3 संबंधों: निर्णायक प्रबन्धन, रणनीति, समर-विद्या।
निर्णायक प्रबन्धन
किसी कम्पनी के सर्वोच्च प्रबन्धन द्वारा अपने प्रमुख लक्ष्यों को रेखांकित करना तथा उन्हें प्राप्त करने के लिये किये जाने वाले पहलों (initiatives) को निर्णायक प्रबन्धन' (Strategic management) कहते हैं। किसी भी व्यवसाय में पूंजी निवेश धन निर्माण का मूल आधार है। आर्थिक अस्थिरता के परिवेश में प्रत्येक निवेशक अनुकूलतम विनियोग एवं वित्तीय अवसरों का चुनाव कर न्यूनतम जोखिम और अधिकतम प्रत्याय दर पर अपने धन को अधिकतम करना चाहेगा। चूकि प्रबंधन ही विनियोजकों के प्रति उत्तरदायी है इसलिए व्यापारिक वित्तीय प्रबंधन का उद्देश्य होना चाहिए कि वह ऐसा निवेश और वित्तीय निर्णय ले जो सभी निवेशकों को संतुष्ट कर अनुकूलतम वित्तीय स्थिति के समान स्तर पर ला सके। अंशधारकों के हितों की संतुष्टि को ही अंशधारियों के धन के अधिकतम के साधन के रूप में माना जा सकता है। चूंकि पूंजी एक सीमित कारक है, अतः प्रबंधन के समक्ष वैकल्पिक प्रयोगों में सीमित कोषों को आबंटित करने की समस्या विद्यमान रहती है। व्यवसाय अपनी क्षमता एवं सतत् विनियोग अवसरों की खोज द्वारा विनियोजकों की प्रत्याय को बना एवं बढ़ा सके एवं अधिक कोष उत्पन्न करे जो विनियोजकों के लिए लाभदायक हो। अतः समस्त व्यावसायिक आवश्यकताओं में तीन मूलभूत तत्वों का समावेश होना चाहिए-.
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रणनीति
रणनीति (Strategy) मूलतः सैन्यविज्ञान से आया हुआ शब्द है, जिसका मतलब है - 'किसी लक्ष्य की प्राप्ति के लिये बनायी गयी कार्ययोजना'। अर्थात, अनिश्चय की स्थिति में, एक या अधिक लक्ष्यों की प्राप्ति के लिये, उच्च स्तर पर बनायी गयी योजना को रणनीति कहते हैं। .
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समर-विद्या
युद्ध में शत्रु से लड़ने एवं उसे पराजित करने के लिये सैनिक शक्ति को संगठित करना, हथियारों का समन्वय एवं उपयोग करने की तकनीक के विज्ञान एवं कला को सामरिकी या समर-विद्या या युद्ध-विद्या (Military tactics) कहते हैं। .
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