सामग्री की तालिका
7 संबंधों: लोंजाइनस, हिन्दी, वैदिक स्वराघात, इमानुएल काण्ट, अरस्तु, अरस्तु का विरेचन सिद्धांत, अंग्रेज़ी भाषा।
- अमूर्तन
- सौन्दर्यशास्त्र की अवधारणाएँ
लोंजाइनस
लोंगिनुस (अंग्रेजी: Longinus; ग्रीक: Λογγῖνος, Longĩnos) परम्परागत रूप से "काव्य में उदात्त तत्व" (On the Sublime / Περὶ ὕψους / Perì hýpsous) नामक कृति का रचनाकार माना जाता है। इस कृति में अच्छे लेखन के प्रभावों की चर्चा है। लोंगिनुस का असली नाम ज्ञात नहीं है। वह यूनानी काव्यालोचन का शिक्षक था। उसका काल पहली से लेकर तीसरी शदी तक होने का अनुमान है। लोंजाइनस ने काव्य को श्रेष्ठ बनाने वाले तत्वों पर विचार करते हुए इस सिद्धांत का प्रतिपादन किया है। वे उदात्त को काव्य को श्रेष्ठ बनाने वाला तथा कवि को प्रतिष्ठा दिलाने वाला तत्व मानते हैं। यह उदात्त महान विचारों संगठित अलंकार योजना, अभिजात्य पद रचना तथा प्रभाव की गरिमा में निहित है। वे वागाडंबर बालेयता और भावाडंबर को उदाद्त्ता में बाधक तत्व मानते हैं। .
देखें उदात्त और लोंजाइनस
हिन्दी
हिन्दी या भारतीय विश्व की एक प्रमुख भाषा है एवं भारत की राजभाषा है। केंद्रीय स्तर पर दूसरी आधिकारिक भाषा अंग्रेजी है। यह हिन्दुस्तानी भाषा की एक मानकीकृत रूप है जिसमें संस्कृत के तत्सम तथा तद्भव शब्द का प्रयोग अधिक हैं और अरबी-फ़ारसी शब्द कम हैं। हिन्दी संवैधानिक रूप से भारत की प्रथम राजभाषा और भारत की सबसे अधिक बोली और समझी जाने वाली भाषा है। हालांकि, हिन्दी भारत की राष्ट्रभाषा नहीं है क्योंकि भारत का संविधान में कोई भी भाषा को ऐसा दर्जा नहीं दिया गया था। चीनी के बाद यह विश्व में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा भी है। विश्व आर्थिक मंच की गणना के अनुसार यह विश्व की दस शक्तिशाली भाषाओं में से एक है। हिन्दी और इसकी बोलियाँ सम्पूर्ण भारत के विविध राज्यों में बोली जाती हैं। भारत और अन्य देशों में भी लोग हिन्दी बोलते, पढ़ते और लिखते हैं। फ़िजी, मॉरिशस, गयाना, सूरीनाम की और नेपाल की जनता भी हिन्दी बोलती है।http://www.ethnologue.com/language/hin 2001 की भारतीय जनगणना में भारत में ४२ करोड़ २० लाख लोगों ने हिन्दी को अपनी मूल भाषा बताया। भारत के बाहर, हिन्दी बोलने वाले संयुक्त राज्य अमेरिका में 648,983; मॉरीशस में ६,८५,१७०; दक्षिण अफ्रीका में ८,९०,२९२; यमन में २,३२,७६०; युगांडा में १,४७,०००; सिंगापुर में ५,०००; नेपाल में ८ लाख; जर्मनी में ३०,००० हैं। न्यूजीलैंड में हिन्दी चौथी सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा है। इसके अलावा भारत, पाकिस्तान और अन्य देशों में १४ करोड़ १० लाख लोगों द्वारा बोली जाने वाली उर्दू, मौखिक रूप से हिन्दी के काफी सामान है। लोगों का एक विशाल बहुमत हिन्दी और उर्दू दोनों को ही समझता है। भारत में हिन्दी, विभिन्न भारतीय राज्यों की १४ आधिकारिक भाषाओं और क्षेत्र की बोलियों का उपयोग करने वाले लगभग १ अरब लोगों में से अधिकांश की दूसरी भाषा है। हिंदी हिंदी बेल्ट का लिंगुआ फ़्रैंका है, और कुछ हद तक पूरे भारत (आमतौर पर एक सरल या पिज्जाइज्ड किस्म जैसे बाजार हिंदुस्तान या हाफ्लोंग हिंदी में)। भाषा विकास क्षेत्र से जुड़े वैज्ञानिकों की भविष्यवाणी हिन्दी प्रेमियों के लिए बड़ी सन्तोषजनक है कि आने वाले समय में विश्वस्तर पर अन्तर्राष्ट्रीय महत्त्व की जो चन्द भाषाएँ होंगी उनमें हिन्दी भी प्रमुख होगी। 'देशी', 'भाखा' (भाषा), 'देशना वचन' (विद्यापति), 'हिन्दवी', 'दक्खिनी', 'रेखता', 'आर्यभाषा' (स्वामी दयानन्द सरस्वती), 'हिन्दुस्तानी', 'खड़ी बोली', 'भारती' आदि हिन्दी के अन्य नाम हैं जो विभिन्न ऐतिहासिक कालखण्डों में एवं विभिन्न सन्दर्भों में प्रयुक्त हुए हैं। .
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वैदिक स्वराघात
परम्परागत रूप से वैदिक स्वराघात के तीन विभाग किये जाते हैं- उदात्त, अनुदात्त और स्वरित। .
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इमानुएल काण्ट
इमानुएल कांट (1724-1804) जर्मन वैज्ञानिक, नीतिशास्त्री एवं दार्शनिक थे। उसका वैज्ञानिक मत "कांट-लाप्लास परिकल्पना" (हाइपॉथेसिस) के नाम से विख्यात है। उक्त परिकल्पना के अनुसार संतप्त वाष्पराशि नेबुला से सौरमंडल उत्पन्न हुआ। कांट का नैतिक मत "नैतिक शुद्धता" (मॉरल प्योरिज्म) का सिद्धांत, "कर्तव्य के लिए कर्तव्य" का सिद्धांत अथवा "कठोरतावाद" (रिगॉरिज्म) कहा जाता है। उसका दार्शनिक मत "आलोचनात्मक दर्शन" (क्रिटिकल फ़िलॉसफ़ी) के नाम से प्रसिद्ध है। इमानुएल कांट अपने इस प्रचार से प्रसिद्ध हुये कि मनुष्य को ऐसे कर्म और कथन करने चाहियें जो अगर सभी करें तो वे मनुष्यता के लिये अच्छे हों। .
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अरस्तु
अरस्तु अरस्तु (384 ईपू – 322 ईपू) यूनानी दार्शनिक थे। वे प्लेटो के शिष्य व सिकंदर के गुरु थे। उनका जन्म स्टेगेरिया नामक नगर में हुआ था । अरस्तु ने भौतिकी, आध्यात्म, कविता, नाटक, संगीत, तर्कशास्त्र, राजनीति शास्त्र, नीतिशास्त्र, जीव विज्ञान सहित कई विषयों पर रचना की। अरस्तु ने अपने गुरु प्लेटो के कार्य को आगे बढ़ाया। प्लेटो, सुकरात और अरस्तु पश्चिमी दर्शनशास्त्र के सबसे महान दार्शनिकों में एक थे। उन्होंने पश्चिमी दर्शनशास्त्र पर पहली व्यापक रचना की, जिसमें नीति, तर्क, विज्ञान, राजनीति और आध्यात्म का मेलजोल था। भौतिक विज्ञान पर अरस्तु के विचार ने मध्ययुगीन शिक्षा पर व्यापक प्रभाव डाला और इसका प्रभाव पुनर्जागरण पर भी पड़ा। अंतिम रूप से न्यूटन के भौतिकवाद ने इसकी जगह ले लिया। जीव विज्ञान उनके कुछ संकल्पनाओं की पुष्टि उन्नीसवीं सदी में हुई। उनके तर्कशास्त्र आज भी प्रासांगिक हैं। उनकी आध्यात्मिक रचनाओं ने मध्ययुग में इस्लामिक और यहूदी विचारधारा को प्रभावित किया और वे आज भी क्रिश्चियन, खासकर रोमन कैथोलिक चर्च को प्रभावित कर रही हैं। उनके दर्शन आज भी उच्च कक्षाओं में पढ़ाये जाते हैं। अरस्तु ने अनेक रचनाएं की थी, जिसमें कई नष्ट हो गई। अरस्तु का राजनीति पर प्रसिद्ध ग्रंथ पोलिटिक्स है। .
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अरस्तु का विरेचन सिद्धांत
विरेचन सिद्धांत (Catharsis / कैथार्सिस) द्वारा अरस्तु ने प्रतिपादित किया कि कला और साहित्य के द्वारा हमारे दूषित मनोविकारों का उचित रूप से विरेचन हो जाता है। सफल त्रासदी विरेचन द्वारा करुणा और त्रास के भावों को उद्बुद करती है, उनका सामंजन करती है और इस प्रकार आनंद की भूमिका प्रस्तुत करती है। विरेचन से भावात्मक विश्रांति ही नहीं होती, भावात्मक परिष्कार भी होता है। इस तरह अरस्तु ने कला और काव्य को प्रशंसनीय, ग्राह्य और सायास रक्षनीय सिद्ध किया है। अरस्तु ने इस सिद्धांत के द्वारा कला और काव्य की महत्ता को पुनर्प्रतिष्ठित करने का सफल प्रयास किया। अरस्तु के गुरु प्लेटो ने कवियों और कलाकारों को अपने आदर्श राज्य के बाहर रखने की सिफारिश की थी। उनका मानना था कि काव्य हमारी वासनाओं को पोषित करने और भड़काने में सहायक है इसलिए निंदनीय और त्याज्य है। धार्मिक और उच्च कोटि का नैतिक साहित्य इसका अपवाद है किंतु अधिकांश साहित्य इस आदर्श श्रेणी में नहीं आता है। विरेचन सिद्धान्त का महत्त्व बहुविध है। प्रथम तो यह है कि उसने प्लेटो द्वारा काव्य पर लगाए गए आक्षेप का निराकरण किया और दूसरा यह कि उसने गत कितने ही वर्षों के काव्यशास्त्रीय चिन्तन को किसी-न-किसी रूप में अवश्य ही प्रभावित किया। .
देखें उदात्त और अरस्तु का विरेचन सिद्धांत
अंग्रेज़ी भाषा
अंग्रेज़ी भाषा (अंग्रेज़ी: English हिन्दी उच्चारण: इंग्लिश) हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार में आती है और इस दृष्टि से हिंदी, उर्दू, फ़ारसी आदि के साथ इसका दूर का संबंध बनता है। ये इस परिवार की जर्मनिक शाखा में रखी जाती है। इसे दुनिया की सर्वप्रथम अन्तरराष्ट्रीय भाषा माना जाता है। ये दुनिया के कई देशों की मुख्य राजभाषा है और आज के दौर में कई देशों में (मुख्यतः भूतपूर्व ब्रिटिश उपनिवेशों में) विज्ञान, कम्प्यूटर, साहित्य, राजनीति और उच्च शिक्षा की भी मुख्य भाषा है। अंग्रेज़ी भाषा रोमन लिपि में लिखी जाती है। यह एक पश्चिम जर्मेनिक भाषा है जिसकी उत्पत्ति एंग्लो-सेक्सन इंग्लैंड में हुई थी। संयुक्त राज्य अमेरिका के 19 वीं शताब्दी के पूर्वार्ध और ब्रिटिश साम्राज्य के 18 वीं, 19 वीं और 20 वीं शताब्दी के सैन्य, वैज्ञानिक, राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक प्रभाव के परिणाम स्वरूप यह दुनिया के कई भागों में सामान्य (बोलचाल की) भाषा बन गई है। कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों और राष्ट्रमंडल देशों में बड़े पैमाने पर इसका इस्तेमाल एक द्वितीय भाषा और अधिकारिक भाषा के रूप में होता है। ऐतिहासिक दृष्टि से, अंग्रेजी भाषा की उत्पत्ति ५वीं शताब्दी की शुरुआत से इंग्लैंड में बसने वाले एंग्लो-सेक्सन लोगों द्वारा लायी गयी अनेक बोलियों, जिन्हें अब पुरानी अंग्रेजी कहा जाता है, से हुई है। वाइकिंग हमलावरों की प्राचीन नोर्स भाषा का अंग्रेजी भाषा पर गहरा प्रभाव पड़ा है। नॉर्मन विजय के बाद पुरानी अंग्रेजी का विकास मध्य अंग्रेजी के रूप में हुआ, इसके लिए नॉर्मन शब्दावली और वर्तनी के नियमों का भारी मात्र में उपयोग हुआ। वहां से आधुनिक अंग्रेजी का विकास हुआ और अभी भी इसमें अनेक भाषाओँ से विदेशी शब्दों को अपनाने और साथ ही साथ नए शब्दों को गढ़ने की प्रक्रिया निरंतर जारी है। एक बड़ी मात्र में अंग्रेजी के शब्दों, खासकर तकनीकी शब्दों, का गठन प्राचीन ग्रीक और लैटिन की जड़ों पर आधारित है। .
देखें उदात्त और अंग्रेज़ी भाषा
यह भी देखें
अमूर्तन
- अभिभाव अमूर्तन
- अमूर्त और ठोस
- अमूर्त वस्तु सिद्धांत
- अमूर्त संरचना
- अमूर्तन
- अवधारणा
- उदात्त
- चिन्ह (औपचारिक)
- प्रकार-टोकन अंतर
- प्रथम आदितत्व
- मीम
- विश्लेषण
- शुद्ध गणित
- संख्या
- सादगी
- सिद्धांत (थिअरी)
- सूचना