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अंतरिक्ष

सूची अंतरिक्ष

किसी ब्रह्माण्डीय पिण्ड, जैसे पृथ्वी, से दूर जो शून्य (void) होता है उसे अंतरिक्ष (Outer space) कहते हैं। यह पूर्णतः शून्य (empty) तो नहीं होता किन्तु अत्यधिक निर्वात वाला क्षेत्र होता है जिसमें कणों का घनत्व अति अल्प होता है। इसमें हाइड्रोजन एवं हिलियम का प्लाज्मा, विद्युतचुम्बकीय विकिरण, चुम्बकीय क्षेत्र तथा न्युट्रिनो होते हैं। सैद्धान्तिक रूप से इसमें 'डार्क मैटर' dark matter) और 'डार्क ऊर्जा' (dark energy) भी होती है। .

93 संबंधों: चंदा मामा दूर के, टार्डीग्रेड, टाइटन (चंद्रमा), टेलस्टार (उपग्रह), एंट्रिक्स कॉर्पोरेशन, ए॰ पी॰ जे॰ अब्दुल कलाम, डेल्टा स्कूटी परिवर्ती तारा, तमारा एलिजाबेथ, तात्याना कुज़नेत्सोवा, त्रिकोणमिति के उपयोग, नैन्सी जेन क्यूरी-ग्रेग, पृथ्वी का वायुमण्डल, बिरला प्रौद्योगिकी संस्थान, बिग बैंग सिद्धांत, ब्रह्माण्ड, ब्रह्माण्ड किरण, बृहस्पति (ज्योतिष), बोनी जे. डनबर, भारत के प्रथम, भारतीय विज्ञान संस्थान, भारतीय इतिहास तिथिक्रम, भारतीय इतिहास की समयरेखा, भारतीय अन्तरिक्ष विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान, भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन, भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला, भूभौतिकी, भूमध्य रेखा, भूरसायन, भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान, भूगोल शब्दावली, भूगोलीय निर्देशांक प्रणाली, मर्शा आईविंस, मिखाइल कोर्नियेंको, मैरी लुईस क्लेव, येलेना कोंडकोवा, रूसी संघीय अंतरिक्ष अभिकरण, रोबर्टा बोंडर, लियू यांग, लिंडा मैक्सिन गॉडविन, शनचो-९, शास्त्रीय नृत्य, शैनन ल्यूसिड, समय यात्रा, सामान्य आपेक्षिकता, सायबॉर्ग, सागा २२०, स्पिट्ज़र अंतरिक्ष दूरदर्शी, स्वतन्त्रता के बाद भारत का संक्षिप्त इतिहास, सौर एवं सौरचक्रीय वेधशाला (सोहो), ..., सौर पवन, सैली राइड, सोयुज टीएमए १२, हबल अंतरिक्ष दूरदर्शी, हेलेन शर्मन, जहाना योर्किना, जॉन डेविस, वांतरिक्ष, वांग यापिंग, विश्व की साझी विरासत, वेंडी बैरीयन लॉरेंस, वॉयेजर प्रथम, वॉल-ई, खगोलयात्री, खगोलीय रेडियो स्रोत, गणित का इतिहास, गिगामीटर, गैलीलियन चंद्रमा, गेक्को ग्रिपर्स, आतपन, आरएलवी टेक्नोलॉजी डेमोंस्ट्रेशन प्रोग्राम, आरोही ताख का रेखांश, इरीना सोलोव्योवा, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध, क़ुरआन, कार्बन डाईऑक्साइड, क्रम-विकास, कृष्णास्वामी कस्तूरीरंगन, कैथरीन रयान कॉर्डेल थॉर्नटन, कॅथ्रीन डॉयर सुलिवन, कोन्ड्रूल, अन्तर्राष्ट्रीय अन्तरिक्ष स्टेशन, अजीवात् जीवोत्पत्ति, अवतार (२००९ फ़िल्म), अंतरिक्ष पर्यटक, अंतरिक्ष शटल, अंतरिक्ष विज्ञान, अंतरिक्ष ओपेरा, अंतरिक्ष उड़ान, अंतिम गति, १ फ़रवरी, १९४६, २४ अक्टूबर सूचकांक विस्तार (43 अधिक) »

चंदा मामा दूर के

चंदा मामा दूर के भारतीय हिन्दी सिनेमा की सबसे पहले स्पेस फ़िल्म है। इस फ़िल्म को डायरेक्ट संजय पूरण सिंह चौहान कर रहे हैं निर्माता विकी रजानी हैं। चंदा मामा दूर के में सुशांत सिंह राजपूत अंतरिक्ष यात्री बने हैं। इस फिल्म में माधवन पायलट की भूमिका निभाते हुए नज़र आएंगे। सुशांत ने निर्वात, अपकेंद्रन, गुरुत्वहीनता, चांद पर चलना और आईएसएस (अन्तर्राष्ट्रीय अन्तरिक्ष स्टेशन) परिचालन और भी काफी चीजों का अनुभव किया। उन्होंने अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का दौरा अंतरिक्ष अभियान और शून्य गुरुत्वाकर्षण का अनुभव लेने के लिए किया है। चंदा मामा दूर के हॉलीवुड फिल्म 2001: ए स्पेस ओडिसी से प्रेरित है। .

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टार्डीग्रेड

टार्डीग्रेड (Tardigrade) एक जल में रहने वाला आठ-टाँगों वाला सूक्ष्मप्राणी है। इन्हें सन् 1773 में योहन गेट्ज़ा नामक जीववैज्ञानिक ने पाया था। टार्डीग्रेड पृथ्वी पर पर्वतों से लेकर गहरे महासागरों तक और वर्षावनों से लेकर अंटार्कटिका तक लगभग हर जगह रहते हैं। टार्डीग्रेड पृथ्वी का सबसे प्रत्यास्थी (तरह-तरह की परिस्थितियाँ झेल सकने वाला) प्राणी है। यह 1 केल्विन (−272 °सेंटीग्रेड) से लेकर 420 केल्विन (150 °सेंटीग्रेड) का तापमान और महासागरों की सबसे गहरी गर्तो में मौजूद दबाव से छह गुना अधिक दबाव झेल सकते हैं। मानवों की तुलना में यह सैंकड़ों गुना अधिक विकिरण (रेडियेशन) में जीवित रह सकते हैं और अंतरिक्ष के व्योम में भी कुछ काल तक ज़िन्दा रहते हैं। यह 30 वर्षों से अधिक बिना कुछ खाए-पिए रह सकते हैं और धीरे-धीरे लगभग पूरी शारीरिक क्रियाएँ रोक लेते हैं और उनमें सूखकर केवल 3% जल की मात्रा रह जाती है। इसके बाद जल व आहार प्राप्त होने पर यह फिर क्रियशील हो जाते हैं और शिशु जन सकते हैं। फिर भी औपचारिक रूप से इन्हें चरमपसंदी नहीं माना जाता क्योंकि ऐसी परिस्थितियों में यह जितनी अधिक देर रहें इनकी मृत्यु होने की सम्भावना उतनी ही अधिक होती है जबकि सच्चे चरमपसंदी जीव अलग-अलग उन चरम-परिस्थितियों में पनपते हैं जिनके लिए वे क्रमविकास (एवोल्यूशन) की दृष्टि से अनुकूल हों। .

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टाइटन (चंद्रमा)

टाइटन (या Τῑτάν), या शनि शष्टम, शनि ग्रह का सबसे बड़ा चंद्रमा है। यह वातावरण सहित एकमात्र ज्ञातचंद्रमा है, और पृथ्वी के अलावा एकमात्र ऐसा खगोलीय पिंड है जिसके सतही तरल स्थानों, जैसे नहरों, सागरों आदि के ठोस प्रमाण उपलब्ध हों। यूरोपीय-अमेरिकी के कासीनी अंतरिक्ष यान के साथ गया उसका अवतरण यान हायगन्स, १६ जनवरी २००४ को, टाइटन के धरातल पर उतरा जहां उसने भूरे-नारंगी रंग में रंगे टाईटन के नदियों-पहाडों और झीलों-तालाबों वाले जो चित्र भेजे। टाइटन के बहुत ही घने वायुमंडल के कारण इससे पहले उसकी ऊपरी सतह को देख या उसके चित्र ले पाना संभव ही नहीं था। २००८ अगस्त के मध्य में ब्राज़ील की राजधानी रियो दी जनेरो में अंतरराष्ट्रीय खगोल विज्ञान संघ के सम्मेलन में ऐसे चित्र दिखाये गये और दो ऐसे शोधपत्र प्रस्तुत किये गये, जिनसे पृथ्वी के साथ टाइटन की समानता स्पष्ट होती है। ये चित्र और अध्ययन भी मुख्यतः कासीनी और होयगन्स से मिले आंकड़ों पर ही आधारित थे। .

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टेलस्टार (उपग्रह)

टेलस्टार उपग्रहटेलस्टार (Telstar) अमेरिका के नासा द्वारा प्रक्षेपित एक संचार उपग्रह है। इस श्रेणी के दो उपग्रहों में पहले उपग्रह टेलस्टार १ को थोर-डेल्टा रॉकेट की सहायता से १0 जुलाई १९६२ को अंतरिक्ष में भेजा गया। यह विश्व का पहला उपग्रह है जिसकी सहायता से सीधा प्रसारण संभव हुआ था। टेलस्टार २ को ७ मई १९६३ को प्रक्षेपित किया गया। हालांकि टेलस्टार १ और टेलस्टार २, दोनों वर्तमान में क्रियाशील नहीं हैं फिर भी अपनी कक्षा में विद्यमान (जुलाई २0१२ तक की सूचना) हैं। .

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एंट्रिक्स कॉर्पोरेशन

एंट्रिक्स कॉर्पोरेशन भारत की अंतरिक्ष व्यापार कंपनी है।http://economictimes.indiatimes.com/news/politics-and-nation/India-figures-out-science-of-rocket-dollars/articleshow/37562454.cms यह भारतीय अंतरिक्ष अनुसन्धान संगठन (इसरो) की वाणिज्यिक शाखा (कमर्शियल ब्रांच) है। .

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ए॰ पी॰ जे॰ अब्दुल कलाम

अबुल पकिर जैनुलाअबदीन अब्दुल कलाम अथवा ए॰ पी॰ जे॰ अब्दुल कलाम (A P J Abdul Kalam), (15 अक्टूबर 1931 - 27 जुलाई 2015) जिन्हें मिसाइल मैन और जनता के राष्ट्रपति के नाम से जाना जाता है, भारतीय गणतंत्र के ग्यारहवें निर्वाचित राष्ट्रपति थे। वे भारत के पूर्व राष्ट्रपति, जानेमाने वैज्ञानिक और अभियंता (इंजीनियर) के रूप में विख्यात थे। इन्होंने मुख्य रूप से एक वैज्ञानिक और विज्ञान के व्यवस्थापक के रूप में चार दशकों तक रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) संभाला व भारत के नागरिक अंतरिक्ष कार्यक्रम और सैन्य मिसाइल के विकास के प्रयासों में भी शामिल रहे। इन्हें बैलेस्टिक मिसाइल और प्रक्षेपण यान प्रौद्योगिकी के विकास के कार्यों के लिए भारत में मिसाइल मैन के रूप में जाना जाने लगा। इन्होंने 1974 में भारत द्वारा पहले मूल परमाणु परीक्षण के बाद से दूसरी बार 1998 में भारत के पोखरान-द्वितीय परमाणु परीक्षण में एक निर्णायक, संगठनात्मक, तकनीकी और राजनैतिक भूमिका निभाई। कलाम सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी व विपक्षी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस दोनों के समर्थन के साथ 2002 में भारत के राष्ट्रपति चुने गए। पांच वर्ष की अवधि की सेवा के बाद, वह शिक्षा, लेखन और सार्वजनिक सेवा के अपने नागरिक जीवन में लौट आए। इन्होंने भारत रत्न, भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान सहित कई प्रतिष्ठित पुरस्कार प्राप्त किये। .

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डेल्टा स्कूटी परिवर्ती तारा

डेल्टा स्कूटी परिवर्ती (Delta Scuti variable) एक प्रकार के परिवर्ती तारे होते हैं जिनकी तेजस्विता में तारे की सतह पर होने वाली त्रिज्याई (radial) और अत्रिज्याई (non-radial) घड़कनों के कारण बदलाव होते हैं। यह तारे अंतरिक्ष में दूरी मापने के लिए बहुत उपयोगी होते हैं और इनके प्रयोग से बड़ा मॅजलॅनिक बादल, गोल तारागुच्छों, खुला तारागुच्छों और गैलेक्सी केन्द्र तक की दूरियाँ अनुमानित करी गई हैं। McNamara, D. H.; Madsen, J. B.; Barnes, J.; Ericksen, B. F. (2000).

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तमारा एलिजाबेथ

तमारा एलिजाबेथ जर्निगन एक अमेरिकी वैज्ञानिक और नासा की अंतरिक्ष यात्री हैं जिन्हें पांच शटल मिशनों का अनुभव हैं। उनका जन्म ७ मई १९५९ को चट्टानूगा, टेनेसी में हुआ था। उन्होंने १९७७ में स्कूल की शिक्षा पूरी की सांता फे स्प्रिंग्स से, उन्होंने भौतिकी में डिग्री १९८१ में और एम.एस.

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तात्याना कुज़नेत्सोवा

तात्याना कुज़नेत्सोवा एक पूर्व सोवियत अंतरिक्ष यात्री है जिनका जन्म १४ जुलाई १९४१ को हुआ था। वह सरकारी मानव अंतरिक्षोत्सव कार्यक्रम द्वारा चुनी गई सबसे कम उम्र की महिला हैं। १९६१ में सोवियत सरकार द्वारा महिला कॉस्मोनाट प्रशिक्षुओं का चयन अधिकृत किया गया था, जिसमे तात्याना कुज़नेत्सोवा को पांच महिला कोस्मोनौट्स के एक समूह के सदस्य के रूप में चुनी गई थी। उसके बाद वह वोस्तोक अंतरिक्ष यान में एक एकल अंतरिक्ष यान के लिए प्रशिक्षित की गई। हालांकि उन्होंने एक सचिव के रूप में काम किया था। उन्हें पैराशूट का शौक था, जिसे उन्होंने १९५८-१९६१ तक एक क्षेत्रीय और राष्ट्रीय चैंपियन भी बनी थी। अपने प्रशिक्षण के शुरुआती दिनों में, कुज़नेत्सोवा अंतरिक्ष में पहली महिला बनने के लिए पसंदीदा थी, लेकिन प्रशिक्षण के कुछ समय बाद शारीरिक और भावनात्मक रूप से कठिन व्यवस्था के कारण उन्हें प्रशिक्षण से हटा दिया गया। और अंतरिक्ष में पहली महिला होने का सम्मान अंततः वेलनटीना तेरेश्कोवा को दिया गया था जो कि पृथ्वी की ऑर्बिट में जून १९६३ में वोस्तोक-6 पर सवार हुई थी। उनकी पिछली कठिनाइयों के बावजूद, कुज़नेत्सोवा को जनवरी १९६५ में दो महिला वास्कोद 5 मिशन पर अंतरिक्ष यात्री के प्रशिक्षण के लिए बुलाया गया था, लेकिन उस परियोजना को भी उड़ान भरने का मौका देने से पहले ही रद्द कर दिया गया था। उन्हें १९६९ में अंतरिक्ष यात्री कार्यक्रम से रिटायर किया गया। .

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त्रिकोणमिति के उपयोग

त्रिकोणमिति के हजारों उपयोग होते हैं। पाठ्यपुस्तकों में भूमि सर्वेक्षण, जहाजरानी, भवन आदि का ही प्राय: उल्लेख किया गया होता है। इसके अलावा यह गणित, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी आदि शैक्षिक क्षेत्रों में भी प्रयुक्त होता है। .

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नैन्सी जेन क्यूरी-ग्रेग

नैन्सी जेन क्यूरी-ग्रेग एक इंजीनियर, संयुक्त राज्य सेना अधिकारी और नासा की अंतरिक्ष यात्री हैं, जिनका जन्म २९ दिसंबर १९५८ को विल्मिंगटन, डेलावेयर में हुआ था। ग्रेग २२ से अधिक वर्षों के लिए संयुक्त राज्य की सेना में सेवा कर चुकी हैं और कर्नल की रैंक रखती हैं। .

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पृथ्वी का वायुमण्डल

अंतरिक्ष से पृथ्वी का दृश्य: वायुमंडल नीला दिख रहा है। पृथ्वी को घेरती हुई जितने स्थान में वायु रहती है उसे वायुमंडल कहते हैं। वायुमंडल के अतिरिक्त पृथ्वी का स्थलमंडल ठोस पदार्थों से बना और जलमंडल जल से बने हैं। वायुमंडल कितनी दूर तक फैला हुआ है, इसका ठीक ठीक पता हमें नहीं है, पर यह निश्चित है कि पृथ्वी के चतुर्दिक् कई सौ मीलों तक यह फैला हुआ है। वायुमंडल के निचले भाग को (जो प्राय: चार से आठ मील तक फैला हुआ है) क्षोभमंडल, उसके ऊपर के भाग को समतापमंडल और उसके और ऊपर के भाग को मध्य मण्डलऔर उसके ऊपर के भाग को आयनमंडल कहते हैं। क्षोभमंडल और समतापमंडल के बीच के बीच के भाग को "शांतमंडल" और समतापमंडल और आयनमंडल के बीच को स्ट्रैटोपॉज़ कहते हैं। साधारणतया ऊपर के तल बिलकुल शांत रहते हैं। प्राणियों और पादपों के जीवनपोषण के लिए वायु अत्यावश्यक है। पृथ्वीतल के अपक्षय पर भी इसका गहरा प्रभाव पड़ता है। नाना प्रकार की भौतिक और रासायनिक क्रियाएँ वायुमंडल की वायु के कारण ही संपन्न होती हैं। वायुमंडल के अनेक दृश्य, जैसे इंद्रधनुष, बिजली का चमकना और कड़कना, उत्तर ध्रुवीय ज्योति, दक्षिण ध्रुवीय ज्योति, प्रभामंडल, किरीट, मरीचिका इत्यादि प्रकाश या विद्युत के कारण उत्पन्न होते हैं। वायुमंडल का घनत्व एक सा नहीं रहता। समुद्रतल पर वायु का दबाव 760 मिलीमीटर पारे के स्तंभ के दाब के बराबर होता है। ऊपर उठने से दबाव में कमी होती जाती है। ताप या स्थान के परिवर्तन से भी दबाव में अंतर आ जाता है। सूर्य की लघुतरंग विकिरण ऊर्जा से पृथ्वी गरम होती है। पृथ्वी से दीर्घतरंग भौमिक ऊर्जा का विकिरण वायुमंडल में अवशोषित होता है। इससे वायुमंडल का ताप - 68 डिग्री सेल्सियस से 55 डिग्री सेल्सियस के बीच ही रहता है। 100 किमी के ऊपर पराबैंगनी प्रकाश से आक्सीजन अणु आयनों में परिणत हो जाते हैं और परमाणु इलेक्ट्रॉनों में। इसी से इस मंडल को आयनमंडल कहते हैं। रात्रि में ये आयन या इलेक्ट्रॉन फिर परस्पर मिलकर अणु या परमाणु में परिणत हो जाते हैं जिससे रात्रि के प्रकाश के वर्णपट में हरी और लाल रेखाएँ दिखाई पड़ती हैं। .

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बिरला प्रौद्योगिकी संस्थान

बिरला प्रौद्योगिकी संस्थान मेसरा (अंग्रेज़ी: Birla Institute of Technology Mesra; जो बीआईटी मेसरा या बीआईटी राँची के नाम से भी प्रसिद्ध है) झारखंड के राँची में स्थित भारत का अग्रणी स्वायत्त अभियांत्रिकी और प्रौद्योगिकी उन्मुख संस्थान है। इसे विश्वविद्यालय अनुदान आयोग अधिनियम १९५६ के अनुभाग ३ के तहत एक डीम्ड विश्वविद्यालय का दर्ज़ा हासिल है। मुख्य परिसर के अतिरिक्त लालपुर (रांची), इलाहाबाद, कोलकाता, नोएडा, जयपुर, चेन्नई, पटना और देवघर में बीआईटी के भारतीय विस्तार पटल हैं। इनके अतिरिक्त बहरीन, मस्कट, संयुक्त अरब अमीरात और मॉरिशस में बीआईटी के अंतरराष्ट्रीय केंद्र हैं। जून २००५ में एसी निलसन एवं इंडिया टुडे द्वारा किये गये एक सर्वेक्षण के अनुसार इसे देश के दस श्रेष्ठ तकनीकी संस्थानों में शुमार किया गया था। .

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बिग बैंग सिद्धांत

महाविस्फोट प्रतिरूप के अनुसार, यह ब्रह्मांड अति सघन और ऊष्म अवस्था से विस्तृत हुआ है और अब तक इसका विस्तार चालू है। एक सामान्य धारणा के अनुसार अंतरिक्ष स्वयं भी अपनी आकाशगंगाओं सहित विस्तृत होता जा रहा है। ऊपर दर्शित चित्र ब्रह्माण्ड के एक सपाट भाग के विस्तार का कलात्मक दृश्य है। ब्रह्मांड का जन्म एक महाविस्फोट के परिणामस्वरूप हुआ। इसी को महाविस्फोट सिद्धान्त या बिग बैंग सिद्धान्त कहते हैं।।अमर उजाला।। श्य़ामरत्न पाठक, तारा भौतिकविद, जिसके अनुसार से लगभग बारह से चौदह अरब वर्ष पूर्व संपूर्ण ब्रह्मांड एक परमाण्विक इकाई के रूप में था।।बीबीसी हिन्दी।। बीबीसी संवाददाता, लंदन:ममता गुप्ता और महबूब ख़ान उस समय मानवीय समय और स्थान जैसी कोई अवधारणा अस्तित्व में नहीं थी।।हिन्दुस्तान लाइव।।२७ अक्टूबर, २००९ महाविस्फोट सिद्धांत के अनुसार लगभग १३.७ अरब वर्ष पूर्व इस धमाके में अत्यधिक ऊर्जा का उत्सजर्न हुआ। यह ऊर्जा इतनी अधिक थी जिसके प्रभाव से आज तक ब्रह्मांड फैलता ही जा रहा है। सारी भौतिक मान्यताएं इस एक ही घटना से परिभाषित होती हैं जिसे महाविस्फोट सिद्धांत कहा जाता है। महाविस्फोट नामक इस महाविस्फोट के धमाके के मात्र १.४३ सेकेंड अंतराल के बाद समय, अंतरिक्ष की वर्तमान मान्यताएं अस्तित्व में आ चुकी थीं। भौतिकी के नियम लागू होने लग गये थे। १.३४वें सेकेंड में ब्रह्मांड १०३० गुणा फैल चुका था और क्वार्क, लैप्टान और फोटोन का गर्म द्रव्य बन चुका था। १.४ सेकेंड पर क्वार्क मिलकर प्रोटॉन और न्यूट्रॉन बनाने लगे और ब्रह्मांड अब कुछ ठंडा हो चुका था। हाइड्रोजन, हीलियम आदि के अस्तित्त्व का आरंभ होने लगा था और अन्य भौतिक तत्व बनने लगे थे। महाविस्फोट सिद्धान्त के आरंभ का इतिहास आधुनिक भौतिकी में जॉर्ज लिमेत्री ने लिखा हुआ है। लिमेत्री एक रोमन कैथोलिक पादरी थे और साथ ही वैज्ञानिक भी। उनका यह सिद्धान्त अल्बर्ट आइंसटीन के प्रसिद्ध सामान्य सापेक्षवाद के सिद्धांत पर आधारित था। महाविस्फोट सिद्धांत दो मुख्य धारणाओं पर आधारित होता है। पहला भौतिक नियम और दूसरा ब्रह्माण्डीय सिद्धांत। ब्रह्माण्डीय सिद्वांत के मुताबिक ब्रह्मांड सजातीय और समदैशिक (आइसोट्रॉपिक) होता है। १९६४ में ब्रिटिश वैज्ञानिक पीटर हिग्गस ने महाविस्फोट के बाद एक सेकेंड के अरबें भाग में ब्रह्मांड के द्रव्यों को मिलने वाले भार का सिद्धांत प्रतिपादित किया था, जो भारतीय वैज्ञानिक सत्येन्द्र नाथ बोस के बोसोन सिद्धांत पर ही आधारित था। इसे बाद में 'हिग्गस-बोसोन' के नाम से जाना गया। इस सिद्धांत ने जहां ब्रह्मांड की उत्पत्ति के रहस्यों पर से पर्दा उठाया, वहीं उसके स्वरूप को परिभाषित करने में भी मदद की।। दैट्स हिन्दी॥।१० सितंबर, २००८। इंडो-एशियन न्यूज सर्विस। .

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ब्रह्माण्ड

ब्रह्माण्ड सम्पूर्ण समय और अंतरिक्ष और उसकी अंतर्वस्तु को कहते हैं। ब्रह्माण्ड में सभी ग्रह, तारे, गैलेक्सिया, गैलेक्सियों के बीच के अंतरिक्ष की अंतर्वस्तु, अपरमाणविक कण, और सारा पदार्थ और सारी ऊर्जा शामिल है। अवलोकन योग्य ब्रह्माण्ड का व्यास वर्तमान में लगभग 28 अरब पारसैक (91 अरब प्रकाश-वर्ष) है। पूरे ब्रह्माण्ड का व्यास अज्ञात है, और ये अनंत हो सकता है। .

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ब्रह्माण्ड किरण

ब्रह्माण्डीय किरण का उर्जा-स्पेक्ट्रम ब्रह्माण्ड किरणें (cosmic ray) अत्यधिक उर्जा वाले कण हैं जो बाहरी अंतरिक्ष में पैदा होते हैं और छिटक कर पृथ्वी पर आ जाते हैं। लगभग ९०% ब्रह्माण्ड किरण (कण) प्रोटॉन होते हैं; लगभग १०% हिलियम के नाभिक होते हैं; तथा १% से कम ही भारी तत्व तथा इलेक्ट्रॉन (बीटा मिनस कण) होते हैं। वस्तुत: इनको "किरण" कहना ठीक नहीं है क्योंकि धरती पर पहुँचने वाले ब्रह्माण्डीय कण अकेले होते हैं न कि किसी पुंज या किरण के रूप में। .

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बृहस्पति (ज्योतिष)

बृहस्पति, जिन्हें "प्रार्थना या भक्ति का स्वामी" माना गया है, और ब्राह्मनस्पति तथा देवगुरु (देवताओं के गुरु) भी कहलाते हैं, एक हिन्दू देवता एवं वैदिक आराध्य हैं। इन्हें शील और धर्म का अवतार माना जाता है और ये देवताओं के लिये प्रार्थना और बलि या हवि के प्रमुख प्रदाता हैं। इस प्रकार ये मनुष्यों और देवताओं के बीच मध्यस्थता करते हैं। बृहस्पति हिन्दू देवताओं के गुरु हैं और दैत्य गुरु शुक्राचार्य के कट्टर विरोधी रहे हैं। ये नवग्रहों के समूह के नायक भी माने जाते हैं तभी इन्हें गणपति भी कहा जाता है। ये ज्ञान और वाग्मिता के देवता माने जाते हैं। इन्होंने ही बार्हस्पत्य सूत्र की रचना की थी। इनका वर्ण सुवर्ण या पीला माना जाता है और इनके पास दण्ड, कमल और जपमाला रहती है। ये सप्तवार में बृहस्पतिवार के स्वामी माने जाते हैं। ज्योतिष में इन्हें बृहस्पति (ग्रह) का स्वामी माना जाता है। .

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बोनी जे. डनबर

बोनी जे.

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भारत के प्रथम

यहाँ पर भारत के उन व्यक्तियों, समूहों और संस्थाओं का संकलन है जो किसी श्रेणी में प्रथम हैं/थे।.

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भारतीय विज्ञान संस्थान

भारतीय विज्ञान संस्थान का प्रशासकीय भवन भारतीय विज्ञान संस्थान (Indian Institute of Science) भारत का वैज्ञानिक अनुसंधान और उच्च शिक्षा के लिये अग्रगण्य शिक्षा संस्थान है। यह बंगलुरु में स्थित है। इस संस्थान की गणना भारत के इस तरह के उष्कृष्टतम संस्थानों में होती है। संस्थान ने प्रगत संगणन, अंतरिक्ष, तथा नाभिकीय प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान किया है।  2016 तक यह संस्थान दुनिया के सर्वश्रेष्ठ 250 संस्थानों में से एक था .

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भारतीय इतिहास तिथिक्रम

भारत के इतिहास की महत्वपूर्ण घटनाएं तिथिक्रम में।;भारत के इतिहास के कुछ कालखण्ड.

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भारतीय इतिहास की समयरेखा

पाकिस्तान, बांग्लादेश एवं भारत एक साझा इतिहास के भागीदार हैं इसलिए भारतीय इतिहास की इस समय रेखा में सम्पूर्ण भारतीय उपमहाद्वीप के इतिहास की झलक है। .

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भारतीय अन्तरिक्ष विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान

भारतीय अन्तरिक्ष विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान (IIST / आई॰ आई॰ एस॰ टी॰) भारत एवं एशिया का प्रथम अंतरिक्ष विश्वविद्यालय है। यह तिरुवनंतपुरम शहर के वलियमला क्षेत्र में स्थित है। इसकी स्थापना १४ सितम्बर २००७ को गणेश चतुर्थी के पावन अवसर पर हुई थी। भारत के पूर्व राष्ट्रपति एवं महान वैज्ञानिक डॉ॰ ए. पी.

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भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम

भारतीय अन्तरिक्ष कार्यक्रम डॉ विक्रम साराभाई की संकल्पना है, जिन्हें भारतीय अन्तरिक्ष कार्यक्रम का जनक कहा गया है। वे वैज्ञानिक कल्पना एवं राष्ट्र-नायक के रूप में जाने गए। वर्तमान प्रारूप में इस कार्यक्रम की कमान भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के हाथों में है। .

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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन, (संक्षेप में- इसरो) (Indian Space Research Organisation, ISRO) भारत का राष्ट्रीय अंतरिक्ष संस्थान है जिसका मुख्यालय बेंगलुरू कर्नाटक में है। संस्थान में लगभग सत्रह हजार कर्मचारी एवं वैज्ञानिक कार्यरत हैं। संस्थान का मुख्य कार्य भारत के लिये अंतरिक्ष संबधी तकनीक उपलब्ध करवाना है। अन्तरिक्ष कार्यक्रम के मुख्य उद्देश्यों में उपग्रहों, प्रमोचक यानों, परिज्ञापी राकेटों और भू-प्रणालियों का विकास शामिल है। 1969 में स्थापित, इसरो अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए तत्कालीन भारतीय राष्ट्रीय समिति (INCOSPAR) स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और उनके करीबी सहयोगी और वैज्ञानिक विक्रम साराभाई के प्रयासों से 1962 में स्थापित किया गया। भारत का पहला उपग्रह, आर्यभट्ट, जो 19 अप्रैल 1975 सोवियत संघ द्वारा शुरू किया गया था यह गणितज्ञ आर्यभट्ट के नाम पर रखा गया था बनाया।इसने 5 दिन बाद काम करना बंद कर दिया था। लेकिन ये अपने आप में भारत के लिये एक बड़ी उपलब्धि थी। 7 जून 1979 को भारत ने दूसरा उपग्रह भास्कर 445 किलो का था, पृथ्वी की कक्षा में स्थापित किया गया। 1980 में रोहिणी उपग्रह पहला भारतीय-निर्मित प्रक्षेपण यान एसएलवी -3 बन गया जिस्से कक्षा में स्थापित किया गया। इसरो ने बाद में दो अन्य रॉकेट विकसित किये। ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान उपग्रहों शुरू करने के लिए ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी),भूस्थिर कक्षा में उपग्रहों को रखने के लिए ध्रुवीय कक्षाओं और भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान (जीएसएलवी) भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान। ये रॉकेट कई संचार उपग्रहों और पृथ्वी अवलोकन गगन और आईआरएनएसएस तरह सैटेलाइट नेविगेशन सिस्टम तैनात किया उपग्रह का शुभारंभ किया।जनवरी 2014 में इसरो सफलतापूर्वक जीसैट -14 का एक जीएसएलवी-डी 5 प्रक्षेपण में एक स्वदेशी क्रायोजेनिक इंजन का इस्तेमाल किया गया। इसरो के वर्तमान निदेशक ए एस किरण कुमार हैं। आज भारत न सिर्फ अपने अंतरिक्ष संबंधी आवश्यकताओं की पूर्ति करने में सक्षम है बल्कि दुनिया के बहुत से देशों को अपनी अंतरिक्ष क्षमता से व्यापारिक और अन्य स्तरों पर सहयोग कर रहा है। इसरो एक चंद्रमा की परिक्रमा, चंद्रयान -1 भेजा, 22 अक्टूबर 2008 और एक मंगल ग्रह की परिक्रमा, मंगलयान (मंगल आर्बिटर मिशन) है, जो सफलतापूर्वक मंगल ग्रह की कक्षा में प्रवेश पर 24 सितंबर 2014 को भारत ने अपने पहले ही प्रयास में सफल होने के लिए पहला राष्ट्र बना। दुनिया के साथ ही एशिया में पहली बार अंतरिक्ष एजेंसी में एजेंसी को सफलतापूर्वक मंगल ग्रह की कक्षा तक पहुंचने के लिए इसरो चौथे स्थान पर रहा। भविष्य की योजनाओं मे शामिल जीएसएलवी एमके III के विकास (भारी उपग्रहों के प्रक्षेपण के लिए) ULV, एक पुन: प्रयोज्य प्रक्षेपण यान, मानव अंतरिक्ष, आगे चंद्र अन्वेषण, ग्रहों के बीच जांच, एक सौर मिशन अंतरिक्ष यान के विकास आदि। इसरो को शांति, निरस्त्रीकरण और विकास के लिए साल 2014 के इंदिरा गांधी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। मंगलयान के सफल प्रक्षेपण के लगभग एक वर्ष बाद इसने 29 सितंबर 2015 को एस्ट्रोसैट के रूप में भारत की पहली अंतरिक्ष वेधशाला स्थापित किया। जून 2016 तक इसरो लगभग 20 अलग-अलग देशों के 57 उपग्रहों को लॉन्च कर चुका है, और इसके द्वारा उसने अब तक 10 करोड़ अमेरिकी डॉलर कमाए हैं।http://khabar.ndtv.com/news/file-facts/in-record-launch-isro-flies-20-satellites-into-space-10-facts-1421899?pfrom.

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भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला

भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला (Physical Research Laboratory (PRL)) भारत सरकार के अंतरिक्ष विभाग के अन्तर्गत एक अनुसंधान संस्थान है। यहाँ अंतरिक्ष एवं इससे सम्बन्धित विज्ञानों पर अनुसंधान किया जाता है। इसकी स्थापना १९४७ में विक्रम साराभाई ने की थी। यहाँ भौतिकी, अन्तरिक्ष एवं वायुमण्डलीय विज्ञान, खगोल विज्ञान, खगोल भौतिकी, ग्रहीय एवं भूविज्ञान के चुनिन्दा क्षेत्रों में मूलभूत अनुसन्धान किया जाता है। जून 2018 में, भौतिक अनुसन्धान प्रयोगशाला के वैज्ञानिकों ने पृथ्वी से 600 प्रकाश वर्ष दूर स्थित हमारे सौर मंडल से बाहर के एक ग्रह ईपीआईसी 211945201 बी या 2के-236बी की खोज की। .

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भूभौतिकी

भूभौतिकी (Geophysics) पृथ्वी की भौतिकी है। इसके अंतर्गत पृथ्वी संबंधी सारी समस्याओं की छानबीन होती है। साथ ही यह एक प्रयुक्त विज्ञान भी है, क्योंकि इसमें भूमि समस्याओं और प्राकृतिक रूपों में उपलब्ध पदार्थों के व्यवहार की व्याख्या मूल विज्ञानों की सहायता से की जाती है। इसका विकास भौतिकी और भौमिकी से हुआ है। भूविज्ञानियों की आवश्यकता के फलस्वरूप नए साधनों के रूप में इसका जन्म हुआ। विज्ञान की शाखाओं या उपविभागों के रूप में भौतिकी, रसायन, भूविज्ञान और जीवविज्ञान को मान्यता मिले एक अरसा बीत चुका है। ज्यों-ज्यों विज्ञान का विकास हुआ, उसकी शाखाओं के मध्यवर्ती क्षेत्र उत्पन्न होते गए, जिनमें से एक भूभौतिकी है। उपर्युक्त विज्ञानों को चतुष्फलकी के शीर्ष पर निरूपित करें तो चतुष्फलक की भुजाएँ (कोर) नए विज्ञानों को निरूपित करती हैं। भूभौतिकी का जन्म भौमिकी एवं भौतिकी से हुआ है। .

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भूमध्य रेखा

विश्व के मानचित्र पर भूमध्य रेखा लाल रंग में गोलक का महानतम चक्र (घेरा) उसे ऊपरी और निचले गोलार्धों में बांटाता है। भूमध्य रेखा पृथ्वी की सतह पर उत्तरी ध्रुव एवं दक्षिणी ध्रुव से सामान दूरी पर स्थित एक काल्पनिक रेखा है। यह पृथ्वी को उत्तरी और दक्षिणी गोलार्ध में विभाजित करती है। दूसरे शब्दों में पृथ्वी के केंद्र से सर्वाधिक दूरस्थ भूमध्यरेखीय उभार पर स्थित बिन्दुओं को मिलाते हुए ग्लोब पर पश्चिम से पूर्व की ओर खींची गई कल्पनिक रेखा को भूमध्य या विषुवत रेखा कहते हैं। इस पर वर्ष भर दिन-रात बराबर होतें हैं, इसलिए इसे विषुवत रेखा भी कहते हैं। अन्य ग्रहों की विषुवत रेखा को भी सामान रूप से परिभाषित किया गया है। इस रेखा के उत्तरी ओर २३½° में कर्क रेखा है व दक्षिणी ओर २३½° में मकर रेखा है। .

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भूरसायन

१८वीं शताब्दी से २०वीं शताब्दी तह समुद्र की सतह के pH मेम परिवर्तन का मानचित्र भूरासायनिक चक्र का योजनामूलक निरूपण भूरसायन (Geochemistry) पृथ्वी तथा उसके अवयवों के रसायन से संबंधित विज्ञान है। भू-रसायन पृथ्वी में रासायनिक तत्वों के आकाश तथा काल (time and space) में वितरण तथा अभिगमन के कार्य से संबद्ध है। नवीन खोजों की ओर अग्रसर होते हुए कुछ भू-विज्ञानियों तथा रसायनज्ञों ने नूतन विज्ञान भू-रसायन को जन्म दिया। .

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भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान

भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान (अंग्रेज़ी:जियोस्टेशनरी सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल, लघु: जी.एस.एल.वी) अंतरिक्ष में उपग्रह के प्रक्षेपण में सहायक यान है। जीएसएलवी का इस्तेमाल अब तक बारह लॉन्च में किया गया है, 2001 में पहली बार लॉन्च होने के बाद से 29 मार्च, 2018 को जीएसएटी -6 ए संचार उपग्रह ले जाया गया था। ये यान उपग्रह को पृथ्वी की भूस्थिर कक्षा में स्थापित करने में मदद करता है। जीएसएलवी ऐसा बहुचरण रॉकेट होता है जो दो टन से अधिक भार के उपग्रह को पृथ्वी से 36000 कि॰मी॰ की ऊंचाई पर भू-स्थिर कक्षा में स्थापित कर देता है जो विषुवत वृत्त या भूमध्य रेखा की सीध में होता है। ये रॉकेट अपना कार्य तीन चरण में पूरा करते हैं। इनके तीसरे यानी अंतिम चरण में सबसे अधिक बल की आवश्यकता होती है। रॉकेट की यह आवश्यकता केवल क्रायोजेनिक इंजन ही पूरा कर सकते हैं। इसलिए बिना क्रायोजेनिक इंजन के जीएसएलवी रॉकेट का निर्माण मुश्किल होता है। अधिकतर काम के उपग्रह दो टन से अधिक के ही होते हैं। इसलिए विश्व भर में छोड़े जाने वाले 50 प्रतिशत उपग्रह इसी वर्ग में आते हैं। जीएसएलवी रॉकेट इस भार वर्ग के दो तीन उपग्रहों को एक साथ अंतरिक्ष में ले जाकर निश्चित कि॰मी॰ की ऊंचाई पर भू-स्थिर कक्षा में स्थापित कर देता है। यही इसकी की प्रमुख विशेषता है।|हिन्दुस्तान लाईव। १८ अप्रैल २०१०। अनुराग मिश्र हालांकि भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान संस्करण 3 (जीएसएलवी मार्क 3) नाम साझा करता है, यह एक पूरी तरह से अलग लॉन्चर है। .

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भूगोल शब्दावली

कोई विवरण नहीं।

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भूगोलीय निर्देशांक प्रणाली

पृथ्वी के मानचित्र पर अक्षांश (क्षैतिज) व (देशांतर रेखाएं (लम्बवत), एकर्ट षष्टम प्रोजेक्शन; https://www.cia.gov/library/publications/the-world-factbook/graphics/ref_maps/pdf/political_world.pdf वृहत संस्करण (पीडीएफ़, ३.१२MB) भूगोलीय निर्देशांक प्रणाली (अंग्रेज़ी:जियोग्राफिक कोआर्डिनेट सिस्टम) एक प्रकार की निर्देशांक प्रणाली होती है, जिसके द्वारा पृथ्वी पर किसी भी स्थान की स्थिति तीन (३) निर्देशांकों के माध्यम से निश्चित की जा सकती है। ये गोलाकार निर्देशांक प्रणाली द्वारा दिये जाते हैं। पृथ्वी पूर्ण रूप से गोलाकार नहीं है, बल्कि एक अनियमित आकार की है, जो लगभग एक इलिप्सॉएड आकार बनाती है। इसके लिये इस प्रकार की निर्देशांक प्रणाली बनाना, जो पृथ्वी पर उपस्थित प्रत्येक बिन्दु के लिये अंकों के अद्वितीय मेल से बनने वाला स्पष्ट निर्देशांक प्रस्तुत करे, अपने आप में एक प्रकार की चुनौती था। .

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मर्शा आईविंस

मर्शा आईविंस एक अमेरिकी पूर्व अंतरिक्ष यात्री और पांच अंतरिक्ष शटल मिशनों का अनुभव रखने वाली महिला है। उनका जन्म १५ अप्रैल १९५१ को बाल्टीमोर, मैरीलैंड में हुआ था। उन्होंने १९७३ में बोल्डर में कोलोराडो विश्वविद्यालय से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल की और नासा के जॉनसन स्पेस सेंटर के लिए काम करने लगी। १९८० में फ्लाईट इंजीनियर और नासा प्रशासनिक विमानों पर सह-पायलट के रूप में निर्दिष्ट किए जाने से पहले वह मुख्य रूप से ऑर्बिटर डिस्प्ले और नियंत्रण पर काम कर रही थी। १९८४ में इविंस को अंतरिक्ष यात्री उम्मीदवार के रूप में चुना गया था। उन्होंने एसटीएस -32 (१९९०), एसटीएस -46 (१९९२), एसटीएस -62 (१९९४), एसटीएस -81 (१९९७), और एसटीएस -98 (२००१) में मिशन पर उड़ान भरी।.

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मिखाइल कोर्नियेंको

मिखाइल बोरिसोविच कोर्नियेंको एक रूसी अंतरिक्ष यात्री हैं जो अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन में लगभग एक वर्ष रहने के लिए जाने जाते हैं। .

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मैरी लुईस क्लेव

मैरी लुईस क्लेव एक अमरीकी इंजिनियर और NASA की अंतरिक्ष यात्री है। उनका जन्म ५ फरवरी १९४७ को न्यू यॉर्क के साउथेम्प्टन शहर में हुआ था। उन्होंने २००४ से २००७ तक विज्ञान मिशन निदेशालय के नासा के एसोसिएट प्रशासक के रूप में सेवा की। उनके माता-पिता हॉवर्ड क्लेव और बारबरा क्लेव, दोनों ही शिक्षक थे। वह ग्रेट नेक, न्यूयॉर्क में बड़े हुए और उनकी २ बहने थी, एक बड़ी बहन ट्रडी कार्टर और एक छोटी बहन बारबरा "बॉबी" क्लेव बॉसवर्थ। १९६५ में क्लेवे ने ग्रेट नेक नॉर्थ हाई स्कूल, ग्रेट नेक, न्यूयॉर्क से अपनी स्कूल की शिक्षा प्राप्त की। १९६९ में उन्होंने कोलोराडो स्टेट यूनिवर्सिटी से बायोलॉजिकल साइंस में विज्ञान की डिग्री प्राप्त की, और १९७५ में यूटा स्टेट यूनिवर्सिटी से माइक्रोबियल पारिस्थितिकी में विज्ञान में मास्टर्स की डिग्री प्राप्त की। १९७९ में उन्होंने यूटा राज्य विश्वविद्यालय से सिविल और पर्यावरण इंजीनियरिंग में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की। उन्होंने जून १९७१ से १९८० तक यूटा स्टेट यूनिवर्सिटी में पारिस्थितिकी केंद्र और उटा जल शोध प्रयोगशाला में ग्रेजुएट रिसर्च, रिसर्च फाइकोलॉजिस्ट और रिसर्च इंजिनियर असाइन भी आयोजित किया था। .

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येलेना कोंडकोवा

येलेना व्लादिमीरोवन्ना कोंडकोवा अंतरिक्ष की यात्रा करने वाली तीसरी सोवियत-रूसी महिला अंतरिक्ष यात्री थी जिन्होंने अंतरिक्ष में लंबी अवधि तक उड़ान भरी थी। अंतरिक्ष में उनकी पहली यात्रा ४ अक्टूबर १९९४ को सोयुज टीएम -20 पर थी। और वह मीर स्पेस स्टेशन में पांच महीने रहने के बाद २२ मार्च १९९५ को पृथ्वी पर लौट आई। उनका जन्म ३० मार्च १९५७ को रूस के मॉस्को क्षेत्र में मितिशी में हुआ था।और उनका विवाह उनके ही कॉस्मोनाट साथी वैलेरी र्यूमिन से हुआ था। और उन्हें १९८९ में अंतरिक्ष यात्री उम्मीदवार के रूप में चुना गया था। कोंडाकोवा की दूसरी उड़ान मई १९९७ में मिशन एसटीएस -84 के दौरान संयुक्त राज्य अंतरिक्ष यान अटलांटिस पर एक मिशन विशेषज्ञ के रूप में हुई थी। वह अंतरिक्ष में जाने वाली आखिरी रूसी महिला थी, जो एलेना सेरवा की २५ सितंबर २०१४ को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) की उड़ान के बाद ही अंतरिक्ष यात्रा कर पाई थी। १९९९ में अंतरिक्ष से रिटायर्ड होने के बाद कोंडाकोवा ने रूसी संसद के निचले सदन ड्यूमा में एक डिप्टी के रूप में काम किया और रूसी संघ के हीरो के सम्मान से सम्मानित भी हुई। .

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रूसी संघीय अंतरिक्ष अभिकरण

रूसी संघीय अंतरिक्ष अभिकरण या रशियन फेडरल स्पेस एजेंसी रूस का सरकारी अंतरिक्ष अभिकरण है जो की रूस में अंतरिक्ष से जुड़ी गतिविधियाँ संचालित करता है। इसे रॉसकॉसमॉस के नाम से भी जाना जाता है। रॉसकॉसमॉस का मुख्यालय मास्को में स्थित है। मुख्य मिशन नियंत्रण केंद्र कोरोलेव में है एवं कॉसमोनौट प्रशिक्षण केंद्र स्टार सिटी में स्थित है। कजाकस्तान स्थित बायकोनूर कॉसमोड्रोम में मानवीय एवं अमानवीय दोनों प्रकार की प्रक्षेपण सुविधा उपलब्ध है। उत्तरी रूस स्थित प्लेस्टेक कॉसमोड्रोम से ज्यादातर अमानवीय उड़ानों को संचालित किया जाता है। अन्तर्राष्ट्रीय अन्तरिक्ष स्टेशन में इस संगठन का महत्वपूर्ण योगदान है। सोयूज़ रॉकेट एवं प्रोटॉन रॉकेट प्रमुख प्रक्षेपण यान हैं। सोयूज़ रॉकेट श्रेणी:विश्व के प्रमुख अंतरिक्ष संगठन श्रेणी:रूस.

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रोबर्टा बोंडर

रोबर्टा बोंडर कनाडा की पहली महिला अंतरिक्ष यात्री और अंतरिक्ष में जाने वाली पहली न्यूरोलॉजिस्ट हैं। 6बोंडर का जन्म सुत स्टे में हुआ था मैरी, ओंटारियो, ४ दिसंबर १९४५ को हुआ। १९८१ में बॉन्डर न्यूरोलॉजी में रॉयल कॉलेज ऑफ फिजिशियन और सर्जन ऑफ कनाडा की साथी बनी। उन्होंने स्काई डाइविंग और पैराशूटिंग में भी प्रमाणन प्राप्त किया हुआ है। बोंडर ने ब्रूक्स इंस्टीट्यूट ऑफ फोटोग्राफ़ी, सांता बारबरा, कैलिफ़ोर्निया से पेशेवर प्रकृति फोटोग्राफी में भी अध्ययन किया। बॉन्डार ने १९८४ में अंतरिक्ष यात्री प्रशिक्षण शुरू किया, और १९९२ में पहली अंतर्राष्ट्रीय माइक्रोग्रैविटी प्रयोगशाला मिशन (आईएमएल -1) के लिए पेलोड विशेषज्ञ नामित कि गई। बोंडर ने मिशन एसटीएस -42, 22 जनवरी, १९९२ के दौरान नासा अंतरिक्ष शटल डिस्कवरी पर उड़ान भरी, जिसके दौरान उन्होंने स्पैकेलेब में प्रयोग किया। अपने अंतरिक्ष यात्री कैरियर के बाद बोंडर ने एक दशक से भी ज्यादा समय के लिए नासा में एक अंतरराष्ट्रीय शोधकर्ताओं का नेतृत्व किया, अंतरिक्ष मिशन के अंतरिक्ष यात्रियों से प्राप्त डेटा की जांच करने के लिए अंतरिक्ष के संपर्क में आने से शरीर की क्षमता को ठीक करने के लिए तंत्र को बेहतर ढंग से समझने के लिए। २००९ में, बॉन्डर ने रॉबर्टा बोंडर फाउंडेशन को नॉन-फॉर-प्रॉफिट चैरिटी के रूप में पंजीकृत किया। पर्यावरण जागरूकता पर नींव भी केंद्र की। बोंडर एक विविधता संगोष्ठियों के लिए एक सलाहकार और अध्यक्ष भी रहे हैं, जो एक अंतरिक्ष यात्री, चिकित्सक, वैज्ञानिक शोधकर्ता, फोटोग्राफर, लेखक, पर्यावरण दुभाषिया और टीम के नेता के रूप में अपनी विशेषज्ञता पर चित्रित कर रहे हैं। .

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लियू यांग

लियू यांग एक चीनी पायलट और अंतरिक्ष यात्री है जो अंतरिक्ष मिशन शेनज़ोऊ 9 पर एक चालक दल के सदस्य के रूप में कार्य करती है। १६ जून २०१२ को, लियू अंतरिक्ष में जाने वाली पहली चीनी महिला बनी। .

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लिंडा मैक्सिन गॉडविन

लिंडा मैक्सिन गॉडविन एक अमेरिकी वैज्ञानिक और सेवानिवृत्त नासा की अंतरिक्ष यात्री है। उनका जन्म २ जुलाई १९५२ में केप गिररदेउ, मिसौरी में, लेकिन उसका गृहनगर जैक्सन, मिसौरी में था। गॉडविन ने १९८० में नासा से जुड़कर जुलाई १९८६ में एक अंतरिक्ष यात्री बन गई। वह २०१० में सेवानिवृत्त हुए। अपने करियर के दौरान, गॉडविन ने चार अंतरिक्ष उड़ानें पूरी कीं और अंतरिक्ष में ३८ दिनों में लॉग इन किया। गॉडविन जॉनसन स्पेस सेंटर में अन्वेषण के लिए सहायक, फ्लाइट क्रू संचालन निदेशालय के सहायक हैं। सेवानिवृत्त होने के बाद उन्होंने मिसौरी विश्वविद्यालय के भौतिकी और खगोल विज्ञान विभाग में प्रोफेसर की स्थिति को स्वीकार कर लिया। गॉडविन अमेरिकन फिजिकल सोसाइटी, नब्बे-निनेस, इंक., एसोसिएशन ऑफ़ स्पेस एक्सप्लोरर्स, एयरक्राफ्ट ओनर्स एंड पायलट एसोसिएशन का सदस्य है।दक्षिण पूर्व मिसौरी स्टेट यूनिवर्सिटी में भौतिकी और गणित में स्नातक अध्ययन पूरा करने के बाद,गॉडविन कोलंबिया, मिसौरी में मिसौरी विश्वविद्यालय में स्नातक स्कूल में भाग लिया। उस समय के दौरान उन्होंने स्नातक भौतिकी प्रयोगशालाओं को पढ़ाया और कई शोध सहायक कंपनियों के प्राप्तकर्ता थे उन्होंने भौतिकी में शोध किया, जिसमें इलेक्ट्रॉन सुरंग में अध्ययन और तरल हीलियम तापमान पर धातु सबस्ट्रेट्स (सतह) पर अवशोषित आणविक प्रजातियों के कंपन मोड शामिल हैं। उनके शोध के परिणाम कई पत्रिकाओं में प्रकाशित किए गए हैं। .

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शनचो-९

‘’’ शनचो-९ ‘’’ चीन द्वारा निर्मित अंतरिक्ष यान है। चीन ने १७ जून २0१२ को इसे प्रक्षेपित कर एक महिला सहित तीन वैज्ञानिकों को अंतरिक्ष में पहुँचाया था। यह प्रक्षेपण अपने मकसद में सफल रहा था। श्रेणी:अंतरिक्ष यान श्रेणी:चीन.

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शास्त्रीय नृत्य

भारत में नृत्‍य की जड़ें प्राचीन परंपराओं में है। इस विशाल उपमहाद्वीप में नृत्‍यों की विभिन्‍न विधाओं ने जन्‍म लिया है। प्रत्‍येक विधा ने विशिष्‍ट समय व वातावरण के प्रभाव से आकार लिया है। राष्‍ट्र शास्‍त्रीय नृत्‍य की कई विधाओं को पेश करता है, जिनमें से प्रत्‍येक का संबंध देश के विभिन्‍न भागों से है। प्रत्‍येक विधा किसी विशिष्‍ट क्षेत्र अथवा व्‍यक्तियों के समूह के लोकाचार का प्रतिनिधित्‍व करती है। भारत के कुछ प्रसिद्ध शास्‍त्रीय नृत्‍य हैं - .

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शैनन ल्यूसिड

शैनन ल्यूसिड एक अंतरिक्ष यात्री थी जिनका जन्म १४ जनवरी १९४३ को हुआ था, उन्होंने अंतरिक्ष में पांच बार उड़ान भरी और जिसमे उन्होंने १९९६ में एक बहुत लम्बा समय Mir अंतरिक्ष अड्डे पर बिताया था,और अमेरिका की सबसे लम्बे समय तक अंतरिक्ष में रहने वाली महिला का ख़िताब भी हासिल किया था।शैनन ल्यूसिड का जन्म चाइना के शांघाई शेहर में हुआ था। उनके माता-पिता ऑस्कर और मायटल वेल्स बपतिस्मा धर्म के थे। उन्होंने १९६० में अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की और १९६३ में रसायन में आगे की पढ़ाई की और १९७० में उन्होंने मास्टर्स की डिग्री हासिल की जैव रसायन में और १९७३ में जैव रसायन में ही डॉक्टरेट की डिग्री हासिल की। ल्यूसिड को NASA में १९७८ में अंतरिक्ष यात्री सैन्य-दल के रूप में चुना गया। उस समय उन अन्य छह महिला अंतरिक्ष यात्रियों के साथ प्रथम श्रेणी में, ल्यूसिड केवल एक थी जो चयनित होने के समय माँ थी। उनकी पहली अंतरिक्ष उड़ान जून १९८५ में स्पेस शटल डिस्कवरी मिशन पर भरी गयी थी। ल्यूसिड अपने पांचवें अंतरिक्ष उड़ान के लिए अत्यधिक जानी जाती है, जब उन्होंने अंतरिक्ष में १८८ दिन बिताए, मीर से उन्होंने अंतरिक्ष शटल अटलांटिस पर यात्रा की और वहाँ से रहने के लिए इतने लंबे समय तक की उम्मीद नहीं थी लेकिन उनकी वापसी में दो बार देरी हुई थी जिस कारण उन्हें अधिक ६ सप्ताह तक रहना पड़ा। मिशन के दौरान उन्होंने कई जीवन विज्ञान और शारीरिक विज्ञान प्रयोग किए। उन्होंने सबसे लम्बी अवधि तक अंतरिक्ष में रहने का रिकॉर्ड बनाया था जो की १६ जून २००७ में सुनीता विल्लिंस द्वारा बदल दिया गया। 2002 से 2003 तक, ल्यूसीड ने नासा के मुख्य वैज्ञानिक के रूप में सेवा की।ल्यूसिड सीएड कॉप कॉम के रूप में सेवा की और सीएड कॉप कॉम के रूप में भी NASA में काम किया। .

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समय यात्रा

समय यात्रा, एक अवधारणा है जिसके अनुसार, समय में विभिन्न बिंदुओं के बीच ठीक उसी प्रकार संचलन किया जा सकता है जिस प्रकार अंतरिक्ष के विभिन्न बिंदुओं के बीच भ्रमण किया जाता है। इस अवधारणा के अनुसार किसी वस्तु (कुछ मामलों में सिर्फ सूचना) को समय में वर्तमान क्षण से कुछ क्षण पीछे अतीत में या फिर वर्तमान क्षण से कुछ क्षण आगे भविष्य में, बिना दो बिन्दुओं के बीच की अवधि को अनुभव किए, भेज सकते हैं। (कम से कम सामान्य दर पर नहीं)। हालांकि समय यात्रा 19वीं शताब्दी के बाद से ही काल्पनिक कहानियों का एक मुख्य विषय रहा है, परन्तु भविष्य की एकतरफा यात्रा तो समय फैलाव की घटना के कारण सैद्धांतिक रूप से संभव है, यह घटना विशेष सापेक्षता के सिद्धांत में वर्णित वेग पर आधारित है (जिसको जुड़वां विरोधाभास के उदाहरण द्वारा समझा जा सकता है)। यह यात्रा सामान्य सापेक्षता के सिद्धांत में गुरुत्वाकर्षण समय फैलाव के अनुसार भी संभव है, पर अभी तक यह अज्ञात है कि भौतिकी के नियम इस प्रकार की पश्चगामी समय यात्रा की अनुमति देंगे या नहीं। यात्रा करने के लिए कुछ वैग्यानिको ने समान्तर ब्रम्हान्ड की कल्पना की है;कोई भी तकनीकी यन्त्र जिससे समय में एक बिंदु से दूसरे बिंदु पर बिना किसी समय में देरी के जाया जा सके समय यन्त्र कहलाता है। .

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सामान्य आपेक्षिकता

सामान्य आपेक्षिकता सिद्धांत या सामान्य सापेक्षता सिद्धांत, जिसे अंग्रेजी में "जॅनॅरल थिओरी ऑफ़ रॅलॅटिविटि" कहते हैं, एक वैज्ञानिक सिद्धांत है जो कहता है कि ब्रह्माण्ड में किसी भी वस्तु की तरफ़ जो गुरुत्वाकर्षण का खिंचाव देखा जाता है उसका असली कारण है कि हर वस्तु अपने मान और आकार के अनुसार अपने इर्द-गिर्द के दिक्-काल (स्पेस-टाइम) में मरोड़ पैदा कर देती है। बरसों के अध्ययन के बाद जब १९१६ में अल्बर्ट आइंस्टीन ने इस सिद्धांत की घोषणा की तो विज्ञान की दुनिया में तहलका मच गया और ढाई-सौ साल से क़ायम आइज़क न्यूटन द्वारा १६८७ में घोषित ब्रह्माण्ड का नज़रिया हमेशा के लिए उलट दिया गया। भौतिक शास्त्र पर इसका इतना गहरा प्रभाव पड़ा कि लोग आधुनिक भौतिकी (माडर्न फ़िज़िक्स) को शास्त्रीय भौतिकी (क्लासिकल फ़िज़िक्स) से अलग विषय बताने लगे और अल्बर्ट आइंस्टीन को आधुनिक भौतिकी का पिता माना जाने लगा। .

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सायबॉर्ग

सायबॉर्ग ऐसे काल्पनिक मशीनी मानव होते हैं, जिनका आधा शरीर मानव और आधा मशीन का बना होता है। ऐसे मानव विज्ञान के क्षेत्र और विज्ञान गल्प में दिखाये जाते हैं, व फिल्म प्रेमियों द्वारा हॉलीवुड की स्टार ट्रेक और अन्य विज्ञान फंतासी फिल्मों इनका प्रदर्शन किया जाता रहा है। इस शब्द का पहली बार प्रयोग १९६० में मैन्फ्रेड क्लिंस और नैथन क्लाइन ने बाहरी अंतरिक्ष में मानव-मशीनी प्रणाली के प्रयोग के संदर्भ के एक आलेख में किया था। इसके बाद १९६५ में डी.एस.

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सागा २२०

सागा २२0सागा २२० भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा निर्मित एक महासंगणक है। इसकी क्षमता २२० टेराफ्लॉप है। वर्तमान में यह भारत का सर्वाधिक क्षमतावान महासंगणक है। नई ग्राफिक प्रोसेसिंग यूरिन द्वारा अंतरिक्ष वैज्ञानिक सागा-२२0 का प्रयोग जटिल अंतरिक्ष समस्याओं को सुलझाने में कर रहे हैं। .

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स्पिट्ज़र अंतरिक्ष दूरदर्शी

स्पिट्ज़र अंतरिक्ष दूरदर्शी (Spitzer Space Telescope), एक खगोलीय दूरदर्शी है जो अंतरिक्ष में कृत्रिम उपग्रह के रूप में स्थित है। यह ब्रह्माण्ड की विभिन्न वस्तुओं की अवरक्त (इन्फ़्रारॅड) प्रकाश में जाँच करता है। इसे सन् २००३ में रॉकेट के ज़रिये अमेरिकी अंतरिक्ष अनुसन्धान संस्था नासा ने अंतरिक्ष में पहुँचाकर पृथ्वी के इर्द-गिर्द कक्षा (ऑरबिट) में डाला था।, Lee Armus, William Thomas Reach, Astronomical Society of the Pacific, 2006, ISBN 978-1-58381-225-9 इसे चलते रहने के लिए अति-ठंडी द्रव्य हीलियम की आवश्यकता थी जो १५ मई २००९ को ख़त्म हो गया। उसके बाद से इस यान पर मौजूद अधिकतर यंत्रों ने काम करना बंद कर दिया लेकिन इसका कैमरा कुछ हद तक अभी भी खगोलीय वस्तुओं की तस्वीरें उतारने में सक्षम है।, Muriel Gargaud, स्प्रिंगर, 2011, ISBN 978-3-642-11271-3,...

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स्वतन्त्रता के बाद भारत का संक्षिप्त इतिहास

कोई विवरण नहीं।

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सौर एवं सौरचक्रीय वेधशाला (सोहो)

सूर्य के नज़दीक सोहो का चित्रसौर एवं सौरचक्रीय वेधशाला (सोहो) (Solar and Heliospheric Observatory (SOHO)) यूरोप के एक औद्योगिक अल्पकालीन संघटन ऐस्ट्रियम द्वारा निर्मित एक अंतरिक्ष यान है। इस वेधशाला को लॉकहीड मार्टिन एटलस २ एएस रॉकेट द्वारा २ दिसम्बर १९९५ को अंतरिक्ष में भेजा गया। इस प्रयोगशाला का लक्ष्य सूर्य और सौरचक्रीय परिवेश का अध्ययन करना और क्षुद्रग्रहों की उपस्थिति संबंधित आँकड़े उपलब्ध कराना है। सोहो द्वारा अब तक कुल २३00 से अधिक क्षुद्रग्रहों का पता लगाया जा चुका है। सोहो, अंतरराष्ट्रीय सहयोग से संबद्ध, यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी और नासा की संयुक्त परियोजना है। हालांकि सोहो मूल रूप से द्विवर्षीय परियोजना थी, लेकिन अंतरिक्ष में १५ वर्षों से अधिक समय से यह कार्यरत है। २00९ में इस परियोजना का विस्तार दिसंबर २0१२ तक मंज़ूर कर लिया गया है।.

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सौर पवन

प्लाज़्मा हेलियोपॉज़ से संगम करते हुए सौर वायु (अंग्रेज़ी:सोलर विंड) सूर्य से बाहर वेग से आने वाले आवेशित कणों या प्लाज़्मा की बौछार को नाम दिया गया है। ये कण अंतरिक्ष में चारों दिशाओं में फैलते जाते हैं।। हिन्दुस्तान लाइव। २७ नवम्बर २००९ इन कणों में मुख्यतः प्रोटोन्स और इलेक्ट्रॉन (संयुक्त रूप से प्लाज़्मा) से बने होते हैं जिनकी ऊर्जा लगभग एक किलो इलेक्ट्रॉन वोल्ट (के.ई.वी) हो सकती है। फिर भी सौर वायु प्रायः अधिक हानिकारक या घातक नहीं होती है। यह लगभग १०० ई.यू (खगोलीय इकाई) के बराबर दूरी तक पहुंचती हैं। खगोलीय इकाई यानि यानि एस्ट्रोनॉमिकल यूनिट्स, जो पृथ्वी से सूर्य के बीच की दूरी के बराबर परिमाण होता है। १०० ई.यू की यह दूरी सूर्य से वरुण ग्रह के समान है जहां जाकर यह अंतरतारकीय माध्यम (इंटरस्टेलर मीडियम) से टकराती हैं। अमेरिका के सैन अंटोनियो स्थित साउथ वेस्ट रिसर्च इंस्टिट्यूट के कार्यपालक निदेशक डेव मैक्कोमास के अनुसार सूर्य से लाखों मील प्रति घंटे के वेग से चलने वाली ये वायु सौरमंडल के आसपास एक सुरक्षात्मक बुलबुला निर्माण करती हैं। इसे हेलियोस्फीयर कहा जाता है। यह पृथ्वी के वातावरण के साथ-साथ सौर मंडल की सीमा के भीतर की दशाओं को तय करती हैं।। नवभारत टाइम्स। २४ सितंबर २००८ हेलियोस्फीयर में सौर वायु सबसे गहरी होती है। पिछले ५० वर्षों में सौर वायु इस समय सबसे कमजोर पड़ गई हैं। वैसे सौर वायु की सक्रियता समय-समय पर कम या अधिक होती रहती है। यह एक सामान्य प्रक्रिया है। .

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सैली राइड

सैली क्रिस्टेन राइड एक अमेरिकी भौतिक विज्ञानी और अंतरिक्ष यात्री थी। उनका जन्म 26 मई, १९५१ को लॉस एंजेलिस में हुआ था। वह १९७८ में NASA में शामिल हुई और १९८३ में वह पहली अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री बनी। परन्तु अंतरिक्ष में जाने वाली वह तीसरी महिला थी। सैली राइड सबसे कम उम्र की अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री थी जो मात्र 32 साल की उम्र में ही अंतरिक्ष की यात्रा की थी। नेत्र-कक्षीय चुनौती में दो बार उड़ान भरने के बाद १९८७ में सैली राइड ने नासा छोड़ दिया था। उसके बाद उन्होंने दो साल भौतिक विज्ञान की प्रोफेसर के रूप में स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा और शस्त्र नियंत्रण, कैलिफोर्निया में, सैन डिएगो विश्वविद्यालय में और स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय के सेंटर में काम किया और फिर मुख्य रूप से प्रकाशिक विषम दैशिकता और त्रिज्या या थॉमसन बिखरने शोध पर अनुसंधान किया। .

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सोयुज टीएमए १२

सोयुज टीएमए १२ एक वर्तमान सोयुज अंतरिक्ष मिशन है जो अंतराष्ट्रीय अंतरिक्ष केंद्रकी उडान पर है जिसे सोयुज एफजी रॉकेट द्वारा ११:१६ मिनट यूटीसी पर ८ अप्रैल २००८ को छोडा गया। इसके अंतरिक्ष स्टेशन पर पहुंचने का नियत समय १० अप्रैल २००८ को तय है।.

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हबल अंतरिक्ष दूरदर्शी

हबल अंतरिक्ष दूरदर्शी (Hubble Space Telescope (HST)) वास्तव में एक खगोलीय दूरदर्शी है जो अंतरिक्ष में कृत्रिम उपग्रह के रूप में स्थित है, इसे २५ अप्रैल सन् १९९० में अमेरिकी अंतरिक्ष यान डिस्कवरी की मदद से इसकी कक्षा में स्थापित किया गया था। हबल दूरदर्शी को अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ' नासा ' ने यूरोपियन अंतरिक्ष एजेंसी के सहयोग से तैयार किया था। अमेरिकी खगोलविज्ञानी एडविन पोंवेल हबल के नाम पर इसे ' हबल ' नाम दिया गया। यह नासा की प्रमुख वेधशालाओं में से एक है। पहले इसे वर्ष १९८३ में लांच करने की योजना बनाई गई थी, लेकिन कुछ तकनीकी खामियों और बजट समस्याओं के चलते इस परियोजना में सात साल की देरी हो गई। वर्ष १९९० में इसे लांच करने के बाद वैज्ञानिकों ने पाया कि इसके मुख्य दर्पण में कुछ खामी रह गई, जिससे यह पूरी क्षमता के साथ काम नहीं कर पा रहा है। वर्ष १९९३ में इसके पहले सर्विसिंग मिशन पर भेजे गए वैज्ञानिकों ने इस खामी को दूर किया। यह एक मात्र दूरदर्शी है, जिसे अंतरिक्ष में ही सर्विसिंग के हिसाब से डिजाइन किया गया है। वर्ष २००९ में संपन्न पिछले सर्विसिंग मिशन के बाद उम्मीद है कि यह वर्ष २०१४ तक काम करता रहेगा, जिसके बाद जेम्स वेब खगोलीय दूरदर्शी को लांच करने कि योजना है। .

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हेलेन शर्मन

हेलेन शर्मन एक ब्रिटिश रसायनज्ञ है जो १९९१ में मीर अंतरिक्ष स्टेशन का दौरा करने वाली पहली ब्रिटिश अंतरिक्ष यात्री और पहली महिला थी। शर्मन का जन्म ग्रेनोसाइड, शेफ़ील्ड में हुआ था, जहां उन्होंने ग्रीनोसाइड जूनियर और शिशु विद्यालय से शिक्षा प्राप्त की। जॉर्डनथ्रोप कॉम्प्रेएफेस में पढ़ाई करने के बाद, उन्होंने १९८४ में शेफ़ील्ड विश्वविद्यालय में रसायन विज्ञान में बीएससी और लंदन के यूनिवर्सिटी ऑफ बर्कबीक से पीएचडी प्राप्त की। वह लंदन में जीईसी के लिए एक शोध और विकास टेक्नोलॉजिस्ट के रूप में काम करती थीं और बाद में मंगल इन्कॉर्पोरेटेड के लिए एक रसायनज्ञ के रूप में चॉकलेट के स्वादिष्ट गुणों के साथ काम करती रही। शर्मन ने अपने मिशन के बाद आठ वर्षों तक मीर को स्व-रोजगार, जनता को विज्ञान के साथ संवाद करने के लिए खर्च किया। १९९७ में उन्होंने बच्चों की किताब, द स्पेस प्लेस प्रकाशित किया। उन्होंने बीबीसी स्कूलों के लिए रेडियो और टीवी कार्यक्रम प्रस्तुत किए हैं। उन्होंने २०११ तक राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला में सतह के समूह नेता और नैनोनालिसिस समूह के रूप में काम किया। शर्मन २०१५ में इंपीरियल कॉलेज लंदन में रसायन विज्ञान विभाग की ऑपरेशन मैनेजर बन गई। वह रसायन विज्ञान और उसके अंतरिक्ष यान से संबंधित गतिविधियों तक पहुंच गई, और उन्हें २०१५ में ब्रिटिश साइंस एसोसिएशन से सम्मानित फैलोशिप से सम्मानित किया गया। .

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जहाना योर्किना

जहाना योर्किना एक रूसी सोवियत अंतरिक्ष यात्री थी। जहाना का जन्म ६ मई १९३९ को हुआ था। जब दीसम्बर १९६१ में सोवियत सरकार ने महिला अंतरिक्ष यात्रियों को चुनने का फैसला किया था, उस समय फ़रवरी १९६२ में पांच महिला अंतरिक्ष यात्रियों के समूह से चुनी गयी थी। वह एक शौकिया पैराशूटिस्ट थी। वो वोदोग 5 की योजना की बैकअप चालक के माध्यमिक सदस्य के रूप में शामिल थी, जो कि एक महिला अवधि और ईवा मिशन के लिए था। वोदोग कार्यक्रम के रद्द होने के बाद, वह गगारिन कॉस्मोनाट ट्रेनिंग सेंटर पर काम करने लगी। और सर्पिल स्पेसप्लेन के विकास में शामिल एक अंतरिक्ष यात्री बन गयी।और १ अक्टूबर १९६९ को उन्होंने अंतरिक्ष कार्यक्रम से और १९८९ में सक्रिय सैन्य ड्यूटी से सेवानिवृत्त हो गई। .

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जॉन डेविस

जॉन डेविस भूतपूर्व अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री है। डेविस का अंतरिक्ष में ६७३ घंटे तक लॉग इन का समय ६७३ घंटे तक का है। उन्होंने १९७१ में हंट्सविले हाई स्कूल से स्नातक की उपाधि प्राप्त की, १९७५ में जॉर्जिया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से लागू जीव विज्ञान में विज्ञान की डिग्री प्राप्त की और १९७७ में ऑबर्न यूनिवर्सिटी से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक की उपाधि प्राप्त की।"Remembering Huntsville Astronaut Jan Davis' First Space Shuttle Flight".

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वांतरिक्ष

पृथ्वी का वायुमण्डल और उससे सटा अंतरिक्ष मिलाकर वांतरिक्ष (वा+अंतरिक्ष .

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वांग यापिंग

वांग यापिंग एक चीनी सेना पायलट और अंतरिक्ष यात्री है। उनका जन्म २७ जनवरी १९८० में हुआ था। वैंग सीएनएसए द्वारा नामित की गई दूसरी महिला अंतरिक्ष यात्री थी। वैंग पीपुल्स लिबरेशन आर्मी वायु सेना में एक कप्तान है। वह २०१२ के अंतरिक्ष मिशन शेनज़ू 9 के उम्मीदवार थी, हालांकि उन्हें पहले चीनी महिला अंतरिक्ष यात्री के ऐतिहासिक मिशन के लिए चुना गया था।वांग शेनज़ू 9 के लिए बैकअप क्रू के सदस्य के रूप में अंतरिक्ष यात्री बनी। वांग जून २०१३ में दूसरी चीनी महिला अंतरिक्ष यात्री बनी शेनज़ू १० के अंतरिक्ष यान क्रू के सदस्य के रूप में। वांग यापिंग, वोस्तोक 6 की ५०वीं वर्षगांठ पर अंतरिक्ष में होने वाली दो महिलाओं में से एक थी। उस समय अंतरिक्ष में वह वेलेंटीना टेरेश्कोवा के साथ मौजूद थी। तियांगोंग -1 पर सवार होने पर, वैंग ने वैज्ञानिक प्रयोगों का आयोजन किया और चीनी छात्रों को लाइव टेलीविजन प्रसारण द्वारा भौतिक विज्ञान भी पढ़ाया। .

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विश्व की साझी विरासत

विश्व की साझी विरासत ऐसे कुछ क्षेत्रों को कहा जाता है जो कि किसी एक देश के क्षेत्राधिकार में नहीँ आते बल्कि इसका प्रबन्धन अंतर्राष्ट्रीय समुदाय द्वारा साझे तौर पर किया जाता है। जैसे -पृथ्वी का वायुमण्डल,अंटार्कटिका,समुद्री सतह तथा बाहरी अंतरिक्ष इत्यादि। .

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वेंडी बैरीयन लॉरेंस

वेंडी बैरीयन लॉरेंस एक सेवानिवृत्त संयुक्त राज्य अमेरिका की नौसेना कप्तान, पूर्व हेलीकॉप्टर पायलट, एक इंजीनियर और नासा की पूर्व अंतरिक्ष यात्री है। वह अंतरिक्ष में जाने वाली संयुक्त राज्य अमेरिका की नौसेना अकादमी की पहली महिला स्नातक थीं और उन्होंने रूसी अंतरिक्ष स्टेशन मीर का दौरा भी किया है। वह एसटीएस -114 की मिशन विशेषज्ञ थी, जो अंतरिक्ष शटल कोलंबिया की आपदा के बाद अंतरिक्ष में जाने वाली पहली अंतरिक्ष शटल थी। उनका जन्म २ जुलाई १९५९ को जैक्सनविल, फ्लोरिडा में हुआ था। वह एक नौटंकी विमानियों की बेटी और पोती है, उनके दादा जी ने छात्र एथलीट फैटी लॉरेंस का उल्लेख किया था। और उनके पिता वाइस एडमिरल विलियम पी लॉरेंस थे, एक बुध अंतरायल फाइनलिस्ट और वियतनाम के पूर्व विद्रोही कैदी थे, जो अमेरिकी नौसेना अकादमी के अधीक्षक थे। लॉरेन ने १९७७ में वर्जीनिया के अलेक्जेंड्रिया में फोर्ट हंट हाई स्कूल से अपनी पड़ी पुती की। और वह १९८१ में वह यू.एस.

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वॉयेजर प्रथम

वोयेजर प्रथम अंतरिक्ष यान एक ७२२ कि.ग्रा का रोबोटिक अंतरिक्ष प्रोब था। इसे ५ सितंबर, १९७७ को लॉन्च किया गया था। वायेजर १ अंतरिक्ष शोध यान एक ८१५ कि.ग्रा वजन का मानव रहित यान है जिसे हमारे सौर मंडल और उसके बाहर की खोज के लिये प्रक्षेपित किया गया था। यह अभी भी (मार्च २००७) कार्य कर रहा है। यह नासा का सबसे लम्बा अभियान है। इस यान ने गुरू और शनि ग्रहों की यात्रा की है और यह यान इन महाकाय ग्रहों के चन्द्रमा की तस्वीरें भेजने वाला पहला शोध यान है। वायेजर १ मानव निर्मित सबसे दूरी पर स्थित वस्तु है और यह पृथ्वी और सूर्य दोनों से दूर अनंत अंतरिक्ष में अभी भी गतिशील है। न्यू हॉराइज़ंस शोध यान जो इसके बाद छोड़ा गया था, वायेजर १ की तुलना में कम गति से चल रहा है इसलिये वह कभी भी वायेजर १ को पीछे नहीं छोड़ पायेगा। .

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वॉल-ई

WALL-E (वॉल-ई) का प्रचार एक मध्य बिंदु (इंटरपंक्ट) के साथ WALL•E के रूप में किया गया, जो 2008 में बनायी गयी एक कंप्यूटर-एनीमेटेड विज्ञान कथा फिल्म है, जिसका निर्माण पिक्सर एनीमेशन स्टुडियोज ने किया और जिसके निर्देशक एंड्रयू स्टैनटॉन तथा सह-निर्देशक ली अन्क्रीच हैं। कहानी WALL-E नामक एक रोबोट की है, जिसे भविष्य में कूड़े-कचरे से भरी पृथ्वी की सफाई के लिए बनाया गया है। अंततः वह EVE नामक एक अन्य रोबोट के साथ प्रेम करने लगता है और एक साहसिक अभियान में वह उसका अनुसरण करता हुआ बाहरी अंतरिक्ष में चला जाता है, जिससे उसके स्वभाव और मनुष्यत्व - दोनों की नियति में परिवर्तन आ जाता है। फाइंडिंग नेमो का निर्देशन करने के बाद स्टैंटन ने महसूस किया कि पिक्सर ने पानी के नीचे की प्रकृति का विश्वसनीय अनुकरण किया है और वे अंतरिक्ष के सेट पर एक फिल्म निर्देशित करने की सोचने लगे। अधिकांश पात्रों की आवाज वास्तविक मानव की नहीं है, बल्कि इसके बजाय भाव-भंगिमाओं और रोबोट की ध्वनियां हैं, जो आवाज के सदृश हैं, जिसे बेन बर्ट द्वारा डिजाइन किया गया है, जो आवाज़ के सदृश है। इसके अलावा, यह पिक्सर द्वारा पहली एनीमेटेड फीचर है जिसमें एक खंड में पात्र लाइव-एक्शन करते नजर आते हैं। वॉल्ट डिज़्नी पिक्चर्स (Walt Disney Pictures) ने इसे संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा में 27 जून 2008 को रिलीज किया। फिल्म ने पहले दिन कुल 23.1 मिलियन अमेरिकी डॉलर कमाया और पहले सप्ताहांत के दौरान 3,992 थिएटरों से 63 मिलियन डॉलर कमा कर बॉक्स ऑफिस में इसका रैंक #1 रहा। 31 मई 2009 तक पिक्सर फिल्म के लिए अब तक का यह चौथा सर्वोच्च पहले सप्ताहांत का रैंक है। थिएटरों में इसे रिलीज करने के लिए पिक्सर की परंपरा का अनुसरण करते हुए WALL-E के साथ एक लघु फिल्म प्रेस्टो को भी रखा गया। समीक्षकों ने WALL-E जबरदस्त सकारात्मक समालोचना की, इसे समूहक राटन टमैटोज की समीक्षा में 96% रेटिंग का अनुमोदन मिला। दुनिया भर से इसने 534 डॉलर कमाया, 2008 में इसने सर्वश्रेष्ठ एनीमेटेड फीचर फिल्म के लिए गोल्डेन ग्लोब अवार्ड मिला, 2009 में बेस्ट ड्रामैटिक प्रेजेंटेशन के लिए हुगो अवार्ड, लौंग फोरम, सर्वश्रेष्ठ एनीमेटेड फीचर का ऐकडमी अवार्ड के साथ ही साथ 81वें ऐकडमी अवार्ड में अन्य पांच ऐकडमी अवार्ड मिले। WALL-E को पहली बार TIME का दशक का सर्वश्रेष्ठ सिनेमा का खिताब मिला। .

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खगोलयात्री

खगोलयात्री या अंतरिक्षयात्री या खगोलबाज़ ऐसे व्यक्ति को कहते हैं जो पृथ्वी के वायुमंडल से ऊपर जाकर अंतरिक्ष में प्रवेश करे। वर्तमान काल में यह अधिकतर विश्व की कुछ सरकारों द्वारा चलाए जा रहे अंतरिक्ष शोध कार्यक्रमों के अंतर्गत अंतरिक्ष-यानों में सवार यात्रियों को कहा जाता है, हालाँकि हाल में कुछ निजी कम्पनियाँ भी अंतरिक्ष-यान में पर्यटकों को वायुमंडल से ऊपर ले जाने वाले यानों के विकास में जुटी हुई हैं। .

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खगोलीय रेडियो स्रोत

खगोलीय रेडियो स्रोत (astronomical radio sources) अंतरिक्ष में ऐसी खगोलीय वस्तुएँ होती हैं जिनसे शक्तिशाली रेडियो तरंगें प्रसारित हो रही हों। ऐसी वस्तुओं में न्यूट्रॉन तारे, महानोवा अवशेष और काले छिद्र शामिल हैं, जो ब्रह्माण्ड की सर्वाधिक ऊर्जावान भौतिक प्रक्रियाओं को प्रदर्शित करते हैं। .

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गणित का इतिहास

ब्राह्मी अंक, पहली शताब्दी के आसपास अध्ययन का क्षेत्र जो गणित के इतिहास के रूप में जाना जाता है, प्रारंभिक रूप से गणित में अविष्कारों की उत्पत्ति में एक जांच है और कुछ हद तक, अतीत के अंकन और गणितीय विधियों की एक जांच है। आधुनिक युग और ज्ञान के विश्व स्तरीय प्रसार से पहले, कुछ ही स्थलों में नए गणितीय विकास के लिखित उदाहरण प्रकाश में आये हैं। सबसे प्राचीन उपलब्ध गणितीय ग्रन्थ हैं, प्लिमपटन ३२२ (Plimpton 322)(बेबीलोन का गणित (Babylonian mathematics) सी.१९०० ई.पू.) मास्को गणितीय पेपाइरस (Moscow Mathematical Papyrus)(इजिप्ट का गणित (Egyptian mathematics) सी.१८५० ई.पू.) रहिंद गणितीय पेपाइरस (Rhind Mathematical Papyrus)(इजिप्ट का गणित सी.१६५० ई.पू.) और शुल्बा के सूत्र (Shulba Sutras)(भारतीय गणित सी. ८०० ई.पू.)। ये सभी ग्रन्थ तथाकथित पाईथोगोरस की प्रमेय (Pythagorean theorem) से सम्बंधित हैं, जो मूल अंकगणितीय और ज्यामिति के बाद गणितीय विकास में सबसे प्राचीन और व्यापक प्रतीत होती है। बाद में ग्रीक और हेल्लेनिस्टिक गणित (Greek and Hellenistic mathematics) में इजिप्त और बेबीलोन के गणित का विकास हुआ, जिसने विधियों को परिष्कृत किया (विशेष रूप से प्रमाणों (mathematical rigor) में गणितीय निठरता (proofs) का परिचय) और गणित को विषय के रूप में विस्तृत किया। इसी क्रम में, इस्लामी गणित (Islamic mathematics) ने गणित का विकास और विस्तार किया जो इन प्राचीन सभ्यताओं में ज्ञात थी। फिर गणित पर कई ग्रीक और अरबी ग्रंथों कालैटिन में अनुवाद (translated into Latin) किया गया, जिसके परिणाम स्वरुप मध्यकालीन यूरोप (medieval Europe) में गणित का आगे विकास हुआ। प्राचीन काल से मध्य युग (Middle Ages) के दौरान, गणितीय रचनात्मकता के अचानक उत्पन्न होने के कारण सदियों में ठहराव आ गया। १६ वीं शताब्दी में, इटली में पुनर् जागरण की शुरुआत में, नए गणितीय विकास हुए.

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गिगामीटर

गिगामीटर (गि॰मी॰, gigametre) लम्बाई का एक माप है जो एक अरब मीटर (यानि दस लाख किलोमीटर) के बराबर होता है। इसका प्रयोग अंतरिक्ष में दूरियाँ मापने के लिये होता है, हालांकि प्रकाशवर्ष और खगोलीय इकाई (ख॰इ॰, astronomical units, AU) का प्रयोग इस से अधिक प्रचलित है। .

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गैलीलियन चंद्रमा

गैलीलियन चन्द्रमा (Galilean moons), गैलीलियो गैलीली द्वारा जनवरी 1610 में खोजे गए बृहस्पति के चार चन्द्रमा हैं। वे बृहस्पति के कई चन्द्रमाओं में से सबसे बड़े हैं और वें है: आयो, युरोपा, गेनिमेड और कैलिस्टो। सूर्य और आठ ग्रहों को छोड़कर किसी भी वामन ग्रह से बड़ी त्रिज्या के साथ वें सौरमंडल में सबसे बड़े चंद्रमाओं में से है। तीन भीतरी चांद - गेनीमेड, यूरोपा और आयो एक 1: 2: 4 के कक्षीय अनुनाद में भाग लेते हैं। यह चारों चंद्रमा सन् 1609 और 1610 के बीच किसी समय खोजे गए जब गैलिलियो ने अपनी दूरबीन मे सुधार किया, जिसे उन्हे उन सूदूर आकाशीय पिंडो के प्रेक्षण के योग्य बनाया जिन्हे पहले कभी देखने की संभावना नहीं थी।Galilei, Galileo, Sidereus Nuncius.

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गेक्को ग्रिपर्स

विकसित किये जा रहे गेक्को ग्रिपर्स पर सिंथेटिक बाल हैं जो गेको छिपकलियों के पैरों पर पाए जाने वाले छोटे बाल की तरह हैं। इन सिंथेटिक बालों को स्ताल्क्स भी कहा जाता हैं। ये पच्चर के आकार के हैं और दूसरी तरफ ये मशरूम के टोपी जैसे है। ग्रिप्पिंग पैड हल्के से किसी वस्तु के हिस्से को छू लेती है तो बालों का केवल उपरी भाग किसी वस्तु को छू पाता हैं, ग्रिपर्स की चिपचिपाहट को प्रारंभ या बंद किया जा सकता हैं साथ ही इनकी दिशा भी परिवर्तित की जा सकती हैं। गेक्को ग्रिपर्स की अस्थायी चिपचिपाहट वान डर वाल्स बल के प्रयोग के माध्यम से हासिल की जाती है। इस बल को नोबेल पुरस्कार विजेता भौतिक विज्ञानी योहानेस डिडरिक वान डर वाल्स के नाम पर रखा गया है। जब वान डर वाल्स बल को चिपकने वाला पैड पर लागू किया जाता है, तो सिंथेटिक बाल झुक जाते हैं। इस तरह से बाल और सतह के बीच संपर्क का वास्तविक क्षेत्र बढ़ जाता है, जो अधिक से अधिक आसंजन के लिए संगत हैं। जब बल का प्रभाव समाप्त कर दिया जाता हैं तो बाल पुनः सीधे हो जाते हैं तथा इस प्रक्रिया से चिपचिपाहट बंद हो जाती है। परमाणुओं के नाभिक की परिक्रमा करने वाले इलेक्ट्रॉनों का समान वितरण नहीं होने से हल्का विद्युतीय आवेश उत्पन्न होता हैं जिसके कारण ये अस्थायी चिपकने वाला बल उत्पन्न होता हैं.

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आतपन

उपर वाला चित्र वायुमण्डल के सबसे उपरी भाग का माध्य वार्षिक आतपन दर्शा रहा है। नीचे वाले चित्र में धरती के सतह पर वार्षिक माध्य आतपना दिखाया गया है। आतपन या सूर्यताप (Insolation या solar irradiation) किसी कालावधि में किसी क्षेत्रफल पर पड़ने वाले सौर विकिरण की माप है। विश्व मापन संगठन ने इसे मापने के लिए MJ/m2 (मेगाजूल प्रति वर्ग मीटर) या J/mm2 (जूल प्रति वर्ग मिलीमीटर) संस्तुत किया है। .

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आरएलवी टेक्नोलॉजी डेमोंस्ट्रेशन प्रोग्राम

पुन: प्रयोज्य प्रक्षेपण यान-प्रौद्योगिकी प्रदर्शन कार्यक्रम, रीयूज़ेबल लांच व्हीकल टेक्नोलॉजी डेमोंसट्रेटर प्रोग्राम, या RLV-TD, भारत का प्रौद्योगिकी प्रदर्शन मिशन है जो टू स्टेज टू ऑर्बिट (TSTO) को समझने व पुन: प्रयोज्य प्रक्षेपण वाहन की दिशा में पहले कदम के रूप में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा नियोजित प्रौद्योगिकी प्रदर्शन (टेक्नोलॉजी डीमॉन्सट्रेशन) की एक श्रृंखला है। इस प्रयोजन के लिए, एक पंख युक्त पुन: प्रयोज्य प्रक्षेपण यान प्रौद्योगिकी प्रदर्शक (RLV-TD) बनाया गया। RLV-TD संचालित क्रूज उड़ान, हाइपरसॉनिक उड़ान, और स्वायत्त (ऑटोनॉमस) लैंडिंग, वायु श्वसन प्रणोदन (एयर ब्रीदिंग प्रपलशन) जैसे विभिन्न प्रौद्योगिकियों का मूल्यांकन करने के रूप में कार्य करेगा। इन प्रौद्योगिकियों के प्रयोग से लांच लागत में काफी कमी आएगी। वर्तमान में ऐसे स्पेस शटल बनाने वाले देशों में सिर्फ़ अमेरिका, रूस, फ्रांस और जापान हैं। चीन ने इस प्रकार का कोई प्रयास नहीं किया है। .

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आरोही ताख का रेखांश

आरोही ताख का रेखांश (longitude of the ascending node), जो ☊ या Ω द्वारा चिन्हित करा जाता है, अंतरिक्ष में किसी वस्तु की कक्षा समझने के लिये प्रयोग होने वाली कक्षीय राशियों में से एक है। यह किसी काल्पनिक सन्दर्भ समतल में सन्दर्भ दिशा से आरोही ताख के बीच बना कोण (ऐंगल) होता है। "आरोही ताख" (ascending node) वह बिन्दु है जहाँ वस्तु की कक्षा सन्दर्भ समतल को भेदकर निकलती है। .

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इरीना सोलोव्योवा

इरीना सोलोव्योवा एक सेवानिवृत्त सोवियत अंतरिक्ष यात्री है जो महिला समूह में चुनी गई पांच महिलाओं में से एक थी। उन्होंने कभी भी अंतरिक्ष में उड़ान नहीं भरी परन्तु वह जून १९६३ में वोस्तोक 6 के माध्यम से अंतरिक्ष में पहली महिला वेलेंटीना तेरेशकोवा को बैकअप के रूप में चुनी गई थी। उन्हें वोसॉद 5 पर उड़ान भरने के लिए भी चुना गया था, जिसमें वह अंतरिक्ष में जाने वाली पहली महिला बन गई होती परन्तु १९८४ में स्वेतलाना सवेत्कायाया द्वारा वोसॉद की उड़ान भरी गई। और वोसॉद कार्यक्रम को सोयुज कार्यक्रम के पक्ष में वोखॉद 2 के बाद रद्द कर दिया गया था जिसके कारण इरीना सोलोव्योवा की अंतरिक्ष में जाने की उड़ान भी रद्द हो गई। अंतरिक्ष यात्री के रूप में भर्ती होने से पहले, सोलोव्योवा सोवियत राष्ट्रीय पैराशूटिस्ट के एक विश्व चैंपियन सदस्य थी। उन्हें सशस्त्र सेनाओं में मातृभूमि के लिए बेलारूसी क्रम सेवा से सम्मानित भी किया गया था। .

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इलेक्ट्रॉनिक युद्ध

फ्रांसीसी जलसेना का इलेक्ट्रॉनिक युद्धपोत इलेक्ट्रॉनिक युद्ध (Electronic warfare (EW)) से तात्पर्य ऐसी कार्यवाही से है जिसमें विद्युत्चुम्बकीय स्पेक्ट्रम का उपयोग किया गया हो। इलेक्ट्रॉनिक युद्ध के अन्तर्गत दिष्ट ऊर्जा के द्वारा स्पेक्ट्रम का नियंत्रण, शत्रु पर आक्रमण करना, या स्पेक्ट्रम के माध्यम से किसी आक्रमण का प्रतिरोधित करना भी शामिल है। इलेक्ट्रॉनिक युद्ध का उद्देश्य विरोधी को विद्युतचुम्बकीय स्पेक्ट्रम के आसानी से उपयोग करने एवं उसके लाभों से वंचित रखना है। यह युद्ध हवा से, समुद्र से, थल से, या अंतरिक्ष से लड़ा जा सकता है। इसका लक्ष्य मानव, संचार व्यवस्था, राडार आदि होते हैं। श्रेणी:युद्ध.

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क़ुरआन

'''क़ुरान''' का आवरण पृष्ठ क़ुरआन, क़ुरान या कोरआन (अरबी: القرآن, अल-क़ुर्'आन) इस्लाम की पवित्रतम किताब है और इसकी नींव है। मुसलमान मानते हैं कि इसे अल्लाह ने फ़रिश्ते जिब्रील द्वारा हज़रत मुहम्मद को सुनाया था। मुसलमान मानते हैं कि क़ुरआन ही अल्लाह की भेजी अन्तिम और सर्वोच्च किताब है। यह ग्रन्थ लगभग 1400 साल पहले अवतरण हुई है। इस्लाम की मान्यताओं के मुताबिक़ क़ुरआन अल्लाह के फ़रिश्ते जिब्रील (दूत) द्वारा हज़रत मुहम्मद को सन् 610 से सन् 632 में उनकी मौत तक ख़ुलासा किया गया था। हालांकि आरंभ में इसका प्रसार मौखिक रूप से हुआ पर पैग़म्बर मुहम्मद की मौत के बाद सन् 633 में इसे पहली बार लिखा गया था और सन् 653 में इसे मानकीकृत कर इसकी प्रतियाँ इस्लामी साम्राज्य में वितरित की गईं थी। मुसलमानों का मानना है कि ईश्वर द्वारा भेजे गए पवित्र संदेशों के सबसे आख़िरी संदेश क़ुरआन में लिखे गए हैं। इन संदेशों की शुरुआत आदम से हुई थी। हज़रत आदम इस्लामी (और यहूदी तथा ईसाई) मान्यताओं में सबसे पहला नबी (पैग़म्बर या पयम्बर) था और इसकी तुलना हिन्दू धर्म के मनु से एक हद तक की जा सकती है। जिस तरह से हिन्दू धर्म में मनु की संतानों को मानव कहा गया है वैसे ही इस्लाम में आदम की संतानों को आदमी कहा जाता है। तौहीद, धार्मिक आदेश, जन्नत, जहन्नम, सब्र, धर्म परायणता (तक्वा) के विषय ऐसे हैं जो बारम्बार दोहराए गए। क़ुरआन ने अपने समय में एक सीधे साधे, नेक व्यापारी इंसान को, जो अपने ‎परिवार में एक भरपूर जीवन गुज़ार रहा था। विश्व की दो महान शक्तियों ‎‎(रोमन तथा ईरानी) के समक्ष खड़ा कर दिया। केवल यही नहीं ‎उसने रेगिस्तान के अनपढ़ लोगों को ऐसा सभ्य बना दिया कि पूरे विश्व पर ‎इस सभ्यता की छाप से सैकड़ों वर्षों बाद भी इसके निशान पक्के मिलते हैं। ‎क़ुरआन ने युध्द, शांति, राज्य संचालन इबादत, परिवार के वे आदर्श प्रस्तुत ‎किए जिसका मानव समाज में आज प्रभाव है। मुसलमानों के अनुसार कुरआन में दिए गए ज्ञान से ये साबित होता है कि हज़रत मुहम्मद एक नबी है | .

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कार्बन डाईऑक्साइड

कार्बन डाइआक्साइड (Carbon dioxide) (रासायनिक सूत्र CO2) एक रंगहीन तथा गन्धहीन गैस है जो पृथ्वी पर जीवन के लिये अत्यावश्यक है। धरती पर यह प्राकृतिक रूप से पायी जाती है। धरती के वायुमण्डल में यह गैस आयतन के हिसाब से लगभग 0.03 प्रतिशत होती है। कार्बन डाईऑक्साइड कार्बन डाइआक्साइड का निर्माण आक्सीजन के दो परमाणु तथा कार्बन के एक परमाणु से मिलकर हुआ है। सामान्य तापमान तथा दबाव पर यह गैसीय अवस्था में रहती है। वायुमंडल में यह गैस 0.03% 0.04% तक पाई जाती है, परन्तु मौसम में परिवर्तन के साथ वायु में इसकी सान्द्रता भी थोड़ी परिवर्तित होती रहती है। यह एक ग्रीनहाउस गैस है, क्योंकि सूर्य से आने वाली किरणों को तो यह पृथ्वी के धरातल पर पहुंचने देती है परन्तु पृथ्वी की गर्मी जब वापस अंतरिक्ष में जाना चाहती है तो यह उसे रोकती है। पृथ्वी के सभी सजीव अपनी श्वसन की क्रिया में कार्बन डाइआक्साइड का त्याग करते है। जबकि हरे पेड़-पौधे प्रकाश संश्लेषण की क्रिया करते समय इस गैस को ग्रहण करके कार्बोहाइड्रेट का निर्माण करते हैं। इस प्रकार कार्बन डाइआक्साइड कार्बन चक्र का प्रमुख अवयव है। कार्बन के रासायनिक यौगिकों को कार्बनिक यौगिक कहते हैं। प्रकृति में इनकी संख्या 10 लाख से भी अधिक है। जीवन पद्धति में कार्बनिक यौगिकों की बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका है। इनमें कार्बन के साथ-साथ हाइड्रोजन भी रहता है। ऐतिहासिक तथा परंपरा गत कारणों से कुछ कार्बन के यौगकों को कार्बनिक यौगिकों की श्रेणी में नहीं रखा जाता है। इनमें कार्बनडाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड प्रमुख हैं। सभी जैव अणु जैसे कार्बोहाइड्रेट, अमीनो अम्ल, प्रोटीन, आरएनए तथा डीएनए कार्बनिक यौगिक ही हैं। कार्बन और हाइड्रोजन के यौगिको को हाइड्रोकार्बन कहते हैं। मेथेन (CH4) सबसे छोटे अणुसूत्र का हाइड्रोकार्बन है। ईथेन (C2H6), प्रोपेन (C3H8) आदि इसके बाद आते हैं, जिनमें क्रमश: एक एक कार्बन जुड़ता जाता है। हाइड्रोकार्बन तीन श्रेणियों में विभाजित किए जा सकते हैं: ईथेन श्रेणी, एथिलीन श्रेणी और ऐसीटिलीन श्रेणी। ईथेन श्रेणी के हाइड्रोकार्बन संतृप्त हैं, अर्थात्‌ इनमें हाइड्रोजन की मात्रा और बढ़ाई नहीं जा सकती। एथिलीन में दो कार्बनों के बीच में एक द्विबंध (.

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क्रम-विकास

आनुवांशिकता का आधार डीएनए, जिसमें परिवर्तन होने पर नई जातियाँ उत्पन्न होती हैं। क्रम-विकास या इवोलुशन (English: Evolution) जैविक आबादी के आनुवंशिक लक्षणों के पीढ़ी दर पीढ़ी परिवर्तन को कहते हैं। क्रम-विकास की प्रक्रियायों के फलस्वरूप जैविक संगठन के हर स्तर (जाति, सजीव या कोशिका) पर विविधता बढ़ती है। पृथ्वी के सभी जीवों का एक साझा पूर्वज है, जो ३.५–३.८ अरब वर्ष पूर्व रहता था। इसे अंतिम सार्वजानिक पूर्वज कहते हैं। जीवन के क्रम-विकासिक इतिहास में बार-बार नयी जातियों का बनना (प्रजातिकरण), जातियों के अंतर्गत परिवर्तन (अनागेनेसिस), और जातियों का विलुप्त होना (विलुप्ति) साझे रूपात्मक और जैव रासायनिक लक्षणों (जिसमें डीएनए भी शामिल है) से साबित होता है। जिन जातियों का हाल ही में कोई साझा पूर्वज था, उन जातियों में ये साझे लक्षण ज्यादा समान हैं। मौजूदा जातियों और जीवाश्मों के इन लक्षणों के बीच क्रम-विकासिक रिश्ते (वर्गानुवंशिकी) देख कर हम जीवन का वंश वृक्ष बना सकते हैं। सबसे पुराने बने जीवाश्म जैविक प्रक्रियाओं से बने ग्रेफाइट के हैं, उसके बाद बने जीवाश्म सूक्ष्मजीवी चटाई के हैं, जबकि बहुकोशिकीय जीवों के जीवाश्म बहुत ताजा हैं। इस से हमें पता चलता है कि जीवन सरल से जटिल की तरफ विकसित हुआ है। आज की जैव विविधता को प्रजातिकरण और विलुप्ति, दोनों द्वारा आकार दिया गया है। पृथ्वी पर रही ९९ प्रतिशत से अधिक जातियाँ विलुप्त हो चुकी हैं। पृथ्वी पर जातियों की संख्या १ से १.४ करोड़ अनुमानित है। इन में से १२ लाख प्रलेखित हैं। १९ वीं सदी के मध्य में चार्ल्स डार्विन ने प्राकृतिक वरण द्वारा क्रम-विकास का वैज्ञानिक सिद्धांत दिया। उन्होंने इसे अपनी किताब जीवजाति का उद्भव (१८५९) में प्रकाशित किया। प्राकृतिक चयन द्वारा क्रम-विकास की प्रक्रिया को निम्नलिखित अवलोकनों से साबित किया जा सकता है: १) जितनी संतानें संभवतः जीवित रह सकती हैं, उस से अधिक पैदा होती हैं, २) आबादी में रूपात्मक, शारीरिक और व्यवहारिक लक्षणों में विविधता होती है, ३) अलग-अलग लक्षण उत्तर-जीवन और प्रजनन की अलग-अलग संभावना प्रदान करते हैं, और ४) लक्षण एक पीढ़ी से अगली पीढ़ी को दिए जाते हैं। इस प्रकार, पीढ़ी दर पीढ़ी आबादी उन शख़्सों की संतानों द्वारा प्रतिस्थापित हो जाती है जो उस बाईओफीसिकल परिवेश (जिसमें प्राकृतिक चयन हुआ था) के बेहतर अनुकूलित हों। प्राकृतिक वरण की प्रक्रिया इस आभासी उद्देश्यपूर्णता से उन लक्षणों को बनती और बरकरार रखती है जो अपनी कार्यात्मक भूमिका के अनुकूल हों। अनुकूलन का प्राकृतिक वरण ही एक ज्ञात कारण है, लेकिन क्रम-विकास के और भी ज्ञात कारण हैं। माइक्रो-क्रम-विकास के अन्य गैर-अनुकूली कारण उत्परिवर्तन और जैनेटिक ड्रिफ्ट हैं। .

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कृष्णास्वामी कस्तूरीरंगन

कृष्णास्वामी कस्तूरीरंगन राज्यसभा के सांसद एवं प्रसिद्ध भारतीय अंतरिक्ष वैज्ञानिक हैं। इन्हें भारत सरकार ने १९९२ में विज्ञान के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए पद्म भूषण से सम्मानित किया था। ये कर्नाटक से हैं एवं वर्तमान में भारतीय योजना आयोग के सदस्य के रूप में अपनी सेवाएँ दे रहे हैं। .

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कैथरीन रयान कॉर्डेल थॉर्नटन

कैथरीन रयान कॉर्डेल थॉर्नटन अमरीकी वैज्ञानिक और अंतरिक्ष यात्री है जिनका जन्म १७ अगस्त १९५२ को मोंटगोमेरी, अलबामा में हुआ था। उन्होंने अंतरिक्ष में ९७५ घंटो से अधिक समय व्यतीत किया, जिसमें से २१ घंटे से अधिक की अतिव्यक्षीय गतिविधि शामिल थी। कैथिरन थॉर्नटन ने 1 9 70 में सिडनी लोनियर हाई स्कूल (मॉन्टगोमेरी, अलबामा) से अपनी स्कूल की शिक्षा प्राप्त की। बाद में उन्होंने औबर्न विश्वविद्यालय से १९७४ में भौतिकी में बैचलर ऑफ साइंस की डिग्री हासिल की। उसके बाद उन्होंने १९७७ में भौतिकी में मास्टर ऑफ साइंस की डिग्री प्राप्त की और १९७९ में पीएच.डी.

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कॅथ्रीन डॉयर सुलिवन

कॅथ्रीन डॉयर सुलिवन का जन्म ३ अक्टूबर १९५१ को हुआ था। वह अमेरिकन भूविज्ञानी और NASA की अंतरिक्ष यात्री थी। उनका जन्म न्यू जर्सी के पैटरसन शहर में हुआ था। उन्होंने १९६९ में अपनी ग्रेजुएशन कैलिफ़ोर्निया के वुडलैंड हिल्स ज़िले के विलियम होवार्ड टाफ्ट हाई स्कूल से प्राप्त की। १९७३ में कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय से उन्हें पृथ्वी विज्ञान में विज्ञान स्नातक की डिग्री से सम्मानित किया गया। और १९७८ में भूविज्ञान में उन्होंने पीएच.डी हासिल की डलहौजी विश्वविद्यालय से। जब वह डलहौजी में थी तब उन्होंने कई समुद्र विज्ञान अभियानों में भाग लिया, अटलांटिक और प्रशांत महासागरों की गहराई का भी अधयन्न किया। १९८८ में सुलिवन एक समुद्र विज्ञान अधिकारी के रूप में अमेरिकी नौसेना रिजर्व में शामिल हुई और २००६ में कप्तान के रूप में रिटायर हुई। उन्होंने राष्ट्रीय समुद्रीय और वायुमंडलीय प्रशासन के लिए मुख्य वैज्ञानिक के रूप में कार्य किया। और नासा से पहले, सुलिवन ने एक समुद्र विज्ञानी के रूप में अलास्का में काम किया। ११ अक्टूबर १९८४ में, सुलिवन ने पहली बार अंतरिक्ष यान के बाहर पृथ्वी के वायुमंडल से परे गतिविधि की अपने अंतरिक्ष शटल चुनौती के दौरान जो की प्रशंसनीय थी। सुलिवान और मिशन विशेषज्ञ डेविड लीस्त्मा ने ३.५ घंटे की अंतरिक्ष सैर की जिसमे उन्होंने एक डिजाइन संचालित किया जो की यह पर्दर्शित करता था की उपग्रह कक्ष में ईंधन भरा जा सकता है। उनके आठ दिन के मिशन के दौरान चालक दल ने पृथ्वी विकिरण बजट सैटेलाइट तैनात की जिसमे उन्होंने पृथ्वी की वैज्ञानिक अवलोकन OSTA-3 पल्लेट के साथ आयोजित किया।अप्रैल १९९० में सुलिवन ने STS-31 पर चालक दल के रूप में कार्य किया जो की २४ अप्रैल, १९९० को कैनेडी स्पेस सेंटर, फ्लोरिडा से निकला था। अपने पांच दिवसीय मिशन के दौरान अंतरिक्ष शटल डिस्कवरी पर सवार चालक दल के सदस्यों ने हबल स्पेस टेलीस्कोप तैनात की और भारहीनता के प्रभाव और चुंबकीय क्षेत्र का आयोजन चाप भी देखा। उन्होंने बहुत से कैमरों को,कार्गो खाड़ी कैमरों आइमैक्स ३८० मील की दूरी के अपने रिकॉर्ड की स्थापना की ऊंचाई से पृथ्वी की टिप्पणियों की स्थापना की। उन्होंने पृथ्वी के ७६ ग्र्हस्थल १२१ घंटो में पूरे किये और २९ अप्रैल १९९० को एडवर्ड्स एयर फोर्स बेस, कैलिफोर्निया को उतरा। डॉ सुलिवन ने STS-45 के मिशन में पेलोड के कमांडर के रूप में सेवा की जो की पहला स्पेसलैब मिशन था जो की ग्रह पृथ्वी के लिए नासा के मिशन को समर्पित किया गया था। कॅथ्रीन डॉयर सुलिवन ने १९९३ में NASA को छोड़ने से पहले उन्होंने तीन अंतरिक्ष शटल मिशन पर उड़ान भरी और अंतरिक्ष में ५३२ घंटे लॉग इन किया। .

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कोन्ड्रूल

एक 'ग्रासलैन्ड' नामक कोन्ड्राइट उल्का के कटे अंश में कोन्ड्रूलों के गोल आकार कोन्ड्रूल (Chondrule) वह गोल आकार के कण होते हैं जो कोन्ड्राइटों (पत्थरीले उल्काओं) में पाए जाते हैं। यह अंतरिक्ष में पिघली या आधी-पिघली हुई बूंदो के जुड़ने से बनते हैं और फिर इनके जमावड़े से क्षुद्रग्रह बनते हैं। यह कोन्ड्रूल हमारे सौर मंडल की सबसे पुरानी निर्माण सामग्री है और इन्हें समझना हमारे सौर मंडल के सृष्टि-क्रम को समझ पाने का एक महत्वपूर्ण भाग माना जाता है। .

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अन्तर्राष्ट्रीय अन्तरिक्ष स्टेशन

अन्तर्राष्ट्रीय अन्तरिक्ष स्टेशन या केन्द्र (संक्षेप में आईएसएस, अंग्रेज़ी: International Space Station इंटर्नॅशनल् स्पेस् स्टेशन्, ISS) बाहरी अन्तरिक्ष में अनुसंधान सुविधा या शोध स्थल है जिसे पृथ्वी की निकटवर्ती कक्षा में स्थापित किया है। इस परियोजना का आरंभ १९९८ में हुआ था और यह २०११ तक बन कर तैयार होगा। वर्तमान समय तक आईएसएस अब तक बनाया गया सबसे बड़ा मानव निर्मित उपग्रह होगा। आईएसएस कार्यक्रम विश्व की कई स्पेस एजेंसियों का संयुक्त उपक्रम है। इसे बनाने में संयुक्त राज्य की नासा के साथ रूस की रशियन फेडरल स्पेस एजेंसी (आरकेए), जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (जेएएक्सए), कनाडा की कनेडियन स्पेस एजेंसी (सीएसए) और यूरोपीय देशों की संयुक्त यूरोपीयन स्पेस एजेंसी (ईएसए) काम कर रही हैं। इनके अतिरिक्त ब्राजीलियन स्पेस एजेंसी (एईबी) भी कुछ अनुबंधों के साथ नासा के साथ कार्यरत है। इसी तरह इटालियन स्पेस एजेंसी (एएसआई) भी कुछ अलग अनुबंधों के साथ कार्यरत है। पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित होने के बाद आईएसएस को नंगी आंखों से देखा जा सकेगा। यह पृथ्वी से करीब ३५० किलोमीटर ऊपर औसतन २७,७२४ किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से परिक्रमा करेगा और प्रतिदिन १५.७ चक्कर पूरे करेगा। पिछले आईएसएस में, जिसे नवंबर २००० में कक्षा में स्थापित किया गया था, के बाद से उसमें लगातार मानवीय उपस्थिति बनी हुई है। वर्तमान समय में इसमें तीन व्यक्तियों का स्थान है। भविष्य में इसमें छह व्यक्तियों के रहने लायक जगह बनेगी। अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन अंतरिक्ष में स्थित एक वेधशाला के तौर पर कार्य करता है। अन्य अंतरिक्ष यानों के मुकाबले इसके कई फायदे हैं जिसमें इसमें रहने वाले एस्ट्रोनॉट्स को अधिक समय तक अंतरिक्ष में रहकर काम करने का मौका मिलता है। चित्र:ISS after STS-116 in December 2006.jpg|अन्तरराष्ट्रीय अन्तरिक्ष स्टेशन खींचने अन्तरिक्ष यान डिस्कवरी से, 19 दिसम्बर, 2006 पर File:ISS_on_20_August_2001.jpg|२००१ में आई। एस.एस File:MLM_-_ISS_module.jpg|बहु-उद्देशीय मॉड्यूल File:Good Morning From the International Space Station.jpg|अन्तर्राष्ट्रीय अन्तरिक्ष स्टेशन से अमरीका पर चन्द्रोदय का दृश्य। .

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अजीवात् जीवोत्पत्ति

अजीवात् जीवोत्पत्ति सरल कार्बनिक यौगिक जैसे अजीवात् पदार्थों से जीवन की उत्पत्ति की प्राकृतिक प्रक्रिया को कहते हैं। जीवोत्पत्ति पृथ्वी पर अनुमानित ३.८ से ४ अरब वर्ष पूर्व हुई थी। इसका अध्ययन प्रयोगशाला में किए गए कुछ प्रयोगों के द्वारा, और आज के जीवों के जेनेटिक पदार्थों से जीवन पूर्व पृथ्वी पर हुए उन रासायनिक अभिक्रियाओं का अनुमान लगा कर किया गया है जिनसे संभवतः जीवन की उत्पत्ति हुई है। जीवोत्पत्ति के अध्ययन के लिए मुख्यतः तीन तरह की परिस्थितियों का ध्यान रखना पड़ता है: भूभौतिकी, रासायनिक और जीवविज्ञानी। बहुत अध्ययन यह अनुसंधान करते हैं कि अपनी प्रतिलिपि बनाने वाले अणु कैसे उत्पन्न हुए। यह स्वीकृत है कि आज के सभी जीव आर एन ए अणुओं के वंशज हैं.

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अवतार (२००९ फ़िल्म)

अवतार (Avatar) २००९ में बनी अमेरिकी काल्पनिक विज्ञान पर आधारित फ़िल्म है जिसका लेखन व निर्देशन जेम्स कैमरून द्वारा किया गया है और इसमें सैम वर्थिंगटन, ज़ोई साल्डाना, स्टीफन लैंग, मिशेल रोड्रिग्स जोएल डेविड मूर, जिओवानी रिबिसी व सिगौरनी व्हिवर मुख्य भूमिकाओं में है। फ़िल्म २२वि सदी में रची गई है जब मानव एक बेहद महत्वपूर्ण खनिज अनओब्टेनियम को पैंडोरा पर खोद रहे होते है जो एक एक बड़े गैस वाले गृह का रहने लायक चन्द्रमा है जो अल्फ़ा सेंटारी अंतरिक्षगंगा में स्थित है। इस खनन कॉलोनी का बढ़ना पैंडोरा की प्रजातियों व कबीलो के लिए खतरा बन जाता है। पैंडोरा की प्रजाति नाह्वी, जो मानवों के सामान प्रजाति है इसका विरोध करती है। फ़िल्म का शीर्षक जेनेटिक्स अभियांत्रिकी द्वारा निर्मित नाह्वी शरीरों से जुड़ा है जिन्हें मानव अपने मस्तिक्ष से नियंत्रित कर सकते है ताकि पैंडोरा के निवासियों से संवाद साध सके। अवतार का विकास कार्य १९९४ में शुरू हुआ जब कैमरून ने ८० पन्नों की कहानी फ़िल्म के लिए लिखी। इसका चित्रीकरण कैमरून की १९९७ की फ़िल्म टाइटैनिक के पूर्ण होने पर शुरू होना था व १९९९ में रिलीज़ किया जाना था परन्तु कैमरून के अनुसार उस वक्त उनकी कल्पना को चित्रित करने के लायक तकनीक उपलब्ध नहीं थी। अवतार में नाह्वी की भाषा पर कार्य २००५ की गर्मियों में शुरू हुआ और कैमरून ने कथानक का व एक काल्पनिक ब्रह्मांड का विकास २००६ की शुरुआत में शुरू किया। फ़िल्म का अधिकृत बजट $२३७ मिलियन था। बाकी कार्य मिलकर इसकी लागत $२८० मिलियन से $३१० मिलियन निर्माण व $१५० मिलियन प्रचार के लिए लग गई। फ़िल्म का चित्रीकरण बेहद नई व उत्तीर्ण मोशन कैप्चर तकनीक का उपयोग करके किया गया व इसे आम प्रिंट के साथ ३डी में भी रिलीज़ किया गया। साथ ही इसका ४डी प्रिंट दक्षिण कोरिया के कुछ सिनेमाघरों में रिलीज़ किया गया। अवतार का प्रिमियर लंदन में १० दिसम्बर २००९ को हुआ व इसे १६ दिसम्बर को विश्वभर में और १८ दिसम्बर को अमेरिका व कनाडा में बेहद सकारात्मक समीक्षाओं के साथ रिलीज़ किया गया। यह एक बेहद बड़ी व्यापारिक सफलता साबित हुई। फ़िल्म ने रिलीज़ के पश्च्यात कई बॉक्स ऑफिस रिकॉर्ड्स तोड़ दिए और उत्तरी अमेरिका व विश्वभर की अबतक की सर्वाधिक कमाई वाली फ़िल्म बन गई जिसने टाइटैनिक का रिकॉर्ड तोड़ दिया जो उस फ़िल्म ने पिछली बारह वर्षों तक पकडे रखा था। यह पहली फ़िल्म है जिसने $2 बिलियन का आंकड़ा पर किया है। अवतार को नौ एकेडेमी पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया जिनमे सर्वश्रेष्ठ पिक्चर और सर्वश्रेष्ठ निर्देशक शामिल है व इसने तिन श्रेणियों में जित हासिल की जिनमे सर्वश्रेष्ठ सिनेमेटोग्राफी, सर्वश्रेष्ठ विज़्वल इफेक्ट्स और सर्वश्रेष्ठ कला निर्देशन शामिल है। फ़िल्म की मिडिया पर रिलीज़ ने कई बिक्री के रिकॉर्ड तोड़ दिए व सर्वाधिक बिक्री बाली ब्लू-रे बन गई। फ़िल्म की सफलता के बाद कैमरून ने 20यथ सेंचुरी फॉक्स के साथ इस श्रेणि के चार भाग बनाने का समझौता कर लिया। .

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अंतरिक्ष पर्यटक

आधुनिक तकनीको के बल पर स्पेस शटल के द्वारा अंतरिक्ष में मनोरंजन के उद्देश्य से जाने वाले पर्यटक अंतरिक्ष पर्यटक कहलाते हैं। अंतरिक्ष पर्यटक .

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अंतरिक्ष शटल

अंतरिक्ष शटल संयुक्त राज्य अमरीका में नासा द्वारा मानव सहित या रहित उपग्रह यातायात प्रणाली को कहा जाता है। यह शटल पुन: प्रयोगनीय यान होता है और इसमें कंप्यूटर डाटा एकत्र करने और संचार के तमाम यंत्र लगे होते हैं।|हिन्दुस्तान लाइव|२७ दिसम्बर २००९ इसमें सवार होकर ही वैज्ञानिक अंतरिक्ष में पहुंचते हैं। अंतरिक्ष यात्रियों के खाने-पीने और यहां तक कि मनोरंजन के साजो-सामान और व्यायाम के उपकरण भी लगे होते हैं। अंतरिक्ष शटल को स्पेस क्राफ्ट भी कहा जाता है, किन्तु ये अंतरिक्ष यान से भिन्न होते हैं। इसे एक रॉकेट के साथ जोड़कर अंतरिक्ष में भेजा जाता है, लेकिन प्रायः यह सामान्य विमानों की तरह धरती पर लौट आता है। इसे अंतरिक्ष कार्यक्रमों के लिए कई बार प्रयोग किया जा सकता है, तभी ये पुनःप्रयोगनीय होता है। इसे ले जाने वाले रॉकेट ही अंतरिक्ष यान होते हैं। आरंभिक एयरक्राफ्ट एक बार ही प्रयोग हो पाया करते थे। शटल के ऊपर एक विशेष प्रकार की तापरोधी चादर होती है। यह चादर पृथ्वी की कक्षा में उसे घर्षण से पैदा होने वाली ऊष्मा से बचाती है। इसलिए इस चादर को बचाकर रखा जाता है। यदि यह चादर न हो या किसी कारणवश टूट जाए, तो पूरा यान मिनटों में जलकर खाक हो जाता है। चंद्रमा पर कदम रखने वाले अभियान के अलावा, ग्रहों की जानकारी एकत्र करने के लिए जितने भी स्पेसक्राफ्ट भेजे जाते है, वे रोबोट क्राफ्ट होते है। कंप्यूटर और रोबोट के द्वारा धरती से इनका स्वचालित संचालन होता है। चूंकि इन्हें धरती पर वापस लाना कठिन होता है, इसलिए इनका संचालन स्वचालित रखा जाता है। चंद्रमा के अलावा अभी तक अन्य ग्रहों पर भेजे गये शटल इतने लंबे अंतराल के लिये जाते हैं, कि उनके वापस आने की संभावना बहुत कम या नहीं होती है। इस श्रेणी का शटल वॉयेजर १ एवं वॉयेजर २ रहे हैं। स्पेस शटल डिस्कवरी कई वैज्ञानिकों के साथ अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन की मरम्मत करने और अध्ययन के लिए अंतरिक्ष में गया था। .

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अंतरिक्ष विज्ञान

गैलेक्सी के एक भाग को प्रदर्शित करता हुआ एक तस्वीर अंतरिक्ष विज्ञान एक व्यापक शब्द है जो ब्रह्मांड के अध्ययन से जुड़े विभिन्न विज्ञान क्षेत्रों का वर्णन करता है तथा सामान्य तौर पर इसका अर्थ "पृथ्वी के अतिरिक्त" तथा "पृथ्वी के वातावरण से बाहर" भी है। मूलतः, इन सभी क्षेत्रों को खगोल विज्ञान का हिस्सा माना गया था। हालांकि, हाल के वर्षों में खगोल के कुछ क्षेत्रों, जैसे कि खगोल भौतिकी, का इतना विस्तार हुआ है कि अब इन्हें अपनी तरह का एक अलग क्षेत्र माना जाता है। कुल मिला कर आठ श्रेणियाँ हैं, जिनका वर्णन अलग से किया जा सकता है; खगोल भौतिकी, गैलेक्सी विज्ञान, तारकीय विज्ञान, पृथ्वी से असंबंधित ग्रह विज्ञान, अन्य ग्रहों का जीव विज्ञान, एस्ट्रोनॉटिक्स/ अंतरिक्ष यात्रा, अंतरिक्ष औपनिवेशीकरण और अंतरिक्ष रक्षा.

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अंतरिक्ष ओपेरा

अंतरिक्ष ओपेरा उपन्यास का बाहरी पन्ना जिसमें इस शैली के कुछ क्लीशे तत्व दर्शाए गए हैं अंतरिक्ष ओपेरा या स्पेस ओपेरा (space opera) विज्ञान कथा (साइंस फ़िक्शन) की एक उपशैली है जसमें पृथ्वी से बाहर अन्य ग्रहों में या खुले अंतरिक्ष में में रोमांचकारी घटनाएँ होती हैं और अक्सर कहानी में प्रेमकथा के तत्व भी मिश्रित होते हैं। इसमें अक्सर दो ऐसे प्रतिद्वंदियों के बीच की लड़ाई भी दर्शाई जाती है जिनके पास एक काल्पनिक सुदूर भविष्य की वैज्ञानिक उपलब्धियाँ और हथियार होते हैं। छह फ़िल्मों वाली प्रसिद्ध स्टार वॉर्स शृंखला अंतरिक्ष ओपेरा का एक अच्छा उदाहरण है।, Kathleen Kuiper, pp., The Rosen Publishing Group, 2011, ISBN 978-1-61530-494-3,...

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अंतरिक्ष उड़ान

अंतरिक्ष उड़ान (space flight) अंतरिक्ष में गुज़रने वाली प्रक्षेपिक उड़ान होती है। अंतरिक्ष उड़ान में अंतरिक्ष यानों का प्रयोग होता है, जो मानव-सहित या मानव-रहित हो सकते हैं। मानवीय अंतरिक्ष उड़ान में अमेरिकी द्वारा करी गई अपोलो चंद्र यात्रा कार्यक्रम और सोवियत संघ (और उसके अंत के बाद रूस) द्वारा संचालित सोयूज़ कार्यक्रम शामिल हैं। मानव-रहित अंतरिक्ष उड़ान में पृथ्वी की कक्षा में परिक्रमा करते सैंकड़ो उपग्रह तथा पृथ्वी की कक्षा छोड़कर अन्य ग्रहों, क्षुद्रग्रहों व उपग्रहों की ओर जाने वाले भारत के मंगलयान जैसे अंतरिक्ष शोध यान शामिल हैं। .

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अंतिम गति

श्रेणी:गतिविज्ञान श्रेणी:भौतिकी श्रेणी:चित्र जोड़ें.

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१ फ़रवरी

1 फरवरी ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 32वां दिन है। साल मे अभी और 333 दिन बाकी है (लीप वर्ष मे 334)। .

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१९४६

1946 ग्रेगोरी कैलंडर का एक साधारण वर्ष है। .

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२४ अक्टूबर

24 अक्टूबर ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का 297वॉ (लीप वर्ष मे 298 वॉ) दिन है। साल मे अभी और 68 दिन बाकी है।.

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