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स्थाई अवस्था

सूची स्थाई अवस्था

जब किसी भौतिक निकाय (physical system) की विशिष्टताएँ, समय के साथ बदल न रहीं हों तो कहा जाता है कि वह निकाय स्थायी अवस्था (steady state) में है। उदाहरण के लिये लोहे की एक प्लेट को किसी भट्टी में गरम करने के बाद पानी के एक बड़े टब में डाल दिया जाय तो थोडी देर बाद इस प्लेट का तापमान पानी के तापमान पर आकर स्थिर हो जाता है। इस अवस्था को 'स्थिर अवस्था' या 'स्थिर दशा' कहेंगे। गणितीय रूप में इसे यों कह सकते हैं- जहाँ p उस तंत्र का प्रमुख चर है। उदाहरन के लिये, रासायनिक इंजीनियरी में यह चर ताप, दाब, अभिकारकों की सान्द्रता आदि हो सकता है। .

सामग्री की तालिका

  1. 6 संबंधों: तापमान, दाब, रासायनिक इंजीनियरी, समय, सान्द्रता, क्षणिक अनुक्रिया

  2. तन्त्र सिद्धान्त

तापमान

आदर्श गैस के तापमान का सैद्धान्तिक आधार अणुगति सिद्धान्त से मिलता है। तापमान किसी वस्तु की उष्णता की माप है। अर्थात्, तापमान से यह पता चलता है कि कोई वस्तु ठंढी है या गर्म। उदाहरणार्थ, यदि किसी एक वस्तु का तापमान 20 डिग्री है और एक दूसरी वस्तु का 40 डिग्री, तो यह कहा जा सकता है कि दूसरी वस्तु प्रथम वस्तु की अपेक्षा गर्म है। एक अन्य उदाहरण - यदि बंगलौर में, 4 अगस्त 2006 का औसत तापमान 29 डिग्री था और 5 अगस्त का तापमान 32 डिग्री; तो बंगलौर, 5 अगस्त 2006 को, 4 अगस्त 2006 की अपेक्षा अधिक गर्म था। गैसों के अणुगति सिद्धान्त के विकास के आधार पर यह माना जाता है कि किसी वस्तु का ताप उसके सूक्ष्म कणों (इलेक्ट्रॉन, परमाणु तथा अणु) के यादृच्छ गति (रैण्डम मोशन) में निहित औसत गतिज ऊर्जा के समानुपाती होता है। तापमान अत्यन्त महत्वपूर्ण भौतिक राशि है। प्राकृतिक विज्ञान के सभी महत्वपूर्ण क्षेत्रों (भौतिकी, रसायन, चिकित्सा, जीवविज्ञान, भूविज्ञान आदि) में इसका महत्व दृष्टिगोचर होता है। इसके अलावा दैनिक जीवन के सभी पहलुओं पर तापमान का महत्व है। .

देखें स्थाई अवस्था और तापमान

दाब

दाब का मान प्रदर्शित करने के लिये पारा स्तंभ किसी सतह के इकाई क्षेत्रफल पर लगने वाले अभिलम्ब बल को दाब (Pressure) कहते हैं। इसकी इकाई 'न्यूटन प्रति वर्ग मीटर' होती है। दाब की और भी कई प्रचलित इकाइयाँ हैं। p .

देखें स्थाई अवस्था और दाब

रासायनिक इंजीनियरी

प्रक्रम अभियन्ता (Process engineers) संयंत्रों की डिजाइन करते हैं, निर्माण करते हैं और इन्हें चलाते हैं। रासायनिक अभियान्त्रिकी (en:Chemical Engineering) रसायन शास्त्र, भौतिकी, अर्थशास्त्र वगैरह और उनके सिद्धान्तों को औद्योगिक उपयोगों में प्रयुक्त कराने वाला विज्ञान या व्यवसाय है। इसका मुख्य हिस्सा प्रक्रम अभियान्त्रिकी कहलाता है, जिसमें भारी मात्रा में निर्मित रसायनों को औद्योगिक स्तर पर सहज तरीके से बनाने का अध्ययन किया जाता है। लेकिन आज रासायनिक अभियान्त्रिकी सिर्फ़ इसी तक सीमित नहीं है। आज रासायनिक अभियन्ता जैवप्रौद्योगिकी (जेनेटिक्स, ख़मीरीकरण आदि) विषयों पर काम और शोध करते हैं और विमान, अन्तरिक्ष यान, खाद्य पदार्थ, जैवमेडिकल संयन्त्र, सिलिकॉन तकनीकी.

देखें स्थाई अवस्था और रासायनिक इंजीनियरी

समय

समय मापने की प्राचीन (किन्तु मेधापूर्ण) तरीका: '''रेतघड़ी''' समय (time) एक भौतिक राशि है। जब समय बीतता है, तब घटनाएँ घटित होती हैं तथा चलबिंदु स्थानांतरित होते हैं। इसलिए दो लगातार घटनाओं के होने अथवा किसी गतिशील बिंदु के एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक जाने के अंतराल (प्रतीक्षानुभूति) को समय कहते हैं। समय नापने के यंत्र को घड़ी अथवा घटीयंत्र कहते हैं। इस प्रकार हम यह भी कह सकते हैं कि समय वह भौतिक तत्व है जिसे घटीयंत्र से नापा जाता है। सापेक्षवाद के अनुसार समय दिग्देश (स्पेस) के सापेक्ष है। अत: इस लेख में समयमापन पृथ्वी की सूर्य के सापेक्ष गति से उत्पन्न दिग्देश के सापेक्ष समय से लिया जाएगा। समय को नापने के लिए सुलभ घटीयंत्र पृथ्वी ही है, जो अपने अक्ष तथा कक्ष में घूमकर हमें समय का बोध कराती है; किंतु पृथ्वी की गति हमें दृश्य नहीं है। पृथ्वी की गति के सापेक्ष हमें सूर्य की दो प्रकार की गतियाँ दृश्य होती हैं, एक तो पूर्व से पश्चिम की तरफ पृथ्वी की परिक्रमा तथा दूसरी पूर्व बिंदु से उत्तर की ओर और उत्तर से दक्षिण की ओर जाकर, कक्षा का भ्रमण। अतएव व्यावहारिक दृष्टि से हम सूर्य से ही काल का ज्ञान प्राप्त करते हैं। .

देखें स्थाई अवस्था और समय

सान्द्रता

रसायन विज्ञान में किसी विलयन की सांद्रता (concentration) उस विलयन के इकाई आयतन में उपस्थित पदार्थ की मात्रा के रूप में परिभाषित किया गया है। किन्तु रसायन विज्ञान में सांन्द्रता की चार अलग-अलग परिभाभाषाएँ हैं: द्रव्यमान सान्द्रता (mass concentration), मोलर सान्द्रता (molar concentration), संख्या सान्द्रता (number concentration), तथा आयतनी सांद्रता। यद्यपि किसी भी प्रकार के रासायनिक मिश्रण के सन्द्रभ में सान्द्रता की बात की जा सकती है किन्तु प्रायः यह विलयन में उपस्थित विलेयों के लिए ही प्रयुक्त होता है। श्रेणी:विश्लेषणात्मक रसायनशास्त्र श्रेणी:रासायनिक गुण.

देखें स्थाई अवस्था और सान्द्रता

क्षणिक अनुक्रिया

'''अवमंदित कम्पन''': बहुत से तंत्रों की क्षणिक अनुक्रिया इससे मिलती-जुलती है। किन्तु कुछ तंत्रों की क्षणिक अनुक्रिया बिना किसी कम्पन के अपने स्थाई मान की ओर अग्रसर होती है, जिसे अति-अवमंदित अनुक्रिया (ओवरडैम्प्ड रिस्पॉन्स) कहते हैं। वैद्युत इंजीनियरी एवं यांत्रिक इंजीनीयरी के सन्दर्भ में किसी तंत्र की साम्यावस्था के बाद उसमें किसी प्रकार का परिवर्तन करने के तुरन्त बाद तंत्र की अनुक्रिया (रिस्पांस) को उसकी क्षणिक अनुक्रिया (transient response) कहते हैं। इसे 'अस्थाई अनुक्रिया' या 'प्राकृतिक अनुक्रिया' (natural response) भी कहते हैं। क्षणिक अनुक्रिया केवल 'बन्द/चालू' (आन/आफ) करने पर ही नहीं होती, यह साम्य को प्रभावित करने वाली किसी भी क्रिया से बाद हो सकती है। उदाहरण के लिए, श्रेणीक्रम में जुड़े किसी अनावेशित संधारित तथा प्रतिरोध को एक १२ वोल्ट की बैटरी से जोड़ने पर संधारित्र की वोल्टता शून्य से बढ़ते हुए इक्सपोनेंशियल तरीके से १२ वोल्ट की तरफ जाती है। इसे इस परिपथ की क्षणिक अनुक्रिया कहेंगे। वास्तव में क्षणिक अनुक्रिया किसी भी तंत्र में होती देखी जा सकती है। उदाहरण के लिए किसी देश की कराधान व्यवस्था में कोई बड़ा परिवर्तन करने पर उत्पादन पर क्या प्रभाव पड़ता है। क्षणिक अनुक्रियाओं के कुछ समय बाद तंत्र पुनः साम्यावस्था को प्राप्त हो जाता है जिसे 'स्थाई अवस्था' कहते हैं। किसी तंत्र में क्षणिक अनुक्रिया से आरम्भ करके 'अस्थाई अवस्था' में आने का समय उस तंत्र के 'कालांक' (time constant) को बताने का एक तरीका है। उदाहरण के लिए किसी तंत्र का कालांक २ सेकेण्ड है तो इसका मतलब है कि किसी परिवर्तन के बाद वह तंत्र लगभग ५ x २ सेकेण्ड .

देखें स्थाई अवस्था और क्षणिक अनुक्रिया

यह भी देखें

तन्त्र सिद्धान्त

स्थायी अवस्था के रूप में भी जाना जाता है।