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बृहस्पति (ग्रह)

सूची बृहस्पति (ग्रह)

बृहस्पति सूर्य से पांचवाँ और हमारे सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह है। यह एक गैस दानव है जिसका द्रव्यमान सूर्य के हजारवें भाग के बराबर तथा सौरमंडल में मौजूद अन्य सात ग्रहों के कुल द्रव्यमान का ढाई गुना है। बृहस्पति को शनि, अरुण और वरुण के साथ एक गैसीय ग्रह के रूप में वर्गीकृत किया गया है। इन चारों ग्रहों को बाहरी ग्रहों के रूप में जाना जाता है। यह ग्रह प्राचीन काल से ही खगोलविदों द्वारा जाना जाता रहा है तथा यह अनेकों संस्कृतियों की पौराणिक कथाओं और धार्मिक विश्वासों के साथ जुड़ा हुआ था। रोमन सभ्यता ने अपने देवता जुपिटर के नाम पर इसका नाम रखा था। इसे जब पृथ्वी से देखा गया, बृहस्पति -2.94 के सापेक्ष कांतिमान तक पहुंच सकता है, छाया डालने लायक पर्याप्त उज्जवल, जो इसे चन्द्रमा और शुक्र के बाद आसमान की औसत तृतीय सर्वाधिक चमकीली वस्तु बनाता है। (मंगल ग्रह अपनी कक्षा के कुछ बिंदुओं पर बृहस्पति की चमक से मेल खाता है)। बृहस्पति एक चौथाई हीलियम द्रव्यमान के साथ मुख्य रूप से हाइड्रोजन से बना हुआ है और इसका भारी तत्वों से युक्त एक चट्टानी कोर हो सकता है।अपने तेज घूर्णन के कारण बृहस्पति का आकार एक चपटा उपगोल (भूमध्य रेखा के पास चारों ओर एक मामूली लेकिन ध्यान देने योग्य उभार लिए हुए) है। इसके बाहरी वातावरण में विभिन्न अक्षांशों पर कई पृथक दृश्य पट्टियां नजर आती है जो अपनी सीमाओं के साथ भिन्न भिन्न वातावरण के परिणामस्वरूप बनती है। बृहस्पति के विश्मयकारी 'महान लाल धब्बा' (Great Red Spot), जो कि एक विशाल तूफ़ान है, के अस्तित्व को १७ वीं सदी के बाद तब से ही जान लिया गया था जब इसे पहली बार दूरबीन से देखा गया था। यह ग्रह एक शक्तिशाली चुम्बकीय क्षेत्र और एक धुंधले ग्रहीय वलय प्रणाली से घिरा हुआ है। बृहस्पति के कम से कम ६४ चन्द्रमा है। इनमें वो चार सबसे बड़े चन्द्रमा भी शामिल है जिसे गेलीलियन चन्द्रमा कहा जाता है जिसे सन् १६१० में पहली बार गैलीलियो गैलिली द्वारा खोजा गया था। गैनिमीड सबसे बड़ा चन्द्रमा है जिसका व्यास बुध ग्रह से भी ज्यादा है। यहाँ चन्द्रमा का तात्पर्य उपग्रह से है। बृहस्पति का अनेक अवसरों पर रोबोटिक अंतरिक्ष यान द्वारा, विशेष रूप से पहले पायोनियर और वॉयजर मिशन के दौरान और बाद में गैलिलियो यान के द्वारा, अन्वेषण किया जाता रहा है। फरवरी २००७ में न्यू होराएज़न्ज़ प्लूटो सहित बृहस्पति की यात्रा करने वाला अंतिम अंतरिक्ष यान था। इस यान की गति बृहस्पति के गुरुत्वाकर्षण का इस्तेमाल कर बढाई गई थी। इस बाहरी ग्रहीय प्रणाली के भविष्य के अन्वेषण के लिए संभवतः अगला लक्ष्य यूरोपा चंद्रमा पर बर्फ से ढके हुए तरल सागर शामिल हैं। .

45 संबंधों: ट्रैपिस्ट-१, ऍनसॅलअडस (उपग्रह), ऍप्सिलन ऍरिडानी तारा, एचडी २१७१०७ बी, देवगुरु बृहस्पति, धधकी तारा, धातु हाइड्रोजन, धूमकेतु शूमेकर-लेवी ९, न्यू होराइज़न्स, पपिस तारामंडल, पुनर्वसु-पॅलक्स तारा, फ़ुमलहौत बी, बर्नार्ड-तारा, बहिर्ग्रह खोज की विधियाँ, बृहस्पति, बृहस्पति (ज्योतिष), बृहस्पति के प्राकृतिक उपग्रह, भट्टी तारामंडल, महापृथ्वी, यूरोपा (उपग्रह), लालांड २११८५ तारा, स्रोतास्विनी तारामंडल, सौर मण्डल, ज्वारभाटा बल, जूनो (अंतरिक्ष यान), विशालकाय श्वेत धब्बा, वेदी तारामंडल, खगोलजीव विज्ञान, गामा लियोनिस तारा, गैनिमीड (उपग्रह), गैलिलेयो (अंतरिक्ष यान), आयो (उपग्रह), कलिस्टो (उपग्रह), कुम्भ तारामंडल, क्षुद्रग्रह घेरा, केओआई ९६१, अभिजित तारा, अम्बा तारा, अल्फ़ा अरायटिस तारा, अंगिरस तारा, छल्ला नीहारिका, ५ जुलाई, ५ अगस्त, ६७पी/चुरयुमोव-गेरासिमेंको, ७ दिसम्बर

ट्रैपिस्ट-१

ट्रैपिस्ट-१ (TRAPPIST-1), जिसे 2MASS J23062928-0502285 भी नामांकित करा जाता है, कुम्भ तारामंडल के क्षेत्र में स्थित एक अतिशीतल बौना तारा है जो हमारे सौर मंडल के बृहस्पति ग्रह से ज़रा बड़ा है। यह सूरज से लगभग 39.5 प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है। इसके इर्द-गिर्द एक ग्रहीय मंडल है और फ़रवरी 2017 तक इस मंडल में सात स्थलीय ग्रह इस तारे की परिक्रमा करते पाए गए थे जो किसी भी अन्य ज्ञात ग्रहीय मंडल से अधिक हैं। .

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ऍनसॅलअडस (उपग्रह)

२६ अगस्त १९८१ को वॉयेजर द्वितीय यान द्वारा ली गयी ऍनसॅलअडस की तस्वीर ऍनसॅलअडस के दक्षिणी ध्रुव के पास के "शेर धारियाँ" क्षेत्र में पानी और बर्फ़ उगलते हुए ऊंचे फुव्वारे ऍनसॅलअडस के दक्षिणी ध्रुव के पास की "शेर धारियाँ" इस तस्वीर में साफ़ नज़र आ रही हैं ऍनसॅलअडस हमारे सौर मण्डल के छठे ग्रह शनि का छठा सब से बड़ा उपग्रह है। ऍनसॅलअडस आकार में बहुत छोटा है - इसका व्यास (डायामीटर) केवल ४०० किमी है, जो शनि के सब से बड़े चद्रमा, टाइटन, का सिर्फ़ दसवाँ है। इस छोटे आकार के बावजूद इसकी सतह पर टीले-खाइयों से लेकर उल्कापिंडों के प्रहार से बने हुए गड्ढों तक तरह-तरह की चीजें देखी जाती हैं। ऍनसॅलअडस की सतह पर अधिकतर पानी की बर्फ़ की एक मोटी तह फैली हुई है। इस बर्फ़ीली सतह की वजह से ऍनसॅलअडस का ऐल्बीडो (सफ़ेदपन या चमकीलापन) १.३८ है, जो सौर मण्डल की किसी भी अन्य ज्ञात वस्तु से अधिक है। अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ ने इस उपग्रह की सतह पर मौजूद बहुत से आकारों के नाम आलिफ़ लैला की कहानियों के पात्रों पर रखे हैं, जैसे की समरक़न्द खाइयाँ, अलादीन गड्ढा, सरान्दीब मैदान, वग़ैराह। .

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ऍप्सिलन ऍरिडानी तारा

काल्पनिक चित्र जिसमें ऍप्सिलन ऍरिडानी तारे के इर्द-गिर्द दो ग्रह और दो क्षुद्रग्रह घेरे परिक्रमा करते दिखाए गए हैं ऍप्सिलन ऍरिडानी (बाएँ) और सूरज (दाएँ) की तुलना ऍप्सिलन ऍरिडानी (बायर नाम: ε Eridani या ε Eri) स्रोतास्विनी तारामंडल में स्थित एक तारा है। यह पृथ्वी से लगभग 10.5 प्रकाश-वर्ष की दूरी पर है और इसकी पृथ्वी से देखी जाने वाली चमक (यानि सापेक्ष कान्तिमान) 3.73 मैग्नीट्यूड मापी गई है। यह एक नारंगी रंग का K2 श्रेणी वाला मुख्य अनुक्रम तारा है जिसका सतही तापमान लगभग 5,000 कैल्विन है। इसका द्रव्यमान (मास) और व्यास (डायामीटर) सूरज से थोड़े छोटे हैं। वैज्ञानिक पिछले 20 साल से ऍप्सिलन ऍरिडानी की हिलावट का अध्ययन कर रहें हैं और इस से उन्होंने अंदाज़ा लगाया है के इसके इर्द-गिर्द बृहस्पति जैसा एक गैस दानव ग्रह तारे से 3.4 खगोलीय इकाईयों (ख॰इ॰) की दूरी पर परिक्रमा कर रहा है, जिसका नाम उन्होंने ऍप्सिलन ऍरिडानी "बी" रखा है। उनका यह भी अनुमान है के इस तारे के इर्द-गिर्द दो क्षुद्रग्रहों (ऐस्टेरोईड) के घेरे हैं - एक 3 ख॰इ॰ की दूरी पर और दूसरा 20 ख॰इ॰ की दूरी पर। यह भी मुमकिन है के एक और भी ग्रह इसकी परिक्रमा कर रहा हो, जिसका नाम उन्होंने ऍप्सिलन ऍरिडानी "सी" रखा है। अभी तक जितने भी तारों के इर्द-गिर्द ग़ैर-सौरीय ग्रह मिले हैं, ऍप्सिलन ऍरिडानी उन सब में पृथ्वी के सब से पास है। .

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एचडी २१७१०७ बी

एचडी २१७१०७ मीन तारामंडल का एक असौरीय ग्रह है जो पृथ्वी से लगभग ६४ प्रकाश-वर्ष दूर है। इस ग्रह का अनवेषण एचडी २१७१०७ नामक तारे की लगभग हर सात दिन परिक्रमा करते हुए हुआ था, जिससे यह एक उष्ण बृहस्पति ग्रह के रूप में वर्गीकृत हो गया। ग्रह की किंचित केंद्रभ्रष्ट ग्रहपथ के कारण वैज्ञानिक प्रणाली के भीतर एक और ग्रह (एचडी २१७१०७ सी) की पुष्टि करने में सक्षम रहे। .

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देवगुरु बृहस्पति

बृहस्पति का अनेक जगह उल्लेख मिलता है। ये एक तपस्वी ऋषि थे। इन्हें 'तीक्ष्णशृंग' भी कहा गया है। धनुष बाण और सोने का परशु इनके हथियार थे और ताम्र रंग के घोड़े इनके रथ में जोते जाते थे। बृहस्पति का अत्यंत पराक्रमी बताया जाता है। इन्द्र को पराजित कर इन्होंने उनसे गायों को छुड़ाया था। युद्ध में अजय होने के कारण योद्धा लोग इनकी प्रार्थना करते थे। ये अत्यंत परोपकारी थे जो शुद्धाचारणवाले व्यक्ति को संकटों से छुड़ाते थे। इन्हें गृहपुरोहित भी कहा गया है, इनके बिना यज्ञयाग सफल नहीं होते। वेदोत्तर साहित्य में बृहस्पति को देवताओं का पुरोहित माना गया है। ये अंगिरा ऋषि की सुरूपा नाम की पत्नी से पैदा हुए थे। तारा और शुभा इनकी दो पत्नियाँ थीं। एक बार सोम (चंद्रमा) तारा को उठा ले गया। इस पर बृहस्पति और सोम में युद्ध ठन गया। अंत में ब्रह्मा के हस्तक्षेप करने पर सोम ने बृहस्पति की पत्नी को लौटाया। तारा ने बुध को जन्म दिया जो चंद्रवंशी राजाओं के पूर्वज कहलाये। महाभारत के अनुसार बृहस्पति के संवर्त और उतथ्य नाम के दो भाई थे। संवर्त के साथ बृहस्पति का हमेशा झगड़ा रहता था। पद्मपुराण के अनुसार देवों और दानवों के युद्ध में जब देव पराजित हो गए और दानव देवों को कष्ट देने लगे तो बृहस्पति ने शुक्राचार्य का रूप धारणकर दानवों का मर्दन किया और नास्तिक मत का प्रचार कर उन्हें धर्मभ्रष्ट किया। बृहस्पति ने धर्मशास्त्र, नीतिशास्त्र, अर्थशास्त्र और वास्तुशास्त्र पर ग्रंथ लिखे। आजकल ८० श्लोक प्रमाण उनकी एक स्मृति (बृहस्पति स्मृति) उपलब्ध है। बृहस्पति को देवताओं के गुरु की पदवी प्रदान की गई है। ये स्वर्ण मुकुट तथा गले में सुंदर माला धारण किये रहते हैं। ये पीले वस्त्र पहने हुए कमल आसन पर आसीन रहते हैं तथा चार हाथों वाले हैं। इनके चार हाथों में स्वर्ण निर्मित दण्ड, रुद्राक्ष माला, पात्र और वरदमुद्रा शोभा पाती है। प्राचीन ऋग्वेद में बताया गया है कि बृहस्पति बहुत सुंदर हैं। ये सोने से बने महल में निवास करते है। इनका वाहन स्वर्ण निर्मित रथ है, जो सूर्य के समान दीप्तिमान है एवं जिसमें सभी सुख सुविधाएं संपन्न हैं। उस रथ में वायु वेग वाले पीतवर्णी आठ घोड़े तत्पर रहते हैं।|वेबवार्त्ता। ०७ अक्टूबर २०११। अभिगमन तिथि: २९ सितंबर २०१२ देवगुरु बृहस्पति की तीन पत्नियाँ हैं जिनमें से ज्येष्ठ पत्नी का नाम शुभा और कनिष्ठ का तारा या तारका तथा तीसरी का नाम ममता है। शुभा से इनके सात कन्याएं उत्पन्न हुईं हैं, जिनके नाम इस प्रकार से हैं - भानुमती, राका, अर्चिष्मती, महामती, महिष्मती, सिनीवाली और हविष्मती। इसके उपरांत तारका से सात पुत्र और एक कन्या उत्पन्न हुईं। उनकी तीसरी पत्नी से भारद्वाज और कच नामक दो पुत्र उत्पन्न हुए। बृहस्पति के अधिदेवता इंद्र और प्रत्यधि देवता ब्रह्मा हैं। महाभारत के आदिपर्व में उल्लेख के अनुसार, बृहस्पति महर्षि अंगिरा के पुत्र तथा देवताओं के पुरोहित हैं। ये अपने प्रकृष्ट ज्ञान से देवताओं को उनका यज्ञ भाग या हवि प्राप्त करा देते हैं। असुर एवं दैत्य यज्ञ में विघ्न डालकर देवताओं को क्षीण कर हराने का प्रयास करते रहते हैं। इसी का उपाय देवगुरु बृहस्पति रक्षोघ्र मंत्रों का प्रयोग कर देवताओं का पोषण एवं रक्षण करने में करते हैं तथा दैत्यों से देवताओं की रक्षा करते हैं। .

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धधकी तारा

धधकी तारा (flare star) ऐसा परिवर्ती तारा होता है जो कभी-कभी बिना चेतावनी के अचानक कुछ मिनटों के लिये अपनी चमक को साधारण से बहुत अधिक बढ़ा दे। खगोलशास्त्रियों का अनुमान है कि यह प्रक्रिया हमारे सूरज के सौर प्रज्वालों के समान है और उन तारों के वायुमण्डल में एकत्रित चुम्बकीय ऊर्जा के कारण होती है। स्पेक्ट्रोस्कोपी जाँच से पता चला है कि चमक की यह बढ़ौतरी रेडियो तरंगों से लेकर एक्स रे तक पूरे वर्णक्रम (स्पेक्ट्रम) में देखी जा सकती है। सबसे पहले ज्ञात धधकी तारे वी१३९६ सिगनाए (V1396 Cygni) और एटी माइक्रोस्कोपाए (AT Microscopii) थे जिनकी खोज सन् १९२४ में हुई। सबसे अधिक पहचाने जाना वाला धधकी तारा यूवी सेटाए (UV Ceti) है, जो १९४८ में मिला था। अधिकतर धधकी तारे कम चमक वाले लाल बौने होते हैं हालांकि हाल में हुए अनुसन्धान में संकेत मिला है कि कम द्रव्यमान (मास) वाले भूरे बौने भी धधकने में सक्षम हो सकते हैं। कुछ दानव तारे भी धधकते हुए मिले हैं लेकिन यह उनके द्वितारा मंडल में होने से उनके साथी तारे के शक्तिशाली गुरुत्वाकर्षक खींचाव के कारण हुआ समझा जाता है। इसके अलावा सूरज से मिलते-जुलते ९ तारों में भी धधकन देखी गई है, जिसके बारे में खगोलशास्त्री समझते हैं कि यह उनके इर्द-गिर्द बृहस्पति जैसे भीमकाय ग्रह की बहुत ही समीपी कक्षा में उपस्थिति की वजह से है। .

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धातु हाइड्रोजन

बृहस्पति जैसे कुछ गैस दानव ग्रहों के केन्द्रों में धातु हाइड्रोजन है धातु हाइड्रोजन (metallic hydrogen) हाइड्रोजन की ऐसी अवस्था को कहते हैं जब वह भयंकर दबाव में कुचली जाकर अवस्था परिवर्तन (phase transition) करके विकृत हो जाए।, Gabor Kalman, J. Martin Rommel, Krastan Blagoev, Kastan Blagoev, Springer, 1998, ISBN 978-0-306-46031-9,...

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धूमकेतु शूमेकर-लेवी ९

हबल अंतरिक्ष दूरबीन से १७ मई १९९४ को शूमेकर-लेवी ९ के २१ टुकड़ों की तस्वीर बृहस्पति ग्रह के दक्षिणी गोलार्ध पर कुछ टकराव स्थलों पर धब्बे धूमकेतु शूमेकर-लेवी ९ (Comet Shoemaker–Levy 9), जिसका औपचारिक नाम डी/१९९३ ऍफ़२ (D/1993 F2) था, एक धूमकेतु (कोमॅट) था जो जुलाई १९९४ में बृहस्पति ग्रह से टकराकर ध्वस्त हो गया। हमारे सौर मंडल में यह पृथ्वी से असंबंधित खगोलीय वस्तुओं की सबसे पहली देखी गई टक्कर थी, जिस वजह से इसपर समाचारों में भारी चर्चा हुई। दुनिया-भर के खगोलशास्त्रियों ने टकराव से पहले इस धूमकेतु पर नज़रें गाढ़ लीं। टकराव से बृहस्पति के बारे में और उसके अंदरूनी सौर मंडल से मलबा हटाने की प्रक्रियाओं पर और जानकारी मिली। शूमेकर-लेवी ९ की खोज तीन अमेरिकी खगोलशास्त्रियों ने की थी - कैरोलाइन और यूजीन शूमेकर (Caroline और Eugene Shoemaker) तथा डेविड लेवी (David Levy)। उन्होने २४ मार्च १९९३ को इसकी बृहस्पति की परिक्रमा करते हुए तस्वीर उतारी। यह किसी ग्रह की परिक्रमा करते हुआ पहला ज्ञात धूमकेतु था और समझा जाता है कि बृहस्पति ने इसे अपने गुरुत्वाकर्षण से २०-३० साल पहले पकड़ लिया था। हिसाब लगाने पर पता चला कि इसका टूटा-सा स्वरूप इसके जुलाई १९९२ में बृहस्पति के अधिक पास आने से हुए था। उस समय शूमेकर-लेवी ९ की कक्षा (ऑर्बिट) बृहस्पति की रोश सीमा के भीतर आ जाने से बृहस्पति के ज्वारभाटा बल ने उसे तोड़ दिया था। बाद में इसे २ किमी तक के व्यास (डायामीटर) वाले टुकड़ों में देखा गया। यह टुकड़े १९९४ में १६ जुलाई से २२ जुलाई तक बृहस्पति के दक्षिणी गोलार्ध (हेमिसफ़्येर​) से ६० किमी प्रति सैकिंड (यानि २,१६,००० किमी प्रति घंटे) की गति से टकराकर ध्वस्त हो गए। इनसे बृहस्पति के वायुमंडल में गहरी ख़रोंचे बन गई जो महीनो तक दिखाई देती रहीं। पृथ्वी से यह बृहस्पति के महान लाल धब्बे (Great Red Spot) से भी स्पष्ट दिखाई देती थी।, Kenneth R. Lang, Cambridge University Press, 2003, ISBN 978-0-521-81306-8,...

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न्यू होराइज़न्स

न्यू होराइज़न्स (अंग्रेज़ी: New Horizons, हिंदी अर्थ: "नए क्षितिज") अमेरिकी अंतरिक्ष अनुसन्धान संस्था नासा का एक अंतरिक्ष शोध यान है जो हमारे सौर मंडल के बाहरी बौने ग्रह यम (प्लूटो) के अध्ययन के लिये छोड़ा गया था। इस यान का प्रक्षेपण 19 जनवरी 2006 किया गया था जो नौ वर्षों के बाद 14 जुलाई 2015 को प्लूटो के सबसे नजदीक से होकर गुजरा। यह प्लूटो और उसके पांचों ज्ञात उपग्रहों - शैरन, निक्स, हाएड्रा, स्टायक्स और ऍस/२०११ पी १ (S/2011 P 1) के आँकड़े भेजेगा। इसके बाद अगर कोई अन्य काइपर घेरे की वस्तु देखने योग्य मिलती है तो संभव है की इस यान के द्वारा उसके पास से भी निकलकर जानकारी और तस्वीरें हासिल की जा सकें। न्यू होराइजन्स यान को रॉकेट के ऊपर लगाकर १९ जनवरी २००६ को छोड़ा गया था। ७ अप्रैल २००६ को इसने मंगल ग्रह की कक्षा (ऑरबिट) पार की, २८ फ़रवरी २००७ को बृहस्पति ग्रह की, ८ जून २००८ को शनि ग्रह की और १८ मार्च २०११ को अरुण ग्रह (यूरेनस) की। इसे छोड़ने की गति किसी भी मानव कृत वस्तु से अधिक रही थी - अपने आखरी रॉकेट के बंद होने तक इसकी रफ़्तार १६.२६ किलोमीटर प्रति सैकिंड पहुँच चुकी थी। .

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पपिस तारामंडल

पपिस तारामंडल धूल के भीमकाय बादलों के दरमयान तारों का सृजन हो रहा है पपिस तारामंडल खगोलीय गोले के दक्षिणी भाग में दिखने वाला एक तारामंडल है। आकाश में क्षेत्र के हिसाब से यह एक काफ़ी बड़ा तारामंडल है। .

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पुनर्वसु-पॅलक्स तारा

पुनर्वसु-पॅलक्स और सूरज की तुलना - पुनर्वसु-पॅलक्स एक नारंगी रंग का दानव तारा है पुनर्वसु-पॅलक्स या सिर्फ़ पॅलक्स, जिसका बायर नाम "बेटा जॅमिनोरम" (β Geminorum या β Gem) है, मिथुन तारामंडल का सब से रोशन तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले सत्रहवा सब से रोशन तारा है। प्राचीन भारत में इसे और पुनर्वसु-कैस्टर तारे को मिलकर पुनर्वसु नक्षत्र बनता था। पुनर्वसु-पॅलक्स पृथ्वी से लगभग 34 प्रकाश वर्ष की दूरी पर हैं। इसके इर्द-गिर्द एक ग़ैर-सौरीय ग्रह परिक्रमा करता हुआ पाया गया है। पुनर्वसु-पॅलक्स एक नारंगी दानव तारा है। .

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फ़ुमलहौत बी

धूल के बादल में फ़ुमलहौत बी ग्रह परिक्रमा करता हुआ पाया गया (हबल अंतरिक्ष दूरबीन द्वारा ली गई तस्वीर) फ़ुमलहौत तारे के इर्द-गिर्द की धूल में फ़ुमलहौत बी का एक काल्पनिक चित्र फ़ुमलहौत बी पृथ्वी से २५ प्रकाश-वर्ष दूर स्थित एक ग़ैर-सौरीय ग्रह है जो दक्षिण मीन तारामंडल के फ़ुमलहौत तारे की परिक्रमा कर रहा है। इसे २००८ में हबल अंतरिक्ष दूरबीन द्वारा ली गई तस्वीरों के ज़रिये ढूँढा गया था। यह अपने तारे की ११५ खगोलीय इकाई की दूरी पर परिक्रमा कर रहा है। .

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बर्नार्ड-तारा

बारनर्ड का तारा अपना आकाश में स्थान बदलता रहता है - यह तस्वीर उसका हर पाँचवे साल का स्थान दर्शा रहा है बारनर्ड का तारा सर्पधारी तारामंडल में नज़र आने वाला एक बहुत ही कम द्रव्यमान (मास) वाला लाल बौना तारा है। यह पृथ्वी से लगभग 6 प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है। मित्र तारे के मंडल के तीन तारों के बाद बारनर्ड का तारा ही पृथ्वी का सब से समीपी तारा है। यह एक M4 श्रेणी का तारा है और पृथ्वी से इसकी चमक (सापेक्ष कान्तिमान) को 9। 54 मैग्नीट्यूड पर मापा गया है। आकाश में यह अपना स्थान बदलता रहता है इसलिए इसे "बारनर्ड का भागता तारा" भी कहते हैं। .

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बहिर्ग्रह खोज की विधियाँ

खगोलिकी में कोई भी ग्रह दूर से देखे जाने पर अपने पितृ तारे (जिसके इर्द-गिर्द वह कक्षा या ऑरबिट में हो) की कांति के सामने लगभग अदृश्य होता है। उदाहरण के लिए हमारा सूर्य हमारे सौर मंडल के किसी भी ग्रह से एक अरब गुना से भी अधिक चमक रखता है। वैसे भी ग्रहों की चमक केवल उनके द्वारा अपने पितृतारे के प्रकाश के प्रतिबिम्ब से ही आती है और पितृग्रह की भयंकर चमके के आगे धुलकर ग़ायब-सी हो जाती है। यही कारण है कि बहुत ही कम मानव-अनवेषित बहिर्ग्रह (यानि हमारे सौर मंडल से बाहर स्थित ग्रह) सीधे उनकी छवि देखे जाने से पाए गए हैं। इसकी बजाय लगभग सभी ज्ञात बहिर्ग्रह परोक्ष विधियों से ढूंढे गए हैं, और खगोलज्ञों ऐसी विधियों का तीव्रता से विस्तार कर रहे हैं।Stuart Shaklan.

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बृहस्पति

कोई विवरण नहीं।

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बृहस्पति (ज्योतिष)

बृहस्पति, जिन्हें "प्रार्थना या भक्ति का स्वामी" माना गया है, और ब्राह्मनस्पति तथा देवगुरु (देवताओं के गुरु) भी कहलाते हैं, एक हिन्दू देवता एवं वैदिक आराध्य हैं। इन्हें शील और धर्म का अवतार माना जाता है और ये देवताओं के लिये प्रार्थना और बलि या हवि के प्रमुख प्रदाता हैं। इस प्रकार ये मनुष्यों और देवताओं के बीच मध्यस्थता करते हैं। बृहस्पति हिन्दू देवताओं के गुरु हैं और दैत्य गुरु शुक्राचार्य के कट्टर विरोधी रहे हैं। ये नवग्रहों के समूह के नायक भी माने जाते हैं तभी इन्हें गणपति भी कहा जाता है। ये ज्ञान और वाग्मिता के देवता माने जाते हैं। इन्होंने ही बार्हस्पत्य सूत्र की रचना की थी। इनका वर्ण सुवर्ण या पीला माना जाता है और इनके पास दण्ड, कमल और जपमाला रहती है। ये सप्तवार में बृहस्पतिवार के स्वामी माने जाते हैं। ज्योतिष में इन्हें बृहस्पति (ग्रह) का स्वामी माना जाता है। .

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बृहस्पति के प्राकृतिक उपग्रह

कलिस्टो हमारे सौर मण्डल के पाँचवे ग्रह बृहस्पति के 67 ज्ञात उपग्रह हैं जिनकी परिक्रमा की कक्षाएँ परखी जा चुकी हैं और स्थाई पायी गयी हैं। यह संख्या सौर मण्डल के किसी भी अन्य ग्रह से अधिक है। इन उपग्रहों में से चार चन्द्रमा काफी बड़े आकार के हैं - गैनिमीड, कलिस्टो, आयो और यूरोपा। इनकी खोज गैलीलियो गैलिली ने सन् 1610 में की थी इसलिए इन चारों को बृहस्पति के गैलिलीयाई चन्द्रमा भी कहा जाता है। यह चार पहले उपग्रह थे जो पृथ्वी से अन्य किसी ग्रह की परिक्रमा करते पाए गए थे। इन चारों का व्यास (डायामीटर) ३,१०० कि॰मी॰ से अधिक है। बृहस्पति के बाक़ी किसी भी उपग्रह का व्यास २५० कि॰मी॰ से अधिक नहीं और अधिकतर तो ५ कि॰मी॰ से भी कम का व्यास रखते हैं। .

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भट्टी तारामंडल

भट्टी (फ़ॉरनैक्स) तारामंडल भट्टी तारामंडल में दिखने वाला ग़ैर-सौरीय ग्रह हिप १३०४४ बी क्षीरमार्ग (हमारी आकाशगंगा) में नहीं जन्मा था (काल्पनिक चित्र) बिग बैंग महाविस्फोट में हुए ब्रह्माण्ड के जन्म के ५० करोड़ वर्षों के अन्दर-अन्दर दिखती होगी भट्टी या फ़ॉरनैक्स खगोलीय गोले के दक्षिणी भाग में स्थित एक छोटा-सा तारामंडल है। इसकी परिभाषा १८वीं सदी में की गई थी और अब यह अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ द्वारा जारी की गई ८८ तारामंडलों की सूची में शामिल है। .

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महापृथ्वी

पृथ्वी और "कॅप्लर-१०बी" नामक महापृथ्वी ग्रह के आकारों की तुलना व्यास (r) और द्रव्यमान (m) एक सीमा में संतुलन में होने से कोई ग्रह महापृथ्वी बनता है - नीली लकीर पर स्थित ग्रह पूरे बानी और बर्फ़ के होंगे और लाल लकीर वाले ग्रह लगभग पूरे लोहे के होंगे - इन दोनों के बीच में महापृथ्वियाँ मिलती हैं वरुण के आकारों की तुलना महापृथ्वी ऐसे ग़ैर-सौरीय ग्रह को कहा जाता है जो पृथ्वी से अधिक द्रव्यमान (मास) रखता हो लेकिन सौर मंडल के बृहस्पति और शनि जैसे गैस दानव ग्रहों से काफ़ी कम द्रव्यमान रखे।Valencia et al., Radius and structure models of the first super-Earth planet, September 2006, published in The Astrophysical Journal, February 2007 .

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यूरोपा (उपग्रह)

यूरोपा (Europa), हमारे सौर मण्डल के पाँचवे ग्रह बृहस्पति का चौथा सब से बड़ा उपग्रह है। इसका व्यास (डायामीटर) लगभग 3,138 किमी है जो हमारे चन्द्रमा से चंद किलोमीटर ही छोटा है। .

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लालांड २११८५ तारा

लालांड २११८५ (Lalande 21185) सप्तर्षि तारामंडल में स्थित एक लाल बौना तारा है। यह हमसे ८.३१ प्रकाश वर्ष की दूरी पर है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) ७.५२ है। इसके केवल दूरबीन से ही देखा जा सकता है। मित्र तारे के तीन तारों वाले मंडल, बारनर्ड के तारे और वुल्फ़ ३५९ तारे के बाद यह पृथ्वी का चौथा सबसे नज़दीकी पड़ोसी तारा है। खगोलशास्त्रीय अध्ययनों में इसे बीडी+३६ २१४७ (BD+36 2147), ग्लीज़ ४११ (Gliese 411) और एचडी ९५७३५ (HD 95735) के नामों से भी जाना जाता है। .

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स्रोतास्विनी तारामंडल

स्रोतास्विनी तारामंडल ऍप्सिलन ऍरिडानी तारे के इर्द-गिर्द परिक्रमा करता बृहस्पति-जैसा ग्रह - काल्पनिक चित्र स्रोतास्विनी (संस्कृत अर्थ: नहर, नदी या प्रवाह) या इरिडनस एक तारामंडल है जो अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ द्वारा जारी की गई ८८ तारामंडलों की सूची में शामिल है। दूसरी शताब्दी ईसवी में टॉलमी ने जिन ४८ तारामंडलों की सूची बनाई थी यह उनमें भी शामिल था। .

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सौर मण्डल

सौर मंडल में सूर्य और वह खगोलीय पिंड सम्मलित हैं, जो इस मंडल में एक दूसरे से गुरुत्वाकर्षण बल द्वारा बंधे हैं। किसी तारे के इर्द गिर्द परिक्रमा करते हुई उन खगोलीय वस्तुओं के समूह को ग्रहीय मण्डल कहा जाता है जो अन्य तारे न हों, जैसे की ग्रह, बौने ग्रह, प्राकृतिक उपग्रह, क्षुद्रग्रह, उल्का, धूमकेतु और खगोलीय धूल। हमारे सूरज और उसके ग्रहीय मण्डल को मिलाकर हमारा सौर मण्डल बनता है। इन पिंडों में आठ ग्रह, उनके 166 ज्ञात उपग्रह, पाँच बौने ग्रह और अरबों छोटे पिंड शामिल हैं। इन छोटे पिंडों में क्षुद्रग्रह, बर्फ़ीला काइपर घेरा के पिंड, धूमकेतु, उल्कायें और ग्रहों के बीच की धूल शामिल हैं। सौर मंडल के चार छोटे आंतरिक ग्रह बुध, शुक्र, पृथ्वी और मंगल ग्रह जिन्हें स्थलीय ग्रह कहा जाता है, मुख्यतया पत्थर और धातु से बने हैं। और इसमें क्षुद्रग्रह घेरा, चार विशाल गैस से बने बाहरी गैस दानव ग्रह, काइपर घेरा और बिखरा चक्र शामिल हैं। काल्पनिक और्ट बादल भी सनदी क्षेत्रों से लगभग एक हजार गुना दूरी से परे मौजूद हो सकता है। सूर्य से होने वाला प्लाज़्मा का प्रवाह (सौर हवा) सौर मंडल को भेदता है। यह तारे के बीच के माध्यम में एक बुलबुला बनाता है जिसे हेलिओमंडल कहते हैं, जो इससे बाहर फैल कर बिखरी हुई तश्तरी के बीच तक जाता है। .

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ज्वारभाटा बल

बृहस्पति से टकराया - बृहस्पति के भयंकर ज्वारभाटा बल ने उसे तोड़ डाला पृथ्वी पर ज्वार-भाटा चन्द्रमा के गुरुत्वाकर्षण से बने ज्वारभाटा बल से आते हैं शनि के उपग्रही छल्ले ज्वारभाटा बल की वजह से जुड़कर उपग्रह नहीं बन जाते ज्वारभाटा बल वह बल है जो एक वस्तु अपने गुरुत्वाकर्षण से किसी दूसरी वस्तु पर स्थित अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग स्तर से लगाती है। पृथ्वी पर समुद्र में ज्वार-भाटा के उतार-चढ़ाव का यही कारण है। .

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जूनो (अंतरिक्ष यान)

बृहस्पति के आगे जूनो शोध यान का काल्पनिक चित्र जूनो (अंग्रेज़ी: Juno) अमेरिकी अंतरिक्ष अनुसन्धान परिषद्, नासा, द्वारा हमारे सौर मंडल के पाँचवे ग्रह, बृहस्पति, पर अध्ययन करने के लिए पृथ्वी से ५ अगस्त २०११ को छोड़ा गया एक अंतरिक्ष शोध यान है। लगभग ५ वर्ष लंबी यात्रा के बाद ५ जुलाई २०१६ को यह बृहस्पति तक पहुँचने में सफल रहा। इस अभियान पर लगभग १.१ अरब डॉलर की लागत का अनुमान है। .

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विशालकाय श्वेत धब्बा

शनि का विशालकाय श्वेत धब्बा। विशालकाय श्वेत धब्बा (Great White Spot, or Great White Oval), शनि ग्रह पर सफेद रंग का एक आवधिक तूफान है। इसका नामकरण बृहस्पति के विशालकाय लाल धब्बे की तर्ज पर हुआ है। यह इतना बड़ा है कि पृथ्वी से टेलिस्कोप की मदद से देखा जा सकता है। यह हजारों किलोमीटर लंबा-चौड़ा हो सकता है। श्रेणी:शनि ग्रह श्रेणी:शनि का वायुमंडल श्रेणी:खगोलशास्त्र.

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वेदी तारामंडल

वेदी तारामंडल वेदी या ऍअरा (अंग्रेज़ी: Ara) खगोलीय गोले के दक्षिणी भाग में वॄश्चिक और दक्षिण त्रिकोण तारामंडल के बीच स्थित एक तारामंडल है जो अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ द्वारा जारी की गई ८८ तारामंडलों की सूची में शामिल है। दूसरी शताब्दी ईसवी में टॉलमी ने जिन ४८ तारामंडलों की सूची बनाई थी यह उनमें भी शामिल था। इसके कुछ मुख्य रोशन तारों को कालपनिक लकीरों से जोड़ने पर एक पूजा की वेदी का चित्र बनता है जिसपर इसका नाम पड़ा है। .

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खगोलजीव विज्ञान

मंगल ग्रह से आए उल्कापिंड ए॰ऍल॰एच॰८४००१ में कुछ बारीक़ संरचनाएँ नज़र आई जो शायद सूक्ष्मजीवों ने बनाई हों, हालाँकि इसपर वैज्ञानिकों में गरमा-गरमी है यह ज्ञात नहीं है के अन्य ग्रहों के जीव भी कोशिकाओं (सेल) के बने होंगे या नहीं - यह एक पौधे की कोशिकाएँ हैं जिनमें क्लोरोफ़िल के हरे कण नज़र आ रहे हैं अन्ध महासागर की गहराइयों में खौलते पानी और गैस के फुव्वारों में पनपते चरमपसंदी जीवों को देखकर कुछ वैज्ञानिक ऐसा अन्य ग्रहों में भी होने की कल्पना करते हैं खगोलजीव विज्ञान पूरे ब्रह्माण्ड में जीवन के शुरुआत, फैलाव, क्रम विकास और भविष्य के अध्ययन को कहते हैं। विज्ञान का यह क्षेत्र कई कठिन प्रश्नों का जवाब देने की कोशिश करता है, मसलन -.

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गामा लियोनिस तारा

सिंह (लियो) तारामंडल में गामा लियोनिस तारा 'γ' द्वारा नामांकित है ग्रह का एक काल्पनिक चित्रण गामा लियोनिस, जिसका बायर नाम भी यही (γ Leonis या γ Leo) है, सिंह तारामंडल में स्थित एक द्वितारा है (जो बिना दूरबीन से देखने पर एक ही तारा प्रतीत होता है)। इस जोड़े का अधिक रोशन तारा पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से ७३वाँ सब से रोशन तारा है। पृथ्वी से देखी गई इसकी चमक (सापेक्ष कान्तिमान) +२.२८ मैग्नीट्यूड है और दोनों तारों की चमक मिलाकर +१.९८ मैग्नीट्यूड है (ध्यान दें की मैग्नीट्यूड ऐसा उल्टा माप है जो जितना अधिक हो तारा उतना ही कम रोशन होता है)। यह द्वितारा पृथ्वी से लगभग १२६ प्रकाश वर्ष की दूरी पर है। .

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गैनिमीड (उपग्रह)

गैनीमीड का अंदरूनी ढांचा - सब से बाहर सख़्त बर्फ़ की पर्त, फिर पानी का महासागर, फिर एक पथरीला गोला और केंद्र में लोहे और अन्य धातुओं का गोला गैनिमीड हमारे सौर मण्डल के पाँचवे ग्रह बृहस्पति का सब से बड़ा उपग्रह है और यह पूरे सौर मंडल का भी सब से बड़ा चन्द्रमा है। इसका व्यास (डायामीटर) 5,268 किमी है, जो बुध ग्रह से भी 8% बड़ा है। इसका द्रव्यमान भी सौर मंडल के सारे चंद्रमाओं में सबसे ज़्यादा है और पृथ्वी के चन्द्रमा का 2.2 गुना है। .

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गैलिलेयो (अंतरिक्ष यान)

गैलिलेयो यान निर्मित होते हुए गैलिलेयो (या गैलिलियो) एक अमेरिकी अंतरिक्ष अन्वेषण यान था जो कि बृहस्पति ग्रह का अन्वेषण करता था। गैलिलेयो (Galileo) अमेरिकी अंतरिक्ष अनुसंधान संस्था नासा द्वारा अंतरिक्ष शटल अटलांटिस से भेजा गया अंतरिक्ष यान था जो हमारे सौर मंडल के सबसे बड़े ग्रह बृहस्पति और उसके प्राकृतिक उपग्रहों का अध्ययन करने के लिए भेजा गया था। यह परिक्रमा करने वाले ऑर्बिटर प्रकार का था। .

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आयो (उपग्रह)

आयो (Io), हमारे सौर मण्डल के पाँचवे ग्रह बृहस्पति का तीसरा सब से बड़ा उपग्रह है और यह पूरे सौर मंडल का चौथा सब से बड़ा चन्द्रमा है। आयो का व्यास (डायामीटर) 3,642 किमी है। बृहस्पति के चार प्रमुख उपग्रहों (गैनिमीड, कलिस्टो, आयो और यूरोपा) में यह बृहस्पति की सब से क़रीबी कक्षा में परिक्रमा करने वाला चन्द्रमा है। बृहस्पति के इतना समीप होने की वजह से उस ग्रह के भयंकर गुरुत्वाकर्षण से पैदा होने वाला ज्वारभाटा बल आयो को गूंथता रहता है जिस से इस उपग्रह पर बहुत से ज्वालामुखी हैं। सन् 2010 तक आयो पर 400 से भी अधिक सक्रीय ज्वालामुखी गिने जा चुके थे। पूरे सौर मंडल में और कोई वस्तु नहीं जहाँ आयो से ज़्यादा भौगोलिक उथल-पुथल हो रही हो। सौर मंडल के बाहरी चंद्रमाओं की बनावट में ज़्यादातर बर्फ़ की बहुतायत होती है लेकिन आयो पर ऐसा नहीं है। आयो अधिकतर पत्थरीले पदार्थों का बना हुआ है। .

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कलिस्टो (उपग्रह)

कलिस्टो हमारे सौर मण्डल के पाँचवे ग्रह बृहस्पति का दूसरा सब से बड़ा उपग्रह है और यह पूरे सौर मंडल का तीसरा सब से बड़ा चन्द्रमा है (बृहस्पति के ही गैनिमीड और शनि के टाइटन के बाद)। इसका व्यास (डायामीटर) लगभग 4,820 किमी है, जो बुध ग्रह का 99% है लेकिन बुध से काफ़ी घनत्व होने के कारण इसका द्रव्यमान बुध का केवल एक-तिहाई है। .

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कुम्भ तारामंडल

कुम्भ तारामंडल बिना दूरबीन के रात में कुम्भ तारामंडल की एक तस्वीर (जिसमें काल्पनिक लक़ीरें डाली गयी हैं) कुम्भ या अक्वेरियस (अंग्रेज़ी: Aquarius) तारामंडल राशिचक्र का एक तारामंडल है। पुरानी खगोलशास्त्रिय पुस्तकों में इसे अक्सर एक भिश्ती के रूप में, एक बासन के रूप में या एक बासन उठाती हुई कन्या के रूप में दर्शाया जाता था। आकाश में इसके पश्चिम में मकर तारामंडल होता है और इसके पूर्व में मीन तारामंडल। दूसरी शताब्दी ईसवी में टॉलमी ने जिन ४८ तारामंडलों की सूची बनाई थी यह उनमें से एक है और अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ द्वारा जारी की गई ८८ तारामंडलों की सूची में भी यह शामिल है। .

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क्षुद्रग्रह घेरा

कक्षाओं के बीच स्थित है - सफ़ेद बिन्दुएँ इस घेरे में मौजूद क्षुद्रग्रहों को दर्शाती हैं क्षुद्रग्रह घेरा या ऐस्टरौएड बॅल्ट हमारे सौर मण्डल का एक क्षेत्र है जो मंगल ग्रह (मार्ज़) और बृहस्पति ग्रह (ज्यूपिटर) की कक्षाओं के बीच स्थित है और जिसमें हज़ारों-लाखों क्षुद्रग्रह (ऐस्टरौएड) सूरज की परिक्रमा कर रहे हैं। इनमें एक ९५० किमी के व्यास वाला सीरीस नाम का बौना ग्रह भी है जो अपने स्वयं के गुरुत्वाकर्षक खिचाव से गोल अकार पा चुका है। यहाँ तीन और ४०० किमी के व्यास से बड़े क्षुद्रग्रह पाए जा चुके हैं - वॅस्टा, पैलस और हाइजिआ। पूरे क्षुद्रग्रह घेरे के कुल द्रव्यमान में से आधे से ज़्यादा इन्ही चार वस्तुओं में निहित है। बाक़ी वस्तुओं का अकार भिन्न-भिन्न है - कुछ तो दसियों किलोमीटर बड़े हैं और कुछ धूल के कण मात्र हैं। .

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केओआई ९६१

केओआई ९६१ के ग्रहीय मंडल का एक काल्पनिक चित्रण चंद्रमाओं से के॰ओ॰आई॰ ९६१ (अंग्रेज़ी: KOI-961) एक लाल बौना तारा है जिस पर कॅप्लर अंतरिक्ष यान द्वारा खगोलशास्त्री अध्ययन कर रहें हैं। आकाश में यह हंस तारामंडल के क्षेत्र में पड़ता है और पृथ्वी से लगभग १३० प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित है। .

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अभिजित तारा

अभिजित या वेगा (Vega), जिसका बायर नाम "अल्फ़ा लायरे" (α Lyrae या α Lyr) है, लायरा तारामंडल का सब से रोशन तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से पाँचवा सब से रोशन तारा भी है। अभिजित पृथ्वी से 25 प्रकाश वर्ष की दूरी पर है। खगोलशास्त्री हज़ारों सालों से अभिजित का अध्ययन करते आए हैं और कभी-कभी कहा जाता है के यह "सूरज के बाद शायद आसमान में सब से महत्त्वपूर्ण तारा है"। .

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अम्बा तारा

अम्बा तारा कृत्तिका तारागुच्छ में अम्बा सबसे रोशन तारा है अम्बा या ऐलसायनी, जिसका बायर नामांकन एटा टाओरी (η Tau या η Tauri) है, वृष तारामंडल में स्थित एक तारा है। यह कृत्तिका तारागुच्छ का सब से रोशन तारा भी है और इसका पृथ्वी से देखा गया औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक) का मैग्निट्यूड +२.८७ है। कृत्तिका के अन्य तारों की तरह यह भी पृथ्वी से लगभग ३७० प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है। हालाँकि यह बिना दूरबीन के एक ही तारा नज़र आता है वास्तव में यह कई तारों का मंडल है, जिसमें अभी तक एक मुख्य द्वितारा और तीन अन्य साथी तारे (यानि कुल मिलाकर पाँच तारे) ज्ञात हुए हैं। .

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अल्फ़ा अरायटिस तारा

मेष (एरीज़) तारामंडल में 'α' के चिह्न द्वारा नामांकित तारा है अल्फ़ा अरायटिस, जिसका बायर नाम भी यही (α Ari, α Arietis) है, मेष तारामंडल का सब से रोशन तारा है और पृथ्वी से दिखने वाले सभी तारों में से ४८वाँ सब से रोशन तारा है।, database entry, The Bright Star Catalogue, 5th Revised Ed.

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अंगिरस तारा

सप्तर्षि तारामंडल में अंगिरस तारे (ε UMa) का स्थान अंगिरस, जिसका बायर नामांकन "ऍप्सिलन अर्से मॅजोरिस" (ε UMa या ε Ursae Majoris) है, सप्तर्षि तारामंडल का सबसे रोशन तारा और पृथ्वी से दिखने वाले सभी तारों में से ३३वाँ सब से रोशन तारा है। यह हमसे ८१ प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) १.७६ है। .

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छल्ला नीहारिका

छल्ला नीहारिका छल्ला नीहारिका से उत्पन्न होते अवरक्त (इन्फ़्रारॅड) प्रकाश की तस्वीर छल्ला नीहारिका (अंग्रेज़ी: Ring Nebula, रिंग नॅब्युला), जिसे मॅसिये वस्तु ५७ और ऍन॰जी॰सी॰ ६७२० भी कहा जाता है, एक ग्रहीय नीहारिका है जो आकाश में लायरा तारामंडल के क्षेत्र में नज़र आती है। यह एक लाल दानव तारे के अवशेषों कि बनी हुई है जिसने अपना जीवन अपने मलबे को आसपास के अंतरतारकीय माध्यम में उगलकर ख़त्म किया। .

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५ जुलाई

५ जुलाई ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का १८६वॉ (लीप वर्ष में १८७ वॉ) दिन है। साल में अभी और १७९ दिन बाकी है। .

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५ अगस्त

5 अगस्त ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 217वॉ (लीप वर्ष मे 218 वॉ) दिन है। साल मे अभी और 148 दिन बाकी है। .

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६७पी/चुरयुमोव-गेरासिमेंको

६७पी/चुरयुमोव​-गेरासिमेंको बृहस्पति-परिवार का एक धूमकेतु है। ये मूल रूप से काइपर घेरे से है। इसकी कक्षीय अवधि 6.45 वर्ष, घूर्णन काल लगभग 12.4 घंटे और अधिकतम गति 135,000 किलोमीटर प्रति घंटा (38 किलोमीटर प्रति सेकंड) है। ये यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के रोसेटा मिशन का गंतव्य था। श्रेणी:धूमकेतु.

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७ दिसम्बर

7 दिसंबर ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 341वॉ (लीप वर्ष मे 342 वॉ) दिन है। साल में अभी और 24 दिन बाकी है। .

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