ४ लोगों को फाँसी की सजा मिली जबकि मन्मथ की आयु कम होने के कारण उन्हें मात्र १४ वर्ष की सख्त सजा दी गयी। १९३७ में जेल से छूटकर आये तो फिर क्रान्तिकारी लेख लिखने लगे जिसके कारण उन्हें १९३९ में फिर सजा हुई और वे भारत के स्वतन्त्र होने से एक वर्ष पूर्व १९४६ तक जेल में रहे । स्वतन्त्र भारत में वे योजना, बाल भारती और आजकल नामक हिन्दी पत्रिकाओं के सम्पादक भी रहे। नई दिल्ली स्थित निजामुद्दीन ईस्ट में अपने निवास पर २६ अक्टूबर २००० को दीपावली के दिन उनका जीवन-दीप बुझ गया। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और मन्मथनाथ गुप्त
महात्मा
महात्मा शब्द दो शब्दों महा और आत्मा के मेल से बना है और इसका अर्थ होता है एक महान व्यक्ति मूलत: यह शब्द संस्कृत का है पर अब यह शब्द हिन्दी सहित बिश्व की सभी प्रमुख भाषाओं मे इसी अर्थ मे प्रयुक्त होता है। ऋग्वेद में सभी मनुष्य जो पृथ्वी पर विचरण करते है, और महान कार्यों को करने के बाद जगत का कल्याण करने की कामना हमेशा अपने मन, कर्म और वाणी के अन्दर रखते है, महात्मा कहलाते हैं। महात्मा शब्द आधुनिक ईसाई धर्म मे प्रयोग होने वाले सेंट (संत) शब्द से बहुत हद तक मेल खाता है। इस उपाधि को प्रमुख हस्तियों जैसे मोहनदास करमचंद गांधी और ज्योतिराव फुले के लिए आम तौर पर प्रयुक्त किया जाता है। कई स्रोतों, जैसे दत्ता और रॉबिन्सन की रवीन्द्रनाथ टैगोर: एक संकलन, के अनुसार रवीन्द्रनाथ टैगोर पहले व्यक्ति थे जिन्होने गांधी जो को पहले पहल 21 यह उपाधि प्रदान की थी। नाम से पुकारा था, जबकि कुछों के मुताबिक नौत्तमलाल भगवानजी मेहता ने जैतपुर के कमरीबाई विद्यालय मे पहली बार 21 जनवरी 1915 को गांधी को " महात्मा " शीर्षक प्रदान किया था। शब्द का इस्तेमाल सिद्ध, मुक्त आत्माओं और पेशेवरों का उल्लेख करने के लिए भी किया जाता है। तकनीकी अर्थ में इस शब्द को लोकप्रियता विश्व मे थिओसोफीकल साहित्य मे प्रयोग होने के बाद मिली.
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और महात्मा
महात्मा गांधी
मोहनदास करमचन्द गांधी (२ अक्टूबर १८६९ - ३० जनवरी १९४८) भारत एवं भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के एक प्रमुख राजनैतिक एवं आध्यात्मिक नेता थे। वे सत्याग्रह (व्यापक सविनय अवज्ञा) के माध्यम से अत्याचार के प्रतिकार के अग्रणी नेता थे, उनकी इस अवधारणा की नींव सम्पूर्ण अहिंसा के सिद्धान्त पर रखी गयी थी जिसने भारत को आजादी दिलाकर पूरी दुनिया में जनता के नागरिक अधिकारों एवं स्वतन्त्रता के प्रति आन्दोलन के लिये प्रेरित किया। उन्हें दुनिया में आम जनता महात्मा गांधी के नाम से जानती है। संस्कृत भाषा में महात्मा अथवा महान आत्मा एक सम्मान सूचक शब्द है। गांधी को महात्मा के नाम से सबसे पहले १९१५ में राजवैद्य जीवराम कालिदास ने संबोधित किया था।। उन्हें बापू (गुजराती भाषा में બાપુ बापू यानी पिता) के नाम से भी याद किया जाता है। सुभाष चन्द्र बोस ने ६ जुलाई १९४४ को रंगून रेडियो से गांधी जी के नाम जारी प्रसारण में उन्हें राष्ट्रपिता कहकर सम्बोधित करते हुए आज़ाद हिन्द फौज़ के सैनिकों के लिये उनका आशीर्वाद और शुभकामनाएँ माँगीं थीं। प्रति वर्ष २ अक्टूबर को उनका जन्म दिन भारत में गांधी जयंती के रूप में और पूरे विश्व में अन्तर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के नाम से मनाया जाता है। सबसे पहले गान्धी ने प्रवासी वकील के रूप में दक्षिण अफ्रीका में भारतीय समुदाय के लोगों के नागरिक अधिकारों के लिये संघर्ष हेतु सत्याग्रह करना शुरू किया। १९१५ में उनकी भारत वापसी हुई। उसके बाद उन्होंने यहाँ के किसानों, मजदूरों और शहरी श्रमिकों को अत्यधिक भूमि कर और भेदभाव के विरुद्ध आवाज उठाने के लिये एकजुट किया। १९२१ में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की बागडोर संभालने के बाद उन्होंने देशभर में गरीबी से राहत दिलाने, महिलाओं के अधिकारों का विस्तार, धार्मिक एवं जातीय एकता का निर्माण व आत्मनिर्भरता के लिये अस्पृश्यता के विरोध में अनेकों कार्यक्रम चलाये। इन सबमें विदेशी राज से मुक्ति दिलाने वाला स्वराज की प्राप्ति वाला कार्यक्रम ही प्रमुख था। गाँधी जी ने ब्रिटिश सरकार द्वारा भारतीयों पर लगाये गये नमक कर के विरोध में १९३० में नमक सत्याग्रह और इसके बाद १९४२ में अंग्रेजो भारत छोड़ो आन्दोलन से खासी प्रसिद्धि प्राप्त की। दक्षिण अफ्रीका और भारत में विभिन्न अवसरों पर कई वर्षों तक उन्हें जेल में भी रहना पड़ा। गांधी जी ने सभी परिस्थितियों में अहिंसा और सत्य का पालन किया और सभी को इनका पालन करने के लिये वकालत भी की। उन्होंने साबरमती आश्रम में अपना जीवन गुजारा और परम्परागत भारतीय पोशाक धोती व सूत से बनी शाल पहनी जिसे वे स्वयं चरखे पर सूत कातकर हाथ से बनाते थे। उन्होंने सादा शाकाहारी भोजन खाया और आत्मशुद्धि के लिये लम्बे-लम्बे उपवास रखे। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और महात्मा गांधी
माउज़र पिस्तौल
माउज़र पिस्तौल (अंग्रेजी: Mauser C96) मूल रूप से जर्मनी में बनी एक अर्द्ध स्वचालित पिस्तौल है। इस पिस्तौल का डिजाइन जर्मनी निवासी दो माउज़र बन्धुओं ने सन् 1895 में तैयार किया था। बाद में 1896 में जर्मनी की ही एक शस्त्र निर्माता कम्पनी माउज़र ने इसे माउज़र सी-96 के नाम से बनाना शुरू किया। 1896 से 1937 तक इसका निर्माण जर्मनी में हुआ। 20वीं शताब्दी में इसकी नकल करके स्पेन और चीन में भी माउज़र पिस्तौलें बनीं। इसकी मैगज़ीन ट्रिगर के आगे लगती थी जबकि सामान्यतया सभी पिस्तौलों में मैगज़ीन ट्रिगर के पीछे और बट के अन्दर होती है। इस पिस्तौल का एक अन्य मॉडल लकड़ी के कुन्दे के साथ सन 1916 में बनाया गया। इसमें बट के साथ लकड़ी का बड़ा कुन्दा अलग से जोड़ कर किसी रायफल या बन्दूक की तरह भी प्रयोग किया जा सकता था। विंस्टन चर्चिल को यह पिस्तौल बहुत पसन्द थी। भारतीय क्रान्तिकारी रामप्रसाद 'बिस्मिल' ने महज़ 4 माउज़र पिस्तौलों के दम पर 9 अगस्त 1925 को काकोरी के पास ट्रेन रोक कर सरकारी खजाना लूट लिया था। स्पेन ने सन् 1927 में इसी की नक़ल करते हुए अस्त्र मॉडल बनाया। रेलवे गार्डों की सुरक्षा हेतु सन् 1929 में चीन ने इसकी नकल करके.45 कैलिबर का माउज़र बनाया। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और माउज़र पिस्तौल
मुम्बई
भारत के पश्चिमी तट पर स्थित मुंंबई (पूर्व नाम बम्बई), भारतीय राज्य महाराष्ट्र की राजधानी है। इसकी अनुमानित जनसंख्या ३ करोड़ २९ लाख है जो देश की पहली सर्वाधिक आबादी वाली नगरी है। इसका गठन लावा निर्मित सात छोटे-छोटे द्वीपों द्वारा हुआ है एवं यह पुल द्वारा प्रमुख भू-खंड के साथ जुड़ा हुआ है। मुम्बई बन्दरगाह भारतवर्ष का सर्वश्रेष्ठ सामुद्रिक बन्दरगाह है। मुम्बई का तट कटा-फटा है जिसके कारण इसका पोताश्रय प्राकृतिक एवं सुरक्षित है। यूरोप, अमेरिका, अफ़्रीका आदि पश्चिमी देशों से जलमार्ग या वायुमार्ग से आनेवाले जहाज यात्री एवं पर्यटक सर्वप्रथम मुम्बई ही आते हैं इसलिए मुम्बई को भारत का प्रवेशद्वार कहा जाता है। मुम्बई भारत का सर्ववृहत्तम वाणिज्यिक केन्द्र है। जिसकी भारत के सकल घरेलू उत्पाद में 5% की भागीदारी है। यह सम्पूर्ण भारत के औद्योगिक उत्पाद का 25%, नौवहन व्यापार का 40%, एवं भारतीय अर्थ व्यवस्था के पूंजी लेनदेन का 70% भागीदार है। मुंबई विश्व के सर्वोच्च दस वाणिज्यिक केन्द्रों में से एक है। भारत के अधिकांश बैंक एवं सौदागरी कार्यालयों के प्रमुख कार्यालय एवं कई महत्वपूर्ण आर्थिक संस्थान जैसे भारतीय रिज़र्व बैंक, बम्बई स्टॉक एक्स्चेंज, नेशनल स्टऑक एक्स्चेंज एवं अनेक भारतीय कम्पनियों के निगमित मुख्यालय तथा बहुराष्ट्रीय कंपनियां मुम्बई में अवस्थित हैं। इसलिए इसे भारत की आर्थिक राजधानी भी कहते हैं। नगर में भारत का हिन्दी चलचित्र एवं दूरदर्शन उद्योग भी है, जो बॉलीवुड नाम से प्रसिद्ध है। मुंबई की व्यवसायिक अपॊर्ट्युनिटी, व उच्च जीवन स्तर पूरे भारतवर्ष भर के लोगों को आकर्षित करती है, जिसके कारण यह नगर विभिन्न समाजों व संस्कृतियों का मिश्रण बन गया है। मुंबई पत्तन भारत के लगभग आधे समुद्री माल की आवाजाही करता है। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और मुम्बई
मुरारी शर्मा
मुरारी शर्मा (अंग्रेजी: Murari Sharma, जन्म: १ जनवरी १९०१, मृत्यु: २ अप्रैल १९८२) विश्वविख्यात काकोरी काण्ड में प्रत्यक्ष रूप से हिस्सा लेने वाले क्रान्तिकारी थे जिन्हें अन्त तक पुलिस गिरफ्तार नहीं कर पायी। इनका वास्तविक नाम मुरारीलाल गुप्त था परन्तु मुरारी शर्मा के छद्म नाम से इन्होंने हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन की सदस्यता ली, काकोरी काण्ड में भाग लिया और फरार हो गये। यह रहस्योद्घाटन उनके यशस्वी पुत्र दामोदर स्वरूप 'विद्रोही' ने १९ जून १९९७ को हिन्दी अकादमी, दिल्ली द्वारा राजेन्द्र भवन दिल्ली में आयोजित "राम प्रसाद 'बिस्मिल' जयन्ती" समारोह में बोलते हुए किया था। मुरारीलाल जी कुछ दिनों दिल्ली जाकर छिपे रहे फिर शाहजहाँपुर जनपद स्थित अपने गाँव मुडिया पँवार चले गये। आप पक्के आर्य समाजी थे कभी भी रिक्शे पर नहीं बैठे। कहा करते थे इसे आदमी खींचता है मैं एक आदमी होकर एक आदमी से अपना बोझा उठवाऊँ यह नहीं हो सकता। २ अप्रैल १९८२ को आपने अपने घर पर स्वेच्छा से प्राण त्याग दिये। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और मुरारी शर्मा
मुरैना
मुरैना भारत के मध्य प्रदेश प्रान्त का एक नगर है। यह मुरैना जिला मुख्यालय भी है। उत्तरी मध्य प्रदेश में स्थित मुरैना चंबल घाटी का प्रमुख जिला है। 5000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले इस जिले से चंबल, कुंवारी, आसन और सांक नदियां बहती हैं। पर्यटन के लिए आने वालों के देखने के लिए यहां अनेक दर्शनीय स्थल हैं। इन दर्शनीय स्थलों में सिहोनिया, पहाडगढ़, मीतावली, नूराबाद, सबलगढ़ का किला और राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य प्रमुख हैं। यहां एक पुरातात्विक संग्रहालय और गैलरी भी देखी जा सकती है। यह जिला ग्वालियर नगर से लगभग 46 किलोमीटर की दूरी पर है। मुरैना का प्राचीन नाम मयूरवन है जो की महाभारत काल के समय बहुत प्रसिद्ध था। इसी जिले का एक छोटा सा साॅटा नामक गांव हैं जिसमें जिले के सभी गांवों की अपेक्षाकृत अधिक मोर पाये जाते हैं यह मुरैना नगर से १० किलो मीटर की दूरी पर स्थित है । .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और मुरैना
मुखम्मस
मुखम्मस (अंग्रेजी: Mukhammas) (उर्दू:مخمس) उर्दू कविता का एक प्रारूप है। इसकी उत्पत्ति फ़ारसी भाषा से हुई है ऐसा माना जाता है। इसमें प्रत्येक बन्द या चरण 5-5 पंक्ति का होता है पहले चरण की सभी पंक्तियों में एक-सी लयबद्धता होती है। जबकि बाद के सभी बन्द अपनी अन्तिम पंक्ति में शुरुआती बन्द की आखिरी बन्दिश लय में आबद्ध होते रहते हैं। निम्न उद्धरण में दिये गये शुरुआती बन्द से यह बात एकदम स्पष्ठ हो जाती है। (शेष अंश नीचे उदाहरण वाले अनुभाग में देखें): .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और मुखम्मस
मैनपुरी
मैनपुरी भारत में उत्तर प्रदेश के आगरा मण्डल का एक प्रमुख शहर एवं लोकसभा क्षेत्र है। किलों के लिए प्रसिद्ध मैनपुरी उत्तर प्रदेश राज्य का एक जिला है। अकबर औछा, अम्बरपुर वेटलैंड, समान वन्यजीव अभ्यारण, बर्नहाल और करीमगंज आदि यहां के प्रमुख स्थलों में से है। ऐतिहासिक दृष्टि से भी यह स्थान काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। यह जिला इत: जिले के उत्तर, फरूखाबाद एवं कन्नौज जिले के पूर्व, इटावा जिले के दक्षिण और फिरोजाबाद जिले के पश्चिम से घिरा हुआ है। मैनपुरी जिले का इतिहास प्रागैतिहासिक काल से ही है। मैनपुरी और उसके आस-पास की जगह पर कन्नौज के शासकवंश का शासन था। 1526 के दौरान यहां पर मुगल शासक बाबर, अठाहरवीं शताब्दी में मराठों और फिर अवध के नवाब वजीर ने शासन किया था। अंत में 1801 ई.
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और मैनपुरी
मैनपुरी षड्यन्त्र
पं० गेंदालाल दीक्षित (मैनपुरी काण्ड के नेता) का चित्र परतन्त्र भारत में स्वतन्त्रता संग्राम के दौरान अंग्रेजों को देश से बाहर निकालने के लिये उत्तर प्रदेश के जिला मैनपुरी में सन् १९१५-१६ में एक क्रान्तिकारी संस्था की स्थापना हुई थी जिसका प्रमुख केन्द्र मैनपुरी ही रहा। मुकुन्दी लाल, दम्मीलाल, करोरीलाल गुप्ता, सिद्ध गोपाल चतुर्वेदी, गोपीनाथ, प्रभाकर पाण्डे, चन्द्रधर जौहरी और शिव किशन आदि ने औरैया जिला इटावा निवासी पण्डित गेंदालाल दीक्षित के नेतृत्व में अंग्रेजों के विरुद्ध काम करने के लिये उनकी संस्था शिवाजी समिति से हाथ मिलाया और एक नयी संस्था मातृवेदी की स्थापना की। इस संस्था के छिप कर कार्य करने की सूचना अंग्रेज अधिकारियों को लग गयी और प्रमुख नेताओं को पकड़कर उनके विरुद्ध मैनपुरी में मुकदमा चला। इसे ही बाद में अंग्रेजों ने मैनपुरी षडयन्त्र कहा। इन क्रान्तिकारियों को अलग-अलग समय के लिये कारावास की सजा हुई। मैनपुरी षडयन्त्र की विशेषता यह थी कि इसकी योजना प्रमुख रूप से उत्तर प्रदेश के निवासियों ने ही बनायी थी। यदि इस संस्था में शामिल मैनपुरी के ही देशद्रोही गद्दार दलपतसिंह ने अंग्रेजी सरकार को इसकी मुखबिरी न की होती तो यह दल समय से पूर्व इतनी जल्दी टूटने या बिखरने वाला नहीं था। मैनपुरी काण्ड में शामिल दो लोग - मुकुन्दीलाल और राम प्रसाद 'बिस्मिल' आगे चलकर सन् १९२५ के विश्वप्रसिद्ध काकोरी काण्ड में भी शामिल हुए। मुकुन्दीलाल को आजीवन कारावास की सजा हुई जबकि राम प्रसाद 'बिस्मिल' को तो फाँसी ही दे दी गयी क्योंकि वे भी मैनपुरी काण्ड में गेंदालाल दीक्षित को आगरा के किले से छुडाने की योजना बनाने वाले मातृवेदी दल के नेता थे। यदि कहीं ये लोग अपने अभियान में कामयाब हो जाते तो न तो सन् १९२७ में राजेन्द्र लाहिडी व अशफाक उल्ला खाँ सरीखे होनहार नवयुवक फाँसी चढते और न ही चन्द्रशेखर आजाद जैसे नर नाहर तथा गणेशशंकर विद्यार्थी सरीखे प्रखर पत्रकार की सन् १९३१ में जघन्य हत्याएँ हुई होतीं। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और मैनपुरी षड्यन्त्र
मोतीलाल नेहरू
मोतीलाल नेहरू (1861 – 1931) मोतीलाल नेहरू (जन्म: 6 मई 1861 – मृत्यु: 6 फ़रवरी 1931) इलाहाबाद के एक मशहूर वकील थे। वे भारत के प्रथम प्रधानमन्त्री जवाहरलाल नेहरू के पिता थे। वे भारत के स्वतन्त्रता संग्राम के आरम्भिक कार्यकर्ताओं में से थे। 1928 से लेकर 1929 तक पूरे दो वर्ष तक वे काँग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे।I'm .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और मोतीलाल नेहरू
मोहम्मद अली जिन्नाह
मोहम्मद अली जिन्ना (उर्दू:, जन्म: 25 दिसम्बर 1876 मृत्यु: 11 सितम्बर 1948) बीसवीं सदी के एक प्रमुख राजनीतिज्ञ थे जिन्हें पाकिस्तान के संस्थापक के रूप में जाना जाता है। वे मुस्लिम लीग के नेता थे जो आगे चलकर पाकिस्तान के पहले गवर्नर जनरल बने। पाकिस्तान में, उन्हें आधिकारिक रूप से क़ायदे-आज़म यानी महान नेता और बाबा-ए-क़ौम यानी राष्ट्र पिता के नाम से नवाजा जाता है। उनके जन्म दिन पर पाकिस्तान में अवकाश रहता है। भारतीय राजनीति में जिन्ना का उदय 1916 में कांग्रेस के एक नेता के रूप में हुआ था, जिन्होने हिन्दू-मुस्लिम एकता पर जोर देते हुए मुस्लिम लीग के साथ लखनऊ समझौता करवाया था। वे अखिल भारतीय होम रूल लीग के प्रमुख नेताओं में गिने जाते थे। काकोरी काण्ड के चारो मृत्यु-दण्ड प्राप्त कैदियों की सजायें कम करके आजीवन कारावास (उम्र-कैद) में बदलने हेतु सेण्ट्रल कौन्सिल के ७८ सदस्यों ने तत्कालीन वायसराय व गवर्नर जनरल एडवर्ड फ्रेडरिक लिण्डले वुड को शिमला जाकर हस्ताक्षर युक्त मेमोरियल दिया था जिस पर प्रमुख रूप से पं॰ मदन मोहन मालवीय, मोहम्मद अली जिन्ना, एन॰ सी॰ केलकर, लाला लाजपत राय व गोविन्द वल्लभ पन्त आदि ने हस्ताक्षर किये थे। भारतीय मुसलमानों के प्रति कांग्रेस के उदासीन रवैये को देखते हुए जिन्ना ने कांग्रेस छोड़ दी। उन्होंने देश में मुसलमानों के अधिकारों की रक्षा और स्वशासन के लिए चौदह सूत्रीय संवैधानिक सुधार का प्रस्ताव रखा। लाहौर प्रस्ताव के तहत उन्होंने मुसलमानों के लिए एक अलग राष्ट्र का लक्ष्य निर्धारित किया। 1946 में ज्यादातर मुस्लिम सीटों पर मुस्लिम लीग की जीत हुई और जिन्ना ने पाकिस्तान की आजादी के लिए त्वरित कार्रवाई का अभियान शुरू किया। कांग्रेस की कड़ी प्रतिक्रिया के कारण भारत में व्यापक पैमाने पर हिंसा हुई। मुस्लिम लीग और कांग्रेस पार्टी, गठबन्धन की सरकार बनाने में असफल रहे, इसलिए अंग्रेजों ने भारत विभाजन को मंजूरी दे दी। पाकिस्तान के गवर्नर जनरल के रूप में जिन्ना ने लाखों शरणार्थियो के पुनर्वास के लिए प्रयास किया। साथ ही, उन्होंने अपने देश की विदेश नीति, सुरक्षा नीति और आर्थिक नीति बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। गौरतलब है कि पाकिस्तान और भारत का बटवारा जिन्ना और नेहरू के राजनीतिक लालच की वजह से हुआ है ! .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और मोहम्मद अली जिन्नाह
यतीन्द्रनाथ दास
यतीन्द्र नाथ दास अथवा जतीन्द्र नाथ दास (যতীন দাস) (27 अक्टूबर 1904 – 13 सितम्बर 1929), जिन्हें जतिन दास के नाम से भी जाना जाता है, भारतीय स्वतंत्रता कार्यकरता और हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन के सदस्य थे। उनका ६३ दिन की भूख हड़ताल के बाद लाहौर सेण्ट्रल जेल में निधन हो गया। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और यतीन्द्रनाथ दास
यमुना नदी
आगरा में यमुना नदी यमुना त्रिवेणी संगम प्रयाग में वृंदावन के पवित्र केशीघाट पर यमुना सुबह के धुँधलके में यमुनातट पर ताज यमुना भारत की एक नदी है। यह गंगा नदी की सबसे बड़ी सहायक नदी है जो यमुनोत्री (उत्तरकाशी से ३० किमी उत्तर, गढ़वाल में) नामक जगह से निकलती है और प्रयाग (इलाहाबाद) में गंगा से मिल जाती है। इसकी प्रमुख सहायक नदियों में चम्बल, सेंगर, छोटी सिन्ध, बतवा और केन उल्लेखनीय हैं। यमुना के तटवर्ती नगरों में दिल्ली और आगरा के अतिरिक्त इटावा, काल्पी, हमीरपुर और प्रयाग मुख्य है। प्रयाग में यमुना एक विशाल नदी के रूप में प्रस्तुत होती है और वहाँ के प्रसिद्ध ऐतिहासिक किले के नीचे गंगा में मिल जाती है। ब्रज की संस्कृति में यमुना का महत्वपूर्ण स्थान है। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और यमुना नदी
युद्ध
वर्ष १९४५ में कोलोन युद्ध एक लंबे समय तक चलने वाला आक्रामक कृत्य है जो सामान्यतः राज्यों के बीच झगड़ों के आक्रामक और हथियारबंद लड़ाई में परिवर्तित होने से उत्पन्न होता है। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और युद्ध
यूनाइटेड किंगडम
वृहत् ब्रिटेन और उत्तरी आयरलैण्ड का यूनाइटेड किंगडम (सामान्यतः यूनाइटेड किंगडम, यूके, बर्तानिया, UK, या ब्रिटेन के रूप में जाना जाने वाला) एक विकसित देश है जो महाद्वीपीय यूरोप के पश्चिमोत्तर तट पर स्थित है। यह एक द्वीपीय देश है, यह ब्रिटिश द्वीप समूह में फैला है जिसमें ग्रेट ब्रिटेन, आयरलैंड का पूर्वोत्तर भाग और कई छोटे द्वीप शामिल हैं।उत्तरी आयरलैंड, UK का एकमात्र ऐसा हिस्सा है जहां एक स्थल सीमा अन्य राष्ट्र से लगती है और यहां आयरलैण्ड यूके का पड़ोसी देश है। इस देश की सीमा के अलावा, UK अटलांटिक महासागर, उत्तरी सागर, इंग्लिश चैनल और आयरिश सागर से घिरा हुआ है। सबसे बड़ा द्वीप, ग्रेट ब्रिटेन, चैनल सुरंग द्वारा फ़्रांस से जुड़ा हुआ है। यूनाइटेड किंगडम एक संवैधानिक राजशाही और एकात्मक राज्य है जिसमें चार देश शामिल हैं: इंग्लैंड, उत्तरी आयरलैंड, स्कॉटलैंड और वेल्स.
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और यूनाइटेड किंगडम
योगेश चन्द्र चटर्जी
योगेश चन्द्र चटर्जी (1895 - 1969) मूलत: बंगाल के एक प्रमुख क्रान्तिकारी थे। वे बंगाल की अनुशीलन समिति व संयुक्त प्रान्त (अब उत्तर प्रदेश) की हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन के सक्रिय सदस्य थे। कुल मिलाकर वे एक सच्चे स्वतन्त्रता सेनानी थे। बंगाल की अनुशीलन समिति में काम करते हुए उन्हें पुलिस द्वारा अनेक प्रकार की अमानुषिक यातनायें दी गयीं किन्तु वे टस से मस न हुए। उन्हें काकोरी काण्ड में आजीवन कारावास का दण्ड मिला था। स्वतन्त्र भारत में वे राज्य सभा के सांसद भी रहे। चिरकुँवारे योगेश दा ने कुछ पुस्तकें भी लिखी थीं जिनमें अंग्रेजी पुस्तक इन सर्च ऑफ फ्रीडम उल्लेखनीय है। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और योगेश चन्द्र चटर्जी
राम
राम (रामचन्द्र) प्राचीन भारत में अवतार रूपी भगवान के रूप में मान्य हैं। हिन्दू धर्म में राम विष्णु के दस अवतारों में से सातवें अवतार हैं। राम का जीवनकाल एवं पराक्रम महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित संस्कृत महाकाव्य रामायण के रूप में वर्णित हुआ है। गोस्वामी तुलसीदास ने भी उनके जीवन पर केन्द्रित भक्तिभावपूर्ण सुप्रसिद्ध महाकाव्य श्री रामचरितमानस की रचना की है। इन दोनों के अतिरिक्त अनेक भारतीय भाषाओं में अनेक रामायणों की रचना हुई हैं, जो काफी प्रसिद्ध भी हैं। खास तौर पर उत्तर भारत में राम बहुत अधिक पूजनीय हैं और हिन्दुओं के आदर्श पुरुष हैं। राम, अयोध्या के राजा दशरथ और रानी कौशल्या के सबसे बड़े पुत्र थे। राम की पत्नी का नाम सीता था (जो लक्ष्मी का अवतार मानी जाती हैं) और इनके तीन भाई थे- लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न। हनुमान, भगवान राम के, सबसे बड़े भक्त माने जाते हैं। राम ने राक्षस जाति के लंका के राजा रावण का वध किया। राम की प्रतिष्ठा मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में है। राम ने मर्यादा के पालन के लिए राज्य, मित्र, माता पिता, यहाँ तक कि पत्नी का भी साथ छोड़ा। इनका परिवार आदर्श भारतीय परिवार का प्रतिनिधित्व करता है। राम रघुकुल में जन्मे थे, जिसकी परम्परा प्रान जाहुँ बरु बचनु न जाई की थी। श्रीराम के पिता दशरथ ने उनकी सौतेली माता कैकेयी को उनकी किन्हीं दो इच्छाओं को पूरा करने का वचन (वर) दिया था। कैकेयी ने दासी मन्थरा के बहकावे में आकर इन वरों के रूप में राजा दशरथ से अपने पुत्र भरत के लिए अयोध्या का राजसिंहासन और राम के लिए चौदह वर्ष का वनवास माँगा। पिता के वचन की रक्षा के लिए राम ने खुशी से चौदह वर्ष का वनवास स्वीकार किया। पत्नी सीता ने आदर्श पत्नी का उदहारण देते हुए पति के साथ वन जाना उचित समझा। सौतेले भाई लक्ष्मण ने भी भाई के साथ चौदह वर्ष वन में बिताये। भरत ने न्याय के लिए माता का आदेश ठुकराया और बड़े भाई राम के पास वन जाकर उनकी चरणपादुका (खड़ाऊँ) ले आये। फिर इसे ही राज गद्दी पर रख कर राजकाज किया। राम की पत्नी सीता को रावण हरण (चुरा) कर ले गया। राम ने उस समय की एक जनजाति वानर के लोगों की मदद से सीता को ढूँढ़ा। समुद्र में पुल बना कर रावण के साथ युद्ध किया। उसे मार कर सीता को वापस लाये। जंगल में राम को हनुमान जैसा मित्र और भक्त मिला जिसने राम के सारे कार्य पूरे कराये। राम के अयोध्या लौटने पर भरत ने राज्य उनको ही सौंप दिया। राम न्यायप्रिय थे। उन्होंने बहुत अच्छा शासन किया इसलिए लोग आज भी अच्छे शासन को रामराज्य की उपमा देते हैं। इनके पुत्र कुश व लव ने इन राज्यों को सँभाला। हिन्दू धर्म के कई त्योहार, जैसे दशहरा, राम नवमी और दीपावली, राम की जीवन-कथा से जुड़े हुए हैं। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और राम
राम शरण गौड़
राम शरण गौड़ (जन्म: २८ जुलाई १९४२ अलीगढ़) लेखक, प्रशासक व समाजसेवी हैं। उन्होंने दिल्ली सरकार के समाज कल्याण विभाग सहित कई अन्य विभागों में मह्त्वपूर्ण पदों पर रहते हुए लेखन कार्य जारी रखा। हिन्दी अकादमी, दिल्ली में ९ वर्ष तक सचिव रहे डॉ॰ रामशरण गौड़ की विभिन्न विषयों पर अब तक दर्ज़नों पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। उन्हें हिन्दी भाषा और साहित्य की सेवा के लिये तमिलनाडु हिन्दी अकादमी, केरल हिन्दी अकादमी सहित कई संस्थाओं द्वारा सम्मानित किया गया। भारत सरकार के संस्कृति मन्त्रालय के अन्तर्गत वरिष्ठ अध्येता के रूप में उन्होंने आधुनिक गीतिकाव्य में जीवनमूल्य विषय पर कार्य किया। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और राम शरण गौड़
रामविलास शर्मा
डॉ॰ रामविलास शर्मा (१० अक्टूबर, १९१२- ३० मई, २०००) आधुनिक हिन्दी साहित्य के सुप्रसिद्ध आलोचक, निबंधकार, विचारक एवं कवि थे। व्यवसाय से अंग्रेजी के प्रोफेसर, दिल से हिन्दी के प्रकांड पंडित और महान विचारक, ऋग्वेद और मार्क्स के अध्येता, कवि, आलोचक, इतिहासवेत्ता, भाषाविद, राजनीति-विशारद ये सब विशेषण उन पर समान रूप से लागू होते हैं। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और रामविलास शर्मा
राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत
राष्ट्रीय पुस्तक न्यास (नेशनल बुक ट्रस्ट) भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अधीन स्वायत्तशासी संगठन (प्रकाशन समूह) है। इसकी स्थापना 1957 में हुई थी। इसके कार्य हैं - (1) प्रकाशन (२) पुस्तक पठन को प्रोत्साहन (3) विदेशों में भारतीय पुस्तकों को प्रोत्साहन (4) लेखकों और प्रकाशकों को सहायता (5) बाल साहित्य को बढ़ावा देना यह विभिन्न श्रेणियों के अर्न्तगत हिंदी, अंग्रेजी तथा अन्य प्रमुख भारतीय भाषाओँ एवं ब्रेल लिपि में पुस्तकें प्रकाशित करता है। यह हर दूसरे वर्ष नई दिल्ली में 'विश्व पुस्तक मेले' का आयोजन करता है, जो एशिया और अफ्रीका का सबसे बड़ा पुस्तक मेला है। यह प्रतिवर्ष 14 से 20 नवम्बर तक 'राष्ट्रीय पुस्तक सप्ताह' भी मनाता है। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत
राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद
राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसन्धान और प्रशिक्षण परिषद (अंग्रेज़ी:नेशनल काउन्सिल ऑफ एड्युकेशनल रिसर्च एण्ड ट्रेनिंग, लघु:NCERT National Council of Educational Research and Training) भारत सरकार द्वारा स्थापित संस्थान है जो विद्यालयी शिक्षा से जुड़े मामलों पर केन्द्रीय सरकार एवं प्रान्तीय सरकारों को सलाह देने के उद्देश्य से स्थापित की गयी है। यह परिषद भारत में स्कूली शिक्षा संबंधी सभी नीतियों पर कार्य करती है।। हिन्दुस्तान लाइव। २१ फ़रवरी २०१० इसका मुख्य कार्य शिक्षा एवं समाज कल्याण मंत्रालय को विशेषकर स्कूली शिक्षा के संबंध में सलाह देने और नीति-निर्धारण में मदद करने का है। इसके अतिरिक्त एनसीईआरटी के अन्य कार्य हैं शिक्षा के समूचे क्षेत्र में शोधकार्य को सहयोग और प्रोत्साहित करना, उच्च शिक्षा में प्रशिक्षण को सहयोग देना, स्कूलों में शिक्षा पद्धति में लाए गए बदलाव और विकास को लागू करना, राज्य सरकारों और अन्य शैक्षणिक संगठनों को स्कूली शिक्षा संबंधी सलाह आदि देना और अपने कार्य हेतु प्रकाशन सामग्री और अन्य वस्तुओं के प्रचार की दिशा में कार्य करना। इसी तरह भारत में शिक्षा से जुड़े लगभग हरेक कार्य में एनसीईआरटी की उपस्थिति किसी न किसी रूप में रहती है। कई अन्य शैक्षणिक संस्थान एनसीईआरटी के सहयोगी के तौर पर कार्यरत हैं, इनमें प्रमुख हैं.
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ
यह लेख भारत के एक सांस्कृतिक संगठन आर एस एस के बारे में है। अन्य प्रयोग हेतु आर एस एस देखें। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भारत का एक दक्षिणपंथी, हिन्दू राष्ट्रवादी, अर्धसैनिक, स्वयंसेवक संगठन हैं, जो व्यापक रूप से भारत के सत्तारूढ़ दल भारतीय जनता पार्टी का पैतृक संगठन माना जाता हैं। यह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अपेक्षा संघ या आर.एस.एस.
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालकों की सूची
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालकों की सूची: १. डॉक्टर केशवराव बलिराम हेडगेवार उपाख्य डॉक्टर साहब (1925-1940) २. माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर उपाख्य गुरूजी (1940-1973) ३.
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालकों की सूची
राजनीति
नागरिक स्तर पर या व्यक्तिगत स्तर पर कोई विशेष प्रकार का सिद्धान्त एवं व्यवहार राजनीति (पॉलिटिक्स) कहलाती है। अधिक संकीर्ण रूप से कहें तो शासन में पद प्राप्त करना तथा सरकारी पद का उपयोग करना राजनीति है। राजनीति में बहुत से रास्ते अपनाये जाते हैं जैसे- राजनीतिक विचारों को आगे बढ़ाना, कानून बनाना, विरोधियों के विरुद्ध युद्ध आदि शक्तियों का प्रयोग करना। राजनीति बहुत से स्तरों पर हो सकती है- गाँव की परम्परागत राजनीति से लेकर, स्थानीय सरकार, सम्प्रभुत्वपूर्ण राज्य या अन्तराष्ट्रीय स्तर पर। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और राजनीति
राज्यपाल
राज्यपाल या गवर्नर (अंग्रेज़ी: governor) शासन करने वाले ऐसे व्यक्ति को कहते हैं जो किसी देश के शासक के अधीन हो और उस देश के किसी भाग पर शासन कर रहा हो। संघीय देशों में संघ के राज्यों पर शासन कने वाले व्यक्तियों को अक्सर राज्यपाल का ख़िताब दिया जाता है। कुछ संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे गणतंत्रों में राज्यपाल सीधे उस राज्य की जनता द्वारा चुने जाते हैं और वह उस राज्य के सर्वोच्च प्रशासनिक अध्यक्ष होते हैं, जबकि भारत जैसे संसदीय गणतंत्रों में अक्सर राज्यपाल केन्द्रीय सरकार या शासक नियुक्त करती है और वह नाम मात्र का अध्यक्ष होता है (वास्तव में राज्य सरकार को चुना हुआ मुख्य मंत्री चलाता है, जो औपचारिक रूप से राज्यपाल के नीचे बतलाया जाता है)।, Nancy Harris, Heinemann-Raintree Classroom, 2007, ISBN 978-1-4034-9514-3,...
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और राज्यपाल
राजेन्द्र प्रसाद
राजेन्द्र प्रसाद (3 दिसम्बर 1884 – 28 फरवरी 1963) भारत के प्रथम राष्ट्रपति थे। वे भारतीय स्वाधीनता आंदोलन के प्रमुख नेताओं में से थे जिन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में प्रमुख भूमिका निभाई। उन्होंने भारतीय संविधान के निर्माण में भी अपना योगदान दिया था जिसकी परिणति २६ जनवरी १९५० को भारत के एक गणतंत्र के रूप में हुई थी। राष्ट्रपति होने के अतिरिक्त उन्होंने स्वाधीन भारत में केन्द्रीय मन्त्री के रूप में भी कुछ समय के लिए काम किया था। पूरे देश में अत्यन्त लोकप्रिय होने के कारण उन्हें राजेन्द्र बाबू या देशरत्न कहकर पुकारा जाता था। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और राजेन्द्र प्रसाद
राजेन्द्र सिंह (रज्जू भैया)
प्रो॰ राजेन्द्र सिंह (२९ जनवरी १९२२ - १४ जुलाई २००३) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के चौथे सरसंघचालक थे, जिन्हें सर्वसाधारण जन से लेकर संघ परिवार तक सभी जगह रज्जू भैया के नाम से ही जाना जाता है। वे इलाहाबाद विश्वविद्यालय में १९३९ से १९४३ तक विद्यार्थी रहे। तत्पश्चात् १९४३ से १९६७ तक भौतिकी विभाग में पहले प्रवक्ता नियुक्त हुए, फिर प्राध्यापक और अन्त में विभागाध्यक्ष हो गये। रज्जू भैया भारत के महान गणितज्ञ हरीशचन्द्र के बी०एससी० और एम०एससी० (भौतिक शास्त्र) में सहपाठी थे। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और राजेन्द्र सिंह (रज्जू भैया)
राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी
राजेन्द्र लाहिडी की दुर्लभ फोटो राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी (अंग्रेजी:Rajendra Nath Lahiri, बाँग्ला:রাজেন্দ্র নাথ লাহিড়ী, जन्म:१९०१-मृत्यु:१९२७) भारत के स्वतंत्रता संग्राम के महत्वपूर्ण स्वतंत्रता सेनानी थे। युवा क्रान्तिकारी लाहिड़ी की प्रसिद्धि काकोरी काण्ड के एक प्रमुख अभियुक्त के रूप में हैं। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी
रूस
रूस (रूसी: Росси́йская Федера́ция / रोस्सिज्स्काया फ़ेदेरात्सिया, Росси́я / रोस्सिया) पूर्वी यूरोप और उत्तर एशिया में स्थित एक विशाल आकार वाला देश। कुल १,७०,७५,४०० किमी२ के साथ यह विश्व का सब्से बड़ा देश है। आकार की दृष्टि से यह भारत से पाँच गुणा से भी अधिक है। इतना विशाल देश होने के बाद भी रूस की जनसंख्या विश्व में सातवें स्थान पर है जिसके कारण रूस का जनसंख्या घनत्व विश्व में सब्से कम में से है। रूस की अधिकान्श जनसंख्या इसके यूरोपीय भाग में बसी हुई है। इसकी राजधानी मॉस्को है। रूस की मुख्य और राजभाषा रूसी है। रूस के साथ जिन देशों की सीमाएँ मिलती हैं उनके नाम हैं - (वामावर्त) - नार्वे, फ़िनलैण्ड, एस्टोनिया, लातविया, लिथुआनिया, पोलैण्ड, बेलारूस, यूक्रेन, जॉर्जिया, अज़रबैजान, कजाकिस्तान, चीन, मंगोलिया और उत्तर कोरिया। रूसी साम्राज्य के दिनों से रूस ने विश्व में अपना स्थान एक प्रमुख शक्ति के रूप में किया था। प्रथम विश्वयुद्ध के बाद सोवियत संघ विश्व का सबसे बड़ा साम्यवादी देश बना। यहाँ के लेखकों ने साम्यवादी विचारधारा को विश्व भर में फैलाया। द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद सोवियत संघ एक प्रमुख सामरिक और राजनीतिक शक्ति बनकर उभरा। संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ इसकी वर्षों तक प्रतिस्पर्धा चली जिसमें सामरिक, आर्थिक, राजनैतिक और तकनीकी क्षेत्रों में एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ थी। १९८० के दशक से यह आर्थिक रूप से क्षीण होता चला गया और १९९१ में इसका विघटन हो गया जिसके फलस्वरूप रूस, सोवियत संघ का सबसे बड़ा राज्य बना। वर्तमान में रूस अपने सोवियत संघ काल के महाशक्ति पद को पुनः प्राप्त करने का प्रयास कर रहा है। यद्यपि रूस अभी भी एक प्रमुख देश है लेकिन यह सोवियत काल के पद से भी बहुत दूर है। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और रूस
लालबहादुर शास्त्री
लालबहादुर शास्त्री (जन्म: 2 अक्टूबर 1904 मुगलसराय - मृत्यु: 11 जनवरी 1966 ताशकन्द), भारत के दूसरे प्रधानमन्त्री थे। वह 9 जून 1964 से 11 जनवरी 1966 को अपनी मृत्यु तक लगभग अठारह महीने भारत के प्रधानमन्त्री रहे। इस प्रमुख पद पर उनका कार्यकाल अद्वितीय रहा। भारत की स्वतन्त्रता के पश्चात शास्त्रीजी को उत्तर प्रदेश के संसदीय सचिव के रूप में नियुक्त किया गया था। गोविंद बल्लभ पंत के मन्त्रिमण्डल में उन्हें पुलिस एवं परिवहन मन्त्रालय सौंपा गया। परिवहन मन्त्री के कार्यकाल में उन्होंने प्रथम बार महिला संवाहकों (कण्डक्टर्स) की नियुक्ति की थी। पुलिस मन्त्री होने के बाद उन्होंने भीड़ को नियन्त्रण में रखने के लिये लाठी की जगह पानी की बौछार का प्रयोग प्रारम्भ कराया। 1951 में, जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में वह अखिल भारत काँग्रेस कमेटी के महासचिव नियुक्त किये गये। उन्होंने 1952, 1957 व 1962 के चुनावों में कांग्रेस पार्टी को भारी बहुमत से जिताने के लिये बहुत परिश्रम किया। जवाहरलाल नेहरू का उनके प्रधानमन्त्री के कार्यकाल के दौरान 27 मई, 1964 को देहावसान हो जाने के बाद साफ सुथरी छवि के कारण शास्त्रीजी को 1964 में देश का प्रधानमन्त्री बनाया गया। उन्होंने 9 जून 1964 को भारत के प्रधान मन्त्री का पद भार ग्रहण किया। उनके शासनकाल में 1965 का भारत पाक युद्ध शुरू हो गया। इससे तीन वर्ष पूर्व चीन का युद्ध भारत हार चुका था। शास्त्रीजी ने अप्रत्याशित रूप से हुए इस युद्ध में नेहरू के मुकाबले राष्ट्र को उत्तम नेतृत्व प्रदान किया और पाकिस्तान को करारी शिकस्त दी। इसकी कल्पना पाकिस्तान ने कभी सपने में भी नहीं की थी। ताशकन्द में पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब ख़ान के साथ युद्ध समाप्त करने के समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद 11 जनवरी 1966 की रात में ही रहस्यमय परिस्थितियों में उनकी मृत्यु हो गयी। उनकी सादगी, देशभक्ति और ईमानदारी के लिये मरणोपरान्त भारत रत्न से सम्मानित किया गया। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और लालबहादुर शास्त्री
लाला लाजपत राय
लालाजी (१९०८ में) लाला लाजपत राय (पंजाबी: ਲਾਲਾ ਲਾਜਪਤ ਰਾਏ, जन्म: 28 जनवरी 1865 - मृत्यु: 17 नवम्बर 1928) भारत के जैन धर्म के अग्रवंश मे जन्मे एक प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी थे। इन्हें पंजाब केसरी भी कहा जाता है। इन्होंने पंजाब नैशनल बैंक और लक्ष्मी बीमा कम्पनी की स्थापना भी की थी। ये भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में गरम दल के तीन प्रमुख नेताओं लाल-बाल-पाल में से एक थे। सन् 1928 में इन्होंने साइमन कमीशन के विरुद्ध एक प्रदर्शन में हिस्सा लिया, जिसके दौरान हुए लाठी-चार्ज में ये बुरी तरह से घायल हो गये और अन्तत: १७ नवम्बर सन् १९२८ को इनकी महान आत्मा ने पार्थिव देह त्याग दी। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और लाला लाजपत राय
लाला हरदयाल
लाला हरदयाल (१४ अक्टूबर १८८४, दिल्ली -४ मार्च १९३९) भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के उन अग्रणी क्रान्तिकारियों में थे जिन्होंने विदेश में रहने वाले भारतीयों को देश की आजादी की लडाई में योगदान के लिये प्रेरित व प्रोत्साहित किया। इसके लिये उन्होंने अमरीका में जाकर गदर पार्टी की स्थापना की। वहाँ उन्होंने प्रवासी भारतीयों के बीच देशभक्ति की भावना जागृत की। काकोरी काण्ड का ऐतिहासिक फैसला आने के बाद मई, सन् १९२७ में लाला हरदयाल को भारत लाने का प्रयास किया गया किन्तु ब्रिटिश सरकार ने अनुमति नहीं दी। इसके बाद सन् १९३८ में पुन: प्रयास करने पर अनुमति भी मिली परन्तु भारत लौटते हुए रास्ते में ही ४ मार्च १९३९ को अमेरिका के महानगर फिलाडेल्फिया में उनकी रहस्यमय मृत्यु हो गयी। उनके सरल जीवन और बौद्धिक कौशल ने प्रथम विश्व युद्ध के समय ब्रिटिश साम्राज्यवाद के विरुद्ध लड़ने के लिए कनाडा और अमेरिका में रहने वाले कई प्रवासी भारतीयों को प्रेरित किया। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और लाला हरदयाल
लाहौर
लाहौर (لہور / ਲਹੌਰ, لاہور) पाकिस्तान के प्रांत पंजाब की राजधानी है एवं कराची के बाद पाकिस्तान में दूसरा सबसे बडा आबादी वाला शहर है। इसे पाकिस्तान का दिल नाम से भी संबोधित किया जाता है क्योंकि इस शहर का पाकिस्तानी इतिहास, संस्कृति एवं शिक्षा में अत्यंत विशिष्ट योगदान रहा है। इसे अक्सर पाकिस्तान बागों के शहर के रूप में भी जाना जाता है। लाहौर शहर रावी एवं वाघा नदी के तट पर भारत पाकिस्तान सीमा पर स्थित है। लाहौर का ज्यादातर स्थापत्य मुगल कालीन एवं औपनिवेशिक ब्रिटिश काल का है जिसका अधिकांश आज भी सुरक्षित है। आज भी बादशाही मस्जिद, अली हुजविरी शालीमार बाग एवं नूरजहां तथा जहांगीर के मकबरे मुगलकालीन स्थापत्य की उपस्थिती एवं उसकी अहमियत का आभास करवाता है। महत्वपूर्ण ब्रिटिश कालीन भवनों में लाहौर उच्च न्यायलय जनरल पोस्ट ऑफिस, इत्यादि मुगल एवं ब्रिटिश स्थापत्य का मिलाजुला नमूना बनकर लाहौर में शान से उपस्थित है एवं ये सभी महत्वपूर्ण पर्यटक स्थल के रूप में लोकप्रिय हैं। मुख्य तौर पर लाहौर में पंजाबी को मातृ भाषा के तौर पर इस्तेमाल की जाती है हलाकि उर्दू एवं अंग्रेजी भाषा भी यहां काफी प्रचलन में है एवं नौजवानों में काफी लोकप्रिय है। लाहौर की पंजाबी शैली को लाहौरी पंजाबी के नाम से भी जाना जाता है जिसमे पंजाबी एवं उर्दू का काफी सुंदर मिश्रण होता है। १९९८ की जनगणना के अनुसार शहर की आबादी लगभग ७ लाख आंकी गयी थी जिसके जून २००६ में १० लाख होने की उम्मीद जतायी गयी थी। इस अनुमान के मुताबिक लाहौर दक्षिण एशिया में पांचवी सबसे बडी आबादी वाला एवं दुनिया में २३वीं सबसे बडी आबादी वाला शहर है।.
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और लाहौर
लखनऊ
लखनऊ (भारत के सर्वाधिक आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश की राजधानी है। इस शहर में लखनऊ जिले और लखनऊ मंडल के प्रशासनिक मुख्यालय भी स्थित हैं। लखनऊ शहर अपनी खास नज़ाकत और तहजीब वाली बहुसांस्कृतिक खूबी, दशहरी आम के बाग़ों तथा चिकन की कढ़ाई के काम के लिये जाना जाता है। २००६ मे इसकी जनसंख्या २,५४१,१०१ तथा साक्षरता दर ६८.६३% थी। भारत सरकार की २००१ की जनगणना, सामाजिक आर्थिक सूचकांक और बुनियादी सुविधा सूचकांक संबंधी आंकड़ों के अनुसार, लखनऊ जिला अल्पसंख्यकों की घनी आबादी वाला जिला है। कानपुर के बाद यह शहर उत्तर-प्रदेश का सबसे बड़ा शहरी क्षेत्र है। शहर के बीच से गोमती नदी बहती है, जो लखनऊ की संस्कृति का हिस्सा है। लखनऊ उस क्ष्रेत्र मे स्थित है जिसे ऐतिहासिक रूप से अवध क्षेत्र के नाम से जाना जाता था। लखनऊ हमेशा से एक बहुसांस्कृतिक शहर रहा है। यहाँ के शिया नवाबों द्वारा शिष्टाचार, खूबसूरत उद्यानों, कविता, संगीत और बढ़िया व्यंजनों को हमेशा संरक्षण दिया गया। लखनऊ को नवाबों के शहर के रूप में भी जाना जाता है। इसे पूर्व की स्वर्ण नगर (गोल्डन सिटी) और शिराज-ए-हिंद के रूप में जाना जाता है। आज का लखनऊ एक जीवंत शहर है जिसमे एक आर्थिक विकास दिखता है और यह भारत के तेजी से बढ़ रहे गैर-महानगरों के शीर्ष पंद्रह में से एक है। यह हिंदी और उर्दू साहित्य के केंद्रों में से एक है। यहां अधिकांश लोग हिन्दी बोलते हैं। यहां की हिन्दी में लखनवी अंदाज़ है, जो विश्वप्रसिद्ध है। इसके अलावा यहाँ उर्दू और अंग्रेज़ी भी बोली जाती हैं। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और लखनऊ
लंदन
लंदन (London) संयुक्त राजशाही और इंग्लैंड की राजधानी और सबसे अधिक आबादी वाला शहर है। ग्रेट ब्रिटेन द्वीप के दक्षिण पूर्व में थेम्स नदी के किनारे स्थित, लंदन पिछली दो सदियों से एक बड़ा व्यवस्थापन रहा है। लंदन राजनीति, शिक्षा, मनोरंजन, मीडिया, फ़ैशन और शिल्पी के क्षेत्र में वैश्विक शहर की स्थिति रखता है। इसे रोमनों ने लोंड़िनियम के नाम से बसाया था। लंदन का प्राचीन अंदरुनी केंद्र, लंदन शहर, का परिक्षेत्र 1.12 वर्ग मीटर (2.9 किमी2) है। 19वीं शताब्दी के बाद से "लंदन", इस अंदरुनी केंद्र के आसपास के क्षेत्रों को मिला कर एक महानगर के रूप में संदर्भित किया जाने लगा, जिनमें मिडलसेक्स, एसेक्स, सरे, केंट, और हर्टफोर्डशायर आदि शमिल है। जिसे आज ग्रेटर लंदन नाम से जानते है, एवं लंदन महापौर और लंदन विधानसभा द्वारा शासित किया जाता हैं। कला, वाणिज्य, शिक्षा, मनोरंजन, फैशन, वित्त, स्वास्थ्य देखभाल, मीडिया, पेशेवर सेवाओं, अनुसंधान और विकास, पर्यटन और परिवहन में लंदन एक प्रमुख वैश्विक शहर है। यह दुनिया का सबसे बड़ा वित्तीय केंद्र के रूप में ताज पहनाया गया है और दुनिया में पांचवां या छठा सबसे बड़ा महानगरीय क्षेत्र जीडीपी है। लंदन एक है विश्व सांस्कृतिक राजधानी। यह दुनिया का सबसे अधिक का दौरा किया जाने वाला शहर है, जो अंतरराष्ट्रीय आगमन द्वारा मापा जाता है और यात्री ट्रैफिक द्वारा मापा जाने वाला विश्व का सबसे बड़ा शहर हवाई अड्डा है। लंदन विश्व के अग्रणी निवेश गंतव्य है, किसी भी अन्य शहर की तुलना में अधिक अंतरराष्ट्रीय खुदरा विक्रेताओं और अल्ट्रा हाई-नेट-वर्थ वाले लोगों की मेजबानी यूरोप में लंदन के विश्वविद्यालय उच्च शिक्षा संस्थानों का सबसे बड़ा केंद्र बनते हैं। 2012 में, लंदन तीन बार आधुनिक ग्रीष्मकालीन ओलंपिक खेलों की मेजबानी करने वाला पहला शहर बन गया। लंदन में लोगों और संस्कृतियों की विविधता है, और इस क्षेत्र में 300 से अधिक भाषाएं बोली जाती हैं। इसकी 2015 कि अनुमानित नगरपालिका जनसंख्या (ग्रेटर लंदन के समरूपी) 8,673,713 थी, जो कि यूरोपीय संघ के किसी भी शहर से सबसे बड़ा, और संयुक्त राजशाही की आबादी का 12.5% हिस्सा है। 2011 की जनगणना के अनुसार 9,787,426 की आबादी के साथ, लंदन का शहरी क्षेत्र, पेरिस के बाद यूरोपीय संघ में दूसरा सबसे अधिक आबादी वाला है। शहर का महानगरीय क्षेत्र यूरोपीय संघ में 13,879,757 जनसंख्या के साथ सबसे अधिक आबादी वाला है, जबकि ग्रेटर लंदन प्राधिकरण के अनुसार शहरी-क्षेत्र की आबादी के रूप में 22.7 मिलियन है। 1831 से 1925 तक लंदन विश्व के सबसे अधिक आबादी वाला शहर था। लंदन में चार विश्व धरोहर स्थल हैं: टॉवर ऑफ़ लंदन; किऊ गार्डन; वेस्टमिंस्टर पैलेस, वेस्ट्मिन्स्टर ऍबी और सेंट मार्गरेट्स चर्च क्षेत्र; और ग्रीनविच ग्रीनविच वेधशाला (जिसमें रॉयल वेधशाला, ग्रीनविच प्राइम मेरिडियन, 0 डिग्री रेखांकित, और जीएमटी को चिह्नित करता है)। अन्य प्रसिद्ध स्थलों में बकिंघम पैलेस, लंदन आई, पिकैडिली सर्कस, सेंट पॉल कैथेड्रल, टावर ब्रिज, ट्राफलगर स्क्वायर, और द शर्ड आदि शामिल हैं। लंदन में ब्रिटिश संग्रहालय, नेशनल गैलरी, प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय, टेट मॉडर्न, ब्रिटिश पुस्तकालय और वेस्ट एंड थिएटर सहित कई संग्रहालयों, दीर्घाओं, पुस्तकालयों, खेल आयोजनों और अन्य सांस्कृतिक संस्थानों का घर है। लंदन अंडरग्राउंड, दुनिया का सबसे पुराना भूमिगत रेलवे नेटवर्क है। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और लंदन
लुधियाना
लुधियाना भारत के पंजाब प्रांत का एक शहर है। इसका प्राचीन नाम लोदी-आना था, जो कि लोदी वन्श के नाम पर था। सतलुज नदी के किनारे स्थित यह शहर 1480 में दिल्ली की लोदी वंश द्वारा स्थापित किया गया था। प्रथम सिख युद्ध (1845) में लुधियाना में एक बड़ी लड़ाई लड़ी गयी थी। लुधियाना अब पंजाब का सबसे अधिक आबादी वाला महानगरीय शहर है। यहाँ का प्रमुख व्यापार कपड़ा निर्माण, ऊनी वस्त्र, मशीन टूल्स, मोपेड, तथा सिलाई मशीनों के इंजीनियरिंग केंद्र हैं। इसके होज़री माल की पूर्व और पश्चिम के सभी बाजारों में काफी मांग है, और यह ऊनी वस्त्र, मशीन टूल्स, मोपेड, सिलाई मशीन और मोटर पार्ट्स को पूरी दुनिया में निर्यात करता है। विशव प्रसिद्ध पंजाब कृषि विश्वविद्यालय लुधियाना में स्थित है। इसमें बड़े अनाज बाजार हैं, और यह ग्रामीण ओलंपिक के लिए भी प्रसिद्ध है। इस जगह के आसपास स्थित कई गुरुद्वारों का ऐतिहासिक महत्व है। एक और महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्मारक लोधी किला है, जो लगभग 500 वर्ष पुराना है, और मुस्लिम शासक सिकंदर लोदी द्वारा सतलुज नदी के तट पर बनाया गया था। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और लुधियाना
लोकतंत्र
लोकतंत्र (शाब्दिक अर्थ "लोगों का शासन", संस्कृत में लोक, "जनता" तथा तंत्र, "शासन") या प्रजातंत्र एक ऐसी शासन व्यवस्था है जिसमें जनता अपना शासक खुद चुनती है। यह शब्द लोकतांत्रिक व्यवस्था और लोकतांत्रिक राज्य दोनों के लिये प्रयुक्त होता है। यद्यपि लोकतंत्र शब्द का प्रयोग राजनीतिक सन्दर्भ में किया जाता है, किंतु लोकतंत्र का सिद्धांत दूसरे समूहों और संगठनों के लिये भी संगत है। मूलतः लोकतंत्र भिन्न भिन्न सिद्धांतों के मिश्रण से बनते हैं, पर मतदान को लोकतंत्र के अधिकांश प्रकारों का चरित्रगत लक्षण माना जाता है। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और लोकतंत्र
शचींद्रनाथ सान्याल
शचींद्रनाथ सान्याल (जन्म 1893, वाराणसी में - मृत्यु 1942, गोरखपुर में) क्वींस कालेज (बनारस) में अपने अध्ययनकाल में उन्होंने काशी के प्रथम क्रांतिकारी दल का गठन 1908 में किया। 1913 में फ्रेंच बस्ती चंदननगर में सुविख्यात क्रांतिकारी रासबिहारी बोस से उनकी मुलाकात हुई। कुछ ही दिनों में काशी केंद्र का चंदननगर दल में विलय हो गया ओर रासबिहारी काशी आकर रहने लगे। क्रमशः काशी उत्तर भारत में क्रांति का केंद्र बन गई। 1914 में प्रथम महायुद्ध छिड़ने पर सिक्खों के दल ब्रिटिश शासन समाप्त करने के लिए अमरीका और कनाडा से स्वदेश प्रत्यावर्तन करने लगे। रासबिहारी को वे पंजाब ले जाना चाहते थे। उन्होंने शचींद्र को सिक्खों से संपर्क करने, स्थिति से परिचित होने और प्रारंभिक संगठन करने के लिए लुधियाना भेजा। कई बार लाहौर, लुधियाना आदि होकर शचींद्र काशी लौटे और रासबिहारी लाहौर गए। लाहौर के सिक्ख रेजिमेंटों ने 21 फ़रवरी 1915 को विद्रोह शुरू करने का निश्चय कर लिया। काशी के एक सिक्ख रेजिमेंट ने भी विद्रोह शुरू होने पर साथ देने का वादा किया। योजना विफल हुई, बहुतों को फाँसी पर चढ़ना पड़ा और चारों ओर घर पकड़ शुरू हो गई। रासबिहारी काशी लौटे। नई योजना बनने लगी। तत्कालीन होम मेंबर सर रेजिनाल्ड क्रेडक की हत्या के आयोजन के लिए शचींद्र को दिल्ली भेजा गया। यह कार्य भी असफल रहा। रासबिहारी को जापान भेजना तय हुआ। 12 मई 1915 को गिरजा बाबू और शचीन्द्र ने उन्हें कलकत्ते के बंदरगाह पर छोड़ा। दो तीन महीने बाद काशी लौटने पर शचींद्र गिरफ्तार कर लिए गए। लाहौर षड्यंत्र मामले की शाखा के रूप में बनारस पूरक षड्यंत्र केस चला और शचींद्र को आजन्म कालेपानी की सजा मिली। युद्धोपरांत शाही घोषणा के परिणामस्वरूप फरवरी, 1920 में वारींद्र, उपेंद्र आदि के साथ शचींद्र रिहा हुए। 1921 में नागपुर कांग्रेस में राजबंदियों के प्रति सहानुभूति का एक संदेश भेजा गया। विषय-निर्वाचन-समिति के सदस्य के रूप में शचींद्र ने इस प्रस्ताव का अनुमोदन करते हुए एक भाषण किया। क्रांतिकारियों ने गांधी जी को सत्याग्रह आंदोलन के समय एक वर्ष तक अपना कार्य स्थगित रखने का वचन दिया था। चौरी चौरा कांड के बाद सत्याग्रह वापस लिए जाने पर, उन्होंने पुन: क्रांतिकारी संगठन का कार्य शुरू कर दिया। 1923 के प्रारंभ में रावलपिंडी से लेकर दानापुर तक लगभग 25 केंद्रों की उन्होंने स्थापना कर ली थी। इस दौरान लाहौर में तिलक स्कूल ऑव पॉलिटिक्स के कुछ छात्रों से उनका संपर्क हुआ। इन छात्रों में सरदार भगत सिंह भी थे। भगतसिंह को उन्होंने दल में शामिल कर लिया और उन्हें कानपुर भेजा। इसी समय उन्होंने कलकत्ते में यतींद्र दास को चुन लिया। यह वही यतींद्र हैं, जिन्होंने लाहौर षड्यंत्र केस में भूख हड़ताल से अपने जीवन का बलिदान किया। 1923 में ही कौंसिल प्रवेश के प्रश्न पर दिल्ली में कांग्रेस का विशेष अधिवेशन हुआ। इस अवसर पर शचींद्र ने देशवासियों के नाम एक अपील निकाली, जिसपर कांग्रेस महासमिति के अनेक सदस्यों ने हस्ताक्षर किए। कांग्रेस से अपना ध्येय बदलकर पूर्ण स्वतंत्रता लिए जाने का प्रस्ताव था। इसमें एशियाई राष्ट्रों के संघ के निर्माण का सुझाव भी दिया गया। अमेरिकन पत्र 'न्यू रिपब्लिक' ने अपीलल ज्यों की त्यों छाप दी, जिसकी एक प्रति रासबिहारी ने जापान से शचींद्र को भेजी। इस अधिवेशन के अवसर पर ही कुतुबद्दीन अहमद उनके पास मानवेंद्र राय का एक संदेश ले आए, जिसमें उन्हें कम्युनिस्ट अंतरराष्ट्रीय संघ की तीसरी बैठक में शामिल होने को आमंत्रित किया गया था। इसके कुछ ही दिनों बाद उन्होंने अपने दल का नामकरण किया 'हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन'। उन्होंने इसका जो संविधान तैयार किया, उसका लक्ष्य था सुसंगठित और सशस्त्र क्रांति द्वारा भारतीय लोकतंत्र संघ की स्थापना। कार्यक्रम में खुले तौर पर काम और गुप्त संगठन दोनों शामिल थे। क्रांतिकारी साहित्य के सृजन पर विशेष बल दिया गया था। समाजवादी व्यवस्था की स्थापना के बारे में भी इसमें प्रचुर इंगित था। संविधान के शब्दों में 'इस प्रजातंत्र संघ में उन सब व्यवस्थाओं का अंत कर दिया जाएगा जिनसे किसी एक मनुष्य द्वारा दूसरे का शोषण हो सकने का अवसर मिल सकता है।' विदेशों में भारतीय क्रांतिकारियों के साथ घनिष्ठ संबंध रखना भी कार्यक्रम का एक अंग था। बेलगाँव कांग्रेस के अधिवेशन में गांधी जी ने क्रांतिकारियों की जो आलोचना की थी, उसके प्रत्युत्तर में शचींद्र ने महात्मा जी को एक पत्र लिखा। गांधी जी ने यंग इंडिया के 12 फ़रवरी 1925 के अंक में इस पत्र को ज्यों का त्यों प्रकाशित कर दिया और साथ ही अपना उत्तर भी। लगभग इसी समय सूर्यकांत सेन के नेतृत्व में चटगाँव दल का, शचींद्र के प्रयत्न से, हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन से संबंध हो गया। शचींद्र बंगाल आर्डिनेंस के अधीन गिरफ्तार कर लिए गए। उनकी गिरफ्तारी के पहले 'दि रिह्वलूशनरी' नाम का पर्चा पंजाब से लेकर वर्मा तक बँटा। इस पर्चे के लेखक और प्रकाशक के रूप में बाँकुड़ा में शचींद्र पर मुकदमा चला और राजद्रोह के अपराध में उन्हें दो वर्ष के कारावास का दंड मिला। कैद की हालत में ही वे काकोरी षडयत्रं केस में शामिल किए गए और संगठन के प्रमुख नेता के रूप में उन्हें पुन: अप्रैल, 1927 में आजन्म कारावास की सजा दी गई। 1937 में संयुक्त प्रदेश में कांग्रेस मंत्रिमंडल की स्थापना के बाद अन्य क्रांतिकारियों के साथ वे रिहा किए गए। रिहा होने पर कुछ दिनों वे कांग्रेस के प्रतिनिधि थे, परंतु बाद को वे फारवर्ड ब्लाक में शामिल हुए। इसी समय काशी में उन्होंने 'अग्रगामी' नाम से एक दैनिक पत्र निकाला। वह स्वयं इसस पत्र के संपादक थे। द्वितीय महायुद्ध छिड़ने के कोई साल भर बाद 1940 में उन्हें पुन: नजरबंद कर राजस्थान के देवली शिविर में भेज दिया गया। वहाँ यक्ष्मा रोग से आक्रांत होने पर इलाज के लिए उन्हें रिहा कर दिया गया। परंतु बीमारी बढ़ गई और 1942 में उनकी मृत्यु हो गई। क्रांतिकारी आंदोलन को बौद्धिक नेतृत्व प्रदान करना उनका विशेष कृतित्व था। उनका दृढ़ मत था कि विशिष्ट दार्शनिक सिद्धांत के बिना कोई आंदोलन सफल नहीं हो सकता। 'विचारविनिमय' नामक अपनी पुस्तक में उन्होंने अपना दार्शनिक दृष्टिकोण किसी अंश तक प्रस्तुत किया है। 'साहित्य, समाज और धर्म' में भी उनके अपने विशेष दार्शनिक दृष्टिकोण का ओर प्रबल धर्मानुराण का भी परिचय मिलता है। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और शचींद्रनाथ सान्याल
शाहजहाँपुर जिला
शाहजहाँपुर जिला (अंग्रेजी: Shahjahanpur district) भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश का एक जिला है जिसका मुख्यालय शाहजहाँपुर है। यह एक ऐतिहासिक क्षेत्र है जिसकी पुष्टि भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा यहाँ के कुछ उत्साही व प्रमुख व्यक्तियों के माध्यन से कराये गये उत्खनन में मिले सिक्कों, बर्तनों व अन्य बस्तुओं के सर्वेक्षण से हुई है। उत्तर वैदिक काल से लेकर वर्तमान समय की वस्तुस्थितियों तक इस जिले की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि सदैव ही चर्चा में रही है। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में सन् १८५७ के प्रथम स्वातन्त्र्य समर से लेकर १९२५ के काकोरी काण्ड तथा १९४२ के भारत छोड़ो आन्दोलन तक इस जिले की प्रमुख भूमिका रही है। इसे शहीद गढ़ या शहीदों की नगरी के नाम से भी जाना जाता है। शाहजहांपुर को 2018 में उत्तर प्रदेश का 17 वां नगर निगम का दर्जा मिला है । .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और शाहजहाँपुर जिला
शिमला
शिमला, हिमाचल प्रदेश की राजधानी है। 1864 में, शिमला को भारत में ब्रिटिश राज की ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित किया गया था। एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल, शिमला को अक्सर पहाड़ों की रानी के रूप में जाना जाता है। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और शिमला
श्रीकृष्ण सरल
श्रीकृष्ण सरल एक भारतीय कवि थे। श्रीकृष्ण सरल जन्म ०१ जनवरी १९१९ ई० को मध्य प्रदेश के अशोक नगर में हुआ। इनके पिता का नाम श्री भगवती प्रसाद तथा माता का नाम यमुना देवी था। सरल जी का निधन ०२ सितम्बर २०००ई० को हुआ। सरल जी शासकीय शिक्षा महा विद्यालय, उज्जैन में प्रोफेसर के पद पर कार्यरत रहे। सरल जी ने अपना सम्पूर्ण लेखन भारतीय क्रांतिकारियों पर ही किया है। क्रांतिकारियों पर उन्होंने अनेक पुस्तकें लिखीं जिनमें पन्द्रह महाकाव्य हैं। साहित्य अकादमी मध्य प्रदेश द्वारा श्रीकृष्ण सरल के नाम पर कविता के लिए "श्रीकृष्ण सरल पुरस्कार" प्रति वर्ष प्रदान किया जाता है। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और श्रीकृष्ण सरल
सत्यार्थ प्रकाश
सत्यार्थ प्रकाश की रचना आर्य समाज के संस्थापक महर्षि दयानन्द सरस्वती ने की। यद्यपि उनकी मातृभाषा गुजराती थी और संस्कृत का इतना ज्ञान था कि संस्कृत में धाराप्रवाह बोल लेते थे, तथापि इस ग्रन्थ को उन्होंने हिन्दी में रचा। कहते हैं कि जब स्वामी जी 1872 में कलकत्ता में केशवचन्द्र सेन से मिले तो उन्होंने स्वामी जी को यह सलाह दी कि आप संस्कृत छोड़कर हिन्दी बोलना आरम्भ कर दें तो भारत का असीम कल्याण हो। तभी से स्वामी जी के व्याख्यानों की भाषा हिन्दी हो गयी और शायद इसी कारण स्वामी जी ने सत्यार्थ प्रकाश की भाषा भी हिन्दी ही रखी। स्वामी जी पूरे देश में घूम-घूमकर शास्त्रार्थ एवं व्याख्यान कर रहे थे। इससे उनके अनुयायियों ने अनुरोध किया कि यदि इन शास्त्रार्थों एवं व्याख्यानों को लिपिबद्ध कर दिया जाय तो ये अमर हो जायेंगे। सत्यार्थ प्रकाश की रचना उनके अनुयायियों के इस अनुरोध के कारण ही सम्भव हुई। सत्यार्थ प्रकाश की रचना का प्रमुख उद्देश्य आर्य समाज के सिद्धान्तों का प्रचार-प्रसार था। इसके साथ-साथ इसमें ईसाई, इस्लाम एवं अन्य कई पन्थों व मतों का खण्डन भी है। उस समय हिन्दू शास्त्रों का गलत अर्थ निकाल कर हिन्दू धर्म एवं संस्कृति को बदनाम करने का षड्यन्त्र भी चल रहा था। इसी को ध्यान में रखकर महर्षि दयानन्द ने इसका नाम सत्यार्थ प्रकाश (सत्य+अर्थ+प्रकाश) अर्थात् सही अर्थ पर प्रकाश डालने वाला (ग्रन्थ) रखा। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और सत्यार्थ प्रकाश
सफला एकादशी
हिंदू धर्म में एकादशी का व्रत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। प्रत्येक वर्ष चौबीस एकादशियाँ होती हैं। जब अधिकमास या मलमास आता है तब इनकी संख्या बढ़कर 26 हो जाती है। पद्मपुराणमें पौषमास के कृष्णपक्ष की एकादशी के विषय में युधिष्ठिर के पूछने पर भगवान श्रीकृष्ण बोले-बडे-बडे यज्ञों से भी मुझे उतना संतोष नहीं होता, जितना एकादशी व्रत के अनुष्ठान से होता है। इसलिए एकादशी-व्रत अवश्य करना चाहिए। पौषमास के कृष्णपक्ष में सफला नाम की एकादशी होती है। इस दिन भगवान नारायण की विधिपूर्वक पूजा करनी चाहिए। यह एकादशी कल्याण करने वाली है। एकादशी समस्त व्रतों में श्रेष्ठ है। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और सफला एकादशी
सरफरोशी की तमन्ना
सरफरोशी की तमन्ना को मशहूर करने वाले पण्डित राम प्रसाद 'बिस्मिल'का चित्र सरफरोशी की तमन्ना भारतीय क्रान्तिकारी बिस्मिल अज़ीमाबादी द्वारा लिखित एक प्रसिद्ध देशभक्तिपूर्ण गजल है जिसमें उन्होंने आत्मोत्सर्ग की भावना को व्यक्त किया था। उनकी यह तमन्ना क्रान्तिकारियों का मन्त्र बन गयी थी यह गजल उर्दू छ्न्द बहरे-रमल में लिखी गई है जिसका अर्कान (छन्द-सूत्र) है: "फाइलातुन, फाइलातुन, फाइलातुन, फाइलुन"। हिन्दी में यदि इसे देवनागरी लिपि में लिखा जाये तो यह परिवर्तित अष्टपदीय गीतिका छन्द के अन्तर्गत आती है इस छन्द का सूत्र है: "राजभा गा, राजभा गा, राजभा गा, राजभा"। मैनपुरी षडयन्त्र व काकोरी काण्ड में शामिल होने वाले भारत के एक महान क्रान्तिकारी नेता रामप्रसाद 'बिस्मिल' ने न सिर्फ इसे लिखा बल्कि मुकदमे के दौरान अदालत में अपने साथियों के साथ सामूहिक रूप से गाकर लोकप्रिय भी बनाया।'बिस्मिल' ने इसे भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के नौजवान स्वतन्त्रता सेनानियों के लिये सम्बोधि-गीत के रूप में लिखा था। 'बिस्मिल' की शहादत के बाद इसे स्वतन्त्रता सेनानियों की नौजवान पीढ़ी जैसे शहीद भगत सिंह तथा चन्द्रशेखर आजाद आदि के साथ भी जोड़ा जाता रहा है। बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय द्वारा रचित वन्दे मातरम जैसे सुप्रसिद्ध गीत के बाद बिस्मिल अज़ीमाबादी की यह अमर रचना, जिसे गाते हुए न जाने कितने ही देशभक्त फाँसी के तख्ते पर झूल गये, उसके वास्तविक इतिहास सहित नीचे दी जा रही है। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और सरफरोशी की तमन्ना
सरोजिनी नायडू
महात्मा गांधी के साथ सरोजिनी नायडू सरोजिनी नायडू (१३ फरवरी १८७९ - २ मार्च १९४९) का जन्म भारत के हैदराबाद नगर में हुआ था। इनके पिता अघोरनाथ चट्टोपाध्याय एक नामी विद्वान तथा माँ कवयित्री थीं और बांग्ला में लिखती थीं। बचपन से ही कुशाग्र-बुद्धि होने के कारण उन्होंने १२ वर्ष की अल्पायु में ही १२हवीं की परीक्षा अच्छे अंकों के साथ उत्तीर्ण की और १३ वर्ष की आयु में लेडी ऑफ दी लेक नामक कविता रची। वे १८९५ में उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए इंग्लैंड गईं और पढ़ाई के साथ-साथ कविताएँ भी लिखती रहीं। गोल्डन थ्रैशोल्ड उनका पहला कविता संग्रह था। उनके दूसरे तथा तीसरे कविता संग्रह बर्ड ऑफ टाइम तथा ब्रोकन विंग ने उन्हें एक सुप्रसिद्ध कवयित्री बना दिया। १८९८ में सरोजिनी नायडू, डॉ॰ गोविंदराजुलू नायडू की जीवन-संगिनी बनीं। १९१४ में इंग्लैंड में वे पहली बार गाँधीजी से मिलीं और उनके विचारों से प्रभावित होकर देश के लिए समर्पित हो गयीं। एक कुशल सेनापति की भाँति उन्होंने अपनी प्रतिभा का परिचय हर क्षेत्र (सत्याग्रह हो या संगठन की बात) में दिया। उन्होंने अनेक राष्ट्रीय आंदोलनों का नेतृत्व किया और जेल भी गयीं। संकटों से न घबराते हुए वे एक धीर वीरांगना की भाँति गाँव-गाँव घूमकर ये देश-प्रेम का अलख जगाती रहीं और देशवासियों को उनके कर्तव्य की याद दिलाती रहीं। उनके वक्तव्य जनता के हृदय को झकझोर देते थे और देश के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर करने के लिए प्रेरित कर देते थे। वे बहुभाषाविद थी और क्षेत्रानुसार अपना भाषण अंग्रेजी, हिंदी, बंगला या गुजराती में देती थीं। लंदन की सभा में अंग्रेजी में बोलकर इन्होंने वहाँ उपस्थित सभी श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया था। अपनी लोकप्रियता और प्रतिभा के कारण १९२५ में कानपुर में हुए कांग्रेस अधिवेशन की वे अध्यक्षा बनीं और १९३२ में भारत की प्रतिनिधि बनकर दक्षिण अफ्रीका भी गईं। भारत की स्वतंत्रता-प्राप्ति के बाद वे उत्तरप्रदेश की पहली राज्यपाल बनीं। श्रीमती एनी बेसेन्ट की प्रिय मित्र और गाँधीजी की इस प्रिय शिष्या ने अपना सारा जीवन देश के लिए अर्पण कर दिया। २ मार्च १९४९ को उनका देहांत हुआ। १३ फरवरी १९६४ को भारत सरकार ने उनकी जयंती के अवसर पर उनके सम्मान में १५ नए पैसे का एक डाकटिकट भी जारी किया। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और सरोजिनी नायडू
सहारनपुर
सहारनपुर उत्तर प्रदेश प्रान्त का एक शहर है। सहारनपुर की स्थापना 1340 के आसपास हुई और इसका नाम एक राजा सहारन पीर के नाम पर पड़ा। सहारनपुर की काष्ठ कला और देवबन्द दारूल उलूम विश्वपटल पर सहारनपुर को अलग पहचान दिलाते हैं। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और सहारनपुर
साहित्यकार
साहित्य की रचना करने वालों को साहित्यकार कहते हैं। श्रेणी:साहित्य श्रेणी:व्यवसाय.
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और साहित्यकार
साइमन कमीशन
साइमन आयोग सात ब्रिटिश सांसदो का समूह था, जिसका गठन 1927 में भारत में संविधान सुधारों के अध्ययन के लिये किया गया था। इसे साइमन आयोग (कमीशन) इसके अध्यक्ष सर जोन साइमन के नाम पर कहा जाता है। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और साइमन कमीशन
साक्ष्य
मोटे तौर पर साक्ष्य (Evidence) में वे सभी चीजें सम्मिलित हैं जो किसी कथन की सत्यता सिद्ध करने के लिये प्रयोग की जाती हैं। साक्ष्य देना वह प्रक्रिया है जिसमें वे चीजें प्रस्तुत की जाती हैं जो -.
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और साक्ष्य
सिंगापुर
सिंगापुर (अंग्रेज़ी: Singapore सिंगपोर, चीनी: 新加坡 शीन्जियापो, मलय: Singapura सिंगापुरा, Tamil: சிங்கப்பூர் चिंकाप्पूर) विश्व के प्रमुख बंदरगाहों और व्यापारिक केंद्रों में से एक है। यह दक्षिण एशिया में मलेशिया तथा इंडोनेशिया के बीच में स्थित है। सिंगापुर यानी सिंहों का पुर। यानी इसे सिंहों का शहर कहा जाता है। यहाँ पर कई धर्मों में विश्वास रखने वाले, विभिन्न देशों की संस्कृति, इतिहास तथा भाषा के लोग एकजुट होकर रहते हैं। मुख्य रूप से यहाँ चीनी तथा अँग्रेजी दोनों भाषाएँ प्रचलित हैं। आकार में मुंबई से थोड़े छोटे इस देश में बसने वाली करीब 35 लाख की आबादी में चीनी, मलय व 8 प्रतिशत भारतीय लोग रहते हैं। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और सिंगापुर
संयुक्त प्रान्त आगरा व अवध
संयुक्त प्रान्त आगरा व अवध (अंग्रेजी: United Provinces of Agra and Oudh; उच्चारण: यूनाईटेड प्राॅविन्सेज़ ऑफ ऐग्रा ऐण्ड औध) ब्रिटिश भारत में स्वाधीनता से पूर्व एकीकृत प्रान्त का नाम था जो 22 मार्च 1902 को आगरा व अवध नाम की दो प्रेसीडेंसी को मिलाकर बनाया गया था। उस समय सामान्यतः इसे संयुक्त प्रान्त (अंग्रेजी में यू॰पी॰) के नाम से भी जानते थे। यह संयुक्त प्रान्त लगभग एक शताब्दी 1856 से 1947 तक अस्तित्व में बना रहा। इसका कुल क्षेत्रफल वर्तमान भारतीय राज्यों उत्तर प्रदेश और उत्तराखण्ड के संयुक्त क्षेत्रफल के बराबर था। जिसे आजकल उत्तर प्रदेश या अंग्रेजी में यू॰पी॰ कहते हैं उसमें ब्रिटिश काल के दौरान रामपुर व टिहरी गढ़वाल जैसी स्वतन्त्र रियासतें भी शामिल थीं। 25 जनवरी 1950 को भारतीय संविधान की घोषणा से एक दिन पूर्व सरदार बल्लभ भाई पटेल ने इन सभी रियासतों को मिलाकर इसे उत्तर प्रदेश नाम दिया था। 3 जनवरी 1921 को जो राज्य पूर्णत: ब्रिटिश भारत का अंग बन गया था उसे स्वतन्त्र भारत में 20वीं सदी के जाते-जाते सन् 2000 में पुन: विभाजित कर उत्तरांचल (और बाद में उत्तराखण्ड) राज्य को स्थापित किया गया। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और संयुक्त प्रान्त आगरा व अवध
संयुक्त राज्य
संयुक्त राज्य अमेरिका (United States of America) (यू एस ए), जिसे सामान्यतः संयुक्त राज्य (United States) (यू एस) या अमेरिका कहा जाता हैं, एक देश हैं, जिसमें राज्य, एक फ़ेडरल डिस्ट्रिक्ट, पाँच प्रमुख स्व-शासनीय क्षेत्र, और विभिन्न अधिनस्थ क्षेत्र सम्मिलित हैं। 48 संस्पर्शी राज्य और फ़ेडरल डिस्ट्रिक्ट, कनाडा और मेक्सिको के मध्य, केन्द्रीय उत्तर अमेरिका में हैं। अलास्का राज्य, उत्तर अमेरिका के उत्तर-पश्चिमी भाग में स्थित है, जिसके पूर्व में कनाडा की सीमा एवं पश्चिम मे बेरिंग जलसन्धि रूस से घिरा हुआ है। वहीं हवाई राज्य, मध्य-प्रशान्त में स्थित हैं। अमेरिकी स्व-शासित क्षेत्र प्रशान्त महासागर और कॅरीबीयन सागर में बिखरें हुएँ हैं। 38 लाख वर्ग मील (98 लाख किमी2)"", U.S.
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और संयुक्त राज्य
संस्कृत भाषा
संस्कृत (संस्कृतम्) भारतीय उपमहाद्वीप की एक शास्त्रीय भाषा है। इसे देववाणी अथवा सुरभारती भी कहा जाता है। यह विश्व की सबसे प्राचीन भाषा है। संस्कृत एक हिंद-आर्य भाषा हैं जो हिंद-यूरोपीय भाषा परिवार का एक शाखा हैं। आधुनिक भारतीय भाषाएँ जैसे, हिंदी, मराठी, सिन्धी, पंजाबी, नेपाली, आदि इसी से उत्पन्न हुई हैं। इन सभी भाषाओं में यूरोपीय बंजारों की रोमानी भाषा भी शामिल है। संस्कृत में वैदिक धर्म से संबंधित लगभग सभी धर्मग्रंथ लिखे गये हैं। बौद्ध धर्म (विशेषकर महायान) तथा जैन मत के भी कई महत्त्वपूर्ण ग्रंथ संस्कृत में लिखे गये हैं। आज भी हिंदू धर्म के अधिकतर यज्ञ और पूजा संस्कृत में ही होती हैं। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और संस्कृत भाषा
संविधान
संविधान, मूल सिद्धान्तों या स्थापित नज़ीरों का एक समुच्चय है, जिससे कोई राज्य या अन्य संगठन अभिशासित होते हैं। वह किसी संस्था को प्रचालित करने के लिये बनाया हुआ संहिता (दस्तावेज) है। यह प्रायः लिखित रूप में होता है। यह वह विधि है जो किसी राष्ट्र के शासन का आधार है; उसके चरित्र, संगठन, को निर्धारित करती है तथा उसके प्रयोग विधि को बताती है, यह राष्ट्र की परम विधि है तथा विशेष वैधानिक स्थिति का उपभोग करती है सभी प्रचलित कानूनों को अनिवार्य रूप से संविधान की भावना के अनुरूप होना चाहिए यदि वे इसका उल्लंघन करेंगे तो वे असंवैधानिक घोषित कर दिए जाते है। भारत का संविधान विश्व के किसी भी सम्प्रभु देश का सबसे लम्बा लिखित संविधान है, जिसमें, उसके अंग्रेज़ी-भाषी संस्करण में १४६,३८५ शब्दों के साथ, २२ भागों में ४४४ अनुच्छेद, १२ अनुसूचियाँ और १०१ संशोधन हैं, जबकि मोनाको का संविधान सबसे छोटा लिखित संविधान है, जिसमें ९७ अनुच्छेदों के साथ १० अध्याय, और कुल ३,८१४ शब्द हैं। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और संविधान
सुभाष चन्द्र बोस
सुभाष चन्द्र बोस (बांग्ला: সুভাষ চন্দ্র বসু उच्चारण: शुभाष चॉन्द्रो बोशु, जन्म: 23 जनवरी 1897, मृत्यु: 18 अगस्त 1945) जो नेता जी के नाम से भी जाने जाते हैं, भारत के स्वतन्त्रता संग्राम के अग्रणी नेता थे। द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान, अंग्रेज़ों के खिलाफ लड़ने के लिये, उन्होंने जापान के सहयोग से आज़ाद हिन्द फौज का गठन किया था। उनके द्वारा दिया गया जय हिन्द का नारा भारत का राष्ट्रीय नारा बन गया है। "तुम मुझे खून दो मैं तुम्हे आजादी दूंगा" का नारा भी उनका था जो उस समय अत्यधिक प्रचलन में आया। कुछ इतिहासकारों का मानना है कि जब नेता जी ने जापान और जर्मनी से मदद लेने की कोशिश की थी तो ब्रिटिश सरकार ने अपने गुप्तचरों को 1941 में उन्हें ख़त्म करने का आदेश दिया था। नेता जी ने 5 जुलाई 1943 को सिंगापुर के टाउन हाल के सामने 'सुप्रीम कमाण्डर' के रूप में सेना को सम्बोधित करते हुए "दिल्ली चलो!" का नारा दिया और जापानी सेना के साथ मिलकर ब्रिटिश व कामनवेल्थ सेना से बर्मा सहित इम्फाल और कोहिमा में एक साथ जमकर मोर्चा लिया। 21 अक्टूबर 1943 को सुभाष बोस ने आजाद हिन्द फौज के सर्वोच्च सेनापति की हैसियत से स्वतन्त्र भारत की अस्थायी सरकार बनायी जिसे जर्मनी, जापान, फिलीपींस, कोरिया, चीन, इटली, मान्चुको और आयरलैंड ने मान्यता दी। जापान ने अंडमान व निकोबार द्वीप इस अस्थायी सरकार को दे दिये। सुभाष उन द्वीपों में गये और उनका नया नामकरण किया। 1944 को आजाद हिन्द फौज ने अंग्रेजों पर दोबारा आक्रमण किया और कुछ भारतीय प्रदेशों को अंग्रेजों से मुक्त भी करा लिया। कोहिमा का युद्ध 4 अप्रैल 1944 से 22 जून 1944 तक लड़ा गया एक भयंकर युद्ध था। इस युद्ध में जापानी सेना को पीछे हटना पड़ा था और यही एक महत्वपूर्ण मोड़ सिद्ध हुआ। 6 जुलाई 1944 को उन्होंने रंगून रेडियो स्टेशन से महात्मा गांधी के नाम एक प्रसारण जारी किया जिसमें उन्होंने इस निर्णायक युद्ध में विजय के लिये उनका आशीर्वाद और शुभकामनायें माँगीं। नेताजी की मृत्यु को लेकर आज भी विवाद है। जहाँ जापान में प्रतिवर्ष 18 अगस्त को उनका शहीद दिवस धूमधाम से मनाया जाता है वहीं भारत में रहने वाले उनके परिवार के लोगों का आज भी यह मानना है कि सुभाष की मौत 1945 में नहीं हुई। वे उसके बाद रूस में नज़रबन्द थे। यदि ऐसा नहीं है तो भारत सरकार ने उनकी मृत्यु से सम्बंधित दस्तावेज़ अब तक सार्वजनिक क्यों नहीं किये? 16 जनवरी 2014 (गुरुवार) को कलकत्ता हाई कोर्ट ने नेताजी के लापता होने के रहस्य से जुड़े खुफिया दस्तावेजों को सार्वजनिक करने की माँग वाली जनहित याचिका पर सुनवाई के लिये स्पेशल बेंच के गठन का आदेश दिया। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और सुभाष चन्द्र बोस
सुखदेव
सुखदेव (पंजाबी: ਸੁਖਦੇਵ ਥਾਪਰ, जन्म: 15 मई 1907 मृत्यु: 23 मार्च 1931) का पूरा नाम सुखदेव थापर था। वे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक प्रमुख क्रान्तिकारी थे। उन्हें भगत सिंह और राजगुरु के साथ २३ मार्च १९३१ को फाँसी पर लटका दिया गया था। इनकी शहादत को आज भी सम्पूर्ण भारत में सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है। सुखदेव भगत सिंह की तरह बचपन से ही आज़ादी का सपना पाले हुए थे। ये दोनों 'लाहौर नेशनल कॉलेज' के छात्र थे। दोनों एक ही सन में लायलपुर में पैदा हुए और एक ही साथ शहीद हो गए। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और सुखदेव
स्वतंत्रता सेनानी
स्वतंत्रता सेनानी वह व्यक्ति होता है जो किसी स्वतंत्रता संग्राम में संघर्ष करता है। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और स्वतंत्रता सेनानी
स्वराज पार्टी
चित्तरंजन दास मोतीलाल नेहरू स्वराज पार्टी पराधीन भारत के स्वतंत्रता संग्राम के समय बना एक राजनैतिक दल था। यह दल भारतीयों के लिये अधिक स्व-शासन तथा राजनीतिक स्वतंत्रता की प्राप्ति के लिये कार्य कर रहा था। भारतीय भाषाओं में स्वराज का अर्थ है "अपना राज्य"। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और स्वराज पार्टी
स्वामी सोमदेव
स्वामी सोमदेव आर्य समाज के एक विद्वान धर्मोपदेशक थे। ब्रिटिश राज के दौरान पंजाब प्रान्त के लाहौर शहर में जन्मे सोमदेव का वास्तविक नाम ब्रजलाल चोपड़ा था। सन १९१५ में जिन दिनों वे स्वास्थ्य लाभ के लिये आर्य समाज शाहजहाँपुर आये थे उन्हीं दिनों समाज की ओर से राम प्रसाद 'बिस्मिल' को उनकी सेवा-सुश्रूषा में नियुक्त किया गया था। किशोरावस्था में स्वामी सोमदेव की सत्संगति पाकर बालक रामप्रसाद आगे चलकर 'बिस्मिल' जैसा बेजोड़ क्रान्तिकारी बन सका। रामप्रसाद बिस्मिल ने अपनी आत्मकथा में मेरे गुरुदेव शीर्षक से उनकी संक्षिप्त किन्तु सारगर्भित जीवनी लिखी है। सोमदेव जी उच्चकोटि के वक्ता तो थे ही, बहुत अच्छे लेखक भी थे। उनके लिखे हुए कुछ लेख तथा पुस्तकें उनके ही एक भक्त के पास थीं जो उसकी लापरवाही से नष्ट हो गयीं। उनके कुछ लेख प्रकाशित भी हुए थे। लगभग 57 वर्ष की आयु में उनका निधन हुआ। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और स्वामी सोमदेव
स्कॉट्लैण्ड
स्काटलैंड यूनाइटेड किंगडम का एक देश है। यह ग्रेट ब्रिटेन का उत्तरी भाग है। यह पहाड़ी देश है जिसका क्षेत्रफल ७८,८५० वर्ग किमी है। यह इंगलैंड के उत्तर में स्थित है। यहां की राजधानी एडिनबरा है। ग्लासगो यहाँ का सबसे बड़ा शहर है। स्कॉटलैण्ड की सीमा दक्षिण में इंग्लैंड से सटी है। इसके पूरब में उत्तरी सागर तथा दक्षिण-पश्चिम में नॉर्थ चैनेल और आयरिश सागर हैं। मुख्य भूमि के अलावा स्कॉटलैण्ड के अन्तर्गत ७९० से भी अधिक द्वीप हैं। यूँ तो स्कॉटलैंड यूनाइटेड किंगडम के अधीन एक राज्य है लेकिन यहाँ का अपना मंत्रिमंडल है। यहाँ की मुद्रा का रंग और उस पर बने चित्र भी लंदन के पौंड से कुछ अलग है। लेकिन उनकी मान्यता और मूल्य दोनों ही पौंड के समान है। यहाँ घूमने और लोगों से बात करने पर पता चलता है कि यहाँ के लोग इंग्लैंड सरकार से थोड़े से खफा रहते हैं। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और स्कॉट्लैण्ड
सूर्य सेन
सूर्य सेन (1894 - 12 जनवरी 1934) भारत की स्वतंत्रता संग्राम के महान क्रान्तिकारी थे। उन्होने इंडियन रिपब्लिकन आर्मी की स्थापना की और चटगांव विद्रोह का सफल नेतृत्व किया। वे नेशनल हाईस्कूल में सीनियर ग्रेजुएट शिक्षक के रूप में कार्यरत थे और लोग प्यार से उन्हें "मास्टर दा" कहकर सम्बोधित करते थे। अंग्रेजों ने उन्हें १२ जनवरी १९३४ को मेदिनीपुर जेल में फांसी दे दी। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और सूर्य सेन
हरदोई
हरदोई भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले की नगरपालिका और नगर है। यह हरदोई जिले का प्रशासनिक मुख्यालय भी है। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और हरदोई
हावड़ा जंक्शन रेलवे स्टेशन
हावड़ा जंक्शन रेलवे स्टेशन हावड़ा एवं कोलकाता शहर का रेलवे स्टेशन है। यह हुगली नदी के दाहिने किनारे पर स्थित है। इसके २३ प्लेटफार्म इसे भारत के सबसे बड़े रेलवे स्टेशनों में एक बनाते हैं। १८५३ में भारत में पहली रेल गाड़ी मुम्बई से एवं १८५४ दूसरी हावड़ा से चली। सुप्रसिद्ध क्रान्तिकारी योगेश चन्द्र चटर्जी काकोरी काण्ड से पूर्व ही हावड़ा रेलवे स्टेशन पर गिरफ्तार कर लिये गये थे। नजरबन्दी की हालत में ही इन्हें काकोरी काण्ड के मुकदमे में शामिल किया गया था और आजीवन कारावास की सजा दी गयी थी। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और हावड़ा जंक्शन रेलवे स्टेशन
हिन्द स्वराज
हिन्द स्वराज, गांधीजी द्वारा रचित एक पुस्तक का नाम है। मूल रचना सन १९०९ में गुजराती में थी। यह लगभग तीस हजार शब्दों की लघु पुस्तिका है जिसे गाँधीजी ने अपनी इंग्लैण्ड से दक्षिण अफ्रीका की यात्रा के समय पानी के जहाज में लिखी। यह इण्डियन ओपिनिअन में सबसे पहले प्रकाशित हुई जिसे भारत में अंग्रेजों ने यह कहते हुए प्रतिबन्धित कर दिया कि इसमें राजद्रोह-घोषित सामग्री है। इस पर गांधीजी ने इसका अंग्रेजी अनुवाद भी निकाला ताकि बताया जा सके कि इसकी सामग्री राजद्रोहात्मक नहीं है। अन्ततः २१ दिसम्बर सन १९३८ को इससे प्रतिबन्ध हटा लिया गया। हिन्द स्वराज का हिंदी और संस्कृत सहित कई भाषाओं में अनुवाद उपलब्ध है। संस्कृत अनुवाद डॉ प्रवीण पंड्या ने किया। हिंद स्वराज में गहरा सभ्यता विमर्श है। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और हिन्द स्वराज
हिन्दुस्तान
right हिन्दुस्तान (अथवा हिन्दोस्तान या हिन्द) भारत देश का कई भाषाओं में अनाधिकारिक लेकिन विख्यात नाम है, जैसे, उर्दू, हिन्दी, अरबी, फ़ारसी इत्यादि। आजकल अरब देशों और ईरान में "हिन्दुस्तान" शब्द भारतीय उपमहाद्वीप के लिये प्रयुक्त होता है और भारत गणराज्य को हिन्द (अरबी: अल-हिन्द) कहा जाता है। हिंदुस्तान एवं हिन्द शब्द का प्रयोग अक्सर अरबी एवं ईरानी (पर्शियन) किआ करते थे। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और हिन्दुस्तान
हिन्दुस्तान (समाचार पत्र)
दैनिक हिन्दुस्तान हिन्दी का दैनिक समाचार पत्र है। यह १९३२ में शुरु हुआ था। इसका उद्घाटन महात्मा गांधी ने किया था। १९४२ का भारत छोड़ो आन्दोलन छिड़ने पर `हिन्दुस्तान' लगभग ६ माह तक बन्द रहा। यह सेंसरशिप के विरोध में था। एक अग्रलेख पर ६ हजार रुपये की जमानत माँगी गई। देश के स्वाधीन होने तक `हिन्दुस्तान का मुख्य राष्ट्रीय आन्दोलन को बढ़ावा देना था। इसे महात्मा गाँधी व काँग्रेस का अनुयायी पत्र माना जाता था। गाँधी-सुभाष पत्र व्यवहार को हिन्दुस्तान' से अविकल रूप से प्रकाशित किया। हिन्दुस्तान' में क्रांतिकारी यशपाल की कहानी कई सप्ताह तक रोचक दर से प्रकाशित हुई। राजस्थान में राजशाही के विरुद्ध आंदोलनों के समाचार इस पत्र में प्रमुखता से प्रकाशित होते रहे। हैदराबाद सत्याग्रह का पूर्ण `हिन्दुस्तान' ने समर्थन किया। देवदास गाँधी के मार्गदर्शन में इस पत्र ने उच्च आदर्शों को अपने साथ रखा और पत्रकारिता की स्वस्थ परम्पराएँ स्थापितकी। गाँधीजी के प्रार्थना प्रवचन पं जवाहरलाल नेहरू व सरदार वल्लभ भाई पटेल के भाषण अविकल रूप से `हिन्दुस्तान' में छपते रहे। दैनिक `हिन्दुस्तान' का पटना (बिहार) से भी संस्करण प्रकाशित हो रहा है। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और हिन्दुस्तान (समाचार पत्र)
हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन
हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन, जिसे संक्षेप में एच॰आर॰ए॰ भी कहा जाता था, भारत की स्वतंत्रता से पहले उत्तर भारत की एक प्रमुख क्रान्तिकारी पार्टी थी जिसका गठन हिन्दुस्तान को अंग्रेजों के शासन से मुक्त कराने के उद्देश्य से उत्तर प्रदेश तथा बंगाल के कुछ क्रान्तिकारियों द्वारा सन् १९२४ में कानपुर में किया गया था। इसकी स्थापना में लाला हरदयाल की भी महत्वपूर्ण भूमिका थी। काकोरी काण्ड के पश्चात् जब चार क्रान्तिकारियों को फाँसी दी गई और एच०आर०ए० के सोलह प्रमुख क्रान्तिकारियों को चार वर्ष से लेकर उम्रकैद की सज़ा दी गई तो यह संगठन छिन्न-भिन्न हो गया। बाद में इसे चन्द्रशेखर आजाद ने भगत सिंह के साथ मिलकर पुनर्जीवित किया और एक नया नाम दिया हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन। सन् १९२४ से लेकर १९३१ तक लगभग आठ वर्ष इस संगठन का पूरे भारतवर्ष में दबदबा रहा जिसके परिणामस्वरूप न केवल ब्रिटिश सरकार अपितु अंग्रेजों की साँठ-गाँठ से १८८५ में स्थापित छियालिस साल पुरानी कांग्रेस पार्टी भी अपनी मूलभूत नीतियों में परिवर्तन करने पर विवश हो गयी। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन
हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन
हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन ऐसोसिएशन भारतीय स्वतन्त्रता के लिए सशस्त्र संघर्ष के माध्यम से ब्रिटिश राज को समाप्त करने के उद्देश्य को लेकर गठित एक क्रान्तिकारी संगठन था।। 1928 तक इसे हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन के रूप में जाना जाता था।। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन
हिन्दी प्रचारक संस्थान
हिन्दी प्रचारक संस्थान भारत की एक प्रमुख प्रकाशन संस्था है। इसकी स्थापना कोलकाता में निहालचंद एंड संस नाम से हुई थी। 1934 के भूकंप के बाद प्रकाशन वाराणसी आ गया। जहां इसका नाम हिंदी प्रचारक संस्थान रखा गया। प्रकाशन की स्थापना निहाल चंद बेरी ने की थी। बाद में उनके पुत्र कृष्णचन्द्र बेरी ने प्रकाशन को आगे बढ़ाया। प्रचारक ग्रन्थावली परियोजना के अन्तर्गत इस संस्था ने लागत से भी कम मूल्य पर हिन्दी में कई मूल्यवान साहित्यिक पुस्तकें प्रकाशित कीं। इसमें शरत समग्र, भारतेंदु समग्र, वृंदावनलाल वर्मा समग्र, कबीर समग्र, प्रताप चंद्र समग्र जैसी पुस्तकें शामिल है। कृष्णचन्द्र बेरी का निधन 2002 में हुआ। अब उनके पुत्र विजय प्रकाश बेरी अब इसका कामकाज देखते हैं। हिंदी प्रचारक संस्थान का कार्यालय वाराणसी के पिशाचमोचन में है। इसकी सहयोगी प्रकाशन संस्था कोलकाता है जिसका कामकाज बेरी जी के छोटे बेटे अनिल बेरी देखते हैं।.
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और हिन्दी प्रचारक संस्थान
हजारीबाग
हजारीबाग भारत में झारखंड प्रान्त का एक जिला है। खूबसूरत पर्यटक स्थलों से भरा हजारीबाग झारखंड में स्थित है। हजारीबाग का अर्थ होता है हजार बागों वाला और यह दो शब्दों हजार और बाग से मिलकर बना है। यहां पर 2019 फीट की ऊंचाई पर हैल्थ हिल रिसोर्ट का निर्माण किया गया है। यह रिसोर्ट प्रकृति की गोद में बसा हुआ है और बहुत खूबसूरत है। इस हैल्थ रिसोर्ट में प्रकृति की गोद में रहकर स्वास्थ्य लाभ लिया जा सकता है। स्वास्थ्य लाभ करने के साथ-साथ यहां कई खूबसूरत पर्यटक स्थलों की सैर की जा सकती है। इन पर्यटक स्थलों में हजारीबाग झील प्रमुख है जहां पर वाटर स्पोटर्स का आनंद लिया जा सकता है। हजारीबाग वन्य जीव अभयारण्य, कैनेरी पहाड़ी और रजरप्पा इसके अन्य प्रमुख पर्यटक स्थल हैं। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और हजारीबाग
जनता पार्टी
प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा लागू आपातकाल (1975-1976) के बाद जनसंघ सहित भारत के प्रमुख राजनैतिक दलों का विलय कर के एक नए दल जनता पार्टी का गठन किया गया। जनता पार्टी ने 1977 से 1980 तक भारत सरकार का नेतृत्व किया। आंतरिक मतभेदों के कारण जनता पार्टी 1980 में टूट गयी। सम्प्रति डॉ सुब्रमणियन स्वामी जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और जनता पार्टी
जयपुर
जयपुर जिसे गुलाबी नगर के नाम से भी जाना जाता है, भारत में राजस्थान राज्य की राजधानी है। आमेर के तौर पर यह जयपुर नाम से प्रसिद्ध प्राचीन रजवाड़े की भी राजधानी रहा है। इस शहर की स्थापना १७२८ में आमेर के महाराजा जयसिंह द्वितीय ने की थी। जयपुर अपनी समृद्ध भवन निर्माण-परंपरा, सरस-संस्कृति और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। यह शहर तीन ओर से अरावली पर्वतमाला से घिरा हुआ है। जयपुर शहर की पहचान यहाँ के महलों और पुराने घरों में लगे गुलाबी धौलपुरी पत्थरों से होती है जो यहाँ के स्थापत्य की खूबी है। १८७६ में तत्कालीन महाराज सवाई रामसिंह ने इंग्लैंड की महारानी एलिज़ाबेथ प्रिंस ऑफ वेल्स युवराज अल्बर्ट के स्वागत में पूरे शहर को गुलाबी रंग से आच्छादित करवा दिया था। तभी से शहर का नाम गुलाबी नगरी पड़ा है। 2011 की जनगणना के अनुसार जयपुर भारत का दसवां सबसे अधिक जनसंख्या वाला शहर है। राजा जयसिंह द्वितीय के नाम पर ही इस शहर का नाम जयपुर पड़ा। जयपुर भारत के टूरिस्ट सर्किट गोल्डन ट्रायंगल (India's Golden Triangle) का हिस्सा भी है। इस गोल्डन ट्रायंगल में दिल्ली,आगरा और जयपुर आते हैं भारत के मानचित्र में उनकी स्थिति अर्थात लोकेशन को देखने पर यह एक त्रिभुज (Triangle) का आकार लेते हैं। इस कारण इन्हें भारत का स्वर्णिम त्रिभुज इंडियन गोल्डन ट्रायंगल कहते हैं। भारत की राजधानी दिल्ली से जयपुर की दूरी 280 किलोमीटर है। शहर चारों ओर से दीवारों और परकोटों से घिरा हुआ है, जिसमें प्रवेश के लिए सात दरवाजे हैं। बाद में एक और द्वार भी बना जो 'न्यू गेट' कहलाया। पूरा शहर करीब छह भागों में बँटा है और यह १११ फुट (३४ मी.) चौड़ी सड़कों से विभाजित है। पाँच भाग मध्य प्रासाद भाग को पूर्वी, दक्षिणी एवं पश्चिमी ओर से घेरे हुए हैं और छठा भाग एकदम पूर्व में स्थित है। प्रासाद भाग में हवा महल परिसर, व्यवस्थित उद्यान एवं एक छोटी झील हैं। पुराने शह के उत्तर-पश्चिमी ओर पहाड़ी पर नाहरगढ़ दुर्ग शहर के मुकुट के समान दिखता है। इसके अलावा यहां मध्य भाग में ही सवाई जयसिंह द्वारा बनावायी गईं वेधशाला, जंतर मंतर, जयपुर भी हैं। जयपुर को आधुनिक शहरी योजनाकारों द्वारा सबसे नियोजित और व्यवस्थित शहरों में से गिना जाता है। देश के सबसे प्रतिभाशाली वास्तुकारों में इस शहर के वास्तुकार विद्याधर भट्टाचार्य का नाम सम्मान से लिया जाता है। ब्रिटिश शासन के दौरान इस पर कछवाहा समुदाय के राजपूत शासकों का शासन था। १९वीं सदी में इस शहर का विस्तार शुरु हुआ तब इसकी जनसंख्या १,६०,००० थी जो अब बढ़ कर २००१ के आंकड़ों के अनुसार २३,३४,३१९ और २०१२ के बाद ३५ लाख हो चुकी है। यहाँ के मुख्य उद्योगों में धातु, संगमरमर, वस्त्र-छपाई, हस्त-कला, रत्न व आभूषण का आयात-निर्यात तथा पर्यटन-उद्योग आदि शामिल हैं। जयपुर को भारत का पेरिस भी कहा जाता है। इस शहर के वास्तु के बारे में कहा जाता है कि शहर को सूत से नाप लीजिये, नाप-जोख में एक बाल के बराबर भी फ़र्क नहीं मिलेगा। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और जयपुर
जापान
जापान, एशिया महाद्वीप में स्थित देश है। जापान चार बड़े और अनेक छोटे द्वीपों का एक समूह है। ये द्वीप एशिया के पूर्व समुद्रतट, यानि प्रशांत महासागर में स्थित हैं। इसके निकटतम पड़ोसी चीन, कोरिया तथा रूस हैं। जापान में वहाँ का मूल निवासियों की जनसंख्या ९८.५% है। बाकी 0.5% कोरियाई, 0.4 % चाइनीज़ तथा 0.6% अन्य लोग है। जापानी अपने देश को निप्पॉन कहते हैं, जिसका मतलब सूर्योदय है। जापान की राजधानी टोक्यो है और उसके अन्य बड़े महानगर योकोहामा, ओसाका और क्योटो हैं। बौद्ध धर्म देश का प्रमुख धर्म है और जापान की जनसंख्या में 96% बौद्ध अनुयायी है। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और जापान
जापानी भाषा
जापानी भाषा (जापानी: 日本語 नीहोंगो) जापान देश की मुख्यभाषा और राजभाषा है। द्वितीय महायुद्ध से पहले कोरिया, फार्मोसा और सखालीन में भी जापानी बोली जाती थी। अब भी कोरिया और फार्मोसा में जापानी जाननेवालों की संख्या पर्याप्त है, परंतु धीरे धीरे उनकी संख्या कम होती जा रही है। भाषाविद इसे 'अश्लिष्ट-योगात्मक भाषा' मानते हैं। जापानी भाषा चीनी-तिब्बती भाषा-परिवार में नहीं आती। भाषाविद इसे ख़ुद की जापानी भाषा-परिवार में रखते हैं (कुछ इसे जापानी-कोरियाई भाषा-परिवार में मानते हैं)। ये दो लिपियों के मिश्रण में लिखी जाती हैं: कांजी लिपि (चीन की चित्र-लिपि) और काना लिपि (अक्षरी लिपि जो स्वयं चीनी लिपिपर आधारित है)। इस भाषा में आदर-सूचक शब्दों का एक बड़ा तंत्र है और बोलने में "पिच-सिस्टम" ज़रूरी होता है। इसमें कई शब्द चीनी भाषा से लिये गये हैं। जापानी भाषा किस भाषा कुल में सम्मिलित है इस संबंध में अब तक कोई निश्चित मत स्थापित नहीं हो सका है। परंतु यह स्पष्ट है कि जापानी और कोरियाई भाषाओं में घनिष्ठ संबंध है और आजकल अनेक विद्वानों का मत है कि कोरियाई भाषा अलटाइक भाषाकुल में संमिलित की जानी चाहिए। जापानी भाषा में भी उच्चारण और व्याकरण संबंधी अनेक विशेषताएँ है जो अन्य अलटाइ भाषाओं के समान हैं परंतु ये विशेषताएँ अब तक इतनी काफी नहीं समझी जाती रहीं जिनमें हम निश्चित रूप से कह सकें कि जापानी भाषा अलटाइक भाषाकुल में ऐ एक है। हाइकु इसकी प्रमुख काव्य विधा है। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और जापानी भाषा
जवाहरलाल नेहरू
जवाहरलाल नेहरू (नवंबर १४, १८८९ - मई २७, १९६४) भारत के प्रथम प्रधानमन्त्री थे और स्वतन्त्रता के पूर्व और पश्चात् की भारतीय राजनीति में केन्द्रीय व्यक्तित्व थे। महात्मा गांधी के संरक्षण में, वे भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन के सर्वोच्च नेता के रूप में उभरे और उन्होंने १९४७ में भारत के एक स्वतन्त्र राष्ट्र के रूप में स्थापना से लेकर १९६४ तक अपने निधन तक, भारत का शासन किया। वे आधुनिक भारतीय राष्ट्र-राज्य – एक सम्प्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, और लोकतान्त्रिक गणतन्त्र - के वास्तुकार मानें जाते हैं। कश्मीरी पण्डित समुदाय के साथ उनके मूल की वजह से वे पण्डित नेहरू भी बुलाएँ जाते थे, जबकि भारतीय बच्चे उन्हें चाचा नेहरू के रूप में जानते हैं। स्वतन्त्र भारत के प्रथम प्रधानमन्त्री का पद सँभालने के लिए कांग्रेस द्वारा नेहरू निर्वाचित हुएँ, यद्यपि नेतृत्व का प्रश्न बहुत पहले 1941 में ही सुलझ चुका था, जब गांधीजी ने नेहरू को उनके राजनीतिक वारिस और उत्तराधिकारी के रूप में अभिस्वीकार किया। प्रधानमन्त्री के रूप में, वे भारत के सपने को साकार करने के लिए चल पड़े। भारत का संविधान 1950 में अधिनियमित हुआ, जिसके बाद उन्होंने आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक सुधारों के एक महत्त्वाकांक्षी योजना की शुरुआत की। मुख्यतः, एक बहुवचनी, बहु-दलीय लोकतन्त्र को पोषित करते हुएँ, उन्होंने भारत के एक उपनिवेश से गणराज्य में परिवर्तन होने का पर्यवेक्षण किया। विदेश नीति में, भारत को दक्षिण एशिया में एक क्षेत्रीय नायक के रूप में प्रदर्शित करते हुएँ, उन्होंने गैर-निरपेक्ष आन्दोलन में एक अग्रणी भूमिका निभाई। नेहरू के नेतृत्व में, कांग्रेस राष्ट्रीय और राज्य-स्तरीय चुनावों में प्रभुत्व दिखाते हुएँ और 1951, 1957, और 1962 के लगातार चुनाव जीतते हुएँ, एक सर्व-ग्रहण पार्टी के रूप में उभरी। उनके अन्तिम वर्षों में राजनीतिक मुसीबतों और 1962 के चीनी-भारत युद्ध में उनके नेतृत्व की असफलता के बावजूद, वे भारत के लोगों के बीच लोकप्रिय बने रहें। भारत में, उनका जन्मदिन बाल दिवस के रूप में मनाया जाता हैं। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और जवाहरलाल नेहरू
ज्योतिषी
भूत भविष्य और वर्तमान का अनुमान लगाने वाला, ज्योतिष विद्या को जानने वाला, आकाशीय पातालीय और धरातलीय जीवों, तत्वों और गतिविधियों पर नजर रखने वाला ज्योतिषी कहलाता है। श्रेणी:ज्योतिष.
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और ज्योतिषी
जॉर्ज वॉशिंगटन
जार्ज वाशिंगटन (अंग्रेज़ी: George Washington) (जन्म: २२ फरवरी, १७३२ मृत्यु: १४ दिसंबर १७९९) संयुक्त राज्य अमेरिका के पहले राष्ट्रपति थे। उन्होंने अमेरिकी सेना का नेतृत्व करते हुए ब्रिटेन के ऊपर अमरीकी क्रान्ति (१७७५-१७८३) में विजय हासिल की। उन्हें १७८९ में अमरीका का पहला राष्ट्रपति चुना गया। आज भी अमरीका में उनके नाम का सिक्का चलता है। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और जॉर्ज वॉशिंगटन
घोषणापत्र
घोषणापत्र। घोषणापत्र सार्वजनिक रूप से अपने सिद्धान्तों एवं इरादों (नीति एवं नीयत) को प्रकट करना घोषणापत्र (manifesto') कहलाता है। इसका स्वरूप प्रायः राजनीतिक होता है किन्तु यह जीवन के अन्य क्षेत्रों से भी सम्बन्धित हो सकता है। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और घोषणापत्र
वन्दे मातरम्
'''वन्दे मातरम्''' के रचयिता बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय वन्दे मातरम् (बाँग्ला: বন্দে মাতরম) अवनीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा बनाया गया भारतमाता का चित्र बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय द्वारा संस्कृत बाँग्ला मिश्रित भाषा में रचित इस गीत का प्रकाशन सन् १८८२ में उनके उपन्यास आनन्द मठ में अन्तर्निहित गीत के रूप में हुआ था। इस उपन्यास में यह गीत भवानन्द नाम के संन्यासी द्वारा गाया गया है। इसकी धुन यदुनाथ भट्टाचार्य ने बनायी थी। सन् २००३ में, बीबीसी वर्ल्ड सर्विस द्वारा आयोजित एक अन्तरराष्ट्रीय सर्वेक्षण में, जिसमें उस समय तक के सबसे मशहूर दस गीतों का चयन करने के लिये दुनिया भर से लगभग ७,००० गीतों को चुना गया था और बी०बी०सी० के अनुसार १५५ देशों/द्वीप के लोगों ने इसमें मतदान किया था उसमें वन्दे मातरम् शीर्ष के १० गीतों में दूसरे स्थान पर था। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और वन्दे मातरम्
वाराणसी
वाराणसी (अंग्रेज़ी: Vārāṇasī) भारत के उत्तर प्रदेश राज्य का प्रसिद्ध नगर है। इसे 'बनारस' और 'काशी' भी कहते हैं। इसे हिन्दू धर्म में सर्वाधिक पवित्र नगरों में से एक माना जाता है और इसे अविमुक्त क्षेत्र कहा जाता है। इसके अलावा बौद्ध एवं जैन धर्म में भी इसे पवित्र माना जाता है। यह संसार के प्राचीनतम बसे शहरों में से एक और भारत का प्राचीनतम बसा शहर है। काशी नरेश (काशी के महाराजा) वाराणसी शहर के मुख्य सांस्कृतिक संरक्षक एवं सभी धार्मिक क्रिया-कलापों के अभिन्न अंग हैं। वाराणसी की संस्कृति का गंगा नदी एवं इसके धार्मिक महत्त्व से अटूट रिश्ता है। ये शहर सहस्रों वर्षों से भारत का, विशेषकर उत्तर भारत का सांस्कृतिक एवं धार्मिक केन्द्र रहा है। हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत का बनारस घराना वाराणसी में ही जन्मा एवं विकसित हुआ है। भारत के कई दार्शनिक, कवि, लेखक, संगीतज्ञ वाराणसी में रहे हैं, जिनमें कबीर, वल्लभाचार्य, रविदास, स्वामी रामानंद, त्रैलंग स्वामी, शिवानन्द गोस्वामी, मुंशी प्रेमचंद, जयशंकर प्रसाद, आचार्य रामचंद्र शुक्ल, पंडित रवि शंकर, गिरिजा देवी, पंडित हरि प्रसाद चौरसिया एवं उस्ताद बिस्मिल्लाह खां आदि कुछ हैं। गोस्वामी तुलसीदास ने हिन्दू धर्म का परम-पूज्य ग्रंथ रामचरितमानस यहीं लिखा था और गौतम बुद्ध ने अपना प्रथम प्रवचन यहीं निकट ही सारनाथ में दिया था। वाराणसी में चार बड़े विश्वविद्यालय स्थित हैं: बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइयर टिबेटियन स्टडीज़ और संपूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय। यहां के निवासी मुख्यतः काशिका भोजपुरी बोलते हैं, जो हिन्दी की ही एक बोली है। वाराणसी को प्रायः 'मंदिरों का शहर', 'भारत की धार्मिक राजधानी', 'भगवान शिव की नगरी', 'दीपों का शहर', 'ज्ञान नगरी' आदि विशेषणों से संबोधित किया जाता है। प्रसिद्ध अमरीकी लेखक मार्क ट्वेन लिखते हैं: "बनारस इतिहास से भी पुरातन है, परंपराओं से पुराना है, किंवदंतियों (लीजेन्ड्स) से भी प्राचीन है और जब इन सबको एकत्र कर दें, तो उस संग्रह से भी दोगुना प्राचीन है।" .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और वाराणसी
विद्यालय
सूडान के एक ग्रामीण विद्यालय का दृष्य विद्यालय वह स्थल है जहाँ शिक्षा प्रदान की जाती है। ""विद्यालय एक ऐसी संस्था है जहाँ बच्चों के शारीरिक,मानसिक,बौधिक एवं नैतिक गुणों का विकास होता है। ' विद्यालय' शब्द के लिए आंग्ल भाषा में 'स्कूल' शब्द का प्रयोग होता है, जिसकी उत्पत्ति ग्रीक शब्द 'Skohla'या 'Skhole' से हुई है, जिस से तात्पर्य है- 'अवकाश'.
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और विद्यालय
विजय कुमार मलहोत्रा
विजय कुमार मलहोत्रा विजय कुमार मलहोत्रा (जन्म: ३ दिसम्बर १९३१ लाहौर) भारत के एक राजनेता तथा शिक्षाविद हैं। वे लोक सभा सांसद, खेलकूद प्रशासक व शिक्षा जगत से सम्बद्ध प्रोफेसर हैं। लोग उन्हें प्रोफेसर विजय कुमार मलहोत्रा के नाम से भी जानते हैं। उन्होंने दिल्ली सदर व दक्षिणी दिल्ली से क्रमाश: ९वीं व १४वीं लोकसभा का प्रतिनिधित्व किया। कई संसदीय समितियों के सदस्य से लेकर अध्यक्ष रह चुके श्री मलहोत्रा आजकल ग्रेटर कैलाश नई दिल्ली से दिल्ली विधान सभा के सदस्य हैं। उनकी गणना भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ सदस्यों में की जाती है। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और विजय कुमार मलहोत्रा
विज्ञान भवन, नई दिल्ली
विज्ञान भवन,नई दिल्ली विज्ञान भवन, नई दिल्ली (अंग्रेजी: Vigyan Bhavan) भारत की राजधानी नई दिल्ली में मौलाना आज़ाद रोड पर स्थित एक सरकारी इमारत है। सन् 1956 में बनी यह इमारत राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय आयोजनों के लिये प्रयोग में लायी जाती है। विज्ञान भवन में कॉमनवेल्थ मीटिंग नॉन एलाइण्ड मूवमेण्ट और सार्क समिट्स जैसे कई महत्वपूर्ण आयोजन भारत सरकार द्वारा आयोजित किये जा चुके हैं। भारत सरकार का शहरी विकास मन्त्रालय इसकी पूरी देखरेख व अनुरक्षण करता है। इस इमारत में वे सभी आयोजन सम्पन्न होते हैं जिनमें भारत के राष्ट्रपति अथवा प्रधान मन्त्री उपस्थित हों। इसके अलावा राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार व हिन्दी दिवस जैसे सरकारी आयोजन भी यहीं होते हैं। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और विज्ञान भवन, नई दिल्ली
व्यापार
उनीसवीं शताब्दी के उत्तरार्ध में पुणे के शनिवार पेठ का दृष्य व्यापार (Trade) का अर्थ है क्रय और विक्रय। दूसरे शब्दों में, एक व्यक्ति (या संस्था) से दूसरे व्यक्ति (या संस्था) को सामानों का स्वामित्व अन्तरण ही व्यापार कहलाता है। स्वामित्व का अन्तरण सामान, सेवा या मुद्रा के बदले किया जाता है। जिस नेटवर्क (संरचना) में व्यापार किया जाता है उसे 'बाजार' कहते हैं। आरम्भ में व्यापार एक सामान के बदले दूसरा सामान लेकर (वस्तु-विनिमय या बार्टर) किया जाता था। बाद में अधिकांश वस्तुओं के बदले धातुएँ, मूल्यवान धातुएँ, सिक्के, हुण्डी (bill) अथवा पत्र-मुद्रा से हुईँ। आजकल अधिकांश क्रय-विक्रय मुद्रा (मनी) द्वारा होता है। मुद्रा के आविष्कार (तथा बाद में क्रेडिट, पत्र-मुद्रा, अभौतिक मुद्रा आदि) से व्यापार में बहुत सरलता और सुविधा आ गयी। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और व्यापार
वेबदुनिया
वेबदुनिया एक भारतीय समाचार जालस्थल है। यह हिन्दी के साथ साथ तमिल, मलयालम, तेलुगू आदि भाषाओं में उपलब्ध है। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और वेबदुनिया
गया
बोधगया का महाबोधि मन्दिर गया, झारखंड और बिहार की सीमा और फल्गु नदी के तट पर बसा भारत प्रान्त के बिहार राज्य का दूसरा बड़ा शहर है। वाराणसी की तरह गया की प्रसिद्धि मुख्य रूप से एक धार्मिक नगरी के रूप में है। पितृपक्ष के अवसर पर यहाँ हजारों श्रद्धालु पिंडदान के लिये जुटते हैं। गया सड़क, रेल और वायु मार्ग द्वारा पूरे भारत से जुड़ा है। नवनिर्मित गया अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा द्वारा यह थाइलैंड से भी सीधे जुड़ा हुआ है। गया से 17 किलोमीटर की दूरी पर बोधगया स्थित है जो बौद्ध तीर्थ स्थल है और यहीं बोधि वृक्ष के नीचे भगवान बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। गया बिहार के महत्वपूर्ण तीर्थस्थानों में से एक है। यह शहर खासकर हिन्दू तीर्थयात्रियों के लिए काफी प्रसिद्ध है। यहां का विष्णुपद मंदिर पर्यटकों के बीच लोकप्रिय है। दंतकथाओं के अनुसार भगवान विष्णु के पांव के निशान पर इस मंदिर का निर्माण कराया गया है। हिन्दू धर्म में इस मंदिर को अहम स्थान प्राप्त है। गया पितृदान के लिए भी प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि यहां फल्गु नदी के तट पर पिंडदान करने से मृत व्यक्ति को बैकुण्ठ की प्राप्ति होती है। गया, मध्य बिहार का एक महत्वपूर्ण शहर है, जो गंगा की सहायक नदी फल्गु के पश्चिमी तट पर स्थित है। यह बोधगया से 13 किलोमीटर उत्तर तथा राजधानी पटना से 100 किलोमीटर दक्षिण में स्थित है। यहां का मौसम मिलाजुला है। गर्मी के दिनों में यहां काफी गर्मी पड़ती है और ठंड के दिनों में औसत सर्दी होती है। मानसून का भी यहां के मौसम पर व्यापक असर होता है। लेकिन वर्षा ऋतु में यहां का दृश्य काफी रोचक होता है। कहा जाता है कि गयासुर नामक दैत्य का बध करते समय भगवान विष्णु के पद चिह्न यहां पड़े थे जो आज भी विष्णुपद मंदिर में देखे जा सकते है। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और गया
ग़ाज़ियाबाद ज़िला
ग़ाज़ियाबाद उत्तर प्रदेश का एक औद्योगिक जिला है। नगर का नाम ग़ाज़ी-उद्-दीन के नाम पर पडा़ है। बाद में इसका नाम ग़ाज़ियाबाद हो गया जो प्रयोग में छोटा और सरल था। यहाँ भारत इलेक्ट्रोनिक्स लि० तथा अग्रिम स्तरीय दूरसंचार प्रशिक्षण केन्द्र (ALTTC) स्थित है। यह प्रमुख नगरीय क्षेत्र होने के नाते अच्छी तरह से सड़कों और रेल से जुड़ा हुआ है। हाल ही में एक बडी़ संख्या में शहर में मॉल और मल्टीप्लेक्स खुले हैं। सड़कों को चौड़ा किया जाने के साथ जगह जगह पर उड़नपुलों का निर्माण और सुधार किया जा रहा है, तथा शीघ्र ही दिल्ली मेट्रो नेटवर्क से जुडने वाला है। इनके कारण इसे न्यूज़वीक इंटरनेशनल ने 2006 के लिए दुनिया के 10 सबसे प्रगतिशील शहरों में शामिल किया था। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और ग़ाज़ियाबाद ज़िला
गाँव
मध्य भारत का एक गाँव कैसल नाला, विल्टशायर, इंग्लैंड के गाँव के मुख्य सड़क पर. Masouleh गाँव, Gilan प्रांत, ईरान. Saifi गाँव के केंद्र Ville, बेरूत, लेबनान में मुख्य चौराहे Lötschental घाटी, स्विट्जरलैंड में एक अल्पाइन गाँव.
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और गाँव
गाय
अभारतीय गाय जर्सीगाय गाय एक महत्त्वपूर्ण पालतू जानवर है जो संसार में प्राय: सर्वत्र पाई जाती है। इससे उत्तम किस्म का दूध प्राप्त होता है। हिन्दू, गाय को 'माता' (गौमाता) कहते हैं। इसके बछड़े बड़े होकर गाड़ी खींचते हैं एवं खेतों की जुताई करते हैं। भारत में वैदिक काल से ही गाय का विशेष महत्त्व रहा है। आरंभ में आदान प्रदान एवं विनिमय आदि के माध्यम के रूप में गाय उपयोग होता था और मनुष्य की समृद्धि की गणना उसकी गोसंख्या से की जाती थी। हिन्दू धार्मिक दृष्टि से भी गाय पवित्र मानी जाती रही है तथा उसकी हत्या महापातक पापों में की जाती है।; गाय व भैंस में गर्भ से संबन्धित जानकारी.
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और गाय
गुर्जर
सम्राट मिहिर भोज की मूर्ति:भारत उपवन, अक्षरधाम मन्दिर, नई दिल्ली गुर्जर समाज, प्राचीन एवं प्रतिष्ठित समाज में से एक है। यह समुदाय गुज्जर, गूजर, गोजर, गुर्जर, गूर्जर और वीर गुर्जर नाम से भी जाना जाता है। गुर्जर मुख्यत: उत्तर भारत, पाकिस्तान और अफ़्ग़ानिस्तान में बसे हैं। इस जाति का नाम अफ़्ग़ानिस्तान के राष्ट्रगान में भी आता है। गुर्जरों के ऐतिहासिक प्रभाव के कारण उत्तर भारत और पाकिस्तान के बहुत से स्थान गुर्जर जाति के नाम पर रखे गए हैं, जैसे कि भारत का गुजरात राज्य, पाकिस्तानी पंजाब का गुजरात ज़िला और गुजराँवाला ज़िला और रावलपिंडी ज़िले का गूजर ख़ान शहर।; आधुनिक स्थिति प्राचीन काल में युद्ध कला में निपुण रहे गुर्जर मुख्य रूप से खेती और पशुपालन के व्यवसाय से जुड़े हुए हैं। गुर्जर अच्छे योद्धा माने जाते थे और इसीलिए भारतीय सेना में अभी भी इनकी अच्छी ख़ासी संख्या है| गुर्जर महाराष्ट्र (जलगाँव जिला), दिल्ली, राजस्थान, हरियाणा, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर जैसे राज्यों में फैले हुए हैं। राजस्थान में सारे गुर्जर हिंदू हैं। सामान्यत: गुर्जर हिन्दू, सिख, मुस्लिम आदि सभी धर्मो में देखे जा सकते हैं। मुस्लिम तथा सिख गुर्जर, हिन्दू गुर्जरो से ही परिवर्तित हुए थे। पाकिस्तान में गुजरावालां, फैसलाबाद और लाहौर के आसपास इनकी अच्छी ख़ासी संख्या है। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और गुर्जर
गुजराती भाषा
गुजराती भारत की एक भाषा है जो गुजरात राज्य, दीव और मुंबई में बोली जाती है। गुजराती साहित्य भारतीय भाषाओं के सबसे अधिक समृद्ध साहित्य में से है। भारत की दूसरी भाषाओं की तरह गुजराती भाषा का जन्म संस्कृत भाषा से हुआ है। वहीं इसके कई शब्द ब्रजभाषा के हैं ऐसा भी माना जाता है की इसका जन्म ब्रजभाषा में से भी हुआ अर्थात संस्कृत और ब्रजभाषा के मिले जुले शब्दों से गुजरातीे भाषा का जन्म हुआ। दूसरे राज्य एवं विदेशों में भी गुजराती बोलने वाले लोग निवास करते हैं। जिन में पाकिस्तान, अमेरिका, यु.के., केन्या, सिंगापुर, अफ्रिका, ऑस्ट्रेलीया मुख्य है। भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी एवं लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की मातृभाषा गुजराती थी। गुजराती बोलने वाले भारत के दूसरे महानुभावों में पाकिस्तान के राष्ट्रपिता मुहम्मद अली जिन्ना, महर्षि दयानंद सरस्वती, मोरारजी देसाई, नरेन्द्र मोदी, धीरु भाई अंबानी भी सम्मिलित है। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और गुजराती भाषा
ग्रेटर नोएडा
ग्रेटर नोएडा (अंग्रेज़ी: Greater Noida) राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण उपनगर है, जो दिल्ली के दक्षिण-पश्चिम की ओर स्थित है। आधिकारिक दृष्टि से यह उत्तर प्रदेश राज्य के गौतम बुद्ध नगर जिले में आता है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में इसके निकटवर्ती ही एक अन्य उपनगर नोएडा है, जो यहाँ से दिल्ली के रास्ते में पड़ता है। नोएडा एशिया के सबसे बड़े औद्योगिक उपनगरों में से एक है। ग्रेटर नोएडा, जैसा कि इसका नाम है, आकार में नोएडा से भी बहुत बड़ा है और बहुत ही कम समय में अन्तर्राष्ट्रीय क्षितिज पर अपनी पहचान बना चुका है। वर्तमान समय में इसके अध्यक्ष व मुख्य प्रशासनिक अधिकारी रमा रमण हैं। रमा रमण के अनुसार नई दिल्ली से ग्रेटर नोएडा के बीच यातायात को सुगम बनाने हेतु मई 2014 तक मेट्रो ट्रेक का निर्माण शुरू हो जायेगा। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और ग्रेटर नोएडा
ग्वालियर
ग्वालियर भारत के मध्य प्रदेश प्रान्त का एक प्रमुख शहर है। भौगोलिक दृष्टि से ग्वालियर म.प्र.
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और ग्वालियर
गेंदालाल दीक्षित
गेंदालाल दीक्षित (१८८८-१९२०) पं॰ गेंदालाल दीक्षित (अंग्रेजी:Pt. Genda Lal Dixit जन्म:१८८८, मृत्यु:१९२०) भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अप्रतिम योद्धा, महान क्रान्तिकारी व उत्कट राष्ट्रभक्त थे जिन्होंने आम आदमी की बात तो दूर, डाकुओं तक को संगठित करके ब्रिटिश साम्राज्य के विरुद्ध खडा करने का दुस्साहस किया। दीक्षित जी उत्तर भारत के क्रान्तिकारियों के द्रोणाचार्य कहे जाते थे। उन्हें मैनपुरी षड्यन्त्र का सूत्रधार समझ कर पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया किन्तु वे अपनी सूझबूझ और प्रत्युत्पन्न मति से जेल से निकल भागे। साथ में एक सरकारी गवाह को भी ले उड़े। सबसे मजे की बात यह कि पुलिस ने सारे हथकण्डे अपना लिये परन्तु उन्हें अन्त तक खोज नहीं पायी। आखिर में कोर्ट को उन्हें फरार घोषित करके मुकदमे का फैसला सुनाना पड़ा। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और गेंदालाल दीक्षित
गोण्डा
नोट: यह लेख गोण्डा जिला मुख्यालय (उत्तर प्रदेश) के संबंध में है। गोंडा जिले के लिए गोंडा जिला देखें। यह भारत के प्रान्त उत्तर प्रदेश के एक प्रमुख जिला गोंडा जिले का मुख्यालय है जो पूर्व में बस्ती, पश्चिम में बहराइच, उत्तर में बलरामपुर तथा दक्षिण में बाराबंकी और फैजाबाद से घिरा हुआ है। यहाँ की जिला जेल में काकोरी काण्ड के एक प्रमुख क्रान्तिकारी राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी को निर्धारित तिथि से दो दिन पूर्व १७ दिसम्बर १९२७ को बेरहम ब्रिटिश सरकार द्वारा फाँसी दी गयी थी। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और गोण्डा
गोरखपुर
300px गोरखपुर उत्तर प्रदेश राज्य के पूर्वी भाग में नेपाल के साथ सीमा के पास स्थित भारत का एक प्रसिद्ध शहर है। यह गोरखपुर जिले का प्रशासनिक मुख्यालय भी है। यह एक धार्मिक केन्द्र के रूप में मशहूर है जो बौद्ध, हिन्दू, मुस्लिम, जैन और सिख सन्तों की साधनास्थली रहा। किन्तु मध्ययुगीन सर्वमान्य सन्त गोरखनाथ के बाद उनके ही नाम पर इसका वर्तमान नाम गोरखपुर रखा गया। यहाँ का प्रसिद्ध गोरखनाथ मन्दिर अभी भी नाथ सम्प्रदाय की पीठ है। यह महान सन्त परमहंस योगानन्द का जन्म स्थान भी है। इस शहर में और भी कई ऐतिहासिक स्थल हैं जैसे, बौद्धों के घर, इमामबाड़ा, 18वीं सदी की दरगाह और हिन्दू धार्मिक ग्रन्थों का प्रमुख प्रकाशन संस्थान गीता प्रेस। 20वीं सदी में, गोरखपुर भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का एक केन्द्र बिन्दु था और आज यह शहर एक प्रमुख व्यापार केन्द्र बन चुका है। पूर्वोत्तर रेलवे का मुख्यालय, जो ब्रिटिश काल में 'बंगाल नागपुर रेलवे' के रूप में जाना जाता था, यहीं स्थित है। अब इसे एक औद्योगिक क्षेत्र के रूप में विकसित करने के लिये गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण (गीडा/GIDA) की स्थापना पुराने शहर से 15 किमी दूर की गयी है। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और गोरखपुर
गोविन्द बल्लभ पन्त
नैनीताल में गोविन्द वल्लभ पन्त की प्रतिमा पंडित गोविन्द बल्लभ पन्त या जी॰बी॰ पन्त (जन्म १० सितम्बर १८८७ - ७ मार्च १९६१) प्रसिद्ध स्वतन्त्रता सेनानी और वरिष्ठ भारतीय राजनेता थे। वे उत्तर प्रदेश राज्य के प्रथम मुख्य मन्त्री और भारत के चौथे गृहमंत्री थे। सन 1957 में उन्हें भारतरत्न से सम्मानित किया गया। गृहमंत्री के रूप में उनका मुख्य योगदान भारत को भाषा के अनुसार राज्यों में विभक्त करना तथा हिन्दी को भारत की राजभाषा के रूप में प्रतिष्ठित करना था। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और गोविन्द बल्लभ पन्त
ऑल इंडिया फार्वर्ड ब्लाक
आल इण्डिया फॉरवर्ड ब्लॉक का चुनाव चिह्न thumb ऑल इंडिया फार्वर्ड ब्लाक भारत का एक राष्ट्रवादी राजनीतिक दल है। इस दल की स्थापना १९३९ में हुई थी। नेताजी सुभाषचन्द्र बोस नें इस दल की स्थापना की। इस दल के महासचिव देवव्रत विश्वास हैं। इस दल का युवा संगठन अखिल भारतीय युवक लीग (All India Youth League) है। २००४ के संसदीय चुनाव में इस दल को १ ३६५ ०५५ मत (०.२%, ३ सीटें) मिलीं। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और ऑल इंडिया फार्वर्ड ब्लाक
औरैया जिला
औरैया भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश का एक जिला है। प्राचीन काल में पांचाल राज्य में शामिल था। जनपद मुख्यालय बनने से पूर्व यह इटावा जनपद का तहसील मुख्यालय रहा है। यह जिला कानपुर मंडल के अंतर्गत है। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और औरैया जिला
आत्माराम एण्ड सन्स
यह हिन्दी पुस्तकों के एक प्रमुख प्रकाशक हैं। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और आत्माराम एण्ड सन्स
आत्मकथा
आत्मकथा हिंदी गद्य की एक विधा है जिसमें लेखक अपनी ही कथा स्मृतियों के आधार पर लिखता है। आत्मकथा में निष्पक्षता जरूरी है। इसे काल्पनिक बातों और घटनाओं से बचाना भी जरूरी है और रोचकता भी बनाए रखने की जरूरी है। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और आत्मकथा
आनन्द भवन
आनन्द भवन "हिन्दी प्रचारक पुस्तकालय" के नाम से प्रकाशन का काम करने वाले निहालचन्द बेरी द्वारा रचित पुस्तक है। यह पुस्तक तिलस्मी उपन्यास है। श्रेणी:हिन्दी साहित्य.
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और आनन्द भवन
आयरलैण्ड
आयरलैण्ड (Éire एक द्वीप है उत्तर पश्चिम यूरोप में। यूरोप का तीसरा सबसे बड़ा द्वीप है और दुनिया में बीसवां सबसे बड़ा द्वीप है। पुर्व में संजयुक्त राजशाही है। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और आयरलैण्ड
आर्य समाज
आर्य समाज एक हिन्दू सुधार आंदोलन है जिसकी स्थापना स्वामी दयानन्द सरस्वती ने १८७५ में बंबई में मथुरा के स्वामी विरजानंद की प्रेरणा से की थी। यह आंदोलन पाश्चात्य प्रभावों की प्रतिक्रिया स्वरूप हिंदू धर्म में सुधार के लिए प्रारंभ हुआ था। आर्य समाज में शुद्ध वैदिक परम्परा में विश्वास करते थे तथा मूर्ति पूजा, अवतारवाद, बलि, झूठे कर्मकाण्ड व अंधविश्वासों को अस्वीकार करते थे। इसमें छुआछूत व जातिगत भेदभाव का विरोध किया तथा स्त्रियों व शूद्रों को भी यज्ञोपवीत धारण करने व वेद पढ़ने का अधिकार दिया था। स्वामी दयानन्द सरस्वती द्वारा रचित सत्यार्थ प्रकाश नामक ग्रन्थ आर्य समाज का मूल ग्रन्थ है। आर्य समाज का आदर्श वाक्य है: कृण्वन्तो विश्वमार्यम्, जिसका अर्थ है - विश्व को आर्य बनाते चलो। प्रसिद्ध आर्य समाजी जनों में स्वामी दयानन्द सरस्वती, स्वामी श्रद्धानन्द, महात्मा हंसराज, लाला लाजपत राय, भाई परमानन्द, पंडित गुरुदत्त, स्वामी आनन्दबोध सरस्वती, स्वामी अछूतानन्द, चौधरी चरण सिंह, पंडित वन्देमातरम रामचन्द्र राव, बाबा रामदेव आदि आते हैं। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और आर्य समाज
आशारानी व्होरा
आशारानी व्होरा (जन्म: ७ अप्रैल १९२१ - मृत्यु: २१ दिसम्बर २००९) ब्रिटिश भारत में झेलम जिले में जन्मी एक हिन्दी लेखिका थीं जिन्होंने सौ से अधिक पुस्तकों की रचना की। जीवन की अन्तिम साँस तक वह निरन्तर लिखती रहीं। ८८ वर्ष की आयु में उनका निधन नई दिल्ली में अपने बेटे डॉ॰ शशि व्होरा के घर पर हुआ। आशारानी को अपने जीवन काल में कई पुरस्कार व सम्मान प्राप्त हुए। उन्होंने अपनी सारी सम्पत्ति एक ट्रस्ट बनाकर नोएडा स्थित सूर्या संस्थान को दान कर दी। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और आशारानी व्होरा
आज तक
आज तक एक हिन्दी समाचार टी वी चैनल है। इसका स्वामित्व टीवी टुडे नेटवर्क लिमिटेड के पास है। आज तक भारत के सर्वाधिक देखे जाने वाले हिन्दी समाचार चैनलों में से एक है। आज तक का मुख्यालय नई दिल्ली, भारत में स्थित है। आज तक को लिम्का बुक ऑफ़ रिकॉर्ड्स द्वारा भी सर्वश्रेष्ठ समाचार चैनल के रूप में सम्मनित किया जा चुका है। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और आज तक
आज़ाद हिन्द फ़ौज
आज़ाद हिन्द फौज़ का ध्वज आज़ाद हिन्द फ़ौज सबसे पहले राजा महेन्द्र प्रताप सिंह ने 29 अक्टूबर 1915 को अफगानिस्तान में बनायी थी। मूलत: यह 'आजाद हिन्द सरकार' की सेना थी जो अंग्रेजों से लड़कर भारत को मुक्त कराने के लक्ष्य से ही बनायी गयी थी। किन्तु इस लेख में जिसे 'आजाद हिन्द फौज' कहा गया है उससे इस सेना का कोई सम्बन्ध नहीं है। हाँ, नाम और उद्देश्य दोनों के ही समान थे। रासबिहारी बोस ने जापानियों के प्रभाव और सहायता से दक्षिण-पूर्वी एशिया से जापान द्वारा एकत्रित क़रीब 40,000 भारतीय स्त्री-पुरुषों की प्रशिक्षित सेना का गठन शुरू किया था और उसे भी यही नाम दिया अर्थात् आज़ाद हिन्द फ़ौज। बाद में उन्होंने नेताजी सुभाषचंद्र बोस को आज़ाद हिन्द फौज़ का सर्वोच्च कमाण्डर नियुक्त करके उनके हाथों में इसकी कमान सौंप दी। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और आज़ाद हिन्द फ़ौज
आगरा
आगरा उत्तर प्रदेश प्रान्त का एक महानगर, ज़िला शहर व तहसील है। विश्व का अजूबा ताजमहल आगरा की पहचान है और यह यमुना नदी के किनारे बसा है। आगरा २७.१८° उत्तर ७८.०२° पूर्व में यमुना नदी के तट पर स्थित है। समुद्र-तल से इसकी औसत ऊँचाई क़रीब १७१ मीटर (५६१ फ़ीट) है। आगरा उत्तर प्रदेश का तीसरा सबसे बड़ा शहर है। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और आगरा
आगा खान पैलेस
आगा खान पैलेस पुणे के येरावाड़ा मे स्थित एक एतिहासिक भवन है। सुल्तान मुहम्मद शाह आगा खान द्वितीय ने १८९२ मे बनवाया था। इस भवन मे महात्मा गाँधी को उनके अन्य सहयोगीयो से साथ सन १९४० मे बंदी बना कर रखा गया था। कस्तूरबा गांधी का निधन इसी भवन मे हुआ था। उनकी समाधी भी यहॉ स्थित है। अब यह भवन एक संग्राहलय है। यह स्मारक ६.५ हेक्टेयर में फैला हुआ है। १८९२ में शाह आगा खां तृतीय ने इसे बनवाया था। १९५६ तक यह भवन उनका महल रहा। १९६९ में, आगा खां चतुर्थ ने इसे भारत सरकार को दान दे दिया था।। ट्रेन एंक्वायरी महात्मा गांधी की पत्नी कस्तूरबा गांधी और महात्मा जी के सचिव महादेवभाई देसाई 2 साल तक यहां रहे और इसी प्रवास के दौरान उनकी मृत्यु हुई थी। उनकी अस्थियां स्मारक के बागीचे में रखी गई हैं। गांधी जी के जीवन पर एक फोटो-प्रदर्शनी और उनकी व्यक्तिगत उपयोग की वस्तुएं जैसे उनकी चप्पलें और चश्मे यहां रखे गए हैं। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और आगा खान पैलेस
इटावा
इटावा भारत के उत्तर प्रदेश का एक प्रमुख शहर एवं लोकसभा क्षेत्र है। यह दिल्ली-कलकत्ता राष्ट्रीय राजमार्ग २ पर स्थित है। इटावा शहर, पश्चिमी मध्य उत्तर-प्रदेश राज्य के उत्तरी भारत में स्थित है। इटावा आगरा के दक्षिण-पूर्व में यमुना (जमुना) नदी के तट पर स्थित है। इस शहर में कई खड्ड हैं। जिनमें से एक पुराने शहर (दक्षिण) को शहर (उत्तर) से अलग करता है। पुल और तटबंध, दोनों हिस्सों को जोड़ते हैं। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और इटावा
इतिहास
बोधिसत्व पद्मपनी, अजंता, भारत। इतिहास(History) का प्रयोग विशेषत: दो अर्थों में किया जाता है। एक है प्राचीन अथवा विगत काल की घटनाएँ और दूसरा उन घटनाओं के विषय में धारणा। इतिहास शब्द (इति + ह + आस; अस् धातु, लिट् लकार अन्य पुरुष तथा एक वचन) का तात्पर्य है "यह निश्चय था"। ग्रीस के लोग इतिहास के लिए "हिस्तरी" (history) शब्द का प्रयोग करते थे। "हिस्तरी" का शाब्दिक अर्थ "बुनना" था। अनुमान होता है कि ज्ञात घटनाओं को व्यवस्थित ढंग से बुनकर ऐसा चित्र उपस्थित करने की कोशिश की जाती थी जो सार्थक और सुसंबद्ध हो। इस प्रकार इतिहास शब्द का अर्थ है - परंपरा से प्राप्त उपाख्यान समूह (जैसे कि लोक कथाएँ), वीरगाथा (जैसे कि महाभारत) या ऐतिहासिक साक्ष्य। इतिहास के अंतर्गत हम जिस विषय का अध्ययन करते हैं उसमें अब तक घटित घटनाओं या उससे संबंध रखनेवाली घटनाओं का कालक्रमानुसार वर्णन होता है। दूसरे शब्दों में मानव की विशिष्ट घटनाओं का नाम ही इतिहास है। या फिर प्राचीनता से नवीनता की ओर आने वाली, मानवजाति से संबंधित घटनाओं का वर्णन इतिहास है।Whitney, W.
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और इतिहास
इतिहासकार
इतिहासकार वह है जो इतिहास लिखे।एक इतिहासकार एक ऐसा व्यक्ति है जो अतीत के बारे में अध्ययन और लिखता है, और इसे उस पर एक अधिकार के रूप में माना जाता है। इतिहासकार, मानव जाति से संबंधित पिछले घटनाओं की निरंतर, व्यवस्थित कथा और अनुसंधान से चिंतित हैं; साथ ही समय में सभी इतिहास का अध्ययन। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और इतिहासकार
इलाहाबाद
इलाहाबाद उत्तर भारत के उत्तर प्रदेश के पूर्वी भाग में स्थित एक नगर एवं इलाहाबाद जिले का प्रशासनिक मुख्यालय है। इसका प्राचीन नाम प्रयाग है। इसे 'तीर्थराज' (तीर्थों का राजा) भी कहते हैं। इलाहाबाद भारत का दूसरा प्राचीनतम बसा नगर है। हिन्दू मान्यता अनुसार, यहां सृष्टिकर्ता ब्रह्मा ने सृष्टि कार्य पूर्ण होने के बाद प्रथम यज्ञ किया था। इसी प्रथम यज्ञ के प्र और याग अर्थात यज्ञ से मिलकर प्रयाग बना और उस स्थान का नाम प्रयाग पड़ा जहाँ भगवान श्री ब्रम्हा जी ने सृष्टि का सबसे पहला यज्ञ सम्पन्न किया था। इस पावन नगरी के अधिष्ठाता भगवान श्री विष्णु स्वयं हैं और वे यहाँ माधव रूप में विराजमान हैं। भगवान के यहाँ बारह स्वरूप विध्यमान हैं। जिन्हें द्वादश माधव कहा जाता है। सबसे बड़े हिन्दू सम्मेलन महाकुंभ की चार स्थलियों में से एक है, शेष तीन हरिद्वार, उज्जैन एवं नासिक हैं। हिन्दू धर्मग्रन्थों में वर्णित प्रयाग स्थल पवित्रतम नदी गंगा और यमुना के संगम पर स्थित है। यहीं सरस्वती नदी गुप्त रूप से संगम में मिलती है, अतः ये त्रिवेणी संगम कहलाता है, जहां प्रत्येक बारह वर्ष में कुंभ मेला लगता है। इलाहाबाद में कई महत्त्वपूर्ण राज्य सरकार के कार्यालय स्थित हैं, जैसे इलाहाबाद उच्च न्यायालय, प्रधान महालेखाधिकारी (एजी ऑफ़िस), उत्तर प्रदेश राज्य लोक सेवा आयोग (पी.एस.सी), राज्य पुलिस मुख्यालय, उत्तर मध्य रेलवे मुख्यालय, केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड का क्षेत्रीय कार्यालय एवं उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद कार्यालय। भारत सरकार द्वारा इलाहाबाद को जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीकरण योजना के लिये मिशन शहर के रूप में चुना गया है। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और इलाहाबाद
इंग्लैण्ड
इंग्लैण्ड (अंग्रेज़ी: England), ग्रेट ब्रिटेन नामक टापू के दक्षिणी भाग में स्थित एक देश है। इसका क्षेत्रफल 50,331 वर्ग मील है। यह यूनाइटेड किंगडम का सबसे बड़ा निर्वाचक देश है। इंग्लैंड के अलावा स्कॉटलैंड, वेल्स और उत्तर आयरलैंड भी यूनाइटेड किंगडम में शामिल हैं। यह यूरोप के उत्तर पश्चिम में अवस्थित है जो मुख्य भूमि से इंग्लिश चैनल द्वारा पृथकीकृत द्वीप का अंग है। इसकी राजभाषा अंग्रेज़ी है और यह विश्व के सबसे संपन्न तथा शक्तिशाली देशों में से एक है। इंग्लैंड के इतिहास में सबसे स्वर्णिम काल उसका औपनिवेशिक युग है। अठारहवीं सदी से लेकर बीसवीं सदी के मध्य तक ब्रिटिश साम्राज्य विश्व का सबसे बड़ा और शकितशाली साम्राज्य हुआ करता था जो कई महाद्वीपों में फैला हुआ था और कहा जाता था कि ब्रिटिश साम्राज्य में सूर्य कभी अस्त नहीं होता। उसी समय पूरे विश्व में अंग्रेज़ी भाषा ने अपनी छाप छोड़ी जिसकी वज़ह से यह आज भी विश्व के सबसे अधिक लोगों द्वारा बोले व समझे जाने वाली भाषा है। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और इंग्लैण्ड
कानपुर
कानपुर भारतवर्ष के उत्तरी राज्य उत्तर प्रदेश का एक प्रमुख औद्योगिक नगर है। यह नगर गंगा नदी के दक्षिण तट पर बसा हुआ है। प्रदेश की राजधानी लखनऊ से ८० किलोमीटर पश्चिम स्थित यहाँ नगर प्रदेश की औद्योगिक राजधानी के नाम से भी जाना जाता है। ऐतिहासिक और पौराणिक मान्यताओं के लिए चर्चित ब्रह्मावर्त (बिठूर) के उत्तर मध्य में स्थित ध्रुवटीला त्याग और तपस्या का संदेश दे रहा है। यहाँ की आबादी लगभग २७ लाख है। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और कानपुर
कांग्रेस
कांग्रेस का आशय इन सब से है।.
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और कांग्रेस
काकोरी
काकोरी उत्तर प्रदेश में लखनऊ जिले का शहर और नगर पंचायत है। यह जगह भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के दौरान क्रान्तिकारी काकोरी काण्ड के लिए जानी जाती है। यहाँ पर काकोरी शहीदों की स्मृति में एक स्मारक भी है। इस शहर के स्मृति को अक्षुण्ण बनाये रखने के लिये मंगल ग्रह के एक प्रमुख क्रेटर का नाम भी काकोरी ही रखा गया है। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और काकोरी
काकोरी काण्ड
काकोरी-काण्ड के क्रान्तिकारी सबसे ऊपर या प्रमुख बिस्मिल थे राम प्रसाद 'बिस्मिल' एवं अशफाक उल्ला खाँ नीचे ग्रुप फोटो में क्रमश: 1.योगेशचन्द्र चटर्जी, 2.प्रेमकृष्ण खन्ना, 3.मुकुन्दी लाल, 4.विष्णुशरण दुब्लिश, 5.सुरेशचन्द्र भट्टाचार्य, 6.रामकृष्ण खत्री, 7.मन्मथनाथ गुप्त, 8.राजकुमार सिन्हा, 9.ठाकुर रोशानसिंह, 10.पं० रामप्रसाद 'बिस्मिल', 11.राजेन्द्रनाथ लाहिडी, 12.गोविन्दचरण कार, 13.रामदुलारे त्रिवेदी, 14.रामनाथ पाण्डेय, 15.शचीन्द्रनाथ सान्याल, 16.भूपेन्द्रनाथ सान्याल, 17.प्रणवेशकुमार चटर्जी काकोरी काण्ड (अंग्रेजी: Kakori conspiracy) भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के क्रान्तिकारियों द्वारा ब्रिटिश राज के विरुद्ध भयंकर युद्ध छेड़ने की खतरनाक मंशा से हथियार खरीदने के लिये ब्रिटिश सरकार का ही खजाना लूट लेने की एक ऐतिहासिक घटना थी जो ९ अगस्त १९२५ को घटी। इस ट्रेन डकैती में जर्मनी के बने चार माउज़र पिस्तौल काम में लाये गये थे। इन पिस्तौलों की विशेषता यह थी कि इनमें बट के पीछे लकड़ी का बना एक और कुन्दा लगाकर रायफल की तरह उपयोग किया जा सकता था। हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन के केवल दस सदस्यों ने इस पूरी घटना को अंजाम दिया था। क्रान्तिकारियों द्वारा चलाए जा रहे आजादी के आन्दोलन को गति देने के लिये धन की तत्काल व्यवस्था की जरूरत के मद्देनजर शाहजहाँपुर में हुई बैठक के दौरान राम प्रसाद बिस्मिल ने अंग्रेजी सरकार का खजाना लूटने की योजना बनायी थी। इस योजनानुसार दल के ही एक प्रमुख सदस्य राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी ने ९ अगस्त १९२५ को लखनऊ जिले के काकोरी रेलवे स्टेशन से छूटी "आठ डाउन सहारनपुर-लखनऊ पैसेन्जर ट्रेन" को चेन खींच कर रोका और क्रान्तिकारी पण्डित राम प्रसाद बिस्मिल के नेतृत्व में अशफाक उल्ला खाँ, पण्डित चन्द्रशेखर आज़ाद व ६ अन्य सहयोगियों की मदद से समूची ट्रेन पर धावा बोलते हुए सरकारी खजाना लूट लिया। बाद में अंग्रेजी हुकूमत ने उनकी पार्टी हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन के कुल ४० क्रान्तिकारियों पर सम्राट के विरुद्ध सशस्त्र युद्ध छेड़ने, सरकारी खजाना लूटने व मुसाफिरों की हत्या करने का मुकदमा चलाया जिसमें राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी, पण्डित राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खाँ तथा ठाकुर रोशन सिंह को मृत्यु-दण्ड (फाँसी की सजा) सुनायी गयी। इस मुकदमें में १६ अन्य क्रान्तिकारियों को कम से कम ४ वर्ष की सजा से लेकर अधिकतम काला पानी (आजीवन कारावास) तक का दण्ड दिया गया था। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और काकोरी काण्ड
कवि
कवि वह है जो भावों को रसाभिषिक्त अभिव्यक्ति देता है और सामान्य अथवा स्पष्ट के परे गहन यथार्थ का वर्णन करता है। इसीलिये वैदिक काल में ऋषय: मन्त्रदृष्टार: कवय: क्रान्तदर्शिन: अर्थात् ऋषि को मन्त्रदृष्टा और कवि को क्रान्तदर्शी कहा गया है। "जहाँ न पहुँचे रवि, वहाँ पहुँचे कवि" इस लोकोक्ति को एक दोहे के माध्यम से अभिव्यक्ति दी गयी है: "जहाँ न पहुँचे रवि वहाँ, कवि पहुँचे तत्काल। दिन में कवि का काम क्या, निशि में करे कमाल।।" ('क्रान्त' कृत मुक्तकी से साभार) .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और कवि
क्रान्ति
क्रान्ति (Revolution) अधिकारों या संगठनात्मक संरचना में होने वाला एक मूलभूत परिवर्तन है जो अपेक्षाकृत कम समय में ही घटित होता है। अरस्तू ने दो प्रकार की राजनीतिक क्रान्तियों का वर्णन किया है.
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और क्रान्ति
क्रान्तिकारी (घोषणा पत्र)
क्रान्तिकारी (घोषणा पत्र) हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन द्वारा ब्रिटिश राज में १ जनवरी १९२५ को मूलत: अंग्रेजी में दि रिवोल्यूशनरी के नाम से प्रकाशित किया गया था। भारत की क्रान्तिकारी पार्टी का यह घोषणा पत्र काकोरी काण्ड में एक दस्तावेज़ के रूप में ख़ुफ़िया पुलिस द्वारा अदालत में पेश किया गया था। इसकी भाषा इतनी खतरनाक थी कि इसे पढ़ते ही ब्रिटिश साम्राज्य का सिंहासन की चूलें लन्दन तक में हिल उठीं थीं। इसका अविकल हिन्दी काव्यानुवाद सन् २००६ में प्रकाशित हुआ था। क्रान्तिकारी के नाम से प्रकाशित ४ पृष्ठ के इस घोषणा पत्र पर शीर्षक के दोनों ओर इसके ध्येय वाक्य इस प्रकार लिखे हुए थे - "चाहें छोटा हो या बड़ा, गरीब हो या अमीर, प्रत्येक को मुफ्त न्याय और समान अवसर मिलेगा।" घोषणा पत्र के प्रारम्भ में ही लिखा गया था- "प्रत्येक सच्चे भारतीय को चाहिये कि वह इसे पूरा पढ़े और अपने आत्मीय व इष्ट-मित्रों तक पहुँचाये।" घोषणा पत्र के अन्त में भारतीय प्रजातन्त्र संघ (हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन) के अध्यक्ष के रूप में विजयकुमार के नाम से हस्ताक्षर किये गये थे। हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन की ओर से १ जनवरी १९२५ को प्रकाशित चार पृष्ठ का यह घोषणा पत्र एक इश्तहार के रूप में जनवरी १९२५ के अन्तिम सप्ताह में हिन्दुस्तान के सभी प्रमुख स्थानों पर वितरित किया गया था। यह इश्तहार जानबूझ कर अंग्रेज़ी में दि रिवोल्यूशनरी के नाम से इसलिए छापा गया था ताकि सभी अंग्रेज़ इसका मतलब समझ सकें। इसमें विजय कुमार के छद्म नाम से रामप्रसाद 'बिस्मिल' ने अपनी पार्टी की विचार-धारा का खुलासा करते हुए साफ़ शब्दों में बताया था कि क्रान्तिकारी इस देश की शासन व्यवस्था में किस प्रकार का बदलाव करना चाहते हैं और इसके लिये वे क्या-क्या कर सकते हैं। केवल इतना ही नहीं, इस पत्र में गान्धी जी की नीतियों का मजाक बनाते हुए यह प्रश्न भी उछाला गया था कि जो व्यक्ति स्वयं को आध्यात्मिक और महात्मा कहता है परन्तु अंग्रेज़ों से खुलकर बात करने में हमेशा ही डरता रहता है। आखिर इसका रहस्य क्या है?" घोषणा पत्र की ये पंक्तियाँ देखें- करने को वे आदर्शों का ढोंग खूब करते हैं। सत्य हमेशा कहने का खोखला दम्भ भरते हैं। पूर्ण स्वराज्य चाहिये यह सच साफ-साफ कहने में, पता नहीं क्यों वे इतना अंग्रेजों से डरते हैं? आदर्शों को जीने वाले दुःख ही दुःख सहते हैं। राष्ट्र तभी बनते हैं जब आदर्श उच्च रहते हैं। पूर्ण स्वराज्य माँगने से हरदम डरने वाले भी, जाने कैसे वे अपने को आध्यात्मिक कहते हैं? ऊपर से दिखते हों पर क्या वे सचमुच ऐसे हैं? जिसे 'महात्मा’ कहते हो क्या उसमें गुण वैसे हैं? समय आ गया है यह सच्चाई सबको बतला दो, ऊपर से जो दिखते हैं, वे अन्दर से कैसे हैं? घोषणा पत्र में हिन्दुस्तान के सभी नौजवानों को ऐसे छद्मवेषी महात्मा के बहकावे में न आने की सलाह भी दी गयी थी। इसके अतिरिक्त सभी नवयुवकों से इस गुप्त क्रान्तिकारी पार्टी में शामिल होकर अंग्रेज़ों से दो-दो हाथ करने का खुला आवाहन भी किया गया था। दि रिवोल्यूशनरी के नाम से अंग्रेज़ी में प्रकाशित इस घोषणा पत्र में क्रान्तिकारियों के वैचारिक चिन्तन को भली-भाँति समझा जा सकता है। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और क्रान्तिकारी (घोषणा पत्र)
क्रिसमस
क्रिसमस या बड़ा दिन ईसा मसीह या यीशु के जन्म की खुशी में मनाया जाने वाला पर्व है। यह 25 दिसम्बर को पड़ता है और इस दिन लगभग संपूर्ण विश्व मे अवकाश रहता है। क्रिसमस से 12 दिन के उत्सव क्रिसमसटाइड की भी शुरुआत होती है। एन्नो डोमिनी काल प्रणाली के आधार पर यीशु का जन्म, 7 से 2 ई.पू.
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और क्रिसमस
केशव बलिराम हेडगेवार
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक डा.
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और केशव बलिराम हेडगेवार
कोलकाता
बंगाल की खाड़ी के शीर्ष तट से १८० किलोमीटर दूर हुगली नदी के बायें किनारे पर स्थित कोलकाता (बंगाली: কলকাতা, पूर्व नाम: कलकत्ता) पश्चिम बंगाल की राजधानी है। यह भारत का दूसरा सबसे बड़ा महानगर तथा पाँचवा सबसे बड़ा बन्दरगाह है। यहाँ की जनसंख्या २ करोड २९ लाख है। इस शहर का इतिहास अत्यंत प्राचीन है। इसके आधुनिक स्वरूप का विकास अंग्रेजो एवं फ्रांस के उपनिवेशवाद के इतिहास से जुड़ा है। आज का कोलकाता आधुनिक भारत के इतिहास की कई गाथाएँ अपने आप में समेटे हुए है। शहर को जहाँ भारत के शैक्षिक एवं सांस्कृतिक परिवर्तनों के प्रारम्भिक केन्द्र बिन्दु के रूप में पहचान मिली है वहीं दूसरी ओर इसे भारत में साम्यवाद आंदोलन के गढ़ के रूप में भी मान्यता प्राप्त है। महलों के इस शहर को 'सिटी ऑफ़ जॉय' के नाम से भी जाना जाता है। अपनी उत्तम अवस्थिति के कारण कोलकाता को 'पूर्वी भारत का प्रवेश द्वार' भी कहा जाता है। यह रेलमार्गों, वायुमार्गों तथा सड़क मार्गों द्वारा देश के विभिन्न भागों से जुड़ा हुआ है। यह प्रमुख यातायात का केन्द्र, विस्तृत बाजार वितरण केन्द्र, शिक्षा केन्द्र, औद्योगिक केन्द्र तथा व्यापार का केन्द्र है। अजायबघर, चिड़ियाखाना, बिरला तारमंडल, हावड़ा पुल, कालीघाट, फोर्ट विलियम, विक्टोरिया मेमोरियल, विज्ञान नगरी आदि मुख्य दर्शनीय स्थान हैं। कोलकाता के निकट हुगली नदी के दोनों किनारों पर भारतवर्ष के प्रायः अधिकांश जूट के कारखाने अवस्थित हैं। इसके अलावा मोटरगाड़ी तैयार करने का कारखाना, सूती-वस्त्र उद्योग, कागज-उद्योग, विभिन्न प्रकार के इंजीनियरिंग उद्योग, जूता तैयार करने का कारखाना, होजरी उद्योग एवं चाय विक्रय केन्द्र आदि अवस्थित हैं। पूर्वांचल एवं सम्पूर्ण भारतवर्ष का प्रमुख वाणिज्यिक केन्द्र के रूप में कोलकाता का महत्त्व अधिक है। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और कोलकाता
कोहिमा
right कोहिमा भारत के नागालैंड प्रान्त की राजधानी है। यह नागालैंड की राजधानी है और बहुत सुन्दर शहर है। कोहिमा में अधिकतर आदिवासी रहते हैं। इन आदिवासियों की संस्कृति बहुत रंग-बिरंगी है जो पर्यटकों को बहुत पसंद आती है। उन्हें इनकी संस्कृति की झलक देखना बड़ा पसंद आता है। इनकी संस्कृति के अलावा पर्यटक यहां पर कई बेहतरीन और ऐतिहासिक पर्यटक स्थलों की सैर भी कर सकते हैं। इनमें राज्य संग्राहलय, एम्पोरियम, नागा हेरिटेज कॉम्पलैक्स, कोहिमा गांव, दजुकोउ घाटी, जप्फु चोटी, त्सेमिन्यु, खोनोमा गांव, दज्युलेकी और त्योफेमा टूरिस्ट गांव प्रमुख हैं। यह सभी पर्यटकों को बहुत पसंद आते हैं क्योंकि इनकी खूबसूरत उन्हें मंत्रमुग्ध कर देती है। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और कोहिमा
अटल बिहारी वाजपेयी
अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpeyee), (जन्म: २५ दिसंबर, १९२४) भारत के पूर्व प्रधानमंत्री हैं। वे पहले १६ मई से १ जून १९९६ तथा फिर १९ मार्च १९९८ से २२ मई २००४ तक भारत के प्रधानमंत्री रहे। वे हिन्दी कवि, पत्रकार व प्रखर वक्ता भी हैं। वे भारतीय जनसंघ की स्थापना करने वाले महापुरुषों में से एक हैं और १९६८ से १९७३ तक उसके अध्यक्ष भी रहे। वे जीवन भर भारतीय राजनीति में सक्रिय रहे। उन्होंने लम्बे समय तक राष्ट्रधर्म, पाञ्चजन्य और वीर अर्जुन आदि राष्ट्रीय भावना से ओत-प्रोत अनेक पत्र-पत्रिकाओं का सम्पादन भी किया। उन्होंने अपना जीवन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक के रूप में आजीवन अविवाहित रहने का संकल्प लेकर प्रारम्भ किया था और देश के सर्वोच्च पद पर पहुँचने तक उस संकल्प को पूरी निष्ठा से निभाया। वाजपेयी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार के पहले प्रधानमन्त्री थे जिन्होंने गैर काँग्रेसी प्रधानमन्त्री पद के 5 साल बिना किसी समस्या के पूरे किए। उन्होंने 24 दलों के गठबंधन से सरकार बनाई थी जिसमें 81 मन्त्री थे। कभी किसी दल ने आनाकानी नहीं की। इससे उनकी नेतृत्व क्षमता का पता चलता है। सम्प्रति वे राजनीति से संन्यास ले चुके हैं और नई दिल्ली में ६-ए कृष्णामेनन मार्ग स्थित सरकारी आवास में रहते हैं। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और अटल बिहारी वाजपेयी
अनुवाद
किसी भाषा में कही या लिखी गयी बात का किसी दूसरी भाषा में सार्थक परिवर्तन अनुवाद (Translation) कहलाता है। अनुवाद का कार्य बहुत पुराने समय से होता आया है। संस्कृत में 'अनुवाद' शब्द का उपयोग शिष्य द्वारा गुरु की बात के दुहराए जाने, पुनः कथन, समर्थन के लिए प्रयुक्त कथन, आवृत्ति जैसे कई संदर्भों में किया गया है। संस्कृत के ’वद्‘ धातु से ’अनुवाद‘ शब्द का निर्माण हुआ है। ’वद्‘ का अर्थ है बोलना। ’वद्‘ धातु में 'अ' प्रत्यय जोड़ देने पर भाववाचक संज्ञा में इसका परिवर्तित रूप है 'वाद' जिसका अर्थ है- 'कहने की क्रिया' या 'कही हुई बात'। 'वाद' में 'अनु' उपसर्ग उपसर्ग जोड़कर 'अनुवाद' शब्द बना है, जिसका अर्थ है, प्राप्त कथन को पुनः कहना। इसका प्रयोग पहली बार मोनियर विलियम्स ने अँग्रेजी शब्द टांंसलेशन (translation) के पर्याय के रूप में किया। इसके बाद ही 'अनुवाद' शब्द का प्रयोग एक भाषा में किसी के द्वारा प्रस्तुत की गई सामग्री की दूसरी भाषा में पुनः प्रस्तुति के संदर्भ में किया गया। वास्तव में अनुवाद भाषा के इन्द्रधनुषी रूप की पहचान का समर्थतम मार्ग है। अनुवाद की अनिवार्यता को किसी भाषा की समृद्धि का शोर मचा कर टाला नहीं जा सकता और न अनुवाद की बहुकोणीय उपयोगिता से इन्कार किया जा सकता है। ज्त्।छैस्।ज्प्व्छ के पर्यायस्वरूप ’अनुवाद‘ शब्द का स्वीकृत अर्थ है, एक भाषा की विचार सामग्री को दूसरी भाषा में पहुँचना। अनुवाद के लिए हिंदी में 'उल्था' का प्रचलन भी है।अँग्रेजी में TRANSLATION के साथ ही TRANSCRIPTION का प्रचलन भी है, जिसे हिंदी में 'लिप्यन्तरण' कहा जाता है। अनुवाद और लिप्यंतरण का अंतर इस उदाहरण से स्पष्ट है- इससे स्पष्ट है कि 'अनुवाद' में हिंदी वाक्य को अँग्रेजी में प्रस्तुत किया गया है जबकि लिप्यंतरण में नागरी लिपि में लिखी गयी बात को मात्र रोमन लिपि में रख दिया गया है। अनुवाद के लिए 'भाषांतर' और 'रूपांतर' का प्रयोग भी किया जाता रहा है। लेकिन अब इन दोनों ही शब्दों के नए अर्थ और उपयोग प्रचलित हैं। 'भाषांतर' और 'रूपांतर' का प्रयोग अँग्रेजी के INTERPRETATION शब्द के पर्याय-स्वरूप होता है, जिसका अर्थ है दो व्यक्तियों के बीच भाषिक संपर्क स्थापित करना। कन्नडभाषी व्यक्ति और असमियाभाषी व्यक्ति के बीच की भाषिक दूरी को भाषांतरण के द्वारा ही दूर किया जाता है। 'रूपांतर' शब्द इन दिनों प्रायः किसी एक विधा की रचना की अन्य विधा में प्रस्तुति के लिए प्रयुक्त है। जैस, प्रेमचन्द के उपन्यास 'गोदान' का रूपांतरण 'होरी' नाटक के रूप में किया गया है। किसी भाषा में अभिव्यक्त विचारों को दूसरी भाषा में यथावत् प्रस्तुत करना अनुवाद है। इस विशेष अर्थ में ही 'अनुवाद' शब्द का अभिप्राय सुनिश्चित है। जिस भाषा से अनुवाद किया जाता है, वह मूलभाषा या स्रोतभाषा है। उससे जिस नई भाषा में अनुवाद करना है, वह 'प्रस्तुत भाषा' या 'लक्ष्य भाषा' है। इस तरह, स्रोत भाषा में प्रस्तुत भाव या विचार को बिना किसी परिवर्तन के लक्ष्यभाषा में प्रस्तुत करना ही अनुवाद है।ज .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और अनुवाद
अनुवादक
* प्रोग्राम अनुवादक: अंको व अक्षरों को मशीनी भाषा में अनुवादित करने वाला प्रोग्राम.
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और अनुवादक
अरविन्द घोष
अरविन्द घोष या श्री अरविन्द (बांग्ला: শ্রী অরবিন্দ, जन्म: १८७२, मृत्यु: १९५०) एक योगी एवं दार्शनिक थे। वे १५ अगस्त १८७२ को कलकत्ता में जन्मे थे। इनके पिता एक डाक्टर थे। इन्होंने युवा अवस्था में स्वतन्त्रता संग्राम में क्रान्तिकारी के रूप में भाग लिया, किन्तु बाद में यह एक योगी बन गये और इन्होंने पांडिचेरी में एक आश्रम स्थापित किया। वेद, उपनिषद ग्रन्थों आदि पर टीका लिखी। योग साधना पर मौलिक ग्रन्थ लिखे। उनका पूरे विश्व में दर्शन शास्त्र पर बहुत प्रभाव रहा है और उनकी साधना पद्धति के अनुयायी सब देशों में पाये जाते हैं। यह कवि भी थे और गुरु भी। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और अरविन्द घोष
अशफ़ाक़ुल्लाह ख़ाँ
अशफ़ाक़ उल्ला ख़ाँ, (उर्दू: اشفاق اُللہ خان, अंग्रेजी:Ashfaq Ulla Khan, जन्म:22 अक्तूबर १९००, मृत्यु:१९२७) भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के एक प्रमुख क्रान्तिकारी थे। उन्होंने काकोरी काण्ड में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। ब्रिटिश शासन ने उनके ऊपर अभियोग चलाया और १९ दिसम्बर सन् १९२७ को उन्हें फैजाबाद जेल में फाँसी पर लटका कर मार दिया गया। राम प्रसाद बिस्मिल की भाँति अशफ़ाक़ उल्ला ख़ाँ भी उर्दू भाषा के बेहतरीन शायर थे। उनका उर्दू तखल्लुस, जिसे हिन्दी में उपनाम कहते हैं, हसरत था। उर्दू के अतिरिक्त वे हिन्दी व अँग्रेजी में लेख एवं कवितायें भी लिखा करते थे। उनका पूरा नाम अशफ़ाक़ उल्ला ख़ाँ वारसी हसरत था। भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के सम्पूर्ण इतिहास में बिस्मिल और अशफ़ाक़ की भूमिका निर्विवाद रूप से हिन्दू-मुस्लिम एकता का अनुपम आख्यान है। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और अशफ़ाक़ुल्लाह ख़ाँ
असहयोग आन्दोलन
1914-18 के महान युद्ध के दौरान अंग्रेजों ने प्रेस पर प्रतिबंध लगा दिया था और बिना जाँच के कारावास की अनुमति दे दी थी। अब सर सिडनी रॉलेट की अध्यक्षता वाली एक समिति की संस्तुतियों के आधार पर इन कठोर उपायों को जारी रखा गया। इसके जवाब में गाँधी जी ने देशभर में 'रॉलेट एक्ट' के खिलाफ़ एक अभियान चलाया। उत्तरी और पश्चिमी भारत के कस्बों में चारों तरफ़ बंद के समर्थन में दुकानों और स्कूलों के बंद होने के कारण जीवन लगभग ठहर सा गया था। पंजाब में, विशेष रूप से कड़ा विरोध हुआ, जहाँ के बहुत से लोगों ने युद्ध में अंग्रेजों के पक्ष में सेवा की थी और अब अपनी सेवा के बदले वे ईनाम की अपेक्षा कर रहे थे। लेकिन इसकी जगह उन्हें रॉलेट एक्ट दिया गया। पंजाब जाते समय गाँधी जी को कैद कर लिया गया। स्थानीय कांग्रेसजनों को गिरफ़तार कर लिया गया था। प्रांत की यह स्थिति धीरे-धीरे और तनावपूर्ण हो गई तथा अप्रैल 1919 में अमृतसर में यह खूनखराबे के चरमोत्कर्ष पर ही पहुँच गई। जब एक अंग्रेज ब्रिगेडियर ने एक राष्ट्रवादी सभा पर गोली चलाने का हुक्म दिया तब जालियाँवाला बाग हत्याकांड के नाम से जाने गए इस हत्याकांड में लगभग 1,000 लोग मारे गए और 1600 घायल हुए। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और असहयोग आन्दोलन
अहमदनगर
अहमदनगर महाराष्ट्र का एक शहर है। अहमदनगर महाराष्ट्र का सबसे बडा जिला है। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और अहमदनगर
अहमदाबाद
अहमदाबाद (અમદાવાદ अमदावाद) गुजरात प्रदेश का सबसे बड़ा शहर है। भारतवर्ष में यह नगर का सातवें स्थान पर है। इक्क्यावन लाख की जनसंख्या वाला ये शहर, साबरमती नदी के किनारे बसा हुआ है। १९७० में गांधीनगर में राजधानी स्थानांतरित होने से पहले अहमदाबाद ही गुजरात की राजधानी हुआ करता था। अहमदाबाद को कर्णावती के नाम से भी जाना जाता है। इस शहार की बुनियाद सन १४११ में डाली गयी थी। शहर का नाम सुलतान अहमद शाह पर पड़ा था। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और अहमदाबाद
अहिंसा
अहिंसा का सामान्य अर्थ है 'हिंसा न करना'। इसका व्यापक अर्थ है - किसी भी प्राणी को तन, मन, कर्म, वचन और वाणी से कोई नुकसान न पहुँचाना। मन में किसी का अहित न सोचना, किसी को कटुवाणी आदि के द्वार भी नुकसान न देना तथा कर्म से भी किसी भी अवस्था में, किसी भी प्राणी कि हिंसा न करना, यह अहिंसा है। जैन धर्म एवंम हिन्दू धर्म में अहिंसा का बहुत महत्त्व है। जैन धर्म के मूलमंत्र में ही अहिंसा परमो धर्म:(अहिंसा परम (सबसे बड़ा) धर्म कहा गया है। आधुनिक काल में महात्मा गांधी ने भारत की आजादी के लिये जो आन्दोलन चलाया वह काफी सीमा तक अहिंसात्मक था। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और अहिंसा
उत्तर प्रदेश
आगरा और अवध संयुक्त प्रांत 1903 उत्तर प्रदेश सरकार का राजचिन्ह उत्तर प्रदेश भारत का सबसे बड़ा (जनसंख्या के आधार पर) राज्य है। लखनऊ प्रदेश की प्रशासनिक व विधायिक राजधानी है और इलाहाबाद न्यायिक राजधानी है। आगरा, अयोध्या, कानपुर, झाँसी, बरेली, मेरठ, वाराणसी, गोरखपुर, मथुरा, मुरादाबाद तथा आज़मगढ़ प्रदेश के अन्य महत्त्वपूर्ण शहर हैं। राज्य के उत्तर में उत्तराखण्ड तथा हिमाचल प्रदेश, पश्चिम में हरियाणा, दिल्ली तथा राजस्थान, दक्षिण में मध्य प्रदेश तथा छत्तीसगढ़ और पूर्व में बिहार तथा झारखंड राज्य स्थित हैं। इनके अतिरिक्त राज्य की की पूर्वोत्तर दिशा में नेपाल देश है। सन २००० में भारतीय संसद ने उत्तर प्रदेश के उत्तर पश्चिमी (मुख्यतः पहाड़ी) भाग से उत्तरांचल (वर्तमान में उत्तराखंड) राज्य का निर्माण किया। उत्तर प्रदेश का अधिकतर हिस्सा सघन आबादी वाले गंगा और यमुना। विश्व में केवल पाँच राष्ट्र चीन, स्वयं भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका, इंडोनिशिया और ब्राज़ील की जनसंख्या उत्तर प्रदेश की जनसंख्या से अधिक है। उत्तर प्रदेश भारत के उत्तर में स्थित है। यह राज्य उत्तर में नेपाल व उत्तराखण्ड, दक्षिण में मध्य प्रदेश, पश्चिम में हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान तथा पूर्व में बिहार तथा दक्षिण-पूर्व में झारखण्ड व छत्तीसगढ़ से घिरा हुआ है। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ है। यह राज्य २,३८,५६६ वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैला हुआ है। यहाँ का मुख्य न्यायालय इलाहाबाद में है। कानपुर, झाँसी, बाँदा, हमीरपुर, चित्रकूट, जालौन, महोबा, ललितपुर, लखीमपुर खीरी, वाराणसी, इलाहाबाद, मेरठ, गोरखपुर, नोएडा, मथुरा, मुरादाबाद, गाजियाबाद, अलीगढ़, सुल्तानपुर, फैजाबाद, बरेली, आज़मगढ़, मुज़फ्फरनगर, सहारनपुर यहाँ के मुख्य शहर हैं। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और उत्तर प्रदेश
उत्तर भारत
उत्तरी भारत में अनेक भौगोलिक क्षेत्र आते हैं। इसमें मैदान, पर्वत, मरुस्थल आदि सभी मिलते हैं। यह भारत का उत्तरी क्षेत्र है। प्रधान भौगोलिक अंगों में गंगा के मैदान और हिमालय पर्वतमाला आती है। यही पर्वतमाला भारत को तिब्बत और मध्य एशिया के भागों से पृथक करती है। उत्तरी भारत मौर्य, गुप्त, मुगल एवं ब्रिटिश साम्राज्यों का ऐतिहासिक केन्द्र रहा है। यहां बहुत से हिन्दू तीर्थ जैसे पर्वतों में गंगोत्री से लेकर मैदानों में वाराणासी तक हैं, तो मुस्लिम तीर्थ जैसे अजमेर.
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और उत्तर भारत
उपनाम
नाम के साथ प्रयोग हुआ दूसरा शब्द जो नाम कि जाति या किसी विशेषता को व्यक्त करता है उपनाम (Surname / सरनेम) कहलाता है। जैसे महात्मा गाँधी, सचिन तेंदुलकर, भगत सिंह आदि में दूसरा शब्द गाँधी, तेंदुलकर, सिंह उपनाम हैं। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और उपनाम
उपन्यास
उपन्यास गद्य लेखन की एक विधा है। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और उपन्यास
उर्दू भाषा
उर्दू भाषा हिन्द आर्य भाषा है। उर्दू भाषा हिन्दुस्तानी भाषा की एक मानकीकृत रूप मानी जाती है। उर्दू में संस्कृत के तत्सम शब्द न्यून हैं और अरबी-फ़ारसी और संस्कृत से तद्भव शब्द अधिक हैं। ये मुख्यतः दक्षिण एशिया में बोली जाती है। यह भारत की शासकीय भाषाओं में से एक है, तथा पाकिस्तान की राष्ट्रभाषा है। इस के अतिरिक्त भारत के राज्य तेलंगाना, दिल्ली, बिहार और उत्तर प्रदेश की अतिरिक्त शासकीय भाषा है। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और उर्दू भाषा
१९२९
1929 ग्रेगोरी कैलंडर का एक साधारण वर्ष है। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और १९२९
२००६
२००६ ग्रेगोरी कैलंडर का एक साधारण वर्ष है। वर्ष २००६ रविवार से प्रारम्भ होने वाला वर्ष है। .
देखें राम प्रसाद 'बिस्मिल' और २००६
यह भी देखें
गोरखपुर के लोग
- अनुराग कश्यप
- आम्रपाली दुबे
- कमलेश पासवान
- ज़ोया अफ़रोज़
- जिमी शेरगिल
- निताशा कौल
- नीलम सोनकर
- पंकज
- परमहंस योगानन्द
- फ़िराक़ गोरखपुरी
- बिली अर्जन सिंह
- महंत अवैद्यनाथ
- महन्त दिग्विजयनाथ
- योगी आदित्यनाथ
- रवि दुबे
- राधामोहन दास अग्रवाल
- राम प्रसाद 'बिस्मिल'
- लीलावती सिंह
- वीर बहादुर सिंह
- सौरभ शुक्ला
ब्रिटिश भारत द्वारा फाँसी पर लटकाए गए लोग
- अनन्त कान्हेरे
- अशफ़ाक़ुल्लाह ख़ाँ
- कन्हाई लाल दत्त
- कर्तार सिंह सराभा
- कुशल कोंवार
- खुदीराम बोस
- जादोनाग
- टंट्या भील
- टिकेन्द्रजीत सिंह
- तात्या टोपे
- दिनेश चन्द्र गुप्त
- दुर्गा मल्ल
- धन सिंह गुर्जर
- बसन्त कुमार विश्वास
- भगत सिंह
- भीमा नायक
- मंगल पांडे
- मनिराम देवान
- महाराज नंदकुमार
- राजगुरु
- राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी
- राम प्रसाद 'बिस्मिल'
- रोशन सिंह
- विष्णु गणेश पिंगले
- सुखदेव
- सूर्य सेन
- हेमू कालाणी
पण्डित रामप्रसाद बिस्मिल, राम प्रसाद बिस्मिल, रामप्रसाद 'बिस्मिल', रामप्रसाद बिस्मिल के रूप में भी जाना जाता है।
, ब्रिटिश साम्राज्य, बेतिया, भारत, भारतीय, भारतीय साहित्य अकादमी, भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन, भाई परमानन्द, भगत सिंह, भैंस, भूख हड़ताल, मदनमोहन मालवीय, मदनलाल वर्मा 'क्रान्त', मध्य प्रदेश, मन्दिर, मन्मथनाथ गुप्त, महात्मा, महात्मा गांधी, माउज़र पिस्तौल, मुम्बई, मुरारी शर्मा, मुरैना, मुखम्मस, मैनपुरी, मैनपुरी षड्यन्त्र, मोतीलाल नेहरू, मोहम्मद अली जिन्नाह, यतीन्द्रनाथ दास, यमुना नदी, युद्ध, यूनाइटेड किंगडम, योगेश चन्द्र चटर्जी, राम, राम शरण गौड़, रामविलास शर्मा, राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत, राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालकों की सूची, राजनीति, राज्यपाल, राजेन्द्र प्रसाद, राजेन्द्र सिंह (रज्जू भैया), राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी, रूस, लालबहादुर शास्त्री, लाला लाजपत राय, लाला हरदयाल, लाहौर, लखनऊ, लंदन, लुधियाना, लोकतंत्र, शचींद्रनाथ सान्याल, शाहजहाँपुर जिला, शिमला, श्रीकृष्ण सरल, सत्यार्थ प्रकाश, सफला एकादशी, सरफरोशी की तमन्ना, सरोजिनी नायडू, सहारनपुर, साहित्यकार, साइमन कमीशन, साक्ष्य, सिंगापुर, संयुक्त प्रान्त आगरा व अवध, संयुक्त राज्य, संस्कृत भाषा, संविधान, सुभाष चन्द्र बोस, सुखदेव, स्वतंत्रता सेनानी, स्वराज पार्टी, स्वामी सोमदेव, स्कॉट्लैण्ड, सूर्य सेन, हरदोई, हावड़ा जंक्शन रेलवे स्टेशन, हिन्द स्वराज, हिन्दुस्तान, हिन्दुस्तान (समाचार पत्र), हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन, हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन, हिन्दी प्रचारक संस्थान, हजारीबाग, जनता पार्टी, जयपुर, जापान, जापानी भाषा, जवाहरलाल नेहरू, ज्योतिषी, जॉर्ज वॉशिंगटन, घोषणापत्र, वन्दे मातरम्, वाराणसी, विद्यालय, विजय कुमार मलहोत्रा, विज्ञान भवन, नई दिल्ली, व्यापार, वेबदुनिया, गया, ग़ाज़ियाबाद ज़िला, गाँव, गाय, गुर्जर, गुजराती भाषा, ग्रेटर नोएडा, ग्वालियर, गेंदालाल दीक्षित, गोण्डा, गोरखपुर, गोविन्द बल्लभ पन्त, ऑल इंडिया फार्वर्ड ब्लाक, औरैया जिला, आत्माराम एण्ड सन्स, आत्मकथा, आनन्द भवन, आयरलैण्ड, आर्य समाज, आशारानी व्होरा, आज तक, आज़ाद हिन्द फ़ौज, आगरा, आगा खान पैलेस, इटावा, इतिहास, इतिहासकार, इलाहाबाद, इंग्लैण्ड, कानपुर, कांग्रेस, काकोरी, काकोरी काण्ड, कवि, क्रान्ति, क्रान्तिकारी (घोषणा पत्र), क्रिसमस, केशव बलिराम हेडगेवार, कोलकाता, कोहिमा, अटल बिहारी वाजपेयी, अनुवाद, अनुवादक, अरविन्द घोष, अशफ़ाक़ुल्लाह ख़ाँ, असहयोग आन्दोलन, अहमदनगर, अहमदाबाद, अहिंसा, उत्तर प्रदेश, उत्तर भारत, उपनाम, उपन्यास, उर्दू भाषा, १९२९, २००६।