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ध्रुवीय कक्षा

सूची ध्रुवीय कक्षा

ध्रुवीय कक्षा एक ध्रुवीय कक्षा (polar orbit), वह कक्षा है जिसमें एक कृत्रिम उपग्रह किसी पिंड की प्रत्येक परिक्रमा पर एक पूरे चक्कर में उसके दोनों ध्रुवों के ऊपर या लगभग ऊपर से गुजरता है | इस कारण भूमध्यरेखा से इसका झुकाव ९० डिग्री (या इससे बहुत करीब) होता है | सामान्यतः यह पिंड पृथ्वी जैसा या संभवतः सूर्य के जैसा होता है | ध्रुवीय भू-समकालिक कक्षा (geosynchronous orbit) के विशेष मामले को छोड़कर, ध्रुवीय कक्षा में उपग्रह अपने प्रत्येक चक्कर में भूमध्यरेखा के ऊपर एक भिन्न देशांतर पर से गुजरता है | ध्रुवीय कक्षाओं का उपयोग अक्सर पृथ्वी के मानचित्रण, पृथ्वी प्रेक्षण और टोही उपग्रहों के साथ ही साथ कुछ मौसम उपग्रहों के लिए भी लिए किया जाता है | इरिडियम उपग्रह समूह भी दूरसंचार सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए एक ध्रुवीय कक्षा का उपयोग करता है | इस कक्षा के लिए नुकसान यह है कि पृथ्वी की सतह पर कोई एक स्थान ऐसा नहीं है जहां से इस ध्रुवीय कक्षा के उपग्रह से लगातार संपर्क किया जा सकता हो | निकट-ध्रुवीय कक्षा उपग्रहों के लिए एक सूर्य-समकालिक कक्षा का चयन करना महज सामान्य बात है: जिसका अर्थ है कि एक के बाद एक कक्षीय गुजारें के दिन पर एक ही स्थानीय समय होता है | वायुमंडलीय तापमान के सुदूर संवेदन जैसे अनुप्रयोगों के लिए यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण हो सकता है | परिक्रमा करते हुए उपग्रह द्वारा स्थानीय समय के साथ सामंजस्य आवश्यक है जिसमें समय के साथ परिवर्तन हो सकता है | किसी दिए गए गुजारें पर एक ही स्थानीय समय रखने के लिए, कक्षा के लिए यह वांछनीय है कि वह जितनी संभव हो छोटी से छोटी हो, कहने का तात्पर्य है जितनी संभव हो सके निम्न हो | हालांकि, कुछ सौ किलोमीटर की बहुत निम्न कक्षाओं में तेजी से वायुमंडल से अवरोध के कारण क्षय होगा | प्रयोग में लाइ जाने वाली सामान्य उंचाई लगभग १००० कि॰मी॰ है, यह लगभग १०० मिनटों की एक कक्षीय अवधि निर्मित करती है |सूर्य के तरफ की आधी कक्षा में तो केवल 50 मिनट लगते हैं, इस दौरान दिन के स्थानीय समय में बहुत भिन्नता नहीं होती है | जैसे जैसे पृथ्वी वर्ष के दौरान सूर्य के चारों ओर घूमती जाती है वैसे वैसे सूर्य-समकालिक कक्षा बनाए रखने के लिए, उपग्रह की कक्षा को ठीक उसी समान दर पर अयन करना चाहिए | सीधे ध्रुवों के ऊपर से गुजरने वाले उपग्रहों के लिए, यह नहीं होगा | लेकिन पृथ्वी के भूमध्यरेखीय उभार के कारण, एक मामूली कोण पर झुकी कक्षा बलाघूर्ण के अधीन अयनांश का कारण बनती है, यह पता चला है कि ध्रुव से लगभग ८ डिग्री का एक कोण एक १०० मिनट की कक्षा में वांछित अयनांश निर्मित करता है | .

6 संबंधों: एम-5, बृहस्पति (ग्रह), शुक्र, वेगा (रॉकेट), खगोलशास्त्र से सम्बन्धित शब्दावली, उपग्रह

एम-5

श्रेणी:राकेट प्रक्षेपण प्रणाली.

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बृहस्पति (ग्रह)

बृहस्पति सूर्य से पांचवाँ और हमारे सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह है। यह एक गैस दानव है जिसका द्रव्यमान सूर्य के हजारवें भाग के बराबर तथा सौरमंडल में मौजूद अन्य सात ग्रहों के कुल द्रव्यमान का ढाई गुना है। बृहस्पति को शनि, अरुण और वरुण के साथ एक गैसीय ग्रह के रूप में वर्गीकृत किया गया है। इन चारों ग्रहों को बाहरी ग्रहों के रूप में जाना जाता है। यह ग्रह प्राचीन काल से ही खगोलविदों द्वारा जाना जाता रहा है तथा यह अनेकों संस्कृतियों की पौराणिक कथाओं और धार्मिक विश्वासों के साथ जुड़ा हुआ था। रोमन सभ्यता ने अपने देवता जुपिटर के नाम पर इसका नाम रखा था। इसे जब पृथ्वी से देखा गया, बृहस्पति -2.94 के सापेक्ष कांतिमान तक पहुंच सकता है, छाया डालने लायक पर्याप्त उज्जवल, जो इसे चन्द्रमा और शुक्र के बाद आसमान की औसत तृतीय सर्वाधिक चमकीली वस्तु बनाता है। (मंगल ग्रह अपनी कक्षा के कुछ बिंदुओं पर बृहस्पति की चमक से मेल खाता है)। बृहस्पति एक चौथाई हीलियम द्रव्यमान के साथ मुख्य रूप से हाइड्रोजन से बना हुआ है और इसका भारी तत्वों से युक्त एक चट्टानी कोर हो सकता है।अपने तेज घूर्णन के कारण बृहस्पति का आकार एक चपटा उपगोल (भूमध्य रेखा के पास चारों ओर एक मामूली लेकिन ध्यान देने योग्य उभार लिए हुए) है। इसके बाहरी वातावरण में विभिन्न अक्षांशों पर कई पृथक दृश्य पट्टियां नजर आती है जो अपनी सीमाओं के साथ भिन्न भिन्न वातावरण के परिणामस्वरूप बनती है। बृहस्पति के विश्मयकारी 'महान लाल धब्बा' (Great Red Spot), जो कि एक विशाल तूफ़ान है, के अस्तित्व को १७ वीं सदी के बाद तब से ही जान लिया गया था जब इसे पहली बार दूरबीन से देखा गया था। यह ग्रह एक शक्तिशाली चुम्बकीय क्षेत्र और एक धुंधले ग्रहीय वलय प्रणाली से घिरा हुआ है। बृहस्पति के कम से कम ६४ चन्द्रमा है। इनमें वो चार सबसे बड़े चन्द्रमा भी शामिल है जिसे गेलीलियन चन्द्रमा कहा जाता है जिसे सन् १६१० में पहली बार गैलीलियो गैलिली द्वारा खोजा गया था। गैनिमीड सबसे बड़ा चन्द्रमा है जिसका व्यास बुध ग्रह से भी ज्यादा है। यहाँ चन्द्रमा का तात्पर्य उपग्रह से है। बृहस्पति का अनेक अवसरों पर रोबोटिक अंतरिक्ष यान द्वारा, विशेष रूप से पहले पायोनियर और वॉयजर मिशन के दौरान और बाद में गैलिलियो यान के द्वारा, अन्वेषण किया जाता रहा है। फरवरी २००७ में न्यू होराएज़न्ज़ प्लूटो सहित बृहस्पति की यात्रा करने वाला अंतिम अंतरिक्ष यान था। इस यान की गति बृहस्पति के गुरुत्वाकर्षण का इस्तेमाल कर बढाई गई थी। इस बाहरी ग्रहीय प्रणाली के भविष्य के अन्वेषण के लिए संभवतः अगला लक्ष्य यूरोपा चंद्रमा पर बर्फ से ढके हुए तरल सागर शामिल हैं। .

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शुक्र

शुक्र (Venus), सूर्य से दूसरा ग्रह है और प्रत्येक 224.7 पृथ्वी दिनों मे सूर्य परिक्रमा करता है। ग्रह का नामकरण प्रेम और सौंदर्य की रोमन देवी पर हुआ है। चंद्रमा के बाद यह रात्रि आकाश में सबसे चमकीली प्राकृतिक वस्तु है। इसका आभासी परिमाण -4.6 के स्तर तक पहुँच जाता है और यह छाया डालने के लिए पर्याप्त उज्जवलता है। चूँकि शुक्र एक अवर ग्रह है इसलिए पृथ्वी से देखने पर यह कभी सूर्य से दूर नज़र नहीं आता है: इसका प्रसरकोण 47.8 डिग्री के अधिकतम तक पहुँचता है। शुक्र सूर्योदय से पहले या सूर्यास्त के बाद केवल थोड़ी देर के लए ही अपनी अधिकतम चमक पर पहुँचता है। यहीं कारण है जिसके लिए यह प्राचीन संस्कृतियों के द्वारा सुबह का तारा या शाम का तारा के रूप में संदर्भित किया गया है। शुक्र एक स्थलीय ग्रह के रूप में वर्गीकृत है और समान आकार, गुरुत्वाकर्षण और संरचना के कारण कभी कभी उसे पृथ्वी का "बहन ग्रह" कहा गया है। शुक्र आकार और दूरी दोनों मे पृथ्वी के निकटतम है। हालांकि अन्य मामलों में यह पृथ्वी से एकदम अलग नज़र आता है। शुक्र सल्फ्यूरिक एसिड युक्त अत्यधिक परावर्तक बादलों की एक अपारदर्शी परत से ढँका हुआ है। जिसने इसकी सतह को दृश्य प्रकाश में अंतरिक्ष से निहारने से बचा रखा है। इसका वायुमंडल चार स्थलीय ग्रहों मे सघनतम है और अधिकाँशतः कार्बन डाईऑक्साइड से बना है। ग्रह की सतह पर वायुमंडलीय दबाव पृथ्वी की तुलना मे 92 गुना है। 735° K (462°C,863°F) के औसत सतही तापमान के साथ शुक्र सौर मंडल मे अब तक का सबसे तप्त ग्रह है। कार्बन को चट्टानों और सतही भूआकृतियों में वापस जकड़ने के लिए यहाँ कोई कार्बन चक्र मौजूद नही है और ना ही ज़ीवद्रव्य को इसमे अवशोषित करने के लिए कोई कार्बनिक जीवन यहाँ नज़र आता है। शुक्र पर अतीत में महासागर हो सकते हैलेकिन अनवरत ग्रीनहाउस प्रभाव के कारण बढ़ते तापमान के साथ वह वाष्पीकृत होते गये होंगे |B.M. Jakosky, "Atmospheres of the Terrestrial Planets", in Beatty, Petersen and Chaikin (eds), The New Solar System, 4th edition 1999, Sky Publishing Company (Boston) and Cambridge University Press (Cambridge), pp.

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वेगा (रॉकेट)

कोई विवरण नहीं।

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खगोलशास्त्र से सम्बन्धित शब्दावली

यह पृष्ठ खगोलशास्त्र की शब्दावली है। खगोलशास्त्र वह वैज्ञानिक अध्ययन है जिसका सबंध पृथ्वी के वातावरण के बाहर उत्पन्न होने वाले खगोलीय पिंडों और घटनाओं से होता है। .

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उपग्रह

ERS 2) अन्तरिक्ष उड़ान (spaceflight) के संदर्भ में, उपग्रह एक वस्तु है जिसे मानव (USA 193) .

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