लोगो
यूनियनपीडिया
संचार
Google Play पर पाएं
नई! अपने एंड्रॉयड डिवाइस पर डाउनलोड यूनियनपीडिया!
मुक्त
ब्राउज़र की तुलना में तेजी से पहुँच!
 

नेत्रोद

सूची नेत्रोद

मानवनेत्र का योजनात्मक चित्र नेत्रोद (Aqueous Humour) एक तरल पदार्थ है, जो आँख के अग्रखंड (anterior segment) में भरा रहता है। यह रक्तनालिकाओं से निकल कर लेंस को चारों ओर से आच्छादित रखता हुआ, पुतली द्वारा होकर अग्रखंड में आता है और फिर अग्रखंड के कोण से इसका बहिष्करण रक्त में होता रहता है। नेत्र के अंदर यह एक विशेष दबाव (20, 25 मिमी. पारद) पर रहता है और इस प्रकार यह आँख की गोलाकार आकृति को स्थायी रूप में रखने में सहायता करता है। साथ ही आँख के उन आंतरिक अंगों को जिनमें रक्त नलिकाएँ नहीं जातीं, जैसे लैंस, कारनिआ आदि को, यह पोषण पहुँचाता है तथा उनके मल पदार्थ को निकालने में सहायता करता है। यह आवश्यक है कि सदैव नए नेत्रोद का निस्सरण होता रहे और अग्रखंड के कोण से बाहर निकलता रहे। यदि किसी कारणवश नेत्रोद का निर्माण अधिक मात्रा में हो, अथवा उत्सर्ग में बाधा पड़े, तो नेत्रांतरिक दबाव (intraocular pressure) अधिक हो जाता है, जिससे एक बीमारी ग्लॉकोमा (glauacoma) हो जाती है। .

4 संबंधों: पारद, मानव नेत्र, लेंस, कांचबिंदु

पारद

पारद के निम्नलिखित अर्थ होते हैं-.

नई!!: नेत्रोद और पारद · और देखें »

मानव नेत्र

मानव नेत्र के आन्तरिक भाग मानव नेत्र शरीर का वह अंग है जो विभिन्न उद्देश्यों से प्रकाश के प्रति क्रिया करता है। आँख वह इंद्रिय है जिसकी सहायता से देखते हैं। मानव नेत्र लगभग १ करोड़ रंगों में अन्तर कर सकता है। नेत्र शरीर की प्रमुख ज्ञानेंद्रिय हैं जिससे रूप-रंग का दर्शन होता है। मनुष्य के दो नेत्र होते हैं। .

नई!!: नेत्रोद और मानव नेत्र · और देखें »

लेंस

ताल का चित्र ताल का उपयोग प्रकाश को फोकस करने के लिये किया जा सकता है ताल (लेंस) एक प्रकाशीय युक्ति है जो प्रकाश के अपवर्तन के सिद्धान्त पर काम करता है। ताल गोलीय, बेलनाकार आदि जैसे नियमित, ज्यामिती रूप की दो सतहों से घिरा हुआ पारदर्शक माध्यम, जिससे अपवर्तन के पश्चात् किसी वस्तु का वास्तविक अथवा काल्पनिक प्रतिबिंब बनता है, ताल कहलाता है। उत्तल (convex) ताल मसूर की आकृति का होता है। ताल की सतह प्राय: गोलीय (spherical) होती है, परंतु आवश्यकतानुसार बेलनाकर, या अगोली ताल भी प्रयुक्त होते हैं। आँख के क्रिस्टलीय ताल ही एकमात्र प्राकृतिक ताल है। हजारों वर्ष पहले भी लोग ताल के विषय में जानते थे और माइसनर (Meissner) के अनुसार प्राचीन काल में भी चश्मे से लाभ उठाया जाता था। चश्में के अलावा प्रकाशविज्ञान में ताल का उपयोग दूरदर्शी, सूक्ष्मदर्शी, प्रकाशस्तंभ, द्विनेत्री (बाइनॉक्युलर) इत्यादि में होता है। .

नई!!: नेत्रोद और लेंस · और देखें »

कांचबिंदु

कांच बिंदु रोग (अंग्रेज़ी:ग्लूकोमा) या काला मोतिया नेत्र का रोग है। यह रोग तंत्र में गंभीर एवं निरंतर क्षति करते हुए धीरे-धीरे दृष्टि को समाप्त ही कर देता है। किसी वस्तु से प्रकाश की किरणें आंखों तक पहुंचती हैं, व उसकी छवि दृष्टि पटल पर बनाती हैं। दृष्टि पटल (रेटिना) से ये सूचना विद्युत तरंगों द्वारा मस्तिष्क तक नेत्र तंतुओं द्वारा पहुंचाई जाती है।। इंडिया डवलपमेंट गेटवे आंख में एक तरल पदार्थ भरा होता है। इससे लगातार एक तरल पदार्थ आंख के गोले को चिकना किए रहता है। यदि यह तरल पदार्थ रुक जाए तो अंतःनेत्र दाब (इंट्राऑक्यूलर प्रेशर) बढ़ जाता है।। हिन्दुस्तान लाइव। ११ मार्च,२०१०। १८ फ़रवरी २००९ कांच बिंदु में अंत:नेत्र पर दाब, प्रभावित आँखों की सहने की क्षमता से अधिक हो जाता है। इसके परिणामस्वरूप नेत्र तंतु को क्षति पहुँचती है जिससे दृष्टि चली जाती है। किसी वस्तु को देखते समय कांच बिंदु वाले व्यक्ति को केवल वस्‍तु का केन्‍द्र दिखाई देता है। समय बीतने के साथ स्थिति बद से बदतर होती जाती है, व व्यक्ति यह क्षमता भी खो देता है। सामान्यत:, लोग इस पर कदाचित ही ध्यान देते हैं जबतक कि काफी क्षति न हो गई हो। प्रायः ये रोग बिना किसी लक्षण के विकसित होता है व दोनों आँखों को एक साथ प्रभावित करता है। हालाँकि यह ४० वर्ष से अधिक आयु के वयस्कों के बीच में पाया जाता है, फिर भी कुछ मामलों में यह नवजात शिशुओं को भी प्रभावित कर सकता हैं। मधुमेह, आनुवांशिकता, उच्च रक्तचाप व हृदय रोग इस रोग के प्रमुख कारणों में से हैं।। वेब दुनिया .

नई!!: नेत्रोद और कांचबिंदु · और देखें »

निवर्तमानआने वाली
अरे! अब हम फेसबुक पर हैं! »