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अद-धुहा

सूची अद-धुहा

rightसूरा अद-धुहा (الضحى, प्रातः समय, प्रातः प्रकाश) कुरान का 93वां सुर है। इसमें 11 आयतें हैं। कुछ ज्ञाताओं में मतभेद है, फिर भी यह सूरा मुहम्मद को प्रकट किया हुआ द्वितीय सूरा माना जाता है। प्रथम सूरा अल-अलक के प्राप्त होने के उपरांत एक शांत अंतराल था, जिसमें कोई वार्तालाप नहीं हुआ। इससे नये बने पैगम्बर को संदेह हुआ कि कहीं उन्होंने ईश्वर को नाराज़ तो नहीं कर दिया, कि वे इतनी देर से कोई भी सन्देश नहीं दे रहे हैं। इस सूरा ने उस शांति को भंग करते हुए, मुहम्मद को विश्वास दिलाया कि समय के साथ - साथ सब कुछ समझ में आता जायेगा। प्रातः काल का चित्र (अध-धुहा) इस सूरा का प्रथम शब्द है और इसे मुहम्मद के ईश्वर के पैगम्बर होने के "प्रथम दिवस" को चिह्नित करता है। साथ ही साथ जीवन के नये ढंग की शुरुआत का संकेत करता है, जो कि इस्लाम बनेगा। इस सूरा के बाद, मुहम्मद की मृत्यु पर्यंत जिब्राइल का प्रकटन, कुरान के शब्दों के साथ, नियमित रूप से होता रहा। विषय वस्तु, लम्बाई, शैली एवं कुरान में अपने नियोजन के कारण; यह सूरा प्रायः सूरा अल-इनशिराह के साथ युगल में आता है। इनको समकालीन प्रकटित माना जाता है। .

सामग्री की तालिका

  1. 10 संबंधों: नबी, मुहम्मद, सुर, सूरा, गब्रीएल, आयत, इस्लाम, क़ुरआन, अल-लैल, अल-इन्शिराह

नबी

ईश्वर क गुणगान करने वाला नबी (prophet) का अर्थ है ईश्वर का गुणगान करनेवाला, ईश्वर की शिक्षा तथा उसके आदेर्शों का उद्घोषक। बाइबिल ने उसे 'ईश्वर का मनुष्य' और 'आत्मा का मनुष्य' भी कहा गया है। यहूदी धर्म, ईसाई धर्म, इस्लाम, प्राचीन यूनान, पारसी आदि धर्मों एवं संस्कृतियों में विभिन्न नबियों के होने के दावे किये गये हैं। ऐसी मान्यता है कि ईश्वर (या सर्वशक्तिमान) ने किसी व्यक्ति से सम्पर्क किया और भगवान की तरफ से उनको अपना सन्देशवाहक बनाया गया। इस प्रकार नबी ईश्वर और मानवजाति के बीच आधार जैसे कार्य का निष्पादन करने वाले थे। .

देखें अद-धुहा और नबी

मुहम्मद

हज़रत मुहम्मद (محمد صلی اللہ علیہ و آلہ و سلم) - "मुहम्मद इब्न अब्दुल्लाह इब्न अब्दुल मुत्तलिब" का जन्म सन ५७० ईसवी में हुआ था। इन्होंने इस्लाम धर्म का प्रवर्तन किया। ये इस्लाम के सबसे महान नबी और आख़िरी सन्देशवाहक (अरबी: नबी या रसूल, फ़ारसी: पैग़म्बर) माने जाते हैं जिन को अल्लाह ने फ़रिश्ते जिब्रईल द्वारा क़ुरआन का सन्देश' दिया था। मुसलमान इनके लिये परम आदर भाव रखते हैं। .

देखें अद-धुहा और मुहम्मद

सुर

शास्त्रीय संगीत की दृष्टि से किसी भी संगीतमय ध्वनि को सुर कहा जाता है।.

देखें अद-धुहा और सुर

सूरा

सूरा (यदा कदा सूरह भी कहा जाता है سورة, سور) एक अरबी शब्द है। इसका अक्षरशः अर्थ है "कोई वस्तु, जो किसी दीवार या बाडः से घिरी है"। यह शब्द कुरान के अध्याय के लिए प्रयोग होता है, जो कि परंपरा अनुसार कम होती लम्बाई के क्रम से लिखे हैं। प्रत्येक सूरा का नाम एक शब्द पर है, जो उस सूरा के अयाह (भाग) में उल्लेखित है। कुछ सूरा मुस्लिमों के लिए अपने रहस्योद्घाटन काल में विस्मयकारी थे। उदाहरणतः ईशू मसीह की माँ - मरियम का अति उच्च स्तर, जो कि इसाइयत (ईशू) की माँ थीं - जैसा सूरा 19 में उल्लेखित है। .

देखें अद-धुहा और सूरा

गब्रीएल

गब्रीएल या जिब्राइल बाइबिल में उल्लिखित देवदूतों में से एक। इब्रानी भाषा में इस नाम का अर्थ है - 'ईश्वर का सामर्थ्य'। बाइबिल के पूर्वार्ध में वे दानियाल नामक नबी के लिये मसीह के राज्य संबंधी भविष्यद्वारिणों की व्याख्या करते हें। उत्तरार्ध में वे मसीह के अग्रदूत योहन बपतिसमा का तथा बाद में ईसाहमसीह का आगामी जन्म घोषित करते हैं। इस्लाम में माना जाता है कि हजरत मुहम्मद ने गब्रीएल से अपना धर्म ग्रहण किया था। ईसाई गब्रीएल की उपासना रक्षक के रूप में करते हैं। .

देखें अद-धुहा और गब्रीएल

आयत

आयत ऐसा चतुर्भुज जिसके चारों अंतः कोण समकोण हों उसे आयत (रेक्टैंगल) कहते हैं। .

देखें अद-धुहा और आयत

इस्लाम

इस्लाम (अरबी: الإسلام) एक एकेश्वरवादी धर्म है, जो इसके अनुयायियों के अनुसार, अल्लाह के अंतिम रसूल और नबी, मुहम्मद द्वारा मनुष्यों तक पहुंचाई गई अंतिम ईश्वरीय पुस्तक क़ुरआन की शिक्षा पर आधारित है। कुरान अरबी भाषा में रची गई और इसी भाषा में विश्व की कुल जनसंख्या के 25% हिस्से, यानी लगभग 1.6 से 1.8 अरब लोगों, द्वारा पढ़ी जाती है; इनमें से (स्रोतों के अनुसार) लगभग 20 से 30 करोड़ लोगों की यह मातृभाषा है। हजरत मुहम्मद साहब के मुँह से कथित होकर लिखी जाने वाली पुस्तक और पुस्तक का पालन करने के निर्देश प्रदान करने वाली शरीयत ही दो ऐसे संसाधन हैं जो इस्लाम की जानकारी स्रोत को सही करार दिये जाते हैं। .

देखें अद-धुहा और इस्लाम

क़ुरआन

'''क़ुरान''' का आवरण पृष्ठ क़ुरआन, क़ुरान या कोरआन (अरबी: القرآن, अल-क़ुर्'आन) इस्लाम की पवित्रतम किताब है और इसकी नींव है। मुसलमान मानते हैं कि इसे अल्लाह ने फ़रिश्ते जिब्रील द्वारा हज़रत मुहम्मद को सुनाया था। मुसलमान मानते हैं कि क़ुरआन ही अल्लाह की भेजी अन्तिम और सर्वोच्च किताब है। यह ग्रन्थ लगभग 1400 साल पहले अवतरण हुई है। इस्लाम की मान्यताओं के मुताबिक़ क़ुरआन अल्लाह के फ़रिश्ते जिब्रील (दूत) द्वारा हज़रत मुहम्मद को सन् 610 से सन् 632 में उनकी मौत तक ख़ुलासा किया गया था। हालांकि आरंभ में इसका प्रसार मौखिक रूप से हुआ पर पैग़म्बर मुहम्मद की मौत के बाद सन् 633 में इसे पहली बार लिखा गया था और सन् 653 में इसे मानकीकृत कर इसकी प्रतियाँ इस्लामी साम्राज्य में वितरित की गईं थी। मुसलमानों का मानना है कि ईश्वर द्वारा भेजे गए पवित्र संदेशों के सबसे आख़िरी संदेश क़ुरआन में लिखे गए हैं। इन संदेशों की शुरुआत आदम से हुई थी। हज़रत आदम इस्लामी (और यहूदी तथा ईसाई) मान्यताओं में सबसे पहला नबी (पैग़म्बर या पयम्बर) था और इसकी तुलना हिन्दू धर्म के मनु से एक हद तक की जा सकती है। जिस तरह से हिन्दू धर्म में मनु की संतानों को मानव कहा गया है वैसे ही इस्लाम में आदम की संतानों को आदमी कहा जाता है। तौहीद, धार्मिक आदेश, जन्नत, जहन्नम, सब्र, धर्म परायणता (तक्वा) के विषय ऐसे हैं जो बारम्बार दोहराए गए। क़ुरआन ने अपने समय में एक सीधे साधे, नेक व्यापारी इंसान को, जो अपने ‎परिवार में एक भरपूर जीवन गुज़ार रहा था। विश्व की दो महान शक्तियों ‎‎(रोमन तथा ईरानी) के समक्ष खड़ा कर दिया। केवल यही नहीं ‎उसने रेगिस्तान के अनपढ़ लोगों को ऐसा सभ्य बना दिया कि पूरे विश्व पर ‎इस सभ्यता की छाप से सैकड़ों वर्षों बाद भी इसके निशान पक्के मिलते हैं। ‎क़ुरआन ने युध्द, शांति, राज्य संचालन इबादत, परिवार के वे आदर्श प्रस्तुत ‎किए जिसका मानव समाज में आज प्रभाव है। मुसलमानों के अनुसार कुरआन में दिए गए ज्ञान से ये साबित होता है कि हज़रत मुहम्मद एक नबी है | .

देखें अद-धुहा और क़ुरआन

अल-लैल

क़ुरान का अध्याय (सूरा)। अल-लैल श्रेणी:चित्र जोड़ें.

देखें अद-धुहा और अल-लैल

अल-इन्शिराह

मक्का का नक्शा, सिरका, circa 1790. सूरा अल-इन्शिराह को मक्का में प्रकट किया गया 611 C.E के लगभग.सूरा अल-इन्शिराह (الإنشراح, सान्त्वना या आराम) कुरान का 94वां सूरा है। इसमें 8 आयतें हैं, तथा इसे मक्का में प्रकट किया गया था। .

देखें अद-धुहा और अल-इन्शिराह