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13 संबंधों: पाकिस्तान का सर्वोच्च न्यायालय, पाकिस्तान का संविधान, पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश, पाकिस्तान के राष्ट्रपति, पाकिस्तान की न्यायपालिका, पंजाब के राज्यपाल (पाकिस्तान), ममून काज़ी, लाड़काना, सिंध, सिंध के राज्यपाल, कराँची, अनवर ज़हीर जमाली, उच्च न्यायालय (पाकिस्तान)।
पाकिस्तान का सर्वोच्च न्यायालय
पाकिस्तान का सर्वोच्च न्यायालय (عدالت عظمیٰ پاکستان; अदालत-ए उज़्मा पाकिस्तान), इस्लामी गणराज्य पाकिस्तान की सर्वोच्च अदालत है और पाकिस्तान की न्यायिक व्यवस्था का शीर्ष हिस्सा है और पाकिस्तानी न्यायिक क्रम का शिखर बिन्दु है। पाकिस्तान की सर्वोच्च न्यायालय, पाकिस्तान कानूनी और संवैधानिक मामलों में फैसला करने वाली अंतिम मध्यस्थ भी है। सर्वोच्च न्यायालय का स्थायी कार्यालय पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में स्थित है, जबकि इस अदालत की कई उप-शाखाएं, पाकिस्तान के महत्वपूर्ण शहरों में कार्यशील हैं जहां मामलों की सुनवाई की जाती है। सर्वोच्च न्यायालय, पाकिस्तान को कई संवैधानिक व न्यायिक विकल्प प्राप्त होते हैं, जिनकी व्याख्या पाकिस्तान के संविधान में की गई है। देश में कई सैन्य सरकारों और असंवैधानिक तानाशाही सरकारों के कार्यकाल में भी सर्वोच्च न्यायालय ने स्वयं को स्थापित कर रखा है। साथ ही, इस अदालत ने सैन्य शक्ति पर एक वास्तविक निरीक्षक के रूप में स्वयं को स्थापित किया है और कई अवसरों में सरकारों की निगरानी की है। इस अदालत के पास, सभी उच्च न्यायालयों(प्रांतीय उच्च न्यायालयों, जिला अदालतों, और विशेष अदालतों सहित) और संघीय अदालत के ऊपर अपीलीय अधिकार है। इसके अलावा यह कुछ प्रकार के मामलों पर मूल अधिकार भी रखता है। सुप्रीम कोर्ट एक मुख्य न्यायाधीश और एक निर्धारित संख्या के वरिष्ठ न्यायाधीशों द्वारा निर्मित होता है, जो प्रधानमंत्री से परामर्श के बाद राष्ट्रपति द्वारा नामित किया जाता है। एक बार नियुक्त न्यायाधीश को, एक निर्दिष्ट अवधि को पूरा करने और उसके बाद ही रिटायर होने की उम्मीद की जाती है, जब तक कि वे दुराचार के कारण सर्वोच्च न्यायिक परिषद द्वारा निलंबित नहीं किये जाते हैं। .
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पाकिस्तान का संविधान
पाकिस्तान का संविधान (آئین پاکستان;आईन(ए) पाकिस्तान) या दस्तूरे पाकिस्तान دستور پاکستان) को १९७३ का क़ानून भी कहते हैं। यह पाकिस्तान का सर्वोच्च दस्तूर है। पाकिस्तान का संविधान संविधान सभा द्वारा १० अप्रैल १९७३ को पारित हुआ तथा 14 अगस्त 1973 से प्रभावी हुआ। इस का प्रारूप ज़ुल्फ़िक़ार अली भुट्टो की सरकार और विपक्ष ने मिल कर तैयार किया। ये पाकिस्तान का तीसरा दस्तूर है और इस में कई बार रद्दोबदल की जा चुकी है। .
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पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश
पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश(उर्दू:,;मुन्शिफ़-ए आज़म पाकिस्तान),, पाकिस्तान की न्यायपालिका के प्रमुख एवं पाकिस्तान के उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश होते हैं। पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट 1947 से 1960 तक संघीय अदालत के नाम से जानी जाती थी। मुख्य न्यायाधीश पाकिस्तान की उच्चतम न्यायालय के 16 न्यायाधीशों में वरिष्ठतम होते हैं। मुख्य न्यायाधीश पाकिस्तान की न्यायिक प्रणाली के प्रमुख प्रशासनिक अधिकारी है एवं यह पाकिस्तान का उच्चतम न्यायालय पद है जो संघीय न्यायपालिका की नीति निर्धारण वह उच्चतम न्यायालय में न्यायिक कार्यों का कार्यान्वयन के लिए जिम्मेदार है। इस पद पर नियुक्ति के लिए नामांकन पाकिस्तान के प्रधानमंत्री द्वारा एवं नियुक्ति अंततः पाकिस्तान के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। अदालत की सुनवाई पर अध्यक्षता करते हुए मुख्य न्यायाधीश के पास न्यायालय की नीति निर्धारण के लिए अत्यंत ताकत है। साथ ही आधुनिक परंपरा अनुसार मुख्य न्यायाधीश के कार्य क्षेत्र के अंतर्गत राष्ट्रपति को शपथ दिलाने का भी महत्वपूर्ण संवैधानिक कार्य है पाकिस्तान के सर्वप्रथम मुख्य न्यायाधीश सर अब्दुल राशिद थे। .
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पाकिस्तान के राष्ट्रपति
पाकिस्तान के राष्ट्रपति (صدر مملكت —) पाकिस्तान इस्लामिक गणतंत्र के सर्वेसर्वा का पद है। .
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पाकिस्तान की न्यायपालिका
पाकिस्तान की न्यायपालिका, एक श्रेणीबद्ध प्रणाली है जिसमें अदालतों के दो वर्गों है: श्रेष्ठतर (या उच्च) न्यायपालिका और अधीनस्थ (या निम्न) न्यायपालिका। श्रेष्ठतर न्यायपालिका, "सुप्रीम कोर्ट ने पाकिस्तान के", "संघीय शरीयत कोर्ट" और "पाँच उच्च न्यायालयों" से बना है, जिसके शीर्ष पर "सुप्रीम कोर्ट" विराजमान है। इसके अलावा, प्रत्येक चार प्रांतों एवं इस्लामाबाद राजधानी क्षेत्र के लिये एक उच्च न्यायालय है। पाकिस्तान का संविधान, न्यायपालिका पर संविधान की रक्षा, संरक्षण व बचाव का दायित्व सौंपता है। ना उच्चतम न्यायालय, ना हीं, उच्च न्यायालय, जनजातीय क्षेत्रों(फाटा) के संबंध में अधिकारिता का प्रयोग कर सकते हैं, सिवाय अन्यथा यदी प्रदान की जाय तो। आजाद कश्मीर और गिलगित-बाल्टिस्तान के विवादित क्षेत्रों के लिये अलग न्यायिक प्रणाली है। अधीनस्थ न्यायपालिका में, सिविल और आपराधिक जनपदीय न्यायालय व अन्य अनेक विशेष अदालतें शामिल हैं, जो, बैंकिंग, बीमा, सीमा शुल्क व उत्पाद शुल्क, तस्करी, ड्रग्स, आतंकवाद, कराधान, पर्यावरण, उपभोक्ता संरक्षण, और भ्रष्टाचार संबंधित मामलों में अधिकारिता का प्रयोग करती हैं। आपराधिक अदालतों को दंड प्रक्रिया संहिता, 1898 के तहत बनाया गया था और सिविल अदालतें, पश्चिमी पाकिस्तान सिविल न्यायालय अध्यादेश, 1964 द्वारा स्थापित किए गए थे। साथ ही, राजस्व अदालतें भी हैं, जो कि पश्चिमी पाकिस्तान भू-राजस्व अधिनियम, 1967 के तहत काम कर रहे हैं। इसके अलावा, सरकार, विशिष्ट मामलों में विशिष्ट अधिकार कार्यान्वित करने हेतु प्रशासनिक अदालतों और अधिकरणों की स्थापना कर सकती है। .
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पंजाब के राज्यपाल (पाकिस्तान)
पंजाब के राज्यपाल पंजाब, पाकिस्तान की प्रांतीय सरकार के आधिकारिक प्रमुख एवं सूबे के सर्वोच्च पदाधिकारी हैं। राज्यपाल की नियुक्ति राष्ट्रपति पाकिस्तान, प्रधानमंत्री पाकिस्तान की परामर्श पर करते हैं और सामान्यतः यह एक औपचारिक पद होता है अर्थात् उसके पास अधिक संवैधानिक अधिकार नहीं होते हैं। हालांकि इतिहास में कई बार ऐसे अवसर आए हैं जब प्रांतीय गवर्नरों को अतिरिक्त व पूर्ण अधिकार मिलता रहा है, विशेषकर उन मामलों में जब प्रांतीय विधायिका भंग कर दी गई हो, तब प्रशासनिक अधिकार सीधे राज्यपाल के अधिकारक्षेत्र के अंतर्गत आ जाते हैं; जैसा कि 1958 के बाद से 1972 और 1977 से 1985 तक, सैन्य शासन और 1999 से 2002 तक के राज्यपाल शासन में हुआ था। पंजाब में 1949 से 1951 तक राज्यपाल शासन लागू रहा था। इसके अलावा, एक इकाई व्यवस्था के अंतर्गत 1955 से 1970 तक पंजाब प्रांत को स्थगित कर उस समय के पाकिस्तान के पश्चिमी भाग के सारे प्रांतों के संयोजन से, एक प्रांत, पश्चिमी पाकिस्तान बनाया गया था, इस बीच यह पद निलंबित रहा था। .
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ममून काज़ी
ममून काज़ी (१९३८ – २ अप्रैल २०१४) एक पाकिस्तानी न्यायाधीश थे। उनका २ अप्रैल २०१४ को निधन हो गया। उनकी पत्नी रेहाना काज़ी और दो पुत्रियाँ और एक नाति है। .
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लाड़काना
लडकाना यह एक शहर है जो पाकिस्तान के सिन्ध प्रान्त में है। .
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सिंध
सिंध सिंध पाकिस्तान के चार प्रान्तों में से एक है। यह देश के दक्षिण-पूर्व में बसा हुआ है जिसके दक्षिण में अरब की खाड़ी है। सिन्ध का सबसे बड़ा शहर कराँची है और यहाँ देश की 15 प्रतिशत जनता वास करती है। यह सिन्धियों का मूल स्थान है साथ ही यहाँ विभाजन के दौरान आकर बसे मोहाज़िरों की भी बहुतायात है। .
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सिंध के राज्यपाल
सिंध के राज्यपाल पाकिस्तान के प्रांत, सिंध की प्रांतीय सरकार का प्रमुख होते हैं। इनकी नियुक्ति पाकिस्तान के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री की परामर्श पर करते हैं और, पाकिस्तान के अन्य प्रांतीय राज्यपाल पदों के समान ही, आमतौर पर यह भी एक औपचारिक पद है, यानी राज्यपाल पास बहुत अधिक अधिकार नहीं होते हैं। हालाँकि इतिहास में कई बार ऐसे अवसर आए हैं जब प्रांतीय गवर्नरों को अतिरिक्त व पूर्ण कार्याधिकार मिला है, खासकर इस मामले में जब प्रांतीय विधायिका भंग कर दी गई हो, तब प्रशासनिक विकल्प सीधे राज्यपाल के अधिकार-अंतर्गत आ जाते हैं। 1958 से 1972 और 1977 से 1985 तक सैन्य शासन और 1999 से 2002 के राज्यपाल शासन के दौरान राज्यपालों को जबरदस्त प्रशासनिक शक्ति मिलते रहे हैं। सिंध में दो बार सीधे राज्यपाल शासन रहा है जिनके दौरान 1951 से 1953 के दौरान मियां अमीन दीन और 1988 में रहीम दीन खान राज्यपाल थे। .
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कराँची
पाकिस्तान के सिंध प्रांत का एक जिला। श्रेणी:सिंध श्रेणी:पाकिस्तान के ज़िले sv:Lista över Pakistans administrativa distrikt.
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अनवर ज़हीर जमाली
अनवर जहीर जमाली पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश हैं जिन्होंने 10 सितंबर 2015 को न्यायाधीश पद का शपथ उठाया। अनवर जहीर 1951 को हैदराबाद, पाकिस्तान में पैदा हुए। आपके पूर्वजों का संबंध भारत के शहर जयपुर से था। अपने परिवार एक धार्मिक घराना है, जिसका सिलसिला वंश कुतुबुद्दीन अहमद हंसी से जा मिलता है। आप गिनती उन मनसनिन में होता है जो परवेज़ मुशर्रफ़ के दौर में पीसीओ के तहत शपथ लेने से इनकार कर दिया था। .
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उच्च न्यायालय (पाकिस्तान)
इस्लामी गणराज्य पाकिस्तान में पांच उच्च न्यायालय हैं, जिनमें से चार प्रत्येक प्रांत के मुख्यालय में स्थित हैं। पाकिस्तान ने पांचवें न्यायालय संघीय राजधानी क्षेत्र के लिए पारित किया है जो इस्लामाबाद में स्थित है। पांचवें न्यायालय की योजना लाहौर प्रांतीय न्यायालय ने रोक लगा दी थी, और इस फैसले को पाकिस्तान की न्यायालय ने 24 दिसंबर 2007 पर रोक लगा दी। .