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इंसुलेटेड गेट बाईपोलर ट्रांजिस्टर

सूची इंसुलेटेड गेट बाईपोलर ट्रांजिस्टर

एक आई.जी.बी.टी का पार-अनुभाग (क्रॉस-सेक्शन) जिसमें मॉस्फेट और बाईपोलर ट्रांज़िस्टर के आंतरिक कनेक्शन दिखाये गये हैं आइजीबीटी का प्रतीक चिन्ह इन्सुलेड गेट बाइपोलर ट्रान्जिस्टर (अंग्रेज़ी:Insulated Gate Bipolar Transistor, लघु:आइजीबीटी) एक अर्धचालक वैद्युत युक्ति है जो आधुनिक शक्ति इलेक्ट्रॉनिक परिपथों में त्वरित स्विच के रूप में प्रयोग की जा रही है। इसमें तीन सिरे होते हैं - कलेक्टर, एमिटर और गेट। जैसा कि नाम से ही विदित है, इसका गेट 'इन्सुलेटेड' होता है जिसके कारण इसे ड्राइव करना ट्रान्जिस्टर की तुलना में आसान है। आइजीबीटी को ट्रान्जिस्टर और मॉसफेट के सम्मिलन से बनी युक्ति (डिवाइस) के रूप में देखा जाता है जिसका इन्पुट (गेट) मॉसफेट् जैसा है और आउटपुट बीजेटी जैसा। आइजीबीटी में कई अच्छाइयाँ है। वस्तुत: इसमें मॉसफेट और बीजेटी दोनो की अच्छाइयों का मेल है। इसको ड्राइव करना बीजेटी से आसान है और चालू (ON) स्टेट में इसमें शक्ति की हानि मोस्फेट् की अपेक्षा कम होता है। इस कारण मध्यम शक्ति के कार्यों के लिये इस डिवाइस ने बीजेटी और मॉस्फेट दोनो को बाहर कर दिया है। उच्च दक्षता के साथ स्विच करने में समर्थ होने के कारण यह आज के विद्युत कारों, वैरिएबल स्पीड रेफ्रिजेरटरों, एयर-कन्डिशनरों, वरिएबल स्पीड ड्राइव आदि में प्रयुक्त हो रही है। .

सामग्री की तालिका

  1. 10 संबंधों: ट्रांजिस्टर, दक्षता, बीजेटी, मॉसफेट, शक्ति एलेक्ट्रॉनिकी, शक्ति मॉसफेट, स्विच, स्विच मोड पॉवर सप्लाई, विद्युत परिपथ, अंग्रेज़ी भाषा

  2. भारतीय खोज

ट्रांजिस्टर

अलग-अलग रेटिंग के कुछ प्रथनक ट्रान्जिस्टर (प्रथनक) एक अर्धचालक युक्ति है जिसे मुख्यतः प्रवर्धक (Amplifier) के रूप में प्रयोग किया जाता है। कुछ लोग इसे बीसवीं शताब्दी की सबसे महत्वपूर्ण खोज मानते हैं। ट्रान्जिस्टर का उपयोग अनेक प्रकार से होता है। इसे प्रवर्धक, स्विच, वोल्टेज नियामक (रेगुलेटर), संकेत न्यूनाधिक (सिग्नल माडुलेटर), थरथरानवाला (आसिलेटर) आदि के रूप में काम में लाया जाता है। पहले जो कार्य ट्रायोड या त्रयाग्र से किये जाते थे वे अधिकांशत: अब ट्रान्जिस्टर के द्वारा किये जाते हैं। .

देखें इंसुलेटेड गेट बाईपोलर ट्रांजिस्टर और ट्रांजिस्टर

दक्षता

दक्षता (Efficiency) का सामान्य अर्थ यह है कि किसी कार्य या उद्देश्य को पूरा करने में लगाया गया समय या श्रम या ऊर्जा कितनी अच्छी तरह काम में आती है। 'दक्षता' का विभिन्न क्षेत्रों एवं विषयों में उपयोग किया जाता है और विभिन्न सन्दर्भों में इसके अर्थ में भी काफी भिन्नता पायी जाती है। दक्षता एक मापने योग्य राशि है। ऊर्जा के रूपान्तरण की स्थिति में आउटपुट ऊर्जा और इनपुट उर्जा के अनुपात को दक्षता कहते हैं।;उदाहरण कोई ट्रांसफॉर्मर १००० किलोवाट विद्युत ऊर्जा लेकर अपने आउटपुट में जुड़े लोड को ९८० किलोवाट विद्युत ऊर्जा देता है, तो इसकी दक्षता श्रेणी:ऊर्जा श्रेणी:अर्थशास्त्र श्रेणी:ऊष्मा अंतरण श्रेणी:विचार की गुणवत्ताएँ.

देखें इंसुलेटेड गेट बाईपोलर ट्रांजिस्टर और दक्षता

बीजेटी

बीजेटी के प्रतीक SOT-23 बाईपोलर जंक्शन ट्रांजिस्टर या बीजेटी (BJT), वे ट्रांजिस्टर हैं जिनमें इलेक्ट्रान और होल (hole) दोनों आवेश संवाहक का कार्य करते हैं। .

देखें इंसुलेटेड गेट बाईपोलर ट्रांजिस्टर और बीजेटी

मॉसफेट

n-चैनेल मॉस्फेट का V-I वैशिष्ट्य: इसमें लाल रंग से रंजित भाग को 'रैखिक क्षेत्र' (लिनियर जोन) और पीले रंग से रंजित भाग को 'संतृप्त क्षेत्र' (सैचुरेटेड जोन) कहते हैं। मॉसफेट (Mmetal–Oxide–Semiconductor Field-Effect Transistor या MOSFET / MOS-FET / MOS FET) एक एलेक्ट्रॉनिक युक्ति है जो विद्युत संकेतों को प्रवर्धित करने या स्विच करने के काम आती है। वैसे तो यह चार टांगों (टर्मिनल) वाली युक्ति है (स्त्रोत (S), गेट (G), ड्रेन (D) और बॉडी (B)) किन्तु प्रायः B टर्मिनल को स्रोत टर्मिनल के साथ जोड़कर ही इसका उपयोग किया जाता है। अतः व्यावहारिक रूप से अन्य फिल्ड-इफेक्ट ट्रांजिस्टरों की भांति यह भी तीन टर्मिनल वाली युक्ति बन जाती है। किसी समय बीजेटी सर्वाधिक प्रयुक्त युक्ति थी, किन्तु अब मॉसफेट ही डिजिटल और एनालॉग दोनों परिपथों में सर्वाधिक प्रयुक्त युक्ति बन गयी है। इसका कारण यह है कि मॉस्फेट के प्रयोग से एकीकृत परिपथों में सस्ते में बहुत अधिक 'पैकिंग घनत्व' प्राप्त किया जा रहा है। यद्यपि आजकल गेट को विलग करने के लिये 'मेटल आक्साइड' के बजाय डॉप किया हुआ पॉलीसिलिकॉन उपयोग किया जाता है फिर भी इसका पुराना नाम MOSFET अब भी अपरिवर्तित है। मॉस्फेट की ड्रेन-सोर्स धारा को गेट और सोर्स के बीच के विभवान्तर द्वारा नियंत्रित किया जाता है। चूंकि गेट, मॉस्फेट के शेष भागों से विलगित (insulated) होता है, गेत को चलाने (ड्राइव करने) के लिये अत्यन्त कम धारा की जरूरत होती है। .

देखें इंसुलेटेड गेट बाईपोलर ट्रांजिस्टर और मॉसफेट

शक्ति एलेक्ट्रॉनिकी

हिताची की J100 परिवर्तनीय आवृत्ति ड्राइव का कार्ड ठोस-अवस्था-एलेक्ट्रानिकी का उपयोग करके विद्युत शक्ति का परिवर्तन एवं नियंत्रण से सम्बन्धित ज्ञान को शक्ति एलेक्ट्रॉनिकी (Power electronics) कहते हैं। यद्यपि शक्ति एलेक्ट्रानिकी में छोटे-मोटे सभी इलेक्ट्रॉनिक अवयव प्रयुक्त होते हैं, किन्तु निम्नलिखित अवयवय शक्ति एलेक्ट्रानिकी के विशिष्टि पहचान हैं-.

देखें इंसुलेटेड गेट बाईपोलर ट्रांजिस्टर और शक्ति एलेक्ट्रॉनिकी

शक्ति मॉसफेट

पॉवर मॉसफेट: ये दोनो ही मॉसफेट १२० वोल्ट और ३० अम्पीयर सतत धारा ले सकने में सक्षम हैं। शक्ति मॉसफेट या 'पॉवर मॉसफेट' (Power MOSFET) विशेष प्रकार के मॉसफेट होते हैं जो अपेक्षाकृत अधिक विद्युत शक्ति संभाल सकते हैं। अर्थात ये अधिक वोल्टता या अधिक धारा या अधिक वोल्टता और धारा को हैंडिल करने में सक्षम होते हैं। आईजीबीटी, एससीआर आदि अन्य पावर-एलेक्ट्रानिक युक्तियों की अपेक्षा इन्हें उपयोग में लाने का मुख्य लाभ यह है कि इन्हें अधिक आवृत्ति पर चालू-बन्द (ON/OFF) किया जा सकता है। शक्ति-परिपथों को जितनी अधिक आवृत्ति पर चलाया जाता है, उनमें लगने वाले प्रेरकत्व, ट्रांसफॉर्मर, संधारित्र आदि का आकार उतने ही छोटे होते हैं। शक्ति मॉसफेट विशेषतः कम वोल्टता पर काम करना हो तो पॉवर मॉसफेट के उपयोग से दक्षता अधिक मिलती है। अधिक वोल्टता वाले पॉवर मॉसफेटों की चालू अवस्था का प्रतिरोध (ON resistance) अधिक होता है जिसके कारण इनके उपयोग से अधिक शक्ति क्षय होता है और कम दक्षता प्राप्त होती है। इसी कारण शक्ति मॉसफेट कम वोल्टता (२०० वोल्ट से कम) पर सर्वाधिक उपयोग किया जाने वाला स्विच है। शक्ति मॉसफेट के कार्य करने का तरिका वही है जो कम शक्ति पर काम करने वाले मॉसफेट का है। जब सन् १९७० दशक के आखिरी दिनों में आईसी निर्माण के लिये CMOS तकनीक का विकास हुआ तो मॉसफेट का जन्म हुआ। .

देखें इंसुलेटेड गेट बाईपोलर ट्रांजिस्टर और शक्ति मॉसफेट

स्विच

भांति-भांति के वैद्युत स्विच: उपर से बाएं से दांयें: सर्कित ब्रेकर, mercury switch, wafer switch, DIP switch, surface mount switch, reed switch. Bottom, left to right: wall switch (U.S. style), miniature toggle switch, in-line switch, push-button switch, rocker switch, microswitch.

देखें इंसुलेटेड गेट बाईपोलर ट्रांजिस्टर और स्विच

स्विच मोड पॉवर सप्लाई

एक '''एस एम पी एस''' के अन्दर का दृष्य स्विच मोड पॉवर सप्लाई (Switch-mode power supply) या एसएमपीएस उन शक्ति-परिवर्तकों (पावर कन्वर्टर्स) को कहते हैं जिनमें पॉवर-कन्वर्शन के लिये किसी स्विच (जैसे आईजीबीटी) को उच्च आवृत्ति पर चालू-बन्द (ON/OFF) किया जाता है। इनकी दक्षता उन कन्वर्टरों से बहुत अधिक होती है जिन्हें रेखीय शक्ति आपूर्ति (लिनियर पॉवर सप्लाईज) कहते हैं जिनमें किसी शक्ति को नियंत्रित करने वाली युक्ति न तो पूरी तरह चालू होती है न पूरी तरह बन्द (अर्थात वह युक्ति ऐक्टिव रीजन में काम करती है)। आजकल उच्च गुणवत्ता वाली स्विचों की उपलब्धता के कारण अधिकांश शक्ति आपूर्तियाँ एसएमपीएस प्रकार की ही निर्मित की जा रही हैं। उच्च दक्षता के अतिरिक्त इनका आकार (साइज) भी समान क्षमता के लिनियर पॉवर सप्लाई से छोटा होता है। .

देखें इंसुलेटेड गेट बाईपोलर ट्रांजिस्टर और स्विच मोड पॉवर सप्लाई

विद्युत परिपथ

एक सरल विद्युत परिपथ जो एक वोल्टेज स्रोत एवं एक प्रतिरोध से मिलकर बना है ब्रेडबोर्ड के ऊपर बनाया गया एक सरल परिपथ (मल्टीवाइव्रेटर) विद्युत अवयवों (वोल्टेज स्रोत, प्रतिरोध, प्रेरकत्व, संधारित्र एवं कुंजियों आदि) एवं विद्युतयांत्रिक अवयवों (स्विच, मोटर, स्पीकर आदि) का परस्पर संयोजन विद्युत परिपथ (Electric circuit) अथवा विद्युत नेटवर्क (electrical network) कहलाता है। विद्युत परिपथ बहुत विशाल क्षेत्र में फैले हो सकते हैं; जैसे-विद्युत-शक्ति के उत्पादन, ट्रान्समिसन, वितरण एवं उपभोग का नेटवर्क। बहुत से विद्युत परिपथ प्राय: प्रिन्टेड सर्किट बोर्डों पर संजोये जाते हैं। विद्युत परिपथ अत्यन्त लघु आकार के भी हो सकते हैं; जैसे एकीकृत परिपथ। जब किसी परिपथ में डायोड, ट्रान्जिस्टर या आईसी आदि लगे होते हैं तो उसे एलेक्ट्रॉनिक परिपथ भी कहा जाता है जो कि विद्युत परिपथ का ही एक रूप है। विद्युत परिपथ को परिपथ आरेख (सर्किट डायग्राम) के द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। प्रायः एक या अधिक बन्द लूप वाले नेटवर्क ही विद्युत परिपथ कहलाते हैं। .

देखें इंसुलेटेड गेट बाईपोलर ट्रांजिस्टर और विद्युत परिपथ

अंग्रेज़ी भाषा

अंग्रेज़ी भाषा (अंग्रेज़ी: English हिन्दी उच्चारण: इंग्लिश) हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार में आती है और इस दृष्टि से हिंदी, उर्दू, फ़ारसी आदि के साथ इसका दूर का संबंध बनता है। ये इस परिवार की जर्मनिक शाखा में रखी जाती है। इसे दुनिया की सर्वप्रथम अन्तरराष्ट्रीय भाषा माना जाता है। ये दुनिया के कई देशों की मुख्य राजभाषा है और आज के दौर में कई देशों में (मुख्यतः भूतपूर्व ब्रिटिश उपनिवेशों में) विज्ञान, कम्प्यूटर, साहित्य, राजनीति और उच्च शिक्षा की भी मुख्य भाषा है। अंग्रेज़ी भाषा रोमन लिपि में लिखी जाती है। यह एक पश्चिम जर्मेनिक भाषा है जिसकी उत्पत्ति एंग्लो-सेक्सन इंग्लैंड में हुई थी। संयुक्त राज्य अमेरिका के 19 वीं शताब्दी के पूर्वार्ध और ब्रिटिश साम्राज्य के 18 वीं, 19 वीं और 20 वीं शताब्दी के सैन्य, वैज्ञानिक, राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक प्रभाव के परिणाम स्वरूप यह दुनिया के कई भागों में सामान्य (बोलचाल की) भाषा बन गई है। कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों और राष्ट्रमंडल देशों में बड़े पैमाने पर इसका इस्तेमाल एक द्वितीय भाषा और अधिकारिक भाषा के रूप में होता है। ऐतिहासिक दृष्टि से, अंग्रेजी भाषा की उत्पत्ति ५वीं शताब्दी की शुरुआत से इंग्लैंड में बसने वाले एंग्लो-सेक्सन लोगों द्वारा लायी गयी अनेक बोलियों, जिन्हें अब पुरानी अंग्रेजी कहा जाता है, से हुई है। वाइकिंग हमलावरों की प्राचीन नोर्स भाषा का अंग्रेजी भाषा पर गहरा प्रभाव पड़ा है। नॉर्मन विजय के बाद पुरानी अंग्रेजी का विकास मध्य अंग्रेजी के रूप में हुआ, इसके लिए नॉर्मन शब्दावली और वर्तनी के नियमों का भारी मात्र में उपयोग हुआ। वहां से आधुनिक अंग्रेजी का विकास हुआ और अभी भी इसमें अनेक भाषाओँ से विदेशी शब्दों को अपनाने और साथ ही साथ नए शब्दों को गढ़ने की प्रक्रिया निरंतर जारी है। एक बड़ी मात्र में अंग्रेजी के शब्दों, खासकर तकनीकी शब्दों, का गठन प्राचीन ग्रीक और लैटिन की जड़ों पर आधारित है। .

देखें इंसुलेटेड गेट बाईपोलर ट्रांजिस्टर और अंग्रेज़ी भाषा

यह भी देखें

भारतीय खोज

आईजीबीटी के रूप में भी जाना जाता है।