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इस्लाम

सूची इस्लाम

इस्लाम (अरबी: الإسلام) एक एकेश्वरवादी धर्म है, जो इसके अनुयायियों के अनुसार, अल्लाह के अंतिम रसूल और नबी, मुहम्मद द्वारा मनुष्यों तक पहुंचाई गई अंतिम ईश्वरीय पुस्तक क़ुरआन की शिक्षा पर आधारित है। कुरान अरबी भाषा में रची गई और इसी भाषा में विश्व की कुल जनसंख्या के 25% हिस्से, यानी लगभग 1.6 से 1.8 अरब लोगों, द्वारा पढ़ी जाती है; इनमें से (स्रोतों के अनुसार) लगभग 20 से 30 करोड़ लोगों की यह मातृभाषा है। हजरत मुहम्मद साहब के मुँह से कथित होकर लिखी जाने वाली पुस्तक और पुस्तक का पालन करने के निर्देश प्रदान करने वाली शरीयत ही दो ऐसे संसाधन हैं जो इस्लाम की जानकारी स्रोत को सही करार दिये जाते हैं। .

98 संबंधों: चीन, डेविड (राजा), तुर्की, दर्शनशास्त्र, दिल्ली सल्तनत, दक्षिण एशिया, दक्षिण पूर्व एशिया, देवबन्दी, नबी, नमाज़, नाईजीरिया, पहला विश्व युद्ध, पारसी धर्म, पाकिस्तान, फ़रीदुद्दीन गंजशकर, फ़ातिमा, फ़िक़्ह, बांग्लादेश, बाइज़ेंटाइन साम्राज्य, ब्रह्माण्ड, भारत, भारत में इस्लाम, भारत का उच्चतम न्यायालय, भारतीय उपमहाद्वीप का इस्लामी इतिहास, मदीना, मध्य एशिया, मध्य पूर्व, मलाइका, मस्जिद ए नबवी, महमूद ग़ज़नवी, मिस्र, मंगोल, मक्का, मुसलमान, मुस्लिम राष्ट्रवाद, मुहम्मद, मुहर्रम, मुग़ल साम्राज्य, मुआविया प्रथम, मूसा, मोइनुद्दीन चिश्ती, यहूदी, यहूदी धर्म, यौम अल-क़ियामा, यूरोप, रमज़ान, शरीयत, शहादा, शिया इस्लाम, सफ़वी वंश, ..., सलाउद्दीन, सहाबा, सासानी साम्राज्य, सुन्नी इस्लाम, सौम, सूफ़ीवाद, हनफ़ी पन्थ, हिन्दू धर्म, हिजरी, हज, हज़रत निज़ामुद्दीन, जलालुद्दीन रूमी, ज़कात, ईद, ईद-उल-अज़हा, ईरान, ईशनिंदा, ईसा, ईसाई धर्म, ख़िलाफ़त, ख़ुदा, ग़ुलाम वंश, आयुर्विज्ञान, आइशा, इथियोपिया, इस्लाम, इस्लाम में तक़दीर, इस्लाम का इतिहास, इस्लामी त्यौहार, इस्लामी दुनिया, इस्लामी वास्तुकला, इंडोनेशिया, क़ुरआन, काबा, क्रूसेड, अफ़्रीका, अबु बक्र, अब्बासी ख़िलाफ़त, अब्राहम, अल ग़ज़ाली, अल्लाह, अली इब्न अबी तालिब, अहमदिया धर्म, अहल अल-हदीस, उमय्यद ख़िलाफ़त, उमर, उसमान बिन अफ़्फ़ान, उस्मानी साम्राज्य सूचकांक विस्तार (48 अधिक) »

चीन

---- right चीन विश्व की प्राचीन सभ्यताओं में से एक है जो एशियाई महाद्वीप के पू‍र्व में स्थित है। चीन की सभ्यता एवं संस्कृति छठी शताब्दी से भी पुरानी है। चीन की लिखित भाषा प्रणाली विश्व की सबसे पुरानी है जो आज तक उपयोग में लायी जा रही है और जो कई आविष्कारों का स्रोत भी है। ब्रिटिश विद्वान और जीव-रसायन शास्त्री जोसफ नीधम ने प्राचीन चीन के चार महान अविष्कार बताये जो हैं:- कागज़, कम्पास, बारूद और मुद्रण। ऐतिहासिक रूप से चीनी संस्कृति का प्रभाव पूर्वी और दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों पर रहा है और चीनी धर्म, रिवाज़ और लेखन प्रणाली को इन देशों में अलग-अलग स्तर तक अपनाया गया है। चीन में प्रथम मानवीय उपस्थिति के प्रमाण झोऊ कोऊ दियन गुफा के समीप मिलते हैं और जो होमो इरेक्टस के प्रथम नमूने भी है जिसे हम 'पेकिंग मानव' के नाम से जानते हैं। अनुमान है कि ये इस क्षेत्र में ३,००,००० से ५,००,००० वर्ष पूर्व यहाँ रहते थे और कुछ शोधों से ये महत्वपूर्ण जानकारी भी मिली है कि पेकिंग मानव आग जलाने की और उसे नियंत्रित करने की कला जानते थे। चीन के गृह युद्ध के कारण इसके दो भाग हो गये - (१) जनवादी गणराज्य चीन जो मुख्य चीनी भूभाग पर स्थापित समाजवादी सरकार द्वारा शासित क्षेत्रों को कहते हैं। इसके अन्तर्गत चीन का बहुतायत भाग आता है। (२) चीनी गणराज्य - जो मुख्य भूमि से हटकर ताईवान सहित कुछ अन्य द्वीपों से बना देश है। इसका मुख्यालय ताइवान है। चीन की आबादी दुनिया में सर्वाधिक है। प्राचीन चीन मानव सभ्यता के सबसे पुरानी शरणस्थलियों में से एक है। वैज्ञानिक कार्बन डेटिंग के अनुसार यहाँ पर मानव २२ लाख से २५ लाख वर्ष पहले आये थे। .

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डेविड (राजा)

दाउद (ईब्रानी: דוד (दविद) “महबूब”, (१०४०-९६० ई.पू.)) ईब्रानी पवित्र ग्रन्थों के अनुसार, इज़राइल का राजा था। साऊल के उत्तराधिकारी दाऊद इज़राइल के संवौधिक प्रसिद्ध राजा हैं। तत्कालीन प्रचलित बहुविवाह दाऊद की पारिवारिक झंझटों का मुख्य कारण सिद्ध हुआ। वह ईश्वर के सच्चे भक्त थे और उन्होंने दीनतापूर्वक अपने पापों को स्वीकार कर लिया, उनके लिखे भजन आज भी ईसाई पूजा में प्रयुक्त हैं। महान योद्धा, प्रशासक तथा भवन निर्माता के रूप में यह न्यायत: लब्धप्रतिष्ठ हैं। ईसा मसीह 'दाऊद का पुत्र' कहलाते हैं क्योंकि वह दाऊद के राजवंश में उत्पन्न हुए थे। हालाँकि दाउद के पास काफ़ी दोष भी थे, पवित्र किताबें उसका ख़ूबसूरत चित्र खींचतीं हैं। वह भी वादक और कवि था। पुराण कहता है कि दाउद ने बहुत पवित्र भजन रचे। अगर मज़हब-ए-इस्लाम की बात करें तो हज़रात दाउद आलैहीसलाम एक अज़ीम पैग़म्बर हैं और ख़ुदा ने उन्हें किताबें ज़ुहूर की थी जो आज की दुनिया में अलग नाम से जानी जाती है। जब दाउद ख़ुदा की याद में मोहब्बत उस पाक किताब की तिलावत करते थे तो पहाड़ भी कांपते थे और झूमते थे। दाउद के लिए ख़ुदा ने लोहा नरम किया था और उन्हें ऐलान-ए-नबूवत करने को कहा था। दाउद के बेटे हज़रात सुलैमान ख़ुदा ने बहुत सी ताक़त से नवाज़ा था। दाउद ने एक ख़ुदा की इबादत करने का हुक्म दिया और इंसानियत पत्थर के बने झूठे और नक़ली ख़ुदा की इबादत करने से बचाया था। हज़रात दाउद इस्लाम में एक सच्चे नबी और ख़ुदा के नेक पैग़म्बर हैं। .

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तुर्की

तुर्की (तुर्क भाषा: Türkiye उच्चारण: तुर्किया) यूरेशिया में स्थित एक देश है। इसकी राजधानी अंकारा है। इसकी मुख्य- और राजभाषा तुर्की भाषा है। ये दुनिया का अकेला मुस्लिम बहुमत वाला देश है जो कि धर्मनिर्पेक्ष है। ये एक लोकतान्त्रिक गणराज्य है। इसके एशियाई हिस्से को अनातोलिया और यूरोपीय हिस्से को थ्रेस कहते हैं। स्थिति: 39 डिग्री उत्तरी अक्षांश तथा 36 डिग्री पूर्वी देशान्तर। इसका कुछ भाग यूरोप में तथा अधिकांश भाग एशिया में पड़ता है अत: इसे यूरोप एवं एशिया के बीच का 'पुल' कहा जाता है। इजीयन सागर (Aegean sea) के पतले जलखंड के बीच में आ जाने से इस पुल के दो भाग हो जाते हैं, जिन्हें साधारणतया यूरोपीय टर्की तथा एशियाई टर्की कहते हैं। टर्की के ये दोनों भाग बॉसपोरस के जलडमरूमध्य, मारमारा सागर तथा डारडनेल्ज द्वारा एक दूसरे से अलग होते हैं। टर्की गणतंत्र का कुल क्षेत्रफल 2,96,185 वर्ग मील है जिसमें यूरोपीय टर्की (पूर्वी थ्रैस) का क्षेत्रफल 9,068 वर्ग मील तथा एशियाई टर्की (ऐनाटोलिआ) का क्षेत्रफल 2,87,117 वर्ग मील है। इसके अंतर्गत 451 दलदली स्थल तथा 3,256 खारे पानी की झीलें हैं। पूर्व में रूस और ईरान, दक्षिण की ओर इराक, सीरिया तथा भूमध्यसागर, पश्चिम में ग्रीस और बुल्गारिया और उत्तर में कालासागर इसकी राजनीतिक सीमा निर्धारित करते हैं। यूरोपीय टर्की - त्रिभुजाकर प्रायद्वीपी प्रदेश है जिसका शीर्षक पूर्व में बॉसपोरस के मुहाने पर है। उसके उत्तर तथा दक्षिण दोनों ओर पर्वतश्रेणियाँ फैली हुई हैं। मध्य में निचला मैदान मिलता है जिसमें होकर मारीत्सा और इरजिन नदियाँ बहती हैं। इसी भाग से होकर इस्तैस्म्यूल का संबंध पश्चिमी देशों से है। एशियाई टर्की - इसको हम तीन प्राकृतिक भागों में विभाजित कर सकते हैं: 1.

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दर्शनशास्त्र

दर्शनशास्त्र वह ज्ञान है जो परम् सत्य और प्रकृति के सिद्धांतों और उनके कारणों की विवेचना करता है। दर्शन यथार्थ की परख के लिये एक दृष्टिकोण है। दार्शनिक चिन्तन मूलतः जीवन की अर्थवत्ता की खोज का पर्याय है। वस्तुतः दर्शनशास्त्र स्वत्व, अर्थात प्रकृति तथा समाज और मानव चिंतन तथा संज्ञान की प्रक्रिया के सामान्य नियमों का विज्ञान है। दर्शनशास्त्र सामाजिक चेतना के रूपों में से एक है। दर्शन उस विद्या का नाम है जो सत्य एवं ज्ञान की खोज करता है। व्यापक अर्थ में दर्शन, तर्कपूर्ण, विधिपूर्वक एवं क्रमबद्ध विचार की कला है। इसका जन्म अनुभव एवं परिस्थिति के अनुसार होता है। यही कारण है कि संसार के भिन्न-भिन्न व्यक्तियों ने समय-समय पर अपने-अपने अनुभवों एवं परिस्थितियों के अनुसार भिन्न-भिन्न प्रकार के जीवन-दर्शन को अपनाया। भारतीय दर्शन का इतिहास अत्यन्त पुराना है किन्तु फिलॉसफ़ी (Philosophy) के अर्थों में दर्शनशास्त्र पद का प्रयोग सर्वप्रथम पाइथागोरस ने किया था। विशिष्ट अनुशासन और विज्ञान के रूप में दर्शन को प्लेटो ने विकसित किया था। उसकी उत्पत्ति दास-स्वामी समाज में एक ऐसे विज्ञान के रूप में हुई जिसने वस्तुगत जगत तथा स्वयं अपने विषय में मनुष्य के ज्ञान के सकल योग को ऐक्यबद्ध किया था। यह मानव इतिहास के आरंभिक सोपानों में ज्ञान के विकास के निम्न स्तर के कारण सर्वथा स्वाभाविक था। सामाजिक उत्पादन के विकास और वैज्ञानिक ज्ञान के संचय की प्रक्रिया में भिन्न भिन्न विज्ञान दर्शनशास्त्र से पृथक होते गये और दर्शनशास्त्र एक स्वतंत्र विज्ञान के रूप में विकसित होने लगा। जगत के विषय में सामान्य दृष्टिकोण का विस्तार करने तथा सामान्य आधारों व नियमों का करने, यथार्थ के विषय में चिंतन की तर्कबुद्धिपरक, तर्क तथा संज्ञान के सिद्धांत विकसित करने की आवश्यकता से दर्शनशास्त्र का एक विशिष्ट अनुशासन के रूप में जन्म हुआ। पृथक विज्ञान के रूप में दर्शन का आधारभूत प्रश्न स्वत्व के साथ चिंतन के, भूतद्रव्य के साथ चेतना के संबंध की समस्या है। .

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दिल्ली सल्तनत

सन् 1210 से 1526 तक भारत पर शासन करने वाले पाँच वंश के सुल्तानों के शासनकाल को दिल्ली सल्तनत (دلی سلطنت) या सल्तनत-ए-हिन्द/सल्तनत-ए-दिल्ली कहा जाता है। ये पाँच वंश ये थे- गुलाम वंश (1206 - 1290), ख़िलजी वंश (1290- 1320), तुग़लक़ वंश (1320 - 1414), सैयद वंश (1414 - 1451), तथा लोधी वंश (1451 - 1526)। इनमें से चार वंश मूलतः तुर्क थे जबकि अंतिम वंश अफगान था। मोहम्मद ग़ौरी का गुलाम कुतुब-उद-दीन ऐबक, गुलाम वंश का पहला सुल्तान था। ऐबक का साम्राज्य पूरे उत्तर भारत तक फैला था। इसके बाद ख़िलजी वंश ने मध्य भारत पर कब्ज़ा किया परन्तु भारतीय उपमहाद्वीप को संगठित करने में असफल रहा। इस सल्तनत ने न केवल बहुत से दक्षिण एशिया के मंदिरों का विनाश किया साथ ही अपवित्र भी किया,रिचर्ड ईटन (2000),, Journal of Islamic Studies, 11(3), pp 283-319 पर इसने भारतीय-इस्लामिक वास्तुकला के उदय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। दिल्ली सल्तनत मुस्लिम इतिहास के कुछ कालखंडों में है जहां किसी महिला ने सत्ता संभाली। १५२६ में मुगल सल्तनत द्वारा इस इस साम्राज्य का अंत हुआ। .

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दक्षिण एशिया

thumb दक्षिण एशिया एक अनौपचारिक शब्दावली है जिसका प्रयोग एशिया महाद्वीप के दक्षिणी हिस्से के लिये किया जाता है। सामान्यतः इस शब्द से आशय हिमालय के दक्षिणवर्ती देशों से होता है जिनमें कुछ अन्य अगल-बगल के देश भी जोड़ लिये जाते हैं। भारत, पाकिस्तान, श्री लंका और बांग्लादेश को दक्षिण एशिया के देश या भारतीय उपमहाद्वीप के देश कहा जाता है जिसमें नेपाल और भूटान को भी शामिल कर लिया जाता है। कभी कभी इसमें अफगानिस्तान और म्याँमार को भी जोड़ लेते हैं। दक्षिण एशिया के देशों का एक संगठन सार्क भी है जिसके सदस्य देश निम्नवत हैं.

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दक्षिण पूर्व एशिया

दक्षिण पूर्व एशिया या दक्षिण पूर्वी एशिया एशिया का एक उपभाग है, जिसके अंतर्गत भौगोलिक दृष्टि से चीन के दक्षिण, भारत के पूर्व, न्यू गिनी के पश्चिम और ऑस्ट्रेलिया के उत्तर के देश आते हैं। यह क्षेत्र भूगर्भीय प्लेटों के चौराहे पर स्थित है, जिसकी वजह से इस क्षेत्र में भारी भूकंप और ज्वालामुखी गतिविधियाँ होती हैं। दक्षिण पूर्व एशिया को दो भौगोलिक भागों में बांटा जा सकता है: मुख्यभूमि दक्षिण पूर्व एशिया, जिसे इंडोचायना भी कहते हैं, के अन्दर कंबोडिया, लाओस, बर्मा (म्यांमार), थाईलैंड, वियतनाम और प्रायद्वीपीय मलेशिया आते हैं और समुद्री दक्षिण पूर्व एशिया, जिसमें ब्रुनेई, पूर्व मलेशिया, पूर्वी तिमोर, इंडोनेशिया, फिलीपींस, क्रिसमस द्वीप और सिंगापुर शामिल हैं। श्रेणी:दक्षिण पूर्व एशिया श्रेणी:एशिया के क्षेत्र.

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देवबन्दी

देवबन्दी (उर्दू:, अंग्रेज़ी: Deobandi) सुन्नी इस्लाम के हनफ़ी पन्थ की एक प्रमुख विचारधारा है जिसमें कुरआन व शरियत का कड़ाई से पालन करने पर ज़ोर है। यह भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में स्थित दारुल उलूम देवबन्द से प्रचारित हुई है जो विश्व में इस्लामी शिक्षा का दूसरा बड़ा केन्द्र है। इसके अनुयायी इसे एक विशुद्ध इस्लामी विचारधारा मानते हैं जो कर्मकांड-हीन है। ये इस्लाम के उस तरीके पर अमल करते हैं, जो अल्लाह के नबी हजरत मुहम्मद स० ले कर आये थे, तथा जिसे ख़ुलफ़ा-ए-राशिदीन (अबु बकर अस-सिद्दीक़​, उमर इब्न अल-ख़त्ताब​, उस्मान इब्न अफ़्फ़ान​ और अली इब्न अबू तालिब​), सहाबा-ए-कराम, ताबेईन ने अपनाया तथा प्रचार-प्रसार किया। .

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नबी

ईश्वर क गुणगान करने वाला नबी (prophet) का अर्थ है ईश्वर का गुणगान करनेवाला, ईश्वर की शिक्षा तथा उसके आदेर्शों का उद्घोषक। बाइबिल ने उसे 'ईश्वर का मनुष्य' और 'आत्मा का मनुष्य' भी कहा गया है। यहूदी धर्म, ईसाई धर्म, इस्लाम, प्राचीन यूनान, पारसी आदि धर्मों एवं संस्कृतियों में विभिन्न नबियों के होने के दावे किये गये हैं। ऐसी मान्यता है कि ईश्वर (या सर्वशक्तिमान) ने किसी व्यक्ति से सम्पर्क किया और भगवान की तरफ से उनको अपना सन्देशवाहक बनाया गया। इस प्रकार नबी ईश्वर और मानवजाति के बीच आधार जैसे कार्य का निष्पादन करने वाले थे। .

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नमाज़

काहिरा में नमाज़, 1865। ज़ाँ-लेयॉ ज़ेरोम। नामाज़ (उर्दू: نماز) या सलाह (अरबी: صلوة), नमाज फारसी शब्द है, जो उर्दू में अरबी शब्द सलात का पर्याय है। कुरान शरीफ में सलात शब्द बार-बार आया है और प्रत्येक मुसलमान स्त्री और पुरुष को नमाज पढ़ने का आदेश ताकीद के साथ दिया गया है। इस्लाम के आरंभकाल से ही नमाज की प्रथा और उसे पढ़ने का आदेश है। यह मुसलमानों का बहुत बड़ा कर्तव्य है और इसे नियमपूर्वक पढ़ना पुण्य तथा त्याग देना पाप है। .

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नाईजीरिया

thumb फेडेरल रिपब्लिक ऑफ नाईजीरिया या नाईजीरिया संघीय गणराज्य पश्चिम अफ्रीका का एक देश है। इसकी सीमाएँ पश्चिम में बेनीन, पूर्व में चाड, उत्तर में hiकैमरून और दक्षिण में गुयाना की खाड़ी से लगती हैं। इस देश के बड़े शहरों में राजधानी अबुजा, भूतपूर्व राजधानी लागोस के अलावा इबादान, कानो, जोस और बेनिन शहर शामिल हैं। नाइजीरिया पश्चिमी अफ्रीका का एक प्रमुख देश है। पूरे अफ्रीका महाद्वीप में इस देश की आबादी सबसे अधिक है। नाइजीरिया की सीमा पश्चिम में बेनिन, पूर्व में चाड और कैमरून और उत्तर में नाइजर से मिलती हैं। .

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पहला विश्व युद्ध

पहला विश्व युद्ध 1914 से 1918 तक मुख्य तौर पर यूरोप में व्याप्त महायुद्ध को कहते हैं। यह महायुद्ध यूरोप, एशिया व अफ़्रीका तीन महाद्वीपों और समुंदर, धरती और आकाश में लड़ा गया। इसमें भाग लेने वाले देशों की संख्या, इसका क्षेत्र (जिसमें यह लड़ा गया) तथा इससे हुई क्षति के अभूतपूर्व आंकड़ों के कारण ही इसे विश्व युद्ध कहते हैं। पहला विश्व युद्ध लगभग 52 माह तक चला और उस समय की पीढ़ी के लिए यह जीवन की दृष्टि बदल देने वाला अनुभव था। क़रीब आधी दुनिया हिंसा की चपेट में चली गई और इस दौरान अंदाज़न एक करोड़ लोगों की जान गई और इससे दोगुने घायल हो गए। इसके अलावा बीमारियों और कुपोषण जैसी घटनाओं से भी लाखों लोग मरे। विश्व युद्ध ख़त्म होते-होते चार बड़े साम्राज्य रूस, जर्मनी, ऑस्ट्रिया-हंगरी (हैप्सबर्ग) और उस्मानिया ढह गए। यूरोप की सीमाएँ फिर से निर्धारित हुई और अमेरिका निश्चित तौर पर एक 'महाशक्ति ' बन कर उभरा। .

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पारसी धर्म

पारसी धर्म ईरान का प्राचीन काल से प्रचलित धर्म है। ये ज़न्द अवेस्ता नाम के धर्मग्रंथ पर आधारित है। इसके प्रस्थापक महात्मा ज़रथुष्ट्र हैं, इसलिये इस धर्म को ज़रथुष्ट्री धर्म (Zoroastrianism) भी कहते हैं। .

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पाकिस्तान

इस्लामी जम्हूरिया पाकिस्तान या पाकिस्तान इस्लामी गणतंत्र या सिर्फ़ पाकिस्तान भारत के पश्चिम में स्थित एक इस्लामी गणराज्य है। 20 करोड़ की आबादी के साथ ये दुनिया का छठा बड़ी आबादी वाला देश है। यहाँ की प्रमुख भाषाएँ उर्दू, पंजाबी, सिंधी, बलूची और पश्तो हैं। पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद और अन्य महत्वपूर्ण नगर कराची व लाहौर रावलपिंडी हैं। पाकिस्तान के चार सूबे हैं: पंजाब, सिंध, बलोचिस्तान और ख़ैबर​-पख़्तूनख़्वा। क़बाइली इलाक़े और इस्लामाबाद भी पाकिस्तान में शामिल हैं। इन के अलावा पाक अधिकृत कश्मीर (तथाकथित आज़ाद कश्मीर) और गिलगित-बल्तिस्तान भी पाकिस्तान द्वारा नियंत्रित हैं हालाँकि भारत इन्हें अपना भाग मानता है। पाकिस्तान का जन्म सन् 1947 में भारत के विभाजन के फलस्वरूप हुआ था। सर्वप्रथम सन् 1930 में कवि (शायर) मुहम्मद इक़बाल ने द्विराष्ट्र सिद्धान्त का ज़िक्र किया था। उन्होंने भारत के उत्तर-पश्चिम में सिंध, बलूचिस्तान, पंजाब तथा अफ़गान (सूबा-ए-सरहद) को मिलाकर एक नया राष्ट्र बनाने की बात की थी। सन् 1933 में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के छात्र चौधरी रहमत अली ने पंजाब, सिन्ध, कश्मीर तथा बलोचिस्तान के लोगों के लिए पाक्स्तान (जो बाद में पाकिस्तान बना) शब्द का सृजन किया। सन् 1947 से 1970 तक पाकिस्तान दो भागों में बंटा रहा - पूर्वी पाकिस्तान और पश्चिमी पाकिस्तान। दिसम्बर, सन् 1971 में भारत के साथ हुई लड़ाई के फलस्वरूप पूर्वी पाकिस्तान बांग्लादेश बना और पश्चिमी पाकिस्तान पाकिस्तान रह गया। .

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फ़रीदुद्दीन गंजशकर

बाबा फरीद (1173-1266), हजरत ख्वाजा फरीद्दुद्दीन गंजशकर (उर्दू: حضرت بابا فرید الدین مسعود گنج شکر) भारतीय उपमहाद्वीप के पंजाब क्षेत्र के एक सूफी संत थे। आप एक उच्चकोटि के पंजाबी कवि भी थे। सिख गुरुओं ने इनकी रचनाओं को सम्मान सहित श्री गुरु ग्रंथ साहिब में स्थान दिया। वर्तमान समय में भारत के पंजाब प्रांत में स्थित फरीदकोट शहर का नाम बाबा फरीद पर ही रखा गया था। बाबा फरीद का मज़ार पाकपट्टन शरीफ (पाकिस्तान) में है। बाबा फरीद का जन्म ११७3 ई. में लगभग पंजाब में हुआ। उनका वंशगत संबंध काबुल के बादशाह फर्रुखशाह से था। १८ वर्ष की अवस्था में वे मुल्तान पहुंचे और वहीं ख्वाजा कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी के संपर्क में आए और चिश्ती सिलसिले में दीक्षा प्राप्त की। गुरु के साथ ही मुल्तान से देहली पहुँचे और ईश्वर के ध्यान में समय व्यतीत करने लगे। देहली में शिक्षा दीक्षा पूरी करने के उपरांत बाबा फरीद ने १९-२० वर्ष तक हिसार जिले के हाँसी नामक कस्बे में निवास किया। शेख कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी की मृत्यु के उपरांत उनके खलीफा नियुक्त हुए किंतु राजधानी का जीवन उनके शांत स्वभाव के अनुकूल न था अत: कुछ ही दिनों के पश्चात् वे पहले हाँसी, फिर खोतवाल और तदनंतर दीपालपुर से कोई २८ मील दक्षिण पश्चिम की ओर एकांत स्थान अजोधन (पाक पटन) में निवास करने लगे। अपने जीवन के अंत तक वे यहीं रहे। अजोधन में निर्मित फरीद की समाधि हिंदुस्तान और खुरासान का पवित्र तीर्थस्थल है। यहाँ मुहर्रम की ५ तारीख को उनकी मृत्यु तिथि की स्मृति में एक मेला लगता है। वर्धा जिले में भी एक पहाड़ी जगह गिरड पर उनके नाम पर मेला लगता है। वे योगियों के संपर्क में भी आए और संभवत: उनसे स्थानीय भाषा में विचारों का आदान प्रदान होता था। कहा जाता है कि बाबा ने अपने चेलों के लिए हिंदी में जिक्र (जाप) का भी अनुवाद किया। सियरुल औलिया के लेखक अमीर खुर्द ने बाबा द्वारा रचित मुल्तानी भाषा के एक दोहे का भी उल्लेख किया है। गुरु ग्रंथ साहब में शेख फरीद के ११२ 'सलोक' उद्धृत हैं। यद्यपि विषय वही है जिनपर बाबा प्राय: वार्तालाप किया करते थे, तथापि वे बाबा फरीद के किसी चेले की, जो बाबा नानक के संपर्क में आया, रचना ज्ञात होते हैं। इसी प्रकार फवाउबुस्सालेकीन, अस्रारुख औलिया एवं राहतुल कूल्ब नामक ग्रंथ भी बाबा फरीद की रचना नहीं हैं। बाबा फरीद के शिष्यों में निजामुद्दीन औलिया को अत्यधिक प्रसिद्धि प्राप्त हुई। वास्तव में बाबा फरीद के आध्यात्मिक एवं नैतिक प्रभाव के कारण उनके समकालीनों को इस्लाम के समझाने में बड़ी सुविधा हुई। उनका देहावसान १२६५ ई. में हुआ। .

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फ़ातिमा

फ़ातिमा बिन्ते मुहम्मद (Fāṭimah bint Muḥammad) (فاطمة;; especially colloquially: जन्म c. 605 या 615Ordoni (1990) pp.42-45 – मृत्यु 28 अगस्त 632)फ़ातिमा को हज़रत फ़ातिमा ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा कहा जाता है। उनकी उपाधियां ज़हरा, सिद्दीक़ा, ताहिरा, ज़ाकिरा, राज़िया, मरज़िया, मुहद्देसा व बतूल हैं। वे हज़रत मुहम्मद और खतीजा की पुत्री अली की पत्नी, हसन और हुसैन की मां थीं। अहले बैत की सदस्य थीं। "Fatimah", Encyclopaedia of Islam.

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फ़िक़्ह

फ़िक़्ह (فقه,फ़िक़्ह या फ़िक़ः) (Fiqh) इस्लामी धर्मशास्त्र (मज़हबी तौर-तरीके) को कहा जाता है। Encyclopædia Britannica फ़िक़्ह मुसलमानों के लिये इस्लामी जीवन के हर पहलू पर अपना असर रखता है। जबकि ''शरियत'' उस समुच्चय निति को कहते हैं। जो इस्लामी कानूनी, परंपराओं और इस्लामी व्यक्तिगत और नैतिक आचरणों पर आधारित होती है। फ़िक़्ह इस्लामी न्यायशास्त्र के लिए शब्दावली है, जो इस्लामी न्यायविदों के फैसलों से बना है। इस्लामी अध्ययन का बुनियादी घटक, फ़िक़्ह उस पद्धति को विस्तार से बतलाता है जिसके जरिए से इस्लामी कानून को प्राथमिक और माध्यमिक स्रोतों से बाहर निकाला गया है। .

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बांग्लादेश

बांग्लादेश गणतन्त्र (बांग्ला) ("गणप्रजातन्त्री बांग्लादेश") दक्षिण जंबूद्वीप का एक राष्ट्र है। देश की उत्तर, पूर्व और पश्चिम सीमाएँ भारत और दक्षिणपूर्व सीमा म्यान्मार देशों से मिलती है; दक्षिण में बंगाल की खाड़ी है। बांग्लादेश और भारतीय राज्य पश्चिम बंगाल एक बांग्लाभाषी अंचल, बंगाल हैं, जिसका ऐतिहासिक नाम “বঙ্গ” बंग या “বাংলা” बांग्ला है। इसकी सीमारेखा उस समय निर्धारित हुई जब 1947 में भारत के विभाजन के समय इसे पूर्वी पाकिस्तान के नाम से पाकिस्तान का पूर्वी भाग घोषित किया गया। पूर्व और पश्चिम पाकिस्तान के मध्य लगभग 1600 किमी (1000 मील) की भौगोलिक दूरी थी। पाकिस्तान के दोनों भागों की जनता का धर्म (इस्लाम) एक था, पर उनके बीच जाति और भाषागत काफ़ी दूरियाँ थीं। पश्चिम पाकिस्तान की तत्कालीन सरकार के अन्याय के विरुद्ध 1971 में भारत के सहयोग से एक रक्तरंजित युद्ध के बाद स्वाधीन राष्ट्र बांग्लादेश का उदभव हुआ। स्वाधीनता के बाद बांग्लादेश के कुछ प्रारंभिक वर्ष राजनैतिक अस्थिरता से परिपूर्ण थे, देश में 13 राष्ट्रशासक बदले गए और 4 सैन्य बगावतें हुई। विश्व के सबसे जनबहुल देशों में बांग्लादेश का स्थान आठवां है। किन्तु क्षेत्रफल की दृष्टि से बांग्लादेश विश्व में 93वाँ है। फलस्वरूप बांग्लादेश विश्व की सबसे घनी आबादी वाले देशों में से एक है। मुसलमान- सघन जनसंख्या वाले देशों में बांग्लादेश का स्थान 4था है, जबकि बांग्लादेश के मुसलमानों की संख्या भारत के अल्पसंख्यक मुसलमानों की संख्या से कम है। गंगा-ब्रह्मपुत्र के मुहाने पर स्थित यह देश, प्रतिवर्ष मौसमी उत्पात का शिकार होता है और चक्रवात भी बहुत सामान्य हैं। बांग्लादेश दक्षिण एशियाई आंचलिक सहयोग संस्था, सार्क और बिम्सटेक का प्रतिष्ठित सदस्य है। यह ओआइसी और डी-8 का भी सदस्य है।.

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बाइज़ेंटाइन साम्राज्य

समय के साथ बाईज़न्टाइन साम्राज्य के क्षेत्र में परिवर्तन बाईज़न्टाइन साम्राज्य (या 'पूर्वी रोमन साम्राज्य') मध्य युग के दौरान रोमन साम्राज्य को दिया गया नाम था। इसकी राजधानी क़ुस्तुंतुनिया (कॉन्स्टैन्टिनोप्ल) थी, जोकि वर्तमान में तुर्की में स्थित है, और अब इसे इस्तांबुल के नाम से जाना जाता है। पश्चिमी रोमन साम्राज्य के विपरीत, इसके लोग यूनानी बोलते थे, नाकि लैटिन और यूनानी संस्कृति और पहचान का प्रभुत्व था। यह साम्राज्य लगभग ३२४ ई से १४५३ ई तक (एक हजार वर्षों से अधिक) अस्तित्व में रहा। 'बाइजेंटाइन साम्राज्य' या 'बाइजेंटियम' का इस्तेमाल १९वीं सदी से मध्यकाल के ग्रीक भाषा बोलने वाले रोमन साम्राज्य के लिए किया जाता था जो की वहां की राजधानी क़ुस्तुंतुनिया के आसपास बसा था। इस साम्राज्य को पूर्वी रोमन साम्राज्य के नाम से भी जाना जाता था। इस राज्य के रहने वालों के लिए ये सिर्फ रोमन साम्राज्य के नाम से जान जाता था और यहाँ से शासकों ने रोमन शाशकों पर बहुत कब्ज़े किये। इस्लाम की दुनिया में ये 'रोमानिया' के नाम से जाना जाता था। राज्य की शुरुआत के बारे में कुछ भी निश्चित जानकारी नहीं है। बहुत लोग सम्राट कोन्स्तान्तिन प्रथम (306–337 ई.) को पहला बीजान्टिन शासक मानते हैं। जिन्होंने 330 ई. में अपनी राजधानी रोम से स्थानांतरित कर बिजिन्तिऊम नामक एक क़स्बे में कर दिया और इन्होंने इसका पुनर्निर्माण कराया और इसे कोंस्तान्तिनोपाल या फिर 'नया रोम' नाम दिया। कुछ लोग इस साम्राज्य की शुरुआत को थेओदोस्सिस (379–395) के राज्य की शुरुआत के वक्त को मानते हैं। साम्राज्य के गिरने की शुरुआत तब मानी जाती है जब ओट्टोमन तुर्कों ने कोंस्तान्तिनोपाल पर 1453 में कब्ज़ा कर लिया, पर ग्रीकों का राज साम्राज्य के दुसरे हिस्सों में कुछ और सालों तक चलता रहा जब तक मिस्त्रास 1460 में और ट्रेबिजोंद 1461 में गिर गए। .

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ब्रह्माण्ड

ब्रह्माण्ड सम्पूर्ण समय और अंतरिक्ष और उसकी अंतर्वस्तु को कहते हैं। ब्रह्माण्ड में सभी ग्रह, तारे, गैलेक्सिया, गैलेक्सियों के बीच के अंतरिक्ष की अंतर्वस्तु, अपरमाणविक कण, और सारा पदार्थ और सारी ऊर्जा शामिल है। अवलोकन योग्य ब्रह्माण्ड का व्यास वर्तमान में लगभग 28 अरब पारसैक (91 अरब प्रकाश-वर्ष) है। पूरे ब्रह्माण्ड का व्यास अज्ञात है, और ये अनंत हो सकता है। .

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भारत

भारत (आधिकारिक नाम: भारत गणराज्य, Republic of India) दक्षिण एशिया में स्थित भारतीय उपमहाद्वीप का सबसे बड़ा देश है। पूर्ण रूप से उत्तरी गोलार्ध में स्थित भारत, भौगोलिक दृष्टि से विश्व में सातवाँ सबसे बड़ा और जनसंख्या के दृष्टिकोण से दूसरा सबसे बड़ा देश है। भारत के पश्चिम में पाकिस्तान, उत्तर-पूर्व में चीन, नेपाल और भूटान, पूर्व में बांग्लादेश और म्यान्मार स्थित हैं। हिन्द महासागर में इसके दक्षिण पश्चिम में मालदीव, दक्षिण में श्रीलंका और दक्षिण-पूर्व में इंडोनेशिया से भारत की सामुद्रिक सीमा लगती है। इसके उत्तर की भौतिक सीमा हिमालय पर्वत से और दक्षिण में हिन्द महासागर से लगी हुई है। पूर्व में बंगाल की खाड़ी है तथा पश्चिम में अरब सागर हैं। प्राचीन सिन्धु घाटी सभ्यता, व्यापार मार्गों और बड़े-बड़े साम्राज्यों का विकास-स्थान रहे भारतीय उपमहाद्वीप को इसके सांस्कृतिक और आर्थिक सफलता के लंबे इतिहास के लिये जाना जाता रहा है। चार प्रमुख संप्रदायों: हिंदू, बौद्ध, जैन और सिख धर्मों का यहां उदय हुआ, पारसी, यहूदी, ईसाई, और मुस्लिम धर्म प्रथम सहस्राब्दी में यहां पहुचे और यहां की विविध संस्कृति को नया रूप दिया। क्रमिक विजयों के परिणामस्वरूप ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कंपनी ने १८वीं और १९वीं सदी में भारत के ज़्यादतर हिस्सों को अपने राज्य में मिला लिया। १८५७ के विफल विद्रोह के बाद भारत के प्रशासन का भार ब्रिटिश सरकार ने अपने ऊपर ले लिया। ब्रिटिश भारत के रूप में ब्रिटिश साम्राज्य के प्रमुख अंग भारत ने महात्मा गांधी के नेतृत्व में एक लम्बे और मुख्य रूप से अहिंसक स्वतन्त्रता संग्राम के बाद १५ अगस्त १९४७ को आज़ादी पाई। १९५० में लागू हुए नये संविधान में इसे सार्वजनिक वयस्क मताधिकार के आधार पर स्थापित संवैधानिक लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित कर दिया गया और युनाईटेड किंगडम की तर्ज़ पर वेस्टमिंस्टर शैली की संसदीय सरकार स्थापित की गयी। एक संघीय राष्ट्र, भारत को २९ राज्यों और ७ संघ शासित प्रदेशों में गठित किया गया है। लम्बे समय तक समाजवादी आर्थिक नीतियों का पालन करने के बाद 1991 के पश्चात् भारत ने उदारीकरण और वैश्वीकरण की नयी नीतियों के आधार पर सार्थक आर्थिक और सामाजिक प्रगति की है। ३३ लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल के साथ भारत भौगोलिक क्षेत्रफल के आधार पर विश्व का सातवाँ सबसे बड़ा राष्ट्र है। वर्तमान में भारतीय अर्थव्यवस्था क्रय शक्ति समता के आधार पर विश्व की तीसरी और मानक मूल्यों के आधार पर विश्व की दसवीं सबसे बडी अर्थव्यवस्था है। १९९१ के बाज़ार-आधारित सुधारों के बाद भारत विश्व की सबसे तेज़ विकसित होती बड़ी अर्थ-व्यवस्थाओं में से एक हो गया है और इसे एक नव-औद्योगिकृत राष्ट्र माना जाता है। परंतु भारत के सामने अभी भी गरीबी, भ्रष्टाचार, कुपोषण, अपर्याप्त सार्वजनिक स्वास्थ्य-सेवा और आतंकवाद की चुनौतियां हैं। आज भारत एक विविध, बहुभाषी, और बहु-जातीय समाज है और भारतीय सेना एक क्षेत्रीय शक्ति है। .

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भारत में इस्लाम

भारतीय गणतंत्र में हिन्दू धर्म के बाद इस्लाम दूसरा सर्वाधिक प्रचलित धर्म है, जो देश की जनसंख्या का 14.2% है (2011 की जनगणना के अनुसार 17.2 करोड़)। भारत में इस्लाम का आगमन करीब 7वीं शताब्दी में अरब के व्यापारियों के आने से हुआ था (629 ईसवी सन्‌) और तब से यह भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत का एक अभिन्न अंग बन गया है। वर्षों से, सम्पूर्ण भारत में हिन्दू और मुस्लिम संस्कृतियों का एक अद्भुत मिलन होता आया है और भारत के आर्थिक उदय और सांस्कृतिक प्रभुत्व में मुसलमानों ने महती भूमिका निभाई है। हालांकि कुछ इतिहासकार ये दावा करते हैं कि मुसलमानों के शासनकाल में हिंदुओं पर क्रूरता किए गए। मंदिरों को तोड़ा गया। जबरन धर्मपरिवर्तन करा कर मुसलमान बनाया गया। ऐसा भी कहा जाता है कि एक मुसलमान शासक टीपू शुल्तान खुद ये दावा करता था कि उसने चार लाख हिंदुओं का धर्म परिवर्तन करवाया था। न्यूयॉर्क टाइम्स, प्रकाशित: 11 दिसम्बर 1992 विश्व में भारत एकमात्र ऐसा देश है जहां सरकार हज यात्रा के लिए विमान के किराया में सब्सिडी देती थी और २००७ के अनुसार प्रति यात्री 47454 खर्च करती थी। हालांकि 2018 से रियायत हटा ली गयी है। .

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भारत का उच्चतम न्यायालय

भारत का उच्चतम न्यायालय या भारत का सर्वोच्च न्यायालय भारत का शीर्ष न्यायिक प्राधिकरण है जिसे भारतीय संविधान के भाग 5 अध्याय 4 के तहत स्थापित किया गया है। भारतीय संघ की अधिकतम और व्यापक न्यायिक अधिकारिता उच्चतम न्यायालय को प्राप्त हैं। भारतीय संविधान के अनुसार उच्चतम न्यायालय की भूमिका संघीय न्यायालय और भारतीय संविधान के संरक्षक की है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 124 से 147 तक में वर्णित नियम उच्चतम न्यायालय की संरचना और अधिकार क्षेत्रों की नींव हैं। उच्चतम न्यायालय सबसे उच्च अपीलीय अदालत है जो राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के उच्च न्यायालयों के फैसलों के खिलाफ अपील सुनता है। इसके अलावा, राज्यों के बीच के विवादों या मौलिक अधिकारों और मानव अधिकारों के गंभीर उल्लंघन से सम्बन्धित याचिकाओं को आमतौर पर उच्च्तम न्यायालय के समक्ष सीधे रखा जाता है। भारत के उच्चतम न्यायालय का उद्घाटन 28 जनवरी 1950 को हुआ और उसके बाद से इसके द्वारा 24,000 से अधिक निर्णय दिए जा चुके हैं। .

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भारतीय उपमहाद्वीप का इस्लामी इतिहास

इस्लाम भारतीय उपमहाद्वीप का एक प्रमुख धर्म हैं। भारत की कुल जनसंख्या के 14.5%, पाकिस्तान के 97 %, बांग्लादेश के 89%, नेपाल के 6%,भूटान के 1.1% लोग इस्लाम धर्म के अनुयायी हैं। उपमहाद्वीप को इस्लाम से सबसे पहले अरबी व्यापरियो ने सातवी शताब्दी के मध्य में अवगत कराया। इस्लाम का व्यापक फैलाव सातवी शताब्दी के अंत में मोहम्मद-बिन-कासिम के सिंध पर आक्रमण और बाद के मुस्लिम शासकों के द्वारा हुआ। इस प्रान्त ने विश्व के कुछ महान इस्लामिक साम्राज्यों के उठान एवं पतन को देखा है। सातवी शतब्दी से लेकर सन १८५७ तक विभिन्न इस्लामिक साम्राज्यों ने भारत, पाकिस्तान एवं दुसरे देशों पर गहरा असर छोड़ा है। इस्लामिक शासक आपने साथ मध्य एवं पश्चिमी एशिया की विभिन्न कलाएं एवं विज्ञानं लेकर उपमहाद्वीप में आयें। भारतीय एवं इस्लामिक कलाओ का संगम ने विश्व को कई अनुपम धरोहर दी .

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मदीना

मदीना या अल-मदीना (अरबी) जिसे सम्मानपूर्वक 'अल-मदीना अल-मुनव्वरा' (/ mədiːnə/; अरबी: المدينة المنورة, अल-मदीना अल-मुनव्वरा, " चमकदार शहर"; या المدينة, अल-मदीना (हेजाज़ी उच्चारण), "शहर"), मदीना के रूप में भी लिप्यंतरित, अरब प्रायद्वीप के हेजाज़ क्षेत्र में एक शहर है और सऊदी अरब के अल-मदीना क्षेत्र के प्रशासनिक मुख्यालय है। ग्रान्धिक रूप से अरबी शब्द मदीना का अर्थ 'शहर' या 'नगर' है। मदीनतुन-नबी का अर्थ नबी का शहर है। शहर के दिल में अल-मस्जिद अन-नबवी ("पैगंबर की मस्जिद") है, जो इस्लामी पैगंबर हज़रत मुहम्मद का दफन किया हवा स्थल है, और मक्का के बाद इस्लाम का दूसरा सबसे पवित्र शहर है। मुहम्मद ने मक्का से मदीना को अपनी हिजरत (प्रवासन) की। मुहम्मद के नेतृत्व में, तेजी से बढ़ रहे मुस्लिम साम्राज्य की राजधानी मदीना बन गई। यह पहली शताब्दी में इस्लाम के पावर बेस के रूप में कार्य करता था जहां प्रारंभिक मुस्लिम समुदाय विकसित हुआ था। मदीना तीन सबसे पुरानी मस्जिदों का घर है, अर्थात् मस्जिद ए क़ुबा, मस्जिद ए नबवी, और मस्जिद अल-क़िबलतैन ("दो क़िब्लों की मस्जिद")। मुसलमानों का मानना ​​है कि कुरान के कालानुक्रमिक रूप से अंतिम सूरह मदीना में मुहम्मद को प्रकट हुआ था, और उन्हें पहले मक्कन सूरह के विपरीत मेदीनन सूरह कहा जाता है। यह इस्लाम में पवित्रतम दूसरा शहर है और इस्लामी पैगंबर मुहम्मद की दफ़नगाह है और यह उनकी हिजरह (विस्थापित होने) के बाद उनके घर आने के कारण ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण है। इस्लाम के आगमन से पहले, मदीना शहर 'यसरिब' नाम से जाना जाता था, लेकिन व्यक्तिगत रूप से पैगंबर मुहम्मद द्वारा नाम दिया गया। मदीना में इस्लाम के तीन सबसे पुराने मस्जिद मस्जिद अल नबवी (पैगंबर की मस्जिद), मस्जिद ए क़ुबा (इस्लाम के इतिहास में पहली मस्जिद) और मस्जिद अल क़िब्लतैन (वह मस्जिद जिस में दो क़िब्लओं की तरफ़ मुंह करके नमाज़ पढी गयी) उपस्थित है। मक्का की तरह, मदीना का शहर केंद्र किसी भी व्यक्ति के लिए बंद है जिसे गैर-मुसलमान माना जाता है, जिसमें राष्ट्रीय सरकार द्वारा अहमदीय आंदोलन के सदस्य भी शामिल हैं; हालांकि, शहर के अन्य हिस्सों को बंद नहीं किया गया है। Sandra Mackey's account of her attempt to enter Mecca in .

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मध्य एशिया

मध्य एशिया एशिया के महाद्वीप का मध्य भाग है। यह पूर्व में चीन से पश्चिम में कैस्पियन सागर तक और उत्तर में रूस से दक्षिण में अफ़ग़ानिस्तान तक विस्तृत है। भूवैज्ञानिकों द्वारा मध्य एशिया की हर परिभाषा में भूतपूर्व सोवियत संघ के पाँच देश हमेशा गिने जाते हैं - काज़ाख़स्तान, किरगिज़स्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज़बेकिस्तान। इसके अलावा मंगोलिया, अफ़ग़ानिस्तान, उत्तरी पाकिस्तान, भारत के लद्दाख़ प्रदेश, चीन के शिनजियांग और तिब्बत क्षेत्रों और रूस के साइबेरिया क्षेत्र के दक्षिणी भाग को भी अक्सर मध्य एशिया का हिस्सा समझा जाता है। इतिहास में मध्य एशिया रेशम मार्ग के व्यापारिक और सांस्कृतिक महत्व के लिए जाना जाता है। चीन, भारतीय उपमहाद्वीप, ईरान, मध्य पूर्व और यूरोप के बीच लोग, माल, सेनाएँ और विचार मध्य एशिया से गुज़रकर ही आते-जाते थे। इस इलाक़े का बड़ा भाग एक स्तेपी वाला घास से ढका मैदान है हालाँकि तियान शान जैसी पर्वत शृंखलाएँ, काराकुम जैसे रेगिस्तान और अरल सागर जैसी बड़ी झीलें भी इस भूभाग में आती हैं। ऐतिहासिक रूप मध्य एशिया में ख़ानाबदोश जातियों का ज़ोर रहा है। पहले इसपर पूर्वी ईरानी भाषाएँ बोलने वाली स्किथी, बैक्ट्रियाई और सोग़दाई लोगों का बोलबाला था लेकिन समय के साथ-साथ काज़ाख़, उज़बेक, किरगिज़ और उईग़ुर जैसी तुर्की जातियाँ अधिक शक्तिशाली बन गई।Encyclopædia Iranica, "CENTRAL ASIA: The Islamic period up to the Mongols", C. Edmund Bosworth: "In early Islamic times Persians tended to identify all the lands to the northeast of Khorasan and lying beyond the Oxus with the region of Turan, which in the Shahnama of Ferdowsi is regarded as the land allotted to Fereydun's son Tur.

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मध्य पूर्व

मध्य पूर्व का राजनीतिक नक्शा मध्य पूर्व (या पूर्व में ज्यादा प्रचलित पूर्व के करीब (Near East)) दक्षिण पश्चिम एशिया, दक्षिण पूर्वी यूरोप और उत्तरी पूर्वी अफ़्रीका में विस्तारित क्षेत्र है। इसकी कोई स्पष्ट सीमा रेखा नहीं है, अक्सर इस शब्द का प्रयोग पूर्व के पास (Near East) के एक पर्याय के रूप में प्रयोग किया जाता, ठीक सुदूर पूर्व (Far East) के विपरित। मध्य पूर्व शब्द का प्रचलन १९०० के आसपास के यूनाइटेड किंगडम में शुरू हुआ। .

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मलाइका

मलाइका (अरबी - ملائكة)- यह एक अरबी शब्द है, एक वचन मलक (ملک) और बहुवचन मलाइका (ملائکہ) है। इन को फ़ारसी और उर्दू भाशा में फ़रिश्ते भी कहा जाता है। एकवचन फ़रिश्ता बहुवचन फ़रिश्ते। अर्थात देवदूत। .

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मस्जिद ए नबवी

मस्जिद-ए-नबवी (المسجد النبوي, अल-मस्जिद अल-नबवी, "पैगंबर की मस्जिद"), जिसे अक्सर पैगंबर की मस्जिद कहा जाता है, सऊदी अरब के शहर मदीना में स्थित इस्लाम का दूसरा पवित्र स्थान है। मक्का में मस्जिद-ए-हरम मुसलमानों के लिए पवित्र स्थान है। जबकि बैतुल मुक़द्दस में मस्जिद-ए-अक्सा इस्लाम का तीसरा पवित्र स्थान है। .

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महमूद ग़ज़नवी

महमूद ग़ज़नवी (971-1030) मध्य अफ़ग़ानिस्तान में केन्द्रित गज़नवी वंश का एक महत्वपूर्ण शासक था जो पूर्वी ईरान भूमि में साम्राज्य विस्तार के लिए जाना जाता है। वह तुर्क मूल का था और अपने समकालीन (और बाद के) सल्जूक़ तुर्कों की तरह पूर्व में एक सुन्नी इस्लामी साम्राज्य बनाने में सफल हुआ। उसके द्वारा जीते गए प्रदेशों में आज का पूर्वी ईरान, अफगानिस्तान और संलग्न मध्य-एशिया (सम्मिलिलित रूप से ख़ोरासान), पाकिस्तान और उत्तर-पश्चिम भारत शामिल थे। उनके युद्धों में फ़ातिमी सुल्तानों (शिया), काबुल शाहिया राजाओं (हिन्दू) और कश्मीर का नाम प्रमुखता से आता है। भारत में इस्लामी शासन लाने और आक्रमण के दौरान लूटपाट मचाने के कारण भारतीय हिन्दू समाज में उनको एक आक्रामक शासक के रूप में जाना जाता है। वह पिता के वंश से तुर्क था पर उसने फ़ारसी भाषा के पुनर्जागरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। हाँलांकि उसके दरबारी कवि फ़िरदौसी ने शाहनामे की रचना की पर वो हमेशा कवि का समर्थक नहीं रहा था। ग़ज़नी, जो मध्य अफ़गानिस्तान में स्थित एक छोटा शहर था, को उन्होंने साम्राज्य के धनी और प्रांतीय शहर के रूप में बदल गया। बग़दाद के इस्लामी (अब्बासी) ख़लीफ़ा ने उनको सुल्तान की पदवी दी। .

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मिस्र

मिस्र (अरबी; مصر, अंग्रेजी:Egypt), आधिकारिक तौर पर मिस्र अरब गणराज्य, एक देश है जिसका अधिकांश हालांकि उत्तरी अफ्रीका में स्थित है जबकि इसका सिनाई प्रायद्वीप, दक्षिणपश्चिम एशिया में एक स्थल पुल बनाता है। इस प्रकार मिस्र एक अंतरमहाद्वीपीय देश है, तथा अफ्रीका, भूमध्य क्षेत्र, मध्य पूर्व और इस्लामी दुनिया की यह एक प्रमुख शक्ति है। इसका क्षेत्रफल 1010000 वर्ग किलोमीटर है और इसके उत्तर में भूमध्य सागर, पूर्वोत्तर में गाजा पट्टी और इस्राइल, पूर्व में लाल सागर, दक्षिण में सूडान और पश्चिम में लीबिया स्थित है। मिस्र, अफ्रीका और मध्य पूर्व के सबसे अधिक जनसंख्या वाले देशों में से एक है। इसकी अनुमानित 7.90 करोड़ जनसंख्या का अधिकतर हिस्सा नील नदी के किनारे वाले हिस्से में रहता है। नील नदी का यह क्षेत्र लगभग 40000 वर्ग किलोमीटर (15000 वर्ग मील) का है और पूरे देश का सिर्फ इसी क्षेत्र में कृषि योग्य भूमि पायी जाती है। सहारा मरुस्थल के एक बड़े हिस्से में विरल जनसंख्या निवास करती है। मिस्र के लगभग आधे निवासी शहरों में वास करते हैं जिनमें नील नदी के मुहाने के क्षेत्र में बसे सघन जनसंख्या वाले शहर जैसे कि काहिरा, सिकन्दरिया आदि प्रमुख हैं। मिस्र की मान्यता उसकी प्राचीन सभ्यता के लिए है। गीज़ा पिरामिड परिसर और महान स्फिंक्स जैसे प्रसिद्ध स्मारक यहीं स्थित है। मिस्र के प्राचीन खंडहर जैसे कि मेम्फिस, थेबिस, करनाक और राजाओं की घाटी जो लक्सर के बाहर स्थित हैं, पुरातात्विक अध्ययन का एक महत्वपूर्ण केंद्र हैं। यहां के शासक को फारो नाम से जाना जाता था। इस पदवी का प्रयोग ईसाई और इस्लाम काल के पूर्व काल में होता था। इसे फारोह भी लिखते हैं। फारो को मिस्र के देवता होरसका पुनर्जन्म माना जाता था। होरस द्यौ (आकाश) का देवता था और इसे सूर्य भी माना जाता था। मिस्र की कार्यशक्ति का लगभग 12% हिस्सा पर्यटन और लाल सागर रिवेरा में कार्यरत है। मध्य पूर्व में, मिस्र की अर्थव्यवस्था सबसे अधिक विकसित और विविध अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। पर्यटन, कृषि, उद्योग और सेवा जैसे क्षेत्रों का उत्पादन स्तर लगभग एक समान है। 2011 के शुरूआत में मिस्र उस क्रांति का गवाह बना, जिसके द्वारा मिस्र से होस्नी मुबारक नाम के तानाशाह के 30 साल के शासन का खात्मा हुआ। .

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मंगोल

चंगेज़ ख़ान एक पारम्परिक मंगोल घर, जिसे यर्त कहते हैं मंगोल मध्य एशिया और पूर्वी एशिया में रहने वाली एक जाति है, जिसका विश्व इतिहास पर गहरा प्रभाव रहा है। भारतीय उपमहाद्वीप में इस जाति को मुग़ल के नाम से जाना जाता था, जिस से मुग़ल राजवंश का नाम भी पड़ा। आधुनिक युग में मंगोल लोग मंगोलिया, चीन और रूस में वास करते हैं। विश्व भर में लगभग १ करोड़ मंगोल लोग हैं। शुरु-शुरु में यह जाति अर्गुन नदी के पूर्व के इलाकों में रहा करती थी, बाद में वह वाह्य ख़िन्गन पर्वत शृंखला और अल्ताई पर्वत शृंखला के बीच स्थित मंगोलिया पठार के आर-पार फैल गई। मंगोल जाति के लोग ख़ानाबदोशों का जीवन व्यतीत करते थे और शिकार, तीरंदाजी व घुड़सवारी में बहुत कुशल थे। १२वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में इसके मुखिया तेमूचीन ने तमाम मंगोल कबीलों को एक किया। .

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मक्का

*मक्का (शहर)- सउदी अरब पवित्र शहर.

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मुसलमान

मिसरी (ईजिप्ट) मुस्लिमान नमाज़ पढ रहे हैं, एक तस्वीर। मुसलमान (अरबी: مسلم، مسلمة फ़ारसी: مسلمان،, अंग्रेजी: Muslim) का मतलब वह व्यक्ति है जो इस्लाम में विश्वास रखता हो। हालाँकि मुसलमानों के आस्था के अनुसार इस्लाम ईश्वर का धर्म है और धर्म हज़रत मुहम्मद से पहले मौजूद था और जो लोग अल्लाह के धर्म का पालन करते रहे वह मुसलमान हैं। जैसे कुरान के अनुसार हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम भी मुसलमान थे। मगर आजकल मुसलमान का मतलब उसे लिया जाता है जो हज़रत मुहम्मद लाए हुए दीन का पालन करता हो और विश्वास रखता हो। मध्यकालीन मुस्लिम इतिहासकारों ने भारत को हिन्द अथवा हिन्दुस्तान कहा है । .

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मुस्लिम राष्ट्रवाद

मुस्लिम राष्ट्रवाद या अखिल इस्लामवाद (अरबी: الوحدة الإسلامية) एक इस्लामी राज्य या खलीफा या किसी अंतर्राष्ट्रीय संस्था के तहत मुसलमानों की एकता की वकालत करता एक राजनीतिक आंदोलन है। .

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मुहम्मद

हज़रत मुहम्मद (محمد صلی اللہ علیہ و آلہ و سلم) - "मुहम्मद इब्न अब्दुल्लाह इब्न अब्दुल मुत्तलिब" का जन्म सन ५७० ईसवी में हुआ था। इन्होंने इस्लाम धर्म का प्रवर्तन किया। ये इस्लाम के सबसे महान नबी और आख़िरी सन्देशवाहक (अरबी: नबी या रसूल, फ़ारसी: पैग़म्बर) माने जाते हैं जिन को अल्लाह ने फ़रिश्ते जिब्रईल द्वारा क़ुरआन का सन्देश' दिया था। मुसलमान इनके लिये परम आदर भाव रखते हैं। .

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मुहर्रम

मुहर्रम इस्लामी वर्ष यानी हिजरी सन्‌ का पहला महीना है। यह एक मुस्लिम त्यौहार भी है। हिजरी सन्‌ का आगाज इसी महीने से होता है। इस माह को इस्लाम के चार पवित्र महीनों में शुमार किया जाता है। अल्लाह के रसूल हजरत मुहम्मद (सल्ल.) ने इस मास को अल्लाह का महीना कहा है। साथ ही इस मास में रोजा रखने की खास अहमियत बयान की है।मुख्तलिफ हदीसों, यानी हजरत मुहम्मद (सल्ल.) के कौल (कथन) व अमल (कर्म) से मुहर्रम की पवित्रता व इसकी अहमियत का पता चलता है। ऐसे ही हजरत मुहम्मद (सल्ल.) ने एक बार मुहर्रम का जिक्र करते हुए इसे अल्लाह का महीना कहा। इसे जिन चार पवित्र महीनों में रखा गया है, उनमें से दो महीने मुहर्रम से पहले आते हैं। यह दो मास हैं जीकादा व जिलहिज्ज।एक हदीस के अनुसार अल्लाह के रसूल हजरत मुहम्मद (सल्ल.) ने कहा कि रमजान के अलावा सबसे उत्तम रोजे वे हैं, जो अल्लाह के महीने यानी मुहर्रम में रखे जाते हैं। यह कहते समय नबी-ए-करीम हजरत मुहम्मद (सल्ल.) ने एक बात और जोड़ी कि जिस तरह अनिवार्य नमाजों के बाद सबसे अहम नमाज तहज्जुद की है, उसी तरह रमजान के रोजों के बाद सबसे उत्तम रोजे मुहर्रम के हैं। इस्लामी यानी हिजरी सन्‌ का पहला महीना मुहर्रम है। इत्तिफाक की बात है कि आज मुहर्रम का यह पहलू आमजन की नजरों से ओझल है और इस माह में अल्लाह की इबादत करनी चाहीये जबकि पैगंबरे-इस्लाम (सल्ल.) ने इस माह में खूब रोजे रखे और अपने साथियों का ध्यान भी इस तरफ आकर्षित किया। इस बारे में कई प्रामाणिक हदीसें मौजूद हैं। मुहर्रम की 9 तारीख को जाने वाली इबादतों का भी बड़ा सवाब बताया गया है। हजरत मुहम्मद (सल्ल.) के साथी इब्ने अब्बास के मुताबिक हजरत मुहम्मद (सल्ल.) ने कहा कि जिसने मुहर्रम की 9 तारीख का रोजा रखा, उसके दो साल के गुनाह माफ हो जाते हैं तथा मुहर्रम के एक रोजे का सवाब (फल) 30 रोजों के बराबर मिलता है। गोया यह कि मुहर्रम के महीने में खूब रोजे रखे जाने चाहिए। यह रोजे अनिवार्य यानी जरूरी नहीं हैं, लेकिन मुहर्रम के रोजों का बहुत सवाब है। अलबत्ता यह जरूर कहा जाता है कि इस दिन अल्लाह के नबी हजरत नूह (अ.) की किश्ती को किनारा मिला था। इसके साथ ही आशूरे के दिन यानी 10 मुहर्रम को एक ऐसी घटना हुई थी, जिसका विश्व इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान है। इराक स्थित कर्बला में हुई यह घटना दरअसल सत्य के लिए जान न्योछावर कर देने की जिंदा मिसाल है। इस घटना में हजरत मुहम्मद (सल्ल.) के नवासे (नाती) हजरत हुसैन को शहीद कर दिया गया था। कर्बला की घटना अपने आप में बड़ी विभत्स और निंदनीय है। बुजुर्ग कहते हैं कि इसे याद करते हुए भी हमें हजरत मुहम्मद (सल्ल.) का तरीका अपनाना चाहिए। जबकि आज आमजन को दीन की जानकारी न के बराबर है। अल्लाह के रसूल वाले तरीकोंसे लोग वाकिफ नहीं हैं। ऐसे में जरूरत है हजरत मुहम्मद (सल्ल.) की बताई बातों पर गौर करने और उन पर सही ढंग से अमल करने की जरुरत है ! .

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मुग़ल साम्राज्य

मुग़ल साम्राज्य (फ़ारसी:, मुग़ल सलतनत-ए-हिंद; तुर्की: बाबर इम्परातोरलुग़ु), एक इस्लामी तुर्की-मंगोल साम्राज्य था जो 1526 में शुरू हुआ, जिसने 17 वीं शताब्दी के आखिर में और 18 वीं शताब्दी की शुरुआत तक भारतीय उपमहाद्वीप में शासन किया और 19 वीं शताब्दी के मध्य में समाप्त हुआ। मुग़ल सम्राट तुर्क-मंगोल पीढ़ी के तैमूरवंशी थे और इन्होंने अति परिष्कृत मिश्रित हिन्द-फारसी संस्कृति को विकसित किया। 1700 के आसपास, अपनी शक्ति की ऊँचाई पर, इसने भारतीय उपमहाद्वीप के अधिकांश भाग को नियंत्रित किया - इसका विस्तार पूर्व में वर्तमान बंगलादेश से पश्चिम में बलूचिस्तान तक और उत्तर में कश्मीर से दक्षिण में कावेरी घाटी तक था। उस समय 40 लाख किमी² (15 लाख मील²) के क्षेत्र पर फैले इस साम्राज्य की जनसंख्या का अनुमान 11 और 13 करोड़ के बीच लगाया गया था। 1725 के बाद इसकी शक्ति में तेज़ी से गिरावट आई। उत्तराधिकार के कलह, कृषि संकट की वजह से स्थानीय विद्रोह, धार्मिक असहिष्णुता का उत्कर्ष और ब्रिटिश उपनिवेशवाद से कमजोर हुए साम्राज्य का अंतिम सम्राट बहादुर ज़फ़र शाह था, जिसका शासन दिल्ली शहर तक सीमित रह गया था। अंग्रेजों ने उसे कैद में रखा और 1857 के भारतीय विद्रोह के बाद ब्रिटिश द्वारा म्यानमार निर्वासित कर दिया। 1556 में, जलालुद्दीन मोहम्मद अकबर, जो महान अकबर के नाम से प्रसिद्ध हुआ, के पदग्रहण के साथ इस साम्राज्य का उत्कृष्ट काल शुरू हुआ और सम्राट औरंगज़ेब के निधन के साथ समाप्त हुआ, हालाँकि यह साम्राज्य और 150 साल तक चला। इस समय के दौरान, विभिन्न क्षेत्रों को जोड़ने में एक उच्च केंद्रीकृत प्रशासन निर्मित किया गया था। मुग़लों के सभी महत्वपूर्ण स्मारक, उनके ज्यादातर दृश्य विरासत, इस अवधि के हैं। .

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मुआविया प्रथम

मुआविया प्रथम; Muawiyah I: (602-680 ईस्वी)रशीदुन ख़िलाफत में तीसरे ख़लीफा उस्मान बिन अफ्फान के भतीजे थे ख़िलाफते राशिदा में ख़लीफा हज़रत उमर रज़ी० से हज़रत अली रज़ी० तक सीरिया के गवर्नर बने रहे। इन्होनें उमय्यद वंश या उमय्यद खिलाफत की स्थापना की थी। .

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मूसा

मूसा (अंग्रेज़ी: Moses मोसिस, इब्रानी: מֹשֶׁה मोशे) यहूदी,इस्लाम और ईसाईधर्मों में एक प्रमुख नबी (ईश्वरीय सन्देशवाहक) माने जाते हैं। ख़ास तौर पर वो यहूदी धर्म के संस्थापक और इस्लाम धर्म के पैग़म्बर माने जाते हैं। कुरान और बाइबल में हज़रत मूसा की कहानी दी गयी है, जिसके मुताबिक मिस्र के फ़राओ के ज़माने में जन्मे मूसा यहूदी माता-पिता के की औलाद थे पर मौत के डर से उनको उनकी माँ ने नील नदी में बहा दिया। उनको फिर फ़राओ की पत्नी ने पाला और मूसा एक मिस्री राजकुमार बने। बाद में मूसा को मालूम हुआ कि वो यहूदी हैं और उनका यहूदी राष्ट्र (जिसको फरओ ने ग़ुलाम बना लिया था) अत्याचार सह रहा है। मूसा का एक पहाड़ पर परमेश्वर से साक्षात्कार हुआ और परमेश्वर की मदद से उन्होंने फ़राओ को हराकर यहूदियों को आज़ाद कराया और मिस्र से एक नयी भूमि इस्राइल पहुँचाया। इसके बाद मूसा ने इस्राइल को ईश्वर द्वारा मिले "दस आदेश" दिये जो आज भी यहूदी धर्म का प्रमुख स्तम्भ है। .

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मोइनुद्दीन चिश्ती

ख़्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिष्ती: भारत के सूफी संत हैं। जिन की मज़ार अजमेर शहर में है। यह माना जाता है कि मोइनुद्दीन चिश्ती का जन्म ५३६ हिज़री संवत् अर्थात ११४१ ई॰ पूर्व पर्षिया के सीस्तान क्षेत्र में हुआ। अन्य खाते के अनुसार उनका जन्म ईरान के इस्फ़हान नगर में हुआ। इन को हज़्रत ख्वाजा गरीब नवाज़ के नाम से भी पुकारा जाता है। ग़रीब नवाज़ इन को लोगों से दिया गया लक़ब है। .

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यहूदी

यहूदी जाति 'यहूदी' का मौलिक अर्थ है- येरूशलेम के आसपास के 'यूदा' नामक प्रदेशें का निवासी। यह प्रदेश याकूब के पुत्र यूदा के वंश को मिला था। बाइबिल में 'यहूदी' के निम्नलिखित अर्थ मिलते हैं- याकूब का पुत्र यहूदा, उनका वंश, उनकर प्रदेश, कई अन्य व्यक्तियों के नाम। यूदा प्रदेश (Kingdom of Juda) के निवासी प्राचीन इजरायल के मुख्य ऐतिहासिक प्रतिनिधि बन गए थे, इस कारण समस्त इजरायली जाति के लिये यहूदी शब्द का प्रयोग होने लगा। इस जाति का मूल पुरूष अब्राहम थे, अत: वे 'इब्रानी' भी कहलाते हैं। याकूब का दूसरा नाम था इजरायल, इस कारण 'इब्रानी' और 'यहूदी' के अतिरक्ति उन्हें 'इजरायली' भी कहा जाता है। यहूदी धर्म को मानने वालों को यहूदी (en:Jew) कहा जाता है। यहूदियों का निवास स्थान पारंपरिक रूप से पश्चिम एशिया में आज के इसरायल को माना जाता है जिसका जन्म १९४७ के बाद हुआ। मध्यकाल में ये यूरोप के कई क्षेत्रों में रहने लगे जहाँ से उन्हें उन्नीसवीं सदी में निर्वासन झेलना पड़ा और धीरे-धीरे विस्थापित होकर वे आज मुख्यतः इसरायल तथा अमेरिका में रहते हैं। इसरायल को छोड़कर सभी देशों में वे एक अल्पसंख्यक समुदाय के रूप में रहते हैं। इन्का मुख्य काम व्यापार है। यहूदी धर्म को इसाई और इस्लाम धर्म का पूर्ववर्ती कहा जा सकता है। इन तीनों धर्मों को संयुक्त रूप से 'इब्राहिमी धर्म' भी कहते हैं। अल्लाह ने यहूदियों के बारे में पवित्र कुरान में कहा "ऐ बनी इसराइल मेरी उन नेअमतों को याद करो जो मैंने पहले तुम्हें दी और ये (भी तो सोचो) कि हमने तुमको सारे जहाँन के लोगों से बढ़ा दिया" (Sura 2-47) "और अपनी क़ौम से उन लोगों की हालत तो तुम बखू़बी जानते हो जो शम्बे (सनीचर) के दिन अपनी हद से गुज़र गए (कि बावजूद मुमानिअत शिकार खेलने निकले) तो हमने उन से कहा कि तुम राइन्दे गए बन्दर बन जाओ (और वह बन्दर हो गए)" (Sura2-65) "फिर तुममें से थोड़े आदमियों के सिवा (सब के सब) फिर गए और तुम लोग हो ही इक़रार से मुँह फेरने वाले.और (वह वक़्त याद करो) जब हमने तुम (तुम्हारे बुजुर्गों) से अहद लिया था कि आपस में खू़रेजि़याँ न करना और न अपने लोगों को शहर बदर करना तो तुम (तुम्हारे बुजुर्गों) ने इक़रार किया था और तुम भी उसकी गवाही देते हो .(कि हाँ ऐसा हुआ था) फिर वही लोग तो तुम हो कि आपस में एक दूसरे को क़त्ल करते हो और अपनों से एक जत्थे के नाहक़ और ज़बरदस्ती हिमायती बनकर दूसरे को शहर बदर करते हो (और लुत्फ़ तो ये हैं कि) अगर वही लोग क़ैदी बनकर तम्हारे पास (मदद माँगने) आए तो उनको तावान देकर छुड़ा लेते हो हालाँकि उनका निकालना ही तुम पर हराम किया गया था तो फिर क्या तुम (किताबे खु़दा की) बाज़ बातों पर ईमान रखते हो और बाज़ से इन्कार करते हो बस तुम में से जो लोग ऐसा करें उनकी सज़ा इसके सिवा और कुछ नहीं कि जि़न्दगी भर की रूसवाई हो और (आखि़रकार) क़यामत के दिन सख़्त अज़ाब की तरफ लौटा दिये जाए और जो कुछ तुम लोग करते हो खु़दा उससे ग़ाफि़ल नहीं है" (Sura 2-83,84,85) "और तुम्हारे पास मूसा तो वाज़ेए व रौशन मौजिज़े लेकर आ ही चुके थे फिर भी तुमने उनके बाद बछड़े को खु़दा बना ही लिया और उससे तुम अपने ही ऊपर ज़ुल्म करने वाले थे"(Sura2-92) "बनी इसराईल मेरी उन नेअमतों को याद करो जो मैंनं तुम को दी हैं और ये कि मैंने तुमको सारे जहाँन पर फज़ीलत दी " (Sura 2-122) "बेशक हम ने तौरेत नाजि़ल की जिसमें (लोगों की) हिदायत और नूर (ईमान) है उसी के मुताबिक़ ख़ुदा के फ़रमाबरदार बन्दे (अम्बियाए बनी इसराईल) यहूदियों को हुक्म देते रहे और अल्लाह वाले और उलेमाए (यहूद) भी किताबे ख़ुदा से (हुक्म देते थे) जिसके वह मुहाफि़ज़ बनाए गए थे और वह उसके गवाह भी थे बस (ऐ मुसलमानों) तुम लोगों से (ज़रा भी) न डरो (बल्कि) मुझ ही से डरो और मेरी आयतों के बदले में (दुनिया की दौलत जो दर हक़ीक़त बहुत थोड़ी क़ीमत है) न लो और (समझ लो कि) जो ख़्स ख़ुदा की नाजि़ल की हुयी (किताब) के मुताबिक़ हुक्म न दे तो ऐसे ही लोग काफि़र हैं" (Sura 5-44) "(ऐ रसूल) तुम कह दो कि मैं तुम्हें ख़ुदा के नज़दीक सज़ा में इससे कहीं बदतर ऐब बता दॅू (अच्छा लो सुनो) जिसपर ख़ुदा ने लानत की हो और उस पर ग़ज़ब ढाया हो और उनमें से किसी को (मसख़ करके) बन्दर और (किसी को) सूअर बना दिया हो और (ख़ुदा को छोड़कर) शैतान की परस्तिश की हो बस ये लोग दरजे में कहीं बदतर और राहे रास्त से भटक के सबसे ज़्यादा दूर जा पहँचे हैं " (Sura 5-60) "यहूद तो कहते हैं कि अज़ीज़ ख़़ुदा के बेटे हैं और नुसैरा कहते हैं कि मसीहा (ईसा) ख़़ुदा के बेटे हैं ये तो उनकी बात है और (वह ख़ुद) उन्हीं के मुँह से ये लोग भी उन्हीं काफि़रों की सी बातें बनाने लगे जो उनसे पहले गुज़र चुके हैं ख़़ुद उनको क़त्ल (तहस नहस) करके (देखो तो) कहाँ से कहाँ भटके जा रहे हैं" (Sura 9-30) "ऐ बनी इसराइल हमने तुमको तुम्हारे दुश्मन (के पंजे) से छुड़ाया और तुम से (कोहेतूर) के दाहिने तरफ का वायदा किया और हम ही ने तुम पर मन व सलवा नाजि़ल किया.और (फ़रमाया) कि हमने जो पाक व पाक़ीज़ा रोज़ी तुम्हें दे रखी है उसमें से खाओ (पियो) और उसमें (किसी कि़स्म की) शरारत न करो वरना तुम पर मेरा अज़ाब नाजि़ल हो जाएगा और (याद रखो कि) जिस पर मेरा ग़ज़ब नाजि़ल हुआ तो वह यक़ीनन गुमराह (हलाक) हुआ " (Sura 20-80,81) "और हमने बनी इसराईल को किताब (तौरेत) और हुकूमत और नबूवत अता की और उन्हें उम्दा उम्दा चीज़ें खाने को दीं और उनको सारे जहाँन पर फ़ज़ीलत दी.और उनको दीन की खुली हुई दलीलें इनायत की तो उन लोगों ने इल्म आ चुकने के बाद बस आपस की जि़द में एक दूसरे से एख़्तेलाफ़ किया कि ये लोग जिन बातों से एख़्तेलाफ़ कर रहें हैं क़यामत के दिन तुम्हारा परवरदिगार उनमें फैसला कर देगा" (Sura 45-16,17) .

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यहूदी धर्म

यहूदी धर्म इस्राइल और हिब्रू भाषियों का राजधर्म है और इसका पवित्र ग्रंथ तनख़ बाईबल का प्राचीन भाग माना जाता है। धार्मिक पैग़म्बरी मान्यता मानने वाले धर्म इस्लाम और ईसाई धर्म का आधार इसी परम्परा और विचारधारा को माना जाता है। इस धर्म में एकेश्वरवाद और ईश्वर के दूत यानि पैग़म्बर की मान्यता प्रधान है। अपने लिखित इतिहास की वजह से ये कम से कम ३००० साल पुराना माना जाता है। यहूदी धर्म को माननेवाले विश्व में करीब १.४३ करोड़ है, जो विश्व की जनसंख्या में ०.2% है। .

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यौम अल-क़ियामा

यौम अल-क़ियामा या यौम अद-दीन: (अरबी: یوم القیامۃ) इस्लाम में छ: विश्वासों में आखरी पुनर्जीवन का दिन है, इसी को योम अल-क़ियामा (यौम.

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यूरोप

यूरोप पृथ्वी पर स्थित सात महाद्वीपों में से एक महाद्वीप है। यूरोप, एशिया से पूरी तरह जुड़ा हुआ है। यूरोप और एशिया वस्तुतः यूरेशिया के खण्ड हैं और यूरोप यूरेशिया का सबसे पश्चिमी प्रायद्वीपीय खंड है। एशिया से यूरोप का विभाजन इसके पूर्व में स्थित यूराल पर्वत के जल विभाजक जैसे यूराल नदी, कैस्पियन सागर, कॉकस पर्वत शृंखला और दक्षिण पश्चिम में स्थित काले सागर के द्वारा होता है। यूरोप के उत्तर में आर्कटिक महासागर और अन्य जल निकाय, पश्चिम में अटलांटिक महासागर, दक्षिण में भूमध्य सागर और दक्षिण पश्चिम में काला सागर और इससे जुड़े जलमार्ग स्थित हैं। इस सबके बावजूद यूरोप की सीमायें बहुत हद तक काल्पनिक हैं और इसे एक महाद्वीप की संज्ञा देना भौगोलिक आधार पर कम, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक आधार पर अधिक है। ब्रिटेन, आयरलैंड और आइसलैंड जैसे देश एक द्वीप होते हुए भी यूरोप का हिस्सा हैं, पर ग्रीनलैंड उत्तरी अमरीका का हिस्सा है। रूस सांस्कृतिक दृष्टिकोण से यूरोप में ही माना जाता है, हालाँकि इसका सारा साइबेरियाई इलाका एशिया का हिस्सा है। आज ज़्यादातर यूरोपीय देशों के लोग दुनिया के सबसे ऊँचे जीवनस्तर का आनन्द लेते हैं। यूरोप पृष्ठ क्षेत्रफल के आधार पर विश्व का दूसरा सबसे छोटा महाद्वीप है, इसका क्षेत्रफल के १०,१८०,००० वर्ग किलोमीटर (३,९३०,००० वर्ग मील) है जो पृथ्वी की सतह का २% और इसके भूमि क्षेत्र का लगभग ६.८% है। यूरोप के ५० देशों में, रूस क्षेत्रफल और आबादी दोनों में ही सबसे बड़ा है, जबकि वैटिकन नगर सबसे छोटा देश है। जनसंख्या के हिसाब से यूरोप एशिया और अफ्रीका के बाद तीसरा सबसे अधिक आबादी वाला महाद्वीप है, ७३.१ करोड़ की जनसंख्या के साथ यह विश्व की जनसंख्या में लगभग ११% का योगदान करता है, तथापि, संयुक्त राष्ट्र के अनुसार (मध्यम अनुमान), २०५० तक विश्व जनसंख्या में यूरोप का योगदान घटकर ७% पर आ सकता है। १९०० में, विश्व की जनसंख्या में यूरोप का हिस्सा लगभग 25% था। पुरातन काल में यूरोप, विशेष रूप से यूनान पश्चिमी संस्कृति का जन्मस्थान है। मध्य काल में इसी ने ईसाईयत का पोषण किया है। यूरोप ने १६ वीं सदी के बाद से वैश्विक मामलों में एक प्रमुख भूमिका अदा की है, विशेष रूप से उपनिवेशवाद की शुरुआत के बाद.

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रमज़ान

रमज़ान या रमदान (उर्दू - अरबी - फ़ारसी: رمضان) इस्लामी कैलेण्डर का नवां महीना है। मुस्लिम समुदाय इस महीने को परम पवित्र मानता है।; इस मास की विशेषताएं.

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शरीयत

शरीयत (अरबी: شريعة‎), जिसे शरीया क़ानून और इस्लामी क़ानून भी कहा जाता है, इस्लाम में धार्मिक क़ानून का नाम है। इस क़ानून की परिभाषा दो स्रोतों से होती है। पहली इस्लाम का धर्मग्रन्थ क़ुरआन है और दूसरा इस्लाम के पैग़म्बर मुहम्मद द्वारा दी गई मिसालें हैं (जिन्हें सुन्नाह कहा जाता है)। इस्लामी क़ानून को बनाने के लिए इन दो स्रोतों को ध्यान से देखकर नियम बनाए जाते हैं। इस क़ानून बनाने की प्रक्रिया को 'फ़िक़्ह' (fiqh) कहा जाता है। शरीयत में बहुत से विषयों पर मत है, जैसे कि स्वास्थ्य, खानपान, पूजा विधि, व्रत विधि, विवाह, जुर्म, राजनीति, अर्थव्यवस्था इत्यादि।। स्टॅण्डके कॉरिना। GRIN Verlag, २००८, ISBN 978-3-640-14967-4 मुसलमान यह तो मानते हैं कि शरीयत परमात्मा का क़ानून है लेकिन उनमें इस बात को लेकर बहुत अंतर है कि यह क़ानून कैसे परिभाषित और लागू होना चाहिए। सुन्नी समुदाय में चार भिन्न फ़िक़्ह के नज़रिए हैं और शिया समुदाय में दो। अलग देशों, समुदायों और संस्कृतियों में भी शरीयत को अलग-अलग ढंगों से समझा जाता है। शरीयत के अनुसार न्याय करने वाले पारम्परिक न्यायाधीशों को 'क़ाज़ी' कहा जाता है। कुछ स्थानों पर 'इमाम' भी न्यायाधीशों का काम करते हैं लेकिन अन्य जगहों पर उनका काम केवल अध्ययन करना-कराना और धार्मिक नेता होना है।|Lulu.com| ISBN 978-2-9527158-4-3,...

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शहादा

शहादा (الشهادة "गवाही देना"; और भी अश-शहादतन (الشَهادَتانْ, "दो गवाहियाँ, एक इस्लामी बुनियादी प्रथा है, इस बात का एलान करना कि अल्लाह (ईश्वर) एक है और मुहम्मद अल्लाह (ईश्वर) के भेजे गए प्रेषित (पैगम्बर) हैं. यह एलान सूक्ष्म रूप से इस तरह है: हर मुसलमान इस बात को प्रकट करता है कि "अल्लाह एक है, और मुहम्मद, अल्लाह के रसूल हैं", यही विशवास का मूल धातू और स्तंभ है। .

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शिया इस्लाम

अरबी लिपि में लिखा शब्द-युग्म "मुहम्मद अली" इस शिया विश्वास को दिखाता है कि मुहम्मद और अली में निष्ठा दिखाना एक समान ही है। इसको उलटा घुमा देने पर यह "अली मुहम्मद" बन जाता है। शिया एक मुसलमान सम्प्रदाय है। सुन्नी सम्प्रदाय के बाद यह इस्लाम का दूसरा सबसे बड़ा सम्प्रदाय है जो पूरी मुस्लिम आबादी का केवल १५% है। सन् ६३२ में हजरत मुहम्मद की मृत्यु के पश्चात जिन लोगों ने अपनी भावना से हज़रत अली को अपना इमाम (धर्मगुरु) और ख़लीफा (नेता) चुना वो लोग शियाने अली (अली की टोली वाले) कहलाए जो आज शिया कहलाते हैं। लेकिन बहोत से सुन्नी इन्हें "शिया" या "शियाने अली" नहीं बल्कि "राफज़ी" (अस्वीकृत लोग) नाम से बुलाते हैं ! इस धार्मिक विचारधारा के अनुसार हज़रत अली, जो मुहम्मद साहब के चचेरे भाई और दामाद दोनों थे, ही हजरत मुहम्मद साहब के असली उत्तराधिकारी थे और उन्हें ही पहला ख़लीफ़ा (राजनैतिक प्रमुख) बनना चाहिए था। यद्यपि ऐसा हुआ नहीं और उनको तीन और लोगों के बाद ख़लीफ़ा, यानि प्रधान नेता, बनाया गया। अली और उनके बाद उनके वंशजों को इस्लाम का प्रमुख बनना चाहिए था, ऐसा विशवास रखने वाले शिया हैं। सुन्नी मुसलमान मानते हैं कि हज़रत अली सहित पहले चार खलीफ़ा (अबु बक़र, उमर, उस्मान तथा हज़रत अली) सतपथी (राशिदुन) थे जबकि शिया मुसलमानों का मानना है कि पहले तीन खलीफ़ा इस्लाम के गैर-वाजिब प्रधान थे और वे हज़रत अली से ही इमामों की गिनती आरंभ करते हैं और इस गिनती में ख़लीफ़ा शब्द का प्रयोग नहीं करते। सुन्नी मुस्लिम अली को (चौथा) ख़लीफ़ा भी मानते है और उनके पुत्र हुसैन को मरवाने वाले ख़लीफ़ा याजिद को कई जगहों पर पथभ्रष्ट मुस्लिम कहते हैं। इस सम्प्रदाय के अनुयायियों का बहुमत मुख्य रूप से इरान,इराक़,बहरीन और अज़रबैजान में रहते हैं। इसके अलावा सीरिया, कुवैत, तुर्की, अफ़ग़ानिस्तान, पाकिस्तान, ओमान, यमन तथा भारत में भी शिया आबादी एक प्रमुख अल्पसंख्यक के रूप में है। शिया इस्लाम के विश्वास के तीन उपखंड हैं - बारहवारी, इस्माइली और ज़ैदी। एक मशहूर हदीस मन्कुनतो मौला फ़ हा जा अली उन मौला, जो मुहम्मद साहब ने गदीर नामक जगह पर अपने आखरी हज पर खुत्बा दिया था, में स्पष्ट कह दिया था कि मुसलमान समुदाय को समुदाय अली के कहे का अनुसरण करना है। .

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सफ़वी वंश

सफ़वी वंश ईरान का एक राजवंश जिन्होने 1502 - 1730 तक राज किया। इस वंश के शासनकाल में पहली बार शिया इस्लाम राजधर्म के रूप में स्थापित हुआ। इसका पतन अफ़गानों के विद्रोहों और उस्मानी साम्राज्य के आक्रमणों के कारण 1720 में हुआ। मुग़ल बादशाह बाबर के भारत में प्रवेश करने से पहले बाबर को मध्य एशियाई सैन्य अभियानों में सफ़वियों ने बहुत मदद की और अपने सहायक के रूप में देखा। अज़ेरी या कुर्द मूल के माने गए सफ़वी वंश के शासकों ने ईरान को मुख्य रूप से शिया बनाया जो आधुनिक ईरान की पहचान है। आरंभिक तीन सुन्नी ख़लीफ़ाओं (अबू बकर, उमर और उस्मान) को गाली देने की परंपरा भी इन्हीं लोगों ने शुरु की। इस्माईल और अब्बास के शासन काल में साम्राज्य विस्तृत और मजबूत हुआ। .

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सलाउद्दीन

सलाउद्दीन: अंग्रेजी An-Nasir Salah ad-Din Yusuf ibn Ayyub (अरबी सलाउद्दीन युसुफ इब्न अय्युब) जन्म: 1138, निधन 4 मार्च 1193 बारहवीं शताब्दी का एक कुर्द मुस्लिम योद्धा था, जो समकालीन उतरी इराक का रहने वाला था।उस समय के देश (शाम) सीरिया और मिस्त्र का शासक था सीरिया और मिस्त्र के सुल्तान नुरुद्दीन जंगी की मृत्यु के बाद उसके दो भाई शासन करने लगे,लेकिन जब एक के बाद दोनों भाइयो की मृत्यु हो गई तो अब नुरुद्दीन जंगी का सबसे बफादार और करीबी सलाउद्दीन को शासक बनाया गया। सलाउद्दीन ने ११८७ में जब येरुशलम पर विजय प्राप्त करी तो पोप के आह्वाहन पर इंग्लैंड का बादशाह रिचर्ड दा लाइन हार्ट (Richard the Lionheart) फ्रांस का बादशाह और जर्मनी का बादशाह फेडरिक (Frederick Barbarossa) की सेना ने हमला किया लेकिन सलुद्दीन ने अलग अलग युध्दो में फेडरिक की सेनाओ को पराजित किया। वह जितना बड़ा योद्धा था, उतना ही बड़ा और कुशल शासक था।इसके साथ ही न्यायप्रिय और रहम दिल भी था।यही कारण है कि यूरोप के इतिहासकार भी उसके सम्मान और महानता में प्रसंशा करते है।एक बार जब इंग्लैंड के शासक रिचर्ड ने मुसलमानों से अकरा का किला जीत लिया और मुस्लिम सेना ने किले को घेर लिया और युद्ध आरंभ हो गया,उसी समय रिचर्ड बीमार पड़ गया और कोई अच्छा हकीम (वेध)नहीं मिल रहा था,तब सलाउद्दीन ने अपना हकीम को दवाइयों के साथ रिचर्ड के पास भेजा और उसका इलाज करवाया। इस्लामी इतिहासकार तो यह तक कह देते हैं कि इस्लामी रशीदुन खलीफाओँ के बाद इतना कुशल शासक चरित्रवान और योद्धा कोई नहीं हूआ। बारहवीं सदी के अंत में उसके अभियानों के बाद ईसाई-मुस्लिम द्वंद्व में एक निर्णायक मोड़ आया और जेरुशलम के आसपास कब्जा करने आए यूरोपी ईसाईयों का सफाया हो गया। क्रूसेड युध्दो में ईसाईयों को हराने के बावजूद उसकी यूरोप में छवि एक कुशल योद्धा तथा विनम्र सैनिक की तरह है। सन् १८९८ में जर्मनी के राजा विलहेल्म द्वितीय ने सलाउद्दीन की कब्र को सजाने के लिए पैसे भी दिए थे। उसकी मृत्यु के समय उसके पास कुछ दिरहम मात्र ही थे,क्योंकि वह अपनी आय को लोगो की भलाई के लिए खर्च कर देता था। उसकी मृत्यु के समय क्रिया-कर्म भी उसके मित्रो ने मिलके करबाया। सलाउद्दीन की प्रसिद्धी इस बात से की जा सकती है कि फिलिस्तीन में बच्चे उसके शोर्य का गान करते हूए कहते हैं - " नाह नू उल मुसलमीन,कुल्लू नस सलाउद्दीन" इसका अर्थ है कि हम मुसलमानों के बेटे है और हममे सब सलाउद्दीन है। .

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सहाबा

अल्लाह के नबी जो कि मोहम्मद घोषित है इस्लाम की मूल आस्था के एनिमेटेड अरबी रूप है। सहाबा या अस-सहाबा (अरबी:, अंग्रेज़ी: As Sahabah) इस्लाम की सर्वोच्च धार्मिक हस्ती पैग़म्बर मुहम्मद के साथियों, शिष्यों, लेखकों और परिवारजनों का नाम है जिन्होनें उनके जीवनकाल में उनका साथ दिया। अरबी भाषा में 'साहब' का अर्थ 'साथी' या 'सहयोगी' होता है और इसका बहुवचन शब्द 'सहाबा' है। .

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सासानी साम्राज्य

सासानी साम्राज्य (गहरा हरा रंग); मध्यम हरे रंग में दिखाया गया क्षेत्र में पूर्वी रोमनों से युद्धरत सासानी (तीसरी सदी - 648) ईरान के इतिहास में सबसे प्रभावशाली शासकों में से एक हैं। इनका स्थान ईरान में हख़ामनी वंश के बाद सबसे सशक्त शासक वंशों में गिना जाता है। इनका उदय ईरान के दक्षिण में फ़ार्स में हुआ था - ये वही राज्य है जिसे हख़ामनी शासकों का मूल स्थान माना जाता है। अप्रैल 224 में एक अर्सासिद परिवार के लोग सशक्त हो गए। पर उनको क़ुज़ेस्तान में लड़े एक युद्ध में हरा कर अर्दाशिर नाम के एक व्यक्ति ने अपनी प्रभुता स्थापित की। उन्होंने अपने को हख़ामनी वंश (एकेमेनिड) के मूल का बताया। इसके बाद बने वंश को सासानी कहते हैं क्योंकि उनका पूर्ववर्ती सासान था। .

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सुन्नी इस्लाम

सुन्नी मुस्लिम इस्लाम के सबसे बड़े सम्प्रदाय सुन्नी इस्लाम को मानने वाले मुस्लिम हैं। सुन्नी इस्लाम को अहले सुन्नत व'ल जमाअत (अरबी: أهل السنة والجماعة‎ "(मुहम्म्द के) आदर्श लोग और समुदाय") या संक्षिप्त में अहल अस- सुन्नाह (अरबी: أهل السنة‎) भी कहते हैं। सुन्नी शब्द अरबी के सुन्नाह (अरबी: سنة) से आया है, जिसका अर्थ (पैगम्बर मोहम्मद) की बातें और कर्म या उनके आदर्श है। सामान्य अर्थों में सुन्नी -पवित्र ईशसन्देश्टा मुहम्मद स० के निधन के पश्चात जिन लोगों ने मुहम्मद स० द्वारा बताये गये नियमों का पालन किया सुन्नी कहलाऐ। सुन्नी दुनिया में 80% हैं ये आंकड़ा 5 गिरोह को मिलाकर बनता हैं।.

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सौम

सौम (صوم) और बहुवचन सियाम (صيام) अरबी भाषा के शब्द हैं। उपवास को अरबी में "सौम" कहते हैं। रमज़ान के पवित्र माह में रखे जाने वाले उपवास ही "सौम" हैं। उर्दू और फ़ारसी भाषा में सौम को "रोज़ा" कहते हैं। इस्लाम के पाँच मूलस्थंबों में से एक सौम है। .

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सूफ़ीवाद

सूफ़ीवाद या तसव्वुफ़ इस्लाम का एक रहस्यवादी पंथ है। इसके पंथियों को सूफ़ी(सूफ़ी संत) कहते हैं। इनका लक्ष्य आध्यात्मिक प्रगति एवं मानवता की सेवा रहा है। सूफ़ी राजाओं से दान-उपहार स्वीकार नहीं करते थे और सादा जीवन बिताना पसन्द करते थे। इनके कई तरीक़े या घराने हैं जिनमें सोहरावर्दी (सुहरवर्दी), नक्शवंदिया, कादिरी, चिष्तिया, कलंदरिया और शुस्तरिया के नाम प्रमुखता से लिया जाता है। माना जाता है कि सूफ़ीवाद ईराक़ के बसरा नगर में क़रीब एक हज़ार साल पहले जन्मा। राबिया, अल अदहम, मंसूर हल्लाज जैसे शख़्सियतों को इनका प्रणेता कहा जाता है - ये अपने समकालीनों के आदर्श थे लेकिन इनको अपने जीवनकाल में आम जनता की अवहेलना और तिरस्कार झेलनी पड़ी। सूफ़ियों को पहचान अल ग़ज़ाली के समय (सन् ११००) से ही मिली। बाद में अत्तार, रूमी और हाफ़िज़ जैसे कवि इस श्रेणी में गिने जाते हैं, इन सबों ने शायरी को तसव्वुफ़ का माध्यम बनाया। भारत में इसके पहुंचने की सही-सही समयावधि के बारे में आधिकारिक रूप से कुछ नहीं कहा जा सकता लेकिन बारहवीं-तेरहवीं शताब्दी में ख़्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती बाक़ायदा सूफ़ीवाद के प्रचार-प्रसार में जुट गए थे। .

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हनफ़ी पन्थ

हनफ़ी (अरबी الحنفي) सुन्नी इस्लाम के चार पन्थों में से सबसे पुराना और सबसे ज़्यादा अनुयायियों वाला पन्थ है। अबु खलीफ़ा, तुर्क साम्राज्य और मुगल साम्राज्य के शासक हनाफी पन्थ के अनुयायी थे। आज हनाफी स्कूल लिवैन्ट, इराक, अफ़गानिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश, भारत, चीन, मारीशस, तुर्की, अल्बानिया, मैसेडोनिया में बाल्कन में प्रमुख है। .

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हिन्दू धर्म

हिन्दू धर्म (संस्कृत: सनातन धर्म) एक धर्म (या, जीवन पद्धति) है जिसके अनुयायी अधिकांशतः भारत,नेपाल और मॉरिशस में बहुमत में हैं। इसे विश्व का प्राचीनतम धर्म कहा जाता है। इसे 'वैदिक सनातन वर्णाश्रम धर्म' भी कहते हैं जिसका अर्थ है कि इसकी उत्पत्ति मानव की उत्पत्ति से भी पहले से है। विद्वान लोग हिन्दू धर्म को भारत की विभिन्न संस्कृतियों एवं परम्पराओं का सम्मिश्रण मानते हैं जिसका कोई संस्थापक नहीं है। यह धर्म अपने अन्दर कई अलग-अलग उपासना पद्धतियाँ, मत, सम्प्रदाय और दर्शन समेटे हुए हैं। अनुयायियों की संख्या के आधार पर ये विश्व का तीसरा सबसे बड़ा धर्म है। संख्या के आधार पर इसके अधिकतर उपासक भारत में हैं और प्रतिशत के आधार पर नेपाल में हैं। हालाँकि इसमें कई देवी-देवताओं की पूजा की जाती है, लेकिन वास्तव में यह एकेश्वरवादी धर्म है। इसे सनातन धर्म अथवा वैदिक धर्म भी कहते हैं। इण्डोनेशिया में इस धर्म का औपचारिक नाम "हिन्दु आगम" है। हिन्दू केवल एक धर्म या सम्प्रदाय ही नहीं है अपितु जीवन जीने की एक पद्धति है। .

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हिजरी

हिजरी या इस्लामी पंचांग को (अरबी: التقويم الهجري; अत-तक्वीम-हिज़री; फारसी: تقویم هجری قمری ‎'तकवीम-ए-हिज़री-ये-क़मरी) जिसे हिजरी कालदर्शक भी कहते हैं, एक चंद्र कालदर्शक है, जो न सिर्फ मुस्लिम देशों में प्रयोग होता है बल्कि इसे पूरे विश्व के मुस्लिम भी इस्लामिक धार्मिक पर्वों को मनाने का सही समय जानने के लिए प्रयोग करते हैं। यह चंद्र-कालदर्शक है, जिसमें वर्ष में बारह मास, एवं 354 या 355 दिवस होते हैं। क्योंकि यह सौर कालदर्शक से 11 दिवस छोटा है इसलिए इस्लामी धार्मिक तिथियाँ, जो कि इस कालदर्शक के अनुसार स्थिर तिथियों पर होतीं हैं, परंतु हर वर्ष पिछले सौर कालदर्शक से 11 दिन पीछे हो जाती हैं। इसे हिज्रा या हिज्री भी कहते हैं, क्योंकि इसका पहला वर्ष वह वर्ष है जिसमें कि हज़रत मुहम्मद की मक्का शहर से मदीना की ओर हिज्ऱत (प्रवास) हुई थी। हर वर्ष के साथ वर्ष संख्या के बाद में H जो हिज्र को संदर्भित करता है या AH (लैटिनः अन्नो हेजिरी (हिज्र के वर्ष में) लगाया जाता है।हिज्र से पहले के कुछ वर्ष (BH) का प्रयोग इस्लामिक इतिहास से संबंधित घटनाओं के संदर्भ मे किया जाता है, जैसे मुहम्म्द साहिब का जन्म लिए 53 BH। वर्तमान हिज्री़ वर्ष है 1430 AH. .

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हज

हज (अरबी: حج हज " तीर्थयात्रा"), एक इस्लामी तीर्थयात्रा और मुस्लिम लोगों का पवित्र शहर मक्का में प्रतिवर्ष होने वाला विश्व का सबसे बड़ा जमावड़ा है। यह इस्लाम के पाँच स्तंभों में से एक है, साथ ही यह एक धार्मिक कर्तव्य है जिसे अपने जीवनकाल में कम से कम एक बार पूरा करना हर उस मुस्लिम चाहे स्त्री हो या पुरुष का कर्तव्य है जो सक्षम शरीर होने के साथ साथ इसका खर्च भी उठा पाने में समर्थ हो। शारीरिक और आर्थिक रूप से हज करने में सक्षम होने की स्थिति को इस्ति'ताह कहा जाता है और वो मुस्लिम है जो इस शर्त को पूरा करता है मुस्ताती कहलाता है। हज मुस्लिम लोगों की एकजुटता का प्रदर्शन होने के साथ साथ उनका अल्लाह (ईश्वर) में विश्वास होने का भी द्योतक है। यह तीर्थयात्रा इस्लामी कैलेंडर के 12 वें और अंतिम महीने धू अल हिज्जाह की 8 वीं से 12 वीं तारीख तक की जाती है। इस्लामी कैलेंडर एक चंद्र कैलेंडर है इसलिए इसमें, पश्चिमी देशों में प्रयोग में आने वाले ग्रेगोरियन कैलेंडर से ग्यारह दिन कम होते हैं, इसीलिए ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार हज की तारीखें साल दर साल बदलती रहती हैं। इहरम वो विशेष आध्यात्मिक स्थिति है जिसमें मुसलमान हज को दौरान रहते हैं। 7 वीं शताब्दी से हज इस्लामी पैगंबर मुहम्मद के जीवन के साथ जुड़ा हुआ है, लेकिन मुसलमान मानते हैं कि मक्का की तीर्थयात्रा की यह रस्म हजारों सालों से यानि कि इब्राहीम के समय से चली आ रही है। तीर्थयात्री उन लाखों लोगों के जुलूस में शामिल होते हैं जो एक साथ हज के सप्ताह में मक्का में जमा होते हैं और यहं पर कई अनुष्ठानों में हिस्सा लेते हैं: प्रत्येक व्यक्ति एक घनाकार इमारत काबा के चारों ओर वामावर्त सात बार चलता है जो कि मुस्लिमों के लिए प्रार्थना की दिशा है, अल सफा और अल मारवाह नामक पहाड़ियों के बीच आगे और पीछे चलता है, ज़मज़म के कुएं से पानी पीता है, चौकसी में खड़ा होने के लिए अराफात पर्वत के मैदानों में जाता है और एक शैतान को पत्थर मारने की रस्म पूरा करने के लिए पत्थर फेंकता है। उसके बाद तीर्थयात्री अपने सर मुंडवाते हैं, पशु बलि की रस्म करते हैं और इसके बाद ईद उल-अधा नामक तीन दिवसीय वैश्विक उत्सव मनाते हैं। .

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हज़रत निज़ामुद्दीन

हजरत निज़ामुद्दीन (حضرت خواجة نظام الدّین اولیا) (1325-1236) चिश्ती घराने के चौथे संत थे। इस सूफी संत ने वैराग्य और सहनशीलता की मिसाल पेश की, कहा जाता है कि 1303 में इनके कहने पर मुगल सेना ने हमला रोक दिया था, इस प्रकार ये सभी धर्मों के लोगों में लोकप्रिय बन गए। हजरत साहब ने 92 वर्ष की आयु में प्राण त्यागे और उसी वर्ष उनके मकबरे का निर्माण आरंभ हो गया, किंतु इसका नवीनीकरण 1562 तक होता रहा। दक्षिणी दिल्ली में स्थित हजरत निज़ामुद्दीन औलिया का मकबरा सूफी काल की एक पवित्र दरगाह है। .

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जलालुद्दीन रूमी

मौलाना मुहम्मद जलालुद्दीन रूमी (३० सितम्बर, १२०७) फारसी साहित्य के महत्वपूर्ण लेखक थे जिन्होंने मसनवी में महत्वपूर्ण योगदान किया। इन्होंने सूफ़ी परंपरा में नर्तक साधुओ (गिर्दानी दरवेशों) की परंपरा का संवर्धन किया। रूमी अफ़ग़ानिस्तान के मूल निवासी थे पर मध्य तुर्की के सल्जूक दरबार में इन्होंने अपना जीवन बिताया और कई महत्वपूर्ण रचनाएँ रचीं। कोन्या (मध्य तुर्की) में ही इनका देहांत हुआ जिसके बाद आपकी कब्र एक मज़ार का रूप लेती गई जहाँ आपकी याद में सालाना आयोजन सैकड़ों सालों से होते आते रहे हैं। रूमी के जीवन में शम्स तबरीज़ी का महत्वपूर्ण स्थान है जिनसे मिलने के बाद इनकी शायरी में मस्ताना रंग भर आया था। इनकी रचनाओं के एक संग्रह (दीवान) को दीवान-ए-शम्स कहते हैं। .

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ज़कात

ज़कात (زكاة. zakāt, "पाक या शुद्धी करने वाला", एवं ज़कात अल-माल زكاة ألمال, "सम्पत्ती पर ज़कात ", या "ज़काह") इस्लाम में एक प्रकार का "दान देना" है, जिसको धार्मिक रूप से ज़रूरी और कर के रूप में देखा और माना जाता है। कुरआन के अनुसार सलात या नमाज़ के बाद ज़कात ही का मक़ाम है.

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ईद

ईद: (अरबी और उर्दू: عید) यह शब्द अरबी है, उर्दू और फ़ारसी में भी ईद शब्द का ही उपयोग होता है। ईद का अर्थ हिन्दी में "पर्व" या "त्योहार" के हैं। ईद शब्द का अर्थ अरबी, उर्दू और फ़ारसी में "खुशी" या "हर्शोल्लास" के लिये जासक्ते हैं। इस्लामी धर्म मुस्ल्लिम संस्कृती में अनेक पर्व या ईद हैं। वह ये हैं।.

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ईद-उल-अज़हा

ईद-उल-जुहा (बकरीद) (अरबी में عید الاضحیٰ जिसका मतलब क़ुरबानी की ईद) इस्लाम धर्म में विश्वास करने वाले लोगों का एक प्रमुख त्यौहार है। रमजान के पवित्र महीने की समाप्ति के लगभग ७० दिनों बाद इसे मनाया जाता है। इस्लामिक मान्यता के अनुसार हजरत इब्राहिम अपने पुत्र हजरत इस्माइल को इसी दिन खुदा के हुक्म पर खुदा कि राह में कुर्बान करने जा रहे थे, तो अल्लाह ने उसके पुत्र को जीवनदान दे दिया जिसकी याद में यह पर्व मनाया जाता है। इस शब्द का बकरों से कोई संबंध नहीं है। न ही यह उर्दू का शब्द है। असल में अरबी में 'बक़र' का अर्थ है बड़ा जानवर जो जि़बह किया (काटा) जाता है। उसी से बिगड़कर आज भारत, पाकिस्तान व बांग्ला देश में इसे 'बकरा ईद' बोलते हैं। ईद-ए-कुर्बां का मतलब है बलिदान की भावना। अरबी में 'क़र्ब' नजदीकी या बहुत पास रहने को कहते हैं मतलब इस मौके पर भगवान इंसान के बहुत करीब हो जाता है। कुर्बानी उस पशु के जि़बह करने को कहते हैं जिसे 10, 11, 12 या 13 जि़लहिज्ज (हज का महीना) को खुदा को खुश करने के लिए ज़िबिह किया जाता है। कुरान में लिखा है: हमने तुम्हें हौज़-ए-क़ौसा दिया तो तुम अपने अल्लाह के लिए नमाज़ पढ़ो और कुर्बानी करो। .

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ईरान

ईरान (جمهوری اسلامی ايران, जम्हूरीए इस्लामीए ईरान) जंबुद्वीप (एशिया) के दक्षिण-पश्चिम खंड में स्थित देश है। इसे सन १९३५ तक फारस नाम से भी जाना जाता है। इसकी राजधानी तेहरान है और यह देश उत्तर-पूर्व में तुर्कमेनिस्तान, उत्तर में कैस्पियन सागर और अज़रबैजान, दक्षिण में फारस की खाड़ी, पश्चिम में इराक और तुर्की, पूर्व में अफ़ग़ानिस्तान तथा पाकिस्तान से घिरा है। यहां का प्रमुख धर्म इस्लाम है तथा यह क्षेत्र शिया बहुल है। प्राचीन काल में यह बड़े साम्राज्यों की भूमि रह चुका है। ईरान को १९७९ में इस्लामिक गणराज्य घोषित किया गया था। यहाँ के प्रमुख शहर तेहरान, इस्फ़हान, तबरेज़, मशहद इत्यादि हैं। राजधानी तेहरान में देश की १५ प्रतिशत जनता वास करती है। ईरान की अर्थव्यवस्था मुख्यतः तेल और प्राकृतिक गैस निर्यात पर निर्भर है। फ़ारसी यहाँ की मुख्य भाषा है। ईरान में फारसी, अजरबैजान, कुर्द और लूर सबसे महत्वपूर्ण जातीय समूह हैं .

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ईशनिंदा

ईशनिंदा ईश्वर की श्रद्धा, धार्मिक या पवित्र लोगों से सम्बंद्ध चीज़ें या धार्मिक रूप से अनुल्लंघनीय कार्य का अपमान या अवमानना को कहते हैं। विभिन्न देशों में ईशनिंदा से सम्बंधित क़ानून भी बने हुए हैं जिसके तहत अगर कोई व्यक्ति जानबूझकर किसी पूजा करने की चीज़ या जगह को नुक़सान या फिर धार्मिक सभा में व्यवधान डालता या कोई किसी की धार्मिक भावनाओं का अपमान बोलकर या लिखकर या कुछ दृश्यों से करता है तो वो भी ग़ैरक़ानूनी माना जाता है और इसके लिए निश्चित सज़ाओं का प्रावधान होता है। .

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ईसा

ईसा जीसस क्राइस्ट के साथ-साथ यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के लिए भी प्रयुक्त होता है।.

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ईसाई धर्म

'''ईद्भास/क्रॉस''' - यह ईसाई धर्म का निशान है ईसाई धर्म (अन्य प्रचलित नाम:मसीही धर्म व क्रिश्चियन धर्म) एक इब्राहीमीChristianity's status as monotheistic is affirmed in, amongst other sources, the Catholic Encyclopedia (article ""); William F. Albright, From the Stone Age to Christianity; H. Richard Niebuhr; About.com,; Kirsch, God Against the Gods; Woodhead, An Introduction to Christianity; The Columbia Electronic Encyclopedia; The New Dictionary of Cultural Literacy,; New Dictionary of Theology,, pp.

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ख़िलाफ़त

इस्लाम की विजय यात्रा मुहम्मद साहब की मृत्यु के बाद इस्लाम के प्रमुख को खलीफ़ा कहते थे। इस विचारधारा को खिलाफ़त कहा जाता है। प्रथम चार खलीफाओं को राशिदुन कहते हैं। उम्मयद, अब्बासी और फ़ातिमी खलीफा क्रमशः दमिश्क, बग़दाद और काहिरा से शासन करते थे। इसके बाद उस्मानी (ऑटोमन तुर्क) खिलाफ़त आया। मुहम्मद साहब के नेतृत्व में अरब बहुत शक्तिशाली हो गए थे। उन्होंने एक बड़े साम्राज्य पर अधिकार कर लिया था जो इससे पहले अरबी इतिहास में शायद ही किसी ने किया हो। खलीफ़ा बनने का अर्थ था - इतने बड़े साम्राज्य का मालिक। अतः इस पद को लेकर विवाद होना स्वाभाविक था। .

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ख़ुदा

ख़ुदा ख़ुदा (फ़ारसी) बहुत सी भाषाओं में पाया जाने वाला 'ईश्वर' के लिए एक शब्द है। इसका अर्थ कभी-कभी 'मालिक' और 'मार्गदर्शक' भी निकाला जाता है। ये शब्द फारसी या पश्तून भाषा का है। ये मुख्य तौर पर ईस्लाम ओर पारसी धर्म में भगवान के लिये उपयोग होता है। .

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ग़ुलाम वंश

गुलाम वंश (سلسله غلامان) मध्यकालीन भारत का एक राजवंश था। इस वंश का पहला शासक कुतुबुद्दीन ऐबक था जिसे मोहम्मद ग़ौरी ने पृथ्वीराज चौहान को हराने के बाद नियुक्त किया था। इस वंश ने दिल्ली की सत्ता पर 1206-1290 ईस्वी तक राज किया। इस वंश के शासक या संस्थापक ग़ुलाम (दास) थे न कि राजा। इस लिए इसे राजवंश की बजाय सिर्फ़ वंश कहा जाता है। .

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आयुर्विज्ञान

आधुनिक गहन चिकित्सा कक्ष (ICU) आयुर्विज्ञान, विज्ञान की वह शाखा है जिसका संबंध मानव शरीर को निरोग रखने, रोग हो जाने पर रोग से मुक्त करने अथवा उसका शमन करने तथा आयु बढ़ाने से है।आयुर्विज्ञान विज्ञान की वह शाखा है, जिसका संबंध मानव शरीर को निरोग रखने, रोग हो जाने पर रोग से मुक्त करने अथवा उसका निदान करने तथा आयु बढ़ाने से है। भारत आयुर्विज्ञान का जन्मदाता है। अपने प्रारम्भिक समय में आयुर्विज्ञान का अध्ययन जीव विज्ञान की एक शाखा के समान ही किया गया था। बाद में 'शरीर रचना' तथा 'शरीर क्रिया विज्ञान' आदि को इसका आधार बनाया गया। .

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आइशा

आइशा बिन्त अबू बक्र (613/614 - 678 सीई; अरबी: عائشة بنت أبي بكر या عائشة, लिप्यंतरण: ' Ā'ishah, जिन्हें ऐशा, आऐस्याह, आयशा, ए के रूप में भी लिखा गया है 'ईशा, आऐशह, आऐशा, या आयेशा / ɑː i ʃ ɑː /) हज़रत मुहम्मद की पत्नियों में से एक थी। इस्लामी लेखन में, कुरान में मुहम्मद की पत्नियों के विवरण के अनुसार, उसका नाम अक्सर "उम् उल मोमिनीन" "विश्वासियों की मां" शीर्षक (अरबी: أم المؤمنين umm al- mu'min īn) से उपसर्ग किया जाता है। इस्लाम के पहले ख़लीफ़ा अबू बक्र की बेटी थीं। मुहम्मद के जीवन और उनकी मृत्यु के बाद दोनों के प्रारंभिक इस्लामी इतिहास में ऐशा की अहम भूमिका थी। सुन्नी परंपरा में, ऐशा को विद्वान और जिज्ञासु माना जाता है। उन्होंने मुहम्मद के संदेश के फैलाव में योगदान दिया और उनकी मृत्यु के 44 साल बाद मुस्लिम समुदाय की सेवा की। वह मुहम्मद के निजी जीवन से संबंधित मामलों पर, बल्कि विरासत, तीर्थयात्रा और eschatology जैसे विषयों पर भी 2210 हदीस, के वर्णन के लिए भी जाना जाता है। कविता और चिकित्सा समेत विभिन्न विषयों में उनकी बुद्धि और ज्ञान, अल-जुहरी और उनके छात्र उर्व इब्न अल- जुबयर जैसे शुरुआती चमकदार लोगों द्वारा अत्यधिक प्रशंसा की गई थी। उनके पिता, अबू बकर, मुहम्मद के सफल होने के लिए पहला खलीफा बन गए, और उमर द्वारा दो साल बाद उनका उत्तराधिकारी बन गया। तीसरे खलीफ उथमान के समय, आइशा के खिलाफ विपक्ष में एक प्रमुख भूमिका थी जो उनके खिलाफ बढ़ी, हालांकि वह या तो उनकी हत्या के लिए जिम्मेदार लोगों के साथ सहमत नहीं थीं और न ही अली की पार्टी के साथ। अली के शासनकाल के दौरान, वह उथमान की मृत्यु का बदला लेना चाहती थी, जिसे उसने ऊंट की लड़ाई में करने का प्रयास किया था। उन्होंने अपने ऊंट के पीछे भाषण और प्रमुख सैनिकों को देकर युद्ध में भाग लिया। वह लड़ाई हार गई, लेकिन उसकी भागीदारी और दृढ़ संकल्प ने एक स्थायी प्रभाव छोड़ा। बाद में, वह बीस साल से अधिक समय तक मदीना में चुपचाप रहती थी, राजनीति में कोई हिस्सा नहीं लेती थी, अली से मिलकर बन गई और खलीफ मुआविया का विरोध नहीं किया। पारंपरिक हदीस के अधिकांश स्रोतों में कहा गया है कि आइशा की शादी छः या सात वर्ष की आयु में मुहम्मद से हुई थी, लेकिन वह नौ वर्ष की आयु तक अपने माता-पिता के घर में रहती थीं, या दस इब्न हिशम के अनुसार, जब विवाह समाप्त हो गया था मुथान के साथ, 53, मदीना में । आधुनिक समय में कई विद्वानों द्वारा इस समयरेखा को चुनौती दी गई है। शिया का आम तौर पर आइशा का नकारात्मक विचार है । उन्होंने ऊंट की लड़ाई में अपने खलीफा के दौरान अली से घृणा करने और उसे अपमानित करने का आरोप लगाया, जब उसने बसरा में अली की सेना से पुरुषों से लड़ा। .

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इथियोपिया

इथियोपिया (गिइज़: ኢትዮጵያ, इत्योप्प्या) अफ्रीका के सींग में स्थित एक स्थल-रुद्ध देश है जो सरकारी तौर पर इथियोपिया संघीय लोकतांत्रिक गणराज्य के रूप में जाना जाता है। यह अफ़्रीका का दूसरा सबसे ज़्यादा जनसंख्या वाला देश है और इसमें 85.2 लाख से अधिक लोग बसे हुए हैं। क्षेत्रफल के हिसाब से यह अफ़्रीका का दसवाँ सबसे बड़ा देश है। इसकी राजधानी अदीस अबाबा है। इथियोपिया सूडान से दक्षिणपूर्व में, इरिट्रिया से दक्षिण में, जिबूती और सोमालिया से पश्चिम में, केन्या से उत्तर में और दक्षिण सूडान से पूर्व में स्थित है। यह दुनिया का सबसे अधिक जनसंख्या वाला स्थल-रुद्ध देश है। .

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इस्लाम

इस्लाम (अरबी: الإسلام) एक एकेश्वरवादी धर्म है, जो इसके अनुयायियों के अनुसार, अल्लाह के अंतिम रसूल और नबी, मुहम्मद द्वारा मनुष्यों तक पहुंचाई गई अंतिम ईश्वरीय पुस्तक क़ुरआन की शिक्षा पर आधारित है। कुरान अरबी भाषा में रची गई और इसी भाषा में विश्व की कुल जनसंख्या के 25% हिस्से, यानी लगभग 1.6 से 1.8 अरब लोगों, द्वारा पढ़ी जाती है; इनमें से (स्रोतों के अनुसार) लगभग 20 से 30 करोड़ लोगों की यह मातृभाषा है। हजरत मुहम्मद साहब के मुँह से कथित होकर लिखी जाने वाली पुस्तक और पुस्तक का पालन करने के निर्देश प्रदान करने वाली शरीयत ही दो ऐसे संसाधन हैं जो इस्लाम की जानकारी स्रोत को सही करार दिये जाते हैं। .

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इस्लाम में तक़दीर

तक़दीर (अरबी एवं उर्दू और फ़ारसी: تقدیر): यह शब्द अरबी है, इसका मूल शब्द "क़द्र" है, अर्थात "भाग्य"। इस्लाम के छ्ः विश्वास सूत्रों में से एक है "वल क़द्रि क़ैरिही", मतलब अल्लाह से प्रदान किये गये भाग्य पर भी विश्वास रखना। इसी को तक़दीर कहते हैं। स्थूल रूप से "अल्लाह से प्रसादित भाग्य पर विश्वास रखना" और उसका शुक्र बजा लाना। इसी सिलसिले को आगे बढाते हुवे यह भी कहा गया कि "मर कर उठने पर भी विश्वास करना"। श्रेणी:अरबी शब्द श्रेणी:इस्लामी शब्द.

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इस्लाम का इतिहास

इस्लाम का उदय सातवीं सदी में अरब प्रायद्वीप में हुआ। इसके अन्तिम नबी मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का जन्म 570 ईस्वी में मक्का में हुआ था। लगभग 613 इस्वी के आसपास मुहम्मद साहब ने लोगों को अपने ज्ञान का उपदेशा देना आरंभ किया था। इसी घटना का इस्लाम का आरंभ जाता है। हँलांकि इस समय तक इसको एक नए धर्म के रूप में नहीं देखा गया था। परवर्ती वर्षों में मुहम्म्द स्० के अनुयायियों को मक्का के लोगों द्वारा विरोध तथा मुहम्म्द के मदीना प्रस्थान (जिसे हिजरा नाम से जाना जाता है) से ही इस्लाम को एक धार्मिक सम्प्रदाय माना गया। अगले कुछ वर्षों में कई प्रबुद्ध लोग मुहम्मद स्० (पैगम्बर नाम से भी ज्ञात) के अनुयायी बने। उनके अनुयायियों के प्रभाव में आकर भी कई लोग मुसलमान बने। इसके बाद मुहम्मद साहब ने मक्का वापसी की और बिना युद्ध किए मक्काह फ़तह किया और मक्का के सारे विरोधियों को माफ़ कर दिया गया। इस माफ़ी की घटना के बाद मक्का के सभी लोग इस्लाम में परिवर्तित हुए। पर पयम्बर (या पैगम्बर मुहम्मद) को कई विरोधों और नकारात्मक परिस्थितियों का सामना करना पड़ा पर उन्होंने हर नकारात्मकता से सकारात्मकता को निचोड़ लिया जिसके कारण उन्होंने जीवन के हर क्षेत्र में जीत हासिल की। उनकी वफात के बाद अरबों का साम्राज्य और जज़्बा बढ़ता ही गया। अरबों ने पहले मिस्र और उत्तरी अफ्रीका पर विजय हासिल की और फिर बैजेन्टाइन तथा फारसी साम्राज्यों को हराया। यूरोप में तो उन्हें विशेष सफलता नहीं मिली पर फारस में कुछ संघर्ष करने के बाद उन्हें जीत मिलने लगी। इसके बाद पूरब की दिशा में उनका साम्राज्य फेलता गया। सन् 1200 तक वे भारत तक पहुँच गए। । .

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इस्लामी त्यौहार

मुस्लिम त्यौहार: दुनिया में मुस्लिम समूह, अलग अलग पर्वों को अलग अलग दिवसों में मनाते हैं। हर दिवस का अपना एक महत्व होता है। जैसे दीगर धार्मिक समूह विशेश पर्व दिन मनाते हैं, ठीक उसी तरह मुस्लिम समूह भी अनेक त्यौहार मनाता है। मास के अनुसार देखें तो मुस्लिम त्यौहार इस प्रकार हैं। .

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इस्लामी दुनिया

विश्व में मुस्लिम आबादी का प्रतिशत. इस्लामी दुनिया; Islamic World or Muslim World): और मुस्लिम विश्व सामान्यतः इस्लामी समुदाय (उम्मत) का उल्लेख करता है, जिसमें वह सभी शामिल हैं जो इस्लाम धर्म का पालन करते हैं, या उस समाज के लिए जहां इस्लाम का अभ्यास होता है। एक आधुनिक भू- राजनीतिक अर्थ में, ये शब्द उन देशों का उल्लेख करता हैं जहां इस्लाम व्यापक है, हालांकि इसमें शामिल होने के लिए कोई मान्य मानदंड नहीं है। मुस्लिम दुनिया का इतिहास लगभग 1400 वर्ष पूराना है और इसमें विभिन्न सामाजिक- राजनीतिक विकास शामिल हैं, साथ ही कला, विज्ञान, दर्शन और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अग्रिम, विशेषकर इस्लामी स्वर्ण युग के दौरान। सभी मुसलमान कुरान के मार्गदर्शन की तलाश करते हैं और हजरत मुहम्मद सहाब की बातो में विश्वास करते हैं, लेकिन अन्य मामलों पर असहमति ने इस्लाम के भीतर विभिन्न धार्मिक स्कूलों और शाखाओं का प्रदर्शन किया है। आधुनिक युग में, अधिकांश मुस्लिम दुनिया यूरोपीय शक्तियों के प्रभाव या औपनिवेशिक वर्चस्व में आई थी। इतिहास बताता है कि औपनिवेशिक युग के बाद उभरे विभिन्न राजनीतिक और आर्थिक मॉडलों को अपनाया है, और वे धर्मनिरपेक्ष और धार्मिक प्रवृत्तियों से प्रभावित हुए हैं। .

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इस्लामी वास्तुकला

ताज महल इस्लामिक वास्तुकला की एक अनुपम कृति इस्लामी वास्तुकला एक प्रकार की वास्तु कला है जो की इस्लाम धर्म से प्रभावित है और इस्लामिक शासको एवं सरकारों द्वारा दुनिया भर में प्रचारित की गयी। .

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इंडोनेशिया

इंडोनेशिया गणराज्य (दीपान्तर गणराज्य) दक्षिण पूर्व एशिया और ओशिनिया में स्थित एक देश है। १७५०८ द्वीपों वाले इस देश की जनसंख्या लगभग 26 करोड़ है, यह दुनिया का तीसरा सबसे अधिक आबादी और दुनिया में दूसरी सबसे बड़ी बौद्ध आबादी वाला देश है। देश की राजधानी जकार्ता है। देश की जमीनी सीमा पापुआ न्यू गिनी, पूर्वी तिमोर और मलेशिया के साथ मिलती है, जबकि अन्य पड़ोसी देशों सिंगापुर, फिलीपींस, ऑस्ट्रेलिया और भारत का अंडमान और निकोबार द्वीप समूह क्षेत्र शामिल है। .

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क़ुरआन

'''क़ुरान''' का आवरण पृष्ठ क़ुरआन, क़ुरान या कोरआन (अरबी: القرآن, अल-क़ुर्'आन) इस्लाम की पवित्रतम किताब है और इसकी नींव है। मुसलमान मानते हैं कि इसे अल्लाह ने फ़रिश्ते जिब्रील द्वारा हज़रत मुहम्मद को सुनाया था। मुसलमान मानते हैं कि क़ुरआन ही अल्लाह की भेजी अन्तिम और सर्वोच्च किताब है। यह ग्रन्थ लगभग 1400 साल पहले अवतरण हुई है। इस्लाम की मान्यताओं के मुताबिक़ क़ुरआन अल्लाह के फ़रिश्ते जिब्रील (दूत) द्वारा हज़रत मुहम्मद को सन् 610 से सन् 632 में उनकी मौत तक ख़ुलासा किया गया था। हालांकि आरंभ में इसका प्रसार मौखिक रूप से हुआ पर पैग़म्बर मुहम्मद की मौत के बाद सन् 633 में इसे पहली बार लिखा गया था और सन् 653 में इसे मानकीकृत कर इसकी प्रतियाँ इस्लामी साम्राज्य में वितरित की गईं थी। मुसलमानों का मानना है कि ईश्वर द्वारा भेजे गए पवित्र संदेशों के सबसे आख़िरी संदेश क़ुरआन में लिखे गए हैं। इन संदेशों की शुरुआत आदम से हुई थी। हज़रत आदम इस्लामी (और यहूदी तथा ईसाई) मान्यताओं में सबसे पहला नबी (पैग़म्बर या पयम्बर) था और इसकी तुलना हिन्दू धर्म के मनु से एक हद तक की जा सकती है। जिस तरह से हिन्दू धर्म में मनु की संतानों को मानव कहा गया है वैसे ही इस्लाम में आदम की संतानों को आदमी कहा जाता है। तौहीद, धार्मिक आदेश, जन्नत, जहन्नम, सब्र, धर्म परायणता (तक्वा) के विषय ऐसे हैं जो बारम्बार दोहराए गए। क़ुरआन ने अपने समय में एक सीधे साधे, नेक व्यापारी इंसान को, जो अपने ‎परिवार में एक भरपूर जीवन गुज़ार रहा था। विश्व की दो महान शक्तियों ‎‎(रोमन तथा ईरानी) के समक्ष खड़ा कर दिया। केवल यही नहीं ‎उसने रेगिस्तान के अनपढ़ लोगों को ऐसा सभ्य बना दिया कि पूरे विश्व पर ‎इस सभ्यता की छाप से सैकड़ों वर्षों बाद भी इसके निशान पक्के मिलते हैं। ‎क़ुरआन ने युध्द, शांति, राज्य संचालन इबादत, परिवार के वे आदर्श प्रस्तुत ‎किए जिसका मानव समाज में आज प्रभाव है। मुसलमानों के अनुसार कुरआन में दिए गए ज्ञान से ये साबित होता है कि हज़रत मुहम्मद एक नबी है | .

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काबा

काबा (अरबी:, अंग्रेज़ी: Ka'aba, सही उच्चारण: क'आबा) मक्का, सउदी अरब में स्थित एक घनाकार (क्यूब के आकार की) इमारत है जो इस्लाम का सबसे पवित्र स्थल है। यह भवन इब्राहीम के समय में खुद इब्राहिम ने बनाया था, जो अबतक की सबसे पुरानी निर्मित भवन है। इस भवन के आसपास एक मस्जिद-अल-हरम है। पूरी दुनिया के सभी मुसलमान चाहें वे कहीं भी हो नमाज़ के समय अपना मुँह काबा की ओर ही रखते हैं।Wensinck, A. J; Ka`ba.

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क्रूसेड

'''एन्टिओक का कब्जा''', प्रथम क्रूसयुद्ध के समय के मध्ययुगीय चित्रकर्म से लिया गया यूरोप के ईसाइयों ने 1095 और 1291 के बीच अपने धर्म की पवित्र भूमि फिलिस्तीन और उसकी राजधानी जेरूसलम में स्थित ईसा की समाधि का गिरजाघर मुसलमानों से छीनने और अपने अधिकार में करने के प्रयास में जो युद्ध किए उनको सलीबी युद्ध, ईसाई धर्मयुद्ध, क्रूसेड (crusades) अथवा क्रूश युद्ध कहा जाता है। इतिहासकार ऐसे सात क्रूश युद्ध मानते हैं। .

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अफ़्रीका

अफ़्रीका वा कालद्वीप, एशिया के बाद विश्व का सबसे बड़ा महाद्वीप है। यह 37°14' उत्तरी अक्षांश से 34°50' दक्षिणी अक्षांश एवं 17°33' पश्चिमी देशान्तर से 51°23' पूर्वी देशान्तर के मध्य स्थित है। अफ्रीका के उत्तर में भूमध्यसागर एवं यूरोप महाद्वीप, पश्चिम में अंध महासागर, दक्षिण में दक्षिण महासागर तथा पूर्व में अरब सागर एवं हिन्द महासागर हैं। पूर्व में स्वेज भूडमरूमध्य इसे एशिया से जोड़ता है तथा स्वेज नहर इसे एशिया से अलग करती है। जिब्राल्टर जलडमरूमध्य इसे उत्तर में यूरोप महाद्वीप से अलग करता है। इस महाद्वीप में विशाल मरुस्थल, अत्यन्त घने वन, विस्तृत घास के मैदान, बड़ी-बड़ी नदियाँ व झीलें तथा विचित्र जंगली जानवर हैं। मुख्य मध्याह्न रेखा (0°) अफ्रीका महाद्वीप के घाना देश की राजधानी अक्रा शहर से होकर गुजरती है। यहाँ सेरेनगेती और क्रुजर राष्‍ट्रीय उद्यान है तो जलप्रपात और वर्षावन भी हैं। एक ओर सहारा मरुस्‍थल है तो दूसरी ओर किलिमंजारो पर्वत भी है और सुषुप्‍त ज्वालामुखी भी है। युगांडा, तंजानिया और केन्या की सीमा पर स्थित विक्टोरिया झील अफ्रीका की सबसे बड़ी तथा सम्पूर्ण पृथ्वी पर मीठे पानी की दूसरी सबसे बड़ी झीलहै। यह झील दुनिया की सबसे लम्बी नदी नील के पानी का स्रोत भी है। कुछ इतिहासकारों का मानना है कि इसी महाद्वीप में सबसे पहले मानव का जन्म व विकास हुआ और यहीं से जाकर वे दूसरे महाद्वीपों में बसे, इसलिए इसे मानव सभ्‍यता की जन्‍मभूमि माना जाता है। यहाँ विश्व की दो प्राचीन सभ्यताओं (मिस्र एवं कार्थेज) का भी विकास हुआ था। अफ्रीका के बहुत से देश द्वितीय विश्व युद्ध के बाद स्वतंत्र हुए हैं एवं सभी अपने आर्थिक विकास में लगे हुए हैं। अफ़्रीका अपनी बहुरंगी संस्कृति और जमीन से जुड़े साहित्य के कारण भी विश्व में जाना जाता है। .

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अबु बक्र

अबू बक्र का असली नाम अब्दुल्लाह इब्न अबू क़ुहाफ़ा (Abdullah ibn Abi Quhaafah अरबी عبد الله بن أبي قحافة), c. 573 ई – 23 अगस्त 634 ई, इनका मशहूर नाम अबू बक्र (أبو بكر) है।, from islam4theworld अबू बक्र पैगंबर मुहम्मद के ससुर और उनके प्रमुख साथियों में से थे। वह मुहम्मद साहब के बाद मुसल्मानों के पहले खलीफा चुने गये। सुन्नी मुसलमान इनको चार प्रमुख पवित्र खलीफाओं में अग्रणी मानतें हैं। ये पैगंबर मुहम्मद के प्रारंभिक अनुयायियों में से थे और इनकी पुत्री आयशा पैगंबर की चहेती पत्नी थी। .

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अब्बासी ख़िलाफ़त

अपने चरम पर अब्बासियों का क्षेत्र (हरे रंग में, गाढ़े हरे रंग वाले क्षेत्र उनके द्वारा जल्दी ही खोए गए) अब्बासी (अरबी:, अल-अब्बासियून; अंग्रेज़ी: Abbasids) वंश के शासक इस्लाम के ख़लीफ़ा थे जो सन् 750 के बाद से 1257 तक इस्लाम के धार्मिक प्रमुख और इस्लामी साम्राज्य के शासक रहे। इनके पूर्वज मुहम्मद से संबंधित थे इसलिए इनको सुन्नियों के साथ साथ शिया विचारधारा के मुसलमानों का भी बहुत सहयोग मिला जिसमें ईरान तथा ख़ोरासान तथा शाम की जनता शामिल थी। इस जनसहयोग की बदौलत उन्होंने उमय्यदों को हरा दिया और ख़लीफ़ा बनाए गए। उन्होंने उमय्यदों के विपरीत साम्राज्य में ईरानी तत्वों को समावेश किया और उनके काल में इस्लामी विज्ञान, कला तथा ज्योतिष में काफ़ी नए विकास हुए। सन् 762 में उन्होंने बग़दाद की स्थापना की जहाँ ईरानी सासानी निर्माण कला तथा अरबी संस्कृति से मिश्रित एक राजधानी का विकास हुआ। यद्यपि 10वीं सदी में उनकी वंशानुगत शासन की परम्परा टूट गई पर ख़िलाफ़त बनी रही। इस परंपरा टूटने के कारण शिया इस्लाम में इस्माइली तथा बारहवारी सम्प्रदायों का जन्म हुआ जो इस्लाम के उत्तराधिकारी के रूप में मुहम्मद साहब के विभिन्न वंशजों का समर्थन करते थे। उनके काल में इस्लाम भारत में भी फैल गया लेकिन 1257 में उस समय अमुस्लिम रहे मंगोलों के आक्रमण से बग़दाद नष्ट हो गया। .

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अब्राहम

हज़रत इब्राहम(लगभग 1800 ई.पू.) ईश्वर के आदेश से मेसोपोतेमिया के ऊपर तथा हारान नामक शहरों को छोड़कर कनान और मिस्र चले गए। बाइबिल में इब्राहम का जो वृत्तांत मिलता है (उत्पत्ति ग्रंथ, अध्याय 11-25), उसकी रचना लगभग 900 ई.पू.

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अल ग़ज़ाली

अबू हामिद मुहम्मद इब्न मुहम्मद अल-गज़ाली (ابو حامد محمد ابن محمد غزالی; c. 1058–1111), पश्चिम में अल-ग़ज़ाली या अलगाज़ेल के नाम से मशहूर, एक मुस्लिम तत्वग्नानी, सूफ़ी जो पर्शिया से थे। इस्लामी दुनिया में हज़रत मुहम्मद के बाद अगर कोई मुस्लिम समूह को आकर्शित किया या असर रुसूक़ किया तो वो अल-ग़ज़ाली' हैं। इस्लामी समूह में अल-ग़ज़ाली' को मुजद्दिद या पुनर्व्यवस्थीकरण करने वाला माना जाता है। इस्लामी समूह में माना जाता है कि हर शताब्द में एक मुजद्दिद जन्म लेते है, मुस्लिम समूह को धर्ममार्ग पर प्रेरेपित और उत्तेजित करते हैं। इन के कार्य और रचनाएं इतनी प्रबावशाली हैं कि लोग इन को "हुज्जतुल इस्लाम" (इस्लाम का सबूत) कहा करते हैं। .

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अल्लाह

'''अल्लाह''' के नाम अरबी में। अल्लाह शब्द अरबी भाषा में ईसाईयों यहूदियों और मुस्लिमों द्वारा ईश्वर के लिए प्रयुक्त किया जाने वाला शब्द है !अल्लाह शब्द का अर्थ है।..

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अली इब्न अबी तालिब

अली इब्ने अबी तालिब (अरबी: علی ابن ابی طالب) का जन्‍म 17 मार्च 600 (13 रजब 24 हिजरी पूर्व) मुसलमानों के तीर्थ स्थल काबा के अन्दर हुआ था। वे पैगम्बर मुहम्मद (स.) के चचाजाद भाई और दामाद थे और उनका चर्चित नाम हज़रत अली है। वे मुसलमानों के खलीफा के रूप में जाने जाते हैं। उन्होंने 656 से 661 तक राशिदून ख़िलाफ़त के चौथे ख़लीफ़ा के रूप में शासन किया, और शिया इस्लाम के अनुसार वे632 to 661 तक पहले इमाम थे। इसके अतिरिक्‍त उन्‍हें पहला मुस्लिम वैज्ञानिक भी माना जाता है। उन्‍होंने वैज्ञानिक जानकारियों को बहुत ही रोचक ढंग से आम आदमी तक पहुँचाया था। .

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अहमदिया धर्म

विश्व में अहमदिया आबादी का वितरण अहमदिया (उर्दू: احمدیہ) एक धार्मिक आंदोलन है, जो के 19वीं सदी के अंत में भारत में आरम्भ हुआ। इसका प्रारंभ मिर्जा गुलाम अहमद (1835-1908) की जीवन और शिक्षाओं से हुआ। अहमदिया आंदोलन के अनुयायी गुलाम अहमद (1835-1908) को मुहम्मद के बाद एक और पैगम्बर (दूत) मानते हैं जबकि अन्य मुसलमानों का विश्वास है कि पैगम्बर मोहम्मद ख़ुदा के भेजे हुए अन्तिम पैगम्बर हैं। अहमदिया इस्लाम का एक संप्रदाय है। मुसलमान इसे काफिर मानते हैं। नोबेल पुरस्कार विजेता वैज्ञानिक डॉक्टर अब्दुस सलाम पाकिस्तान के पहले और अकेले वैज्ञानिक हैं जिन्हे फिज़िक्स के लिए नोबेल पुरस्कार दिया गया है। वह एक अहमदिया थे। महेरशला अली अभिनय के लिए ऑस्कर जीतने वाले पहले मुस्लिम अभिनेता बनाया। अहमदिया समुदाय के लोग स्वयं को मुसलमान मानते व कहते हैं परंतु अहमदिया समुदाय के अतिरिक्त शेष सभी मुस्लिम वर्गो के लोग इन्हें मुसलमान मानने को हरगिज तैयार नहीं। इसका कारण यह है कि जहां अहमदिया समुदाय अल्लाह, कुरान शरीफ,नमाज़, दाढ़ी, टोपी, बातचीत व लहजे आदि में मुसलमान प्रतीत होते हैं वहीं इस समुदाय के लोग अपनी ऐतिहासिक मान्याताओं, परंपराओं व उन्हें विरासत में मिली शिक्षाओं व जानकारियों के अनुसार हज़रत मोहम्मद को अपना आखरी पैगम्बर स्वीकार नहीं करते। इसके बजाए इस समुदाय के लोग मानते हैं कि नबुअत (पैगम्बरी) की परंपरा रूकी नहीं है बल्कि सतत जारी है। अहमदिया सम्प्रदाय के लाग अपने वर्तमान सर्वोच्च धर्मगुरु को नबी के रूप में ही मानते हैं। इसी मुख्य बिंदु को लेकर अन्य मुस्लिम समुदायों के लोग समय-समय पर सामूहिक रूप से इस समुदाय का घोर विरोध करते हैं तथा बार-बार इन्हें यह हिदायत देने की कोशिश करते हैं कि अहमदिया समुदाय स्वयं को इस्लाम धर्म से जुड़ा समुदाय न घोषित किया करें और इस समुदाय के सदस्य अपने-आप को मुसलमान अवश्य न कहें। इनको 'कादियानी' भी कहा जाता है। गुरदासपुर के कादियान नामक कस्बे में 23 मार्च 1889 को इस्लाम के बीच एक आंदोलन शुरू हुआ जो आगे चलकर अहमदिया आंदोलन के नाम से जाना गया। यह आंदोलन बहुत ही अनोखा था। इस्लाम धर्म के बीच पहली बार एक व्यक्ति ने घोषणा की कि "मसीहा" फिर आयेंगे। इस्लाम धर्म के बीच इस अनोखे संप्रदाय को शुरू करने वाले मिर्जा गुलाम अहमद ने अहमदिया आंदोलन शुरू करने के दो साल बाद 1891 में अपने आप को "मसीहा" घोषित कर दिया। 1974 में अहमदिया संप्रदाय के मानने वाले लोगों को पाकिस्तान में एक संविधान संशोधन के जरिए गैर-मुस्लिम करार दे दिया गया। .

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अहल अल-हदीस

अहले हदीस (फ़ारसी:اهل حدیث‎‎, उर्दू: اہل حدیث‎, ) एशिया में सुन्नी इस्लाम मानते हैं। इन्हें सलफ़ी भी कहा जा है।सल्फ़ी, या अहले हदीस सुन्नियों में एक समूह ऐसा भी है जो किसी एक ख़ास इमाम के अनुसरण की बात नहीं मानता और उसका कहना है कि शरीयत को समझने और उसके सही ढंग से पालन के लिए सीधे क़ुरान और हदीस (पैग़म्बर मोहम्मद के कहे हुए शब्द) का अध्ययन करना चाहिए। इसी समुदाय को सल्फ़ी और अहले-हदीस और वहाबी आदि के नाम से जाना जाता है। यह संप्रदाय चारों इमामों के ज्ञान, उनके शोध अध्ययन और उनके साहित्य की क़द्र करता है। लेकिन उसका कहना है कि इन इमामों में से किसी एक का अनुसरण अनिवार्य नहीं है। उनकी जो बातें क़ुरान और हदीस के अनुसार हैं उस पर अमल तो सही है लेकिन किसी भी विवादास्पद चीज़ में अंतिम फ़ैसला क़ुरान और हदीस का मानना चाहिए। सल्फ़ी समूह का कहना है कि वह ऐसे इस्लाम का प्रचार चाहता है जो पैग़म्बर मोहम्मद के समय में था। इस सोच को परवान चढ़ाने का सेहरा इब्ने तैमिया(1263-1328) और मोहम्मद बिन अब्दुल वहाब(1703-1792) के सिर पर बांधा जाता है और अब्दुल वहाब के नाम पर ही यह समुदाय वहाबी नाम से भी जाना जाता है। मध्य पूर्व के अधिकांश इस्लामिक विद्वान उनकी विचारधारा से ज़्यादा प्रभावित हैं। इस समूह के बारे में एक बात बड़ी मशहूर है कि ये धार्मिक सिद्धान्तों में पक्के हैं। सऊदी अरब, क़तर के मौजूदा शासक इसी विचारधारा को मानते हैं। अमेरिका में भी ज़्यादातर सुन्नी मुसलमान सलाफी समुदाय से हैं .

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उमय्यद ख़िलाफ़त

उमय्यद खिलाफत; (Umayyad Caliphate) हजरत मुहम्मद सहाब की मृत्यु के बाद स्थापित प्रथम रशीदुन चार खलीफाओं के बाद उमय्यद इस्लामी खिलाफत का हिस्सा बने, उमय्यद खलीफा बनू उमय्या बंश से या उमय्या के पृत्र जो मक्का शहर से जूड़े हुए थे। उमय्यद परिवार पहले रशीदुन खिलाफत के तीसरे खलीफा उस्मान इब्न अफ्फान (644-656) के अधीन सत्ता में रहे थे लेकीन उमय्यद शासन की स्थापना मुआविया इब्न अबी सुफीयान जो लम्बे समय तक रशीदुन शासन काल में सीरिया के गवर्नर रहे जिस कारण उन्होंने उमय्यद खिलाफत अथवा शासन स्थापना की थी, प्रथम मुस्लिम फितना (गृहयुद्ध) के समय में भी सीरिया उमय्यदो का प्रमुख शाक्ति केन्द्र बना रहा और राजधानी दमिश्क में स्थापित की जिसके साथ उमय्यदो ने मुस्लिम विजय अभियान जारी रखे जिसमें काकेशस, ट्रोक्सियाकिसयाना, सिन्ध, मगरीब (माघरेब) और इबेरिया प्रायद्वीप (अल अन्डालस) की विजय के साथ मुस्लिम दूनिया में शामिल किया गया। उमय्यदो की शक्ति; उमय्यद खलीफाओं ने 11.100.000 वर्ग किलो मीटर (4.300.000 वर्ग मील) क्षेत्र और 62 मिलियन लोग थे जिससे उमय्यद दूनिया की 29 प्रतिशत आबादी पर शासन किया करते जिसके साथ क्षेत्रफल के अनुपात में विश्व के बड़े और महान साम्राज्यो में से एक था। .

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उमर

हजरत उमर इब्न अल-ख़त्ताब (अरबी में عمر بن الخطّاب), ई. (586–590 – 644) मुहम्मद साहब के प्रमुख चार सहाबा (साथियों) में से थे। वह हज़रत अबु बक्र के बाद मुसलमानों के दूसरे खलीफा चुने गये। मुहम्मद साहब ने फारूक नाम की उपाधि दी थी। जिसका अर्थ सत्य और असत्य में फर्क करने वाला। मुहम्मद साहब के अनुयाईयों में इनका रुतबा हज़रत अबू बक्र के बाद आता है। उमर ख़ुलफा-ए-राशीदीन में दूसरे ख़लीफा चुने गए। उमर ख़ुलफा-ए-राशीदीन में सबसे सफल ख़लीफा साबित हुए। मुसलमान इनको फारूक-ए-आज़म तथा अमीरुल मुमिनीन भी कहते हैं। युरोपीय लेखकों ने इनके बारे में कई किताबें लिखी हैं तथा उमर महान (Umar The Great) की उपाधी दी है। प्रसिद्ध लेखक माइकल एच.

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उसमान बिन अफ़्फ़ान

उसमान बिन अफ़्फ़ान (579-656) उमर बिन खत्ताब के बाद मुसल्मानों के तीसरे ख़लीफ़ा चुने गये। पहले वो एक धनी व्यापारी हुआ करते थे लेकिन बाद में वह मुहम्मद साहिब के दामाद और उनके प्रमुख साथी बने। अपने खलीफ़ा बनने के बाद उन्होने क़ुरान को संकलित कर पुस्तक का रूप दिया। इस धार्मिक पुस्तक में मिलावट के आरोप में और मिस्र के वासियों से दग़ा करने के आरोप में ८० साल की उम्र में उनका मदीना में भीड़ ने क़त्ल कर दिया। इन आरोपों को इतिहास में विवादित माना जाता है, लेकिन प्रमाणित नहीं। ख़ास कर शिया मुस्लिम इन आरोपों पर अधिक विश्वास करते हैं। अपने धन के कारण उनको अल-ग़नी भी कहते हैं - इनके पिता मक्का के प्रभावशाली व्यापारी थे, जबकि ये ख़ुद कारोबारी सिलसिले में इथियोपिया में रहने लगे थे। इनके परिवार के अन्य सदस्यों ने अगले ७० सालों के इस्लामी साम्राज्य-विस्तार में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। बाद के उमय्या वंश के शासक इनके वंश से संबंधित थे। कुख्यात अरब जनरल अबू सुफ़ियान, और बाद में स्पेन में राज करने वाले मूसा भी इनके ख़ून के रिश्तेदार थे। .

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उस्मानी साम्राज्य

उस्मानी सलतनत (१२९९ - १९२३) (या उस्मानी साम्राज्य या तुर्क साम्राज्य, उर्दू में सल्तनत-ए-उस्मानिया, उस्मानी तुर्कीयाई:دَوْلَتِ عَلِيّهٔ عُثمَانِیّه देव्लेत-इ-आलीय्ये-इ-ऑस्मानिय्ये) १२९९ में पश्चिमोत्तर अनातोलिया में स्थापित एक तुर्क राज्य था। महमद द्वितीय द्वारा १४९३ में क़ुस्तुंतुनिया जीतने के बाद यह एक साम्राज्य में बदल गया। प्रथम विश्वयुद्ध में १९१९ में पराजित होने पर इसका विभाजन करके इस पर अधिकार कर लिया गया। स्वतंत्रता के लिये संघर्ष के बाद २९ अक्तुबर सन् १९२३ में तुर्की गणराज्य की स्थापना पर इसे समाप्त माना जाता है। उस्मानी साम्राज्य सोलहवीं-सत्रहवीं शताब्दी में अपने चरम शक्ति पर था। अपनी शक्ति के चरमोत्कर्ष के समय यह एशिया, यूरोप तथा उत्तरी अफ़्रीका के हिस्सों में फैला हुआ था। यह साम्राज्य पश्चिमी तथा पूर्वी सभ्यताओं के लिए विचारों के आदान प्रदान के लिए एक सेतु की तरह था। इसने १४५३ में क़ुस्तुन्तुनिया (आधुनिक इस्ताम्बुल) को जीतकर बीज़ान्टिन साम्राज्य का अन्त कर दिया। इस्ताम्बुल बाद में इनकी राजधानी बनी रही। इस्ताम्बुल पर इसकी जीत ने यूरोप में पुनर्जागरण को प्रोत्साहित किया था। .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

Islam, आदम, इसलाम, इस्लाम धर्म, इस्लामी

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