सामग्री की तालिका
34 संबंधों: निचिदात्सू फुजी, नेल्सन मंडेला, बारबरा वार्ड, ब्रुनो क्रेइस्क्य, मदर टेरेसा, महाथिर मोहमद, मार्टिन लूथर किंग, मौरिस स्ट्रांग, यासिर अराफ़ात (फिलिस्तीनी नेता), यू॰ थांट, येहुदी मेनुहिन, राउल प्रेबिस्च, रॉबर्ट मुगाबे, लुइज़ इंसियो लूला दा सिल्वा, लेओपोल्ड सदर सेंघोर, हेल्मुट कोल, होस्नी मुबारक, ज़ेवियर पेरिज डी कुईयार, जूलियस न्येरेरे, जोनास सॉल्क, जोसिप ब्रोज़ टिटो, वंगारी मथाई, ख़ान अब्दुल ग़फ़्फ़ार ख़ान, गुन्नार म्यर्दल, ग्यूसेप तुक्की, गोह चोक टोंग, ओलाफुर रेगनर ग्रिम्सोन, ओलोफ पाल्मे, आंद्रे मेलरॉक्स, आंग सान सू की, इन्दिरा गांधी, केनेथ कुंडा, अरुणा आसफ़ अली, अल्वा म्यर्दल।
- अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार
- भारतीय पुरस्कार
निचिदात्सू फुजी
निचिदात्सू फुजी (१८८५-१९८५) एक जापानी बौद्ध भिक्षु और बौद्ध धर्म के निप्पोंज़न-म्योहोजी संप्रदाय के संस्थापक माने जाते हैं। फ़ूजी ने १९३१ में महात्मा गांधी के साथ हुई मुलाकात से प्रेरित होकर अहिंसा को बढ़ावा देने के लिए अपना जीवन समर्पित करने का निर्णय लिया। १९४७ में उन्होंने विश्व शांति के तीर्थ के रूप में शांति मंदिर (पीस पगोडा) का निर्माण प्रारंभ किया। शांति के एक प्रतीक के रूप में पहला शांति पगोडा जापानी शहरों हिरोशिमा और नागासाकी की बनाया, जहां द्वितीय विश्व युद्घ के दौरान संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा गिराए गए परमाणु बम की वजह से १,५०,००० निर्दोष नागरिकों की जान गई थी। २००० तक यूरोप, एशिया और संयुक्त राज्य अमेरिका सहित दुनिया भर में ८० शांति पगोडा का निर्माण किया जा चुका था। श्रेणी:व्यक्तिगत जीवन.
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नेल्सन मंडेला
नेल्सन रोलीह्लला मंडेला (ख़ोसा: Nelson Rolihlahla Mandela; 18 जुलाई 1918 – 5 दिसम्बर 2013) दक्षिण अफ्रीका के प्रथम अश्वेत भूतपूर्व राष्ट्रपति थे। राष्ट्रपति बनने से पूर्व वे दक्षिण अफ्रीका में सदियों से चल रहे रंगभेद का विरोध करने वाले अफ्रीकी नेशनल कांग्रेस और इसके सशस्त्र गुट उमखोंतो वे सिजवे के अध्यक्ष रहे। रंगभेद विरोधी संघर्ष के कारण उन्होंने 27 वर्ष रॉबेन द्वीप के कारागार में बिताये जहाँ उन्हें कोयला खनिक का काम करना पड़ा था। 1990 में श्वेत सरकार से हुए एक समझौते के बाद उन्होंने नये दक्षिण अफ्रीका का निर्माण किया। वे दक्षिण अफ्रीका एवं समूचे विश्व में रंगभेद का विरोध करने के प्रतीक बन गये। संयुक्त राष्ट्रसंघ ने उनके जन्म दिन को नेल्सन मंडेला अन्तर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया। .
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बारबरा वार्ड
बारबरा वार्ड बारबरा मैरी वार्ड (२३ मई १९१४ - ३१ मई १९८१), बाद में बारोनेस जैक्सन लोड्स्वोर, एक ब्रिटिश अर्थशास्त्री और विकासशील देशों की समस्याओं में रुचि रखने वाली लेखक थीं। उन्होंने पश्चिमी सरकारों से बाकी की दुनिया समृद्धि साझा करने का आग्रह किया और १९६० के दशक में पर्यावरण के जुड़े मुद्दों की ओर अपना ध्यान लगाया था। वार्ड सतत विकास (sustainable development) की पहली पैराकार होने के साथ-साथ एक पत्रकार, व्याख्याता और प्रसारक के रूप में प्रसिद्ध थीं। वार्ड ब्रिटेन, अमेरिका और अन्य जगहों में नीति-निर्माताओं की सलाहकार भी थीं। श्रेणी:अर्थशास्त्री श्रेणी:1914 में जन्मे लोग.
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ब्रुनो क्रेइस्क्य
ब्रुनो क्रेइस्क्य (२२ जनवरी १९११ - २९ जुलाई १९९०) ने १९७० से लेकर १९८३ के बीच ऑस्ट्रिया के कुलाधिपति के रूप में सेवा की। ७२ साल की उम्र में इन्होंने जब पद छोड़ा तब वे द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से सबसे अधिक उम्र के कुलाधिपति थे। वर्ष १९८३ में इन्हें जवाहर लाल नेहरू पुरस्कार से नवाजा गया था। श्रेणी:1911 में जन्मे लोग.
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मदर टेरेसा
मदर टेरेसा (२६ अगस्त १९१० - ५ सितम्बर १९९७) जिन्हें रोमन कैथोलिक चर्च द्वारा कलकत्ता की संत टेरेसा के नाम से नवाज़ा गया है, का जन्म अग्नेसे गोंकशे बोजशियु के नाम से एक अल्बेनीयाई परिवार में उस्कुब, उस्मान साम्राज्य (वर्त्तमान सोप्जे, मेसेडोनिया गणराज्य) में हुआ था। मदर टेरसा रोमन कैथोलिक नन थीं, जिन्होंने १९४८ में स्वेच्छा से भारतीय नागरिकता ले ली थी। इन्होंने १९५० में कोलकाता में मिशनरीज़ ऑफ चैरिटी की स्थापना की। ४५ सालों तक गरीब, बीमार, अनाथ और मरते हुए लोगों की इन्होंने मदद की और साथ ही मिशनरीज ऑफ़ चैरिटी के प्रसार का भी मार्ग प्रशस्त किया। १९७० तक वे गरीबों और असहायों के लिए अपने मानवीय कार्यों के लिए प्रसिद्द हो गयीं, माल्कोम मुगेरिज के कई वृत्तचित्र और पुस्तक जैसे समथिंग ब्यूटीफुल फॉर गॉड में इसका उल्लेख किया गया। इन्हें १९७९ में नोबेल शांति पुरस्कार और १९८० में भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न प्रदान किया गया। मदर टेरेसा के जीवनकाल में मिशनरीज़ ऑफ चैरिटी का कार्य लगातार विस्तृत होता रहा और उनकी मृत्यु के समय तक यह १२३ देशों में ६१० मिशन नियंत्रित कर रही थीं। इसमें एचआईवी/एड्स, कुष्ठ और तपेदिक के रोगियों के लिए धर्मशालाएं/ घर शामिल थे और साथ ही सूप, रसोई, बच्चों और परिवार के लिए परामर्श कार्यक्रम, अनाथालय और विद्यालय भी थे। मदर टेरसा की मृत्यु के बाद इन्हें पोप जॉन पॉल द्वितीय ने धन्य घोषित किया और इन्हें कोलकाता की धन्य की उपाधि प्रदान की। दिल के दौरे के कारण 5 सितंबर 1997 के दिन मदर टैरेसा की मृत्यु हुई थी। .
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महाथिर मोहमद
महाथिर बिन मोहमद, (जावी: محضير بن محمد; अंग्रेजी: Mahathir bin Mohamad; जन्म 10 जुलाई 1925) एक मलेशियाई राजनेता है। वर्तमान में वे मलेशिया के सातवें प्रधानमंत्री के रूप में कार्यरत है। वे केदाह में लैंगकावी निर्वाचन क्षेत्र से मलेशिया के संसद के सदस्य हैं। उन्होंने 1981 से 2003 तक चौथे प्रधान मंत्री के रूप में कार्यभार सम्भाल चुके है, जोकि सबसे लम्बे कार्यकाल के लिये जाना जाता है। 1946 में नव निर्मित संयुक्त मलेशिया राष्ट्रीय संगठन (यूएमएनओ) में से अपनी राजनैतिक शुरूआत से लेकर 2016 में अपनी खुद की पार्टी पिब्रुमी बरसातु मलेशिया (मलेशियाई यूनाइटेड इंडिगेनस पार्टी) बनाने के बीच तक उनका राजनैतिक कार्यकाल ७० वर्षो तक पहुच गया है। 2018 में हुए चुनाव में उनकी पार्टी के निर्णायक जीत के बाद, महाथिर ने 10 मई 2018 को मलेशिया के सातवें प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली। 92 की आयु में, वे दुनिया का सबसे अधिक आयु के प्रधानमंत्री है। .
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मार्टिन लूथर किंग
मार्टिन लूथर से भ्रमित न हों। यह लेख डॉ॰ मार्टिन लूथर किंग, जूनियर के बारे में है जो अलग है right डॉ॰ मार्टिन लूथर किंग, जूनियर (15 जनवरी 1929 – 4 अप्रैल 1968) अमेरिका के एक पादरी, आन्दोलनकारी (ऐक्टिविस्ट) एवं अफ्रीकी-अमेरिकी नागरिक अधिकारों के संघर्ष के प्रमुख नेता थे। उन्हें अमेरिका का गांधी भी कहा जाता है। उनके प्रयत्नों से अमेरिका में नागरिक अधिकारों के क्षेत्र में प्रगति हुई; इसलिये उन्हें आज मानव अधिकारों के प्रतीक के रूप में भी देखा जाता है। दो चर्चों ने उनको सन्त के रूप में भी मान्यता प्रदान की है।d.r martin ka americy rashtra me bahut bada yogdaan raha hai .
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मौरिस स्ट्रांग
मौरिस स्ट्रांग मौरिस एफ.
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यासिर अराफ़ात (फिलिस्तीनी नेता)
thumb मोहम्मद अब्दुल रहमान अब्दुल रऊफ़ अराफ़ात अलकुव्दा अल हुसैनी (4 अगस्त, 1929 – 11 नवंबर, 2004), जिन्हें यासिर अराफ़ात के लोकप्रिय नाम से ज्यादा जाना जाता है एक फिलिस्तीनी नेता एवं फिल्स्तीनी मुक्ति संगठन के अध्यक्ष थे। अराफात ऐसे पहले शख्स थे, जिन्हें किसी राष्ट्र का नेतृत्व न करते हुए भी संयुक्त राष्ट्र में भाषण देने के लिए आमंत्रित किया गया था। अराफात के नेतृत्व में उनके संगठन ने शांति की जगह संघर्ष को बढ़ावा दिया और इजरायल हमेशा उनके निशाने पर रहा। शांति से दूर संघर्ष की पहल करने वाले अराफात की छवि 1988 में अचानक बदली हुई दिखी। वो संयुक्त राष्ट्र में शांति के दूत के रूप में नजर आए। बाद में उन्हें शांति के नोबेल पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। नेहरू-गांधी परिवार के साथ इनकी बहुत करीबियां थीं। इंदिरा गांधी को वो अपनी बड़ी बहन मानते थे। इन्होंने भारत में 1991 के चुनाव अभियान के दौरान राजीव गांधी को जानलेवा हमले को लेकर आगाह किया था। .
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यू॰ थांट
यू॰ थांट (22 जनवरी 1909-25 नवम्बर 1974) एक बर्मी राजनयिक थे और इन्होने 1961 से 1971 तक संयुक्त राष्ट्र के तीसरे महासचिव के रूप में सेवा की। सितंबर 1961 में जब संयुक्त राष्ट्र के दूसरे महासचिव डैग हैमरस्क्जोंल्ड का निधन हुआ तब वे इस पद के लिए चुने गए। संयुक्त राष्ट्र महासचिव के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान उनकी सबसे उल्लेखनीय उपलब्धियों में से एक रही क्यूबाई मिसाइल संकट के दौरान जॉन एफ कैनेडी और निकिता क्रुश्चेव के बीच वार्ता कराना, जिससे एक प्रमुख वैश्विक तबाही की संभावना से पूरा विश्व बच गया। "यू" बर्मीस में सम्मान सूचक शब्द है, जिसका अर्थ "श्रीमान" की तरह माना जा सकता है। "थांट" उनका वास्तविक नाम है। बर्मीस में वे "पंतानाव यू थान्ट" के नाम से जाने जाते हैं। "पंतानाव" शब्द उनके गृह नगर से लिया गया है। .
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येहुदी मेनुहिन
येहुदी मेनुहिन, बेरॉन मेनुहिन, (२२ अप्रैल १९१६ - १२ मार्च १९९९) एक सुप्रसिद्ध वायलिन वादक और प्रस्तोता (कन्डक्टर) थे, जिन्होंने अपना ज्यादातर कला जीवन यूनाईटेड किंगडम में बिताया। यहूदी माता-पिता के इस संतान का जन्म संयुक्त राज्य अमेरिका में हुआ था, लेकिन १९७० में स्विट्जरलैंड के नागरिक और १९८५ में यूनाईटेड किंगडम की नागरिकता ले ली। इन्हें सामान्यतः बीसवीं सदी के महानतम वायलिनवादकों में माना जाता है। श्रेणी:कलाकार श्रेणी:1916 में जन्मे लोग.
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राउल प्रेबिस्च
राउल प्रेबिस्च (१९०१-१९८६) एक अर्जेण्टीनी अर्थशास्त्री थे, जिन्हें संरचनात्मक अर्थशास्त्र में अपने योगदान के लिए जाना जाता है, विशेष रूप से आर्थिक निर्भरता सिद्धांत के आधार बने प्रेबिस्च-सिंगर परिकल्पना के लिए। उन्हें कभी-कभीनव मार्क्सवादी माना जाता है, हालांकि यह भ्रामक है। इनके भाई अल्बर्टो प्रेबिस्च एक प्रसिद्ध वास्तुकार थे। श्रेणी:अर्थशास्त्री.
देखें जवाहर लाल नेहरू पुरस्कार और राउल प्रेबिस्च
रॉबर्ट मुगाबे
(२००८) रॉबर्ट गैबरियल मुगाबे (जन्म २१ फरवरी, १९२४) ज़िम्बाब्वे के भूतपूर्व राष्ट्रपति हैं। वे १९८० से देश का शीर्ष नेतृत्व कर रहे हैं। वे पहली बार १९६० में ज़िम्बाब्वे अफ़्रीकन नेशनल यूनियन पार्टी के नेता के तौर पर उस समय प्रसिद्ध हुए जब रोडेशिया में गोरे लोगों का अल्पसंख्यक राज चल रहा था एवं जिसके ख़िलाफ़ नेशनल यूनियन ने (१९६४ से १९७९) के दौरान छापामार युद्ध छेड़ रखा था। मुगाबे को प्रभावशाली वक्ता, विवादों में घिरा रहने वाला व्यक्ति एवं लोगों को ध्रुवीकृत करने में माहिर समझा जाने वाला राजनीतिक समझा जाता रहा है। स्वतंत्रता युद्ध के बाद वे अफ़्रीकियों के नायक के तौर पर उभर कर सामने आये थे। 37 सालों के लंबे शासनकाल के बाद, 21 नवम्बर 2017 में हुए तख़्ता पलट की वजह से मुगाबे ने राष्ट्रपति पद से इस्तीफ़ा दिया। .
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लुइज़ इंसियो लूला दा सिल्वा
लुइज़ इंसियो लूला दा सिल्वा लुइज़ इंसियो लूला दा सिल्वा (जन्म: २७ अक्टूबर १९४५), आमतौर से लूला उपनाम से जाने जाते हैं, ब्राजील के पैतीसवें और वर्तमान राष्ट्रपति हैं। वे वर्कर्स पार्टी के संस्थापक सदस्य हैं। राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में तीन बार असफल होने के बाद २००२ में विजय हासिल की और १ जनवरी २००३ को राष्ट्रपति के रूप में पदभार ग्रहण किया। २००६ में पुनः राष्ट्रपति के पद पर चुने गए और १ जनवरी २०११ तक इनका कार्यकाल बढ़ गया। वर्ष २००६ में इन्हें जवाहर लाल नेहरू पुरस्कार से सम्मानित किया गया। श्रेणी:ब्राज़ील के राष्ट्रपति श्रेणी:राजनीतिज्ञ श्रेणी:आधार.
देखें जवाहर लाल नेहरू पुरस्कार और लुइज़ इंसियो लूला दा सिल्वा
लेओपोल्ड सदर सेंघोर
लेओपोल्ड सदर सेंघोर (९ अक्टूबर १९०६ - २० दिसम्बर २००१) एक सेनेगलिस कवि, राजनेता और सांस्कृतिक सिद्धांतवादी थे, जिन्होंने सेनेगल के पहले राष्ट्रपति के रूप में बीस वर्षों तक सेवा दी। सेंघोर एकेडमिक फ्रांकाइस (Académie française) के पहले अफ्रीका सदस्य थे। वे राजनीतिक दल सेनेगालिस डेमोक्रेटिक ब्लॉक के संस्थापक सदस्यों में से एक थे। उन्हें २० वीं सदी के महत्वपूर्ण अफ्रीकी बुद्धिजीवियों में से एक गिना जाता है। वर्ष 1982 में इन्हें जवाहर लाल नेहरू पुरस्कार से नवाजा गया। श्रेणी:राजनीतिज्ञ.
देखें जवाहर लाल नेहरू पुरस्कार और लेओपोल्ड सदर सेंघोर
हेल्मुट कोल
हेल्मुट कोल Roman Herzog |term_start .
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होस्नी मुबारक
होस्नी मुबारक मुहम्मद होस्नी सईद सईद इब्राहिम मुबारक, (सामान्यतः होस्नी मुबारक) (जन्म: ४ मई १९२८) अरब गणराज्य मिस्र के चौथे और पूर्व राष्ट्रपति हैं। उन्हें १९७५ में उप राष्ट्रपति नियुक्त किया गया और १४ अक्टूबर १९८१ को राष्ट्रपति अनवर अल-सदात की हत्या के बाद उन्होंने राष्ट्रपति का पद संभाला। मुहम्मद अली पाशा के बाद वे सबसे लंबे समय से मिस्र के शासक रहे हैं। वर्ष १९९५ में इन्हें जवाहर लाल नेहरू पुरस्कार से सम्मानित किया गया। श्रेणी:राजनीतिज्ञ श्रेणी:मिस्र के राष्ट्रपति.
देखें जवाहर लाल नेहरू पुरस्कार और होस्नी मुबारक
ज़ेवियर पेरिज डी कुईयार
ज़ेवियर पेरिज डी कुईयार (जन्म: 19 जनवरी 1920) पेरू के राजनयिक हैं, जिन्होने संयुक्त राष्ट्र के पांचवें महासचिव के रूप में संयुक्त राष्ट्र की 1 जनवरी 1982 से 31 दिसम्बर 1991 तक सेवा की। 1995 में वे पेरू के राष्ट्रपति के पद के चुनाव में अल्बर्टो फुजीमोरी से हार गए थे। भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे फुजीमोरी के इस्तीफे के बाद के अशांत माहौल में वे मंत्रिपरिषद के अध्यक्ष होने के साथ-साथ नवंबर 2000 से जुलाई 2001 तक विदेश मंत्री का भी दायित्व संभाला। सितम्बर 2004 में उन्होंने फ्रांस (जहां वे आधिकारिक रूप से रहते थे) में पेरू के राजदूत के रूप में अपने पद से इस्तीफा दे दिया। जून 2007 में कुर्त वॉल्डहाइम की मौत के बाद वे सबसे अधिक उम्र के संयुक्त राष्ट्र के पूर्व महासचिव बन गए। वर्ष 1987 में इन्हें जवाहर लाल नेहरू पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .
देखें जवाहर लाल नेहरू पुरस्कार और ज़ेवियर पेरिज डी कुईयार
जूलियस न्येरेरे
जूलियस न्येरेरे जूलियस कम्बरागे न्येरेरे (१३ अप्रैल १९२२ - १४ अक्टूबर १९९९) तंजानिया और पहले तन्गंयिका के प्रथम राष्ट्रपति के रूप में, १९६१ में देश की स्थापना से १९८५ में सेवानिवृत्ति तक सेवा की। न्येरेरे राजनीति में आने से पहले शिक्षक के पेशे की वजह से स्वाहिली नाम 'म्वालिमु' या 'गुरु' से जाने जाते हैं। उन्हें 'बाबा व तैफा' (राष्ट्रपिता) के रूप में भी जाना जाता है। वर्ष १९७३ में इन्हें जवाहर लाल नेहरू पुरस्कार से नवाजा गया। श्रेणी:राजनीतिज्ञ.
देखें जवाहर लाल नेहरू पुरस्कार और जूलियस न्येरेरे
जोनास सॉल्क
जोनास सॉल्क जोनास सॉल्क जोनास सॉल्क (२८ अक्टूबर १९१४ - २३ जून १९९५) एक अमेरिकी चिकित्सा शोधकर्ता और विषाणुशास्त्री थे, जिन्हें पोलियो के पहले सुरक्षित और प्रभावी टीके के विकास के लिए जाना जाता है। रूसी यहूदी अप्रवासी की संतान जोनास का जन्म न्यूयॉर्क शहर में हुआ था। माता-पिता ने हालांकि औपचारिक शिक्षा प्राप्त नहीं की थी, लेकिन वे अपने बच्चों को सफल देखने चाहते थे। न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय में मेडिकल स्कूल में पढ़ते हुए उन्होंने एक चिकित्सक बनने की बजाए चिकित्सा अनुसंधान की ओर कदम बढ़ा कर अपने लिए अलग राह चुनी। वर्ष १९५५ में जब सॉल्क ने पोलियो का टीका पेश किया, तब पोलियो को युद्ध के बाद के दौर का सबसे भयावह स्वास्थ्य समस्या माना जाता था। १९५२ तक इस बीमारी से प्रतिवर्ष ३,००,००० लोग प्रभावित और ५८,००० मौत हो रही थी, जो अन्य दूसरी संक्रामक बीमारी की तुलना में सबसे ज्यादा थी। इनमें से ज्यादातर बच्चे थे। राष्ट्रपति फ्रैंकलिन डी.
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जोसिप ब्रोज़ टिटो
जोसिप ब्रोज़ टिटो जोसिप ब्रोज़ टिटो (सिरिलिक लिपि: Јосип Броз Тито, (७ या २५ मई १८९२ - ४ मई १९८०) एक युगोस्लाव क्रांतिकारी और राजनेता थे। वे यूगोस्लाविया कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव (बाद में राष्ट्रपति)(1939-80) थे, जिन्होंने द्वितीय विश्वयुद्घ के दौरान युगोस्लाव प्रतिरोध आंदोलन (१९४१-४५) का नेतृत्व किया। युद्ध के बाद वे समाजवादी संघीय गणराज्य युगोस्लाविया (SFRY) के प्रधानमंत्री (१९४५-६३) और बाद में राष्ट्रपति (१९५३-८०) बने। १९४३ से लेकर १९८० में मौत तक वे युगोस्लाव सेना, युगोस्लाव पीपुल्स सेना (JNA) के सर्वोच्च कमांडर के रूप में मार्शल ऑफ युगोस्लाविया के पद पर आसीन रहे। टिटो " दूसरे यूगोस्लाविया" के रूप में द्वितीय विश्व युद्ध से लेकर १९९१ तक बरकरार एक समाजवादी महासंघ के मुख्य वास्तुकार थे। कोमिन्फोर्म के संस्थापकों में से एक होने के बावजूद वे सोवियत आधिपत्य की उपेक्षा करने वाले पहले और इकलौते कोमिन्फोर्म सदस्य थे। समाजवाद के स्वतंत्र राह के पैरोकार होने के साथ-साथ वे गुट निरपेक्ष आंदोलन के मुख्य संस्थापकों और प्रथम महासचिव थे। इस तरह से उन्होंने शीतयुद्ध के दौरान दो विरोधी ब्लॉक के बीच गुट निरपेक्ष की नीति का समर्थन किया। श्रेणी:राजनीतिज्ञ.
देखें जवाहर लाल नेहरू पुरस्कार और जोसिप ब्रोज़ टिटो
वंगारी मथाई
वंगारी मथाई (१ अप्रैल, १९४० - २५ सितंबर २०११) केन्याई पर्यावरणविद् और राजनीतिक कार्यकर्ता थीं। ये ग्रीन बेल्ट आंदोलन की संस्थापक और महिला अधिकारों के लिए लड़ने वाली प्रसिद्ध केन्याई राजनितिज्ञ और समाजसेवी थीं। उन्हें साल 2004 में नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया था। वे नोबेल पुरस्कार पाने वाली पहली अफ्रीकी महिला थी| .
देखें जवाहर लाल नेहरू पुरस्कार और वंगारी मथाई
ख़ान अब्दुल ग़फ़्फ़ार ख़ान
ख़ान अब्दुल ग़फ़्फ़ार ख़ान (1890 - 20 जनवरी 1988) सीमाप्रांत और बलूचिस्तान के एक महान राजनेता थे जिन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया और अपने कार्य और निष्ठा के कारण "सरहदी गांधी" (सीमान्त गांधी), "बच्चा खाँ" तथा "बादशाह खान" के नाम से पुकारे जाने लगे। वे भारतीय उपमहाद्वीप में अंग्रेज शासन के विरुद्ध अहिंसा के प्रयोग के लिए जाने जाते है। एक समय उनका लक्ष्य संयुक्त, स्वतन्त्र और धर्मनिरपेक्ष भारत था। इसके लिये उन्होने 1920 में खुदाई खिदमतगार नाम के संग्ठन की स्थापना की। यह संगठन "सुर्ख पोश" के नाम से भी जाने जाता है। .
देखें जवाहर लाल नेहरू पुरस्कार और ख़ान अब्दुल ग़फ़्फ़ार ख़ान
गुन्नार म्यर्दल
गुन्नार म्यर्दल कार्ल गुन्नार म्यदाल (Karl Gunnar Myrdal; स्विडी भाषा:; ६ दिसम्बर १८९८ - १७ मई १९८७) एक स्वीडिश अर्थशास्त्री, राजनेता और नोबेल विजेता थे। १९७४ में, फ्रेडरिक हायेक के साथ अर्थशास्त्र के क्षेत्र में मुद्रा और आर्थिक विचलन के सिद्धांत के क्षेत्र में अग्रणी काम और आर्थिक, सामाजिक और संस्थागत के लिए घटना के तीक्ष्ण विश्लेषण के लिए नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया। इन्हें वर्ष १९८१ में इनकी पत्नी अल्वा म्यर्दल के साथ जवाहर लाल नेहरू पुरस्कार प्रदान किया गया था। .
देखें जवाहर लाल नेहरू पुरस्कार और गुन्नार म्यर्दल
ग्यूसेप तुक्की
तुक्की तिब्बत में बटर टी पीते हुए ग्यूसेप तुक्की (५ जून १८९४ - ५ अप्रैल १९८४) पूर्वी संस्कृति, तिब्बत और बौद्ध धर्म के इतिहास में विशेषज्ञता रखने वाले एक इटालियन विद्वान थे। वे कई यूरोपीय भाषाओं, संस्कृत, बंगाली, पाली, प्राकृत, चीनी और तिब्बती भाषा में पारंगत थे। रोम ला सपिएंज़ा विश्वविद्यालय में इन्होंने मृत्युपर्यंत तक पढ़ाने का कार्य किया। इन्हें बौद्ध अध्ययन क्षेत्र के संस्थापकों में से एक माना जाता है। श्रेणी:विद्वान.
देखें जवाहर लाल नेहरू पुरस्कार और ग्यूसेप तुक्की
गोह चोक टोंग
गोह चोक टोंग सिंगापुर के प्रधानमंत्री श्रेणी:सिंगापुर के प्रधानमंत्री.
देखें जवाहर लाल नेहरू पुरस्कार और गोह चोक टोंग
ओलाफुर रेगनर ग्रिम्सोन
ओलाफुर रेगनर ग्रिम्सोन ओलाफुर रेगनर ग्रिम्सोन (जन्म: १४ मई १९४३) आइसलैंड के पांचवें और वर्तमान राष्ट्रपति हैं। राष्ट्रपति के रूप में १९९६ के बाद से वे सेवा में हैं। आइसलैंड के इतिहास में वाम पक्ष की ओर से सबसे लंबे समय से राष्ट्रपति हैं। वर्ष 2007 में इन्हें जवाहर लाल नेहरू पुरस्कार से सम्मानित किया गया। President (1996-2016).
देखें जवाहर लाल नेहरू पुरस्कार और ओलाफुर रेगनर ग्रिम्सोन
ओलोफ पाल्मे
स्वेन ओलोफ जोआचिम पाल्मे (३० जनवरी १९२७ - २८ फ़रवरी १९८६) एक स्वीडिश राजनीतिज्ञ थे। पाल्मे १९६९ से लेकर १९८६ में उनकी हत्या तक स्वीडिश सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता थे। इस अवधि में वे दो बार स्वीडन के प्रधानमंत्री रहे। पाल्मे की हत्या आधुनिक स्वीडिश इतिहास में अपनी तरह पहली घटना थी, जिसका पूरे स्केनेवेडिया क्षेत्र में गहरा असर पड़ा। वर्ष 1985 में मरणोपरांत जवाहर लाल नेहरू पुरस्कार से सम्मानित किया गया। श्रेणी:राजनीतिज्ञ श्रेणी:स्वीडन की राजनीति.
देखें जवाहर लाल नेहरू पुरस्कार और ओलोफ पाल्मे
आंद्रे मेलरॉक्स
आंद्रे मेलरॉक्स (3 नवम्बर 1901-23 नवम्बर 1979) एक फ्रांसीसी लेखक, अन्वेशी, प्रवक्ता और फ़्रांस की राजनीति और संस्कृति में दबंग व्यक्तित्व थे।.
देखें जवाहर लाल नेहरू पुरस्कार और आंद्रे मेलरॉक्स
आंग सान सू की
आंग सान सू की (जन्म: 19 जून, 1945) म्यांमार (बर्मा) की एक राजनेता, राजनयिक तथा लेखक हैं। वे बर्मा के राष्ट्रपिता आंग सान की पुत्री हैं जिनकी १९४७ में राजनीतिक हत्या कर दी गयी थी। सू की ने बर्मा में लोकतन्त्र की स्थापना के लिए लम्बा संघर्ष किया। १९ जून १९४५ को रंगून में जन्मी आंग सान लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई प्रधानमंत्री, प्रमुख विपक्षी नेता और म्यांमार की नेशनल लीग फार डेमोक्रेसी की नेता हैं। आंग सान को १९९० में राफ्तो पुरस्कार व विचारों की स्वतंत्रता के लिए सखारोव पुरस्कार से और १९९१ में नोबेल शांति पुरस्कार प्रदान किया गया है। १९९२ में इन्हें अंतर्राष्ट्रीय सामंजस्य के लिए भारत सरकार द्वारा जवाहर लाल नेहरू पुरस्कार से सम्मानित किया गया। लोकतंत्र के लिए आंग सान के संघर्ष का प्रतीक बर्मा में पिछले २० वर्ष में कैद में बिताए गए १४ साल गवाह हैं। बर्मा की सैनिक सरकार ने उन्हें पिछले कई वर्षों से घर पर नजरबंद रखा हुआ था। इन्हें १३ नवम्बर २०१० को रिहा किया गया है। .
देखें जवाहर लाल नेहरू पुरस्कार और आंग सान सू की
इन्दिरा गांधी
युवा इन्दिरा नेहरू औरमहात्मा गांधी एक अनशन के दौरान इन्दिरा प्रियदर्शिनी गाँधी (जन्म उपनाम: नेहरू) (19 नवंबर 1917-31 अक्टूबर 1984) वर्ष 1966 से 1977 तक लगातार 3 पारी के लिए भारत गणराज्य की प्रधानमन्त्री रहीं और उसके बाद चौथी पारी में 1980 से लेकर 1984 में उनकी राजनैतिक हत्या तक भारत की प्रधानमंत्री रहीं। वे भारत की प्रथम और अब तक एकमात्र महिला प्रधानमंत्री रहीं। .
देखें जवाहर लाल नेहरू पुरस्कार और इन्दिरा गांधी
केनेथ कुंडा
केनेथ कुंडा का 1978 में लिया गया चित्र। केनेथ डेविक कुंडा (जन्मः 28 अप्रैल 1924), केके के नाम से प्रसिद्घ हैं। जाम्बिया के पहले राष्ट्रपति के रूप में 1964 से 1991 तक सेवा प्रदान की। श्रेणी:राजनीतिज्ञ.
देखें जवाहर लाल नेहरू पुरस्कार और केनेथ कुंडा
अरुणा आसफ़ अली
अरुणा आसफ़ अली (बंगाली: অরুণা আসফ আলী) (१६ जुलाई १९०९ – २९ जुलाई १९९६) भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थीं। उनका जन्म का नाम अरुणा गांगुली था। उन्हे 1942 में भारत छोडो आंदोलन के दौरान, मुंबई के गोवालीया मैदान में कांग्रेस का झंडा फ्हराने के लिये हमेशा याद किया जाता है। .
देखें जवाहर लाल नेहरू पुरस्कार और अरुणा आसफ़ अली
अल्वा म्यर्दल
अल्वा म्यर्दल अल्वा रेइमेर म्यर्दल (३१ जनवरी १९०२ - १ फ़रवरी १९८६) एक स्वीडिश समाजशास्त्री और राजनीतिज्ञ थीं। वह १९८२ में नोबेल शांति पुरस्कार मिला। इन्होंने १९२४ में गुन्नार म्यर्दल से शादी की। उप्साला में जन्मी अल्वा १९३० के दशक में पहली बार लोगों की निगाह में आईं। अल्वा ने स्वीडन कल्याणकारी राज्य के निर्माण में अहम भूमिका अदा की थी। अपने पति गुन्नार म्यर्दल के साथ मिलकर १९३४ में जनसंख्या से जुड़े सवाल पर 'Crisis in the Population Question' नामक किताब लिखी, जिसमें लोगों के व्यक्तिगत उत्थान के लिए सामाजिक सुधार पर जोर दिया गया था। इन्हें वर्ष १९८१ में इनके पति गुन्नार म्यर्दल के साथ जवाहर लाल नेहरू पुरस्कार प्रदान किया गया। श्रेणी:समाजशास्त्री श्रेणी:राजनीतिज्ञ श्रेणी:नोबल शांति पुरस्कार के प्राप्तकर्ता.
देखें जवाहर लाल नेहरू पुरस्कार और अल्वा म्यर्दल
यह भी देखें
अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार
- जवाहर लाल नेहरू पुरस्कार
- टेंपलटन पुरस्कार
- ट्यूरिंग पुरस्कार
- नोबेल पुरस्कार
- प्रिज़कर प्राइज़
भारतीय पुरस्कार
- इंदिरा गांधी पर्यावरण पुरस्कार
- इंदिरा गांधी शांति पुरस्कार
- गांधी शांति पुरस्कार
- जवाहर लाल नेहरू पुरस्कार
- परमवीर चक्र
- फेमिना मिस इंडिया
- रेड एंड व्हाइट गोल्ड अवार्ड
- शांति स्वरूप भटनागर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी पुरस्कार
- सीएनएन-आईबीएन इंडियन ऑफ़ द इयर