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पत्रकार

सूची पत्रकार

पत्रकार उस व्यक्ति को कहते हैं जो समसामयिक घटनाओं, लोगों, एवं मुद्दों आदि पर सूचना एकत्र करता है एवं जनता में उसे विभिन्न माध्यमों की मदद से फैलाता है। इस व्यवसाय या कार्य को पत्रकारिता कहते हैं। संवाददाता एक प्रकार के पत्रकार हैं। स्तम्भकार (कॉलमिस्ट) भी पत्रकार हैं। इसके अलावा विभिन्न प्रकार के सम्पादक, फोटोग्राफर एवं पृष्ठ डिजाइनर आदि भी पत्रकार ही हैं। .

157 संबंधों: ऍच॰ जी॰ वेल्स, ऍन० वी० कृष्णवा‍रियर, एबीऍस फ़्री डिश, ए॰ सूर्यप्रकाश, झाबुआ न्यूज़, झवेरचन्द मेघाणी, डाउ सिद्धांत, डिर्क सागर, डैनियल डेफॉ, तरुण तेजपाल, तरुण विजय, दुर्गाप्रसाद मिश्र, देवदास गांधी, दीनदयाल उपाध्याय, नन्दकिशोर नौटियाल, नरेन्द्र देव, नरेन्द्र मोहन, निरुपमा दत्त, नजम सेठी, नंददुलारे वाजपेयी, नूतन ठाकुर, नेमिचन्द्र जैन, नेमीचंद जैन 'भावुक', नीलेश मिश्रा, पत्रकारिता की शैलियाँ, पालागुम्मि साईनाथ, पांडेय बेचन शर्मा 'उग्र', पंडित सुन्दर लाल, पंकज बिष्ट, पुरुषोत्तम दास टंडन, पुरुषोत्तमदास मोदी, प्रद्युम्न रंधावा, प्रभाष जोशी, प्रीतिश नन्दी, पूर्णिमा वर्मन, फरीद ज़कारिया, फ़ैज़ अहमद फ़ैज़, फिदेल कास्त्रो, फिरोज़ गांधी, फ्रेडरिक नोरोन्हा, बदरीनाथ भट्ट, बनारसीदास चतुर्वेदी, बरखा दत्त, बरेंद्र कृष्ण ढल, बलवंत सिंह (लेखक), बाबूराव विष्णु पराडकर, बारीन्द्र कुमार घोष, बूबली जॉर्ज वर्घीज़, बेहरामजी मलाबारी, बॉबी एलॉयसियस, ..., बोहीमियनवाद, बीबीसी हिन्दी, बी॰ टी॰ रणदिवे, भट्ट मथुरानाथ शास्त्री, भारत में अंग्रेज़ी राज, भारतीय प्रेस परिषद्, भवनपुरा,जनपद मथुरा, भगवतीधर वाजपेयी, भोपाल समाचार, मनोज टिबड़ेवाल आकाश, मयंक छाया, माणिकचंद्र वाजपेयी, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, मगनलाल मणिलाल, मुहम्मद फारूक, मुहम्मद अली जौहर, मृणाल पाण्डे, मेघना पंत, रमेश चन्द्र झा, रमेश ठाकुर, राधाचरण गोस्‍वामी, राम बहादुर राय, राम शरण शर्मा, रामशरण जोशी, रामशंकर अग्निहोत्री, रासबिहारी बोस, राजदीप सरदेसाई, राजा महेन्द्र प्रताप सिंह, राजेन्द्र माथुर, रिचर्ड स्टेंगल, रिपोर्ताज, रजत शर्मा, रवींद्र आंबेकर, रुडयार्ड किपलिंग, रूपक, रूसी करंजिया, रोजन्ना अल यमिनि, शर्मीन ओबैद-चिनॉय, शाज़िया इल्मी, शिषिर कुमार घोष, शिवपूजन सहाय, श्यामलाल गुप्त 'पार्षद', श्रीनारायण चतुर्वेदी, सच्चिदानन्द सिन्हा, सरथ कुमार, संतोष भारतीय, संजय मिश्रा (अभिनेता), सुधीर चौधरी (पत्रकार), सुब्रह्मण्य भारती, सुबोध घोष, सुरेन्द्र प्रताप सिंह (पत्रकार), स्वेत्लाना अलेक्सिएविच, सी वी रामन पिल्लै, सीताराम अग्रहरि, हसन कमाल, हिन्दी आन्दोलन, होरेशियो बोत्तोमलेय, जगन्नाथ प्रसाद चतुर्वेदी, ज्यूसेपे मेत्सिनी, जॉन मार्ले, वरुण कुमार (पत्रकार), वसीम तरड़, विचारपरक लेखन, विपिनचंद्र पाल, विलियम काबेट, विष्णु खरे, विजय तेंडुलकर, वेब ट्रैफिक, वीरेन्द्र कुमार भट्टाचार्य, ख़्वाजा अहमद अब्बास, खुशवन्त सिंह, गणेशशंकर विद्यार्थी, गाफिल स्वामी, गाब्रिएल दाँनुतस्यो, गिरिलाल जैन, गजानन त्र्यंबक माडखोलकर, गुलाब कोठारी, गोपाल राम गहमरी, गोपाल सिंह नेपाली, गोपाल गणेश आगरकर, आन्द्रेस पस्त्राना अरांगो, आर्थर लेवेलिन बाशम, आर॰ए॰ पद्मनाभान, आलोक दीक्षित, इन्द्र विद्यावाचस्पति, इन्द्र कुमार गुजराल, कर्म एवं उद्यमों की सूची, कावालम माधव पणिक्कर, कुमार केतकर, कुलदीप नैयर, क्षेम चंद 'सुमन', कृष्णाजी प्रभाकर खाडिलकर, कृष्णकान्त मालवीय, कैलाश चन्द्र पन्त, केवल रतन मलकानी, अनुभा भोंसले, अनुषा रिज़वी, अमरकांत, अमीर चंद बोम्बवाल, अरविन्द अडिग, अरुण माहेश्वरी, अरुण शौरी, अर्णव गोस्वामी, अलेक्सान्द्र अब्रामोविच कबकोव, अश्विनी कुमार चोपड़ा, अंशुमान तिवारी, उपदेश अवस्थी सूचकांक विस्तार (107 अधिक) »

ऍच॰ जी॰ वेल्स

हर्बट जॉर्ज वेल्स (२१ सितंबर १८६६ - १३ अगस्त १९४६) - एॅच० जी० वेल्स से प्रचलित - बहुत सी विधाओं, जिनमें उपन्यास, इतिहास, राजनीति, सामाजिक टिप्पणी, पाठ्यपुस्तके, एवं युद्ध वाले खेलों के नियम सम्मिलित हैं, में निपुण अंग्रेजी के एक बहुप्रजनक लेखक थे। वेल्स अब सर्वश्रेष्ठ रूप से अपने काल्पनिक विज्ञान (सांइस फि़क्शन) उपन्यासों के लिए जाने जाते हैं और जूल्स वर्न एवं ह्यूगो गर्नस्बेक के साथ काल्पनिक विज्ञान शैली के पिता कहें जाते हैं। उनके सबसे उल्लेखनीय काल्पनिक विज्ञान लेखन कार्यों में 'दी टाइम मशीन (१८९५)', 'दी आईलैंड आॅफ़ डाॅक्टर मोरियो (१८९६)', 'दी इनविजी़बिल मैन (१८९७)' एवं 'दी वाॅर आॅफ़ दी वर्ल्डज़ (१८९८)' सम्मिलित हैं। उनका नाम साहित्य के नोबेल पुरस्कार के लिए चार बार नामांकित किया गया था। वेल्स का आरंभिक विशेषीकृत प्रशिक्षण जीवविज्ञान में हुआ, और नैतिक विषयों पर उनके विचार विनिर्दिष्ट एवं मौलिक रूप से डार्विन सन्दर्भ में संघटित हुए। वे शुरुआती दिनों से एक स्पष्टवादी समाजवादी भी थे, (पर हमेशा से नहीं, जैसे प्रथम विश्व युद्ध की शुरूआत में) जो अक्सर शांतिवादी विचारों का समर्थन करतें। उनके बाद के लेखन कार्य उत्तरोत्तर रूप से राजनीतिक एवं शिक्षाप्रद होते चले गए, और उन्होंने काल्पनिक विज्ञान शैली में थोड़ा ही लिखा, और इसी दौरान उन्होंनें कई बार औपचारिक लेख्य पत्रों में स्पष्ट भी किया कि उनका व्यवसाय एक पत्रकार का हैं। 'किप्स' और 'दी हिस्ट्री आॅफ़ मिस्टर पाॅली' जैसे उपन्यासों, जो निचले-मध्यम-वर्ग के जीवन का बखान करते हैं, ने छपने के बाद, इसी ओर संकेत किया, कि वेल्स,  चार्ल्स डिकेंस के सुयोग्य उत्तराधिकारी हैं, परंतु डिकेंस के विपरीत, वेल्स ने सामाजिक स्तरों का वर्णन विस्तारपूर्वक किया और 'टोनो-बंगे (१९०९)' में समूचे अंग्रेजी समाज का मूल्यांकन करने का भी प्रयास किया। एक मधुमेह रोगी, वेल्स ने १९३४ में 'दी डायबिटीज़ एसोसिएशन' (आज 'डायबिटीज़ यूके' से प्रचलित) की सह-संस्थापना की। .

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ऍन० वी० कृष्णवा‍रियर

एन् वी कृष्णवा‍रियर् विख्यात मलयालम कवि, बहुभाषाविद्, पत्रकार और स्वतंत्रता-सेनानी थे। केरल के त्रिशूर जिला में १३ में, १९१६ में उनका जन्म हुआ था। १२ अक्टूबर १९८९ को उनका देहांत हो गया। .

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एबीऍस फ़्री डिश

ABS फ्री डीस या ABS2 एक भारतीय फ्री-टू-एयर डिजिटल प्रत्यक्ष प्रसारण उपग्रह टेलीविजन सेवा है। यह भारत का दूसरा फ्री-टू-एयर उपग्रह टेलीविजन सेवा है। इससे पहले भारत मे डीडी फ्री डीस कार्यरत है और डीस टीवी का सेटेलाइट डीडी के सेटेलाइट के पास होने का फायदा उठाने के लिए डीस टीवी ने अपने फ्री टु एयर चैनलो को अनइंक्रिप्टेड रखता है जिससे वो डीडी फ्री डीस के साथ एक ही सेट टॉप बॉक्स पे देखा जा सकता है। ABS फ्री डीस का राह आसान नही है ये डीटीएच के दौर मे काफी बाद मे आया है तबतक डीडी फ्री डीस दो कड़ोर से अधिक सक्रिय दर्शक अपने साथ जोड़ चुका है। फिलहाल ABS2 75° पुर्वी उपग्रह पे 97 एफटीए MPEG-2 चैनलों, और एक MPEG4 चैनल है। .

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ए॰ सूर्यप्रकाश

ए॰ सूर्यप्रकाश (A.), एक भारतीय पत्रकार हैं और वर्तमान में प्रसार भारती के अध्यक्ष हैं। 28 अक्टूबर, 2014 को उन्हें इस पर पर तीन वर्षों के लिए नियुक्त किया गया। वे विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन के सदस्य और पायनियर अखबार के सलाहकार संपादक हैं। उन्होंने 1988 से 1993 तक इंडियन एक्सप्रेस के ब्यूरो प्रमुख रहे और 1994 से 1995 के दौरान राजनीतिक समूह एनाडु और जी न्यूज के संपादक रहे। .

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झाबुआ न्यूज़

झाबुआ न्यूज़ या (झाबुआ न्यूज़ डॉट आशा न्यूज़ डॉट कॉम/jhabua.ashanews.in) मध्यप्रदेश में स्थापित आशा न्यूज़ का अधिकृत आॅनलाइन समाचार चैनल है, इसकी शुरुआत १० जुलाई २०१२ को की थी तथा इसका मुख्यालय झाबुआ,मध्यप्रदेश में है। ये बहुत कम समय में यह झाबुआ का सबसे लोकप्रिय हिन्दी न्यूज पोर्टल बन गया एवं लगातार अपनी प्रतिष्ठा बरकरार रखे हुए है। इसके सम्पादक पीयूष त्रिवेदी है। झाबुआ न्यूज़ ऑनलाइन न्यूज़ पोर्टल में ज्यादातर सोशल पत्रकार है जिससे स्वतंत्र पत्रकारिता का बड़ा अवसर मिल रहा है। .

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झवेरचन्द मेघाणी

झवेरचंद मेघाणी (१८९६ - १९४७) गुजराती साहित्यकार तथा पत्रकार थे। गुजराती-लोकसाहित्य के क्षेत्र में मेघाणी का स्थान सर्वोपरि है। वे सफल कवि ही नहीं, उपन्यासकार, कहानीकार, नाटककार, निबंधकार, जीवनीलेखक तथा अनुवादक भी थे। .

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डाउ सिद्धांत

स्टॉक-मूल्य गतिविधि पर डाउ सिद्धांत एक तकनीकी विश्लेषण है जिसमें सेक्टर रोटेशन के कुछ पहलु शामिल हैं। इस सिद्धांत को चार्ल्स एच.

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डिर्क सागर

डिर्क सागेर (१३ अगस्त १९४० – २ जनवरी २०१४) जर्मन पत्रकार थे। .

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डैनियल डेफॉ

डैनियल डेफॉ या डैनियल डिफो, मूल नाम डैनियल फॉ (जन्म: 1659-1661 मृत्यु: 24 अप्रैल 1731), एक अंग्रेजी लेखक, पत्रकार, पैंफ्लेट लेखक तथा उपन्यासकार था, जिसने अपने उपन्यास रोबिंसन क्रूसो के लिए चिरस्थायी प्रसिद्धि प्राप्त की। ब्रिटेन में डैफो ने उपन्यास की विधा को लोकप्रिय बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। कुछ लोग तो उसे अंग्रेजी उपन्यास के संस्थापकों में से एक मानते हैं। वह एक बहुसर्जक और बहुमुखी प्रतिभा का धनी लेखक था; उसने राजनीति, अपराध, धर्म, विवाह, मनोविज्ञान और परालौकिक सहित विभिन्न विषयों पर पाँच सौ से अधिक किताबें, लघुलेख और जर्नल लिखे थे। उसे आर्थिक मामलों की पत्रकारिता का अग्रदूत भी माना जाता है। डैनियल डिफो का मूल कुलनाम फो था, जो बाद में उसने डिफो कर लिया। उसका जन्म क्रिपलगेट में शायद १६६० ई० में हुआ था। मेरी टफले से उसका विवाह १६८४ ई० में हुआ। डिफो के माता पिता में परस्पर विशेष प्रेम नहीं था। उसकी शिक्षा दीक्षा बहुत कम हो पाई और बचपन से ही उसे जीवनसंघर्ष में जुट जाना पड़ा। उपन्यास आदि लिखना तो ६० वर्ष की उम्र में उसने शुरू किया। उससे पहले उसे पत्रकार के नाते बहुत कलमघिसाई करनी पड़ी। उसे राजनीति में बहुत रुचि थी। १७०१ ई० में उसने 'दि ट्रूबार्न इंग्लिशमैन' नामक एक कविता लिखी जो विलियम ऑव आरेंज के सिंहासन पर आने के संबंध में थी। इसमें उन लोगों पर व्यंग किया गया था जो राजा को विदेशी मानते थे। सन् १७०२ ई० में उसने 'दि शार्टेस्ट वे विथ डिस्सेंटर्स' में इंग्लैंड के चर्च पर शाब्दिक हमला किया। तब डिफो का खासा मजाक उड़ाया गया, उसे बंदी भी बनाया गया; परंतु वह सरकार का गुप्तचर बन गया। उसके बाद उसने कई लोगों के लिए छिपकर काम किए; और ऐसा भी कहा जाता है कि उसने दोनों पक्षों के लिए परस्पर विरोधी काम एक ही समय किए। १७०४ ई० से १७११ तक डिफो ने 'दि रिव्यू' नामक पत्र का संपादन किया जिसे बाद में ऐडिसन और स्टील ने चलाया। यद्यपि ६० वर्ष की आयु तक डिफो ने कई प्रकार का लेखन किया, तथापि उसकी मुख्य ख्याति उन प्रचार पुस्तिकाओं जैसे लेखन के कारण नहीं है। १७१९ में डिफो का एक उपन्यास 'राबिन्सन क्रूसो' प्रकाशित हुआ। यह अलैक्जैंडर सेलकर्क नामक व्यक्ति के जुआन फेर्नांदेज द्वीप पर १७०४ से १७०९ तक निर्वासन ओर एकांतवास की सत्य कथा पर आधारित उपन्यास था। इसमें एक ऐसे व्यक्ति की जीवनी है जो जहाज टूटने से अकेला एक अनजान द्वीप पर जा पहुँचता है, कुछ औज़ारों के सहारे अपनी झोपड़ी खुद बनाता है। फ्राइडे नामक सेवक एकमात्र उसका मित्र है। वहाँ उसे कैसे अद्भुत अनुभव प्राप्त होते हैं, इसका सब प्रामाणिक, ब्यौरेवार वर्णन डिफो ने प्रस्तुत किया है। यह उपन्यास छपते ही खूब बिका और अब तो विश्वसाहित्य में वह एक है। पुस्तक की सारी घटनाएँ और विवरण ऐसे सजीव हैं और मनुष्यस्वभाव का ऐसा मार्मिक वर्णन सहज प्रवाहमयी भाषा में किया गया है कि उस समय के नए नए साक्षर पाठकों के विशाल समुदाय ने पूरी कहानी को सच मान लिया। डिफो एक के बाद एक ऐसे कई औपन्यासिक वृत्त लिखने लगा। १७२० में साहसपूर्ण समुद्री डकैती पर आधारित कहानी कैप्टन सिंगलटन छपी। दो साल बाद मौल फ्लैंडर्स नामक चंचला स्त्री की जीवनी छपी, जो क्रमश: धनी और दरिद्र होते होते बुढ़ापे में जाकर अपनी प्रणयलीलाओं पर पछताती है। १७२२ ई० में छपा 'महामारी के वर्ष की दैनिकी' (जर्नल ऑव दि प्लेग ईयर) १६६५ ई० में लंदन में जो भयानक महामारी फैली थी उसका जीता जागता, आँखों देखा वर्णन डिफो ने कल्पना की आँखों से प्रस्तुत किया। कई आलोचक इसे डिफो की सर्वश्रेष्ठ कृति मानते हैं। १७२४ ई० में 'रुखसाना अथवा भाग्यवान प्रमिका' पुस्तक में फिर मौल फ्लैंडर्स जैसी चंचला स्त्री की कहानी है जो अपने सौंदर्य का जाल बिछाकर खूब संपत्ति कमाती रहती है। इन सब कथाकृतियों में क्रूसो का स्थान सर्वोपरि है। उसकी महत्ता आज भी अक्षुण्ण है। बच्चों के साहित्य में इस साहसकथा का सानी दूसरा नहीं। २५० कृतियाँ लिखकर भी डिफो की शैली प्रसन्न और स्वाभाविक प्रवाहमयी रही। डिफो भी सभी कथाओं का अंत नैतिक उपदेश के ढंग पर सत्य और न्याय की विजय और पाप की हार होता है। परन्तु कहानी के दौरान में वह पापी वेश्याओं, गुंडों, अपराधियों, समुद्री डाकुओं, साहसी नाविकों का चित्रण ऐसी यथार्थता के साथ करता जाता है कि उस समय के मध्यवर्गीय अंग्रेज पाठकों को उसकी कृतियों से बहुत आनन्द मिलता था। साहित्यगुणों में विशिष्ट या बहुत ऊँची न होने पर भी उसकी रचनाएँ अत्यधिक लोकप्रिय बनीं। इसका एक कारण यह था कि वह अपने पात्र और घटनाएँ प्रत्यक्ष जीवन की वास्तव पार्श्वभूमि से लेता था और उनमें आवश्यक मात्रा में कल्पना की मिलावट करता था। डिफो की मृत्यु मूरगेट में २६ अप्रैल, १७३१ ई० को हुई। .

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तरुण तेजपाल

तरुण तेजपाल (पंजाबी: ਤਰੁਣ ਤੇਜਪਾਲ, जन्म; 15 मार्च 1963) एक भारतीय पत्रकार, प्रकाशक और उपन्यासकार हैं। तेजपाल मार्च 2000 में शुरू हुई तहलका नामक पत्रिका का प्रकाशक और प्रधान संपादक हैं, लेकिन नवम्बर 2013 की शुरुआत के छह महीने के लिए इन्होने अपना पद छोड़ दिया है। तेजपाल ने इससे पहले इंडिया टुडे और इंडियन एक्सप्रेस समूह में संपादक के तौर पर और आउटलुक में प्रबंध संपादक के तौर पर काम किया है। .

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तरुण विजय

तरुण विजय भारतीय राष्ट्रीय भावना से ओतप्रोत पत्रकार एवं चिन्तक हैं। सम्प्रति वे श्यामाप्रसाद मुखर्जी शोध संस्थान के अध्यक्ष हैं। वह 1986 से 2008 तक करीब 22 सालों तक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुखपत्र पाञ्चजन्य के संपादक रहे। फिलहाल वह डॉ॰ श्यामाप्रसाद मुखर्जी रिसर्च फाउंडेशन के डायरेक्टर के पद पर हैं। उन्होंने अपने करियर की शुरूआत ब्लिट्ज़ अखबार से की थी। बाद में कुछ सालों तक फ्रीलांसिंग करने के बाद वह आरएसएस से जुड़े और उसके प्रचारक के तौर पर दादरा और नगर हवेली में आदिवासियों के बीच काम किया। तरुण विजय शौकिया फोटोग्राफर भी हैं और हिमालय उन्हें बहुत लुभाता है। उनके मुताबिक सिंधु नदी की शीतल बयार, कैलास पर शिवमंत्रोच्चार, चुशूल की चढ़ाई या बर्फ से जमे झंस्कार पर चहलकदमी - इन सबको मिला दें तो कुछ-कुछ तरुण विजय नज़र आएंगे। .

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दुर्गाप्रसाद मिश्र

दुर्गाप्रसाद मिश्र (31 अक्टूबर 1860 -1910) हिन्दी के पत्रकार थे। 19वीं सदी की हिंदी पत्रकारिता में दुर्गाप्रसाद मिश्र का महत्वपूर्ण योगदान माना जाता है। वे हिंदी के ऐसे पत्रकार रहे हैं जिन्हें हिंदी पत्रकारिता के जन्मदाताओं एवं प्रचारकों में शुमार किया जाता है। हिंदी पत्रकारिता को क्रांति एवं राष्ट्रहित के मार्ग पर ले जाने के लिए अनेकों पत्रकारों ने अहोरात्र संघर्ष किया। पं॰ दुर्गाप्रसाद मिश्र ऐसे ही पत्रकार थे। .

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देवदास गांधी

देवदास गांधी (१९०० - १९५७) महात्मा गांधी के चौथे एवं सबसे छोटे पुत्र थे। श्री गांधी का जन्म दक्षिण अफ्रीका में हुआ था एवं वे अपने परिवार के साथ एक युवा के रूप में भारत वापस आए। अपने पिता द्वारा किए जानेवाले कार्यों में उनकी सक्रिय भागीदारी थी एव उन्हें अंग्रेजी सरकार द्वारा कई बार कारावास की सजा भी हुई। श्री गांधी एक प्रमुख पत्रकार के रूप में जाने जाते थे एवं वे भारत से निकलने वाली अंग्रेजी अखबार हिंदुस्तान टाईम्स के संपादक पद पर भी कई वर्षों तक रहे। श्री गांधी का प्रेम विवाह १९३३ में गांधी जी के सहयोगी एवं प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी राजाजी (चक्रवर्ती राजगोपालाचारी) की सुपुत्री लक्षमी से हुआ। उनकी चार संताने (तीन पुत्र एवं एक पुत्री) हुईं - राजमोहन, गोपालकृष्ण, रामचंद्र एवं तारा। श्रेणी:व्यक्तिगत जीवन श्रेणी:भारतीय स्वतंत्रता सेनानी श्रेणी:1900 में जन्मे लोग.

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दीनदयाल उपाध्याय

पण्डित दीनदयाल उपाध्याय (जन्म: २५ सितम्बर १९१६–११ फ़रवरी १९६८) चिन्तक और संगठनकर्ता थे। वे भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष भी रहे। उन्होंने भारत की सनातन विचारधारा को युगानुकूल रूप में प्रस्तुत करते हुए देश को एकात्म मानववाद जैसी प्रगतिशील विचारधारा दी। उपाध्यायजी नितान्त सरल और सौम्य स्वभाव के व्यक्ति थे। राजनीति के अतिरिक्त साहित्य में भी उनकी गहरी अभिरुचि थी। उनके हिंदी और अंग्रेजी के लेख विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहते थे। केवल एक बैठक में ही उन्होंने चन्द्रगुप्त नाटक लिख डाला था। .

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नन्दकिशोर नौटियाल

श्री नन्दकिशोर नौटियाल (जन्म:१५ जून सन् १९३१) वरिष्ठ पत्रकार, महाराष्ट्र राज्य हिन्दी साहित्य अकादमी के कार्याध्यक्ष तथा `नूतन सवेरा' के संपादक हैं। वे हिन्दी ब्लिट्ज के सम्पादक भी रह चुके हैं। .

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नरेन्द्र देव

फैजाबाद स्थित आचार्य नरेन्द्र देव का पारिवारिक घर आचार्य नरेंद्रदेव (1889-19 फ़रवरी 1956) भारत के प्रमुख स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी, पत्रकार, साहित्यकार एवं शिक्षाविद थे। वे कांग्रेस समाजवादी दल के प्रमुख सिद्धान्तकार थे। विलक्षण प्रतिभा और व्यक्तित्व के स्वामी आचार्य नरेन्द्रदेव अध्यापक के रूप में उच्च कोटि के निष्ठावान अध्यापक और महान शिक्षाविद् थे। काशी विद्यापीठ के आचार्य बनने के बाद से यह उपाधि उनके नाम का ही अंग बन गई। देश को स्वतंत्र कराने का जुनून उन्हें स्वतंत्रता आन्दोलन में खींच लाया और भारत की आर्थिक दशा व गरीबों की दुर्दशा ने उन्हें समाजवादी बना दिया। .

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नरेन्द्र मोहन

नरेन्द्र मोहन (१९३४ -- २००२) हिन्दी साहित्यकार तथा पत्रकार थे। श्रेणी:पत्रकार श्रेणी:हिन्दी साहित्यकार.

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निरुपमा दत्त

निरुपमा दत्त (जन्म १९५५) एक प्रसिद्ध अंग्रेजी पत्रकार, आलोचक, अनुवादक और कवित्री हैं। निरुपमा दत्त पंजाबी मूल की एक नारीवादी लेखिका हैं और पंजाबी व अंग्रेजी में लिखती हैं। "एक नदी सांवली सी" (पंजाबी:ਇੱਕ ਨਦੀ ਸਾਂਵਲੀ ਜਿਹੀ) उनका प्रसिद्ध काव्य संग्रह है जिस के लिए उन्हें सन २००० में दिल्ली साहित्य अकेडमी ने पुरस्कार से समानित किया था। सन २००४ में उन्होंने अजीत कौर से मिल कर कविता की एक पुस्तक "कवितांजली" सम्पादित की और पंजाबी की लघु कथाओं का अंग्रेजी में Our Voices शीर्षक के अधीन अनुवाद किया जो पेंगुअन ने प्रकाशित किया है। उन्होंने पाकिस्तानी लेखिकाओं की एक गल्प पुस्तक "Half the Sky अंग्रेजी में अनुवाद व संपादित की है। .

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नजम सेठी

नजम सेठी(उर्दू: نجم سیٹھی जन्म:1948), एक वरिष्ठ एवं मशहूर पाकिस्तानी पत्रकार हैं। वे २७ मार्च २०१३ से ७ जून २०१३ तक पाकिस्तान के प्रान्त पंजाब के पूर्व कार्यवाहक मुख्यमंत्री भी थे। वे एक काफी मशहूर एवं पुरस्कृत पत्रकार होने के साथ ही विवादास्पद हस्ती भी हैं। वे एक पत्रकार, संपादक, समीक्षक तथा एक पत्रकारी व्यक्तित्व भी हैं। वे लाहौर-आधारित राजनीतिक साप्ताहिक, द फ्राइडे टाइम्स के मुख्या संपादक है, एवं पूवतः डेली टाइम्स और डेली आजकल जैसे अखबारों के संपादक भी रह चुके हैं। वे पाकिस्तान के समाचार चैनल जीओ टीवी पर आपस की बात नामक एक साधारण ज्ञान एवं राजनीतिक टिप्पणिकारी कार्यक्रम चलते हैं। साथ ही, वे वैनगार्ड बुक्स नामक एक प्रकाशन एवं पुस्तक वेक्रेता चेन के मालिक भी हैं। उन्हें पाकिस्तानी राजनीति पर अपने बेबांक बोल और सम्बंधित आलोचनाओं और पत्रिकारिता के लिए जाना जाता है। वर्ष १९९९ में, उन्हें, पाकिस्तान की आईएसआई द्वारा, ब्रिटिश ब्राडकास्टिंग कॉर्पोरेशन को दिया गए सरकारी भ्रष्टाचार सम्बंधित अपने एक इंटरव्यू(साक्षात्कार) के लिए गिरफ्तार कर लिया गया था, और करीब एक महीने तक हिरासत में रखा गया था। १९९९ में उन्हें इंटरनेशनल प्रेस फ्रीडम अवार्ड (अनृर्राष्ट्रीय प्रेस स्वतंत्रता पुरस्कार) से भी नवाज़ गया था, और २००९ में उनको वर्ल्ड एसोसिएशन ऑफ़ न्यूस्पपेर्स द्वारा गोल्डन पेन ऑफ़ फ़्रीडम से पुरस्कृत किया गया था। २६ मार्च २०१३ को उन्हें शासक एवं विपक्षी दलों की स्वीकृति से पंजाब के अंतरिम कार्यवाहक मुख्यमंत्री के पद के लिए नामांकित किया गया था। उन्होंने २७ मार्च को शपथ दिलाई गयी, और वे इस पद पर ७ जून २०१३ तक थे। .

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नंददुलारे वाजपेयी

नन्ददुलारे वाजपेयी (१९०६ - २१ अगस्त, १९६७ उज्जैन) हिन्दी के साहित्यकार, पत्रकार, संपादक, समीक्षक और अंत में प्रशासक भी रहे। इनको छायावादी कविता के शीर्षस्थ आलोचक के रूप में मान्यता प्राप्त है। हिंदी साहित्य: बींसवीं शताब्दी, जयशंकर प्रसाद, प्रेमचन्द, आधुनिक साहित्य, नया साहित्य: नये प्रश्न इनकी प्रमुख आलोचना पुस्तकें हैं। वे शुक्लोत्तर युग के प्रख्यात समीक्षक थे। .

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नूतन ठाकुर

डॉ॰ नूतन ठाकुर (जन्म: ११ जुलाई १९७३) एक सामाजिक कार्यकर्ता, पत्रकार, व लेखिका हैं। वें आई.पी.एस. अधिकारी अमिताभ ठाकुर की पत्नी हैं। .

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नेमिचन्द्र जैन

नेमिचन्द्र जैन नेमिचन्द्र जैन (16 अगस्त 1919 -- 24 मार्च 2005) हिन्दी के सुप्रसिद्ध कवि, समालोचक, नाट्य-समीक्षक, पत्रकार, अनुवादक, शिक्षक थे। वे भारत की स्वतंत्रता के संघर्ष में भी शामिल हुए थे। ये नटरंग प्रतिष्ठान के अध्यक्ष थे। वे 1959-76 राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय में वरिष्ठ प्राध्यापक, 1976-82 जवाहरलाल नेरूह विश्वविद्यालय के कला अनुशीलन केन्द्र के फैलो एवं प्रभारी रहे। अंग्रेजी दैनिक ‘स्टेट्समैन’ के नाट्य-समीक्षक, ‘दिनमान’ तथा ‘नवभारत टाइम्स’ के स्तम्भकार एवं रंगमंच की विख्यात पत्रिका ‘नटरंग’ से संस्थापक संपादक रहे। नाट्य विशेषज्ञ के रूप में रूप, अमरीका, इंगलैंड, पश्चिम एवं पूर्वी जर्मनी, फ्रांस, यूगोस्लाविया, चेकोस्लोवाकिया, पौलेंड आदि देशों की यात्रा की। .

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नेमीचंद जैन 'भावुक'

नेमीचंद जैन 'भावुक' (२५ जुलाई १९२८—२१ अक्टूबर २०१०) गांधीवादी चिंतक, वरिष्ठ पत्रकार, अनेक संस्थाओं के प्रतिष्ठाता थे। वे विभिन्न कालखंडों में दर्जनों युवाओं के पथ-प्रदर्शक रहे। भावुक द्वारा स्थापित अंतर प्रांतीय कुमार साहित्य परिषद ने साहित्य के क्षेत्र में कई लोगों को मंच प्रदान किया। वे प्रख्यात विधिवेत्ता लक्ष्मीमल्ल सिंघवी के समकालीन ही नहीं उनके करीबी भी थे। .

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नीलेश मिश्रा

नीलेश मिश्रा एक भारतीय पत्रकार,लेखक,पटकथा लेखक,बॉलीवुड गीतकार तथा फोटोग्राफर है यह मुख्य रूप से अपने रेडियो कार्यक्रम "यादों का इडियट बॉक्स विद नीलेश मिश्रा" जो बिग फम पर आता था ' इनके अलावा ये भारतीय क्षेत्रीय समाचार पत्र गांव कनेक्शन के सह-संस्थापक भी है ' इन्होंने एक कंटेंट क्रिएशन कंपनी की भी स्थापना की है जो कंटेंट प्रोजेक्ट के नाम लिए जानी जाती है ' श्रेणी:लेखक श्रेणी:पटकथा लेखक श्रेणी:पत्रकार श्रेणी:फोटोग्राफर श्रेणी:जीवित लोग श्रेणी:1973 में जन्मे लोग श्रेणी:नैनीताल के लोग .

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पत्रकारिता की शैलियाँ

पत्रकारिता में घटनाओं का लिखित रूप में वर्णन करने के लिये बहुत सी शैलियों का प्रयोग किया जाता है जिन्हें "पत्रकारिता शैलियाँ" कहते हैं।समाचार पत्रों और पत्र-पत्रिकाओं में प्रायः विशेषज्ञ पत्रकारों द्वारा लिखे गए विचारशील लेख प्रकाशित होते है जिसे "फीचर कहानी" (रूपक) का नाम दिया गया है। फीचर लेख ज़्यादातर लम्बे प्रकार के लेख होते है जहाँ सीधे समाचार सूचना से अधिक शैली पर ध्यान दिया जाता है। अधिकतर लेख तस्वीर, चित्र या अन्य प्रकार के "कला" के साथ संयुक्त किये जाते हैं। कभी-कभी ये मुद्रण प्रभाव या रंगो से भी प्रकशित किये जाते है। के अंतर्संबंधों ने पत्रकारिता की शैली को भी प्रमुखता से प्रभावित किया है। एक पत्रकार के लिए रूपक (फीचर स्टोरी) की लिखाई अन्य सीधे समाचार सूचना की लिखाई से कई ज़्यादा श्रमसाध्य हो सकती है। एक तरफ जहां उन पर कहानी के तथ्यों को सही रूप से इकट्ठा और प्रस्तुत करने का भार हैं वही दूसरी तरफ कहानी को पेश करने के लिये एक रचनात्मक और दिलचस्प तरीका खोजने का दबाव है। लीड (या कहानी के पहले दो अनुछेद) पाठक का ध्यान खींचने और लेख के विचारो को यथार्थ रूप से प्रकट करने में सक्षम होना चाहिए। २० वी सदी के अंतिम छमाही से सीधे समाचार रिपोर्टिंग और फीचर लेखन के बीच की रेखा धुंधली हो गई हैं। पत्रकारों और प्रकाशनों आज अलग-अलग दृष्टिकोण के साथ लेखन पर प्रयोजन कर रहे हैं। टॉम वोल्फ, गे टलेस, हंटर एस.

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पालागुम्मि साईनाथ

पालागम्मी साईनाथ् (जन्म १९५७) भारतीय पत्रकार हैं जिन्होंने अपनी पत्रकारिता को सामाजिक समस्याओं, ग्रामीण हालातों, गरीबी, किसान समस्या और भारत पर वैश्वीकरण के घातक प्रभावों पर केंद्रित किया है। वे स्वयं को ग्रामीण संवाददाता या केवल संवाददाता कहते हैं। वे अंग्रेजी अखबार द हिंदू और द वेवसाइट इंडिया के ग्रामीण मामलों के संपादक हैं। हिंदू में पिछले ६ वर्षों से वे अपने कई महत्वपूर्ण कार्यों पर लिखते रहे हैं। अमर्त्य सेन ने उन्हें अकाल और भूखमरी के विश्व के महानतम विशेषज्ञों में से एक माना है। .

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पांडेय बेचन शर्मा 'उग्र'

पांडेय बेचन शर्मा "उग्र" (१९०० - १९६७) हिन्दी के साहित्यकार एवं पत्रकार थे। का जन्म उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जनपद के अंतर्गत चुनार नामक कसबे में पौष शुक्ल 8, सं.

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पंडित सुन्दर लाल

सत्याग्रह छत्तीसगढ़ के कवि एवं समाजसुधारक पंडित सुन्दर लाल शर्मा के लिये संबन्धित लेख देखें। ----- पंडित सुन्दर लाल (२६ सितम्बर सन १८८५ - 9 मई १९८१) भारत के पत्रकार, इतिहासकार तथा स्वतंत्रता-संग्राम सेनानी थे। वे 'कर्मयोगी' नामक हिन्दी साप्ताहिक पत्र के सम्पादक थे। उनकी महान कृति 'भारत में अंग्रेज़ी राज' है। .

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पंकज बिष्ट

पंकज बिष्ट हिन्दी साहित्य के प्रतिष्ठित पत्रकार, कहानीकार, उपन्यासकार व समालोचक है। वर्तमान में वे दिल्ली से प्रकाशित समयांतर नामक हिन्दी साहित्य की मासिक पत्रिका का सम्पादन व संचालन कर रहे हैं। .

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पुरुषोत्तम दास टंडन

पुरूषोत्तम दास टंडन (१ अगस्त १८८२ - १ जुलाई, १९६२) भारत के स्वतन्त्रता सेनानी थे। हिंदी को भारत की राष्ट्रभाषा के पद पर प्रतिष्ठित करवाने में उनका महत्त्वपूर्ण योगदान था। उनका जन्म उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में हुआ था। वे भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन के अग्रणी पंक्ति के नेता तो थे ही, समर्पित राजनयिक, हिन्दी के अनन्य सेवक, कर्मठ पत्रकार, तेजस्वी वक्ता और समाज सुधारक भी थे। हिन्दी को भारत की राजभाषा का स्थान दिलवाने के लिए उन्होंने महत्वपूर्ण योगदान किया। १९५० में वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष बने। उन्हें भारत के राजनैतिक और सामाजिक जीवन में नयी चेतना, नयी लहर, नयी क्रान्ति पैदा करने वाला कर्मयोगी कहा गया। वे जन सामान्य में राजर्षि (संधि विच्छेदः राजा+ऋषि.

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पुरुषोत्तमदास मोदी

पुरुषोत्तमदास मोदी (जन्म: १९ अगस्त १९२७) पत्रकार, साहित्यकार, शिक्षाविद एवं प्रकाशक हैं। उन्होने सन् १९५० में विश्वविद्यालय प्रकाशन, वाराणसी की स्थापना की। उनका जन्म गोरखपुर में हुआ था। .

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प्रद्युम्न रंधावा

प्रद्युम्न रंधावा (अंग्रेजी: Parduman Randhawa) एक भारतीय अभिनेता है, वे प्रसिध्द पहलवान व अभिनेता दारा सिंह के ज्येष्ठ पुत्र हैं। .

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प्रभाष जोशी

प्रभाष जोशी (जन्म १५ जुलाई १९३६- निधन ५ नवंबर २००९) हिन्दी पत्रकारिता के आधार स्तंभों में से एक थे। वे राजनीति तथा क्रिकेट पत्रकारिता के विशेषज्ञ भी माने जाते थे। दिल का दौरा पड़ने के कारण गुरुवार, ५ नवम्बर २००९ मध्यरात्रि के आसपास गाजियाबाद की वसुंधरा कॉलोनी स्थित उनके निवास पर उनकी मृत्यु हो गई। .

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प्रीतिश नन्दी

प्रीतिश नन्दी (Pritish Nandy) (जन्म- १५ जनवरी १९५१) एक पत्रकार, कवि, राजनेता एवं दूरदर्शन-व्यक्तित्व हैं। सम्प्रति वह भारत् के ऊपरी सदन राज्य सभा के सदस्य हैं। उन्होने अनेकों काव्य रचनाओं का पल्लवन किया है तथा बांग्ला से अंग्रेजी में अनेकों कविताओं का अनुवाद भी किया है। .

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पूर्णिमा वर्मन

पूर्णिमा वर्मन (जन्म २७ जून १९५५, पीलीभीत, उत्तर प्रदेश), जाल-पत्रिका अभिव्यक्ति और अनुभूति की संपादक है। पत्रकार के रूप में अपना कार्यजीवन प्रारंभ करने वाली पूर्णिमा का नाम वेब पर हिंदी की स्थापना करने वालों में अग्रगण्य है। उन्होंने प्रवासी तथा विदेशी हिंदी लेखकों को प्रकाशित करने तथा अभिव्यक्ति में उन्हें एक साझा मंच प्रदान करने का महत्वपूर्ण काम किया है। माइक्रोसॉफ़्ट का यूनिकोडित हिंदी फॉण्ट आने से बहुत पहले हर्ष कुमार द्वारा निर्मित सुशा फॉण्ट द्वारा उनकी जाल पत्रिकाएँ अभिव्यक्ति तथा अनुभूति अंतर्जाल पर प्रतिष्ठित होकर लोकप्रियता प्राप्त कर चुकी थीं। वेब पर हिंदी को लोकप्रिय बनाने के अपने प्रयत्नों के लिए उन्हें २००६ में भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद, साहित्य अकादमी तथा अक्षरम के संयुक्त अलंकरण अक्षरम प्रवासी मीडिया सम्मान, २००८ में रायपुर छत्तीसगढ़ की संस्था सृजन सम्मान द्वारा हिंदी गौरव सम्मान, दिल्ली की संस्था जयजयवंती द्वारा जयजयवंती सम्मान तथा केन्द्रीय हिन्दी संस्थान के पद्मभूषण डॉ॰ मोटूरि सत्यनारायण पुरस्कारसे विभूषित किया जा चुका है। उनके तीन कविता संग्रह "पूर्वा", "वक्त के साथ" और "चोंच में आकाश" नाम से प्रकाशित हुए हैं। संप्रति शारजाह, संयुक्त अरब इमारात में निवास करने वाली पूर्णिमा वर्मन हिंदी के अंतरराष्ट्रीय विकास के अनेक कार्यों से जुड़ी हुई हैं। .

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फरीद ज़कारिया

फरीद रफीक ज़कारिया (फ़रीद राफ़िक़ ज़कारिया, فرید رفیق زکریا,; जन्म 20 जनवरी 1964) एक भारतीय मूल के अमेरिकी पत्रकार और लेखक हैं। न्यूजवीक में स्तंभकार और न्यूज़वीक इंटरनेशनल के संपादक के रूप में लंबे समय के कैरियर के बाद हाल ही में उन्हें टाइम के एडिटर-एट-लार्ज के रूप में घोषित किया गया। वे सीएनएन के फरीद ज़कारिया जीपीएस के होस्ट भी हैं और अंतरराष्ट्रीय संबंधों, व्यापार और अमेरिकी विदेश नीति से संबंधित मुद्दों के एक सतत आलोचक और लेखक हैं। .

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फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

कोई विवरण नहीं।

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फिदेल कास्त्रो

फिदेल ऐलेजैंड्रो कास्त्रो रूज़ (जन्म: 13 अगस्त 1926 - मृत्यु: 25 नवंबर 2016) क्यूबा के एक राजनीतिज्ञ और क्यूबा की क्रांति के प्राथमिक नेताओं में से एक थे, जो फ़रवरी 1959 से दिसम्बर 1976 तक क्यूबा के प्रधानमंत्री और फिर क्यूबा की राज्य परिषद के अध्यक्ष (राष्ट्रपति) रहे, उन्होंने फरवरी 2008 में अपने पद से इस्तीफा दिया। फ़िलहाल वे क्यूबा की कम्युनिस्ट पार्टी के प्रथम सचिव थे। 25 नवंबर 2016 को उनका निधन हो गया। वे एक अमीर परिवार में पैदा हुए और कानून की डिग्री प्राप्त की। जबकि हवाना विश्वविद्यालय में अध्ययन करते हुए उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरूआत की और क्यूबा की राजनीति में एक मान्यता प्राप्त व्यक्ति बन गए। उनका राजनीतिक जीवन फुल्गेंकियो बतिस्ता शासन और संयुक्त राज्य अमेरिका का क्यूबा के राष्ट्रहित में राजनीतिक और कारपोरेट कंपनियों के प्रभाव के आलोचक रहा है। उन्हें एक उत्साही, लेकिन सीमित, समर्थक मिले और उन्होंने अधिकारियों का ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने मोंकाडा बैरकों पर 1953 में असफल हमले का नेतृत्व किया जिसके बाद वे गिरफ्तार हो गए, उन पर मुकदमा चला, वे जेल में रहे और बाद में रिहा कर दिए गए। इसके बाद बतिस्ता के क्यूबा पर हमले के लिए लोगों को संगठित और प्रशिक्षित करने के लिए वे मैक्सिको के लिए रवाना हुए.

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फिरोज़ गांधी

फिरोज और इन्दिरा का विवाह फिरोज गांधी फिरोज़ गांधी (12 अगस्त 1912 – 8 सितम्बर 1960) भारत के एक राजनेता तथा पत्रकार थे। वे लोकसभा के सदस्य भी रहे। सन् १९४२ में उनका इन्दिरा गांधी से विवाह हुआ जो बाद में भारत की प्रधानमंत्री बनीं। उनके दो पुत्र हुए - राजीव गांधी और संजय गांधी .

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फ्रेडरिक नोरोन्हा

फ्रेडरिक नोरोन्हा (Frederick Noronha) (जन्म २३ दिसम्बर १९६३,साउ पॉलो) एक भारतीय गोवा राज्य से स्वतंत्र पत्रकार है। ये मुख्य रूप से फ्री सॉफ्टवेयर,ओपन सॉर्स,तकनीकी तथा कम्प्यूटर पर लिखते हैं। .

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बदरीनाथ भट्ट

Badrinath Temple, Uttarakhand.jpg बदरीनाथ बदरीनाथ भट्ट (संवत् 1948 वि. की चैत्र शुक्ल तृतीया - 1 मई सन् 1934) हिन्दी के साहित्यकार, पत्रकार एवं भारत के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे। .

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बनारसीदास चतुर्वेदी

पण्डित बनारसीदास चतुर्वेदी (२४ दिसम्बर, १८९२ -- २ मई, १९८५) प्रसिद्ध हिन्दी लेखक एवं पत्रकार थे। वे राज्यसभा के सांसद भी रहे। उनके सम्पादकत्व में हिन्दी में कोलकाता से 'विशाल भारत' नामक हिन्दी मासिक निकला। पं॰ बनारसीदास चतुर्वेदी जैसे सुधी चिंतक ने ही साक्षात्कार की विधा को पुष्पित एवं पल्लवित करने के लिए सर्वप्रथम सार्थक कदम बढ़ाया था। उनकी साहित्यिक सेवाओं के लिए उन्हें पद्मभूषण से सम्मानित किया गया था। वे अपने समय का अग्रगण्य संपादक थे तथा अपनी विशिष्ट और स्वतंत्र वृत्ति के लिए जाने जाते हैं। उनके जैसा शहीदों की स्मृति का पुरस्कर्ता (सामने लाने वाला) और छायावाद का विरोधी समूचे हिंदी साहित्य में कोई और नहीं हुआ। उनकी स्मृति में बनारसीदास चतुर्वेदी सम्मान दिया जाता है। कहते हैं कि वे किसी भी नई सामाजिक, सांस्कृतिक, साहित्यिक या राष्ट्रीय मुहिम से जुड़ने, नए काम में हाथ डालने या नई रचना में प्रवृत्त होने से पहले स्वयं से एक ही प्रश्न पूछते थे कि उससे देश, समाज, उसकी भाषाओं और साहित्यों, विशेषकर हिंदी का कुछ भला होगा या मानव जीवन के किसी भी क्षेत्र में उच्चतर मूल्यों की प्रतिष्ठा होगी या नहीं? .

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बरखा दत्त

बरखा दत्त (जन्म: १८ दिसंबर, १९७१) एक भारतीय टीवी पत्रकार हैं। .

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बरेंद्र कृष्ण ढल

बरेंद्र कृष्ण ढल(ओडिया:ବରେନ୍ଦ୍ର କୃଷ୍ଣ ଧଳ,अँग्रेजी:Barendra Krushna Dhal,25 मार्च 1941 – 9 अगस्त 2016), उड़िया भाषा के पत्रकार, साहित्यकार एवं स्तंभकार थे। उन्होंने 19 पुस्तकों की रचना की। उनकी प्रसिद्ध कृतियों में निषेदा प्रेमा, नाइका और मुखा का नाम आता है। उन्होंने 6 बांग्ला उपन्यासों का अनुवाद भी किया। समाचार पत्रों एवं पत्रिकाओं में उनका लेख खुला विचार शीर्षक से प्रकाशित होता था। उनका जन्म 17 मार्च, 1939 को कटक जिले के बनाकी में हुआ था। उन्हें भुवनेश्वर में 1985 में राज्य का पहला पुस्तक मेला आयोजित करने का श्रेय जाता है। उन्हें वर्ष 1993 में बंगाली उपन्यास सम्बा के अनुवाद के लिए साहित्य अकादमी अनुवाद पुरस्कार से पुरस्कृत किया गया था। 9 अगस्त, 2016 को 77 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया। .

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बलवंत सिंह (लेखक)

बलवंत सिंह हिन्दी: (जन्म:जून 1921ई. - 27 मई 1986ई.) बीसवीं सदी की उर्दू और हिन्दी  के मशहूर नाटककार, उपन्यासकार और गल्पकार और पत्रकार हैं जिन्होंने जगा, पहला पत्थर, तारोपुद, हिंदुस्तान हमारा जैसे कहानी संग्रह और कॉल कोस, रात, चोर और चाँद, चक पीरान का जस्सा  जैसे लजवाल उपन्यास सृजन किए और अपनी रचनात्मक गुणों से उर्दू गल्प को विश्वीय पहचान देने मैं #अहम भूमिका अदा की। .

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बाबूराव विष्णु पराडकर

बाबूराव विष्णु पराड़कर (16 नवम्बर 1883 - 12 जनवरी 1955) हिन्दी के जाने-माने पत्रकार, साहित्यकार एवं हिन्दीसेवी थे। उन्होने हिन्दी दैनिक 'आज' का सम्पादन किया। भारत की आजादी के आंदोलन में अखबार को बाबूराव विष्णु पराड़कर ने एक तलवार की तरह उपयोग किया। उनकी पत्रकारिता ही क्रांतिकारिता थी। उनके युग में पत्रकारिता एक मिशन हुआ करता था। एक जेब में पिस्तौल, दूसरी में गुप्त पत्र 'रणभेरी' और हाथों में 'आज', 'संसार' जैसे पत्रों को संवारने, जुझारू तेवर देने वाली लेखनी के धनी पराडकरजी ने जेल जाने, अखबार की बंदी, अर्थदंड जैसे दमन की परवाह किए बगैर पत्रकारिता का वरण किया। मुफलिसी में सारा जीवन न्यौछावर करने वाले पराडकर जी ने आजादी के बाद देश की आर्थिक गुलामी के खिलाफ धारदार लेखनी चलाई। मराठीभाषी होते हुए भी हिंदी के इस सेवक की जीवनयात्रा अविस्मरणीय है। .

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बारीन्द्र कुमार घोष

बारींद्रनाथ घोष (5 जनवरी 1880 - 18 अप्रैल 1959) भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी और पत्रकार तथा "युगांतर" के संस्थापकों में से एक थे। वह 'बारिन घोष' नाम से भी लोकप्रिय हैं। बंगाल में क्रांतिकारी विचारधारा को फेलाने का श्री बारीन्द्र और भूपेन्द्र नाथ दत्त (स्वामी विवेकानंद जी के छोटे भाई) को ही जाता है। महान अध्यात्मवादी श्री अरविन्द घोष उनके बड़े भाई थे। .

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बूबली जॉर्ज वर्घीज़

बूबली जॉर्ज वर्घीज़ (जन्म २१ जून १९२७), जिन्हें प्रायः बी जी वर्घीज़ नाम से जाना जाता है, एक वरिष्ठ भारतीय पत्रकार हैं, एवं भारत के कुछ प्रमुख समाचार पत्रों जैसे हिन्दुस्तान टाइम्स (1969–75) एवं इण्डियन एक्स्प्रेस (1982–86) के सम्पादक रहे हैं। इन्हें १९७५ में पत्रकारिता के क्षेत्र में अभिन्न योगदान हेतु रेमन मैगसेसे पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। वर्ष १९८६ से ये एक सामाजिक विज्ञान संबंधी विचारशाला सेंटर फ़ॉर पॉलिसी रिसर्च, नई दिल्ली से भी जुड़े रहे हैं। वर्घीज़ ने अपनी आरंभिक शिक्षा दून स्कूल, देहरादून से ली थी। उसके उपरांत दिल्ली के सेंट स्टीफ़न्स कॉलिज से अर्थ-शास्त्र में स्नातक एवं ट्रिनिटी कॉलिज, कैम्ब्रिज से स्नातकोत्तर डिगरी.

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बेहरामजी मलाबारी

बेहरामजी मेरवानजी मालाबारी (1853–1912) भारत के कवि, प्रकशक, लेखक तथा समाज सुधारक थे। वे स्त्रियों के अधिकारों की रक्षा के प्रबल पक्षधर थे। .

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बॉबी एलॉयसियस

बॉबी एलॉयसियस (जन्म २२ जून १९७४) भारत की एक महिला एथलीट हैं जो अब तिरुवनंतपुरम, केरल में रहती हैं। उनका भारतीय और दक्षिण एशियाई खेलों में १९९५ और २०१२  के बीच ऊँची कूद का रिकॉर्ड है। उनका १.९१ मीटर कूद का रिकॉर्ड २०१२ में कर्नाटक की सहानाकुमारी द्वारा तोड़ा गया। बॉबी ने एथेंस ओलंपिक, में भाग लिया, बुसान एशियाई खेलों में रजत पदक एवं जकार्ता एशियाई चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक जीता। बॉबी का जन्म चेम्पेरी, कन्नूर, केरल, भारत में हुआ था। बॉबी ने दुनिया भर का कई बार भ्रमण किया और अंत में श्रयूसबेरी, यूनाइटेड किंगडम में २००९ तक रही। वर्तमान में वह केरल राज्य खेल परिषद तिरुवनंतपुरम में सहायक सचिव (तकनीकी) के रूप में काम कर रही हैं। उनका विवाह एक पत्रकार, सहाजन सकारिया के साथ हुआ है। उनके तीन बच्चे हैं, स्टीफन होल्म सकारिया, गंगोत्री सकारिया और ऋत्विक सकारिया। वह कालीकट विश्वविद्यालय की पूर्व छात्रा हैं। .

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बोहीमियनवाद

पिएर्रे-अगस्टे रेनोइर, (बोहेनिया या लाइस बोहेमियन), 1868, कैनवास पर तेल, बर्लिन, जर्मनी: आलते नेशनल गैलरी बोहीमियनवाद का तात्पर्य अपरंपरागत जीवन शैली का अभ्यास करने वालों से है, ऐसा अक्सर समान विचारधारा के वे लोग करते हैं जो साहित्य, संगीत या कलात्मक गतिविधियों में दिलचस्पी रखते हैं और जिनके कुछ ही स्थायी सम्बन्ध होते हैं। बोहेमियन लोग घुमक्कड़, साहसी या बंजारे भी हो सकते हैं। वास्तव में बोहेमियन शब्द का अर्थ पूर्वी यूरोपियन और स्लेविक भाषा बोलने वाले बोहेमिया देश में उत्पन्न हुई वस्तु से है, परन्तु धीरे धीरे इस शब्द का प्रयोग उन्नीसवी शताब्दी में फ्रेन्च और अंग्रेजी की बोलचाल की भाषा में उन लोगों के लिए किया जाने लगा जो अपारम्परिक तरीके से रहते हैं और गरीबी और अधिकारहीनता का जीवन जीते हैं जैसे कलाकार, लेखक,पत्रकार,संगीतकार और मुख्य यूरोपियन शहरों में रहने वाले अभिनेता। बोहेमियन शब्द का प्रयोग, बोलचाल की भाषा में, अपरम्परागत अथवा सामाजिक और राजनीतिक रूप से मुख्य विचारधारा से हटकर, सोचने वालों के लिए प्रयोग किया जाता था, जिसे वे लोग उन्मुक्त प्रेम, मितव्ययिता और/अथवा एच्छिक गरीबी के द्वारा व्यक्त करते थे। .

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बीबीसी हिन्दी

बीबीसी हिन्दी एक अन्तरराष्ट्रीय समाचार सेवा है। इसका आरम्भ ११ मई १९४० को हुआ। प्रारम्भ में यह सेवा रेडियो के माध्यम से संचालित होती थी। वर्तमान में ये सेवा रेडियो के साथ-साथ वेबसाइट एवं सामाजिक जालस्थलों पर भी संचालित हो रही है। .

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बी॰ टी॰ रणदिवे

भालचंद्र त्र्यंबक रणदिवे (19 दिसम्बर 1904 - 6 अप्रैल, 1990), एक भारतीय राजनीतिज्ञ और कम्युनिस्ट लीडर थे। उन्होंने 1928 के बाद से, वह भारत की कम्युनिस्ट पार्टी से काम करना शुरू किया। मुंबई कपड़ा मिल वर्कर्स यूनियन और रेलवे कर्मचारियों के कार्यकर्ताओं के संघ के एक प्रमुख नेता थे। श्रेणी:भारतीय राजनीतिज्ञ श्रेणी:१९९० में निधन.

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भट्ट मथुरानाथ शास्त्री

कवि शिरोमणि भट्ट श्री मथुरानाथ शास्त्री कविशिरोमणि भट्ट मथुरानाथ शास्त्री (23 मार्च 1889 - 4 जून 1964) बीसवीं सदी पूर्वार्द्ध के प्रख्यात संस्कृत कवि, मूर्धन्य विद्वान, संस्कृत सौन्दर्यशास्त्र के प्रतिपादक और युगपुरुष थे। उनका जन्म 23 मार्च 1889 (विक्रम संवत 1946 की आषाढ़ कृष्ण सप्तमी) को आंध्र के कृष्णयजुर्वेद की तैत्तरीय शाखा अनुयायी वेल्लनाडु ब्राह्मण विद्वानों के प्रसिद्ध देवर्षि परिवार में हुआ, जिन्हें सवाई जयसिंह द्वितीय ने ‘गुलाबी नगर’ जयपुर शहर की स्थापना के समय यहीं बसने के लिए आमंत्रित किया था। आपके पिता का नाम देवर्षि द्वारकानाथ, माता का नाम जानकी देवी, अग्रज का नाम देवर्षि रमानाथ शास्त्री और पितामह का नाम देवर्षि लक्ष्मीनाथ था। श्रीकृष्ण भट्ट कविकलानिधि, द्वारकानाथ भट्ट, जगदीश भट्ट, वासुदेव भट्ट, मण्डन भट्ट आदि प्रकाण्ड विद्वानों की इसी वंश परम्परा में भट्ट मथुरानाथ शास्त्री ने अपने विपुल साहित्य सर्जन की आभा से संस्कृत जगत् को प्रकाशमान किया। हिन्दी में जिस तरह भारतेन्दु हरिश्चंद्र युग, जयशंकर प्रसाद युग और महावीर प्रसाद द्विवेदी युग हैं, आधुनिक संस्कृत साहित्य के विकास के भी तीन युग - अप्पा शास्त्री राशिवडेकर युग (1890-1930), भट्ट मथुरानाथ शास्त्री युग (1930-1960) और वेंकट राघवन युग (1960-1980) माने जाते हैं। उनके द्वारा प्रणीत साहित्य एवं रचनात्मक संस्कृत लेखन इतना विपुल है कि इसका समुचित आकलन भी नहीं हो पाया है। अनुमानतः यह एक लाख पृष्ठों से भी अधिक है। राष्ट्रिय संस्कृत संस्थान, नई दिल्ली जैसे कई संस्थानों द्वारा उनके ग्रंथों का पुनः प्रकाशन किया गया है तथा कई अनुपलब्ध ग्रंथों का पुनर्मुद्रण भी हुआ है। भट्ट मथुरानाथ शास्त्री का देहावसान 75 वर्ष की आयु में हृदयाघात के कारण 4 जून 1964 को जयपुर में हुआ। .

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भारत में अंग्रेज़ी राज

कोई विवरण नहीं।

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भारतीय प्रेस परिषद्

भारतीय प्रेस परिषद (Press Council of India; PCI) एक संविघिक स्वायत्तशासी संगठन है जो प्रेस की स्वतंत्रता की रक्षा करने व उसे बनाए रखने, जन अभिरूचि का उच्च मानक सुनिश्चित करने से और नागरिकों के अघिकारों व दायित्वों के प्रति उचित भावना उत्पन्न करने का दायित्व निबाहता है। सर्वप्रथम इसकी स्थापना ४ जुलाई सन् १९६६ को हुई थी। अध्यक्ष परिषद का प्रमुख होता है जिसे राज्यसभा के सभापति, लोकसभा अघ्यक्ष और प्रेस परिषद के सदस्यों में चुना गया एक व्यक्ति मिलकर नामजद करते हैं। परिषद के अघिकांश सदस्य पत्रकार बिरादरी से होते हैं लेकिन इनमें से तीन सदस्य विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, बार कांउसिल ऑफ इंडिया और साहित्य अकादमी से जुड़े होते हैं तथा पांच सदस्य राज्यसभा व लोकसभा से नामजद किए जाते हैं - राज्य सभा से दो और लोकसभा से तीन। प्रेस परिषद, प्रेस से प्राप्त या प्रेस के विरूद्ध प्राप्त शिकायतों पर विचार करती है। परिषद को सरकार सहित किसी समाचारपत्र, समाचार एजेंसी, सम्पादक या पत्रकार को चेतावनी दे सकती है या भर्त्सना कर सकती है या निंदा कर सकती है या किसी सम्पादक या पत्रकार के आचरण को गलत ठहरा सकती है। परिषद के निर्णय को किसी भी न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती। काफी मात्रा में सरकार से घन प्राप्त करने के बावजूद इस परिषद को काम करने की पूरी स्वतंत्रता है तथा इसके संविघिक दायित्वों के निर्वहन पर सरकार का किसी भी प्रकार का नियंत्रण नहीं है। .

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भवनपुरा,जनपद मथुरा

गांव-भवनपुरा - गोवर्धन से ०३ कि॰मी॰ की दूरी पर स्थित जनपद मथुरा में जिला मुख्यालय से २१ किमी की दूरी पर स्थित है,यहां की किसी भी घर की छत से आप गोवर्धन स्थित श्री गिरिराज जी मंदिर के साक्षात दर्शन कर सकते हैं। यह गांव सडक मार्ग द्वारा जिला मुख्यालय मथुरा उत्तर प्रदेशसे जुडा हुआ है, गांव भवनपुरा हिंदू धर्म इस गांव के लोग सांस्कृतिक परंपराओं का निर्वहन बडी ही शालीनता व सहयोग की भावना से करते हैं गांव भवनपुरा के निवासी बडे ही खुशमिजाज व शाकाहारी खानपान के शौकीन हैं,यहां वर्ष भर विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक आयोजन चलते रहते हैं,जैसे ०१ जनवरी के दिन गोपाला महोत्सव का आयोजन किया जाता है यह आयोजन गांव-भवनपुरा की एकता व भाईचारे का प्रतीक हैं इस गांव में भक्ति भाव व भाईचारे की भावना को बनाये रखने के लिये प्रतिदिन सुबह ०४ बजे भगवान श्री कृष्ण नाम का कीर्तन करते हुये गांव की परिक्रमा करते हुये प्रभातफेरी निकाली जाती है जिसमें बडी संख्या में गांव के स्त्री पुरूष भाग लेते हैं,जिससे गांव भवनपुरा का प्रात:काल का वातावरण कृष्णमय हो जाता है जिसके कारण गांव के निवासियों को आनंद की अनुभूति होती है जोकि अविस्मरणीय है,इस प्रभातफेरी का आयोजन बृज के संतों की कृपा से पिछले ३५ वर्षों से किया जा रहा है,अत: इसी प्रभातफेरी की वर्षगांठ के रूप में प्रतिवर्ष गोपाला महोत्सव का आयोजन किया जाता है,इसी दिन ही गांव भवनपुरा के निवासियों की ओर से आर्थिक सामर्थ्य के अनुसार सहयोग राशि एकत्रित कर विशाल प्रसाद भंडारेका आयोजन किया जाता है जिसमें समस्त ग्राम वासी इच्छानुसार नये वस्त्र धारण कर बडे हर्षोल्लास के साथ टाट पट्टियों पर बैठकर सामूहिक रूप से प्रसाद ग्रहण करते हैं, यह क्षण वास्तव में ही प्रत्येक ग्रामवासी के लिये अत्यंत आनंद दायक होता है इसके उपरांत अन्य समीपवर्ती गांवों से निमंत्रण देकर बुलवायी गयी कीर्तन मंडलियों द्वारा कीर्तन प्रतियोगिता का रंगारंग आयोजन होता है जिसमें प्रथम स्थान प्राप्त करने वाली कीर्तन मंडली को मुख्य अतिथि द्वारा विशेष उपहार देकर व अन्य कीर्तन मंडलियों को भी उपहार वितरित कर सम्मानित किया जाता है रक्षाबंधन पर विशेष खेलकूद प्रतियोगिता का आयोजन गांव भवनपुरा में किया जाता है जिसमें बडी संख्या में गांव के युवा द्वारा और रक्षाबंधन के अवसर पर आने वाले नये पुराने रिश्तेदारों द्वारा बढचढकर प्रतिभाग किया जाता है | गांव भवनपुरामें होली,दीपावली,गोवर्धनपूजा के त्यौहार भी बडे हर्षोल्लास के साथ मनाये जाते हैं,होली के बाद हुरंगा का रंगारंग आयोजन किया जाता है, कुश्ती दंगल- होली से १३ दिवस उपरांत चैत्र माह की त्रियोदशी को गांव में कुश्ती दंगल का आयोजन गांव-भवनपुरा में किया जाता है जिसमें दूर दूर आये हुये से पहलवान अपनी बृज प्रसिद्ध मल्ल विधा के कौशल का परिचय देते हैं इस आयोजन को देखने आसपडोस के गांव कस्बों से भारी संख्या में बालक,युवा,बृद्ध व गणमान्य व्यक्ति उपस्थित होते हैं,दंगल के दिन ही गांव में विक्रेताओं द्वारा जलेबी सोनहलवा,पान,आईसक्रीम चांट पकौडी,समौसा,आदि की स्टाल व बच्चौं के लिये खिलौनों की दुकान व खेलकूद के लिये तरह तरह के झूले लगाये जाते हैं जिनका कि बच्चे व गांव की महिलायें जमकर लुप्त उठाती हैं तथा दंगल देखने बाद गांव जाने वाले लोग अपने परिवार के लिये जलेबी,सोनहलुवा अनिवार्य रूप से ले जाते हैं इसी दिन ही रात्रि में गांव में नौटंकी का आयोजन किया जाता हैं जिसे आस-पास के गांवों से काफी संख्या में युवा वर्ग के नौजवान एकत्रित होते हैं तथा गांव के युवा वर्ग द्वारा इस आयोजन का जमकर आनंद लिया जाता है, महाशिवरात्रि अर्थात भोला चौदस पर भी गांव-भवनपुरा में विशेष आयोजन होते हैं इस दिन भगवान भोलेनाथ के भक्त ग्रामवासी युवा श्री गंगा जी रामघाट से कांवर लेकर आते हैं इन कावडियों के ग्राम पहुंचनें पर भव्य स्वागत किया जाता है तथा गांव के सभी लोग बैंड बाजे के साथ गांव की परिक्रमा करने के बाद भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं,इस दिन गांव सभी घरों में विशेष पकवान व गाजर का हलवा,खोवा के लड्डू,सिघाडे का हलवा आदि बनते हैं जिन्हें महाशिवरात्रि पर व्रत रखने वाले लोग बडे चाव से खाते हैं, शिक्षा- प्रारंभिक शिक्षा हेतु गांव में ही प्राईमरी स्कूल, जूनियर हाईस्कूल है, इससे आगे की पढाई के लिये निकटवर्ती कस्बा गोवर्धन, अडींग जाना पडता है इन कस्बों के प्रमुख इंटर कालेजों/पी०जी० कालेजों की सूची निम्नलिखित है निकटवर्ती पर्यटन/धार्मिक स्थल- .

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भगवतीधर वाजपेयी

श्री भगवतीधर वाजपेयी राष्ट्रीय विचारों के पत्रकार हैं। सन् २००६ में उन्हें मध्यप्रदेश शासन द्वारा माणिकचन्द्र वाजपेयी राष्ट्रीय पत्रकारिता पुरस्कार से सम्मानित किया गया। भगवतीधर वाजपेयी ने अपने लम्बे पत्रकारिता जीवन की शुरूआत सन् 1952 में स्वदेश के संपादकीय विभाग से की। श्री वाजपेयी ने 1957 में नागपुर युगधर्म के संपादक का दायित्व स्वीकार किया और लगातार 1990 तक युगधर्म से जुड़े रहे। उनका सम्पूर्ण जीवन ही पत्रकारिता के लिए समर्पित रहा और उनके द्वारा एक तरह से हिन्दी भाषी राज्यों में विरोधी दलों की पत्रकारिता के उद्भव और विकास के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किया गया। .

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भोपाल समाचार

भोपाल समाचार या (भोपाल समाचार डॉट कॉम/Bhopal Samachar.com) मध्यप्रदेश में स्थापित बालाजी क्रिएशन का अधिकृत आॅनलाइन समाचार चैनल है, इसकी शुरुआत १६ अगस्त २०१२ को की थी तथा इसका मुख्यालय भोपाल,मध्यप्रदेश में है। ये बहुत कम समय में यह मध्यप्रदेश का सबसे लोकप्रिय हिन्दी न्यूज पोर्टल बन गया एवं लगातार अपनी प्रतिष्ठा बरकरार रखे हुए हैं। इसके सम्पादक उपदेश अवस्थी है। इस ऑनलाइन न्यूज़ पोर्टल पर केवल मध्यप्रदेश ही नहीं अपितु विश्व के हर कोने की न्यूज़ लगाई जाती है। भोपाल समाचार ऑनलाइन न्यूज़ पोर्टल में ज्यादातर सोशल पत्रकार है जिससे स्वतंत्र पत्रकारिता का बड़ा अवसर मिल रहा है। .

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मनोज टिबड़ेवाल आकाश

मनोज टिबड़ेवाल आकाश (जन्म ३० सितम्बर १९८०) एक भारतीय टीवी एंकर और पत्रकार है, जो दूरदर्शन समाचार से एक दशक तक टेलीविजन न्यूज़ एंकर और वरिष्ठ संवाददाता के रूप में जुड़े रहे। इन्होंने डीडी न्यूज़ पर प्रसारित होने वाले लोकप्रिय टॉक शो, एक मुलाक़ात की मेजबानी की। ये डाइनामाइट न्यूज़ के संस्थापक और प्रधान संपादक है। .

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मयंक छाया

मयंक छाया एक जाने-माने पत्रकार और लेखक हैं जो अमेरिका के शिकागो शहर में रहते हैं। भारतीय उपमहाद्वीप और अमेरिका में व्यापक रिपोर्टिंग से जुड़ा उनका पत्रकारिता से जुड़ा जीवन बेहद विविधतापूर्ण है। दक्षिण एशियाई और चीन-तिब्बत के संबंधों पर उनका लेखन काफी महत्वपूर्ण रहा है। सन 1998 से वह अमेरिका के बारे में काफी लिखते रहे हैं जो अपने अंतरराष्ट्रीय महत्व को लेकर काफी चर्चा में रहता है। डॉट कॉम बूम के दिनों में उन्होंने एक बेहद महत्वाकांक्षी परियोजना आरंभ की थी। लिटरेट वर्ल्ड नाम से सन २००१ में स्थापित उनकी यह इंटरनेट, प्रकाशन और सिनेमा से जुड़ी कंपनी बहुभाषी साहित्यिक-सांस्कृतिक पोर्टल के रूप में आरंभ की गई थी। आरंभ में हिन्दी, अंग्रेजी और स्पैनिश भाषा की साइटें शुरू की गई थीं। उन्होंने दो बेहद महत्वपूर्ण जीवनी लिखी है। तकनीकी गुरू सैम पित्रोदा की जीवनी उन्होंने १९९२ में लिखी। दलाई लामा - मैन मोंक मिस्टिक नाम से २००७ में प्रकाशित दलाई लामा की जीवनी पहली अधिकृत जीवनी है। यह २३ भाषाओं में अनूदित की जा चुकी है। इसके अलावे वह अहमदाबाद शहर पर एक पुस्तक लिख चुके हैं। नैनो तकनीक पर भी उनकी एक किताब आ चुकी है। इसके अलावे तीन उपन्यास वे लिख चुके हैं। .

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माणिकचंद्र वाजपेयी

माणिकचन्द्र वाजपेयी (7 अक्टूबर 1919 - 27 दिसम्बर 2005) भारत के राष्ट्रवादी एवं ध्येयनिष्ठ पत्रकार थे। मध्यप्रदेश शासन द्वारा ध्येयनिष्ठ पत्रकारिता और मूल्याधारित पत्रकारिता के लिये स्व.

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माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय

माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय का नाम भारत के विख्यात पत्रकार,कवि और स्वतंत्रता सेनानी, श्री माखनलाल चतुर्वेदी के नाम पर रखा गया है। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में स्थित विश्वविद्यालय के निर्माण के पीछे मुख्य उद्देश्य देश में मास मीडिया के क्षेत्र में बेहतर शिक्षण और प्रशिक्षण। मध्यप्रदेश विधानसभा की धारा १५ के तहत १९९० में विश्वविद्यालय की नींव पड़ी। जिसे यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन ने भी सहमति प्रदान की है। .

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मगनलाल मणिलाल

मगनलाल मणिलाल मारीशस के पहले हिंदी पत्रकार थे। वे बैरिस्टर थे और मारीशस पहुँचकर उन्होंने १९०९ में हिंदुस्तान नाम से एक साप्ताहिक पत्र निकालना शुरू किया था। वे इसका बीजारोपण कर १९११ में वापस चले गए थे लेकिन बाद में यह बढ़कर विशाल वृक्ष बना। .

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मुहम्मद फारूक

मुहम्मद फारूक (उर्दू: محمد فاروق) पाकिस्तान से एक पत्रकार और कारी है। वह पहले पाकिस्तानी शाम समाचार पत्र, क्वेटा से रोज़ शाम विशेष के संस्थापक संपादक थे। उन्होंने यह भी संयुक्त कार्यकारी संपादक दैनिक Mashriq क्वेटा के रूप में काम किया। आजकल वह एक समाचार संपादक के रूप में दैनिक पाकिस्तान के लाहौर में काम कर रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान टेलीविजन निगम (पीटीवी) और रेडियो पाकिस्तान के लिए काम किया था .

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मुहम्मद अली जौहर

मुहम्मद अली जौहर: (10 दिसंबर 1878 - 4 जनवरी 1931), जिन्हें मौलाना मोहम्मद अली जौहर (अरबी: مولانا محمد علی جوہر) के नाम से भी जाना जाता है, एक भारतीय मुस्लिम नेता, कार्यकर्ता, विद्वान, पत्रकार और कवि थे। वर्तमान में मुहम्मद अली के सम्मान में रामपुर जिले में मोहम्मद अली जौहर विश्वविद्यालय समर्पित है। .

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मृणाल पाण्डे

मृणाल पाण्डे (जन्म: 26 फरवरी 1946) भारत की एक पत्रकार, लेखक एवं भारतीय टेलीविजन की जानी-मानी हस्ती हैं। सम्प्रति वे प्रसार भारती की अध्यक्षा हैं। अगस्त २००९ तक वे हिन्दी दैनिक "हिन्दुस्तान" की सम्पादिका थीं। हिन्दुस्तान भारत में सबसे ज्यादा पढे जाने वाले अखबारों में से एक हैं। वे हिन्दुस्तान टाइम्स के हिन्दी प्रकाशन समूह की सदस्या भी हैं। इसके अलावा वो लोकसभा चैनल के साप्ताहिक साक्षात्कार कार्यक्रम (बातों बातों में) का संचालन भी करती हैं। .

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मेघना पंत

मेघना पंत एक लेखिका और पत्रकार हैं। .

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रमेश चन्द्र झा

रमेशचन्द्र झा (8 मई 1928 - 7 अप्रैल 1994) भारतीय स्वाधीनता संग्राम में सक्रिय क्रांतिकारी थे जिन्होंने बाद में साहित्य के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय भूमिका निभाई। वे बिहार के एक स्वतंत्रता सेनानी होने के साथ साथ हिन्दी के कवि, उपन्यासकार और पत्रकार भी थे। बिहार राज्य के चम्पारण जिले का फुलवरिया गाँव उनकी जन्मस्थली है। उनकी कविताओं, कहानियों और ग़ज़लों में जहाँ एक तरफ़ देशभक्ति और राष्ट्रीयता का स्वर है, वहीं दुसरी तरफ़ मानव मूल्यों और जीवन के संघर्षों की भी अभिव्यक्ति है। आम लोगों के जीवन का संघर्ष, उनके सपने और उनकी उम्मीदें रमेश चन्द्र झा कविताओं का मुख्य स्वर है। "अपने और सपने: चम्पारन की साहित्य यात्रा" नाम के एक शोध-परक पुस्तक में उन्होंने चम्पारण की समृद्ध साहित्यिक विरासत को भी बखूबी सहेजा है। यह पुस्तक न केवल पूर्वजों के साहित्यिक कार्यों को उजागर करता है बल्कि आने वाले संभावी साहित्यिक पीढ़ी की भी चर्चा करती है। .

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रमेश ठाकुर

रमेश ठाकुर या रमेश ठाकुर पत्रकार (जन्म नाम रमेश सिंह) एक भारतीय वरिष्ठ पत्रकार, लेखक और ब्लॉगर है। जिनका जन्म १० अगस्त १९८३ को पीलीभीत, उत्तर प्रदेश, भारत में हुआ था। इन्होंने अपने पत्रकारिता कैरियर भारत के कई जाने माने समाचार पत्रों के लिए कार्य किया। .

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राधाचरण गोस्‍वामी

राधाचरण गोस्‍वामी (२५ फरवरी १८५९ - १२ दिसम्बर १९२५) हिन्दी के भारतेन्दु मण्डल के साहित्यकार जिन्होने ब्रजभाषा-समर्थक कवि, निबन्धकार, नाटकरकार, पत्रकार, समाजसुधारक, देशप्रेमी आदि भूमिकाओं में भाषा, समाज और देश को अपना महत्वपूर्ण अवदान दिया। आपने अच्छे प्रहसन लिखे हैं। .

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राम बहादुर राय

राम बहादुर राय हिंदी के प्रसिद्ध पत्रकार एवं इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र के अध्यक्ष हैं। राय दिल्ली से प्रकाशित हिंदी पाक्षिक प्रथम प्रवक्ता के संपादक हैं। वे जनसत्ता समाचार पत्र के संपादक भी रह चुके हैं। राम बहादुर राय ने पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर पर 'रहवरी के सवाल' और पूर्व प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह पर 'मंजिल से ज्यादा सफर' नामक पुस्तकें लिख चुके हैं। जेपी आंदोलन के संस्थापक संगठनकर्ता राम बहादुर राय ने सत्ता के गलियारों में चक्कर लगाने से साफ इनकार कर दिया। लोकनायक जयप्रकाश नारायण के सहयोगी रह चुके श्री राय ने बिहार में 1974 के छात्र आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभायी थी। वे जेपी आंदोलन के ग्यारह सदस्यीय स्थायी समिति से सदस्य थे। राय पहले व्यक्ति थे, जिन्हें 1973 में इंदिरा गांधी सरकार ने आंतरिक सुरक्षा संपोषण अधिनियम (मीसा) के तहत जेल जाना पड़ा। बाद में उन्हें दूसरी बार अठारह महीनों के लिए जेल जाना पड़ा। राय 1974 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद संगठन सचिव थे। श्री राय ने ही हवाला घोटाला को सुर्खियों में लाया था। वर्तमान में श्री राय देश की सबसे पुरानी 1948 में स्थापित बहुभाषी न्यूज एजेंसी हिन्दुस्थान समाचार के समूह सम्पादक हैं। .

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राम शरण शर्मा

राम शरण शर्मा (जन्म 26 नवम्बर 1919 - 20 अगस्त 2011) एक भारतीय इतिहासकार हैं। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय (1973-85) और टोरंटो विश्वविद्यालय में अध्यापन कार्य किया है और साथ ही लंदन विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ ओरिएंटल एंड अफ्रीकन स्टडीज में एक सीनियर फेलो, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के नेशनल फेलो (1958-81) और 1975 में इंडियन हिस्ट्री कांग्रेस के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। 1970 के दशक में दिल्ली विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के डीन के रूप में प्रोफेसर आर.एस.

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रामशरण जोशी

रामशरण जोशी (जन्म: ०६ मार्च, १९४४) हिन्दी के प्रसिद्ध पत्रकार हैं। .

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रामशंकर अग्निहोत्री

श्री रामशंकर अग्निहोत्री भारत के प्रखर चिन्तक, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक तथा वरिष्ठ पत्रकार हैं। उन्हें सन् २००८ के लिये माणिकचन्द्र वाजपेयी राष्ट्रीय पत्रकारिता पुरस्कार के लिये चुना गया है। .

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रासबिहारी बोस

रासबिहारी बोस (बांग्ला: রাসবিহারী বসু, जन्म:२५ मई १८८६ - मृत्यु: २१ जनवरी १९४५) भारत के एक क्रान्तिकारी नेता थे जिन्होने ब्रिटिश राज के विरुद्ध गदर षडयंत्र एवं आजाद हिन्द फौज के संगठन का कार्य किया। इन्होंने न केवल भारत में कई क्रान्तिकारी गतिविधियों का संचालन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी, अपितु विदेश में रहकर भी वह भारत को स्वतन्त्रता दिलाने के प्रयास में आजीवन लगे रहे। दिल्ली में तत्कालीन वायसराय लार्ड चार्ल्स हार्डिंग पर बम फेंकने की योजना बनाने, गदर की साजिश रचने और बाद में जापान जाकर इंडियन इंडिपेंडेस लीग और आजाद हिंद फौज की स्थापना करने में रासबिहारी बोस की महत्वपूर्ण भूमिका रही। यद्यपि देश को स्वतन्त्र कराने के लिये किये गये उनके ये प्रयास सफल नहीं हो पाये, तथापि स्वतन्त्रता संग्राम में उनकी भूमिका का महत्व बहुत ऊँचा है। .

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राजदीप सरदेसाई

राजदीप सरदेसाई (राजदीप सरदेसाई) (जन्म 24 मई 1965) एक भारतीय पत्रकार, राजनीतिक टीकाकार एवं समाचार प्रस्तुतकर्ता हैं। .

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राजा महेन्द्र प्रताप सिंह

महान क्रांतिकारी राजा महेन्द्र प्रताप सिंह राजा महेन्द्र प्रताप सिंह (1 दिसम्बर 1886 – 29 अप्रैल 1979) भारत के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, पत्रकार, लेखक, क्रांतिकारी और समाज सुधारक थे। वे 'आर्यन पेशवा' के नाम से प्रसिद्ध थे। .

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राजेन्द्र माथुर

राजेन्द्र माथुर राजेन्द्र माथुर, हिन्दी के प्रसिद्ध पत्रकार थे। स्वाधीन भारत में हिन्दी पत्रकारिता को स्थापित करने वाले स्वर्गीय राजेन्द्र माथुर का पूरा जीवन हिन्दी के लिये समर्पित रहा। मालवा अंचल के इस प्रतिभावान पत्रकार ने यह प्रमाणित कर दिया कि ऊंचाई प्राप्त करने के लिये महानगर में पैदा होना आवश्यक नहीं है। इंदौर से प्रकाशित नई दुनिया से अपनी पत्रकारिता यात्रा आरंभ करने वाले श्री माथुर हिन्दी राष्ट्रीय दैनिक नवभारत टाइम्स के सम्पादक बने। आरंभ से अपनी आखिरी सांस तक ठेठ हिन्दी पत्रकार का चोला पहने रहे। .

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रिचर्ड स्टेंगल

रिचर्ड "रिक" स्टेंगल एक अमेरिकी संपादक, पत्रकार और लेखक तथा टाइम पत्रिका के 16वें प्रबंध संपादक हैं। हालांकि वे टाइम के लिये अपने काम के लिए सबसे प्रसिद्ध हैं, उन्होंने मंडेला की आत्मकथा के संबंध में नेल्सन मंडेला के साथ सहयोग सहित कई पुस्तकों की रचना की है। 2006 में टाइम के प्रबंध संपादक का पद संभालने के पूर्व, स्टेंगल नैशनल कॉन्स्टीट्यूशन सेंटर के अध्यक्ष एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी थे। .

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रिपोर्ताज

रिपोर्ताज गद्य-लेखन की एक विधा है। रिपोर्ताज फ्रांसीसी भाषा का शब्द है। रिपोर्ट अंग्रेजी भाषा का शब्द है। रिपोर्ट किसी घटना के यथातथ्य वर्णन को कहते हैं। रिपोर्ट सामान्य रूप से समाचारपत्र के लिये लिखी जाती है और उसमें साहित्यिकता नहीं होती है। रिपोर्ट के कलात्मक तथा साहित्यिक रूप को रिपोर्ताज कहते हैं। वास्तव में रेखाचित्र की शैली में प्रभावोत्पादक ढंग से लिखे जाने में ही रिपोर्ताज की सार्थकता है। आँखों देखी और कानों सुनी घटनाओं पर भी रिपोर्ताज लिखा जा सकता है। कल्पना के आधार पर रिपोर्ताज नहीं लिखा जा सकता है। घटना प्रधान होने के साथ ही रिपोर्ताज को कथातत्त्व से भी युक्त होना चाहिये। रिपोर्ताज लेखक को पत्रकार तथा कलाकार दोनों की भूमिका निभानी पडती है। रिपोर्ताज लेखक के लिये यह भी आवश्यक है कि वह जनसाधारण के जीवन की सच्ची और सही जानकारी रखे। तभी रिपोर्ताज लेखक प्रभावोत्पादक ढंग से जनजीवन का इतिहास लिख सकता है। .

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रजत शर्मा

रजत शर्मा एक हिंदी समाचार चैनल इंडिया टीवी के मालिक व मुख्य संपादक है। वह भारत के प्रमुख पत्रकारों में से है।.

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रवींद्र आंबेकर

IBN 7 महाराष्ट्र के अग्रणी पत्रकारों में रवीन्द्र आंबेकर का नाम लिया जाता हैं। रवींद्र आंबेकर ने नवशक्ती, लोकमत, वृत्तमानस इन न्यूजपेपर से अपने करिय़र की शुरूआत की। उसके बाद उन्होंने ई टीव्ही के माध्यम से सन २००० में टीव्ही पत्रकारीता की शुरूआत की। २००५ में उन्होंने हिंदी पत्रकारीता में कदम रखा॥ रवींद्र आंबेकर आईबीएन ७ चैनल के वरिष्ट सम्पादक भी रहे। दिसंबर २०१२ में रवींद्र आंबेकर ने IBN 7 इस न्यूज चैनल का इस्तीफा दिया और जय महाराष्ट्र चैनल ज्वाइन किया। रवींद्र आंबेकर ने जय महाराष्ट्र चॅनल के लाँचिंग में अहम भूमिका अंदाज करने के बाद मराठी के अग्रणी टीव्ही चैनल मी मराठी को बतौर मुख्य संपादक ज्वाइन किया। बेहतरीन टीम के साथ मी मराठी ने केवळ ८ महिनों में मराठी के सारे न्यूज चैनलों को पछाडते हुए पहिला नंबर हासिल किया। पत्रकारिता के मानदंड समझना जानेवाले श्री कुमार केतकर, निखिल वागले, भारत कुमार राऊत के साथ रवींद्र आंबेकर की ये इनिंग बेहतरीन रही। २०१६ में रवींद्र आंबेकर ने मी मराठी से इस्तीफा देकर मॅक्समहाराष्ट्र रिसर्च ग्रुप नामक खुद की कंपनी खोल ली। फिल्मालय मॅक्समहाराष्ट्र रिसर्च ग्रुप के माध्यम से मिडीया सर्विसेस मुहैय्या कराई जाती है। अपने पुरे करिअर के दौरान रवीन्द्र आंबेकर ने कई सामाजिक विषयों पर कवरेज किया। राजनितीक पत्रकारिता के साथ साथ पुरे महाराष्ट्र का दौरा कर वहां की स्थिती को लोगों के सामने रखने का अतुलनीय काम उन्होंने किया हैं। दलितों का मंदिरों में प्रवेश, मराठवाडा में अंधविश्वास के चलते मंदिरों के छतों से बच्चों को नीचे फेंका जाना और चद्दर में झेलना, विदर्भ के किसानों की समस्याएं आदि विषयों पर उन्होंने काफी काम किया हैं। हाल ही में आदर्श घोटाले के पर्दाफाश में उनका योगदान रहा हैं। महाराष्ट्र सरकार द्वारा गठीत जांच आयोग ने अपने अंतरिम रिपोर्ट में इस बात को स्वीकारा हैं कि आईबीएन ७ की वजह से ही ये पुरा घोटाला लोगों के सामने आया हैं। रवींद्र आंबेकर के नेतृत्व में उनके ब्यूरो ने इस पुरे घोटाले का पर्दाफाश किया जिसके चलते बाद में महाराष्ठ्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण को इस्तीफा देना पडा था। वक्फ की जमीनों के घोटाले पर रवींद्र आंबेकर के द्वारा किए गए कवरेज के बाद सरकार को इस घोटाले की जांच के लिए एक समिती बनानी पडा। शराब पर पाबंदी लगे इसलिए महिलाओं द्वारा चलाए जा रहे अभियानों को उनका हमेशा ही साथ रहा हैं। ग्रामीण इलाकों के पत्रकारों को राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिले इसलिए उन्होंने काफी काम किया हैं। पत्रकारों को नई टेक्नॉलॉजी से अवगत कराने के लिए भी वो हमेशा प्रयत्नरत रहते हैं। .

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रुडयार्ड किपलिंग

रुडयार्ड किपलिंग (30 दिसम्बर 1865 - 18 जनवरी 1936) एक ब्रिटिश लेखक और कवि थे। ब्रिटिश भारत में बंबई में जन्मे, किपलिंग को मुख्य रूप से उनकी पुस्तक द जंगल बुक(1894) (कहानियों का संग्रह जिसमें रिक्की-टिक्की-टावी भी शामिल है), किम 1901 (साहस की कहानी), द मैन हु वुड बी किंग (1888) और उनकी कविताएं जिसमें मंडालय (1890), गंगा दीन (1890) और इफ- (1910) शामिल हैं, के लिए जाने जाते हैं। उन्हें "लघु कहानी की कला में एक प्रमुख अन्वेषक" माना जाता हैरूदरफोर्ड, एंड्रयू (1987).

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रूपक

रूपक या फीचर (feature story) लोगों को रुचिकर लगने वाला ऐसा कथात्मक लेख है जो हाल के ही समाचारों से जुड़ा नहीं होता बल्कि विशेष लोग, स्थान, या घटना पर केन्द्रित होता है। विस्तार की दृष्टि से रूपक में बहुत गहराई होती है। .

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रूसी करंजिया

रूसी करंजिया (१५ सितम्बर १९१२ - ०१ फ़रवरी २००८) भारत के पत्रकार एवं सम्पादक थे। उनका वास्तविक नाम 'रूस्तम खुरशेदजी करंजिया' था। वे 'ब्लिट्ज' नामक अंग्रेजी साप्ताहिक समाचार पत्र के संस्थापक सम्पादक थे। .

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रोजन्ना अल यमिनि

साउदी अरब की एक महिला पत्रकार जिसे वहाँ की अदालत ने सेक्स पर आधारित टॉक शो बनाने के जुर्म में साठ कोड़ों की सज़ा दी थी। इसका विश्व मीडिया में जोरदार विरोध हुआ जिसके कारण वहाँ के राजा किंग अब्दुल्लाह को महिला पत्रकार को दी गई सज़ा माफ करनी पडी।.

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शर्मीन ओबैद-चिनॉय

शर्मीन ओबैद-चिनॉय (उर्दू:شرمین عبید چنائے; जन्म: 12 नवंबर 1978), एक पाकिस्तानी पत्रकार, समाजसेवी और फ़िल्म निर्माता है। वे अकादमी पुरस्कार जीतने वाली पहली और दो बार जीतने वाली पहली पाकिस्तानी हैं। 28 फरवरी, 2016 को लास एंजेल्स (यू.एस.ए.) में संपन्न 88वें अकादमी पुरस्कार समारोह में उन्होने सर्वश्रेष्ठ डॉक्यूमेंट्री, शॉर्ट सब्जेक्ट का अकादमी पुरस्कार पुरस्कार जीता। चिनॉय की डाक्यूमेंट्री फिल्म ‘ए गर्ल इन द रिवरः द प्राइस ऑफ फॉरगिवनेस ’ है। इसमें पाकिस्तान में ऑनर किलिंग का मुद्दा उठाया गया है। वर्ष 2012 में अपने लघु वृत्त चित्र सेविंग फेस के लिए भी उन्होने अकादमी पुरस्कार जीता था। इसके अलावा चिनॉय वर्ष 2010 तथा वर्ष 2014 में अपनी दो डॉक्यूमेंट्री के लिए एमी पुरस्कार भी जीत चुकी हैं। .

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शाज़िया इल्मी

शाज़िया इल्मी एक भारतीय राजनीतिज्ञ और सामाजिक कार्यकर्ता है। वह पहले स्टार न्यूज पर एक टेलीविजन पत्रकार और एंकर थीं। इन्‍होंने आम आदमी पार्टी की विचारधारा से प्रभावित होकर इसमें अपनी सदस्‍यता ले ली थी। इन्‍होंने आम आदमी पार्टी में बतौर कार्यकर्ता रहकर लोकसभा चुनाव २०१४ में गाजियाबाद से अपना नामांकन दाखिल किया था। लेकिन इन्‍हें यहाँ हार का सामना करना पडा। वह दिल्‍ली से चुनाव लडना चाहती थी, परंतु उन्‍हें गाजियाबाद का टिकट दिया गया। दिनांक २४ मई २०१४ को पार्टी की आंतरिक कलह से परेशान होकर इन्‍होंने आम आदमी पार्टी के सभी पदों से अपना इस्‍तीफा दे दिया। भाजपा में शामिल हुईं शाज़िया इल्मी। .

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शिषिर कुमार घोष

शिषिर कुमार घोष (1840–1911) भारत के प्रसिद्ध राष्ट्रवादी पत्रकार, अमृत बाजार पत्रिका के संस्थापक तथा स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे। वे 'इण्डिया लीग' के संस्थापकों में से थे। वे एक वैष्णव थे। उन्होने चैतन्य महाप्रभु के जीवनचरित पर १८९७ में अंग्रेजी में एक पुस्तक की रचना भी की थी। वे श्रीला भक्तिविनोद ठाकुर के मित्र थे भी जिनको उन्होने 'सप्तम् गोस्वामी' कहा था। शिषिर घोष अपने जीवन के अधिकांश समय शान्तिनिकेतन में रहे जहाँ वे अंग्रेजी के प्राध्यापक थे। वे रवीन्द्रनाथ ठाकुर की रचनाओं के ज्ञाता और रहस्यवाद (mysticism) के अध्येता थे। .

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शिवपूजन सहाय

शिवपूजन सहाय (जन्म- 9 अगस्त 1893, शाहाबाद, बिहार; मृत्यु- 21 जनवरी 1963, पटना)| प्रारम्भिक शिक्षा आरा (बिहार) में | फिर १९२१ से कलकत्ता में पत्रकारिता |1924 में लखनऊ में प्रेमचंद के साथ 'माधुरी' का सम्पादन| 1926 से 1933 तक काशी में प्रवास और पत्रकारिता तथा लेखन | 1934 से 1939 तक पुस्तक भंडार, लहेरिया सराय में सम्पादन-कार्य | 1939 से 1949 तक राजेंद्र कॉलेज, छपरा में हिंदी के प्राध्यापक | 1950 से 1959 तक पटना में बिहार राष्ट्रभाषा परिषद् के निदेशक | तत्पश्चात पटना में | हिन्दी के प्रसिद्ध उपन्यासकार, कहानीकार, सम्पादक और पत्रकार के रूप में ख्याति । उन्हें साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में सन १९६० में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। 1962 में भागलपुर विश्वविद्यालय द्वारा दी.

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श्यामलाल गुप्त 'पार्षद'

इसी झण्डे पर गीत लिखा था श्यामलाल गुप्त 'पार्षद' ने श्यामलाल गुप्त ‘पार्षद’ भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक सेनानी, पत्रकार, समाजसेवी एवं अध्यापक थे। भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के दौरान उत्प्रेरक झण्डा गीत (विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, झण्डा ऊँचा रहे हमारा) की रचना के लिये वे इतिहास में सदैव याद किये जायेंगे। .

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श्रीनारायण चतुर्वेदी

पं॰ श्रीनारायण चतुर्वेदी (१८९५ -- १८ अगस्त १९९०) हिन्दी के साहित्यकार, प्रचारक, सर्जक तथा पत्रकार थे जो आजीवन हिन्दी के लिये समर्पित रहे। वे सरस्वती पत्रिका के सम्पादक रहे। उन्होने राष्ट्र को हिन्दीमय बनाने के लिये जनता में भाषा की जीवन्त चेतना को उकसाया। अपनी अमूल्य हिन्दी सेवा द्वारा उन्होने भारतरत्न मदन मोहन मालवीय तथा पुरुषोत्तम दास टंडन की योजनाओं और लक्ष्यों को आगे बढ़ाया। .

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सच्चिदानन्द सिन्हा

डॉ सच्चिदानन्द सिन्हा (10 नवम्बर 1871 - 6 मार्च 1950) भारत के प्रसिद्ध सांसद, शिक्षाविद, अधिवक्ता तथा पत्रकार थे। वे भारत की संविधान सभा के प्रथम अध्यक्ष थे। बिहार को बंगाल से पृथक राज्य के रूप में स्थापित करने वाले लोगों में उनका नाम सबसे प्रमुख है। 1910 के चुनाव में चार महाराजों को परास्त कर वे केन्द्रीय विधान परिषद में प्रतिनिधि निर्वाचित हुए। प्रथम भारतीय जिन्हें एक प्रान्त का राज्यपाल और हाउस ऑफ् लार्डस का सदस्य बनने का श्रेय प्राप्त है। वे प्रिवी कौंसिल के सदस्य भी थे। .

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सरथ कुमार

सरथकुमार रामनाथन (சரத்குமார் ராமநாதன்) (जन्म- 14 जुलाई 1954) एक भारतीय पत्रकार, फिल्म अभिनेता, राजनेता, बॉडी बिल्डर हैं और वर्तमान में दक्षिण भारतीय फिल्म कलाकार एसोसिएशन के अध्यक्ष हैं। उन्होंने अपने कैरिअर की शुरूआत तमिल सिनेमा में नकारात्मक भूमिका के साथ की और बाद में अन्य फिल्मों में छोटी-मोटी भूमिकाएं करने लगे। सबसे पहले उन्हें सुरियान में मुख्य भूमिका के लिए चुना गया था जो बॉक्स ऑफिस पर सफल हुई। उन्होंने अक्सर एक ईमानदार पुलिस ऑफिसर की भूमिका निभाई है। उन्होंने के. कामराज के आदर्शों का वहन करने के लिए तमिलनाडु में एक नए राजनीतिक दल का गठन भी किया। .

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संतोष भारतीय

संतोष भारतीय एक भारतीय पत्रकार, पूर्व सांसद एवं समाचार प्रस्तुतकर्ता हैं। .

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संजय मिश्रा (अभिनेता)

संजय मिश्रा (जन्म १९६३) में हुआ,एक भारतीय फ़िल्म के हास्य अभिनेता है। इन्होंने अधिकतर हिन्दी फ़िल्मों तथा टेलीविज़न धारावाहिकों में अभिनय किया है। http://www.thehindu.com/features/friday-review/man-of-real-character/article5809655.ece २०१५ में इन्हें आँखों देखी के लिए फ़िल्मफ़ेयर क्रिटिक अवॉर्ड फ़ॉर बेस्ट एक्टर से नवाजा गया। .

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सुधीर चौधरी (पत्रकार)

सुधीर चौधरी ज़ी न्यूज़ के एक वरिष्ठ सम्पादक और बिजनेस हेड हैं। इससे पहले ये मी मराठी और लाइव इंडिया चैनलों के भी सम्पादक रह चुके है। सुधीर चौधरी ने अपने पत्रकारिता कैरियर की २००१ में की थी और ये कई हिन्दी और मराठी भाषा के चैनलों पर न्यूज़ रिपोर्टर रह चुके है।उनका DNA कार्यक्रम बहुत ही लोकप्रिय है। .

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सुब्रह्मण्य भारती

सुब्रह्मण्य भारती (சுப்பிரமணிய பாரதி, ११ दिसम्बर १८८२ - ११ सितम्बर १९२१) एक तमिल कवि थे। उनको 'महाकवि भरतियार' के नाम से भी जाना जाता है। उनकी कविताओं में राष्ट्रभक्ति कूट-कूट कर भरी हुई है। वह एक कवि होने के साथ-साथ भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में शामिल सेनानी, समाज सुधारक, पत्रकार तथा उत्तर भारत व दक्षिण भारत के मध्य एकता के सेतु समान थे। .

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सुबोध घोष

सुबोध घोष (१९०९-१९८०) कोलकता के दैनिक समाचारपत्र, आनन्द बाजार पत्रिका के साथ कार्यरत एक विख्यात बंगाली लेखक और पत्रकार थे। श्रेणी:बंगाली साहित्यकार श्रेणी:पत्रकार.

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सुरेन्द्र प्रताप सिंह (पत्रकार)

सुरेन्द्र प्रताप सिंह हिन्दी के तेजस्वी पत्रकार थे। वे "एसपी" के नाम से अधिक विख्यात हैं। .

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स्वेत्लाना अलेक्सिएविच

स्वेतलाना अलेक्सांद्रोव्ना अलेक्सिएविच (Светлана Александровна Алексиевич; Святлана Аляксандраўна Алексіевіч) (जन्म: 31 मई 1948) एक पत्रकार और रूसी भाषा की बहुस्वरीय कथेतर साहित्य लेखिका हैं। इन्हें 2015 में इनके कार्य a monument to suffering and courage in our time के लिए साहित्य में नोबेल पुरस्कार प्राप्त हुआ। नोबेल पुरस्कार जीतने वाली वे बेलारूस की प्रथम लेखिका हैं। .

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सी वी रामन पिल्लै

युवावस्था में सी वी रामन पिल्ला सी वी रामन पिल्लै (मलयालम:സി.വി. രാമന്‍പിള്ള; १८५७-१९२१) मलयालम के महान उपन्यासकार, नाटककार तथा पत्रकार थे। उन्हें प्रायः 'सी वी' कहा जाता है। मलयालम में वे सबसे महान ऐतिहासिक उपन्यासकार हुए हैं। सी वी का जन्म तिरुवनंतपुरम् में हुआ था। उनके उपन्यासों की पृष्ठभूमि १८वीं शताब्दी की घटनाओं की शृंखलाएँ हैं जिनके द्वारा तिरुवितांकूर राज्य का निर्माण एवं संस्थापन हुआ। मार्तंड वर्मा उपन्यास में रामनतपि और मार्तंडवर्मा के बीच उत्तराधिकारी के कलह की कहानी का वर्णन है। धर्मराजा उपन्यास कार्तिकतिरुनाल रामवर्मराज के शासनकाल की राजनीतिक एवं सैनिक घटनाओं के ऊपर आधारित है। रामराजबहादुर उपन्यास टीपू सुल्तान के तिरुवितांकूर पर किए गए आक्रमण की पृष्ठभूमि पर तैयार किया गया है। इन सभी उपन्यासों के कथानक विस्तृत हैं। केरल के इतिहास की गतिविधियों में उनकी अंतर्दृष्टि और सजीव पात्रों के चित्रण की योग्यता ने पाठकों के नेत्रों के समक्ष तत्कालीन घटनाओं का जीता-जागता चित्र उपस्थित कर दिया है। उनकी शैली में सरलता की कमी है। उन्होंने बहुत से व्यंगमय प्रहसन भी लिखे हैं। .

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सीताराम अग्रहरि

सीताराम अग्रहरि 'प्रकाश' (जन्म: १९५७) नेपाल के कवि, साहित्यकार एवं प्रख्यात पत्रकार हैं। वे नेपाल के सबसे पुराने समाचार पत्र गोरखापत्र के प्रधान संम्पादक हैं। .

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हसन कमाल

हसन कमाल एक मशहूर भारतीय कवि और गीतकार है। 1985 में इनहों ने अपने गीत के लिये फिल्मफ़ेर पुरसकार प्राप्त किया। यह गीत फिल्म "आज की आवाज़" के लिये लिखा गया था (1984).

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हिन्दी आन्दोलन

हिन्दी आन्दोलन भारत में हिन्दी एवं देवनागरी को विविध सामाजिक क्षेत्रों में आगे लाने के लिये विशेष प्रयत्न हैं। यह भारतेन्दु हरिश्चन्द्र के समय आरम्भ हुआ। इस आन्दोलन में साहित्यकारों, समाजसेवियों (नवीन चन्द्र राय, श्रद्धाराम फिल्लौरी, स्वामी दयानन्द सरस्वती, पंडित गौरीदत्त, पत्रकारों एवं स्वतंत्रतता संग्राम-सेनानियों (महात्मा गांधी, मदनमोहन मालवीय, पुरुषोत्तमदास टंडन आदि) का विशेष योगदान था। .

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होरेशियो बोत्तोमलेय

होरेशियो विलियम बोत्तोमलेय (अँग्रेजी: Horatio William Bottomley; 23 मार्च 1860 - 26 मई 1933) एक अंग्रेजी फाइनेंसर, पत्रकार, संपादक, अखबार मालिक, ठग, और संसद के सदस्य थे। उन्होंने लोकप्रिय पत्रिका जॉन बुल की संपादकत्व के लिए और प्रथम विश्व युद्ध के दौरान उनकी देशभक्ति वक्तृत्व के लिए जाना जाता है। 1922 में, वह धोखाधड़ी का दोषी पाया गया था और सात साल के कारावास की सजा सुनाया गया, इसके बाद उनका करियर खत्म हो गया। अपने करियर के पहले बोत्तोमलेय अनाथालय में पांच साल रहे थे। जभ उनका १४ साल उम्र हुआ, वह दूतकार्म का काम करने लगे। एक वकील के क्लर्क के रूप में काम कर के उनको जो अनुभव मिला उससे उनको अंग्रेजी कानून के बारे में ज्ञान मिला, वो ज्ञान उनको बादमें अदालत में काम आया। एक आशुलिपि लेखक और अदालत पत्रकार के रूप में काम करने के बाद, २४ साल उम्र में वो अपना खुद का एक प्रकाशन कंपनी की स्थापना की। 1906 में बोत्तोमलेय हैकनी दक्षिण के लिए लिबरल पार्टी के सदस्य के रूप में संसद में प्रवेश किया। उसी साल में उन्होंने लोक प्रिया पत्रिका जॉन बुल की स्थापना की। 1912 में वह दिवालिया घोषित किए जाने के बाद संसद से इस्तीफा देना पड़ा। 1914 में युद्ध के कारण उनका भाग्य पुनर्जीवित हुआ; एक पत्रकार और वक्ता के रूप में बोत्तोमलेय युद्ध के लिए एक प्रमुख प्रचारक बन गय। 1918 में, दिवालियापन से छुट्टी दे दी गयी, वो एक स्वतंत्र सदस्य के रूप में संसद में फिर से प्रवेश किया। अगले वर्ष में वह अपनी धोखाधड़ी "victory bond" योजना शुरू की। 1933 में अपनी मृत्यु से पहले उनके अंतिम वर्षों गरीबी में बिताए थे। .

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जगन्नाथ प्रसाद चतुर्वेदी

जगन्नाथ प्रसाद चतुर्वेदी (जन्म:१८७५ मलयपुर (मुंगेर, बिहार) हिन्दी के हास्य रस के कवि, साहित्यकार एवं पत्रकार थे। १९२२ में उन्होने हिन्दी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्षता की थी। उन्हें 'हास्यावतार' कहा जाता है। .

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ज्यूसेपे मेत्सिनी

ज्यूसेपे मेत्सिनी ज्यूसेपे मेत्सिनी (Giuseppe Mazzini;उच्चारण; 22 जून 1805 – 10 मार्च 1872) इटली का राजनेता, पत्रकार तथा एकीकरण का कार्यकर्ता था। इसको 'इटली का स्पन्दित हृदय' कहा जाता था। उसके प्रयत्नों से इटली स्वतंत्र तथा एकीकृत हुआ। वीर सावरकर मेत्सिनी को अपना आदर्श नायक मानते थे। .

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जॉन मार्ले

जान मॉर्ले (John Morley; १८३८ - १९२३) ब्रिटेन का पत्रकार, लेखक और कूटनीतिज्ञ था। मॉर्ले का जन्म २४ दिसंबर, १८३८ को लंकाशायर के ब्लैकबर्न नगर में हुआ। उसने १८५९ में आक्सफोर्ड के लिंकन कालेज से बी० ए० की उपाधि प्राप्त की। इस वर्ष ही वह लंदन नगर आया और मृतप्राय लिटरेरी गजट का संपादक नियुक्त हुआ। साहित्य और राजनीति मार्ले के प्रिय विषय थे। उसके तथ्ययुक्त विचारपूर्ण लेखों ने उसको शीघ्र ही प्रसिद्ध कर दिया। मिलिटरी गजट का प्रकाशन कुछ समय बाद बंद हो गया किंतु मार्ले के साहित्यिक जीवन की ठोस नींव इस काल में पड़ गई। वह १८६७ में फोर्टनाइटली रिव्यू का संपापदक नियुक्त हुआ और १८८३ तक इस पद पर कार्य करता रहा। इस बीच उसने १८६८ से १८७० तक दैनिक मार्निग स्टार और १८८० से १८८३ तक पाल माल गजट का भी संपादन किया। १८८३ से १८८५ तक वह मेंकमिलंस मैगज़ीन का संपादक रहा। सुप्रसिद्ध साहित्यिक और राजनीतिक पुरूषों के जीवनकार्यों का उसने विशेष अध्ययन किया और उनकी जीवनियाँ लिखीं। 'एडमंड बर्क'- एक ऐतिहासिक अध्ययन का प्रकाशन १८६७ में हुआ। फ्रांस के वोल्तेर, रूसो, दिदेरी और विश्वकोशकारों तथा इंग्लैंड के रिचर्ड काबडेन की जीवनियाँ इस काल में प्रकाशित हुईं। १८७४ में उसका प्रसिद्ध निबंध 'कंप्रोमाइज' प्रकाशित हुआ। इस निबंध ने मार्ले को दार्शनिकों की पंक्ति में स्थान दिला दिया। वालपोल, आलिवर क्रामवेल और ग्लेडस्टन की जीवनियाँ १८८९, १९०० और १९०३ में प्रकाशित हुई। मॉर्ले की अन्य दो प्रसिद्ध कृतियाँ 'स्टडीज इन लिटरेचर' और 'द स्टडी आव लिटरेचर' भी शताब्दी के अंतिम दशक में प्रकाशित हुई। मॉर्ले ने १८६९ में अपने नगर से और १८८० में वेस्टमिस्टर से पार्लमेंट में पहुँचने का असफल प्रयत्न किया। १८८३ में वह न्यूकासिल आन टाइन से पार्लमेंट का सदस्य चुन लिया गया। इसी वर्ष उसकी अध्यक्षता में लीड्स में उदारदल का वृहत् सम्मेलन हुआ। प्रतिनिधि व्यवस्था और निर्वाचन पद्धति में सुधार के संबंध में सम्मेलन के महत्वपूर्ण निर्णयों ने उदारदल के प्रभाव में वृद्धि की। मॉर्ले ने समान निर्वाचन क्षेत्रों, नगरों और काउंटियों में समान मताधिकार योग्यता तथा सदस्यों को वेतन देने के पक्ष में देश भर में जनमत तैयार किया। आयरलैण्ड के राष्ट्रीय आंदोलन के प्रति भी मॉर्ले की पूर्ण सहानुभूति थी। उस देश को स्वशासन का अधिकार देने के प्रश्न पर वह ग्लैडस्टन के विचारों से सहमत था। ग्लैडस्टन ने उसको १८८६ ई० में आयर्लैंड का सचिव नियुक्त किया। बहुमत द्वारा समर्थन के अभाव में आयर्लैंड के प्रश्न पर छह मास में ही सरकार की पराजय हो गई पर मॉर्ले अपने क्षेत्र से फिर चुन लिया गया। १८९२ में उदार दल की सरकार बनने पर प्रधान मंत्री ग्लेडस्टन ने मॉर्ले को दुबारा आयर्लैंड का सचिव नियुक्त किया। आयर्लैंड की समस्या को हल करने में मार्लै को सफलता नहीं मिली। दल के मतभेदश् ने इस संबंध के कानून को पार्लमेंट में स्वीकृत नहीं होने दिया। १८९५ में उदार दल की सरकार भंग हो गई और अगले दस वर्षो तक शासनसूत्र अनुदार दल के हाथ में रहा। मॉर्ले ने इस अवधि में कई उत्तम रचनाएँ देश को दीं। १९०२ में एंड्रू कार्नेगी ने लार्ड एक्टन का मूल्यवान् पुस्तकालय खरीदकर मॉर्ले को भेंट किया। मॉर्ले ने उसे केंब्रिज विश्वविद्यालय को सौंप दिया। १९०५ में उदार दल की सरकार बनने पर मॉर्ले भारत सचिव के पद पर नियुक्त हुआ। भारत के राष्ट्रीय आंदोलन को दबाने के लिये उसने १९०७ में कठोर कानून की सृष्टि की। देश की एकता के लिये घातक सांप्रदायिक निर्वाचन प्रणाली के जन्मदाता १९०९ के कानून की रचना में उसका प्रमुख हाथ था। ब्लेमबर्न के वाइकाउंट का पद देकर १९०८ में सरकार ने मॉर्ले का सम्मान किया। तबसे जीवन के अंतिम दिन तक वह लार्ड सभा का सदस्य रहा। १९०९ में उसके विशेष प्रयत्न से लार्ड सभा ने अर्थबिल पर स्वीकृति दी थी। १९१० से १९१४ तक कौंसिल के प्रेसीडेंट का पद भी उसने सँभाला। मॉर्ले शांतिवादी था। १९१४ में प्रथम विश्वयुद्ध प्रारंभ होने पर उसने स्वयं ही लार्ड प्रेसीडेंट का पद त्याग दिया। १९१७ में उसके संस्मरण प्रकाशित हुए। २३ सितंबर, १९२३ को विल्लेडन में उसकी मृत्यु हुई। श्रेणी:यूके के उदार दल के एमपी.

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वरुण कुमार (पत्रकार)

वरुण कुमार एक भारतीय पत्रकार है। जिनका जन्म २८ अप्रैल १९८५ को भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर नामक स्थान पर हुआ था। वर्तमान में पत्रकार वरुण कुमार अली बाबा समूह के यूसी न्यूज़ कंपनी में मैनेजर के पद पर ०७ फरवरी २०१७ से कार्यरत है। .

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वसीम तरड़

वसीम तरड़ एक मशहूर पाकिस्तानी पत्रकार, उर्दू स्तंभकार और राजनीतिक विश्लेषक है। उसके स्तंभ दैनिक पाकिस्तान में नियमित रूप से आता है।इससे पहले वे प्रसिद्ध उर्दू अखबारों में काम करते रहे हैं। .

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विचारपरक लेखन

अखबारों में समाचार और फीचर के अलावा विचारपरक सामग्री का भी प्रकाशन होता है। कई अखबार अपने वैचारिक रुझान से पहचाने जाते हैं। अखबारों में सम्पादकीय पृष्ठ पर प्रकाशित होने वाले सम्पादकीय अग्रलेख,लेख और टिप्पणीयाँ इसी विचारपरक लेखन की श्रेणी में आती हैं। .

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विपिनचंद्र पाल

बिपिन चंद्र पाल (बांग्ला:বিপিন চন্দ্র পাল) (७ नवंबर, १८५८ - २० मई १९३२) एक भारतीय क्रांतिकारी थे। भारतीय स्वाधीनता आंदोलन की रूपरेखा तैयार करने में प्रमुख भूमिका निभाने वाली लाल-बाल-पाल की तिकड़ी में से एक विपिनचंद्र पाल राष्ट्रवादी नेता होने के साथ-साथ शिक्षक, पत्रकार, लेखक व वक्ता भी थे और उन्हें भारत में क्रांतिकारी विचारों का जनक भी माना जाता है। लाला लाजपत राय, बालगंगाधर तिलक एवं विपिनचन्द्र पाल (लाल-बाल-पाल) की इस तिकड़ी ने १९०५ में बंगाल विभाजन के विरोध में अंग्रेजी शासन के विरुद्ध आंदोलन किया जिसे बड़े स्तर पर जनता का समर्थन मिला। 'गरम' विचारों के लिए प्रसिद्ध इन नेताओं ने अपनी बात तत्कालीन विदेशी शासक तक पहुँचाने के लिए कई ऐसे तरीके अपनाए जो एकदम नए थे। इन तरीकों में ब्रिटेन में तैयार उत्पादों का बहिष्कार, मैनचेस्टर की मिलों में बने कपड़ों से परहेज, औद्योगिक तथा व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में हड़ताल आदि शामिल हैं। उनके अनुसार विदेशी उत्पादों के कारण देश की अर्थव्यवस्था खस्ताहाल हो रही थी और यहाँ के लोगों का काम भी छिन रहा था। उन्होंने अपने आंदोलन में इस विचार को भी सामने रखा। राष्ट्रीय आंदोलन के दौरान गरम धड़े के अभ्युदय को महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि इससे आंदोलन को एक नई दिशा मिली और इससे लोगों के बीच जागरुकता बढ़ी। राष्ट्रीय आंदोलन के दौरान जागरुकता पैदा करने में उनकी महत्त्वपूर्ण भूमिका रही। उनका विश्वास था कि केवल प्रेयर पीटिशन से स्वराज नहीं मिलने वाला है। .

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विलियम काबेट

विलियम काबेट (William Cobbett; १७६२ - १८३५) इंग्लैण्ड के कृषक, पत्रकार और पम्फलेटिअर (pamphleteer) थे। 'रूरल राइड्स' उनकी प्रसिद्ध पुस्तक है। विलियम कॉबेट का संघर्षमय जीवन ऐसे काल में व्यतीत हुआ था, जो इंग्लैंड ही नहीं, समस्त पाश्चात्य श्वेत जाति के इतिहास में क्रांतिपूर्ण युग माना जाता है। इसी काल में अमरीका का स्वातंत्र्य संग्राम हुआ और फ्रांस में राजनीतिक क्रांति का विस्फोट; इसके बाद ही नेपोलियन का उदय हुआ और समस्त यूरोप में उसकी विजयवाहिनी ने आतंकपूर्ण वातावरण पैदा कर दिया। इन विप्लवात्मक परिवर्तनों का इंग्लैंड के राजनीतिक तथा सामाजिक जीवन पर गहरा असर पड़ा और इसके फलस्वरूप पार्लियामेंट संबंधी सुधारों का क्रम आरंभ हुआ। परंतु इससे अधिक महत्वपूर्ण वह आर्थिक तथा औद्योगिक क्रांति थी जो इंग्लैंड की परंपरागत ग्राम तथा कृषि व्यवस्था का कलेवर ही ध्वस्त करने पर उतारू थी। पूँजीपतियों की लोलुपता तथा कुचक्रों के फलस्वरूप भूस्वामियों, कृषकों तथा भूमिहीन श्रमिकों का ह्रास और औद्योगिक जमींदारियों का विस्तार हो रहा था। विलियम काबेट ने अपने लंबे जीवनकाल में इन घातक परिवर्तनों का भरपूर विरोध किया क्योंकि इससे राष्ट्रीय शक्ति के मूल स्रोतों का ही शोषण हो रहा था। वे स्वयं कृषक वर्ग के प्रतिनिधि थे। उनका जन्म सन् १७६२ में फार्नहैम गाँव के एक कृषक परिवार में हुआ था और उनका बचपन कृषि संबंधी परिश्रमों तथा मनोरंजनों के बीच व्यतीत हुआ। इसी समय उनके हृदय में प्रकृतिप्रेम का भी बीजारोपण हुआ जो उत्तरोत्तर बढ़ता हुआ उनके लेखों में काव्यमय होकर प्रस्फुटित हुआ। इनकी शिक्षा सुव्यवस्थित रूप से नहीं हो पाई परंतु विद्याप्रेम इनका जन्मजात गुण था और बचपन ही में अपने जेब की समस्त पूँजी स्विफ़्ट के प्रसिद्ध ग्रंथ 'ए टेल ऑव ए टब' पर लगाकार इन्होंने इसका आश्चर्यजनक परिचय दिया। स्वच्छंद स्वभाव का यह नवयुवक गाँव के संकीर्ण दायरे में बँधकर रहना पसंद न कर सका; इसलिए घर से भागकर यह सेना में भर्ती हुआ और कालांतर में अमरीका के संघर्षपूर्ण वातावरण का अंग बन गया। आठ वर्षों तक काबेट ने अमरीका में उदार तथा प्रगतिशील सिद्धांतों का निर्बाध रूप से प्रतिपादन किया, फलस्वरूप उन्हें 'पीटर पारक्युपाइन' का सार्थक उपनाम दिया गया। परंतु इसके साथ ही साथ वे अपने देश की राजनीतिक संस्थाओं का भी जोरदार समर्थन करते रहे। स्वदेश लौटने पर टोरी दल ने उनकी प्रतिभा को क्रय करने का भगीरथ प्रयत्न किया परंतु काबेट किसी भी मूल्य पर बिकने के लिए तैयार नहीं हुए। सन् १८०२ ई. में उन्होंने 'द पोलिटिकल रजिस्टर' नामक प्रसिद्ध पत्रिका का संपादन आरंभ किया और वैधानिक सुधारों के पक्ष में अपनी भावपूर्ण लेखनी को सर्वदा के लिए समर्पित कर दिया। सन् १८३२ में ओल्ढम क्षेत्र से वे पार्लियामेंट के सदस्य चुने गए और वहाँ के कृषकों तथा श्रमिकों का आजीवन समर्थन करते रहे। कई बार सरकार से लोहा लेकर वे उसके कोपभाजन भी बने पंरतु उनका उत्साह अदम्य था और कंटकाकीर्ण मार्ग पर चलने में वे काफी अभ्यस्त थे। सन् १८३५ में वे अस्वस्थ हुए परंतु मृत्यु काल तक लिखते तथा काम करते रहे। विलियम काबेट के लेखों का संग्रह ५० मोटी जिल्दों में हुआ है, जिनमें 'काटेज इकानोमी', 'ऐडवाइस टु यंग मेन', 'रूरल राइड्स' तथा 'लिगेसी टु वर्कर्स' विशेष उल्लेखनीय हैं। इन लेखों में विविध विषयों का समावेश है परंतु इनके दो केंद्रबिंदु हैं—राजनीति तथा ग्राम्य जीवन संबंधी प्रकृतिसौंदर्य। राजनीतिक लेखों में उन्होंने अन्याय तथा कुरीतियों के प्रति विदग्ध लेखनी का संचालन कर अपनी स्वाभाविक उग्रता तथा संघर्षप्रियता का परिचय दिया, परंतु 'रूरल राइड्स' के पृष्ठों में उनके प्रकृतिप्रेम तथा काव्यमयी प्रतिभा की सुखद अभिव्यक्ति हुई है। उनकी ख्याति का स्थायी आधारस्तंभ इन्हीं साहित्यिक लेखों में क्योंकि उनके राजनीतिक तथा सामजिक विचार ऐतिहासिक महत्व के ही रह गए हैं। समाजसुधारक के रूप में उनका दृष्टिकोण प्रगतिशील नहीं था। रस्किन तथा मारिस के समान वे मध्यकालीन समाजव्यवस्था के समर्थक थे, जिसमें समस्त गाँव एक कुटुंब के समान रहता था और पारिवारिक जीवन परिश्रमजन्य सुखसाधनों से संपन्न था। .

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विष्णु खरे

विष्णु खरे (जन्म १९४०) एक प्रमुख कवि, आलोचक, अनुवादक एवं पत्रकार हैं। आलोचना की पहली किताब इनकी प्रसिद्ध आलोचना पुस्तक है। .

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विजय तेंडुलकर

विजय तेंडुलकर विजय तेंडुलकर (६ जनवरी १९२८ - १९ मई २००८) प्रसिद्ध मराठी नाटककार, लेखक, निबंधकार, फिल्म व टीवी पठकथालेखक, राजनैतिक पत्रकार और सामाजिक टीपकार थे। भारतीय नाट्य व साहित्य जगत में उनका उच्च स्थान रहा है। वे सिनेमा और टेलीविजन की दुनिया में पटकथा लेखक के रूप में भी पहचाने जाते हैं। .

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वेब ट्रैफिक

वेब ट्रैफिक, एक वेबसाइट के लिए आगंतुकों द्वारा भेजे गए और प्राप्त किए गए डेटा की राशि है। यह इंटरनेट ट्रैफिक का एक बड़ा हिस्सा है। इसे आगंतुकों की संख्या और उनके द्वारा खोले गए पृष्ठों की संख्या के आधार पर निर्धारित किया जाता है। साइटें, आवक और जावक ट्रैफिक पर नज़र रखती हैं ताकि यह पता रहे कि उनकी साइट के कौन से पृष्ठ लोकप्रिय हैं या क्या कोई स्पष्ट रुझान दिख रहा है, जैसे कि किसी विशेष देश में किसी विशेष पृष्ठ को देखा जा रहा है। इस ट्रैफिक पर नज़र रखने के कई ज़रिये हैं और एकत्रित डेटा का इस्तेमाल साईट को संरचित करने, सुरक्षा समस्याओं को उजागर करने या बैंडविड्थ की संभावित कमी को इंगित करने में किया जाता है - सभी वेब ट्रैफिक स्वागत योग्य नहीं होते। वर्धित वेब ट्रैफिक (आगंतुकों) के बदले, कुछ कंपनियां विज्ञापन योजनाओं की पेशकश करती हैं, जिसके तहत साइट की स्क्रीन पर स्थान के लिए भुगतान किया जाता है। साइटें अक्सर, खोज इंजन में शामिल होकर और खोज इंजन अनुकूलन के माध्यम से अपने ट्रैफिक में वृद्धि करने की कोशिश करती हैं। .

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वीरेन्द्र कुमार भट्टाचार्य

वीरेन्द्र कुमार भट्टाचार्य (१ अप्रैल, १९२४ - ६ अगस्त, १९९७) असमिया साहित्यकार थे। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास इयारुइंगम के लिये उन्हें सन् १९६१ में साहित्य अकादमी पुरस्कार (असमिया) से सम्मानित किया गया। इन्हें १९७९ में ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। समाजवादी विचारों से प्रेरित श्री भट्टाचार्य कहानीकार, कवि, निबंधकार और पत्रकार थे। वे साहित्य अकादमी, दिल्ली और असम साहित्य सभा के अध्यक्ष रहे। उन्होंने १९५० में संपादित असमी पत्रिका रामधेनु का संपादन कर असमिया साहित्य को नया मोड़ दिया। इनके चर्चित उपन्यासों इयारूंगम, मृत्युंजय, राजपथे, रिंगियाई, आई, प्रितपद, शतघ्नी, कालर हुमुनियाहहैं। इनके दो कहानी संग्रह भी प्रकाशित हुए, कलंग आजियो बोइ और सातसरी। .

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ख़्वाजा अहमद अब्बास

ख़्वाजा अहमद अब्बास प्रसिद्ध फिल्म निर्देशक, पटकथा लेखक और उर्दू लेखक थे। उन्होंने 'अलीगढ़ ओपिनियन' शुरू किया। 'बॉम्बे क्रॉनिकल' में ये लंबे समय तक बतौर संवाददाता और फ़िल्म समीक्षक काम किया। इनका स्तंभ 'द लास्ट पेज' सबसे लंबा चलने वाले स्तंभों में गिना जाता है। यह 1941 से 1986 तक चला। अब्बास इप्टा के संस्थापक सदस्य थे। .

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खुशवन्त सिंह

खुशवन्त सिंह (जन्म: 2 फ़रवरी 1915, मृत्यु: 20 मार्च 2014) भारत के एक प्रसिद्ध पत्रकार, लेखक, उपन्यासकार और इतिहासकार थे। एक पत्रकार के रूप में उन्हें बहुत लोकप्रियता मिली। उन्होंने पारम्परिक तरीका छोड़ नये तरीके की पत्रकारिता शुरू की। भारत सरकार के विदेश मन्त्रालय में भी उन्होंने काम किया। 1980 से 1986 तक वे राज्यसभा के मनोनीत सदस्य रहे। खुशवन्त सिंह जितने भारत में लोकप्रिय थे उतने ही पाकिस्तान में भी लोकप्रिय थे। उनकी किताब ट्रेन टू पाकिस्तान बेहद लोकप्रिय हुई। इस पर फिल्म भी बन चुकी है। उन्हें पद्म भूषण और पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। उन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन एक जिन्दादिल इंसान की तरह पूरी कर्मठता के साथ जिया। .

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गणेशशंकर विद्यार्थी

गणेशशंकर विद्यार्थी गणेशशंकर 'विद्यार्थी' (1890 - 25 मार्च 1931), हिन्दी के पत्रकार एवं भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के सिपाही एवं सुधारवादी नेता थे। .

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गाफिल स्वामी

गाफिल स्वामी (जन्म: २२ जुलाई १९५३, इगलास, अलीगढ) एक भारतीय साहित्यकार, कवि, लेखक एवं पत्रकार हैं। .

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गाब्रिएल दाँनुतस्यो

300px गाब्रिएल दाँनुतस्यो (Gabriele D'Annunzio; इतालवी उच्चारण:; 12 मार्च, 1863 – 01 मार्च 1938) इटली का लेखक, कवि, पत्रकार, नाटककार, तथा प्रथम विश्वयुद्ध का योद्धा त्था। १८८९ से १९१० तक इतालवी साहित्य में तथा १९१४ से १०२४ तक इटली के राजनीतिक जीवन में उसका प्रमुख स्थान था। उसको प्रायः इल वाटे (Il Vate .

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गिरिलाल जैन

गिरिलाल जैन (1924 – 19 जुलाई 1993) भारत के प्रसिद्ध पत्रकार थे। वे सन १९७८ से सन १९८८ तक टाइम्स ऑफ इण्डिया के सम्पादक थे। उनको सन १९८९ में भारत सरकार द्वारा साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। .

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गजानन त्र्यंबक माडखोलकर

गजानन त्र्यंबक माडखोलकर (28 दिसम्बर, 1900 - 27 नवम्बर, 1976)), मराठी उपन्यासकार, आलोचक तथा पत्रकार थे। .

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गुलाब कोठारी

गुलाब कोठारी भारत के एक सम्वेदनशील लेखक,पत्रकार तथा संपादक है ये वर्तमान में दैनिक समाचार पत्र राजस्थान पत्रिका के प्रधानसंपादक है। उन्हें 2002 में नीदरलैन्द के इन्टर्कल्चर विश्व विद्यालय ने फिलोसोफी में डि लिट की उपाधि से सम्मानित किया .

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गोपाल राम गहमरी

गोपाल राम गहमरी (1866-1946) हिंदी के महान सेवक, उपन्यासकार तथा पत्रकार थे। वे 38 वर्षों तक बिना किसी सहयोग के 'जासूस' नामक पत्रिका निकालते रहे, २०० से अधिक उपन्यास लिखे, सैकड़ों कहानियों के अनुवाद किए, यहां तक कि रवीन्द्रनाथ ठाकुर की 'चित्रागंदा' काव्य का भी (पहली बार हिंदी अनुवाद गहमरीजी द्वारा किया गया) अनुवाद किए। वह ऐसे लेखक थे, जिन्होंने हिंदी की अहर्निश सेवा की, लोगों को हिंदी पढऩे को उत्साहित किया, ऐसी रचनाओं का सृजन करते रहे कि लोगों ने हिंदी सीखी। यदि देवकीनंदन खत्री के बाद किसी दूसरे लेखक की कृतियों को पढ़ने के लिए गैरहिंदी भाषियों ने हिंदी सीखी तो वे गोपालराम गहमरी ही थे। गहमरी ने प्रारंभ में नाटकों का अनुवाद किया, फिर उपन्यासों का अनुवाद करने लगे। बंगला से हिन्दी में किया गया इनका अनुवाद तब बहुत प्रामाणिक माना गया। बहुमुखी प्रतिभा के धनी गोपालराम गहमरी ने कविताएं, नाटक, उपन्यास, कहानी, निबंध और साहित्य की विविध विधाओं में लेखन किया, लेकिन प्रसिद्धि मिली जासूसी उपन्यासों के क्षेत्र में। 'जासूस' नामक एक मासिक पत्रिका निकाली। इसके लिए इन्हें प्रायः एक उपन्यास हर महीने लिखना पड़ा। 200 से ज्यादा जासूसी उपन्यास गहमरीजी ने लिखे। 'अदभुत लाश', 'बेकसूर की फांसी', 'सरकती लाश', 'डबल जासूस', 'भयंकर चोरी', 'खूनी की खोज' तथा 'गुप्तभेद' इनके प्रमुख उपन्यास हैं। जासूसी उपन्यास-लेखन की जिस परंपरा को गहमरी ने जन्म दिया, उसका हिन्दी में विकास ही न हो सका। .

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गोपाल सिंह नेपाली

गोपाल सिंह नेपाली गोपाल सिंह नेपाली (1911 - 1963) हिन्दी एवं नेपाली के प्रसिद्ध कवि थे। उन्होने बम्बइया हिन्दी फिल्मों के लिये गाने भी लिखे। वे एक पत्रकार भी थे जिन्होने "रतलाम टाइम्स", चित्रपट, सुधा, एवं योगी नामक चार पत्रिकाओं का सम्पादन भी किया। सन् १९६२ के चीनी आक्रमन के समय उन्होने कई देशभक्तिपूर्ण गीत एवं कविताएं लिखीं जिनमें 'सावन', 'कल्पना', 'नीलिमा', 'नवीन कल्पना करो' आदि बहुत प्रसिद्ध हैं। .

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गोपाल गणेश आगरकर

गोपाल गणेश आगरकर गोपाल गणेश आगरकर (१४ जुलाई, १८५६ - १८९५) भारत के महाराष्ट्र प्रदेश के समाज सुधारक एवं पत्रकार थे। वे मराठी के प्रसिद्ध समाचार पत्र केसरी के प्रथम सम्पादक थे। किन्तु बाल गंगाधर तिलक से वैचारिक मतभेद के कारण उन्होने केसरी का सम्पादकत्व छोड़कर सुधारक नामक पत्रिका का प्रकाशन आरम्भ किया। आगरकर, विष्णु कृष्ण चिपलूणकर तथा तिलक "डेकन एजुकेशन सोसायटी" के संस्थापक सदस्य थे। .

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आन्द्रेस पस्त्राना अरांगो

आंद्रेस पास्त्राना अरान्गो (जन्म १७ अगस्त, १९५४) कोलंबिया के राष्ट्रपति थे। इनका कार्यकाल १९९८ से २००२ तक रहा। इनके पिता श्री मिसेल पास्त्राना भी कोलंबिया के राष्ट्रपति रहे १९७० से १९७४ तक। .

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आर्थर लेवेलिन बाशम

आर्थर लेवेलिन बाशम (Arthur Llewellyn Basham; 24 मई, 1914 – 27 जनवरी, 1986) प्रसिद्ध इतिहासकार, भारतविद तथा अनेकों पुस्तकों के रचयिता थे। १९५० और १९६० के दशक में 'स्कूल ऑफ ओरिएण्टल ऐण्ड अफ्रिकन स्टडीज' के प्रोफेसर के रूप में उन्होने अनेकों भारतीय इतिहासकारों को पढ़ाया, जिनमें आर एस शर्मा, रोमिला थापर तथा वी एस पाठक प्रमुख हैं। इंग्लैंड में पैदा हुए और पले-बढ़े बाशम को मुख्यतः प्राचीन भारत की संस्कृति पर लिखी उनकी अत्यंत लोकप्रिय और कालजयी रचना द वंडर दैट वाज़ इण्डिया: अ सर्वे ऑफ़ कल्चर ऑफ़ इण्डियन सब-कांटिनेंट बिफ़ोर द कमिंग ऑफ़ द मुस्लिम्स (1954) के लिए जाना जाता है। इतिहास-लेखन में वस्तुनिष्ठता के पैरोकार बाशम ने किसी ऐतिहासिक निर्णय पर पहुँचने के पूर्व इतिहासकार के लिए आवश्यक दृष्टि पर प्रकाश डालते हुए अपने एक लेख में सुझाया है कि अपनी अभिधारणा सिद्ध करने के लिए इतिहासकार को बड़े पैमाने पर स्रोतों का प्रयोग करना चाहिए। लेकिन साथ ही उसे एक ऐसे बैरिस्टर की भूमिका से बचना भी चाहिए जिसका उद्देश्य केवल अपने पक्ष में फैसला करवाना होता है। बाशम हर ऐसी बात पर बल देने के पक्ष में नहीं थे जो इतिहासकार के तर्क को मजबूत बनाती हो या सर्वाधिक सकारात्मक आलोक में इसकी व्याख्या करती हो। न ही वे दूसरे पक्ष के सभी साक्ष्यों को दरकिनार करने की कोशिश करते थे। वस्तुतः, बाशम इस मान्यता में विश्वास रखते थे कि इतिहासकार की दृष्टि बैरिस्टर की नहीं जज की तरह होनी चाहिए, एक ऐसे जज की जो अपना निर्णय सुनाने से पहले सभी पक्षों को नज़र में रखते हुए बिना किसी पक्षपात के एक वस्तुनिष्ठ निष्कर्ष पर पहुँचता है। .

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आर॰ए॰ पद्मनाभान

आर॰ए॰ पद्मनाभान (१९१७–२०१४) भारतीय पत्रकार और इतिहासकार। .

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आलोक दीक्षित

आलोक दीक्षित एक भारतीय पत्रकार व सामाजिक कार्यकर्ता हैं। .

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इन्द्र विद्यावाचस्पति

इन्द्र विद्यावाचस्पति (1889-1960), कुशल पत्रकार, गंभीर विचारक एवं इतिहासवेत्ता थे। वे स्वामी श्रद्धानन्द के पुत्र थे। .

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इन्द्र कुमार गुजराल

इ Indra kumar raj Mistar sang m k न्द् र कुमार गुजराल (अंग्रेजी: I. K. Gujral जन्म: ४ दिसम्बर १९१९, झेलम - मृत्यु: ३० नवम्बर २०१२, गुड़गाँव) भारतीय गणराज्य के १३वें प्रधानमन्त्री थे। उन्होंने भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम में सक्रिय रूप से हिस्सा लिया था और १९४२ के भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान वे जेल भी गये। अप्रैल १९९७ में भारत के प्रधानमंत्री बनने से पहले उन्होंने केन्द्रीय मन्त्रिमण्डल में विभिन्न पदों पर काम किया। वे संचार मन्त्री, संसदीय कार्य मन्त्री, सूचना प्रसारण मन्त्री, विदेश मन्त्री और आवास मन्त्री जैसे महत्वपूर्ण पदों पर रहे। राजनीति में आने से पहले उन्होंने कुछ समय तक बीबीसी की हिन्दी सेवा में एक पत्रकार के रूप में भी काम किया था। १९७५ में जिन दिनों वे इन्दिरा गान्धी सरकार में सूचना एवं प्रसारण मन्त्री थे उसी समय यह बात सामने आयी थी कि १९७१ के चुनाव में इन्दिरा गान्धी ने चुनाव जीतने के लिये असंवैधानिक तरीकों का इस्तेमाल किया है। इन्दिरा गान्धी के बेटे संजय गांधी ने उत्तर प्रदेश से ट्रकों में भरकर अपनी माँ के समर्थन में प्रदर्शन करने के लिये दिल्ली में लोग इकट्ठे किये और इन्द्र कुमार गुजराल से दूरदर्शन द्वारा उसका कवरेज करवाने को कहा। गुजराल ने इसे मानने से इन्कार कर दिया क्योंकि संजय गांधी को कोई सरकारी ओहदा प्राप्त नहीं था। बेशक वे प्रधानमन्त्री के पुत्र थे। इस कारण से उन्हें सूचना एवं प्रसारण मन्त्रालय से हटा दिया गया और विद्याचरण शुक्ल को यह पद सौंप दिया गया। लेकिन बाद में उन्हीं इन्दिरा गान्धी की सरकार में मास्को में राजदूत के तौर पर गुजराल ने १९८० में सोवियत संघ के द्वारा अफ़गानिस्तान में हस्तक्षेप का विरोध किया। उस समय भारतीय विदेश नीति में यह एक बहुत बड़ा बदलाव था। उस घटना के बाद ही आगे चलकर भारत ने सोवियत संघ द्वारा हंगरी और चेकोस्लोवाकिया में राजनीतिक हस्तक्षेप का विरोध किया। .

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कर्म एवं उद्यमों की सूची

कोई विवरण नहीं।

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कावालम माधव पणिक्कर

कावालम् माधव पणिक्कर कावालम माधव पणिक्कर (३ जून १८९५ - १० दिसम्बर १९६३) भारत के विद्वान, पत्रकार, इतिहासकार, प्रशासक तथा राजनयज्ञ थे। वे सरदार के एम पणिक्कर के नाम से अधिक प्रसिद्ध हैं। .

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कुमार केतकर

कुमार केतकर एक भारतीय पत्रकार तथा राजनीतिज्ञ हैं | वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के राजनेता हैं | .

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कुलदीप नैयर

कुलदीप नैयर भारत के प्रसिद्ध लेखक एवं पत्रकार हैं। जन्म: 14 अगस्त 1924, सियालकोट (अब पाकिस्तान) शिक्षा: स्कूली शिक्षा सियालकोट में। विधि की डिग्री लाहौर से। यू॰एस॰ए॰ से पत्रकारिता की डिग्री ली। दर्शनशास्त्र में पी॰एच॰डी॰। कार्य अनुभव: भारत सरकार के प्रेस सूचना अधिकारी के पद पर कई वर्षों तक कार्य करने के बाद वे यू॰एन॰आई॰, पी॰आई॰बी॰, ‘द स्टैट्समैन', ‘इण्डियन एक्सप्रेस' के साथ लम्बे समय तक जुड़े रहे। वे पच्चीस वर्षों तक ‘द टाइम्स' लन्दन के संवाददाता भी रहे। .

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क्षेम चंद 'सुमन'

आचार्य क्षेम चन्द 'सुमन' (16 सितम्‍बर, 1916 -- 23 अक्‍तूबर, 1993) हिन्दी साहित्यकार एवं पत्रकार थे। उन्हें १९८४ में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। उनके जीवन का सबसे महत्वपूर्ण कार्य है- 'दिवंगत हिन्दी साहित्यसेवी कोश' का दो भागों में प्रकाशन। इस असाधारण ग्रन्थ को तैयार करने के लिये सुमन जी ने सम्पूर्ण भारत के गाँव-गाँव, नगर-नगर को दो बार लगभग पैदल ही नाप दिया। बनारसीदास चतुर्वेदी का लक्ष्य यदि स्वतन्त्रता सेनानियों और शहीदों के बलिदानों को उजागर करना तथा उनके आश्रितों की सहायता करना और करवाना था तो 'सुमन' जी का लक्ष्य लेखकों की मदद करना था। .

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कृष्णाजी प्रभाकर खाडिलकर

कृष्णजी प्रभाकर खाडिलकर (1872 - 1948 ई.) मराठी साहित्यकार, नाट्याचार्य, पत्रकार तथा लोकमान्य बालगंगाधर तिलक के सहयोगी थे। वे काका साहब खाडिलकर के नाम से विशेष प्रसिद्ध थे। एक महान् देशभक्त के रूप में आज भी उनका पर्याप्त सम्मान है। मराठी नाटय-सृष्टि में उन्होंने बहुमूल्य कार्य किया। मराठी नाट्य प्रेमियों ने अत्यंत स्नेह भाव से उन्हें ‘नाट्याचार्य’ की पदवी से विभूषित किया। महाराष्ट्र में आधुनिक पत्रकारिता की नींव उन्हीं ने डाली थी। वे श्रेष्ठ चिंतक तथा वैदिक साहित्य के अभ्यासक थे। वे सादगी, सदाचार और ईमानदारी, देशभक्ति, स्वाभिमान व नेकी आदि गुणों की प्रत्यक्ष मूर्ति ही थे। .

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कृष्णकान्त मालवीय

कृष्णकान्त मालवीय (१८८३ ई० -- ३ जनवरी, १९४१ ई० दिल्ली) हिन्दी पत्रकार थे। वे महामना मदनमोहन मालवीय के बड़े भाई जयकृष्ण मालवीय के द्वितीय पुत्र थे। १९०४ ई० में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से बी०ए० किया। १९१० ई० में 'अभ्युदय' के संपादक हुए और १९११ ई० में मासिक 'मर्यादा' का भी संपादन शुरू किया जिसमें साहित्यक, राजनीतिक और सामाजिक विषयों पर विचारपूर्ण लेख प्रकाशित होते थे। सन १९१६-१८ वर्ष की अवधि मे अभ्युदय के संपादक पद से अलग रहे पर १९१८ से १९३० ई० तक फिर 'अभ्युदय' के संपादक रहे। मर्यादा का संपादन १९२२ तक किया। सत्याग्रह आंदोलनों के संबंध में तीन बार जेल गए। लगभग १२ वर्ष तक केंद्रीय एसेंबली के सदस्य रहे। आपके विचारों पर लाला लाजपत राय और महात्मा गांधी का प्रभाव अधिक था। फलत: विधवा विवाह, अछूतोद्वार औरश् पैत्रिक संपति में लड़कियों को भी हिस्सा मिलने का समर्थन किया। पहले विश्व महायुद्ध के समय 'संसार संकट' स्तंभ के अंतर्गत अंतरराष्ट्रीय राजनीति का विश्लेषण हिंदी पत्रकारिता को आपकी विशेष देन थी। उर्दू शायरी के बड़े प्रेमी थे और स्वयं उर्दू कविता करते थे। भाषा सरल, स्पष्ट और उर्दू की पुट लिए रहती थी। लगभग आधे दर्जन बँगला और मराठी उपन्यासों के अनुवाद के अतिरिक्त चार मौलिक पुस्तकों की रचना की- श्रेणी:हिन्दी पत्रकार.

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कैलाश चन्द्र पन्त

कैलाश चन्द्र पन्त (जन्मतिथि: 26 अप्रैल 1936), हिन्दी-साहित्यकार, पत्रकार एवं प्रमुख हिन्दीसेवी हैं। उनके जीवन में महत्वपूर्ण मोड़ तब आया जब नौकरी छोड़कर स्वतंत्र प्रेस डाला और साप्ताहिक पत्र ‘जनधर्म’ निकाला। .

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केवल रतन मलकानी

केवल रतन मलकानी (19 नवम्बर 1921 - 27 अक्टूबर 2003) भारत के एक प्रसिद्ध चिन्तक, राजनेता एवं पत्रकार थे। वे भारतीय जनता पार्टी के उपाध्यक्ष एवं पांडीचेरी के राज्यपाल रहे। वे एक समर्थ विचारक एवं लेखक थे। .

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अनुभा भोंसले

अनुभा भोंसले सीएनएन आईबीएन की एक कार्यकारी संपादक हैं और भारत में स्थित टेलिविज़न पत्रकार है। .

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अनुषा रिज़वी

अनुषा रिज़वी, एक भारतीय फिल्म निर्देशक और पटकथा लेखक हैं। उनके निर्देशन में बनी उनकी पहली फिल्म पीपली लाइव ने डरबन फिल्म समारोह में सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पहला पुरस्कार जीता है। .

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अमरकांत

अमरकांत (1925 - 17 फ़रवरी 2014) हिंदी कथा साहित्य में प्रेमचंद के बाद यथार्थवादी धारा के प्रमुख कहानीकार थे। यशपाल उन्हें गोर्की कहा करते थे।रविंद्र कालिया, नया ज्ञानोदय (मार्च २०१२), भारतीय ज्ञानपीठ, पृ-६ .

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अमीर चंद बोम्बवाल

अमीर चन्द बोम्बवाल अमीर चंद बोम्बवाल (8 अगस्त 1893 - 10 फरवरी 1972) भारत के एक पत्रकार, स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी, खुदाई खिदमतगार, तथा पेशावर के भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक नेता थे। .

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अरविन्द अडिग

अरविन्द अडिग (कन्नड़: ಅರವಿಂದ ಅಡಿಗ, जन्म 23 अक्टूबर 1974) अंग्रेजी में लिखने वाले भारतीय लेखक हैं, जिन्हें अपने पहले उपन्यास द व्हाइट टाइगर (श्वेत बाघ) के लिए मैन बुकर पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। .

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अरुण माहेश्वरी

अरुण माहेश्वरी (जन्म: 4 जून 1951) एक हिन्दी साहित्यकार, मार्क्सवादी आलोचक, सामाजिक-आर्थिक विषयों पर टिप्पणीकार एवं पत्रकार हैं। .

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अरुण शौरी

अरुण शौरी (जन्म: २ नवम्बर १९४१) भारत के प्रसिद्ध पत्रकार, लेखक, बुद्धिजीवी एवं राजनेता हैं। वे विश्व बैंक में अर्थशास्त्री थे (1968-72 और 1975-77); भारत के योजना आयोग में सलाहकार थे; इण्डियन एक्सप्रेस एवं टाइम्स ऑफ इण्डिया नामक अंग्रेजी पत्रों के सम्पादक थे; तथा सन् १९९८-२००४ तक भारत सरकार में मंत्री थे। .

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अर्णव गोस्वामी

अर्णव गोस्वामी एक भारतीय पत्रकार हैं। वह "टाइम्स नाउ" नामक समाचार चैनल के एन्कर और मुख्य सम्पादक हैं। द न्यूज़ आवर, नामक सीधा प्रसारण होने वाले वाद-विवाद को वह एंकरिंग करते हैं, जो रविवार और शनिवार को छोड़कर प्रतिदिन रात ९ बजे आता है। वह एक विशेष टीवी कार्यक्रम की मेजबानी करते हैं जिस का नाम है 'फ्रेन्क्ली स्पीकिंग विद अरनब', जिस में प्रख्यात लोग शामिल होते हैं। उनको बहुत सारे पुरस्कार मिले हैं। अपनी पत्रकार क्षमताओं के लिये उन्होने बहुत सारी पुस्तकें भी लिखी हैं जैसे: कोमपेटीबल टेरिरिज़म, द लीगल चेलेनज आदि। .

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अलेक्सान्द्र अब्रामोविच कबकोव

अलेक्सान्द्र अब्रामोविच कबकोव अलेक्सान्द्र कबकोव (रूसी: Кабаков, Александр Абрамович) - रूसी लेखक और पत्रकार हैं। उनका जन्म द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान १९४३ में नोवोसिबीर्स्क में हुआ, जहाँ सरकार ने उनकी माँ को युद्ध से बचाकर प्रसूति के लिए भेज दिया था। कबाकोव ने उक्राइना के द्नेप्रोपेत्रोव्स्क विश्वविद्यालय की मैकेनिकल-मैथमैटिक्स फ़ैकल्टी से एम.एससी.

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अश्विनी कुमार चोपड़ा

अश्विनी कुमार चोपड़ा भारत की सोलहवीं लोक सभा के सांसद हैं। २०१४ के चुनावों में वे हरियाणा के करनाल से निर्वाचित हुए। वे भारतीय जनता पार्टी से संबद्ध हैं। वे भारत के प्रमुख हिंदी दैनिक समाचारपत्र पंजाब केसरी के निदेशक एवं संपादक हैं। .

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अंशुमान तिवारी

अंशुमान तिवारी इंडिया टुडे समूह, नई दिल्ली में इंडिया टुडे (हिंदी) के एक संपादक हैं। वह राष्ट्रीय ब्यूरो के पूर्व चीफ और दैनिक जागरण के एसोसिएट संपादक रेह चुके है। वह दक्षिण एशिया पत्रकारिता कार्यक्रम २०१७ के चेवनिंग फेलो हैं।  वह इंटरनेशनल सेंटर फॉर जर्नलिस्ट्स (आईसीएफजे), यूके वित्तीय क्षेत्र के अध्ययन, यूरोपीय संघ और यूएस इंटरनेशनल विज़िटर प्रोग्राम के फेलो भी रहे हैं। वह अंग्रेजी और हिंदी भाषाओं में एक निपुण मल्टीमीडिया आर्थिक / राजनीतिक पत्रकार, विश्लेषक, शोधकर्ता और कोलमनिस्ट है, जिसमें प्रमुख हिंदी समाचार पत्रों, डिजिटल समाचार उद्यमों और पत्रिका  के विभिन्न क्षमताओं में २५ वर्षों का मीडिया अनुभव है। ३० सितंबर २०१७ को, उनके ब्लॉग "अर्थात्" को 'सर्वश्रेष्ठ हिंदी ब्लॉग' की निर्देशिका में सूचीबद्ध किया गया है, जिसे आईटीबी द्वारा जारी किया गया है। तीसरी बार 2017 में, यह सबसे 'सर्वश्रेष्ठ हिंदी ब्लॉग' के रूप में पुनः सूचीबद्ध हुआ है। .

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उपदेश अवस्थी

उपदेश अवस्थी (Updesh Awasthee) इनका जन्म १८ अगस्त १९७६,शिवपुरी,मध्यप्रदेश में हुआ ये मूलतः राजस्थानी है। उपदेश अवस्थी एक वरिष्ठ पत्रकार है साथ ही वर्तमान में भोपाल समाचार नामक ऑनलाइन समाचार पोर्टल के सम्पादक भी है। इन्होंने अपने पत्रकारिता कैरियर की शुरुआत १९९४ में स्वदेश समाचार पत्र से की थी इनके अलावा ये दैनिक जागरण,राज एक्सप्रेस तथा प्रदेश टुडे में भी पत्रकारिता कर चुके है। १६ अगस्त २०१२ को इन्होंने अपने खुद के ऑनलाइन समाचार पोर्टल भोपाल समाचार ऑनलाइन पोर्टल की शुरुआत की,ये वर्तमान में भोपाल समाचार पोर्टल के सम्पादक है। .

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